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सिनेमा हॉल का संचालन 100 प्रतिशत क्षमता के साथ किया जा सकता है, श्री प्रकाश जावडेकर ने फिल्म प्रदर्शन के लिए एसओपी जारी किया

केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने आज सिनेमा हॉल और थियेटर में कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए जरूरी निवारक उपायों पर एक मानक संचालन प्रक्रिया जारी की। निर्णय की घोषणा करते हुए मंत्री श्री जावडेकर ने कहा कि अब सिनेमा हॉल पूरी क्षमता के साथ काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, लेकिन लोग थिएटरों के अंदर स्टालों से खाद्य-सामग्री खरीद सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण लगाए गए प्रतिबंध समाप्त होने के कगार पर हैं।

गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने आदेश संख्या 40-3 / 2020 डीएम-I (ए) दिनांक 27 जनवरी, 2021 के द्वारा सिनेमा हॉल और थियेटर को खोलने की अनुमति दी है। इसी पृष्ठभूमि में यह एसओपी जारी किया गया है।

एसओपी शुरुआत में ही कहता है कि नियंत्रित क्षेत्रों (कांटेंनमेंट जोन) में फिल्म-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी और राज्य / केंद्र शासित प्रदेश, अपने क्षेत्रीय आकलन के आधार पर अतिरिक्त उपायों का प्रस्ताव दे सकते हैं। एसओपी में सिनेमा हॉल के अंदर सौ प्रतिशत बैठने की क्षमता के उपयोग की अनुमति दी गयी है।

एसओपी स्पष्ट करता है कि परिसर के अंदर कोविड से संबंधित सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाना चाहिए। सामान्य दिशानिर्देशों में कहा गया है कि श्वसन शिष्टाचार का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें फेस मास्क का उपयोग तथा सभागार के बाहर, सामान्य क्षेत्रों और प्रतीक्षा क्षेत्रों में हमेशा एक-दूसरे से न्यूनतम 6 फीट की दूरी बनाए रखना शामिल हैं, थूकना निषिद्ध होगा और आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

आगंतुकों की थर्मल स्क्रीनिंग प्रवेश-द्वार पर की जाएगी और बाहर निकलने के दौरान भीड़ से बचने के लिए कतारबद्ध तरीके से निकासी की व्यवस्था की जानी चाहिए। सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल और कई स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स में एक शो के ख़त्म होने तथा दूसरे शो के शुरू होने के बीच पर्याप्त समय अंतराल सुनिश्चित किया जाना चाहिए और कतारबद्ध तरीके से दर्शकों के प्रवेश व बाहर निकलने की व्यवस्था की जानी चाहिए। भीड़ से बचने के लिए कई स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स में शो के समय में पर्याप्त अंतराल सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

एसओपी टिकटों, खाद्य और पेय पदार्थ आदि के भुगतान के लिए संपर्क-रहित डिजिटल लेनदेन के उपयोग को बढ़ावा देता है। पर्याप्त संख्या में बॉक्स ऑफिस काउंटर खोले जाने चाहिए और काउंटर पर पूरे दिन टिकटों की खरीद की व्ययस्था होनी चाहिए। भीड़ से बचने के लिए बिक्री काउंटरों पर अग्रिम बुकिंग की सुविधा होनी चाहिए।

पूरे परिसर की स्वच्छता पर जोर देते हुए, एसओपी में कहा गया है कि पूरा  परिसर, सामान्य सुविधाओं और मानव संपर्क में आने वाले सभी बिंदुओं जैसे हैंडल, रेलिंग, आदि की बार-बार साफ़-सफाई सुनिश्चित की जानी चाहिए और प्रत्येक स्क्रीनिंग के बाद ऑडिटोरियम को सेनिटाईज किया जाना चाहिए।

एसओपी में कोविड के खिलाफ जन जागरूकता के लिए विशिष्ट उपायों के बारे में बताया गया है। घोषणा, स्टैंड, पोस्टरों आदि के माध्यम से पूरे परिसर में ‘क्या करें’ और ‘क्या ना करें’ का प्रदर्शन किया जाना चाहिए।

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 भारतीय तटरक्षक बल  मना रहा हैअपना 45वां स्थापना दिवस

भारतीय तटरक्षक बल 1 फरवरी 2021 को अपना 45वां स्थापना दिवस मना रहा है। 1978 में केवल 7 जमीनी प्लेटफार्मों के साथ एक साधारण शुरुआत से आज आईसीजी अपनी सूची में 156 जहाजों और 62 विमानों के साथ एक अजेय सेना बन चुका है और 2025 तक 200 जमीनी प्लेटफार्मों और 80 विमानों के लक्षित बल प्राप्त करने की संभावना है।

दुनिया में चौथे सबसे बड़े तटरक्षक बल के रूप में, भारतीय तटरक्षक बल ने भारतीय तट को सुरक्षित करने और भारत के समुद्री क्षेत्रों में नियमों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपने आदर्श वाक्य “वयम रक्षाम” का अर्थ “हम रक्षा करते हैं”। भारतीय तटरक्षक बल ने 1977 में स्थापना के बाद से 10,000 से अधिक लोगों की जान बचाने और लगभग 14,000 बदमाशों को पकड़ने का काम किया है।

