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‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ का दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम मंगलवार को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया जाएगा

India gets a new Parliament building: All you need to know
वर्ष भर चलने वाले उत्सव का दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम, ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ अभियान; न्याय तक समग्र पहुँच के लिए अभिनव समाधान तैयार करना (दिशा) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जो विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। यह कार्यक्रम 16 जुलाई, 2024 को प्रयागराज में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कन्वेंशन सेंटर में भारतीय संविधान को अंगीकृत किये जाने और भारत गणराज्य की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में 24 जनवरी से 23 अप्रैल 2024 तक MyGov प्लेटफॉर्म पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए जाएंगे। प्रतियोगिताओं में संविधान क्विज, पंच प्राण रंगोत्सव (पोस्टर-निर्माण) और पंच प्राण अनुभव (रील-निर्माण) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, न्याय विभाग के न्याय बंधु कार्यक्रम के तहत पंजीकृत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निःशुल्क सेवा देने वाले अधिवक्ता पैनल को बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं को निःशुल्क सेवाओं के लिए नामांकन करने के लिए प्रोत्साहित करने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मान्यता दी जाएगी और सम्मानित किया जाएगा।

नागरिक भागीदारी बढ़ाने के प्रयास के तहत, कार्यक्रम में ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। यह पोर्टल ज्ञान के भंडार के रूप में काम करेगा, जिससे नागरिकों को संविधान और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जानकारी तक आसान पहुँच की सुविधा मिलेगी। इसमें अभियान की गतिविधियों की झलकियाँ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें एक कार्यक्रम कैलेंडर और सुविधाजनक तरीके भी शामिल होंगे, ताकि समुदाय-आधारित सहयोगी दृष्टिकोण के जरिये संवैधानिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने को आपसी संवाद आधारित और सहभागी बनाया जा सके।

इस कार्यक्रम में विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अरुण भंसाली भी भाग लेंगे। इलाहाबाद बार के अधिवक्ता, सरकारी वकील, न्यायिक अधिकारी, सामान्य सेवा केंद्र के ग्राम-स्तरीय उद्यमी, राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि संस्थान, प्रयागराज के कुलपति, संकाय और विधि के छात्र, केंद्र और राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और नागरिक सहित लगभग 800 प्रतिभागी इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे। इसके अलावा कई नागरिक और न्याय विभाग के हितधारक इस कार्यक्रम में डिजिटल रूप से जुड़ेंगे।

भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने 24 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली के अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में इस अभियान का उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य संविधान की समझ और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता को लोकप्रिय बनाना है। आगे बढ़ते हुए, यह निर्णय लिया गया कि भागीदारी और समावेशिता बढ़ाने के लिए इस अभियान को क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 9 मार्च, 2024 को राजस्थान के बीकानेर में पहले क्षेत्रीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस अखिल भारतीय अभियान की कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं:

  • क्षेत्रीय स्तर पर ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ कार्यक्रम का आयोजन।
  • स्थानीय लोगों के लिए सरल तरीकों से संविधान के बारे में जागरूकता फैलाना और इसे बढ़ावा देना।
  • सबको न्याय हर घर न्याय, नव भारत नव संकल्प और विधि जागृति अभियान जैसे उप-अभियानों का आयोजन और इन्हें लोकप्रिय बनाना।
  • नागरिकों को ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल पर सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।

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उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए तत्काल कानूनी सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज साइबर अपराध के शिकार लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, को कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। देश में बढ़ती डिजिटल पहुंच के साथ-साथ साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यह एजेंसियों, जांचकर्ताओं, नियामकों और कानूनी समुदाय के लिए चिंता का एक नया क्षेत्र है, और इससे निपटने के लिए तकनीकी और मानवीय विशेषज्ञता विकसित करने का आह्वान किया।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित तीसरे साइबर सुरक्षा सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि निर्दोष लोगों को धोखेबाज तत्वों द्वारा ठगा जा रहा है, और उन्होंने देश के सुदूर कोने में भी डेटा सुरक्षा जागरूकता के महत्व पर जोर दिया।

वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी डिजिटल सोसाइटियों में से एक के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि भारत में 820 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और इसने 500 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिए बैंकिंग समावेशन हासिल किया है। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वर्ष 2023 तक वैश्विक डिजिटल लेन-देन में देश की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी।

