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योग गठिया के रोगियों को राहत पहुंचा सकता है

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि योगाभ्यास से गठिया (रूमेटाइड अर्थराइटिस-आरए) के रोगियों के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ सकता है।

आरए एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में सूजन का कारण बनती है। यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है और इस रोग में दर्द होता है। इसके कारण फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं। परंपरागत रूप से, योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला, एनाटॉमी विभाग और रुमेटोलॉजी विभाग एम्स, नई दिल्ली द्वारा एक सहयोगी अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तर पर योग के प्रभावों की खोज की है। इससे पता चला है कि कैसे योग पीड़ा से राहत देकर गठिया के मरीजों को लाभ पहुंचा सकता है।

पता चला है कि योग सेलुलर क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव (ओएस) को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। यह प्रो- और एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को संतुलित करता है, एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है, कोर्टिसोल और सीआरपी के स्तर को कम करता है तथा मेलाटोनिन के स्तर को बनाए रखता है। इसके जरिये सूजन और अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली चक्र का विघटन रुक जाता है।

मोलेक्यूलर स्तर पर, टेलोमेरेज़ एंजाइम और डीएनए में सुधार तथा कोशिका चक्र विनियमन में शामिल जीन की गतिविधि को बढ़ाकर, यह कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके अतिरिक्त, योग माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता है, जो ऊर्जा चयापचय को बढ़ाकर और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके टेलोमेर एट्रिशन व डीएनए क्षति से बचाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, एम्स के एनाटॉमी विभाग के मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला में डॉ. रीमा दादा और उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्द में कमी, जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, चलने-फिरने की कठिनाई में कमी और योग करने वाले रोगियों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की गई। ये समस्त लाभ योग की प्रतिरक्षात्मक सहनशीलता और मोलेक्यूलर रेमिशन स्थापित करने की क्षमता में निहित हैं।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स, 2023 में प्रकाशित अध्ययन https://www.nature.com/articles/s41598-023-42231-w से पता चलता है कि योग तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जो गठिया  के लक्षणों के लिए एक ज्ञात कारण है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को कम करके, योग अप्रत्यक्ष रूप से सूजन को कम कर सकता है, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में सुधार कर सकता है, जो ऊर्जा उत्पादन और सेलुलर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और -एंडोर्फिन, मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफ़िक कारक (बीडीएनएफ), डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (डीएचईए), मेलाटोनिन और सिरटुइन-1 (एसआईआरटी-1) के बढ़े हुए स्तरों से को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम कर सकता है। योग न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है और इस प्रकार रोग निवारण रणनीतियों में सहायता करता है तथा को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम करता है।

इस शोध से गठिया रोगियों के लिए पूरक चिकित्सा के रूप में योग की क्षमता का प्रमाण मिलता है। योग न केवल दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों को कम कर सकता है, बल्कि रोग नियंत्रण और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में भी योगदान दे सकता है। दवाओं के विपरीत, योग के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और यह गंभीर ऑटोइम्यून स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक सस्ता व प्रभावी तथा स्वाभाविक विकल्प प्रदान करता है।

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स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क आवश्यक हैः डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क (लिंकेज) आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि इसमें आईआईएम जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

   डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू शहर के बाहरी इलाके जगती में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के एमबीए छात्रों के नए बैच के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कहा कि अधिकतर सफल स्टार्ट-अप कहानियां मजबूत उद्योग संपर्क के कारण संभव हुई हैं। उन्होंने कहा- “उदाहरण के लिए, अरोमा मिशन में, सरकार लैवेंडर में कृषि स्टार्ट-अप में लगे लोगों की क्षमता सृजन सुनिश्चित करके और लैवेंडर से बने परफ्यूम और अन्य उत्पादों जैसे हिमालयी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए बाजार पहुंच की सुविधा प्रदान करके एक सक्षमकर्ता बन गई है।”

मंत्री महोदय ने कहा कि हिमालय के जैव संसाधनों और तटीय क्षेत्रों में अनछुए खनिजों का दोहन भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा मूल्यवर्धन कर सकता है और ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने कहा- “भारत के तटीय राज्य और जम्मू-कश्मीर जैसे हिमालयी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश देश के भविष्य की अर्थव्यवस्था को बहुत कुछ दे सकते हैं”। डॉ. जितेंद्र सिंह ने महत्वाकांक्षी पीढ़ी के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर समय चल रहा है। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप नए अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी महान समतलीकरण रही है, जिससे प्रत्येक क्षेत्र के सभी व्यक्ति को अवसर मिला है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि युवाओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, जिसने सामाजिक भलाई के लिए समान अवसर तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले प्रौद्योगिकी कुछ लोगों का विशेषाधिकार थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों से 2047 के भारत का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “2027 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरी करेगा, तब युवा ही विकसित भारत के निर्माता होंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार अपनी युवा पीढ़ी को नए कौशल और प्रशिक्षण तथा विश्व स्तरीय शिक्षा से लैस करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें विकसित भारत का निर्माता बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षक नीति 2020 इस लक्ष्य में योगदान देगी।”  डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईआईएम-जम्मू की प्रगति के बारे में कहा कि अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों में यह देश में उच्च शिक्षा के ऐसे नए प्रमुख संस्थानों में से एक बन गया है। मंत्री महोदय ने कहा, “प्रारंभिक अवस्था से ही, जब हमें फैकल्टी खोजने में भी कठिनाई हो रही थी, इसने अपनी छोटी सी यात्रा में एक लंबा सफर तय किया है।” उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएम जम्मू की स्थापना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और ऐसे नेताओं को तैयार करने के उनके सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्र को अभूतपूर्व विकास की ओर ले जाएंगे।’’

