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प्रधानमंत्री ने बेंगलुरू में 27000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज बेंगलुरू में 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया और आईआईएससी बेंगलुरु में बागची पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला रखी। उन्होंने डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (बेस) विश्वविद्यालय के एक नए परिसर का भी उद्घाटन किया और उनके परिसर में भारत रत्न डॉ. बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने 150 आईटीआई के आधुनिकीकरण को टेक्नोलॉजी हब के रूप में समर्पित किया। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी भी उपस्थित थे। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि कर्नाटक में 5 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं और 7 रेलवे परियोजनाएं रखी गई हैं। कोंकण रेलवे के शत-प्रतिशत बिजलीकरण के महत्वपूर्ण पड़ाव के हम साक्षी बने हैं। ये सभी प्रोजेक्ट कर्नाटक के युवाओं, मध्यम वर्ग, किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों को नई सुविधाएं और नए अवसर प्रदान करेंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंगलुरू, देश के लाखों युवाओं के लिए सपनों का शहर है। बैंगलुरू, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिबिंब है। “बैंगलुरु का विकास, लाखों सपनों का विकास है। इसलिए बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार का ये निरंतर प्रयास रहा है कि बैंगलुरू के सामर्थ्य को और बढ़ाया जाए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंगलुरू को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रेल, रोड, मेट्रो, अंडरपास, फ्लाईओवर, हर संभव माध्यमों पर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है। बैंगलुरू के जो सब-अर्बन इलाके हैं, उनको भी बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सभी उपायों की बात पिछले चार दशकों से चल रही थी और अब ‘डबल इंजन’ सरकार के साथ लोगों ने इन परियोजनाओं को पूरा करने का मौका मौजूदा सरकार को दिया है। प्रधानमंत्री ने परियोजना को समय पर पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि वह अगले 40 महीनों में बेंगलुरु के लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे जो पिछले 40 वर्षों से रुके हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरू उपनगरीय रेल परियोजना से कनेक्टिविटी बेंगलुरू शहर को उसके उपनगरों और सैटेलाइट टाउनशिप से जोड़ेगी और इसका कई गुना प्रभाव होगा। इसी तरह, बेंगलुरु रिंग रोड परियोजना से शहर की भीड़भाड़ कम होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में सरकार ने रेल संपर्क के पूर्ण परिवर्तन पर काम किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अब तेज भी हो रही है, स्वच्छ भी हो रही है, आधुनिक भी हो रही है, सुरक्षित भी हो रही है और सिटीजन फ्रेंडली भी बन रही है। उन्होंने कहा, “हमने देश के उन हिस्सों में भी रेल को पहुंचाया है, जहां इसके बारे में कभी सोचना भी मुश्किल था। भारतीय रेल अब वो सुविधाएं, वो माहौल भी देने का प्रयास कर रही है जो कभी हवाई अड्डों और हवाई यात्रा पर ही उपलब्ध थी। भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया के नाम पर बैंगलुरू में बना आधुनिक रेलवे स्टेशन भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।” प्रधानमंत्री ने एकीकृत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टरप्लान से नई गति मिल रही है। उन्होंने कहा कि आगामी मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क इसी विजन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि गतिशक्ति की भावना से चलाई जा रही इस तरह की परियोजनाओं से युवाओं को रोजगार मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरु की सफलता की कहानी 21वीं सदी के भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती है। बैंगलुरू ने ये दिखाया है कि सरकार अगर सुविधाएं दे और नागरिक के जीवन में कम से कम दखल दे, तो भारतीय युवा क्या कुछ नहीं कर सकते हैं। बैंगलुरू, देश के युवाओं के सपनों का शहर है और इसके पीछे उद्यमशीलता है, इनोवेशन है, पब्लिक के साथ ही प्राइवेट सेक्टर की सही उपयोगिता है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु उन लोगों के लिए एक सबक है जो अभी भी भारत के निजी उद्यम की भावना का अनादर करते हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 21वीं सदी का भारत, धन सृजित करने वालों, नौकरी देने वालों और नवप्रवर्तकों का भारत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र के रूप में यह भारत की संपत्ति और ताकत है।

प्रधानमंत्री ने एमएसएमई के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि एसएमई की परिभाषा में बदलाव के साथ, उनके विकास के नए रास्ते खुले हैं। आत्मनिर्भर भारत में विश्वास के प्रतीक के रूप में, भारत ने 200 करोड़ रुपये तक के अनुबंधों में विदेशी भागीदारी को समाप्त कर दिया है। केंद्र सरकार के विभागों को एमएसएमई से 25 फीसदी तक खरीदारी करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जीईएम पोर्टल एमएसएमई खंड के लिए एक महान प्रवर्तक साबित हो रहा है।

