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‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत बीआरओ द्वारा चिकित्सा शिविर

प्रमुख बातें:

  • 75 चिकित्सा शिविर सीमावर्ती राज्यों और मित्र देशों में आयोजित किए जा रहे हैं
  • जरूरतमंदों को निशुल्क मेडिकल चेकअप और निशुल्क दवाइयां
  • कोविड-19 के बारे में स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना
  • फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स का मुफ्त वितरण

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत सीमावर्ती राज्यों और मित्र देशों में 75 चिकित्सा शिविर आयोजित कर रहा है। जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम, मिजोरम और त्रिपुरा के साथ-साथ भूटान में भी बड़ी संख्या में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

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अभियान के अंतर्गत सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) दूरदराज के एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को मुफ्त चिकित्सा जांच और मुफ्त दवाएं प्रदान कर रहा है। यह शिविर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय आबादी के बीच कोविड -19 महामारी के बारे में जागरूकता भी बढ़ा रहे हैं । लोगों को अच्छी स्वच्छता, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने के महत्व के बारे में भी बताया जा रहा है। इस पहल के अंतर्गत स्थानीय लोगों को मुफ्त फेस मास्क और हैंड सैनिटाइज़र वितरित किए जाते हैं।

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एस एन सेन बालिका विध्यालय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के एन एस एस सेल द्वारा catch the rain ,when it falls where it falls के अन्तर्गत कार्यक्रमआयोजित

कानपुर 13 अगस्त, एस एन सेन बालिका विध्यालय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के एन एस एस सेल के द्वारा catch the rain ,when it falls where it falls के अन्तर्गत कार्यक्रम का आयोजन किया गया
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्रो द्वारा पोस्टर और स्लाइड के माध्यम से जल संचयन के महत्व पर प्रकाश डाल गया साथ ही छात्रों ने भाषण के माध्यम से जल संचयन की उपादेयता पर भी प्रकाश डाला गया
इससे पूर्व प्राचार्या ड़ा निशा अग्रवाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा की जल ही जीवन है उनोने जल संसाधन की जानकारी देते हुये जल संचयन के महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही जल संचयन की उपादेयता के प्रति जागरुक होने के लिये छात्रों को प्रेरित किया
इकाई की इंचार्ज ड़ा चित्रा सिंह तोमर ने महाविद्यालय की प्राचार्या का स्वागत किया तथा n s s की छात्राओ द्वारा उक्त विषय पर बनए गये पोस्टर एवं स्लाइड्स से अवगत कराया।

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वक्त ही नहीं मिलता

दोस्तों बात तो यह पुरानी ही है मेरी भी बस, इक कोशिश है ख़ुद को या किसी और को याद दिलाने के लिए।

नमस्कार दोस्तों🙏
बेशक दौलत की इस भूख मे कहाँ फ़ुरसत है हर किसी के पास
मगर ,यक़ीनन फ़ुरसत ऐसी भी चीज़ नही जिसको निकाला न जा सकता हो 🙏

आज के दौर में इक बहुत ही प्रसिद्ध लाइन है कि “हम बहुत बीज़ी रहते हैं वक़्त ही नहीं
मिलता ,काम बहुत ज़्यादा रहता है.”

ऐसा बिलकुल भी नहीं होता कि हम चौबीस घंटे में किसी के लिए चंद लम्हे भी न निकाल पाये ।ये अलग बात है कि वो लोग हमारी प्राथमिकताओं की लिस्ट में नहीं होते। या ये कहा जा सकता है कि शायद वो हमारे लिए इतने अहम नहीं होते।

आज कल का माहौल कुछ अलग सा हो गया है हर कोई व्यस्त अपनी अपनी ज़िन्दगी जी रहा है और होना भी चाहिए।