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विद्यार्थियों के अधिक लाभ के लिए संस्थानों के बीच सहयोग और तालमेल पर बल दिया। मंत्री महोदय ने कहा, “अलग-अलग काम करने का युग समाप्त हो गया है; सहयोग का युग आ गया है।” उन्होंने आईआईएम-जम्मू, एम्स-जम्मू, आईआईटी-जम्मू और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय को अनुसंधान एवं विकास तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया। इससे पहले डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आईआईएम-जम्मू के अत्याधुनिक परिसर का दौरा किया। उनके साथ निदेशक प्रो. बी.एस. सहाय और एम्स, जम्मू के निदेशक डॉ. शक्ति कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने इस अवसर पर एक पौधा लगाया।

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फाइलेरिया उन्मूलन कार्यशाला आयोजित

भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के एनएसएस क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ और एनएसएस प्रकोष्ठ उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा पी सी आई तथा ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए युवाओं की प्रतिभागिता के उद्देश से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई । कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य सम्पर्क अधिकारी प्रो. मंजू सिंह और युवा अधिकारी समरदीप सक्सेना एवं राजेश तिवारी  के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय, पी सी आई एवम् जी एच एस के अधिकारियो द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम में प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के 27 जनपदों से 70 से अधिक कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । इस कार्यक्रम में कानपुर विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ श्याम मिश्रा जी के नेतृत्व में सर्वाधिक 13 कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । जनपद कानपुर नगर से जिला नोडल अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के साथ डी ए वी कॉलेज से डॉ चंद्र सौरभ एवम् बी एन डी कॉलेज से डॉ प्रमोद ने प्रतिभाग किया।

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केंद्रीय विद्युत, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने आज उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स में चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया।

अपनी इस यात्रा के दौरान श्री मनोहर लाल ने 1000 मेगावाट के टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) में चल रही निर्माण गतिविधियों का निरीक्षण किया। यह टीएचडीसीआईएल के अंतर्गत एक प्रमुख परियोजना है जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण घटक है। केंद्रीय मंत्री ने बटरफ्लाई वाल्व चैंबर, मशीन हॉल और टिहरी पीएसपी के आउटफॉल सहित कई प्रमुख क्षेत्रों का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने नदी को जोड़ने के कार्य की समीक्षा की, जो पीएसपी को मौजूदा जल प्रबंधन प्रणालियों में एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। मौजूदा प्रयासों की सराहना करते हुए श्री मनोहर लाल ने टीएचडीसी की पूरी टीम को नवीकरणीय और विश्वसनीय जलविद्युत उत्पादन को आगे बढ़ाने की दिशा में उनके अथक समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी। उन्होंने टीम की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स के विकास में स्थापित किए गए उच्च मानकों को स्वीकार करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे जलविद्युत परियोजनाओं में टीएचडीसी का योगदान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को वास्तविक रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध टीएचडीसीआईएल के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो ऐसे समय में पूरा हुआ है, जब इतने बड़े बांध का विचार लगभग अकल्पनीय लग रहा है। टिहरी बांध का विकास अपने आप में किसी आश्चर्य और इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं है।

टीएचडीसी प्रबंधन और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा का समर्थन करने में जलविद्युत के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पूरी टीम से अपनी गति बरकरार रखने और शेष परियोजना चरणों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया। उन्होंने जलविद्युत प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने में टीएचडीसीआईएल के प्रयासों की प्रशंसा की और टीम से उत्कृष्टता के लिए अपने प्रयास जारी रखने का आग्रह किया।

टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर.के. विश्नोई ने मंत्री महोदय को उनके इस दौरे तथा उत्साहवर्धक शब्दों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के लिए एक सतत ऊर्जा भविष्य में योगदान देने के व्यापक मिशन के हिस्से के रूप में टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए टीएचडीसीआईएल की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। यह दौरा टीएचडीसीआईएल टीम के बीच उद्देश्य की नई भावना के संचार के साथ संपन्न हुआ, जो भारत के जलविद्युत क्षेत्र के भविष्य के लिए मंत्री महोदय के विज़न के साथ-साथ उस विज़न को साकार करने में उनकी भूमिका से प्रेरित रही।

मंत्री महोदय के साथ आये विद्युत मंत्रालय के प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल की टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर.के. विश्नोई, निदेशक (कार्मिक) श्री शलिन्दर सिंह, निदेशक (तकनीकी) श्री भूपेन्द्र गुप्ता तथा टीएचडीसीआईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स के बारे में कुछ जारी:

टीएचपीसी गंगा नदी की सहायक नदी भागीरथी पर बनी एक बहुउद्देशीय योजना है। इसे मानसून के दौरान भागीरथी नदी के फालतू पानी का संग्रह करने तथा गैर-मानसून अवधि के दौरान उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस संग्रहित जल को उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस परियोजना से 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है।

टिहरी एचपीसी में निम्नलिखित परियोजना शामिल हैं:

टिहरी हाइड्रो पावर प्लांट (टिहरी एचपीपी) – 1000 मेगावाट (4×250 मेगावाट)

2. कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना (कोटेश्वर एचईपी) – 400 मेगावाट (4×100 मेगावाट)

3. टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (टिहरी पीएसपी) – 1000 मेगावाट (4×250 मेगावाट)

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हैरान हूँ मैं कभी इस बात पर कभी उस बात पर

