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वायरल प्रोटीन खंडों से हाइड्रोजैल बनाने की अनोखी विधियों से दवा उपलब्धता में सुधार होगा

एसएआरएस-सीओवी-1 वायरस से केवल पांच अमीनो एसिड के छोटे प्रोटीन खंडों का उपयोग करके हाइड्रोजैल बनाने का एक नया तरीका खोजा गया है, जो लक्षित दवा उपलब्धता में सुधार और दवा के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

दीर्घकालिक और संक्रामक रोगों में बढ़ोतरी के कारण, शोधकर्ता लगातार उपचार की प्रभावशीलता में सुधार के लिए दवा की उपलब्धता के नए तरीकों की तलाश कर रहे हैं। हाइड्रोजैल को उनके सूजन व्यवहार, यांत्रिक शक्ति और जैव-संगतता के गुणों के कारण दवा उपलब्धता के लिए उपयुक्त माना जाता है।

छोटे पेप्टाइड-आधारित हाइड्रोजैल में कई तरह के अनुप्रयोगों के लिए अपार संभावनाएं हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने इन प्रणालियों के जेलेशन को नियंत्रित करना बहुत चुनौतीपूर्ण पाया है, क्योंकि पेप्टाइड अनुक्रम में किया गया मामूली बदलाव भी स्व-संयोजन तंत्र और जेलेशन प्रवृत्ति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।

वायरस के संयोजन और विमोचन में एसएआरएस सीओवी ई प्रोटीन की संलिप्तता के बाद, कोलकाता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि इसमें अंतर्निहित स्व-संयोजन गुण हाइड्रोजैल के विकास में योगदान दे सकते हैं।

बोस इंस्टीट्यूट में रासायनिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अनिरबन भुनिया और उनकी टीम ने इस संभावना का पता लगाया और उपयोगी जेल सामग्री बनाने के एक नये तरीके की खोज की।

हाल ही में प्रतिष्ठित जर्नल स्मॉल (विली) में प्रकाशित एक पेपर में, प्रो. भुनिया और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास रियो ग्रांडे वैली, यूएसए और इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता के उनके सहयोगियों ने दर्शाया कि एसएआरएस सीओवी-1 वायरस के केवल पांच अमीनो एसिड को पुनर्व्यवस्थित करके, अद्वितीय गुणों वाले पेंटापेप्टाइड्स से बने जैल बनाए जा सकते हैं। इनमें से कुछ गर्म होने पर जैल बनते हैं और कुछ अन्य कमरे के तापमान पर जैल में परिवर्तित हो जाते हैं।

इस अनूठी खोज से अनुकूलन योग्य हाइड्रोजैल जैसी महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रगति हो सकती है। इससे लक्षित दवा उपलब्धता में सुधार हो सकता है, जिससे दवा के दुष्प्रभावों को कम करके उपचार प्रभावकारिता को बढ़ाया जा सकता है।

यह हाइड्रोजैल सामग्री ऊतक इंजीनियरिंग में क्रांति ला सकती हैं, संभावित रूप से अंग पुनर्जनन में सहायता कर सकती हैं। ये जैल घाव भरने के उपचार को भी आगे बढ़ा सकते हैं और अनुसंधान के लिए अधिक सटीक रोग मॉडलिंग को सक्षम बना सकते हैं।

 

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प्रधानमंत्री मुद्रा  योजना

इस देश के लाखों आम आदमी और औरतेंजो छोटेमोटे व्यवसाय चलाते हैंअर्थव्यवस्था में उनके बड़े योगदान के बावजूदऔपचारिक संस्थागत वित्त के दायरे से लगभग बाहर रह गए हैं। मुद्रावंचितों को वित्तपोषित करने का हमारा इनोवेशन है।

~प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) ने 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करके गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महत्वाकांक्षी उद्यमियों को सहायता करने के लिए वित्त मंत्री ने 23 जुलाई, 2024 को केंद्रीय बजट 2024-25 के दौरान ऋण सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की घोषणा की। यह नई सीमा 24 अक्टूबर, 2024 को प्रभावी हुई।

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इस घोषणा में एक नई ऋण श्रेणीतरुण प्लस भी पेश की गई है, जो विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जिन्होंने पहले तरुण श्रेणी के तहत ऋण लिया है और उसे सफलतापूर्वक चुकाया है, जिससे उन्हें 10 लाख रुपए से 20 लाख रुपए के बीच ऋण प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। इसके अतिरिक्त, माइक्रो यूनिट्स के लिए क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफएमयू) अब इन बढ़े हुए ऋणों के लिए गारंटी कवरेज प्रदान करेगा, जो भारत में एक मजबूत उद्यमशीलता इको-सिस्टम को पोषित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

मुद्रा योजना

मुद्रा,3 यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड, भारत सरकार द्वारा पीएमएमवाई के तहत माइक्रो यूनिट उद्यमों के विकास और पुनर्वित्तपोषण के लिए स्थापित एक वित्तीय संस्था है। पीएमएमवाई का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचितों को वित्तीय समावेशन और सहायता प्रदान करना है। पीएमएमवाई ने लाखों लोगों के सपनों और आकांक्षाओं के साथ आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता की भावना भी दी है।