कोविड-19 महामारी द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारतीय तटरक्षक बल ने लगभग 50 जहाजों और 12 विमानों को दैनिक रूप से तैनात करके, महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में 24×7 सतर्कता बनाए रखी है। समुद्र में हवाई निगरानी सेवा की मदद से वर्ष 2020 में भारतीय ईईजेड जोन में अवैध रूप से काम कर रहे 80 उपद्रवियों के साथ लगभग 1,500 करोड़ मूल्य की 10 से अधिक विदेशी मछली पकड़ने की नौकाओं को जब्त किया। भारतीय तटरक्षक बल द्वारा एक साल पहले निवारक और सोची-समझी प्रक्रिया के तहत पिछले साल 11 चक्रवातों के दौरान लगभग 40,000 मछुआरों के साथ 6,000 से अधिक मछली पकड़ने वाली नौकाओं को सुरक्षित बंदरगाह पर ले जाया गया। इससे बड़े पैमाने पर समुद्री जान-माल का नुकसान से बचाया गया।

माननीय प्रधानमंत्री की ‘सागर’ दृष्टि के अनुरूप- सुरक्षा और क्षेत्र में सभी की प्रगति, भारतीय तटरक्षक बल ने श्रीलंका के 333 मीटर लंबे बहुत बड़े क्रूड कार्टर मोटर टैंकर न्यू डायमंड जिसमें तीन लाख मैट्रिक टन कच्चा तेल था जिसमें आग लग गयी थी को बचाने का काम किया जिससे एक बड़ी पारिस्थितिक आपदा टल गई। इसके अलावा, आईसीजी ने मर्चेंट वेसेल वेकेशियो की ग्राउंडिंग के दौरान मॉरीशस को प्रदूषण प्रतिक्रिया सहायता प्रदान की और प्रशिक्षण के अलावा 30 टी प्रदूषण उपकरण प्रदान किए। इसके साथ आईसीजी समुद्री देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अपराधों का मुकाबला करने और अपनी अधिकार वाले क्षेत्र में और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सहयोग कर रहा है।

आईसीजी ने समुद्री और नागरिक उड्डयन खोज और बचाव तंत्र का सामंजस्य स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव बोर्ड की बैठक आयोजित की और बड़े पैमाने पर बचाव कार्यों को करने के लिए मौजूदा तंत्र को मान्य करने के लिए एसएआर एक्सरसाइज-2020 (एसएआरईएक्स-2020) के साथ इसका पालन किया। तटीय सुरक्षा और खुफिया समन्वय के लिए, हितधारकों के बीच इंटेलिजेंस साझाकरण की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए एक पहली संगोष्ठी आयोजित की गई थी। यह सेवा केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के साथ घनिष्ठ समन्वय में भी काम कर रही है ताकि एक मजबूत तटीय सुरक्षा तंत्र बनाया जा सके।

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने राष्ट्र के लिए 44 शानदार वर्ष पूरे करने पर भारतीय तटरक्षक बल को बधाई दी और समुद्री क्षेत्रों में देश के हितों की खोज में सेवा द्वारा निभाई गई उल्लेखनीय भूमिका की सराहना की।

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तेलंगाना को पूंजीगत परियोजनाओं के लिए 179 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी मिली; राज्य को यह अतिरिक्त राशि प्रोत्साहन के रूप में चार नागरिक केंद्रित सुधारों में से तीन को पूरा करने के बाद मिली है

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने तेलंगाना को पूंजीगत परियोजनाओं के लिए 179 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। यह पहले राज्य में स्वीकृत 179 करोड़ रुपये की पूंजी परियोजनाओं के अतिरिक्त है। राज्य को यह अतिरिक्त राशि चार नागरिक केंद्रित सुधारों में से वन नेशन, वन राशन कार्ड,  ईजी ऑफ डूइंग बिजनेस (बिजनेस करना आसान) और शहरी स्थानीय निकाय सुधार के उपक्रमों के लिए प्रोत्साहन के रूप में मंजूरी दी गई है। परियोजनाओं को “पूंजी परियोजनाओं के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता” की नई लॉन्च की गई योजना के तहत अनुमोदित किया गया है।

तेलंगाना देश का दूसरा  ऐसा राज्य बन गया है, जिसे इस योजना के तहत अतिरिक्त पूंजी दी गई है। इससे पहले मध्य प्रदेश को पूंजीगत परियोजनाओं के लिए 660 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी दिया गया। राज्य को यह अतिरिक्त राशि चार नागरिक केंद्रित सुधारों में से तीन को पूरा करने के बाद मिली थी। राज्यों द्वारा सुधारों के लिए भारत सरकार द्वारा पहचाने जाने वाले नागरिक-केंद्रित क्षेत्र वन नेशन, वन राशन कार्ड रिफॉर्म्स, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म्स, पावर सेक्टर रिफॉर्म्स और अर्बन लोकल बॉडीज रिफॉर्म्स हैं।

179 करोड़ की अतिरिक्त स्वीकृत राशि में से, राज्य को पहली किस्त के रूप में 89.50 करोड़ रूपये की राशि जारी की गई है। तेलंगाना राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त पूंजी से की जाने वाली सभी पूंजी परियोजनाएं सड़क क्षेत्र में हैं।

वित्त मंत्री द्वारा 12 अक्टूबर, 2020 को आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत “राज्यों को विशेष सहायता” की योजना की घोषणा की गई थी। इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ाना है, जो इस वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व में कमी  के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। अर्थवस्था को रफ्तार देने के लिए पूंजीगत खर्च का कई स्तरों पर पर असर होता है। जिसका फायदा ऊंजी आर्थिक विकास दर के रूप में दिखता है। इसलिए, केंद्र सरकार ने प्रतिकूल वित्तीय परिस्थिति के बावजूद, वित्त वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशेष सहायता देने का निर्णय लिया था।