प्रौद्योगिकी की पहुंच सुनिश्चित करने में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया भारत में सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर उपयोग को देखकर दंग है, निस्सन्देह गांव स्तर तक भी। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी आम आदमी के बीच एक प्रचलित शब्द बन रहा है, वह अपने लेन-देन को डिजिटल होने का आनंद लेता है।”

बाधाकारी प्रौद्योगिकियों की अपार संभावनाओं की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी प्रौद्योगिकी का न केवल अर्थव्यवस्था, व्यवसाय या व्यक्तिगत उत्पादकता पर बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यह कहते हुए कि इन उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न चुनौतियों को अवसरों में बदला जाना चाहिए, श्री धनखड़ ने उनकी सकारात्मक क्षमता का दोहन करने के लिए प्रणालियों को अद्यतन करने का आह्वान किया। उन्होंने देश के लाभ के लिए इन प्रगतियों को एकीकृत करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर भी जोर दिया

आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध पारंपरिक सीमाओं को पार कर गया है, जो भूमि, अंतरिक्ष और समुद्र से आगे बढ़कर नए तकनीकी क्षेत्रों में फैल गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में किसी राष्ट्र की तैयारी उसकी वैश्विक क्षमता और रणनीतिक ताकत को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि नरम कूटनीतिक शक्ति तेजी से किसी राष्ट्र की तकनीकी क्षमता पर निर्भर करती है।

भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 को अपडेट करने सहित महत्वपूर्ण पहलों के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पहल, बढ़ी हुई सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ, देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।

इस अवसर पर जीसीटीसी के सलाहकार प्रोफेसर वी.एम.बंसल, जीसीटीसी के कार्यकारी परिषद सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.सिंह और सुश्री नीरू अबरोल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 100 दिनों में जलपोत पर लदे 41.12 मिलियन मीट्रिक टन सामान का उत्कृष्ट प्रबंधन करने के साथ नया रिकॉर्ड बनाया

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण (पीपीए) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले 100 दिनों के भीतर जलपोत पर लदे अभूतपूर्व 41.12 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) सामान का गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन करके अपने परिचालन इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस बंदरगाह के लिए कार्य क्षमता का यह उत्कृष्ट प्रदर्शन एक नया रिकॉर्ड स्थापित करता है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान प्राप्त 39.25 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो हैंडलिंग की तुलना में 4.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी को प्रदर्शित करता है।

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इस तरह की शानदार सफलता भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने में बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका तथा इसकी परिचालन दक्षता और क्षमता बढ़ाने के लिए प्राधिकरण की अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के गतिशील नेतृत्व व दूरदर्शी मार्गदर्शन में अपने परिचालन कार्यक्रम में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है और उत्कृष्ट दक्षता को प्रदर्शित करते हुए अपने पिछले मानदंडों को पार कर लिया है।

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष पी.एल. हरनाध ने केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री की कार्य कुशलता के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय श्री सर्बानंद सोनोवाल के लगातार सहयोग और रणनीतिक मार्गदर्शन को दिया है।

यह उपलब्धि पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण की कार्गो हैंडलिंग व्यवस्था में नए मानक स्थापित करने और देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है। चूंकि पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण अपनी क्षमताओं को विस्तार देने तथा अपनी सेवाओं में सुधार करना जारी रखे हुए है, इसलिए यह भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को सहयोग देने और देश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए समर्पित है।

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फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है

जैसे-जैसे भारत स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, अपशिष्ट से संपदा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ही रास्ता है। मंदिरों में खाद बनाने के गड्ढे बनाने और पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकते हैं। पुजारियों और भक्तों को नदियों में फूलों का कचरा न डालने को लेकर उन्हें शिक्षित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम से कचरे में कमी लाने में मदद मिल सकती है। “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है। पारंपरिक फूलों के बजाय डिजिटल प्रसाद या स्वाभाविक तरीके से सड़नशील सामग्रियों को बढ़ावा देने से भी फूलों के कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को पार्कों आदि जैसे हरे भरे स्थानों में फूलों के कचरे का पता लगाने और उसे प्रबंधित करने में शामिल किया जा सकता है।

भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।

आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।

तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।

फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित फूल, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, होलीवेस्ट ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट  पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।

पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

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पीएलआई योजना के अंतर्गत दूरसंचार उपकरण विनिर्माण की बिक्री 50 हजार करोड़ रुपये के पार

प्रधानमंत्री मोदी के भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से देश में उत्पादन, रोजगार-सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

दूरसंचार पीएलआई योजना के तीन वर्षों के अंतराल में  इस योजना ने 3,400 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है। दूरसंचार उपकरण उत्पादन 50,000 करोड़ रुपये के उच्‍चतम स्‍तर को पार कर गया है, जिसमें लगभग 10,500 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। इससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। यह उपलब्धि भारत के दूरसंचार विनिर्माण उद्योग की सुदृढ बढ़ोतरी और प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करती है। यह सफलता सरकारी योजनाओं के माध्‍यम से मिली है, क्‍योंकि सरकार ने स्थानीय उत्पादन को प्रोत्‍साहन दिया और आयात निर्भरता को कम करने के लिए पहल की। पीएलआई योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना और भारत को दूरसंचार उपकरण उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है। यह योजना भारत में निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री के आधार पर निर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान करती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना मोबाइल फोन और उसके घटकों का विनिर्माण करती है। इस पीएलआई योजना के परिणामस्वरूप, भारत से मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात दोनों में काफी तेजी आई है। 2014-15 में भारत, मोबाइल फोन का एक बड़ा आयातक था। उस समय देश में केवल 5.8 करोड़ यूनिट का उत्पादन होता था, जबकि 21 करोड़ यूनिट का आयात होता था, लेकिन सरकारी पहलों के माध्‍यम से 2023-24 में भारत में 33 करोड़ यूनिट का उत्पादन हुआ और केवल 0.3 करोड़ यूनिट का आयात हुआ और लगभग 5 करोड़ यूनिट का निर्यात हुआ। मोबाइल फोन के निर्यात का मूल्य 2014-15 में 1,556 करोड़ रुपये और 2017-18 में केवल 1,367 करोड़ रुपये था। यह 2023-24 में बढ़कर 1,28,982 करोड़ रुपये हो गया है। 2014-15 में मोबाइल फोन का आयात 48,609 करोड़ रुपये का था, जो 2023-24 में घटकर मात्र 7,665 करोड़ रुपये रह गया है।

भारत कई वर्षों से दूरसंचार उपकरणों का आयात करता रहा है, लेकिन मेक-इन-इंडिया और पीएलआई योजना के कारण संतुलन बदल गया है, जिससे देश में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरणों का उत्पादन हो रहा है।

मुख्य विशेषताएं दूरसंचार (मोबाइल को छोड़कर):

  • उद्योग वृद्धि : दूरसंचार उपकरण विनिर्माण क्षेत्र ने असाधारण वृद्धि की है, जिसमें पीएलआई कंपनियों की कुल बिक्री 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। आधार वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में पीएलआई लाभार्थी कंपनियों द्वारा दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों की बिक्री 370 प्रतिशत बढ़ी है।
  • रोजगार सृजन : इस पहल ने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया है, बल्कि विनिर्माण से लेकर अनुसंधान और विकास तक मूल्य श्रृंखला में रोजगार के पर्याप्त अवसर भी सृजित किए हैं। इससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं।
  • आयात पर निर्भरता में कमी : स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने आयातित दूरसंचार उपकरणों पर देश की निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप 60 प्रतिशत आयात पर असर पड़ा है और भारत एंटीना, गीगाबिट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क (जीपीओएन) और ग्राहक परिसर उपकरण (सीपीई) में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। आयात पर निर्भरता कम करने से राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ी है और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा : भारतीय निर्माता वैश्विक स्तर पर तेजी से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं तथा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रस्‍तुत कर रहे हैं।

दूरसंचार उपकरणों में रेडियो, राउटर और नेटवर्क उपकरण जैसी जटिल वस्तुएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्‍त, सरकार ने कंपनियों को 5जी उपकरण बनाने के लिए कुछ अतिरिक्‍त लाभ दिए है। भारत में निर्मित 5जी दूरसंचार उपकरण वर्तमान में उत्तरी अमेरिका और यूरोप को निर्यात किए जा रहे हैं।

दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना और दूरसंचार विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित अन्य संबंधित पहलों के परिणामस्वरूप, दूरसंचार आयात और निर्यात के बीच का अंतर काफी कम हो गया है। निर्यात की गई वस्तुओं (दूरसंचार उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर) का कुल मूल्य 1.49 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में आयात 1.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।