आज लोग कहते तो है कि हम किटी पार्टियों मे जाते रहते हैं हमारे बहुत दोस्त है हमारा सोशल सर्कल बहुत बड़ा है ।आज वाटसऐप फ़ेसबुक और कई ज़रिये है लोगो से बात करने के ,सब मिलते भी हैं इक दूसरे से।
मस्ती भी करते है फ़ैशन की बातें ,ब्रांडस के चर्चे, अपने आसपास
की दुनिया के क़िस्से,इन्टरनेट और टेक्नोलॉजी
से जुड़ी बातें,
एजुकेशनल बातें ।पार्टियाँ भी चलती है डांस भी होता है पीना पिलाना .. गाना बजाना सब होता है ।और मज़ा भी आता है थोड़ी देर के लिए हम सब भूल भी जाते है।

मगर ..दोस्तों !
इतना सब होते हुए भी हर इन्सान अन्दर से अकेला महसूस कर रहा है फिर भी लोग अपने हालातों से जैसे ख़ुश नहीं है वजह कोई भी हो सकती है ..इक खोखलापन का अहसास।जैसे है तो सभी आसपास.. मगर ऐसा कोई भी नहीं,जिससे हम अपनी तकलीफ़ अपने दिल की बात कह सके। जिस की वजह से आज बहुत से लोग मानसिक रोगों से जूझ रहे है।
माना पाजीटिव सोच रखना अच्छी बात है मगर कभी अपने किसी ख़ास दोस्त या माँ बाप कोई रिश्तेदार ..भाई बहन के काँधे पर सर रख अपने दिल की बात कह भी देनी चाहिए अगर मन रोने का हो तो रो भी लेना चाहिए।हम ये सोच कर ,दिल की बात नहीं कह पाते कि लोग हमारे लिये क्या सोचेंगे “हम किसी से कम नहीं “ये दिखाने
के चक्कर में हमारे रिश्तों की नज़दीकियाँ खो रही हैं कही..

मिलो चाहे कभी कभी दोस्तों !मगर यू मिलो कि न वक़्त का ध्यान आप को रहे ,न ही आप से मिलने वाले को। हर मुलाक़ात इक शानदार यादगार हो ,जिसे भुलाना न मुमकिन हो और लोग आप से फिर मिलना चाहे।जो भी करें ..जो भी कहे ..दिल से कहें। दिमाग़ से ज़्यादा दिल से की गई मुलाक़ात हमेशा लोगों के दिलों पर इक छाप छोड़ती ज़रूर है 🙏

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सभा आयोजित

भारतीय स्वरूप संवादाता, कानपुर 11 अगस्त, भारत उत्थान न्यास, शिक्षा समिति की सभा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम का प्रारंभ डा0रोचना विश्नोई के द्वारा माँ सरस्वती की वन्दना से हुआ। शिक्षा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 नवीन मोहिनी निगम ने स्वागत भाषण दिया। सबका स्वागत करते हुए उन्होने शिक्षा नीति 2020 के मूल उद्देश्यों पर विचार व्यक्त किये। भारतीय युवाओं को कैसे एक वैश्विक स्तर के युवा के रूप मे तैय्यार किया जा सकता है उन गुणों पर विचार व्यक्त किये।
डा0 चित्रा सिह तोमर ने अपने उद्बोधन मे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उच्च शिक्षा मे क्रियान्वयन पर बल दिया। उन्होने वैदिक शिक्षा, मूल्यपरक शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, लचीली शिक्षा प्रणाली, सम्पूर्ण साक्षरता, अकादमिक बैंक क्रेडिट , वैश्विकरण परिदृश्य के अनुरूप शिक्षा, कौशल, क्षेत्रीय भाषाओं एवम् व्यवहारिक योग्यता के उद्देश्य को ध्यानगत् रखते हुए बनाई गयी शिक्षा नीति की चर्चा की, प्रशंसा की एवम् आशा व्यक्त की यह शिक्षा नीति भारत को बहुत आगे ले जाएगी।
श्रीमती राम रानी पालीवाल जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यमिक शिक्षा पर प्रकाश डाला ।उन्होने शतप्रतिशत साक्षरता, व्यवहारिक अंक ज्ञान, भारतीय संस्कृति, भाषा सुदृणीकरण, मातृ भाषा पर बल, शिक्षक प्रशिक्षण, बजीफा पोर्टल, प्रयोगशाला क्लस्टर व 6%जी डी पी के शिक्षा मे निवेश के लिए शिक्षा नीति की चर्चा एवम् सराहना की।
इस बैठक मे मेरठ, इन्दौर, अहमदाबाद से शिक्षा समिति के सदस्य उपस्थित रहे।