स्टार्टअप क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते दशकों में देश में कितनी बिलियन डॉलर कंपनियां बनी हैं, आप उंगलियों पर गिन सकते हैं। लेकिन पिछले 8 साल में 100 से अधिक बिलियन डॉलर कंपनियां खड़ी हुई हैं, जिसमें हर महीने नई कंपनियां जुड़ रही हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 के बाद पहले 10000 स्टार्टअप बनने में 800 दिन का समय लगा था, लेकिन अब इतने स्टार्टअप 200 दिनों से भी कम समय में जुड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले आठ साल में बनाए गए यूनिकॉर्न का मूल्य करीब 12 लाख करोड़ रुपये है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका साफ मानना है, उपक्रम चाहे सरकारी हो या फिर प्राइवेट, दोनों देश के ऐसेट हैं, इसलिए सबको समान अवसर मिलना चाहिए। यही सबका प्रयास है। प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विश्व स्तरीय सुविधाओं पर उनके दृष्टिकोण और विचारों का परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि मेहनत करने वाले युवाओं को सरकार मंच मुहैया करा रही है। अंत में उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनियां भी समान अवसर पर प्रतिस्पर्धा करेंगी।

परियोजनाओं का विवरण:

बेंगलुरु उपनगरीय रेल परियोजना (बीएसआरपी) बेंगलुरु शहर को उसके उपनगरों और सैटेलाइट टाउनशिप से जोड़ेगी। इस परियोजना को 15,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाना है। परियोजना में 4 गलियारों की परिकल्पना की गई है जिनकी कुल लंबाई 148 किलोमीटर से अधिक है। प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु कैंट और यशवंतपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी, जिन्हें क्रमशः 500 करोड़ रुपये और 375 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने बैयप्पनहल्ली में भारत के प्रथम वातानुकूलित रेलवे स्टेशन- सर एम. विश्वेश्वरैया रेलवे स्टेशन को राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे लगभग 315 करोड़ रुपये की कुल लागत से आधुनिक हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ने उडुपी, मडागांव और रत्नागिरी से इलेक्ट्रिक ट्रेनों को झंडी दिखाकर रोहा (महाराष्ट्र) से ठोकुर (कर्नाटक) तक शत-प्रतिशत विद्युतीकृत कोंकण रेलवे लाइन (लगभग 740 किलोमीटर) को राष्ट्र को समर्पित किया। कोंकण रेलवे लाइन का विद्युतीकरण 1280 करोड़ से अधिक की लागत से किया गया है। प्रधानमंत्री ने अर्सीकेरे से तुमकुरु (लगभग 96 किमी) और येलहंका से पेनुकोंडा (लगभग 120 किमी) क्रमशः यात्री ट्रेनों और एमईएमयू सेवा को हरी झंडी दिखाकर दो रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की परियोजनाओं को भी राष्ट्र को समर्पित किया। दो रेलवे लाइन दोहरीकरण परियोजनाओं को क्रमशः 750 करोड़ रुपये और 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु रिंग रोड परियोजना के दो खंडों की आधारशिला भी रखी। 2280 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाली इस परियोजना से शहर में यातायात की भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने विभिन्न अन्य सड़क परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, जैसे-एनएच-48 के नेलामंगला-तुमकुर खंड को छह लेन का बनाना, एनएच-73 के पुंजालकट्टे-चारमाड़ी खंड का चौड़ीकरण, एनएच-69 के एक खंड का पुनर्वास और आधुनिकीकरण। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 3150 करोड़ रुपये है। प्रधानमंत्री ने मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की आधारशिला भी रखी, जिसे लगभग 1800 करोड़ रुपये की लागत से बेंगलुरु से लगभग 40 किलोमीटर दूर मुद्दलिंगनहल्ली में विकसित किया जा रहा है। यह परिवहन, हैंडलिंग और द्वितीयक माल ढुलाई लागत को कम करने में मदद करेगा।

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नितिन गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)- 275 के बेंगलुरु निदाघट्टा खंड को छह लेन का बनाने का काम कई वादों के साथ आगे बढ़ रहा है

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 21वीं सदी का नया भारत दुनिया में सबसे अच्छी बुनियादी सुविधाओं के निर्माण पर केंद्रित है। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)- 275 के बेंगलुरु- निदाघट्टा खंड को छह लेन का बनाने की परियोजना बहुत सारे वादों और संभावनाओं के साथ आगे बढ़ रही है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001ZKVV.jpg गडकरी ने कहा कि बैंगलोर से निदाघट्टा खंड एनएच-275 का वह हिस्सा है जो बैंगलोर दक्षिण क्षेत्र में पंचमुखी मंदिर जंक्शन के पास जंक्शन से शुरू होता है और निदाघट्टा से पहले समाप्त होता है। उन्होंने आगे कहा कि यह सड़क पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण खंड है क्योंकि यह बिदादी, चन्नापटाना, रामनगर के शहरों से होकर गुजरती है जहां एशिया में रेशम कोकून का सबसे बड़ा बाजार है और देश के एकमात्र गिद्ध अभयारण्य तक पहुंच प्रदान करता है और यह श्रीरंगपटना, मैसूर, ऊटी, केरल और कुर्ग को जोड़ेगा। मंत्री महोदय  ने कहा कि एक बार इस परियोजना के पूरी हो जाने के बाद 3 घंटे का वर्तमान यात्रा समय घटकर 90 मिनट का रह जाएगा जिससे ईंधन की खपत और कार्बन फुटप्रिंट में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा संवर्द्धन के साथ ही ग्रेड जंक्शनों को खत्म करने  और दुर्घटनाओं/भिडंत को खत्म करने के लिए वाहनों के लिए अंडरपास/ओवरपास प्रदान करके  परियोजना पर विशेष ध्यान दिया गया है। गडकरी ने बताया कि इस खंड में कुल 51.5 किमी की लंबाई वाले 6 बाईपासों के निर्माण से यातायात की भीड़ को कम करने और बिदादी, रामनगर, चन्नारायपटना, मद्दुर, मांड्या और श्रीरंगपटना जैसे शहरों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के वादे को पूरा करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम एमओआरटीएच देश के कोने-कोने में ऐसी कई गतिशील परियोजनाओं को पूरा करने और देश में नागरिकों के लिए समृद्धि लाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है।