वास्‍तव में, पिछले पांच वर्षों में दूरसंचार (दूरसंचार उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर) में व्यापार घाटा 68,000 करोड़ रुपये से घटकर 4,000 करोड़ रुपये रह गया है। दोनों पीएलआई योजनाओं ने भारतीय निर्माताओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने, विशेष योग्यता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने, दक्षता सुनिश्चित करने, उच्‍चतम स्‍तर की अर्थव्यवस्था निर्माण, निर्यात बढ़ाने और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का अभिन्न अंग बनाने का शुभारंभ किया है। सरकार की पहल से शुरू की गई इन योजनाओं ने भारत के निर्यात बास्केट को पारंपरिक वस्तुओं से उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों में परिवर्तित कर दिया है।

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प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने जून 2024 के लिए केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों के प्रदर्शन की केन्‍द्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर 26वीं मासिक रिपोर्ट जारी की

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने जून, 2024 के लिए केन्‍द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर मासिक रिपोर्ट जारी की, जो लोक शिकायतों के प्रकार और श्रेणियों और निपटारे की प्रकृति का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है। यह डीएआरपीजी द्वारा प्रकाशित केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों पर 26वीं रिपोर्ट है।

जून, 2024 की प्रगति केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा 1,34,386 शिकायतों का निपटारा दर्शाती है। 1 जनवरी से 30 जून, 2024 तक केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों में औसत शिकायत निपटान समय 14 दिन है। ये रिपोर्ट 10-चरण की सीपीजीआरएएमएस सुधार प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जिसे निपटारे की गुणवत्ता में सुधार और समय सीमा को कम करने के लिए डीएआरपीजी द्वारा अपनाया गया था।

रिपोर्ट जून, 2024 के महीने में सभी चैनलों के माध्यम से सीपीजीआरएएमएस पर पंजीकृत नए उपयोगकर्ताओं का डेटा भी प्रदान करती है। जून, 2024 के महीने में कुल 64367 नए उपयोगकर्ता पंजीकृत हुए, जिनमें अधिकतम पंजीकरण असम (12467) से और उसके बाद उत्तर प्रदेश (8909) पंजीकरण हुए।

सीपीजीआरएएमएस को कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पोर्टल के साथ जोड़ा गया है और यह 5 लाख से अधिक सीएससी पर उपलब्ध है, जो 2.5 लाख ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) से जुड़ा है। रिपोर्ट जून, 2024 में कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से पंजीकृत शिकायतों का राज्यवार विश्लेषण भी प्रदान करती है। जून, 2024 के महीने में सीएससी के माध्यम से 17,844 शिकायतें दर्ज की गईं। इसमें उन प्रमुख मुद्दों/श्रेणियों पर भी प्रकाश डाला गया है जिनके लिए सीएससी के माध्यम से अधिकतम शिकायतें दर्ज की गईं।

. जून, 2024 में फीडबैक कॉल सेंटर ने केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए 36905 जानकारियां एकत्र की, एकत्र की गई जानकारी में से, लगभग 52 प्रतिशत नागरिकों ने प्रदान किए गए समाधान पर संतुष्टि व्यक्त की। नागरिकों की संतुष्टि प्रतिशत के संबंध में पिछले 6 महीनों में केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों का प्रदर्शन भी उक्त रिपोर्ट में मौजूद है।

केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों की जून, 2024 के लिए डीएआरपीजी की मासिक सीपीजीआरएएमएस रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. पीजी मामले:
  • जून 2024 में, सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर 139387 पीजी मामले प्राप्त हुए, 134386 पीजी मामलों का निवारण किया गया और 30 जून, 2024 तक 87323 पीजी मामले लंबित थे।
  • जून, 2024 में कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से कुल 17,844 शिकायतें दर्ज की गईं।
  1. पीजी अपीलें:
  • जून, 2024 में 15206 अपीलें प्राप्त हुईं और 14686 अपीलों का निपटारा किया गया।
  • जून 2024 के अंत तक केन्‍द्रीय सचिवालय में 23712 पीजी अपीलें लंबित थी।
  1. शिकायत निवारण मूल्यांकन और सूचकांक (जीआरएआई) – जून, 2024
  • केन्‍द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग और डाक विभाग जून, 2024 के लिए ग्रुप ए (500 से अधिक शिकायतों के बराबर) के भीतर शिकायत निवारण मूल्यांकन और सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में शामिल हैं।
  • नीति आयोग, भूमि संसाधन विभाग और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग जून, 2024 के लिए ग्रुप बी (500 से कम शिकायतें) के अंतर्गत शिकायत निवारण मूल्यांकन एवं सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में शामिल हैं।