डा0 प्रीति पाण्डेय ने अपने उद्बोधन मे शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि पढाई के अतिरिक्त व्यावसायिक शिक्षा, जीविकोपार्जन के लिए अतिरिक्त आवश्यक विषयो को मुख्य विषयो की श्रेणी मे लाना युवाओं के लिए अत्यन्त लाभप्रद होगा। विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा नीति युवाओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास मे सहायक होगी।

कार्यक्रम के अध्यक्ष भारत उत्थान न्यास के बौद्धिक प्रमुख एवम् सुविख्यात के शिक्षाविद डा0गोविन्द शंकर निगम ने कहा कि राष्ट्र एकता के लिए क्षेत्रीय भाषाओं का समन्वय, भाषाये सीखना एक एकता सूत्र का कार्य करेगा। उन्होने आशा व्यक्त की कि इस शिक्षा नीति की पूर्ण क्रियान्वयन मे कठिनाई तो हो सकती पर यह सफल अवश्य होगी। समिति की सचिव डा0 अल्का सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कल्याण मंत्र के साथ सभा संपन्न हुई।

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स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ पहली बार समुद्री परीक्षण के लिए रवाना

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंदसोनोवाल ने भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड द्वारा स्वदेशी रूप सेनिर्मित किए गए भारत के सबसे जटिल स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ केसमुद्री परीक्षणों की शुरुआत की सराहना की है। उन्होंने कहा कि स्वदेशीविमानवाहक पोत का डिजाइन और निर्माण राष्ट्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है । उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ औरआत्मनिर्भर भारत पहल का सही प्रतिबिंब है। मंत्री महोदय ने देश को गौरवप्रदान करने के लिए कोचीन शिपयार्ड और भारतीय नौसेना को बधाई दी।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Pix55IDM.jpeg

विक्रांत के प्रणोदन संयंत्रों का विभिन्न नेविगेशन, संचार औरहल उपकरणों के परीक्षणों के अलावा समुद्र में कठिन परीक्षण किया जाएगा।बंदरगाह पर विभिन्न उपकरणों के परीक्षण के बाद स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) के समुद्री परीक्षणों की शुरुआत विशेष रूप से कोविड-19 महामारी केइस कठिन समय के दौरान देश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। कोचीन शिपयार्डलिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा शिपयार्ड और पत्तन, पोत परिवहन औरजलमार्ग मंत्रालय के अधीन एकमात्र शिपयार्ड है। मंत्रालय के पुख़्तासमर्थन से अगस्त 2013 में कोचीन शिपयार्ड के बिल्डिंग डॉक से स्वदेशीविमानवाहक पोत की शुरूआत ने राष्ट्र को एक विमान वाहक डिजाइन का निर्माणकरने में सक्षम देशों की सूची में ला खड़ा किया।

स्वदेशी विमानवाहक पोत की मूल डिजाइन भारतीय नौसेना के नौसेनाडिजाइन निदेशालय द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की गई है और संपूर्णविस्तृत इंजीनियरिंग, निर्माण और सिस्टम का एकीकरण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेडद्वारा किया जाता है। शिपयार्ड ने उन्नत सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जहाज कीविस्तृत इंजीनियरिंग की, जिससे डिजाइनर को जहाज के डिब्बों का पूरा 3 डीदृश्य प्राप्त करने में मदद मिली। यह देश में पहली बार है कि किसीएयरक्राफ्ट कैरियर के आकार का जहाज पूरी तरह से 3डी मॉडल में तैयार कियागया है और 3डी मॉडल से प्रोडक्शन ड्रॉइंग निकाली गई है।