 

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दिल्ली सीमा शुल्क (निवारक) ने 37 लाख से अधिक सिगरेट के नग जब्त किए; इनमें से एक करोड़ रुपये मूल्य के 7.10 लाख सिगरेट के नग विदेशी मूल के

भारतीय सीमा शुल्क ने आज यहां करीब एक करोड़ रुपये मूल्य के विदेशी मूल के ‘जेरम ब्लैक’ ब्रांड की सिगरेट के कुल 7,10,000 नग जब्त किए हैं।

इनके अलावा, भारतीय ब्रांड सिगरेट के विदेशी मूल के पैकेटों में कुल 30,21,500 सिगरेट के  नग भी मिले हैं। इनमें ‘गोल्ड फ्लेम, गोल्ड क्लॉक, फ्लेम, फन गोल्ड, इम्प्रेशन, पेलिकन्स और गोल्ड फाइटर’ ब्रांड शामिल थे।

 

इन सामानों के मालिक द्वारा ऐसे सामानों की खरीद के बारे में कोई दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका। उक्त परिसर को किराए पर लेने वाले इन सामानों के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। आगे की पूछताछ जारी है।

दिल्ली सीमा शुल्क (निवारक) के मुख्य आयुक्त, श्री सुरजीत भुजबल, आई.आर.एस, ने कहा “इस देश में सिगरेट की तस्करी बिल्कुल असहनीय है। इसके अलावा, सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार एवं वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण के विनियमन) अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के अनुरूप सख्त उपायों का पालन किया जा रहा है। तस्करी का हमारी अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।”

भारतीय सीमा शुल्क भारत में सिगरेट की अवैध तस्करी से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। दिल्ली सीमा शुल्क निवारक आयुक्तालय के अधिकारियों ने विदेशी ब्रांड की प्रतिबंधित सिगरेट के अवैध भंडारण और जीएसटी के भुगतान के बिना देशी सिगरेट की अवैध आपूर्ति के बारे में एक विशिष्ट खुफिया जानकारी प्राप्त होने पर दिल्ली के  औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक गोदाम के परिसर की तलाशी ली थी।

आमतौर पर आयात व निर्यात पर करों एवं अन्य प्रतिबंधों को दरकिनार करने के उद्देश्य से सिगरेट की तस्करी के क्रम में विभिन्न महाद्वीपों, देशों और प्रांतों के बीच हवाई या समुद्री परिवहन के माध्यम से सिगरेट का अवैध परिवहन होता है। यह तस्करों को इस उत्पाद को कम कीमत पर फिर से बेचने और/या उस लागत की भरपाई करने में समर्थ बनाता है जो आमतौर पर सीमा शुल्क के रूप में राज्य को भुगतान की जाती है।

वर्तमान में, भारतीय बाजार दुनिया भर से अंतरराष्ट्रीय तस्करी के जरिए लाए जाने वाले 100 से अधिक सिगरेट के ब्रांडों से पटे हैं। सीमा शुल्क अदा कर लाए जाने वाली सिगरेट की तुलना में तस्करी वाली सिगरेट लगभग पांच गुना सस्ती है। उदाहरण के लिए, वैधानिक रूप से शुल्क का भुगतान कर लाए जाने वाली सिगरेट की कीमत 330 रुपये प्रति दस सिगरेट और तस्करी वाली सिगरेट की कीमत 60 रुपये या 80 रुपये प्रति दस सिगरेट होगी।

दिल्ली सीमा शुल्क (निवारक) भारत में सिगरेट के अवैध आयात को रोकने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। पिछले दो वर्षों के दौरान जब्त किए गए सिगरेट का विवरण नीचे दिया गया है-

वर्ष सिगरेट
मामलों की संख्या सिगरेट की मात्रा (संख्या लाख में) मूल्य (लाख रुपये में)
2021-22 16 84.63 1526
2022-23 (10.06.2022 तक) 3 84.64 1595

 

भारत में लगभग हर दिन प्रवर्तन अधिकारी देश में ऐसी अवैध सिगरेट की बरामदगी कर रहे हैं। भारत में तस्करी कर लाए जाने वाले विदेशी ब्रांड की सिगरेट का विवरण इस प्रकार है-

क्र. सं भारत में उपलब्ध तस्करी वाले ब्रांड निर्माता का नाम एवं पता देश
1. विन, आदि होंग्यूनहोन्घे टोबैको