आज कल यू ट्यूब पर लगातार तरहां तरहा के उपाय बताये जा रहे है।लोगों को कन्फ़्यूशज किया जा रहा है,अलग अलग बातें समझा कर।बेचारे लोग अपनी समस्याओं से परेशान हो कर पंडित ज्योतिषी से पूछते जा रहे हैं !!कि बताये हमारे कौन सा ग्रह अच्छा है कौन सा बुरा .. पंडित जी कोई ऐसा उपाय बता दीजिए ,बस पैसा सब तरफ़ से बरसना शुरू हो जाये।
मैं कहती हूँ अगर क़िस्मत मे पैसा होगा, तो आ ही जायेगा.. अगर पैसा क़िस्मत मे नही है तो जो हम पंडितों से पूछ पूछ कर, कभी ये उपाय तो कभी वो उपाय कर रहे होते है ,उससे मुझे नहीं लगता कि पैसा आ जायेगा .. चलो मान भी लें कि उपाय करने से कहीं से पैसा आ भी गया या किसी जप ,तप ,साम ,दाम ,दंड ,भेद से कहीं पैसा इकट्ठा हो भी गया तो दोस्तों ..
वो धन कुछ समय तो सुख दे सकता है हमेशा नही।कभी-कभी ऐसा धन दुख ही दे कर जाता है।
हैल्थ प्रोब्लम, बच्चों का बिगड़ना , क्लेश या कोई और समस्या ले कर आता क्योंकि इसे हमने अपनी ज़िद्द से अर्जित किया।
पैसा लम्बे समय तक वही फलता फूलता है जो नेक कमाई ,साफ़ मन से अर्जित किया हो। हम लोग व्रत भी करते है तो भी शर्तों पर।भगवान के सामने पहले बात रखी जाती है कि हे भगवान आप मेरा ये काम करें तो मैं आप का व्रत करूँगा।
ये तो ऐसी बात है कि हमारा बच्चा ज़िद्द करे, मां बाप से कि आप को मेरी बात माननी होगी …
नहीं तो मैं अन्न नहीं ग्रहण करूँगा।
जबकि बच्चे को तो पता भी नहीं कि वो उसकी वो माँग सही है भी या नही।
दूसरी बात ,जब हमारा बच्चा इस तरह की ज़िद्द ले कर बैठ जाता है तो हमें क़तई अच्छा नहीं लगता..कंयूकि माँ बाप को पता होता है क्या देना ज़रूरी है बच्चे के लिए ,वो तो वक़्त आने पर दे ही
देंगे ।अब किसी छोटे बच्चे को उसकी ज़िद्द पर कार तो नहीं दी सकती। वो तो जब वो उसके काबिल होगा तो उसका पिता उसे वक़्त आने पर ले भी देगा।
इक होड़ सी ..
इक भागदौड़ सी लगी हुई है हर कहीं।सब कुछ पाने की चाह रखे हुए है लोग।तुम उससे आगे और मैं तुम्हारे आगे।
ये कैसा जीवन है ?जिसमें शान्ति नही,सन्तोष नही ,इक दूसरे के सिर पर पैर रख कर आगे बढ़ने की चाहत हमें कहीं नहीं ले जा सकती।
अगर ग्रहों की बात करें तो हमें किसी से पूछने की ज़रूरत है तो ही नहीं।दोस्तों ।
सब उपाय हमारे ही आसपास है ।
हमारे अंदर ही है।
सिर्फ़ उन्हें साफ़ साफ़ देखने, समझने और व्यवहारिक जीवन में लाने की ही ज़रूरत है।
🌹
पिता ..” सूर्य ग्रह “का प्रतीक है।
जो व्यक्ति पिता की इज़्ज़त करता है,उनकी सेवा करता है उनपर किसी प्रकार का खर्च , उनके इलाज पर खर्च करता है
उनके पास वक़्त निकाल कर बैठता है ,पैरो को दबाता है …
अवश्य ही उसका सूर्य बलवान होता है। उसे सूर्य ग्रह को उंचा करने के लिए कोई उपाय की ज़रूरत है ही नही।अगर बाप क तकलीफ़ दोगे या उससे किसी तरह का छल करोगे ,तो कितना भी आप सूर्य को जल चढ़ा लें..
सूर्य नीच का ही रहेगा।
पिता को हर सुख, हर सुविधा दे कर ही हम अपना सूर्य बलवान कर सकते है।
🌹ऐसे ही चन्द्र ग्रह
इस ग्रह के नीच होने पर मन की कमजोरी ,बीमारी और उदासी घेरे रहती है “माता का रूप है “उसको शान्त करने के लिए माता की सेवा ,उसका सम्मान ,माता को सुन्दर कपड़ा ,उनको सुगन्धित फूल देना ।उसकी हर इच्छा को पूरा करना ही “चन्द्र को उंचा “करने के उपाय है 
🌹भाई ,दोस्त ,यार ये सब ही मंगल ग्रह के ही रूप है
इन सब से किया गया छल कपट ,निरादर ,हमारे मंगल ग्रह के दूषित कर देता है।पंडित कह देते है पीली या लाल दालों को पानी में डालो ..या किसी आनाथ आश्रम में पीली चीजो का दान कर दो ..
मैं तो बस यही कह रही हूँ अपने किसी आसपास नज़र घुमा कर देखिए ,
अपने किसी दोस्त को या अपने छोटे या बड़े भाई को ,..कहीं उसे तो हमारी सहायता की आवश्यकता नहीं।