रिपोर्ट में उन मंत्रालयों/विभागों की श्रेणियों पर भी प्रकाश डाला गया है जिनके लिए जून, 2024 के महीने में अधिकतम शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें ग्रामीण विकास विभाग, श्रम और रोजगार मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग (बैंकिंग प्रभाग), कृषि और किसान कल्याण विभाग, और केन्‍द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) शामिल हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च रूसी नागरिक पुरस्कार मिलना अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कुशलता से संचालित करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रूस के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ से सम्मानित होने की उपलब्धि की सराहन की। श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत किस तरह से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कुशलता से संचालित करने में सक्षम रहा है। श्री गोयल ने उद्योग जगत से भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने को कहा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि वे हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते के तहत 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए स्विट्जरलैंड का दौरा करेंगे। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि यह प्रतिबद्धता पूरी तरह से एफडीआई को लेकर हमारी प्रतिबद्धता है और इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि साझेदारी बनाने में भारतीय उद्योग के सामूहिक प्रयास से एफडीआई से जुड़ी प्रतिबद्धता पर ईएफटीए समझौते से भी आगे बढ़कर कार्य किया जा सकता है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि उद्योग के तेजी से विकास के साथ-साथ सरकार 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। श्री गोयल ने कहा, “यह संभव है, इसे हासिल किया जा सकता है। हमारे पास सही आधारशिलाएं हैं, हमारे पास हमारा समर्थन करने के लिए मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक्स हैं। देश की मुद्रा स्थिर है और इसने अधिकांश अन्य उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया है।” उन्होंने कहा कि स्थिर सरकार, स्थिर बाजार, स्थिर अर्थव्यवस्था और सामूहिक ऊर्जा में पुनरुत्थान के साथ, देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांश वैश्विक मंचों पर एक उज्ज्वल स्थान के रूप में महत्व दिया जा रहा है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले एक साल में 1 लाख से अधिक पेटेंट पंजीकृत किए गए हैं, जो 2014 से पेटेंट पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में नवाचार के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धी मानकों के साथ गुणवत्ता मानक और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जुड़े हुए हैं, जो भारत को लागत की दृष्टि से प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम साबित करेंगे और सरकार को घटिया उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रवेश करने से रोकने में मदद करेंगे।

श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तीन गुना अधिक गति, तीन गुना अधिक काम और तीन गुना अधिक परिणाम लाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि सरकार सुधार के कार्य पर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो नागरिकों की आय के स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि अगले पांच वर्षों के लिए जल जीवन मिशन के माध्यम से नागरिकों को बेहतर सड़क और रेल संपर्क, बिजली, पाइप्ड गैस कनेक्शन, प्रत्येक घर के लिए पानी की कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जा रहा है।

श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि बुनियादी ढांचे का तेजी से रोलआउट उद्योग की जरूरतों के साथ गहराई से मेल खाता है, क्योंकि रोजगार, अर्थव्यवस्था और विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर इसका कई गुना प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विस्तार से बताया कि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से विनिर्माण और रसद में तेजी के मामले में भारत की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इससे सरकार को कम सुविधा प्राप्त वर्गों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाकर समाज में एक बेहतर संतुलन लाने में मदद मिलेगी। यह एक एक ऐसा विजन है, जिस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी पिछले दस वर्षों से काम कर रहे हैं।

श्री गोयल ने कहा कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा का विस्तार, जल जीवन मिशन की सफलता, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन करोड़ मुफ्त घर और शहरी क्षेत्रों में मलिन बस्तियों के इन-सीटू पुनर्वास के प्रयास इस कार्यकाल के दौरान सरकार के एजेंडे का हिस्सा हैं। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इंडिया पहल और विनिर्माण में निवेश से मिलने वाले रोजगार या उद्यमिता के अवसरों के साथ ये बुनियादी सुविधाएं जल्द ही भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देंगी।