स्वदेशी विमानवाहक पोत देश का सबसे बड़ा युद्धपोत है जिसमेंलगभग 40,000 टन विस्थापन की सुविधा है। जहाज स्वदेशी रूप से विकसित 21,500 टन विशेष ग्रेड स्टील की एक विशाल इस्पात संरचना है और पहली बार इसकाभारतीय नौसेना के जहाजों में उपयोग किया गया है। जहाज की विशालता काअनुमान लगभग 2000 किलोमीटर की केबलिंग, 120 किलोमीटर पाइपिंग और जहाज परउपलब्ध 2300 कम्पार्टमेंट्स से लगाया जा सकता है।

एयरक्राफ्ट कैरियर एक छोटा तैरता हुआ शहर है, जिसमें एकफ्लाइट डेक का इलाका है जो दो फुटबॉल मैदानों के आकार को कवर करता है। स्वदेशी विमानवाहक पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें सुपर स्ट्रक्चर भी शामिल है। ‘विक्रांत’ की अधिकतम गति लगभग 28 समुद्री मील और लगभग 7,500 समुद्री मील की एंड्योरेंस के साथ 18 समुद्रीमील की परिभ्रमण गति है। सुपर स्ट्रक्चर में पांच डेक समेत कुल 14 डेक हैं। जहाज में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट्स हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों केक्रू के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें महिला अधिकारियों को समायोजितकरने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं ।

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इससे लद्दाख में सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख में उमलिंगला दर्रे के पास 19,300 फुट से अधिक की ऊंचाई पर मोटर वाहन चलने योग्य सड़क का निर्माण कर विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उमलिंगला दर्रे से होकर गुजरने वाली 52 किलोमीटर लंबी यह सड़क तारकोल से बनाई गई है और इसने बोलीविया की सबसे ऊंची सड़क के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि बोलीविया ने अपने देश में स्थित ज्वालामुखी उतूरुंकू को जोड़ने के लिए 18,935 फीट की ऊंचाई पर सड़क का निर्माण किया है।

पूर्वी लद्दाख में इस सड़क के निर्माण से क्षेत्र के चूमार सेक्टर के सभी महत्वपूर्ण कस्बे आपस में जुड़ जाएंगे। चिशुमले और देमचोक के लेह से सीधे आवागमन का वैकल्पिक मार्ग का विकल्प उपलब्ध कराने के कारण इस सड़क का स्थानीय लोगों के लिए काफी महत्व है। इसकी मदद से सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और लद्दाख में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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ऐसे ऊंचे स्थानों पर बुनियादी ढांचे का निर्माण अपने आप में चुनौतीपूर्ण और बेहद कठिन होता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ तापमान शून्य से – 40 डिग्री नीचे चला जाता है और इस ऊंचाई पर मैदानी क्षेत्रों के मुक़ाबले ऑक्सीजन का स्तर 50% रह जाता है। बीआरओ यह उपलब्धि अपने कर्मियों के साहस और विपरीत मौसमी स्थितियों में ऊंचे स्थानों पर कार्य करने की क्षमता और कुशलता के चलते प्राप्त कर सका है।

इस सड़क का निर्माण माउंट एवरेस्ट के आधार शिविरों से भी ऊंचे स्थान पर किया गया है। माउंट एवरेस्ट का नेपाल स्थित साउथ बेस कैंप 17,598 फीट पर है जबकि तिब्बत स्थित नॉर्थ बेस कैंप 16,900 फीट की ऊंचाई पर है। इसके अलावा जिस ऊंचाई पर इस सड़क का निर्माण किया गया है वह सियाचीन ग्लेशियर से काफी ऊंचा है। सियाचीन ग्लेशियर की ऊंचाई 17,700 फीट है। लेह में खर्दुंग ला पास भी इस सड़क के निर्माण स्थल से कम 17,582 फीट की ऊंचाई पर है।