उनको सहारा दो।कभी ऐसा भी होता है आप के घर राजाओं जैसा भोजन खाया जा रहा होता है और आप का भाई या कोई दोस्त या कोई आप का जानने वाले के यहाँ दाल खाना भी नसीब नहीं होता।
सो किसी ऐसे की मदद ही आप का मंगल को उंचा कर देगी।भगवान ने हमारे लिए सारे उपाय बहुत सरल और हमारे आसपास ही रखे हुए है।
मंगल को उंचा करने का यही सीधा सा तरीक़ा है अपने भाई ,यार ,दोस्तों से बना कर रखे बिना की छल कपट के। फिर देखिए मंगल आप का उंचा ही होगा।
🌹“बुध का रूप “बहन या बेटी ही है
अपनी बहन या किसी की बहन , अपनी बेटी या किसी की बेटी की इज़्ज़त करने से। उसके दुख सुख में खड़े होने से हमारा बुध ग्रह को ताकतवर बन जाता है पंडित भी हरी चीजों का दान बता देते है मगर कोशिश करें ,दान सब से पहले अपने आसपास के परिवारों से ही शुरू करे।
🌹“बृहस्पति ग्रह “
गुरू का रूप ही है
गुरू को सम्मान देना उसकी आज्ञा को मानना, उसकी सेवा मे लगना। बृहस्पति ग्रह को ख़ुश करने में सक्षम है
और हमारा उच्च का गुरू हो जायेगा 
🌹“शुक्र ग्रह का रूप “
पति या पत्नी ही है जिनके साथ हमारा सम्बंध जुड़ता है।
पति को ख़ुश रखना ,
उसका सम्मान करना ,
उसको अपने हाथों से भोजन बना कर खिलाना,उसके हर काम को ह्रदय से करना..,
उसके दुख सुख में साथ निभाना शुक्र ग्रह को उच्च कर देता है।
ऐसे ही पत्नियों को हर तरह का सुख देना पुरुषों का शुक्र ग्रह उच्च का कर देता है।
🌹“शनि ग्रह का रूप “
हमारे साथ जुड़े हुए पिता के रिश्तेदार जैसे
चाचा ,ताया ,बुआ
माँ से जुड़े रिश्तेदारों का सम्मान…बुजुर्गों का सम्मान ,उनकी सेवा से शनि उच्च के होते हैं ।
पक्षियों और जानवरों पर दया भाव रखना उनको पानी या खाने को कुछ देने से भी शनि उच्च के होते है नौकरों को नौकर न समझ कर उन्हें भी इज़्ज़त देना शनि ग्रह उच्च का कर देता है शनि आप के व्यवहार को देखता है कि आप किस के साथ क्या व्यवहार करते है सो अपनी सोच को साफ़ और सुव्यवस्थित रखने पर शनि की किरपा मिलती रहती है ।
🌹“राहू ग्रह “
ससुराल के रूप में होता है ।
उनसे बना कर रखिए।जो वो दे दे प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया जाये ,
उनसे कभी माँगा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनको देने की इच्छा ही राहू को उच्च का कर देती है।अपने शरीर की सफ़ाई ,अपने घर की सफ़ाई ,अपनी रसोई और अपने घर के शौचालय को साफ़ रखने से राहू उच्च का हो जाता है अपने घर में चीजों को सही तरीक़े सलीक़े से रखने से राहू उच्च का होता है।
🌹“केतु ग्रह..”
पंडित, महात्मा ,साधु या गुरू रूप है
उनकी सेवा करना ..
केतु को मोक्ष का कारक ग्रह भी माना जाता है इसीलिए इस मे सब से अच्छा बर्ताव .. साफ़ मन .. दया भाव .. छल कपट से दूर रहने पर ही केतु उच्च के होते है।
ग्रह कोई भी हो ,
अगर आप अच्छे हैं।
अच्छे विचार रखते है
सब की मदद कर रहे है।
यथा योग्य दान भी कर रहे है।
बुरे ग्रह का प्रभाव चाहे व्यक्ति पर पड़ तो सकता है मगर वो आप को नुक़सान नहीं पहुँचा पायेगा।
सब का भला करना
और सब के लिए मंगल की कामना करने वाले का कोई भी ग्रह कभी नुक़सान नहीं करता।
सब विकारों से दूर होने पर ही केतु हमें मोक्ष की ओर ले कर जायेगा
दोस्तों !!
बात बहुत सीधी और सरल है। अब सोचने की बात है ये सब उपाय इक सुलझा हुआ व्यक्ति बहुत आसानी से कर सकता है बस अपनी अन्तरात्मा को जगाने की ही ज़रूरत है।ये सब बातें तो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बातें शामिल होनी ही चाहिए ।इसमें केवल अच्छा स्वभाव ही रखने की आवश्यकता है
इसमें न कोई पैसा ख़र्च करने की ज़रूरत है ,न किसी पंडितों को पैसा देने की । न ही किसी के पास जाने की ज़रूरत है यहाँ तो अपने आप को और अपनी द्वारा की गई हर गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है 
✍️ लेखिका स्मिता