मुद्रा योजना की आवश्यकता

भारत एक युवा देश है जो जोश और आकांक्षाओं से भरा हुआ है। भारत के विकास के लिए इस अभिनव उत्साह का दोहन करना महत्वपूर्ण है जो देश के आर्थिक इको-सिस्टम में मौजूदा अंतराल के लिए नए युग में समाधान प्रदान कर सकता है। भारत में उद्यमशीलता की अव्यक्त क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता को समझते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की है।

मुद्रा ऋणश्रेणियां

पीएमएमवाई के अंतर्गत सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) जैसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) आदि द्वारा 20 लाख रुपये तक के जमानत मुक्त ऋण दिए जाते हैं। यह ऋण विनिर्माण, व्यापार तथा सेवा क्षेत्रों और कृषि में आय सृजन के लिए दिए जाते हैं।

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मुद्रा ऋण अब चार श्रेणियों जैसे शिशु‘, ‘किशोर‘ ‘तरुण‘ और तरुण प्लस‘ के तहत प्रदान किए जाएंगे। यह उधारकर्ताओं के विकास के चरण और वित्तपोषण आवश्यकताओं को दर्शाती है:-

  • शिशु: 50,000/- रुपये तक के ऋण मिलते हैं
  • किशोर: 50,000/- रुपये से लाख रुपये तक के ऋण मिलते है
  • तरुण: 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का ऋण शामिल है
  • तरुण प्लस10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक के ऋण मिलते हैं

पीएमएमवाई की उपलब्धियां

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाईके तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत स्वीकृत और वितरित राशि: [4]

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  • महिला उधारकर्ता: शिशु श्रेणी के तहत कुल 1,08,472.51 करोड़ रुपये, किशोर श्रेणी के तहत 1,00,370.49 करोड़ रुपये और तरुण श्रेणी के तहत 13,454.27 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • अल्पसंख्यक उधारकर्ता: शिशु श्रेणी के तहत 15,759.66 करोड़ रुपये, किशोर श्रेणी के तहत 20,766.3 करोड़ रुपये और तरुण श्रेणी के तहत 8562.27 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • नए उद्यमी/ खाते:
  • शिशु श्रेणी: 88,49,101 खाते, जिनमें स्वीकृत राशि 29,445.41 करोड़ रुपये और वितरित राशि 28,839.75 करोड़ रुपये है।
  • किशोर श्रेणी: 34,06,239 खाते, जिनमें 62,290.58 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए और 60,407.02 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • तरुण श्रेणी: 7,57,456 खाते, जिनमें 70,294.35 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए और 68,861.13 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
  • विशिष्ट उधारकर्ता (8 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2024 तक):
  • शिशु श्रेणी के तहत 44,891.82 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।
  • किशोर श्रेणी के तहत 24,575.57 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।
  • तरुण श्रेणी के तहत 19,120.58 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।

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मुद्रा कार्ड

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मुद्रा ऐप- मुद्रा मित्र

मुद्रा मित्र गूगल प्ले स्टोर और ऐप्पल एप स्टोर में उपलब्ध एक मोबाइल फ़ोन एप्लिकेशन है जो ‘माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (एमयूडीआरए-मुद्रा)’ और इसके विभिन्न उत्पादों/योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह ऋण चाहने वाले को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत मुद्रा ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकर से संपर्क करने में मार्गदर्शन करेगा। उपयोगकर्ता इस ऐप में नमूना ऋण आवेदन फ़ॉर्म सहित उपयोगी ऋण संबंधी सामग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।

योजना के कार्यान्वयन में सुधार के लिए उठाए गए कदम:[6]

  • ऋण आवेदन जमा करने में सहायता प्रदान करना
  • PSBloansin59minutes और उद्यमीमित्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान
  • हितधारकों के बीच योजना के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए गहन प्रचार अभियान
  • आवेदन पत्रों का सरलीकरण
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में मुद्रा नोडल अधिकारियों का नामांकन
  • पीएमएमवाई के संबंध में पीएसबी के प्रदर्शन की समय-समय पर निगरानी
  • सभी पात्र उधारकर्ताओं को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत 12 महीने की अवधि के लिए दिए गए शिशु ऋणों के शीघ्र पुनर्भुगतान पर 2 प्रतिशत की ब्याज सहायता।
  • आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा 14.05.2020 को घोषित इस योजना को एक अभूतपूर्व स्थिति के लिए एक विशिष्ट राहत के रूप में तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य ऋण की लागत को कम करके ‘पिरामिड के निचले हिस्से’ में उधारकर्ताओं के लिए वित्तीय तनाव को कम करना है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) ने भारत में उद्यमिता के परिदृश्य को बुनियादी तौर पर बदल दिया है, जिससे वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करके, इस योजना ने अनगिनत नए उद्यमियों को अपने व्यावसायिक विचारों को साकार करने में सक्षम बनाया है। पिछले कुछ वर्षों में, इस योजना ने महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों को भी सशक्त बनाया है, आर्थिक उत्थान के अवसर पैदा किए हैं और अधिक समावेशी विकास के माहौल को बढ़ावा दिया है। जैसे-जैसे ऋण सीमा 20 लाख तक बढ़ रही है, पीएमएमवाई छोटे व्यवसायों को पोषित करने और अधिक न्यायसंगत तथा समृद्ध भविष्य की ओर देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखे हुए है।