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पूर्वोत्‍तर भारत के साथ हवाई संपर्क को मजबूत करने में एक नया मुकाम हासिल

भारत सरकार की आरसीएस-उड़ान (क्षेत्रीय संपर्क योजना- उड़े देश का आम नागरिक) योजना के तहत इम्फाल (मणिपुर) और शिलांग (मेघालय) के बीच पहली सीधी उड़ान सेवा को कल झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस मार्ग का संचालन पूर्वोत्तर भारत के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में हवाई संपर्क को मजबूत करने संबंधी भारत सरकार के उद्देश्यों को पूरा करता है। इस उड़ान के शुभारंभ के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अधिकारी उपस्थित थे।

मणिपुर और मेघालय की राजधानी के बीच हवाई संपर्क क्षेत्र के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग रही है। खूबसूरत शहर शिलांग चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है। कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों की मौजूदगी के लिए प्रसिद्ध शिलांग पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए शिक्षा का केंद्र है। सुंदर और शैक्षणिक केंद्र होने के अलावा शिलांग मेघालय का प्रवेश द्वार भी है। यह राज्य भारी वर्षा, गुफाओं, सबसे ऊंचे झरनों, सुंदर दृश्य और अपनी समृद्ध संस्कृति एवं विरासत के लिए प्रसिद्ध है। शिलांग एलीफेंट फॉल्स, शिलांग पीक, उमियाम लेक, सोहपेटबनेंग पीक, डॉन बॉस्को म्यूजियम, लैटलम कैन्यन के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, शिलांग दो फुटबॉल क्लब तैयार करने वाला पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र राजधानी शहर है जो आई-लीग अर्थात् रॉयल वाहिंगदोह एफसी और शिलांग लाजोंग एफसी में भाग लेते हैं। इनके अलावा, शिलांग गोल्फ कोर्स देश के सबसे पुराने गोल्फ कोर्सों में से एक है।

परिवहन का कोई सीधा साधन उपलब्ध न होने के कारण लोगों को इम्फाल से शिलांग पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से 12 घंटे की लंबी यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है अथवा उन्हें गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान सेवा लने के बाद बस सेवा लेनी पड़ती है। इंफाल और शिलांग के बीच यात्रा को पूरी करने में 1 दिन से अधिक का समय लगता है। अब इंफाल से शिलांग के लिए केवल 60 मिनट और शिलांग से इंफाल के लिए 75 मिनट की उड़ान सेवा का विकल्प चुनकर वहां के लोग आसानी से दोनों शहरों के बीच उड़ान भर सकते हैं।

शिलांग उड़ान योजना के तहत इम्फाल से जुड़ने वाला दूसरा शहर है। उड़ान 4 बोली प्रक्रिया के दौरान विमानन कंपनी इंडिगो को इंफाल-शिलांग मार्ग आवंटित किया गया था। हवाई किराये को आम लोगों के लिए उपयुक्त रखने के लिए उड़ान योजना के तहत विमानन कंपनी को वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) प्रदान की जा रही है। विमानन कंपनी इस मार्ग पर सप्ताह में चार उड़ानों का संचालन करेगी और अपने 78 सीटों वाले एटीआर 72 विमानों को तैनात करेगी। फिलहाल इंडिगो 66 उड़ान मार्गों पर परिचालन कर रही है।

उड़ान योजना के तहत अब तक 361 मार्गों और 59 हवाई अड्डों (5 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित) का परिचालन शुरू किया जा चुका है। इस योजना की परिकल्पना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मजबूत हवाई संपर्क स्थापित करने के लिए की गई है जो भारत के विमानन बाजार में एक नया क्षेत्रीय श्रेणी की नींव रखती है।