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सरकार जल्द ही स्टार्टअप और कृषि उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के लिए ‘स्टार्ट-अप और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष’ (एग्रीश्योर) शुरू करेगी

सरकार क्षेत्र-विशिष्ट, क्षेत्र-के लिए कार्य करने और ऋण वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) में निवेश के माध्यम से स्टार्ट-अप और कृषि उद्यमियों को सहयोग करने के लिए ‘स्टार्ट-अप और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष’ (एग्रीश्योर) शुरू करने को तैयार है, साथ ही कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में काम कर रहे स्टार्ट-अप को प्रत्यक्ष इक्विटी सहयोग भी देगी। इस पहल का उद्देश्य 750 करोड़ रुपये की श्रेणी- II वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) की स्थापना के माध्यम से भारत के कृषि क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देना है। यह फंड इक्विटी और ऋण दोनों समर्थन प्रदान करेगा, विशेष रूप से कृषि मूल्य श्रृंखला में उच्च जोखिम, उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों को लक्षित करेगा।

यह घोषणा मुंबई में नाबार्ड मुख्यालय में आयोजित प्री-लॉन्च स्टेकहोल्डर मीट में की गई। इस कार्यक्रम में वित्तीय संस्थानों, निवेशकों, एआईएफ प्रबंधकों और कृषि-स्टार्टअप सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया। विशिष्ट अतिथियों में डीएएंडएफडब्ल्यू के संयुक्त सचिव श्री अजीत कुमार साहू, नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के.वी., नाबार्ड के डीएमडी श्री गोवर्धन सिंह रावत और नाबार्ड के डीएमडी डॉ. अजय कुमार सूद शामिल थे।

अपने संबोधन में श्री अजीत कुमार साहू ने इस कोष की संभावना पर प्रकाश डाला, जिससे एक ऐसा इकोसिस्‍टम तैयार होगा जो नवीन दृष्टिकोणों के माध्यम से कृषि क्षेत्र के लिए वित्तपोषण को बढ़ाएगा, जिससे छोटे और सीमांत किसानों को लाभ होगा। श्री शाजी के.वी. ने तकनीकी नवाचारों के माध्यम से कृषि में विकास के अगले स्तर को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

फंड की विशेषताओं के बारे में बताते हुए सीईओ नैबवेंचर्स ने बताया कि फंड की स्थापना 750 करोड़ रुपये की शुरुआती राशि से की जाएगी, जिसमें नाबार्ड और कृषि मंत्रालय से 250-250 करोड़ और अन्य संस्थानों से 250 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह फंड कृषि में नवाचार, कृषि उपज मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने, ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण, रोजगार सृजन और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को समर्थन देने पर ध्यान केन्‍द्रित करेगा। यह फंड किसानों के लिए आईटी-आधारित समाधान और मशीनरी किराये की सेवाओं को भी प्रोत्साहित करेगा। नैबवेंचर्स, नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो एग्रीश्योर का फंड मैनेजर होगा। फंड को 10 साल के लिए संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसे दो या अधिक वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है।

नवाचार को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए, नाबार्ड ने एग्रीश्योर ग्रीनाथन 2024 का शुभारंभ किया। हैकाथन का उद्देश्य तीन प्रमुख समस्याओं का समाधान करना है: “बजट पर स्मार्ट कृषि”, जो उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों की उच्च लागत से निपटता है जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए अड़चन बनती है; “कृषि कचरे को लाभदायक व्यावसायिक अवसरों में बदलना”, कृषि कचरे को लाभदायक उद्यमों में बदलने पर ध्यान केन्‍द्रित करना; और ” फिर से उगाए जाने वाली कृषि को लाभकारी बनाने वाले तकनीकी समाधान”, जिसका उद्देश्य फिर से उगाए जाने वाली कृषि की कार्य प्रणालियों को अपनाने में आने वाली आर्थिक बाधाओं को दूर करना है।

नाबार्ड ने नया कुछ करने की क्षमता रखने वाले युवाओं ‍से अपने नवोन्मेषी समाधानों के साथ कृषि से जुड़े नाजुक मुद्दों को कम करके देश को ‘विकसित भारत’ की ओर ले जाने की यात्रा में योगदान देने का आह्वान किया।

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प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के मुंबई में 29,400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया

 

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुंबई और आस पास के क्षेत्रों के बीच सड़क और रेल संपर्क को बेहतर बनाने के लिए 29,400 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखने और उन्हें समर्पित करने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने महाराष्ट्र के युवाओं के लिए एक बड़ी कौशल विकास परियोजना के बारे में भी बात की, जिससे राज्य में रोजगार के अवसरों को और बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने वधावन बंदरगाह के बारे में चर्चा की, जिसे हाल ही में केंद्र सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा, “76,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना 10 लाख से अधिक रोजगार का सृजन करेगी।”

पिछले एक महीने में मुंबई में निवेशकों के मूड को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे और बड़े दोनों निवेशकों ने सरकार के तीसरे कार्यकाल का उत्साहपूर्वक स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि स्थिर सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में तिगुनी गति से काम करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के पास एक गौरवशाली इतिहास, एक सशक्त वर्तमान और एक समृद्ध भविष्य के सपने हैं। भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में महाराष्ट्र राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने उद्योग, कृषि और वित्त क्षेत्र की शक्ति के बारे में बताया, जिसने मुंबई को देश का वित्तीय केंद्र बनाया है। श्री मोदी ने कहा, “मेरा लक्ष्य महाराष्ट्र की शक्ति का उपयोग करके इसे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति में बदलना है; मुंबई को दुनिया की फिनटेक राजधानी बनाना है।” श्री मोदी ने महाराष्ट्र के शिवाजी महाराज के शानदार किलों, कोंकण तटरेखा और सह्याद्री पर्वत श्रृंखला पर प्रकाश डालते हुए महाराष्ट्र के पर्यटन में शीर्ष स्थान हासिल करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने चिकित्सा पर्यटन और सम्मेलन पर्यटन में राज्य की क्षमता के बारे में भी बात की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र भारत में विकास का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है और हम इसके सहयात्री हैं।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि आज का कार्यक्रम ऐसे संकल्पों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता है।