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देश भर में ग्राम पंचायतों को सबल बनाने के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णय

देश भर में जमीनी स्तर पर शासन की प्रभावशीलता को और बढ़ाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) के सचिव श्री विवेक भारद्वाज की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) की केंद्र प्रायोजित संशोधित योजना की केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) ने अपनी 8वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। आरजीएसए के तहत मानकीकृत मानदेय को अपनाना, पंचायत अधिकारियों का दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण, स्मार्ट कक्षाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश पर विशेष ध्यान देते हुए देश भर में ग्राम पंचायत बुनियादी ढांचे में निवेश सम्बंधी प्रमुख निर्णय लिए गये।

आरजीएसए के अंतर्गत मानकीकृत मानदेय प्रणाली को अपनाना

सीईसी ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मास्टर प्रशिक्षकों, अतिथि संकायों और विशेष संसाधन के तौर पर काम करने वाले व्यक्तियों के लिए मानदेय दरों के मानकीकरण को मंजूरी दी। यह निर्णय न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित करता है और उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षकों की उपलब्धता को बढ़ावा देता है, जो जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण कार्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। यह निर्णय पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में प्रशिक्षण स्थिरता और क्षमता निर्माण के लिए मानदेय की असमानताओं को दूर करके एक नया मानदंड स्थापित करता है। यह निर्णय उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों से लेकर सिक्किम और गोवा जैसे छोटे राज्यों तक, पूरे देश में प्रशिक्षण कार्य में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और साथ ही अपनी प्रशिक्षण पहलों को विस्तार दे रहें  बिहार, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश उच्च शिक्षा के लिए दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए पंचायत अधिकारियों को प्रायोजित करेंगे

आरजीएसए के राज्य घटक के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पीआरआई और पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के लिए एक वर्ष तक की अवधि वाले “दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण” को मंजूरी दे दी गई है। इस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिकारियों को उत्कृष्ट संस्थानों से उन्नत, क्षेत्र-विशिष्ट प्रशिक्षण मिले, जो जमीनी स्तर पर बेहतर सेवा सुविधाओं के लिए उनके कौशल को उन्नत करेगा। यह विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली को मजबूत करने और कार्यान्वयन दक्षता में सुधार करने के आरजीएसए के उद्देश्य के अनुरूप है। यह ग्रामीण विकास और स्थानीय स्वशासन में भूमिका निभा रहें अधिकारियों की समग्र योग्यता को बढ़ावा देगा, जिससे जमीनी स्तर पर योजना में सुधार होगा। इसके परिणामस्वरूप कुछ वर्षों की अवधि में पीआरआई में पूंजी निर्माण में सहायक व्यापक तौर पर श्रम कौशल में दक्ष कामगारों की संख्या में वृद्धि होगी।

यह निर्णय सभी सहभागी राज्यों में पीआरआई कार्यकर्ताओं के गहन कौशल में वृद्धि की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है। कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानिक नियोजन, संसाधन जुटाना और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों को शामिल करके  केरल के तटीय क्षेत्रों से लेकर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों तक विविध भौगोलिक संदर्भों में ग्रामीण विकास के लिए अधिकारियों आवश्यक व्यापक ज्ञान बढ़ाना है। इस निर्णय से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लाभ होगा क्योंकि अब उत्तर पूर्व (एनई) और पहाड़ी राज्य उच्च शिक्षा के लिए 10-10 उम्मीदवारों को प्रायोजित कर सकते हैं, केंद्र शासित प्रदेश और गोवा अपने यहां से 5 आवेदकों को प्रायोजित कर सकते हैं जबकि अन्य राज्य 20 उम्मीदवारों को प्रायोजित कर सकते हैं।

पंचायती बुनियादी ढांचे को बढ़ावा

बुनियादी ढांचे में विस्तार के लिए, सीईसी ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों में सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के साथ 3,301 ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण को मंजूरी दी और ग्राम पंचायतों के लिए 22,164 कंप्यूटर स्वीकृत किए है। यह निर्णय इन राज्यों में पंचायती राज प्रणाली को बढ़ावा देता है क्योंकि यह सीधे  तौर पर बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करता है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रशासनिक कामकाज और डिजिटल शासन को सक्षम किया जा सकता है। समर्पित भवनों और कंप्यूटर उपकरणों के प्रावधान से रिकॉर्ड को कुशल तरीके से संभाल कर रखने और ई-गवर्नेंस की सुविधा मिलेगी, जिससे स्थानीय प्रशासन के संचालन और सेवा सुविधाओं में काफी वृद्धि होगी।

पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को स्मार्ट कक्षाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा

देश भर में राज्य और जिला स्तर पर पंचायत संसाधन केंद्रों के आधुनिकीकरण के लिए, 25 राज्यों में राज्य पंचायत संसाधन केंद्रों (एसपीआरसी) के साथ-साथ 395 जिलों में जिला पंचायत संसाधन केंद्रों (डीपीआरसी) में स्थित कंप्यूटर प्रयोगशालाओं को नवीनतम तकनीक के अधिक संख्या में कंप्यूटरों के साथ आधुनिक बनाया जाएगा। साथ ही, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इन एसपीआरसी और डीपीआरसी में तकनीकी शैक्षिक सहायक उपकरण स्थापित करने की मंजूरी दी गई है। गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में राज्य और जिला पंचायत संसाधन केंद्रों (एसपीआरसी/डीपीआरसी) को अपग्रेड करने का यह निर्णय, प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाएगा और एक अनुकूल शिक्षण वातावरण तैयार करेगा। प्रोजेक्टर, एलसीडी, इंटरैक्टिव पैनल और पीए सिस्टम सहित डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करके, प्रशिक्षण केंद्र उच्च गुणवत्ता वाले क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे।

पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों के सशक्त गांवों के पंचायती बुनियादी ढांचे में निवेश

पिछले कुछ वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। पिछले वर्षों में मंत्रालय ने इन क्षेत्रों में निवासियों की सुविधा के लिए पंचायत भवनों के निर्माण के साथ-साथ सामान्य सेवा केंद्र की स्थापना का भी समर्थन किया है। जम्मू-कश्मीर में मंत्रालय ने 2024-25 के दौरान 970 ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण और 1606 सामान्य सेवा केंद्रों की सह-स्थापना का समर्थन किया है।

इस बैठक में अरुणाचल प्रदेश में 400 पंचायत भवन-सह-सामान्य सेवा केन्द्रों के निर्माण का निर्णय लिया गया है । यह पिछले दिनों पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 939 ग्राम पंचायत भवनों के लिए सीएससी के साथ किए गए सहयोग का ही एक हिस्सा है। इसी तरह, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, असम, मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लिए पंचायत बुनियादी ढांचे का समर्थन किया गया है। कुल मिलाकर, पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 1633 ग्राम पंचायत भवन और 514 सीएससी को मंजूरी दी गई है।

इन पहलों का उद्देश्य सशक्त गांवों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना और जमीनी स्तर पर आवश्यक सेवाएं प्रदान करना है।

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प्रतीक आवंटन के उपरान्त प्रचार अवधि के दौरान सीसामऊ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी प्रत्याशियो द्वारा निजी रूप से स्वंय उपस्थित होना होगा

कानपुर नगर, दिनांक 29 अक्टूबर, 2024* जिला मजिस्ट्रेट/जिला निर्वाचन अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि 213-विधानसभा क्षेत्र उप निर्वाचन-2024 हेतु भारत निर्वाचन आयोग, नयी दिल्ली द्वारा प्रदत्त निर्देश के क्रम में प्रतीक आबंटन के उपरान्त प्रचार अवधि के दौरान 213-सीसामऊ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी प्रत्याशियो द्वारा निजी रूप से स्वंय या अपने निर्वाचन एजेण्ट के माध्यम से या अपने द्वारा विधिवत रूप से प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा मा0 व्यय प्रेक्षक/निरीक्षक के लिए पदभिहित अधिकारी के सम्मुख/समक्ष अपने व्यय रजिस्टर का तीन वार निरीक्षण कलेक्ट्रेट सभागार कानपुर नगर में कराना सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने बताया कि प्रथम निरीक्षण दिनांक 05 नवम्बर, 2024, द्वितीय निरीक्षण दिनांक 08 नवम्बर, 2024 एवं तृतीय निरीक्षण दिनांक 11 नवम्बर, 2024 को प्रातः 10ः00 बजे से सायं 05ः00 बजे तक किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि लेखा समाधान बैठक निर्वाचन परिणाम की घोषणा के 26वें दिन जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में दिनांक 18 दिसम्बर, 2024 को प्रातः 10ः00 बजे से सायं 05ः00 बजे तक कलेक्ट्रेट सभागार में प्रस्तावित है।
अतः 213-सीसामऊ विधानसभा उप निर्वाचन-2024 से चुनाव लड़ने वाले समस्त प्रत्याशीगण स्वंय अथवा उनके द्वारा अधिकृत निर्वाचन एजेण्ट अपने से सम्बन्धित निर्धारित तिथियों में अपना व्यय लेखा से सम्बन्धित रजिस्टर मिलान हेतु प्रस्तुत करेंगें। उक्त के साथ आप समस्त दैनिक व्यय लेखा पंजिका, बैंक पंजिका, बिल/वाउचर्स, बैंक स्टेटमेण्ट की छाया प्रतियाँ 03 सेट में आवश्यक रूप से प्रस्तुत/उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। लेखा प्रस्तुत करने हेतु निर्धारित तिथि के एक दिन पूर्व तक का लेखा सम्बन्धित अभ्यर्थीगण द्वारा प्रस्तुत किया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। मिलान/निरीक्षण की निर्धारित तिथियों में व्यय लेखा प्रस्तुत न किये जाने की स्थिति में नियमानुसार नोटिस जारी करते हुए सम्बन्धित प्रत्याशी/अभ्यर्थी के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए जनसभा, जुलूस तथा वाहन इत्यादि की निर्गत परमीशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की कार्यवाही की जायेगी।