इस योजना को राज्य सरकारों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा अब तक 27 राज्यों को 10835.50 करोड़ रुपये की पूंजीगत व्यय प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत पहली किस्त के रूप में राज्यों को 5417.70 करोड़ रुपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है। राज्यवार आवंटन, दी गई मंजूरी और जारी किए गए फंड संलग्न हैं। तमिलनाडु ने इस योजना का लाभ नहीं उठाया है।

स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जल आपूर्ति, सड़क और पुल, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में पूंजी व्यय परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

योजना के तीन भाग हैं। योजना के भाग-1 में उत्तर-पूर्वी और पर्वतीय राज्यों को शामिल किया गया है। इसके तहत, 7 पूर्वोत्तर राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा) में से प्रत्येक को 200 करोड़ रुपये आवंटित किए जाते हैं और 450 करोड़ रुपये की राशि, प्रत्येक पर्वतीय राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड) को आवंटित की गई है। साथ ही असम राज्य में अधिक जनसंख्या और ज्यादा भौगोलिक क्षेत्र को देखते हुए, उसे योजना के तहत 450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है।

योजना के भाग- 2 में वह राज्य शामिल किए गए हैं, जो पहले भाग में शामिल नहीं है। इस भाग के लिए 7,500 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है। यह राशि इन राज्यों को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा केंद्रीय कर में हिस्से के तहत तय अनुपात के आधार पर राज्यों को आवंटित की गई है।

योजना के भाग-3 का उद्देश्य राज्यों में विभिन्न नागरिक-केंद्रित सुधारों को आगे बढ़ाने का है। इस भाग के तहत 2000 करोड़ रुपये की राशि अनुमोदित की गई है। यह राशि केवल उन राज्यों को उपलब्ध होगी जो वित्त मंत्रालय द्वारा 17 मई 2020 को तय किए गए 4 सुधारों में से कम से कम 3 को , 15 फरवरी, 2021 तक लागू कर, उस संबंध में अपनी सिफारिशें नोडल मंत्रालय को भेजेंगे।

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भारतीय रेलवे ने अब तक 18 रूटों पर किसान रेल सेवाएं संचालित करना शुरू कर दिया है

केन्द्रीय बजट 2020-21 में की गई घोषणा के अनुसार भारतीय रेलवे ने दूध, मीट और मछली सहित जल्दी ख़राब होने वाले खाद्य पदार्थ और कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान रेल सेवा शुरू कर दी है।

यह मल्टी-कमोडिटी, मल्टी-कंसाइनर/कंसाइनी, मल्टी-लोडिंग/अनलोडिंग परिवहन सेवा है, जिसका उद्देश्य किसानों को बड़े स्तर पर बाज़ार उपलब्ध कराना है।

किसान रेल सेवा का मुख्य उद्देश्य उत्पादन केन्द्रों को बाज़ार और उपभोक्ता केन्द्रों से जोड़कर कृषि क्षेत्र की आय को बढ़ाना है।

भारतीय रेलवे किसान रेल सेवा को औपचारिक रूप से शुरू करने की योजना बनाने के लिए कृषि मंत्रालय, राज्य सरकारें और स्थानीय निकायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डिमांड संबंधी रुझान और हितधारकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर रेलवे ने अब तक 18 रूटों पर किसान रेल सेवा संचालित करना शुरू कर दिया है।

पहली किसान रेल सेवा को 07 अगस्त 2020 को देवलाली (महाराष्ट्र) और दानापुर (बिहार) के बीच हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।

इन किसान रेल गाड़ियों को निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार संचालित किया जाता है, और रास्ते में आने वाली किसी बाधा या देरी से बचाने के लिए इनकी समय की पाबंदी के पैमाने पर कड़ी निगरानी की जाती है। अब तक 18 रूटों पर इन सेवाओं की शुरुआत की जा चुकी है। 22 जनवरी 2021 तक 157 किसान रेल सेवाएं संचालित की जा चुकी हैं, जो 49000 टन से अधिक माल की ढुलाई कर रही हैं। अब तक जिन रूटों पर किसान रेल सेवाएं संचालित की जा रही हैं, वे रूट निम्नलिखित हैं:

 

रूट संख्या कहां से-कहां तक उद्घाटन की तिथि
1 देवलाली से दानापुर
(अब संगोला से मुज़फ्फरपुर)
07-08-2020
2 अनंतरपुर से आदर्श नगर, दिल्ली 09-09-2020
3 यशवंतपुर से निज़ामुद्दीन 19-09-2020
4 नागपुर से आदर्श नगर, दिल्ली 14-10-2020
5 छिंदवाड़ा से हावड़ा/न्यू तिनसुकिया 28-10-2020
6 संगोला से हावड़ा (सिकंदराबाद के रास्ते) 29-10-2020
7 संगोला से शालीमार 21-11-2020
8 इंदौर से न्यू गुवाहाटी 24-11-2020
9 रतलाम से न्यू गुवाहाटी 05-12-2020
10 इंदौर से अगरतला 27-12-2020
11 जालंधर से जिरानिया 31-12-2020
12 नागरसोल से न्यू गुवाहाटी 05-01-2021
13 नागरसोल से चितपुर 07-01-2021
14 नागरसोल से न्यू जलपाईगुड़ी 10-01-2021
15 नागरसोल से नौगचिया 11-01-2021
16 नागरसौल से फतुहा 13-01-2021
17 नौगरसौल से बैहाटा 19-01-2021
18 नागरसौल से मालदा टाउन 20-01-2021

 

रेलवे भण्डार (पार्सल वैन) का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इन सेवाओं के बेहतर उपयोग की नियमित रूप से निगरानी की जा रही है।