21वीं सदी में भारतीय नागरिकों की उच्च आकांक्षाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अगले 25 वर्षों में विकसित भारत के राष्ट्रीय संकल्प को दोहराया। उन्होंने इस यात्रा में मुंबई और महाराष्ट्र की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि मुंबई और महाराष्ट्र में सभी के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़े। हम मुंबई के आस-पास के इलाकों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने तटीय सड़क और अटल सेतु के पूरा होने का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि लगभग 20 हजार वाहन रोजाना अटल सेतु का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे अनुमानित 20-25 लाख रुपये का ईंधन बच रहा है। उन्होंने कहा कि मुंबई में मेट्रो प्रणाली तेजी से विकसित हो रही है, क्योंकि मेट्रो लाइन की लंबाई एक दशक पहले के 8 किलोमीटर से बढ़कर आज 80 किलोमीटर हो गई है और 200 किलोमीटर मेट्रो नेटवर्क पर काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नागपुर स्टेशन के पुनर्विकास का जिक्र करते हुए कहा, “भारतीय रेलवे के बदलाव से मुंबई और महाराष्ट्र को बड़ा फायदा हो रहा है।” उन्होंने कहा, “आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और लोकमान्य तिलक स्टेशन पर नए प्लेटफॉर्म राष्ट्र को समर्पित किए गए, जिससे 24 कोच लंबी ट्रेनें वहां से चल सकेंगी।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में महाराष्ट्र में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई तीन गुनी हो गई है। उन्होंने कहा कि गोरेगांव मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना प्रकृति और प्रगति का एक बेहतरीन उदाहरण है। ठाणे बोरीवली ट्विन टनल परियोजना से ठाणे और बोरीवली के बीच की दूरी कुछ मिनटों तक सीमित हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने देश के तीर्थ स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ यात्रा को आसान बनाने और तीर्थयात्रियों के लिए सेवाओं का विस्तार करने के सरकार के प्रयास को दोहराया। उन्होंने कहा कि पंढरपुर वारी में लाखों तीर्थयात्री भाग ले रहे हैं और तीर्थयात्रियों की यात्रा को आसान बनाने के लिए लगभग 200 किलोमीटर लंबे संत ज्ञानेश्वर पालकी मार्ग और लगभग 110 किलोमीटर लंबे संत तुकाराम पालकी मार्ग के निर्माण के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि ये दोनों सड़कें जल्द ही चालू हो जाएंगी।

श्री मोदी ने कहा कि यह कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर्यटन, कृषि और उद्योग में मदद कर रहा है, रोजगार में सुधार कर रहा है और महिलाओं के लिए आराम की सुविधा प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा, “एनडीए सरकार के ये कार्य गरीबों, किसानों, महिला शक्ति और युवा शक्ति को सशक्त बना रहे हैं।” उन्होंने 10 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने और मुख्यमंत्री युवा कार्यक्रम प्रशिक्षण योजना के तहत छात्रवृत्ति जैसी पहलों के लिए डबल इंजन सरकार की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “कौशल विकास और बड़ी संख्या में रोजगार भारत में समय की जरूरत है।” उन्होंने कोविड महामारी के बावजूद पिछले 4-5 वर्षों में भारत में रिकॉर्ड रोजगार सृजन पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रोजगार पर हाल ही में जारी विस्तृत रिपोर्ट पर प्रकाश डाला और बताया कि पिछले 3-4 वर्षों में लगभग 8 करोड़ रोजगार के अवसर तैयार हुए हैं, जिससे आलोचकों का मुंह बंद हो गया है। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से भारत के विकास के खिलाफ फैलाई जा रही झूठी कहानियों से सतर्क रहने को भी कहा। उन्होंने कहा कि जब पुल बनते हैं, रेलवे ट्रैक बिछाए जाते हैं, सड़कें बनती हैं और लोकल ट्रेनें बनती हैं तो रोजगार पैदा होता है। उन्होंने कहा कि देश में रोजगार की दर सीधे बुनियादी ढांचे के विकास के समानुपाती है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “एनडीए सरकार के विकास का मॉडल वंचितों को वरीयता देने का रहा है।” उन्होंने नई सरकार के पहले फैसले का जिक्र किया जिसमें गरीबों के लिए 3 करोड़ घर बनाने का फैसला किया गया। 4 करोड़ परिवारों को पहले ही घर मिल चुके हैं। महाराष्ट्र में लाखों दलितों और वंचितों को भी आवास योजना का लाभ मिला है। उन्होंने कहा, “हम शहरों में रहने वाले गरीबों और मध्यम वर्ग दोनों के लिए घर के मालिक होने के सपने को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

उन्होंने रेहड़ी-पटरी वालों के जीवन में गरिमा बहाल करने में स्वनिधि योजना की भूमिका के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत लगभग 90 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें महाराष्ट्र में 13 लाख और मुंबई में 1.5 लाख शामिल हैं। उन्होंने एक अध्ययन का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि इस योजना के परिणामस्वरूप इन विक्रेताओं की आय में 2 हजार रुपये मासिक की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने स्वनिधि योजना की एक विशेषता पर प्रकाश डाला और देश के गरीबों, विशेषकर रेहड़ी-पटरी वालों के आत्मसम्मान और शक्ति के बारे में बताया, जिन्होंने इस योजना के तहत बैंक ऋण लिया और समय पर उसका भुगतान भी किया। उन्होंने बताया कि स्वनिधि योजना के लाभार्थियों ने अब तक 3.25 लाख करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन किया है।

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबासाहेब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, अन्नाभाऊ साठे, लोकमान्य तिलक और वीर सावरकर की विरासत के बारे में चर्चा करते हुए कहा, “महाराष्ट्र ने भारत में सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का प्रचार-प्रसार किया है।” प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आगे बढ़ने और सामंजस्यपूर्ण समाज और मजबूत राष्ट्र के उनके दृष्टिकोण को पूरा करने का आह्वान किया। संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिकों से यह ध्यान रखने का आग्रह किया कि समृद्धि का मार्ग सद्भाव और सौहार्द से ही निकलता है।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले के साथ-साथ अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने 16,600 करोड़ रुपये की लागत वाली ठाणे बोरीवली सुरंग परियोजना की आधारशिला रखी। ठाणे और बोरीवली के बीच यह ट्विन ट्यूब सुरंग संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नीचे से गुजरेगी, जिससे बोरीवली की तरफ वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे और ठाणे की तरफ ठाणे घोड़बंदर रोड के बीच सीधा संपर्क कायम होगा। परियोजना की कुल लंबाई 11.8 किमी है। इससे ठाणे से बोरीवली की यात्रा 12 किमी कम हो जाएगी और यात्रा में लगने वाले समय में लगभग 1 घंटे की बचत होगी।