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डी जी कॉलेज में माई भारत आउटरीच कार्यक्रम सम्पन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 9 अक्टूबर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर में कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने महाविद्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा जिसका विषय “माय भारत पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन” कैसे करें , सी वी कैसे बनाए, ई एल पी कैसे एप्लाई करे एवं वॉलिंटियर्स ऑफ भारत के द्वारा अपने कार्य को और अधिक उपयोगी कैसे बनाएं ? आदि पर विस्तार पूर्वक जानकारियां दी।

इस प्रशिक्षण में महाविद्यालय की 50 छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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दिवाली माई भारत वाली कार्यक्रम के अंतर्गत डी जी कॉलेज के एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा यातायात प्रबंधन

 

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 29 अक्टूबर भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की पहल पर दिवाली में भारत वाली कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की कार्यक्रम अधिकारी तथा कानपुर नगर की नोडल अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में आज दिनांक 29 अक्टूबर 2024 को सिविल लाइंस कानपुर स्थित मर्चेंट चेंबर चौराहे पर वॉलिंटियर्स के द्वारा यातायात पुलिस, पुलिस कमिश्नरेट, कानपुर नगर के सहयोग से यातायात प्रबंधन किया गया। जिसमें छात्राओं ने ट्रैफिक कंट्रोल किया तथा सड़क पर आते जाते वाहन चालकों को सिग्नल्स तथा यातायात के नियमों के बारे में जानकारी देते उनका पालन करने की अपील की ताकि दिवाली के पर्व को खुशियों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाया जा सके।

इस अवसर पर यातायात उप निरीक्षक श्री शशिकांत यादव व पुलिस हेड कांस्टेबल श्री मनोज जी ने अपनी टीम के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में में सक्रिय सक्रिय योगदान किया। एसीपी ट्रैफिक श्री शिखर जी ने युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के माय भारत पोर्टल के माध्यम से चलाए जा रहे इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम दिवाली में भारत वाली तथा वॉलिंटियर्स के द्वारा किए जा रहे सतत कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी तथा कहा कि यह विकसित भारत के निर्माण की और एक महत्वपूर्ण कदम है। वॉलिंटियर्स टीम लीडर्स पलक झा, खुशी शुक्ला, रोशनी कश्यप, नूर फातिमा आकांक्षा यादव अंतर कश्यप फिरदौस, श्रद्धा, सान्या, कहकशा, आंचल शुक्ला समेत समस्त एनएसएस वॉलिंटियर्स का योगदान सराहनीय रहा।

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प्रधानमंत्री धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र से सम्बंधित 12,850 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे

धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली में लगभग 12,850 करोड़ रुपये की लागत वाली स्वास्थ्य क्षेत्र से सम्बंधित विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार शुरू करेंगे। इससे सभी वरिष्ठ नागरिकों को उनकी आय को महत्व दिये बिना स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री देशभर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कई स्वास्थ्य संस्थानों का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।

प्रधानमंत्री भारत के पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण का उद्घाटन करेंगे। इस चरण में, एक पंचकर्म अस्पताल, औषधि निर्माण के लिए एक आयुर्वेदिक फार्मेसी, एक खेल चिकित्सा इकाई, एक केंद्रीय पुस्तकालय, एक आईटी और स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन सेंटर और 500 सीटों वाला ऑडिटोरियम शामिल है। श्री मोदी मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच और सिवनी में तीन मेडिकल कॉलेजों का भी उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा, वे हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर, पश्चिम बंगाल के कल्याणी, बिहार के पटना, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल, असम के गुवाहाटी और नई दिल्ली विभिन्न एम्स में सुविधा और सेवा विस्तार का उद्घाटन करेंगे, जिसमें एक जन औषधि केंद्र भी शामिल होगा। प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक और ओडिशा के बरगढ़ में एक क्रिटिकल केयर ब्लॉक का भी उद्घाटन करेंगे।

प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश के शिवपुरी, रतलाम, खंडवा, राजगढ़ और मंदसौर में पांच नर्सिंग कॉलेजों, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, तमिलनाडु और राजस्थान में 21 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों और नई दिल्ली स्थित एम्स तथा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में अनेक सुविधाओं और सेवा विस्तारों की आधारशिला भी रखेंगे।

प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश के इंदौर में एक ईएसआईसी अस्पताल का उद्घाटन करेंगे और हरियाणा के फरीदाबाद, कर्नाटक के बोम्मासंद्रा और नरसापुर, मध्य प्रदेश के इंदौर, उत्तर प्रदेश के मेरठ और आंध्र प्रदेश के अचुतापुरम में ईएसआईसी अस्पतालों की आधारशिला रखेंगे। इन परियोजनाओं से करीब 55 लाख ईएसआई लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रों में सेवा सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को विस्तार देने के प्रबल पक्षधर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने वाली ड्रोन प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री 11 तृतीयक स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में ड्रोन सेवाओं का शुभारंभ करेंगे। उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश, तेलंगाना में एम्स बीबीनगर, असम में एम्स गुवाहाटी, मध्य प्रदेश में एम्स भोपाल, राजस्थान में एम्स जोधपुर, बिहार में एम्स पटना, हिमाचल प्रदेश में एम्स बिलासपुर, उत्तर प्रदेश में एम्स रायबरेली, छत्तीसगढ़ में एम्स रायपुर, आंध्र प्रदेश में एम्स मंगलगिरी और मणिपुर में रिम्स इंफाल इसमें शामिल हैं। श्री मोदी एम्स ऋषिकेश से हेलीकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का भी शुभारंभ करेंगे, इससे तेजी से चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में मदद करेगी।