मुख्य रूप से जिन वस्तुओं को किसान रेल के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा रहा है, उनमें प्याज़, टमाटर, संतरा, आलू, अनार, केला, शरीफा, गाजर, शिमला मिर्च और अन्य सब्ज़ियां शामिल हैं।

किसान रेल के माध्यम से बुक की जाने वाली वस्तुओं पर ‘पी’ स्केल का माल शुल्क लगाया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की ‘ऑपरेशन ग्रीन्स-टोप टू टोटल’ योजना के तहत किसान रेल के माध्यम से फल एवं सब्ज़ियों की ढुलाई पर 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। ये सब्सिडी कन्साइनर/किसान को अपने सामान की बुकिंग के समय पर ही दी जा रही है, ताकि ये लाभ बिना किसी झंझट और देरी के किसानों तक पहुंच सके।

किसान रेल गाड़ियों को संचालित करने के लिए आरआईटीईएस (राइट्स) द्वारा एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं का आकलन करेगी।

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शिक्षाशास्त्र विभाग, एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. काॅलेज, कानपुर द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (सप्ताह)’ के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित्

  1. शिक्षाशास्त्र विभाग, एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. काॅलेज, कानपुर द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (सप्ताह)’ के अवसर पर तीन दिवसीय अकादमिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
    कार्यक्रम के पहले दिन ; दिनांक – 28/01/2021 को स्नातक स्तर की छात्राओं के लिए टेलीग्राम एप पर आॅनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया,जिसमें लगभग 300 छात्राओं ने भाग लिया। यह 30 प्रश्नो की प्रश्नोत्तरी थी प्रत्येक प्रश्न के लिए 1अंक निर्धारित था, जिसमें 2 छात्राओं ने 30 अंक प्राप्त किए।
    कार्यक्रम के दूसरे दिन ;दिनांक – 29/01/2021 को परास्नातक स्तर की छात्राओं के लिए ‘आॅनस्पाॅट पोस्टर काॅमपटीशन’ आयोजित किया गया जिसका विषय था – ‘यूजेज़ एण्ड मिसयूजेज़ आॅफ मोबाइल फोन्स।’ जिसके निर्णायक मंडल में डॉ.वर्षा खानवलकर एवं डॉ.अलका टंडन जी रहीं। इस प्रतियोगिता में अनन्या गुप्ता प्रथम, अनुपमा तिवारी द्वितीय एवं चिया यादव तृतीय स्थान पर रहीं।
    कार्यक्रम समापन के दिन ;दिनांक- 30/01/2021 को ‘रोल आॅफ यूथ इन डिज़ास्टर एण्ड पैण्डेमिक’ विषय पर आॅनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के औपचारिक आरंभ के साथ प्राचार्य डॉ.निशा अग्रवाल जी ने प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, मुख्य वक्ता ब्रिगेडियर डॉ. विनोद दत्ता, निर्णायक मंडल की सदस्य डॉ.वर्षा खानवलकर एवं डॉ.अलका टंडन तथा सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम की अगली श्रृंखला में संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन जी ने कहा कि, तेजी से बदलते समय में युवाओं की भूमिका पहले से अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है; कोविड-19 महामारी के समय में युवाओं ने अपनी जिजीविषा एवं जुझारूपन का उपयुक्त परिचय दिया।
    कार्यक्रम की मुख्य श्रृंखला में मुख्य वक्ता ब्रिगेडियर डॉ.विनोद दत्ता ने अपने व्याख्यान में आपदा प्रबंधन की बारीकियों के विषय में बताया तथा यह भी कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण बढ़ती जनसंख्या का प्रबंधन करना है, साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के समुचित दोहन एवं सतत विकास के मानकों का पालन करके ही राष्ट्र का विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगली सदी एशिया की है और युवा ही इसके भाग्य निर्माता हैं।
    कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन द्वारा संयोजिका डॉ चित्रा सिंह तोमर ने कार्यक्रम के औपचारिक समापन की घोषणा की।

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गणतंत्र दिवस के अवसर पर ब्रह्मानंद कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 27 जनवरी, 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ब्रह्मानंद कॉलेज, कानपुर की संस्कृति समिति द्वारा रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया. संस्कृति समिति की अध्यक्ष डॉ. अर्चना पांडेय के संरक्षण में समवयक डॉ. मधु सहगल के नेतृत्व में महाविद्यालय के छात्रों द्वारा विभिन्न मनोरंजन कार्यक्रम प्रस्तुत किए गये. कु. ममता, मोहिनी एवं आदर्श द्वारा एकल गीत तथा अमन एवं मोहिनी द्वारा प्रस्तुत. युगल गीत ने सबको आनंदित किया. उदिता, वनशिंका, ज्योति, अंशिका, वैष्णवी ने देश भक्ति के गीत पर समूह नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन छात्रा अपर्णा एवं उर्वशी ने किया. गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. विवेक द्विवेदी ने ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, सरस्वती प्रतिमा का माल्यार्पण एवं दीपप्ज्वलन से किया. समिति की अध्यक्ष डॉ. अर्चना पांडेय ने स्वागत भाषण देते हुए अवगत कराया कि प्रसार क्रिया कलाप प्रकोष्ठ के तत्वावधान में NSS प्रभारी डॉ. ए. सी. पांडेय के नेतृत्व में NSS के वॉलंटियर की सहायता से विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा संकलित अन्न, दाल, चावल, दैनिक उपभोग की वस्तुओं को अनाथ, दिवयांग वृद्ध जनों हेतु वृद्धाश्रम को उपलब्ध कराया गया. इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. अरुण अग्निहोत्री, डॉ. अरविंद पाण्डेय, डॉ. नवनीत मिश्रा, डॉ. अमित कुमार डॉ. प्रमोद कुमार एवं डॉ. स्तुति शुक्ला आदि उपस्थित रहे.