उन्होंने कहा कि सरकार अनुपालन संबंधी अत्यधिक बोझ को कम करने, जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से कानूनों को अपराधमुक्त करने और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के ऐसे अन्य उपायों के माध्यम से भारतीय निवेश यात्रा को आसान बनाने की कोशिश कर रही है। श्री गोयल ने उद्योग जगत से और अधिक सक्रिय होने तथा हितधारकों के समक्ष आने वाली बाधाओं को सामने लाने तथा भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार के साथ जुड़ने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के बारे में चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि सरकार स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है तथा उन्होंने उपस्थित लोगों से पेड़ लगाने का आग्रह किया। श्री गोयल ने यह भी कहा कि बांस का स्थिरता पर कितना जबरदस्त प्रभाव है, क्योंकि यह ऑक्सीजन पैदा कर सकता है तथा कार्बन का अवशोषण भी करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को व्यावहारिक पहलों पर गौर करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो प्लास्टिक के उपयोग को कम करने में मदद करेंगे तथा उद्योग जगत से इस आंदोलन को देश के अंतिम व्यक्ति तक ले जाने के प्रयास में भागीदार बनने का आग्रह किया।

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वर्ष 2030 तक की अवधि के लिए रूस-भारत आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के संबंध में नेताओं का संयुक्त वक्तव्य

8-9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में रूस और भारत के बीच आयोजित 22वें वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद, रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने,

द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग और रूस-भारत विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास के वर्तमान मुद्दों पर विचारों का गहन आदान-प्रदान करके,

पारस्परिक सम्मान और समानता के सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करते हुए, पारस्परिक रूप से लाभप्रद एवं दीर्घकालिक आधार पर दोनों देशों के संप्रभु विकास,

रूस-भारत व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय बातचीत को गहरा करने हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहन देने,

दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार की गतिशील वृद्धि के रूझान को बनाए रखने के इरादे और 2030 तक इसकी मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करने की इच्छा से निर्देशित,

निम्नलिखित बातों की घोषणा की:

रूसी संघ और भारत गणराज्य, जिन्हें इसके आगे “दोनों पक्षों” के रूप में संदर्भित किया जाएगा, के बीच निम्नलिखित नौ प्रमुख क्षेत्रों को शामिल करते हुए द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग विकसित करने की योजना है:

1. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को समाप्त करने की आकांक्षा। ईएईयू-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना सहित द्विपक्षीय व्यापार के उदारीकरण के मामले में बातचीत जारी रखना। संतुलित द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने हेतु भारत से माल की आपूर्ति में वृद्धि सहित 2030 तक (पारस्परिक सहमति के अनुरूप) 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के पारस्परिक व्यापार की उपलब्धि को हासिल करना। दोनों पक्षों की निवेश संबंधी गतिविधियों को पुनर्जीवित करना, यानी विशेष निवेश संबंधी व्यवस्थाओं के ढांचे के भीतर।

2. राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली का विकास। आपसी निपटान में डिजिटल वित्तीय साधनों का निरंतर समावेश।

3. उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्टक समुद्री लाइन के नए मार्गों के शुभारंभ के जरिए भारत के साथ कार्गो कारोबार में वृद्धि। माल की बाधा रहित आवाजाही हेतु कुशल डिजिटल प्रणालियों के अनुप्रयोग के जरिए सीमा शुल्क प्रक्रियाओं का अधिकतम उपयोग।

4. कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में वृद्धि। पशु चिकित्सा, स्वच्छता और पादप स्वच्छता संबंधी प्रतिबंधों व निषेधों को हटाने के उद्देश्य से गहन संवाद को जारी रखना।

5. परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल सहित प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग तथा ऊर्जा संबंधी बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकियों एवं उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग व साझेदारी का विस्तारित रूप में विकास। वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, पारस्परिक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को सुविधाजनक बनाना।

6. बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल उत्पादन एवं जहाज निर्माण, अंतरिक्ष तथा अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को ठोस रूप देना। सहायक कंपनियों एवं औद्योगिक समूहों का निर्माण करके भारतीय और रूसी कंपनियों को एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करना। मानकीकरण, माप-पद्धति (मेट्रोलॉजी) और अनुरूपता मूल्यांकन के क्षेत्र में दोनों पक्षों के दृष्टिकोण का समन्वय।

7. डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं अनुसंधान, शैक्षिक आदान-प्रदान के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश एवं संयुक्त परियोजनाओं और उच्च तकनीक वाली कंपनियों के कर्मचारियों के लिए इंटर्नशिप को बढ़ावा देना। अनुकूल राजकोषीय व्यवस्थाएं प्रदान करके नई संयुक्त (सहायक) कंपनियों के गठन को सुविधाजनक बनाना।

8. दवाओं और उन्नत चिकित्सा उपकरणों के विकास एवं आपूर्ति में व्यवस्थित सहयोग को बढ़ावा देना। रूस में भारतीय चिकित्सा संस्थानों की शाखाएं खोलने और योग्य चिकित्साकर्मियों की भर्ती के साथ-साथ चिकित्सा एवं जैविक सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने की संभावनाओं का अध्ययन करना।

9. मानवीय सहयोग का विकास, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और अन्य क्षेत्रों में बातचीत का निरंतर विस्तार।

रूसी संघ के राष्ट्रपति और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग से संबंधित रूसी-भारतीय अंतर-सरकारी आयोग को चिन्हित किए गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का अध्ययन करने और अगली बैठक में इसकी प्रगति का आकलन करने का निर्देश दिया।

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आरपीएफ के डीजी ने आरपीएफ कर्मचारियों के लिए भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर पुस्तिकाएं जारी कीं

नए कानूनी ढांचे पर अमल किए जाने को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक (डीजी)  मनोज यादव ने आज नई दिल्ली में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और भारतीय साख्य अधिनियम (बीएसए), 2023 पर समग्र पुस्तिकाएं जारी कीं।

ये पुस्तिकाएं आरपीएफ कर्मचारियों के लिए एक आवश्यक मार्गदर्शिका के रूप में काम करने के लिए तैयार की गई हैं, जो नए अधिनियमित कानूनों के अनुसार कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में बताती हैं। पुस्तिकाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरपीएफ कर्मचारी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) से संबंधित नए अधिनियमों को लागू करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं। विस्तृत स्पष्टीकरण और व्यावहारिक मार्गदर्शन के साथ, पुस्तिकाएं बल (आरपीएफ) को न्याय को बनाए रखने और कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से बनाए रखने में सक्षम बनाएंगी।

आरपीएफ के महानिदेशक ने इन पुस्तिकाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ये पुस्तिकाएं सुचारू और कुशल परिवर्तन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आरपीएफ कर्मचारियों की कानूनी दक्षता बढ़ाने तथा बल के भीतर कानूनी प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। इससे कानून के शासन को बनाए रखने और न्याय प्रदान करने की बल की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा।

मुद्रित संस्करणों के अलावा, आज पुस्तिकाओं की ई-फ्लिपबुक भी जारी की गई। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के लिए पुस्तिका के साथ ये डिजिटल संस्करण जेआर आरपीएफ अकादमी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और मोबाइल फोन और डेस्कटॉप कंप्यूटर दोनों के लिए अनुकूल हैं, जिससे सभी आरपीएफ कर्मियों के लिए इन तक आसान पहुंच सुनिश्चित होती है। फ्लिपबुक के लिंक इस प्रकार हैं:

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भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) ने अपने प्रमुख पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम (पीजीआईपी) के छठे बैच का उद्घाटन किया