181 होंगजिन रोड, कुनमिंग 650202 चीन

चीन
2. गुडांग

गरम

पी.टी. सूर्या मैडिस्ट्रिंडो

एचओ- जी. जेंड. अहमद यानी 75-79 जकार्ता पुसैट, 10510 इंडोनेशिया

इंडोनेशिया
3. ब्लैक पीटी जरुम

28 जी, अहमद यानि कुदुस, 59317 इंडोनेशिया

इंडोनेशिया
4. पाइन,एस्से, आदि केटी एंड जी71, बेओटकोट-गिल, डेडियोक्गु, डाइजॉन कोरिया गणराज्य दक्षिण कोरिया
5. मोंड, आदि
गुलबहार टोबैको इंटरनेशनल एफजेडई.
गुलबहार समूह
पी.ओ.बॉक्स.61401-मोड. 447/448, आर/ए नंबर 13-जेबेल अली फ्री जोन, दुबई-संयुक्त अरब अमीरात
संयुक्त अरब अमीरात

उपरोक्त के अलावा, दिल्ली सीमा शुल्क निवारक आयुक्तालय ने नकली/जाली भारतीय मूल के सिगरेट निर्माण से संबंधित जब्ती को सीजीएसटी अधिकारियों को सौंप दिया है। विवरण नीचे दिया गया है-

जब्ती की तिथि सिगरेट की मात्रा (संख्या लाख में)
27.12.2021 110
07.03.2022 3.07

 

सामाजिक प्रभाव और उसका प्रतिकार:

  1. उल्लेखनीय है कि तस्करी की गतिविधियां आपराधिक हैं और सीमा शुल्क अधिनियम, जीएसटी कानूनों, कोफेस्पोसा, एलएमए आदि सहित विभिन्न भारतीय कानूनों का उल्लंघन करती हैं और कठोर दंडात्मक कार्रवाई की हकदार हैं।
  2. यह स्पष्ट है कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, लेकिन तस्करी वाली सिगरेट का सेवन अधिक घातक हो सकता है क्योंकि इस तरह की सिगरेट में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोप्टा अधिनियम) के अनुरूप स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी नहीं होती है और शायद घटिया/विषाक्त सामग्री यानी धूल आदि द्वारा तैयार की जाती है।
  3. कानून का प्रवर्तन कराने वाली भारतीय एजेंसियों अर्थात पुलिस, स्थानीय प्रशासन को अपने संबंधित क्षेत्राधिकार में ऐसी विदेशी निर्मित सिगरेट की बिक्री की किसी भी घटना की सूचना नजदीकी सीमा शुल्क/जीएसटी कार्यालय को तुरंत देने के लिए जागरूक बनाया जा सकता है। संबंधित कॉइन फार्मेशन के कर्मचारियों से यह अनुरोध किया जा सकता है कि वे भारत में सिगरेट की तस्करी में शामिल इसके विदेशी निर्माता की संभावित भूमिका का पता लगाने में उचित सहायता प्रदान करें।

दिल्ली सीमा शुल्क (निवारक) के प्रधान आयुक्त श्री एस.के. रहमान ने कहा कि हमारा विभाग हमेशा सतर्क रहता है और किसी भी तरह की सूचना पर तत्काल कार्रवाई करता है। हमारे आर्थिक क्षेत्र की रक्षा करने और कर चोरी से संबंधित मामलों एवं सीमा शुल्क अधिनियम के उल्लंघन को रोकने के लिए निरंतर निगरानी रखी जा रही है।

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अग्निपथ भारतीय सशस्त्र बलों के लिए युवा और कुशल श्रमशक्ति के निर्माण को बढ़ावा देगा

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को अग्निपथ योजना की घोषणा की। यह योजना देश के सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है और युवाओं के लिए राष्ट्र की सेवा करने का अवसर पैदा करती है। इसके अलावा, यह योजना सैन्य कार्यों के माध्यम से कुशल युवाओं का एक बड़ा समूह तैयार करती है जो भारत की समग्र रक्षा तैयारियों में योगदान कर सकते हैं और साथ ही अपने कौशल एवं अनुभव के जरिए अपने लिए अवसर पैदा कर सकते हैं तथा अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान कर सकते हैं। स्किल इंडिया तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) को अग्निपथ योजना से जुड़े होने पर गर्व है और ये इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में सशस्त्र बलों के साथ मिलकर काम करेंगे क्योंकि देश को युवा भारतीयों से लैस भविष्य के लिए तैयार एक सेना का निर्माण करना है।

स्किल इंडिया तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) सशस्त्र बलों के विभिन्न अंगों के साथ मिलकर काम करेंगे, जिससे छात्रों को अतिरिक्त कौशल में प्रशिक्षित किया जा सके ताकि वे इन नौकरियों से जुड़े दायित्वों के लिए बेहतर तरीके से अनुकूल साबित हो सकें। इसके अलावा, सभी अग्निवीरों को सेवा में कार्यरत रहने के दौरान स्किल इंडिया का प्रमाण – पत्र मिलेगा। यह प्रमाण – पत्र  उन्हें हमारी अर्थव्यवस्था में पैदा हो रही उद्यमिता और नौकरी की विभिन्न भूमिकाओं से संबंधित उन विविध अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा, जो उनके कार्यकाल की समाप्ति पर उपलब्ध होंगे। स्किल इंडिया के सभी संगठन – प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), विभिन्न क्षेत्र से जुड़े कौशल परिषद, एनआईईएसबीयूडी एवं आईआईई जैसे उद्यमिता संस्थान, साथ ही कौशल नियामक एनसीवीईटी, इस अभियान से जुड़े होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये अग्निवीर सेवा में कार्यरत रहते हुए अपनी नौकरी के दायित्वों से संबंधित आवश्यक कौशल प्रमाण – पत्र प्राप्त कर लें। नौकरी के दौरान सीखे गए कुछ कौशल एनएसक्यूएफ पाठ्यक्रम के सीधे समकक्ष हो सकते हैं। कुछ अन्य कौशल के लिए, अतिरिक्त ऑनलाइन या ऑफलाइन, सिद्धांत या व्यावहारिक कौशल के साथ – साथ कार्य के दौरान हासिल किए गए अनुभव का पूरक होना आवश्यक हो सकता है। इन विवरणों के साथ-साथ सशस्त्र बलों के प्रशिक्षकों और विशेष रूप से सशस्त्र बलों से जुड़े प्रशिक्षण का मूल्यांकन करने वाले कर्मियों के किसी भी प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्रमाणन से संबंधित सभी पहलुओं पर काम किया जा रहा है। सेवा से मुक्त होने के समय, संपूर्ण कौशल इकोसिस्टम इन युवा अग्निवीरों के लिए खुला होगा, जिसकी वजह से वे विविध कौशल उन्नयन/बहु-कौशल प्रशिक्षण और उद्यमिता से संबंधित पाठ्यक्रमों से लाभान्वित होंगे।