प्रधानमंत्री ने गोरेगांव मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना में सुरंग निर्माण कार्य की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 6300 करोड़ रुपये से अधिक है। जीएमएलआर में गोरेगांव में पश्चिमी एक्सप्रेस हाईवे से मुलुंड में पूर्वी एक्सप्रेस हाईवे तक सड़क संपर्क की परिकल्पना की गई है। जीएमएलआर की कुल लंबाई लगभग 6.65 किलोमीटर है और यह नवी मुंबई में नए प्रस्तावित हवाई अड्डे और पुणे मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ पश्चिमी उपनगरों के लिए सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री ने नवी मुंबई के तुर्भे में कल्याण यार्ड रीमॉडलिंग और गति शक्ति मल्टी-मॉडल कार्गो टर्मिनल की आधारशिला भी रखी। कल्याण यार्ड लंबी दूरी और उपनगरीय यातायात को अलग करने में मदद करेगा। रीमॉडलिंग से अधिक ट्रेनों को संभालने के लिए यार्ड की क्षमता बढ़ेगी, भीड़भाड़ कम होगी और ट्रेन संचालन की दक्षता में सुधार होगा। नवी मुंबई में गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल 32600 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बनाया जाएगा। यह स्थानीय लोगों को रोजगार के अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा और सीमेंट और अन्य वस्तुओं को संभालने के लिए एक अतिरिक्त टर्मिनल के रूप में काम करेगा।

प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक टर्मिनस के नए प्लेटफॉर्म और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 और 11 के विस्तार को राष्ट्र को समर्पित किया। लोकमान्य तिलक टर्मिनस के नए लंबे प्लेटफॉर्म लंबी ट्रेनों को समायोजित कर सकते हैं, प्रति ट्रेन अधिक यात्रियों के लिए रास्ता बना सकते हैं और बढ़ते यातायात को संभालने के लिए स्टेशन की क्षमता में सुधार कर सकते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 और 11 को कवर शेड और वॉशेबल एप्रन के साथ 382 मीटर तक बढ़ाया गया है। इससे ट्रेनों की संख्या 24 कोच तक बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे यात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।

प्रधानमंत्री ने लगभग 5600 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना का शुभारंभ किया। यह एक परिवर्तनकारी इंटर्नशिप कार्यक्रम है, जो 18 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं को कौशल संवर्धन और उद्योग में अनुभव के अवसर प्रदान करके युवाओं के बीच बेरोजगारी की समस्या का समाधान करता है।

 

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प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के मुंबई  में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) टावर्स का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के जीब्लॉक में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएससचिवालय के दौरे के दौरान आईएनएस टावर्स का उद्घाटन किया। यह नई इमारत मुंबई में आधुनिक एवं कुशल कार्यालय संबंधी आईएनएस के सदस्यों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करेगी और मुंबई में समाचार पत्र उद्योग के मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करेगी।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने नए टावर के उद्घाटन पर इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के सभी सदस्यों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि नई जगह में काम करने में आसानी  से भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी का गठन आजादी से पहले किया गया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संगठन न केवल भारत की यात्रा के उतारचढ़ाव का साक्षी रहा है, बल्कि बल्कि उसे जिया भी और जनजन तक पहुंचाया भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि  एक संगठन के रूप में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के काम का प्रभाव देश में स्पष्ट होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया राष्ट्रों की स्थितियों का मूकदर्शक नहीं होता हैबल्कि उन्हें बदलने में प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने विकसित भारत की अगली 25 वर्षों की यात्रा में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने नागरिकों के अधिकारों और सामर्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत में डिजिटल लेनदेन की सफलता को इस बात का उदाहरण बताया कि कैसे आत्मविश्वास से भरे नागरिक बड़ी सफलता हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रमुख देश भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में रुचि रखते हैं। उन्होंने इन सफलताओं में मीडिया की भागीदारी को स्वीकार किया।

प्रधानमंत्री ने गंभीर मुद्दों पर चर्चा करके विचार-विमर्श सुनिश्चित करने में मीडिया की स्वाभाविक भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने मीडिया की कार्यप्रणाली पर सरकारी नीतियों का प्रभाव पड़ने पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने जन धन योजना की मुहि‍म के जरिए वित्तीय समावेशन एवं बैंक खाते खोलने और लगभग 50 करोड़ लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की पहल में सबसे बड़ी मदद थी। प्रधानमंत्री ने कहा, इसी तरह स्वच्छ भारत या स्टार्टअप इंडिया जैसी पहल वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं हुईं। उन्होंने इन अभियानों को राष्ट्रीय स्‍तर पर विचार-विमर्श का हिस्सा बनाने के लिए मीडिया की सराहना की।