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गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय संस्था इंडियन रोटी बैंक द्वारा निशुल्क भोजन का वित्तरण

  • जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराने वाली राष्ट्रीय संस्था इंडियन रोटी बैंक साउथ जोन द्वारा गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के शुभ अवसर पर अक्षम ओर गरीव झुग्गी झोपड़ी में रहने बाले बच्चो को आर्ट कॉम्पिटिशन करा कर पुरुस्कार वितरित किये गए

इसी क्रम में इंडियन रोटी बैंक लखनऊ,साउथ जोन निकट परागडेरी के पास बच्चो को पढ़ने के लिए अग्रसर करने बाली सामग्री जैसे कॉपी कलर पेंसिल एवम साफ सफाई के लिए मंजन साबुन हेयर बैंड तामाम अन्य सामग्री का वितरण किया गया
आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से अतिथि के तौर पर ब्रजेश सिंह जी,संस्थापक विक्रम पांडेय जी, जितेश तिवारी जी मौजूद रहे

इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर विजयकांत मिश्रा, राष्ट्रीय महिला कोर्डिनेटर उपासना वैश्य ,संजीवनी टीम की ओर से डॉ प्रियंका मौर्या, अभिषेक मौर्य एवं , लखनऊ जिला कोआर्डिनेटर मोहित शर्मा,जिला महिला कोआर्डिनेटर ,वर्किंग टीम इंचार्ज शोभित पांडे, मध्य जोनल कोऑर्डिनेटर संतोष वर्मा,नॉर्थ जोनल कोऑर्डिनेटर शिखा सिन्हा,साउथ जोनल कोऑर्डिनेटर नीतू राय, साउथ जोनल पुरुष कोऑर्डिनेटर आशीष मिश्रा,मानस, अलका सिंह,सरिता सिंह , राजा सिन्हा ,हितेश तिवारी, रुद्र ,आशु ,अक्षय यादव, विकास सैनी ,पंकज पांडेय, संजीव राठौर ने प्रतिभाग कर कार्यक्रम को संपन्न किया! इंडियन रोटी बैंक का सपना, भूखा न सोये कोई अपना
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ब्रज इन्द्रा अभिव्यक्ति मंच के तत्वधान् में पुस्तको का विमोचन्

कानपुर 24 जनवरी ब्रज इन्द्रा अभिव्यक्ति के तत्वाधान में एच ब्लाक किदवई नगर में प्रमिला पान्डेय जी की दो पुस्तकों का प्रथम उपन्यास छांहो चाहति छांह एवं द्वितीय कृति काव्य संग्रह गीत “जो हम गा न सके”का लोकार्पण हुआ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सूबेदार वाई के सिंह मुख्य प्रवक्ता डा0 नारायणी सिंह बीज वक्ता डा0 प्रदीप अवस्थी जी डा0 विनोद त्रिपाठी जी की अध्यक्षता एव॔ डा0 राजीव मिश्र जी का संयोजन रहा ।
कार्यक्रम में उपस्थित कवि कवयित्रियों की संख्या 72
रही। मुख्य रुप से वरिष्ठ कवि अजीत राठौर राज किशोर पान्डेय बिष्णुकान्त पान्डेय राज भाई गौरव भाई युवा व्यंगकार हेमंत व्यंगकार आ0कमलेश द्वि वेदी सुरेश राज हंस रमेश आनंद सीकर जी धीरज चंदन मनीष मीत अलका जी अनीता जी सीतल बाजपेई सुषुमा सिंह नीरू जी कमलेश शुक्ला संध्या शुक्ला आदरणीय कुसुम जी ललिता जी साधना सचान आराधना शुक्ला आदि कवि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मीडिया के सभी छायाकार पत्रकार उपस्थित रहे। स्वल्पाहार ग्रहण कर सभी ने कार्यक्रम की सराहना की। संचालन पर ही कार्यक्रम की गरिमा होती है । ओम प्रकाश पाठक जी ने सकुशल संचालन किया। सभी मंचासीन साहित्कारों को अंग वस्त्र सरस्वती का चित्र मेमोन्टो स्वरूप भेंट कर माल्यार्पण किया गया

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पीपीपी बोली प्रक्रिया के तहत 6 एयरपोर्ट के लिए पोर्टल पर 68 रजिस्ट्रेशन प्राप्त हुए

एक समाचारपत्र ने 15 जनवरी 2021 को एक लेख प्रकाशित कर यह बताया था कि 2019 पीपीपी बोली प्रक्रिया में “अदानी को जिन 6 एयरपोर्ट की ज़िम्मेदारी मिली है, उस बोली प्रक्रिया के पूरा होने से पहले वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने इस पर अपनी आपत्ति जताई थी”, लेकिन सरकार ने इस आपत्ति को नज़रअंदाज़ कर दिया था। अख़बार में प्रकाशित यह लेख तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि इस बोली प्रक्रिया को भारत सरकार के ई-टेंडरिंग पोर्टेल के माध्यम से प्रतियोगी और पारदर्शी तरीके से पूरा किया गया था। इस बोली प्रक्रिया के दौरान 6 एयरपोर्ट के लिए दुनियाभर से 25 कंपनियों ने पंजीकरण किया था और कुल 86 रजिस्ट्रेशन प्राप्त हुए थे।