यह अग्निपथ योजना परिवर्तनकारी है। इसके परिणामस्वरुप, तकनीकी रूप से सक्षम एवं  युवा श्रमशक्ति के निर्माण के साथ-साथ राष्ट्र-प्रथम जैसे हमारी सेना के मूल मूल्यों का निर्माण होगा, जोकि भारत के निरंतर विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये अग्निवीर हमारी सीमाओं की रक्षा और भारत को एक आधुनिक एवं प्रौद्योगिकी संचालित युवा वैश्विक महाशक्ति बनने के करीब ले जाने के मामले में एक संपदा के रूप में काम आएंगे।

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‘लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है’: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन एक लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से राष्ट्र के हितों को नुकसान होगा। श्री नायडू ने लोगों से चरमपंथी प्रवृत्तियों से दूर रहने का आह्वाहन किया। नायडू ने उप-राष्ट्रपति निवास में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोगों से देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने का आह्वाहन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘घृणा और असहिष्णुता भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं।’ उपराष्ट्रपति ने इस बात को दोहराया कि भारत सबसे बड़ा संपन्न संसदीय लोकतंत्र है और ‘सर्व धर्म समभाव’ के सिद्धांत का अनुपालन करता है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शासकों ने भारतीयों के बीच एक हीन भावना उत्पन्न करने के प्रयास किए। श्री नायडू ने छात्रों से भारत की गौरवशाली सभ्यता पर गर्व करने का अनुरोध किया।

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छात्रों के विभिन्न सवालों के जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए ऊंचा लक्ष्य रखना, कड़ी मेहनत करना और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने छात्रों को अपने महान नेताओं के जीवन व शिक्षाओं के बारे में पढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए उनके गुणों को अपनाने की सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहते हैं कि छात्र अधिक से अधिक भाषाओं में दक्षता प्राप्त करते हुए अपनी मातृभाषा की रक्षा करें और उसे बढ़ावा दें। उन्होंने छात्रों को स्वस्थ भोजन अभ्यासों को अपनाने और नियमित व्यायाम करने की भी सलाह दी।

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अग्निपथ योजना के लिए आयु में छूट देना युवाओं के लिए सरकार की चिंता को दर्शाता है: – राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा है कि अग्निपथ योजना भारतीय युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में शामिल होने और अपनी मातृभूमि की सेवा करने का एक स्‍वर्णिम अवसर है। जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे पर आए श्री राजनाथ सिंह ने एक बयान में कहा कि कई युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने का अवसर नहीं मिल पाया, क्योंकि पिछले दो वर्षों से भर्ती प्रक्रिया सुचारु नहीं हो सकी थी। उन्होंने कहा कि युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर 2022 में भर्ती प्रक्रिया के लिए अग्निवीरों की भर्ती के उद्देश्य से आयु सीमा 21 वर्ष से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आयु में छूट देना इस बात का संकेत है कि सरकार को देश के युवाओं की परवाह है। सैन्य मामलों का विभाग, रक्षा मंत्रालय और सेनाएं जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए वचनबद्ध हैं। हम युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने और अग्निपथ के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करने के लिए आमंत्रित करते हैं।

बाद में, रक्षा मंत्री ने पहलगाम में जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड विंटर स्पोर्ट्स (जेआईएम एंड डब्ल्यूएस) की नौवीं कार्यकारी परिषद और चौथी आम सभा की बैठक में भाग लिया। राजनाथ सिंह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा की उपस्थिति में बैठक के दौरान संस्थान के सुचारू कामकाज तथा लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान को सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में प्रशिक्षकों और अनुदेशकों के कठोर प्रशिक्षण मानकों, उत्कृष्ट प्रबंधन, समर्पण तथा तकनीकी दक्षता की सराहना की, जिन्होंने देश में अग्रणी संस्थानों में से एक के रूप में जेआईएम एंड डब्ल्यूएस की स्थापना की है। उन्होंने पर्वतारोहण और संबद्ध गतिविधियों को न केवल शारीरिक सहनशक्ति बढ़ाने का, बल्कि मानसिक दृढ़ता एवं उत्साहवर्धन का भी प्रतीक बताया।

