वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलों के विकास का काम पूरा हो चुका है और दो उत्पादन एजेंसियों को विकास सह उत्पादन भागीदार (डीसीपीपी) मोड में लगाया गया है। इन परीक्षणों में, डीसीपीपी के माध्यम से प्राप्त मिसाइलों का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है, जिससे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप कम समय में प्रारंभिक उपयोगकर्ता परीक्षणों और उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
वीएसएचओआरएडीएस एक मानव पोर्टेबल वायु रक्षा प्रणाली है जिसे अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और डीसीपीपी के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। तीनों सेनाएं शुरू से ही इस परियोजना से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने विकास संबंधी परीक्षणों में भाग लिया है।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सफल विकास परीक्षणों में शामिल डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकियों से युक्त यह नई मिसाइल हवाई खतरों के खिलाफ सशस्त्र बलों को और अधिक तकनीकी प्रोत्साहन देगी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत ने भी सफल उड़ान परीक्षणों के लिए डीआरडीओ के दल, उद्योग भागीदारों और उपयोगकर्ताओं को बधाई दी।