इनमें से 32 बोलियाँ 10 अलग-अलग कंपनियों से प्राप्त हुई थीं। चूंकि बोली प्रक्रिया को पारदर्शिता तरीके से पूरा किया गया था, ऐसे में बोली प्रक्रिया में भाग लेने वाली किसी भी कंपनी ने इस प्रक्रिया के खिलाफ कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। यह भी उल्लेखनीय है कि बोली प्रक्रिया के दौरान जो भी कंपनी सफल होगी, उसके बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। निविदा दस्तावेज में निर्धारित बोली का पैमाना बोलीदाता द्वारा तय किया गया ’प्रति यात्री शुल्क’ था। जिस कंपनी की बोली प्रति यात्री शुल्क के संदर्भ में सबसे अधिक है, उसे सफल बोलीदाता घोषित किया जाएगा।

तकनीकी रूप से योग्य बोलीदाताओं की वित्तीय बोली को खोलने के बाद, यह बताया गया था कि सभी 6 एयरपोर्ट के लिए अदाणी एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड की बोली सबसे ज़्यादा है। प्रत्येक एयरपोर्ट की निविदा प्रक्रिया व्यक्तिगत आधार पर की गई थी, और जिस भी बोलीदाता की बोली सबसे ज़्यादा थी, उसे निविदा दस्तावेज़ के प्रावधानों के आधार पर सफल घोषित किया गया।

समाचार पत्र में प्रकाशित यह बयान पूरी तरह से गलत है कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने 2019 में आयोजित एयरपोर्ट की बोली प्रक्रिया पर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। इस लेख में तथ्यात्मक कमियां हैं। दरअसल नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में एक सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) बनाया गया था, जिसमें वित्त मंत्रालय के सचिव (आर्थिक मामले विभाग और व्यय विभाग) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव को सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। इस समूह को केन्द्रीय मंत्रीमंडल सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीपीएसी) के दायरे से बाहर आने वाले सभी मामलों पर निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की थी। इसके अनुसार, ईजीओएस ने 17 नवंबर 2018 को आयोजित अपनी बैठक में पीपीपी के लेन-देन संबंधी नियमों और शर्तों पर विचार कर उन्हें निर्धारित किया। जिस पर पीपीपीएसी ने 11 दिसंबर 2018 को आयोजित अपनी बैठक में सहमति व्यक्त की। ईजीओएस ने विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया कि इस बोली प्रक्रिया के दौरान एक कंपनी को एक एयरपोर्ट के लिए बोली लगाने या उसे केवल एक एयरपोर्ट की ज़िम्मेदारी सौंपने जैसा कोई प्रतिबंध नहीं होगा, क्योंकि ये 6 एयरपोर्ट छोटे स्तर के एयरपोर्ट हैं, जिनपर कुछ यात्री ट्रैफिक केवल 9.5 फीसदी है, जिसे कोई एक कंपनी भी आसानी से संभाल सकती है। जबकि इसके विपरीत वर्ष 2006 में दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट को पीपीपी मॉडल पर दिया गया था। वहां यात्री ट्रैफिक करीब 45 फीसदी था, जिसे एक कंपनी के लिए संभालना मुश्किल था, इसलिए वहां एक कंपनी को एक एयरपोर्ट की बोली लगाने की अनुमति लगाने जैसा प्रतिबंध लगाना आवश्यक था। निजी एयरपोर्ट संचालकों द्वारा यात्रियों की बड़ी संख्या को संभालना एक महत्वपूर्ण पैमाना है और कंपनी के द्वारा संभाले जा रहे एयरपोर्ट की संख्या के हिसाब से यह एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। ऐसे में ईजीओएस ने प्रतियोगिता को बढ़ाने और एयरपोर्ट का अनुभव रखने वाली कंपनियों के एकाधिकार को रोकने के उद्देश्य से पूर्व में दिए गए एयरपोर्ट की बोली प्रक्रिया में लगाए गए प्रतिबंध को इस बोली प्रक्रिया से बाहर करने का निर्णय लिया।

जहाँ तक आर्थिक मामले विभाग (डीईए) और नीति आयोग की सिफारिशों को अनदेखा करने का सवाल है, तो यह ध्यान देने वाली बात है कि ईजीओएस और पीपीपीएसी दोनों ही समूहों में वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामले विभाग और व्यय विभाग), नीति आयोग और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सदस्य शामिल होते हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने स्वयं ईजीओएस में बोली प्रक्रिया की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया और बाद में पीपीपीएसी में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसलिए वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के विचारों को अनदेखा करने वाला अख़बार में प्रकाशित बयान तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत है और किसी पूर्वाग्रह से प्रभावित है। दरअसल प्रस्ताव के विभिन्न पहलुओं पर वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के विचार पीपीपीएसी की स्थापित प्रक्रिया का हिस्सा हैं, ताकि पीपीपीएसी के समक्ष निर्णय के लिए किसी प्रस्ताव को भेजने से पहले यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रस्ताव के सभी पहलुओं का निरीक्षण कर लिया गया है, ऐसे में इन विचारों को वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की आपत्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता।

जहाँ तक अदाणी एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड द्वारा मुंबई एयरपोर्ट के अधिग्रहण में हिस्सेदारी और इसी दौरान अहमदाबाद, लखनऊ और मैंगलोर एयरपोर्ट की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से विस्तार की मांग करने का संबंध है, इस बारे में यह स्पष्ट किया जाता है कि दोनों ही लेनदेन अपने आप में एक-दूसरे से पूरी तरह अलग और स्वतंत्र हैं। एमआईएएल में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी की बिक्री विशुद्ध रूप से एमआईएएल के शेयरधारकों के अनुबंध के प्रावधानों द्वारा तय और निर्धारित की जाती है। यहाँ कोई भी शेयरधार एसएचए में निर्धारित प्रक्रिया (जिसे अभी पूरा किया जाना है) का पालन करते हुए अपनी हिस्सेदारी को बेचने के लिए स्वतंत्र है। शेयरों का अधिग्रहण लॉक-इन-अवधि की समाप्ति के बाद, शेयरधारकों के समझौते में निर्दिष्ट पहली रिफ्यूज़ल प्रक्रिया के अधिकार के बाद किसी भी संस्था द्वारा किया जा सकता है। ऐसा लेनदेन पहले भी बेंगलुरु एयरपोर्ट में मामले में हो चुका है। एलएंडटी और ज्यूरिक के शेयर को का अधिग्रहण जीवीके एयरपोर्ट्स होल्डिंग ने किया और उसने बाद में इन्हें फेयरफेक्स को बेच दिया।