राजनाथ सिंह ने इन गतिविधियों में महिला प्रतिभागियों की बढ़ती संख्या की सराहना की, जिनमें कभी पुरुष प्रधानता देखी गई थी। उन्होंने उन दिव्यांगजनों का भी आभार व्यक्त किया जो कौशल तथा उत्साह के साथ पर्वतारोहण अभियान को पूरा कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने भारतीय पर्वतारोही सुश्री अरुणिमा सिन्हा का विशेष रूप से उल्लेख किया, जो अपने दृढ़ संकल्प के साथ माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला बनीं। उन्होंने कहा, इसी वजह से यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस संस्थान के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सदस्यता को बढ़ाया जाए। यह बताते हुए कि विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी में वृद्धि पर सरकार के ध्यान ने देश के विकास को एक नई ऊर्जा प्रदान की है, रक्षा मंत्री ने जेआईएम एंड डब्ल्यूएस को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और आगे बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ हाथ मिलाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में कई प्रौद्योगिकियां, विशेषज्ञता और नवाचार मौजूद हैं, जो सार्वजनिक क्षेत्र के पास उपलब्ध नहीं हैं। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि निजी क्षेत्र के साथ सहयोग से जेआईएम एंड डब्ल्यूएस को लोगों, विशेषकर युवाओं को पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों से जोड़ने और स्थानीय समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

रक्षा मंत्री ने संस्थान को अपने विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों, विशेष रूप से युवाओं को पर्वतारोहण और शीतकालीन खेलों से परिचित कराने तथा उनमें देशभक्ति, साहस एवं ऊर्जा का संचार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल इन गतिविधियों की लोकप्रियता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी बढ़ेगी और उन्हें अपनी संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलेगा। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि स्थानीय लोगों को न केवल शेरपा बल्कि राष्ट्रीय-सांस्कृतिक एकता में भागीदार होना चाहिए।

श्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के सरकार के संकल्प को दोहराया और कहा कि जेआईएम एंड डब्ल्यूएस जैसी संस्थाएं उस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने तथा देश की प्रगति में योगदान करने में मदद कर सकती हैं। पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने जेआईएम एंड डब्ल्यूएस जैसी संस्थाओं से पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पर्यटन को बढ़ावा देने और प्रकृति को संरक्षित करने में योगदान देने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के समापन पर कहा कि आने वाले समय में जेआईएम एंड डब्ल्यूएस दुनिया के अग्रणी संस्थानों में से एक बन जाएगा।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने संस्थान में कर्नल केएस मॉल बोल्डर क्लाइंबिंग वॉल और हिमालयन म्यूजियम का भी उद्घाटन किया। जेआईएम एंड डब्ल्यूएस का उद्देश्य युवाओं को प्रकृति से परिचित कराना और साहसिक खेलों के माध्यम से उनके व्यक्तित्व, चरित्र तथा आत्मविश्वास का विकास करना है।

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चांद आज कुछ कह रहा था

झरोखे में से झांक रहा था
चांद आज कुछ कह रहा था

एक अरसे से मुलाकात नहीं थी
जाने क्यों चांद में वो बात नहीं थी

खेल लुकाछिपी का खेल रहा था
और संग हवाओं के झूम रहा था

चंचल चितवन लिये डोल रहा था
जाने क्यों मन अपनी ओर खींच रहा था

रात आधी थी बात भी अधूरी थी
वो बस अपनी ही मौज में गुम हो रहा था

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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उत्तर प्रदेश ने औद्योगिक विकास की नई ऊँचाईयों को छुआ

कानपुर नगर, 21 जून, (सू0वि0) किसी देश, विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में वस्तुओं का निर्माण उत्पादन या सेवा प्रदान करने के मानवीय एवं मशीनरी कर्म को उद्योग कहा जाता है। उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते हैं, जिससे लोगों के रहन-सहन में सुधार होता है और दैनिक जीवन व जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है। लोगों को रोजगार मिलता है, देश का चतुर्दिक विकास होता है और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि, उचित जलवायु, कुशल अकुशल मजदूर, तकनीशियन, पूँजी, पावर के साधन, कच्चामाल, यातायात की सुविधा, बाजार की उपलब्धता, निर्यात-आयात की व्यवस्था, ऋण की सुविधा सरकारी सहायता आदि प्रमुख आवश्यकतायें होती हैं। उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला प्रदेश है। यहाँ मैनपावर, कच्चामाल, प्राकृतिक संसाधन, आवागमन के साधन, उद्योगों की स्थापना हेतु आरक्षित भूमि, एकल खिड़की से देय समस्त सुविधायें अच्छी कानून व्यवस्था आदि उद्योग स्थापित करने के लिए सभी संसाधन मौजूद हैं।