प्रधानमंत्री यू-विन पोर्टल का शुभारंभ करेंगे। यह टीकाकरण प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाकर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को लाभान्वित करेगा। यह गर्भवती महिलाओं और जन्म से 16 वर्ष तक के बच्चों को 12 वैक्सीन-निवारणीय बीमारियों के खिलाफ जीवन रक्षक टीकों का समय पर दिया जाना सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री संबद्ध और स्वास्थ्य पेशेवरों और संस्थानों के लिए एक पोर्टल भी लॉन्च करेंगे। यह मौजूदा स्वास्थ्य पेशेवरों और संस्थानों के केंद्रीकृत डेटाबेस के रूप में कार्य करेगा।

प्रधानमंत्री देश में स्वास्थ्य सेवा इको-सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा परीक्षण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई पहलों की भी शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री ओडिशा में भुवनेश्वर के गोथापटना में एक केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन करेंगे।

प्रधानमंत्री ओडिशा के खोरधा और छत्तीसगढ़ के रायपुर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा के दो केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों की आधारशिला रखेंगे। श्री मोदी चिकित्सा उपकरणों के लिए गुजरात के एनआईपीईआर अहमदाबाद, थोक दवाओं के लिए तेलंगाना के एनआईपीईआर हैदराबाद, फाइटोफार्मास्युटिकल्स के लिए असम के एनआईपीईआर गुवाहाटी और एंटी-बैक्टीरियल एंटी-वायरल दवा खोज और विकास के लिए पंजाब के एनआईपीईआर मोहाली में चार उत्कृष्टता केंद्रों की आधारशिला भी रखेंगे।

प्रधानमंत्री चार आयुष उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ करेंगे, जिनके नाम हैं भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में मधुमेह और उपापचयी विकारों के लिए उत्कृष्टता केंद्र; आईआईटी दिल्ली में रस औषधियों के क्षेत्र में स्टार्ट-अप समर्थन तथा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के समाधान और उन्नत तकनीकी समाधान के लिए टिकाऊ आयुष उत्कृष्टता केंद्र, केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में आयुर्वेद में मौलिक और अनुवाद सम्बंधी अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र; और जेएनयू, नई दिल्ली में आयुर्वेद और प्रणाली चिकित्सा पर उत्कृष्टता केंद्र।

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए गुजरात के वापी, तेलंगाना के हैदराबाद, कर्नाटक के बेंगलुरु, आंध्र प्रदेश के काकीनाडा और हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में चिकित्सा उपकरणों और बल्क दवाओं के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पांच परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। ये इकाइयां महत्वपूर्ण बड़ी मात्रा में दवाओं के साथ-साथ बॉडी इम्प्लांट और क्रिटिकल केयर उपकरण जैसे उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरणों का निर्माण करेंगी।

प्रधानमंत्री देशभर के लिए, “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” भी शुरू करेंगे, जिसका उद्देश्य नागरिकों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। श्री मोदी जलवायु परिवर्तन के अनुकूल स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए अनुकूलन रणनीति तैयार करने के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राज्य-विशिष्ट कार्य योजना भी शुरू करेंगे।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोहाली में भारत के पहले बॉयोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट “ब्रिक-नेशनल एग्री-फूड बॉयोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट” के नए परिसर का उद्घाटन किया

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोहाली में भारत के पहले बॉयोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट “ब्रिक-नेशनल एग्री-फूड बॉयोमैनुफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट” के नए परिसर का उद्घाटन किया जिसका उद्देश्य उन्नत जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत के कृषि-खाद्य क्षेत्र को बढ़ावा देना है।

वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के नेताओं और हितधारकों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कृषि में नवाचार को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए आवश्यक तत्व हैं।

उद्घाटन के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में लॉन्च की गई बायोई3 नीति जैसे ऐतिहासिक निर्णयों का हवाला देते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को मोदी सरकार की मजबूत प्राथमिकता पर जोर दिया। यह पहल, जो अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण की सेवा में जैव प्रौद्योगिकी के लिए खड़ी है, उच्च प्रभाव वाले विज्ञान क्षेत्र को बढ़ावा देने पर प्रशासन के फोकस का उदाहरण है। मंत्री ने कहा, “जैव प्रौद्योगिकी और सिंथेटिक उत्पादन न केवल कृषि को बदल देगा बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति में भारत की भूमिका को फिर से परिभाषित करेगा।”

अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत एक विशेष जैव प्रौद्योगिकी नीति लागू करने वाले पहले देशों में से एक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बदलाव आधुनिक, लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी पर निर्भर टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल समाधानों के माध्यम से पारंपरिक विनिर्माण से सिंथेटिक उत्पादन में महत्वपूर्ण परिवर्तन को बढ़ावा देगा। मंत्री ने वैश्विक आर्थिक स्थिति में “कमजोर पांच” से “पहले पांच” तक भारत की तेजी से वृद्धि की सराहना की, इस प्रगति का श्रेय सरकार की विज्ञान-केंद्रित रणनीति को दिया।