इस बात का उल्‍लेख करते हुए कि इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी द्वारा लिए गए निर्णय देश के मीडिया को दिशा देते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि सरकार द्वारा शुरू किया गया कोई भी कार्यक्रम निश्चित रूप से सरकारी कार्यक्रम ही हो और जिस भी विचार पर विशेष जोर दिया गया है वह केवल सरकार का ही विचार नहीं हो सकता है। उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’ जैसे अभियानों का उदाहरण दिया जिनकी शुरुआत सरकार ने की थी लेकिन उन्हें पूरे देश ने आगे बढ़ाया। इसी तरह प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण पर सरकार के विशेष जोर को रेखांकित किया जो कि एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक मानवीय मुद्दा है और उन्होंने हाल ही में शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का भी जिक्र किया, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व भर के राजनेताओं ने भी इस कार्यक्रम में गहरी दिलचस्पी दिखाई जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए। उन्होंने समस्‍त मीडिया घरानों से युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए इस मुहिम में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मैं मीडिया घरानों से आग्रह करता हूं कि वे राष्ट्र के प्रति एक विशेष प्रयास के रूप में इस तरह की पहल को आगे बढ़ाएं।’ भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ के समारोह का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने संविधान के प्रति नागरिकों की कर्तव्य भावना और जागरूकता बढ़ाने में मीडिया की अहम भूमिका को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन को भी सभी की ओर से सामूहिक ब्रांडिंग और मार्केटिंग की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि समाचार पत्र किसी विशेष राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई महीना चुन सकते हैं। इससे राज्यों के बीच आपसी रुचि बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री ने समाचार पत्रों से अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने का अनुरोध किया। निकट भविष्य में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की यात्रा को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलता को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाना मीडिया की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसी देश की वैश्विक छवि सीधे तौर पर उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।’ उन्होंने भारत की बढ़ती साख और वैश्विक प्रगति में योगदान देने की इसकी बढ़ती क्षमता के साथ प्रवासी भारतीयों के बढ़ते महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सभी भाषाओं में भारतीय प्रकाशनों के विस्तार की कामना की। उन्होंने सुझाव दिया कि इन प्रकाशनों की वेबसाइट, माइक्रोसाइट या सोशल मीडिया अकाउंट इन भाषाओं में हो सकते हैं। उन्होंने इस तरह के प्रयासों में एआई द्वारा प्रदान की जाने वाली सहूलियत का भी उल्‍लेख किया।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने मीडिया घरानों से आग्रह किया कि वे प्रकाशन के डिजिटल संस्करण का उपयोग करें क्योंकि इसमें मुद्रित संस्करणों की तुलना में स्थान की कोई कमी नहीं होती है और इसके साथ ही आज दिए गए सुझावों पर विचार करें। उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी इन सुझावों पर विचार करेंगे, नए-नए प्रयोग करेंगे और भारत के लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। आप जितनी मजबूती से काम करेंगे, देश उतनी ही अधिक प्रगति करेगा।’

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार तथा इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी के अध्यक्ष श्री राकेश शर्मा उपस्थित थे।

 

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज इंदौर से मध्य प्रदेश के सभी 55 जिलों के 486 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी। मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी।

मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है।

गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

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वायुसेना स्टेशन सरसावा में कारगिल विजय दिवस रजत जयंती 2024 का आयोजन किया गया

भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की एक गौरवशाली विरासत है, जिन्होंने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में अदम्य साहस से लड़ाई लड़ी थी, जो वास्तव में सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर था। कारगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) में भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन, 16000 फीट से अधिक की खड़ी ढलान और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करने की भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता का प्रमाण हैं, जो युद्ध में दुश्मन को निशाना बनाने में अद्वितीय परिचालन बाधाएं हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़े गए इस युद्ध को जीतने के लिए वायु शक्ति के अपने उपयोग में तेजी से किए गए तकनीकी संशोधनों और ऑन-द-जॉब-ट्रेनिंग ने भारतीय वायुसेना का स्थान श्रेष्ठ रहा। कुल मिलाकर, भारतीय वायुसेना ने लगभग 5000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए 2000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं।

कारगिल युद्ध में विजय के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, भारतीय वायुसेना 12 जुलाई से 26  जुलाई 24 तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ का आयोजन कर रही है, जिसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सम्मानित किया जाता है। वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट, ‘द माइटी आर्मर’ ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 99 को, 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को टोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर लाइव स्ट्राइक के लिए ‘नुबरा’ फॉर्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक करने के बाद, उनके हेलीकॉप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने टक्कर मार दी, जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए, उन्हें मरणोपरांत वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया। उनके सर्वोच्च बलिदान ने सुनिश्चित किया कि उनका नाम हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा।

13 जुलाई 24 को, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने वरिष्ठ गणमान्य अधिकारियों, बहादुरों के परिवारों, दिग्गजों और सेवारत भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ स्टेशन युद्ध स्मारक पर राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की बलिदान देने वाले सभी वायु सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस आयोजित कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के दौरान वायु सेना प्रमुख ने उनके परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की।

एक शानदार एयर शो का आयोजन किया गया जिसमें आकाश गंगा टीम द्वारा प्रदर्शन और जगुआर, एसयू-30 एमकेएल और राफेल लड़ाकू विमानों द्वारा हवाई प्रदर्शन शामिल थे। शहीद नायकों की पुण्य स्मृति में एमआई-17 वी5 द्वारा “मिसिंग मैन फॉर्मेशन” ने उड़ान भरी। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों जैसे एमआई-17 वी5, चीता, चिनूक का स्थिर प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर एयर वॉरियर ड्रिल टीम और वायुसेना बैंड ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।

इस कार्यक्रम को 5000 से अधिक दर्शकों ने देखा, जिनमें स्कूली बच्चे, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, भूतपूर्व सैनिक, गणमान्य नागरिक और रुड़की, देहरादून और अंबाला के रक्षा बलों के कार्मिक गण शामिल थे।

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