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) ने 8 जुलाई 2024 को मानेसर में अपने प्रमुख पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम (पीजीआईपी) के छठे बैच का उद्घाटन किया। इस समारोह में सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति श्री एस. रवींद्र भट; आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ तथा राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. अजय भूषण प्रसाद पांडे; एनसीएलएटी के पूर्व तकनीकी सदस्य डॉ. आलोक श्रीवास्तव; आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य श्री सुधाकर शुक्ला और आईआईसीए में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी केंद्र के प्रमुख डॉ. के.एल. ढींगरा सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण में माननीय न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट ने पिछले आठ वर्षों में आईबीसी की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला और आईबीसी, 2016 के उद्देश्यों की तुलना आरडीबी अधिनियम 1993 और एसएआरएफईएएसआई अधिनियम 2002 से की और यह भी बताया कि पहले के कानून किस तरह से विखंडित थे। उन्होंने एनसीएलटी, एनसीएलएटी, सीआईआरपी की भूमिका, आईबीसी के तहत आईपी की भूमिका और इसकी एकीकृत तथा समयबद्ध प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। माननीय न्यायमूर्ति भट ने कुशल समाधान प्रक्रिया, प्राथमिकता और ऋणशोधन पर सीआईआरपी के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने आईबीसी, 2016 के समक्ष समय पर समाधान, बुनियादी ढांचे के मुद्दे, समाधान और वसूली आदि चुनौतियों को भी चिह्नित किया। उन्होंने आईपी की भूमिका पर भी बात की, जिसमें उनके लिए आवश्यक कौशल सेट जैसे समाधान और बातचीत कौशल, प्रबंधन कौशल तथा दावों, परिसंपत्तियों, वित्त के संग्रहण, सीओसी के गठन, सीओसी में मतदान प्रक्रिया को विनियमित करने और भारत में आईबीसी 2016 की शुरुआत के बाद क्रेडिट संस्कृति में बदलाव शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय सचिव, विधि एवं न्याय तथा एनसीएलएटी के पूर्व सदस्य (तकनीकी) डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने आईबीसी मामलों के बारे में अपने अनुभव साझा किए तथा संपूर्ण समाधान प्रक्रिया में आईपी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने व्यापार करने में आसानी, सीमा कानून तथा संबंधित पक्ष लेन-देन के बारे में बात की, जिन्हें आईबीसी प्रक्रिया में शामिल किया गया। इसके साथ ही उन्होंने यूके कॉमन लॉ सिस्टम से उधार लिए गए आईबीसी मॉडल पर भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर अपने संबोधन में, आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य श्री सुधाकर शुक्ला ने आरबीआई की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर प्रकाश डाला, जिसमें प्रधानमंत्री ने ‘मान्यता, समाधान तथा पुनर्पूंजीकरण की रणनीति’ पर बात की। उन्होंने कहा कि दोहरी बैलेंस शीट की समस्या अतीत की समस्या है। श्री शुक्ला ने यह भी उल्लेख किया कि आईबीसी की सफलता को चालू वर्ष के दौरान समाधानों की संख्या (लगभग 1000), आईबीसी के तहत आवेदनों की वापसी की संख्या तथा पिछले 8 वर्षों से ऋणशोधन पर 131 प्रतिशत समाधानों से देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दिवालियापन के लिए एक विनियामक के रूप में आईबीबीआई का निर्माण और युवा पेशेवरों के लिए पीजीआईपी अपनी तरह का पहला नवाचार है।

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी केंद्र के प्रमुख डॉ. के. एल. ढींगरा ने पीजीआईपी के पूर्व छात्रों की सफलता की कहानियों और इन्सॉल्वेंसी तथा बैंकरप्ट्सी के क्षेत्र में इस पाठ्यक्रम की भूमिका और समाधान प्रक्रिया में नैतिकता की भूमिका के बारे में बताया। इससे पहले, अपने स्वागत भाषण में आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय भूषण प्रसाद पांडे ने मजबूत इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क और लेनदारों को प्रदान की जाने वाली स्वस्थ ऋण संस्कृति के आधार के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि दिवालियापन समाधान उत्पादक संपत्तियों को अनलॉक करने और मूल्य ह्रास को रोकने की कुंजी है। उन्होंने वित्तीय प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने में इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि आईबीसी का उद्देश्य एनपीए के समाधान के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किए जाने की तुलना में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान देना है। आईआईसीए में पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम के छठे बैच का उद्घाटन भारत में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी के क्षेत्र में उत्कृष्टता एवं नेतृत्व के लिए युवा और कुशल पेशेवरों को तैयार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वर्ष 2019 में इसकी शुरुआत के बाद से भारत में विभिन्न हितधारकों द्वारा इस कार्यक्रम को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।

आईआईसीए में पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम की शुरुआत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी में ज्ञान व विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए आईबीबीआई और आईआईसीए के ठोस प्रयास का नतीजा है। इसका उद्देश्य छात्रों को कॉर्पोरेट पुनर्गठन और इन्सॉल्वेंसी कार्रवाई की जटिलताओं से निपटने के लिए महत्वपूर्ण उन्नत कौशल और अंतर्दृष्टि से लैस करना है। आईआईसीए के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पायला नारायण राव ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन किया।

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