जहाँ तक तीन एयरपोर्ट पर रियायत समझौते (कंसेसन एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर से लेकर निर्धारित छह माह की अवधि से अधिक समय तक सीओडी को बढ़ाने का संबंध है, तो यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि यह परिस्थिति कोविड महामारी की वजह से पैदा हुई थी, जिस वजह से सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेकर जाने मुश्किल था और एयरपोर्ट का चार्ज संभालने भी कठिन था, इसलिए इस अवधि को बढ़ाया गया। साथ ही अखबार के लेख में यह भी कहा गया है कि गुवाहाटी, जयपुर और तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए रियायत समझौता पर एएआई ने सितंबर में हस्ताक्षर किए थे, जबकि हकीकत में इस समझौते पर हस्ताक्षर 19 जनवरी 2021 को हुए हैं।

यहां ध्यान देना ज़रूरी है कि अख़बार के उपर्युक्त लेख में जो आरोप लगाए गए हैं, वैसे ही आरोप केरल उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका में एएआई एयरपोर्ट के पीपीपी मॉडल पर संचालित होने के विरोध में लगाए थे। जिस पर न्यायालय ने सुनवाई की और अंततः न्यायालय ने अपने फैसले में सरकार द्वारा जारी पीपीपी प्रक्रिया को रोकने की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।

उपर्युक्त तथ्यों के संदर्भ में समाचार पत्र में प्रकाशित यह लेख तथ्यात्मक रूप से गलत और निराधार है।

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प्रधानमंत्री ने तेजपुर विश्वविद्यालय, असम के 18 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से तेजपुर विश्वविद्यालय, असम के 18 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। असम के राज्यपाल प्रो जगदीश मुखी,  केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 1200 से अधिक छात्रों के लिए जीवन भर याद रखने और इसे संजोने का दिन है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि तेजपुर विश्वविद्यालय में छात्रों ने जो सीखा है, वह असम और देश की प्रगति को गति देगा। उन्होंने कहा कि भारत रत्न भूपेन हजारिका द्वारा लिखित विश्वविद्यालय गान में निहित भावना तेजपुर के महान इतिहास को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने विश्वविद्यालय गान की कुछ पंक्तियाँ उद्धृत कीं

“अग्निगड़र स्थापत्य, कलियाभोमोरार सेतु निर्माण,

ज्ञान ज्योतिर्मय,

सेहि स्थानते बिराजिसे तेजपुर विश्वविद्यालय”

अर्थात्, तेजपुर विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह पर स्थित है जहाँ अग्निगाड जैसी वास्तुकला है, जहाँ एक कालिया-भोमोरा पुल है, जहाँ ज्ञान का प्रकाश है। उन्होंने कहा कि भूपेन दा, ज्योति प्रसाद अग्रवाल और बिष्णु प्रसाद राभा जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व तेजपुर से पहचाने जाते हैं।

छात्रों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अब से भारत की स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने तक की अवधि में  आपके जीवन के सुनहरे वर्ष भी हैं। उन्होंने छात्रों से पूरे भारत और पूरे विश्व में तेजपुर का गौरव फैलाने तथा असम और पूर्वोत्तर को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों से पूर्वोत्तर के विकास में सरकार के प्रयासों द्वारा विशेष रूप से कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बनाई गई संभावनाओं का पूरा लाभ उठाने को कहा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तेजपुर विश्वविद्यालय अपने नवाचार केंद्र के लिए भी जाना जाता है। ये जमीन से जुड़े नवाचार ‘वोकल फॉर लोकल’ को गति दे रहे हैं और इनका उपयोग स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए किया जा रहा है। इससे विकास के नए द्वार खुल रहे हैं। उन्होंने तेजपुर विश्वविद्यालय के नवाचारों जैसे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कम लागत वाली प्रौद्योगिकी, हर गांव में अपशिष्ट को ऊर्जा में बदलने का प्रयास, बायोगैस और जैव उर्वरकों से संबंधित किफायती और प्रभावी तकनीक, पूर्वोत्तर की जैव विविधता और समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए अभियान, पूर्वोत्तर के जनजातीय  समाज की भाषाओं का दस्तावेजीकरण, जो विलुप्त होने के कगार पर हैं, बाताद्रव थाना, नौगांव में सदियों पुरानी लकड़ी-नक्काशी कला का संरक्षण,  औपनिवेशिक काल के दौरान लिखे गए असम की पुस्तकों और दस्तावेजों का डिजिटलीकरण आदि की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने तेजपुर विश्वविद्यालय कैंपस को ही कई स्थानीय जरूरतों पर काम करने की प्रेरणा का स्रोत बताया। यहां इस क्षेत्र में पहाड़ों और नदियों के नाम पर छात्रावास बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ नाम नहीं हैं, बल्कि जीवन के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उन्होंने कहा कि जीवन की यात्रा में, हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, कई पहाड़ों और कई नदियों जैसी समस्याओं को पार करना पड़ता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि हर पर्वतारोहण के साथ आपकी विशेषज्ञता बढ़ती है और आपका दृष्टिकोण नई चुनौतियों के लिए तैयार होता है। उन्होंने कहा कि जैसे कई सहायक नदियाँ एक बड़ी नदी में मिल  जाती हैं और फिर समुद्र में विलीन हो जाती हैं,  हमें भी जीवन में विभिन्न लोगों से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए तथा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सीखना चाहिए और उस सीख के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई इस दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेगा, तो पूर्वोत्तर देश के विकास में योगदान करने में सक्षम होगा।