ब्रिक-नेशनल एग्री-फूड बायोमैन्युफैक्चरिंग इंस्टीट्यूट (ब्रिक-एनएबीआई), जिसका गठन एनएबीआई और सीआईएबी के रणनीतिक विलय के माध्यम से किया गया है, जैव प्रौद्योगिकी और जैव प्रसंस्करण विशेषज्ञता को एकजुट करके भारत के कृषि परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार है। इस नव स्थापित संस्था का उद्देश्य अनुसंधान से लेकर व्यावसायीकरण तक की यात्रा को सुव्यवस्थित करना, पायलट-स्केल उत्पादन की सुविधा प्रदान करना और बाजार में अभिनव कृषि-तकनीक समाधान प्रदान करना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह एकीकरण कृषि अनुसंधान एवं विकास में दक्षता को बढ़ाएगा, जिससे उच्च उपज वाली, रोग प्रतिरोधी फसलों, जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों का मार्ग प्रशस्त होगा। ये प्रगति न केवल किसानों की आय को दोगुना करने की सरकार की महत्वाकांक्षा के अनुरूप है, बल्कि टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को भी बढ़ावा देती है, किसानों के लिए आय के नए रास्ते बनाती है और व्यापक पर्यावरणीय उद्देश्यों का समर्थन करती है।

बायोनेस्ट इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसे उद्योग भागीदारी, नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी पहल के लिए एक सहयोगी केंद्र के रूप में डिज़ाइन किया गया था। बायोनेस्ट ब्रिक-नाबी (BioNEST BRIC-NABI) इनक्यूबेशन सेंटर का उद्देश्य कृषि, खाद्य और जैव प्रसंस्करण में स्टार्टअप का समर्थन करके स्थानीय युवाओं, महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाना है, कृषि-खाद्य नवाचारों के तेज़ व्यावसायीकरण के लिए उद्योग के साथ अनुसंधान को जोड़ना है।

मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के साथ संयुक्त प्रयासों के माध्यम से, बायोनेस्ट समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने, “मेक इन इंडिया” दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने और आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सक्रिय निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि ऐसे इनक्यूबेटरों में निवेश से बाजार की संभावनाओं को खोला जा सकता है और भारत के युवा कार्यबल के लिए स्थायी रोजगार प्रदान किया जा सकता है।

जैव विनिर्माण को आगे बढ़ाने के अपने मिशन के अनुरूप डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव विनिर्माण कार्यशाला 1.0 की घोषणा की, जो दिसंबर 2024 में आयोजित की जाएगी। यह अग्रणी कार्यशाला कृषि, खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स और ऊर्जा में जैव विनिर्माण के अनुप्रयोगों पर गहन चर्चा करेगी, तथा टिकाऊ उत्पादन के लिए जैविक प्रणालियों का उपयोग करने वाली अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान करेगी।

मंत्री ने कहा कि शोधकर्ताओं और उद्योग पेशेवरों को ध्यान में रखकर आयोजित यह कार्यक्रम सरकार की बायोई3 नीति का समर्थन करता है और पर्यावरण अनुकूल, नवाचार-संचालित औद्योगिक विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय वैज्ञानिकों के प्रतिभा पलायन पर भी बात की, युवा प्रतिभाओं को भारत में ही शोध और उद्यमिता को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, देश के प्रतिस्पर्धी संसाधनों और वैश्विक संस्थानों को टक्कर देने वाले बढ़ते वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र पर जोर दिया। उनका मानना ​​है कि स्वदेशी विशेषज्ञता विकसित करने पर यह राष्ट्रीय ध्यान विज्ञान और नवाचार में भारत के वैश्विक प्रभाव को मजबूत करेगा।

।ब्रिक-राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव-विनिर्माण संस्थान की स्थापना मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों के अनुरूप एकीकृत, विज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बायोई3 और बायोनेस्ट जैसी पहलों के माध्यम से, भारत न केवल ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी के रूप में बल्कि नवाचार के एक गतिशील इनक्यूबेटर के रूप में खुद को स्थापित करता है जो दुनिया भर में सतत विकास में योगदान देने के लिए तैयार है। डॉ. जितेंद्र सिंह का संदेश स्पष्ट था: भारत के कृषि-खाद्य क्षेत्र की उन्नति एक लचीले, दूरदर्शी राष्ट्र के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होगी

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भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (I4C), गृह मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय संगठित साइबर अपराधियों द्वारा अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘mule’ बैंक खातों का उपयोग कर बनाए गए उन गैर-कानूनी पेमेंट गेटवे के खिलाफ़ अलर्ट जारी किया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त हैं

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (I4C), गृह मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय संगठित साइबर अपराधियों (Transnational Organized Cybercriminals) द्वारा अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘mule’ बैंक खातों का उपयोग कर बनाए गए उन गैर-कानूनी पेमेंट गेटवे के खिलाफ़ अलर्ट जारी किया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त हैं। गुजरात पुलिस (FIR संख्या – 0113/2024) और आंध्र प्रदेश पुलिस (FIR संख्या – 310/2024) द्वारा हाल ही में की गई राष्ट्रव्यापी छापेमारी में पता चला कि अंतरराष्ट्रीय अपराधियों ने ‘mule’ या किसी और के खातों का संचालन कर अवैध डिजिटल पेमेंट गेटवे बनाए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त इस अवैध तंत्र का इस्तेमाल साइबर अपराधों से हासिल अवैध धन की लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय, सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग से साइबर सुरक्षित भारत के निर्माण के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है।