उत्तर प्रदेश में उद्योग स्थापना की नीति व सुधार
देश के मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में उद्योगों की स्थापना तेजी से हो रहे हैं। प्रदेश में उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2017 सहित 20 से अधिक सेक्टोरल नीतियों के साथ उद्यमिता, इनोवेशन तथा ’मेक इन यू0पी0’ केा बढ़ावा दिया गया है। प्रदेश सरकार ने श्रम, भूमि आवंटन, सम्पत्ति रजिस्ट्रेशन, पर्यावरणीय अनुमोदन, निरीक्षण विनिमय, कर भुगतान आदि क्षेत्रों में रिकार्ड 500 से अधिक सुधार लागू किये गये हैं। प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास के लिए 40 विभागों के 1400 से अधिक अनुपालन निरस्त किये हैं। प्रदेश सरकार ने डिजिटल सिंगल विण्डो क्लीयरेंस प्लेटफार्म में ’’निवेश मित्र’’ पोर्टल पर 29 विभागों की लगभग 349 सेवायें ऑनलाइन उपलब्ध है। जिसके माध्यम से निवेशकों/उद्यमियों को पूरी सुविधा दी जा रही है। इसके साथ ही स्टार्ट-अप नीति, इज आफ डूइंग बिजनेस, एक जनपद एक उत्पाद आदि प्रदेश सरकार द्वारा संचालित किये जा रहे कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रदेश में भारी संख्या में उद्योगों की स्थापना हो रही है।
उद्योगों की स्थापना हेतु प्रदेश में भूमि बैंक का सृजन
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश में औद्योगिक विकास तथा उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व से ही 20 हजार एकड़ भूमि बैंक की व्यवस्था की है, जिसके 5000 एकड़ से अधिक भूमि बैंक का विकास हो गया है और वहॉ उद्योगों की स्थापना हो रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए प्रदेश में निर्मित हो रहे एक्सप्रेस-वे के किनारों पर लगभग 22 हजार एकड़ भूमि चिन्हित की है। इन जमीनों में से विभिन्न विकास मॉडलों के माध्यम से औद्योगिक पार्कों की स्थापना हो रही है। इन जमीनों का औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा सिंगल विन्डो पोर्टल-निवेश मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवंटन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इसके अतिरिक्त लैण्ड बैंक में वृद्धि हेतु अनेक सुधारों की श्रृंखला में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप के लिए मिश्रित भूमि उपयोग की अनुमति देते हुए जोनल नियमों में संशोधन किया है। औद्योगिक भूमि के लिए तल क्षेत्रफल अनुपात (एफएआर) को बढ़ाकर 3.5 (2.5 अनुमन्य़1.0 खरीद योग्य एफएआर) कर दिया गया है। साथ ही उद्योगों की सरप्लस भूमि को सब डिवाइड करने में नीति अधिसूचित कर दी गई है। प्रदेश सरकार ने भूमि को गैर-कृषि घोषित करने के लिए 45 दिनों के भीतर आवेदन के निस्तारण का आदेश निर्गत किया है। औद्योगिक भूमि के लिए लैंड पूलिंग नीति अधिसूचित की गई है। अधिकतम सीमा से अधिक कृषि भूमि की खरीद में आसानी के लिए राजस्व संहिता को संशोधित किया गया है और अनुमोदन का अधिकार जिला स्तर पर प्रतिनिधानित किया गया है। प्रदेश के समस्त जनपदों में उद्योगों की स्थापना के लिए औद्योगिक एरिया रिजर्व किये गये है जो जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से जिले की समिति द्वारा ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों का आवंटन किया जाता है।
मैनपावर की उपलब्धता
मानव संसाधन उद्योग जगत की रीढ़ होती है। देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य होने के कारण यहॉ कुशल, अकुशल मजदूर, तकनीक, प्रवीण कौशल कारीगर, प्रबन्धन आदि के लिए मैनपावर की कमी नहीं है। जो लोग रोजी रोटी के लिए प्रदेश के बाहर अन्य प्रदेशों में जाते थे, वे प्रदेश में उद्योग लगने पर पलायन नहीं कर रहे हैं और प्रदेश में ही रहकर कार्य करते हुए प्रदेश के औद्योगिक विकास में सहभागी बन रहे हैं। उद्योगों के लिए मैनपावर हेतु कौशल विकास मिशन के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले, आई0टी0आई0, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग, कारीगरी, प्रबन्धन सहित विभिन्न क्षेत्रों में कुशल तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र/छात्रायें प्रदेश में लाखों की संख्या में है। सेवायोजन विभाग के ’एप’ पर पंजीकृत कराने के बाद विभिन्न औद्योगिक इकाईयॉ, कम्पनियॉ सीधे संबंधित शिक्षण संस्थानों से या रोजगार मेलों से भर्तियॉ करते हुए प्रदेश के नौजवानों को रोजगार दे रहे हैं।
कच्चा माल की मौजूदगी व निकटता
प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यक कच्चा माल उत्तर प्रदेश में मौजूद है। कृषि उत्पादों से बनने वाले विभिन्न खाद्यान्न वस्तुओं के लिए विभिन्न फसलों तिलहन, दलहन, सब्जियों, दुग्ध, मत्स्य आदि सहित इंजीनियरिंग, धातु, पत्थर, धागे, हैन्डलूम की वस्तुऐं आदि कच्चे माल प्रदेश में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की अन्य प्रदेशों से कनेक्टिविटी/यातायात के साधन अच्छी होने के कारण अन्य प्रदेशों से भी कच्चामाल आने की निकटता है। जिससे उद्योग स्थापना में कोई समस्या नहीं है।
उ0प्र0 में यातायात के अच्छे साधन/अच्छी कनेक्टिविटी