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प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति पर मुख्यमंत्री से की बातचीत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी से राज्य के कुछ हिस्सों में बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण पैदा हुई बाढ़ की स्थिति पर बातचीत की है। प्रधानमंत्री ने स्थिति की गम्भीरता को कम करने में मदद के लिए केंद्र से हरसंभव सहायता का आश्वासन भी दिया।

पीएमओ के एक ट्वीट में कहा गया है, “पीएम @narendramodi ने राज्य के कुछ हिस्सों में बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण पैदा हुई बाढ़ की स्थिति पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री  @MamataOfficial से बातचीत की। पीएम ने स्थिति की गम्भीरता को कम करने में मदद के लिए केंद्र से हर संभव समर्थन का आश्वासन दिया।

प्रधानमन्त्री श्री  मोदी ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना की है।”

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जन संख्या वृद्धि कानून

1975 में लगाया गया आपातकाल आज भी लोग याद करते हैं और याद करने के साथ-साथ उस वक्त की दबंगई को भी याद करते हैं। –प्रियंका वर्मा आज भी बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है और इसे रोकने के लिए कारगर उपाय किए जाने चाहिए। अब तक जो भी नियम कानून इस मुद्दे को लेकर बने हैं वह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए हैं। आज देश में हर मिनट पर 42 बच्चों का जन्म हो रहा है हर दिन 61,000 बच्चों का जन्म होता है। ये बढ़ती हुई आबादी रोजगार के अवसरों को खत्म कर रही है साथ ही गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या की सबसे बड़ी समस्या स्थान की है, साथ ही बिजली और पानी की भी है। लगातार कट रहे जंगल प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उसका खामियाजा भी हम भुगत रहें हैं। गरीबी और खाद्यान्न की समस्या का कारण जनसंख्या वृद्धि ही है और इसका दुष्प्रभाव चिकित्सा की बद इंतजामी के रूप में भी दिखाई देता है।

योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून शायद राज्य की बढ़ती हुई आबादी को रोकने में सफल हो। ऐसी कई बातें हैं जिन पर अमल किए बिना जनसंख्या वृद्धि को रोक पाना संभव नहीं है। बढ़ती आबादी पर नियंत्रण का लक्ष्य वाकई काबिले तारीफ है। ये नियम कि दो बच्चों से ज्यादा वाले व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी सराहनीय है और एक बच्चा पैदा करने पर कई प्रोत्साहन पुरस्कार की बात भी सराहनीय है। असम सरकार का फैसला भी इस मुद्दे पर काबिले तारीफ है।
आज जरूरत है कि सबसे पहले लोगों में जागरूकता पैदा की जाए। लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की सबसे ज्यादा जरूरत है, ताकि लोगों का मानसिक विकास हो सके। आज कोरना के दौर में लोग सुरक्षा के लिए मास्क तक नहीं लगाते, सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन नहीं करते। ये शिक्षा का ही अभाव है कि वे इसके दुष्परिणामों से अनजान रहते हैं। शिक्षा द्वारा इनका मानसिक विकास के साथ यह सही गलत का फर्क करना समझेंगे साथ ही समाज में फैली रुढ़िवादिता से भी बाहर आ सकेंगे। शिक्षा एक अहम मसला है लोगों को जागरूक करने के लिए साथ ही लोगों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी से लेकर बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभाव से भी अवगत करवा कर सकेगी। जागरूकता के अभाव में व्यक्ति कई – कई बच्चों को जन्म देता है और गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी को बढ़ावा देता है। जनसंख्या वृद्धि के प्रति वही लापरवाह हैं जो शैक्षिक व सामाजिक रूप से पिछड़े हैं।
आज यह भी जरूरी है कि धर्म और आस्था के नाम पर जनसंख्या बढ़ाने जैसी बातों का बहिष्कार किया जाए। जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून धर्म और जाति से दूर रहे और नेताओं के बेतुके बयानों को भी प्रतिबंधित किया जाये साथ ही सभी के लिए एक ही नियम कानून मान्य होना चाहिये। हम कट्टरता से बाहर आकर ही इस योजना को साकार कर सकते हैं। बहुसंख्यक अल्पसंख्यक को मुद्दा ना बनाकर बल्कि जनता के हितों का मुद्दा बनाकर योजनाएं सफल की जा सकती है। परिवार नियोजन की नीति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसके नुकसान – फायदे के बारे में बता कर लोगों को जागरूक किया जाए ताकि सीमित परिवार के साथ साथ स्त्री के स्वास्थ्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। गौरतलब है कि योगी सरकार ने जो नियम कानून प्रस्तावित किया है वो प्रोत्साहन के लिए तो ठीक है लेकिन दंडात्मक प्रावधान से असमानता बढ़ेगी। एक बच्चे की नीति से जनसंख्‍या पर निगेटिव इम्पैक्ट पड़ेगा। यह तात्कालिक उपाय तो हो सकता है लेकिन स्थाई नहीं।
कहीं ऐसा ना हो कि योजनाएं तो बना दी गई लेकिन कार्यान्वित नहीं हो पाईं और कुछ समय बाद ठंडे बस्ते में चली गई। बेहतर होता कि 2021 की (जो कोविड के कारण नहीं हो सकी) जनगणना कराने के बाद नियम कानून बनाने की बात की जाती। कोविड में हमने कितनों को खो दिया व इसका जनसंख्‍या पर क्या असर पड़ा। इसका सही आंकलन अभी तक नहीं हो सका है। 2011-21 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर क्या रही इसका भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