राज्यों की पुलिस एजेंसियों से प्राप्त जानकारी और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा किए गये विश्लेषण के अनुसार, निम्नलिखित बिन्दुओं की पहचान की गई :

I. चालू खाते (Current Account) और बचत खाते (Savings Account) सोशल मीडिया, खासकर Telegram और Facebook के माध्यम से खोजे जाते हैं; ये खाते shell कंपनियों / एंटरप्राइज या व्यक्तियों के होते हैं।

II. इन mule खातों को विदेशों से संचालित किया जाता है।

III. फिर इन mule खातों का उपयोग कर अवैध पेमेंट गेटवे बनाया जाता है, जिसे आपराधिक सिंडिकेट को फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कैम साइटों, offshore सट्टेबाजी और जुए से जुडी वेबसाइटों, फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आदि जैसे अवैध प्लेटफार्मों पर जमा हुई धनराशि प्राप्त करने के लिए दिया जाता है।

IV. जैसे ही अपराध से अवैध धन प्राप्त होता है, उसे तुरंत दूसरे खाते में डाल दिया जाता है। इसके लिए बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली Bulk Payout की सुविधा का दुरुपयोग किया जाता है।

 

अभियान के तहत जिन पेमेंट गेटवे की पहचान की गई, उनमें PeacePay, RTX Pay, PoccoPay, RPPay आदि शामिल हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये गेटवे, मनी लॉन्ड्रिंग को एक सेवा के रूप में उपलब्ध कराते हैं और इन्हें विदेशी नागरिकों द्वारा संचालित किया जाता है।

I4C ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अपने बैंक खाते/कंपनी पंजीकरण प्रमाणपत्र/’उद्यम आधार’ पंजीकरण प्रमाणपत्र किसी को न बेचें और न ही किराए पर दें। ऐसे बैंक खातों में किसी और द्वारा जमा अवैध धनराशि के लिए गिरफ़्तारी सहित अन्य कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। बैंक उन खातों के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए जाँच कर सकते हैं जिनका इस्तेमाल अवैध पेमेंट गेटवे बनाने के लिए किया जाता है। नागरिक किसी भी साइबर अपराध की सूचना हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर तुरंत दें और सोशल मीडिया पर “CyberDost” चैनल/अकाउंट को फ़ॉलो करें

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भारतीय तटरक्षक बल  ने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड निर्मित दो फास्ट पैट्रोल वेसल जहाजों का जलावतरण किया जो 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बने हैं

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC36H4B.jpeg भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 28 अक्टूबर, 2024 को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) निर्मित दो फास्ट पैट्रोल वेसल (एफपीवी) ‘अदम्य’ और ‘अक्षर’ को एक साथ लॉन्च किया। ये दोनों जहाज 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बने हैं। ये दोनों जहाज (एफपीवी) जीएसएल के साथ 473 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले आठ ऐसे एफपीवी के लिए किए गए अनुबंध का हिस्सा हैं। ये उन्नत एफपीवी सुरक्षा, निगरानी, ​​नियंत्रण और निगरानी की प्राथमिक भूमिका के साथ आईसीजी को अपतटीय संपत्तियों और द्वीप क्षेत्रों की सुरक्षा में मदद करेंगे।

प्रत्येक एफपीवी की लंबाई 52 मीटर, चौड़ाई 8 मीटर और अधिकतम गति 27 समुद्री मील है। यह नियंत्रण योग्य पिच प्रोपेलर-आधारित प्रणोदन प्रणाली पर कार्य करता है और 320 टन का विस्थापन करता है। इन जहाजों को अमेरिकी शिपिंग ब्यूरो और भारतीय शिपिंग रजिस्टर के कड़े दोहरे वर्ग प्रमाणन के तहत आईसीजी की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन और निर्मित किया गया है।

पहली बार, अत्याधुनिक शिप लिफ्ट सिस्टम का उपयोग करते हुए एक साथ दो जहाजों का जलावतरण किया गया। आईसीजी के महानिदेशक परमीश शिवमणि और दिग्गजों की उपस्थिति में श्रीमती प्रिया परमीश ने ‘अथर्ववेद’ के मंत्रों के साथ एफपीवी का उद्घाटन और नामकरण किया।

इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए, आईसीजी के महानिदेशक परमीश शिवमणि ने आईसीजी की सभी जहाज निर्माण जरूरतों को स्वदेशी रूप से पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए जीएसएल और विभिन्न उद्योगों के प्रयासों की सराहना की। श्री विशमणि ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने पर जीएसएल के कर्मचारियों को बधाई देते हुए, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया कि रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’की ओर कदम सही तरीके से आगे बढ़ाया जाए।

समारोह में जीएसएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री ब्रजेश कुमार उपाध्याय और भारतीय नौसेना, आईसीजी, जीएसएल और वर्गीकरण समितियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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