माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना मुख्यालय में दिनांक 15 अप्रैल 21 को द्विवार्षिक भारतीय वायु सेना कमांडरों सम्मेलन (एएफसीसी-21) को संबोधित किया। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) ने सम्माननीय रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत किया।
अपने संबोधन के दौरान रक्षा मंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह सम्मेलन मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह की जयंती के मौके पर आयोजित किया गया है । रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में अचानक हुए घटनाक्रम का समय पर एवं समुचित जवाब सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायुसेना को बधाई दी। उन्होंने कमांडरों को भविष्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए क्षमता बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं और रणनीतियां तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने भविष्य के लिए वायुसेना को तैयार करने की दिशा में भारतीय वायु सेना के फोकस की सराहना की ।
इन दिनों जारी कोविड-19 महामारी के बारे में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने भारतीय वायुसेना द्वारा अपने कार्य में अन्य सरकारी एजेंसियों की सहायता करने में निभाई गई भूमिका की सराहना की। बदलती अंतरराष्ट्रीय भूराजनीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ट्रांस अटलांटिक से ट्रांस पैसिफिक तक फोकस का प्रत्यक्ष बदलाव और अधिक स्पष्ट हो गया है । युद्ध के बदलते आयामों में अब उन्नत प्रौद्योगिकियां, असममित क्षमताएं और सूचना के क्षेत्र में दबदबा शामिल होंगे और यह बहुत महत्वपूर्ण था कि भविष्य के लिए भारतीय वायुसेना इन आयामों को अवश्य शामिल करे।
‘आत्मनिर्भरता’ के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने रक्षा से जुड़े बुनियादी ढांचे में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के लिए भारतीय वायुसेना के आदेश से घरेलू रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा और यह स्वदेशीकरण के नजरिए से गेम चेंजर साबित होगा। उन्होंने कमांडरों से स्वदेशी रक्षा उत्पादन और विमान रखरखाव के क्षेत्र में और भी अधिक परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास राष्ट्रीय नीति के पूरक पहलू हैं। स्वदेशी उद्योग के लिए भारतीय वायुसेना के समर्थन से इस क्षेत्र में एमएसएमई का विकास होगा जो एक साथ देश के आत्मनिर्भरता और सामाजिक-आर्थिक विकास को पूरा करने में मददगार होगा।
उन्होंने कमांडरों से आग्रह किया कि वे संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा जारी सभी निर्देशों का जायजा लें और उन्हें लागू करें। उन्होंने वर्तमान में चल रही एकीकरण प्रक्रिया, संयुक्त लॉजिस्टिक्स योजना के कार्यान्वयन और संयुक्त योजना और संचालन के क्षेत्रों में तालमेल बढ़ाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करते रहने की ज़रूरत पर जोर दिया।
अपने समापन भाषण में रक्षा मंत्री ने वायुसेना के कमांडरों को एक शक्तिशाली रणनीतिक एयरोस्पेस बल होने के लक्ष्य को प्राप्त करने में रक्षा मंत्रालय से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि सम्मेलन के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता बढ़ेगी।
कमांडरों का सम्मेलन दिनांक 16 अप्रैल 21 को समाप्त होगा। वर्तमान युद्धक क्षमताओं को बेहतर बनाने एवं भारतीय वायुसेना को भविष्य के लिए तैयार एक युद्धक सेना बनाने की कार्ययोजना का परीक्षण किया जाएगा। सभी क्षेत्रों में प्रणालियों, सुधारों और पुनर्गठन से संबंधित विषयों एवं अधिक कुशल प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने पर भी चर्चा की जाएगी।
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