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रफाल लड़ाकू विमान को 101 स्क्वाड्रन में शामिल करने का समारोह 28 जुलाई 2021 को संपन्न हुआ

भारतीय वायु सेना ने 28 जुलाई, 2021 को औपचारिक रूप से पूर्वी वायु कमान (ईएसी) के हासीमारा वायु सेना स्टेशन में रफाल लड़ाकू विमान को 101 स्क्वाड्रन में शामिल किया। चीफ ऑफ द एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी ने इस समारोह की अध्यक्षता की। पूर्वी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, एयर मार्शल अमित देव एवीएसएम वीएसएम द्वारा वायु सेना प्रमुख का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में एक फ्लाई-पास्ट भी हुआ था, जिसके दौरान हासीमारा वायु सेना स्टेशन के लिए रफाल विमान के आगमन की घोषणा की गई और उसके बाद और पारंपरिक वाटर कैनन सलामी हुई ।

स्वागत समारोह के दौरान वायु सेना कर्मियों को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि, पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूती प्रदान करने के महत्व को ध्यान में रखते हुए हासीमारा में रफाल को शामिल करने की योजना सावधानीपूर्वक बनाई गई थी। 101 स्क्वाड्रन के उस गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए, जिसने उन्हें ‘फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ की उपाधि दी, चीफ ऑफ द एयर स्टाफ ने वायु सेना कर्मियों से उनके उत्साह और प्रतिबद्धता को नए रफाल विमानों की बेजोड़ क्षमता के साथ जोड़ने का आग्रह किया। सीएएस ने कहा कि, उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब भी और जहां भी आवश्यकता होगी, स्क्वाड्रन का वर्चस्व बना रहेगा और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि, विरोधी हमेशा उनकी उपस्थिति से भयभीत रहे।

101 स्क्वाड्रन रफाल लड़ाकू विमान से लैस होने वाली भारतीय वायु सेना की दूसरी स्क्वाड्रन है। इस स्क्वाड्रन का गठन 01 मई, 1949 को पालम में किया गया था और गुजरे वक्त में यह हार्वर्ड, स्पिटफायर, वैम्पायर, सु-7 और मिग-21एम विमानों का संचालन कर चुका है। इस स्क्वाड्रन के गौरवशाली इतिहास में 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में सक्रिय भागीदारी शामिल है।

 

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