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर अभियान की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह अभियान संसाधनों, भौतिक अवसंरचना, प्रौद्योगिकी और आर्थिक और रणनीतिक ताकत में बदलाव के बारे में है, लेकिन सबसे बड़ा परिवर्तन सोच, कार्य और प्रतिक्रिया से सम्बंधित है, जो आज के युवाओं की भावना के अनुरूप है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के युवा विशिष्ट तरीके से चुनौतियों का सामना करते हैं। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में युवा भारतीय क्रिकेट टीम के हाल के प्रदर्शन का उदाहरण दिया। भारतीय क्रिकेट टीम को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा, फिर भी वे तेजी से उबर गए और अगला मैच जीत लिया। चोटों के बावजूद खिलाड़ियों ने दृढ़ संकल्प दिखाया। उन्होंने चुनौती का सामना किया और कठिन परिस्थितियों से निराश होने की बजाय नए समाधानों की तलाश की। अनुभवहीन खिलाड़ी थे, लेकिन उनका मनोबल ऊंचा था और उन्होंने अवसर का उपयोग किया। उन्होंने अपनी प्रतिभा और स्वभाव के साथ एक बेहतर टीम को पराजित किया।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमारे खिलाड़ियों का यह शानदार प्रदर्शन केवल खेल के दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है। श्री मोदी ने प्रदर्शन के  महत्वपूर्ण सबक के बारे में बताया। सबसे पहले, हमें अपनी क्षमता पर विश्वास होना चाहिए और दूसरा, सकारात्मक मानसिकता सकारात्मक परिणाम को जन्म देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण सबक है – यदि कोई दो विकल्पों का सामना कर रहा है, पहला सुरक्षित है और दूसरा मुश्किल जीत है, तो निश्चित रूप से जीत के विकल्प को चुनना चाहिए। यदा-कदा होने वाली विफलता से कोई नुकसान नहीं है और हमें जोखिम लेने से बचना नहीं चाहिए। हमें सक्रिय और निडर होने की जरूरत है। यदि हम असफलता और अनावश्यक दबाव के डर को दूर कर पाते हैं, तो हम निडर होकर उभरेंगे। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि नया भारत आत्मविश्वास से भरा है और लक्ष्यों के प्रति समर्पित है। यह न केवल क्रिकेट के मैदान से स्पष्ट है, बल्कि आप सभी इस तस्वीर का हिस्सा हैं।

नए पथ पर चलने का आत्मविश्वास, निडरता तथा युवा ऊर्जा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश को मजबूत किया है। भारत ने शुरुआती आशंकाओं को दूर किया और दिखाया कि यदि संकल्प और सहनीयता हो, तो संसाधन भी उपलब्ध हो जाते हैं। भारत ने स्थिति से समझौता करने की बजाय तेजी से सक्रिय निर्णय लिए और वायरस का प्रभावी रूप से मुकाबला किया। मेड इन इंडिया समाधानों से महामारी का फैलाव नियंत्रित हुआ और स्वास्थ्य ढांचे में सुधार हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे वैक्सीन संबंधी अनुसंधान और उत्पादन क्षमता भारत और दुनिया के कई अन्य देशों को सुरक्षा कवच का भरोसा दिला रहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, फिनटेक डिजिटल समावेश, दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग समावेश, दुनिया का सबसे बड़ा शौचालय निर्माण अभियान, हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा अभियान, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना और दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान आज के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं। दृष्टिकोण, जो समाधान के लिए प्रयोग करने से डरता नहीं है और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को शुरू करने के लिए तैयार रहता है। ये परियोजनाएँ असम और पूर्वोत्तर को लाभान्वित कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने नई तकनीकों की बात की, जो नई संभावनाएं पैदा कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य के विश्वविद्यालय पूरी तरह से वर्चुअल हो सकते हैं और छात्र व संकाय दुनिया के किसी भी विश्वविद्यालय का हिस्सा हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इस तरह के परिवर्तन के लिए एक नियामक ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में एक कदम है। यह नीति प्रौद्योगिकी, बहु-विषय शिक्षा और सुगमता के अधिकतम उपयोग को प्रोत्साहित करती है। एनईपी, डेटा और डेटा-एनालिटिक्स के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली को तैयार करने पर जोर देता है। डेटा विश्लेषण, प्रवेश से लेकर शिक्षण और मूल्यांकन तक की प्रक्रियाओं में बड़े पैमाने पर सुधार करेगा।

प्रधानमंत्री ने तेजपुर विश्वविद्यालय के छात्रों से इन लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि, अपनी औपचारिक शिक्षा समाप्त करने के बाद, वे न केवल अपने भविष्य के लिए बल्कि देश के भविष्य के लिए काम करते हैं। उन्होंने छात्रों को अपने आदर्शों को ऊँचा रखने की सलाह दी, जो उन्हें जीवन की विसंगतियों से बचाएगा। उन्होंने कहा कि अगले 25-26 वर्ष उनके साथ-साथ देश के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि छात्र देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

 

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