उत्तर प्रदेश में सड़कों का जाल विछाया गया है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रत्येक गॉवों में बनाये गये सम्पर्क मार्गों को मुख्य सड़कों से जोड़ा गया है। इसके साथ ही प्रमुख उत्पादित वस्तुओं एवं निर्यात केन्द्रों को निर्वाध कनेक्टिविटी दी गई है। प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे सहित 4 एक्सप्रेस-वे संचालित हैं और बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे गोरखपुर लिंग एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन है जो शीघ्र बनकर प्रदेश की कनेक्टिविटी को और सुगम बना देंगे। एअर कनेक्टिविटी में भी उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है। जेवर और अयोध्या एअरपोर्ट बनने पर उ0प्र0 5 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों का देश में एकमात्र प्रदेश होगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश की क्षेत्रीय स्तर पर विभिन्न स्थानों पर एअरपोर्ट बनाये गये हैं। प्रदेश के 5 शहरों में मेट्रों संचालित है। देश के विभिन्न कोनों से रेलगाड़ियों की अच्छी सुविधा है। प्रदेश में वाराणसी से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 संचालित है। उ0प्र0 में यातायात के अच्छे संसाधन से वस्तुओं का त्वरित गति से गन्तव्य तक पहुॅचने में सुविधा हो रही है।
लॉजिस्टिक्स की सुलभता में उ0प्र0 छठे स्थान पर पहुॅचा
आज के व्यवसायिक युग में उत्पादों को शीघ्रता से उपभोक्ताओं तक पहुचाना सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धता होती है। उ0प्र0 ने अवस्थापना सुविधाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स सेवाओं की उपलब्धता तथा विश्वसनीयता परिचालन एवं नियामक वातावरण आदि के मापदण्डों पर अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में उ0प्र0 ने तेजी से विकास किया है।
बाजार की उपलब्धता
उ0प्र0 देश की बड़ी जनसंख्या का प्रदेश होने के कारण यहॉ निर्मित/उत्पादित वस्तुओं का स्वयं में बड़ा बाजार है। आज खाद्यान्न वस्तुओं की उत्पादित सामग्री सहित पैकेट में बने जंकफूड, ड्रिक्स, दुग्ध उत्पाद आदि दैनिक व भौतिक समस्त वस्तुयें गॉव-गॉव क्रय किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त हर तरह के सूती, ऊनी वस्त्र, मोटर वाहन, दो पहिया वाहन, कृषि व विभिन्न उद्योगों, कुटीर उद्योगों की मशीनरी, उपकरण, कम्प्यूटर, कागज, खिलौने, दियासलाई, कॉच की वस्तुए, सभी धातुओं के वर्तन, सभी तरह के इलेक्ट्रानिक वस्तु, फर्नीचर आदि उत्पाद का उ0प्र0 अच्छा बाजार है। इसके अतिरिक्त उत्पादित वस्तुओं का राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में निर्यात के लिए पूरी सहायता दी जाती है। निर्यात एवं प्रोत्साहन तथा विदेश व्यापार के लिए सरकारी स्तर के विभाग है जो पूर्ण सुविधा दे रहे हैं।
सरकारी सहायता
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का मन्तव्य है कि प्रदेश सरकार उद्यमियों और निवेशकर्ताओं को पूरी सुविधा व हर सम्भव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की नीतियों के माध्यम से उनको हर तरह का संरक्षण दिया जायेगा। प्रदेश सरकार भूमि, स्टाम्प शुल्क में छूट, बैंकों से आवश्यक ऋण, अनुदान आदि समस्त सुविधायें दे रही है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की स्थापना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जनपद एक उत्पाद, हस्तशिल्प, इज आफ डूइंग विजनेश, स्टार्ट-अप मेक इन यू0पी0 सहित विभिन्न उद्यमों की स्थापना हेतु प्रदेश सरकार ऋण व अनुदान दे रही है। भारत सरकार की मुद्रा योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैण्ड-अप इंडिया, मेक इन इंडिया एवं अन्य मिशन मोड कार्यक्रमों एवं योजनाओं को समन्वित करते हुए प्रदेश सरकार की योजनाओं का निर्माण किया गया है।
आयोजित यू0पी0 इन्वेस्टर्स समिट के ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी में हुए लाखों करोड़ रूपये के निवेश
आयोजित यू0पी0 इन्वेस्टर्स समिट के ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी में लाखों करोड़ रूपये का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं। मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने फरवरी, 2018 में यू0पी0 इन्वेस्टर्स समिट-2018 का शुभारम्भ किया था। जिसमें लगभग 4.68 लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। दूसरी ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी में भी लाखों रूपये के निवेश प्रस्ताव आये। प्राप्त निवेश प्रस्तावों में 03 लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव पहले ही जमीनीं स्तर पर उतारे गये हैं। 03 जून, 2022 को मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा तृतीय ग्राउण्ड ब्रेकिंग समारोह में 80,224 करोड़ रूपये की 1406 निवेश परियोजनाओं का शुभारम्भ किया गया है। ये परियोजनायें प्रमुख रूप से डाटा संेंटर क्षेत्र में 25 प्रतिशत, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में 14 प्रतिशत, आई0टी0 एवं इलेक्ट्रानिक क्षेत्र में 10 प्रतिशत, इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 08 प्रतिशत, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 08 प्रतिशत, हथकरघा एवं टेक्सटाइल क्षेत्र में 07 प्रतिशत, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 06 प्रतिशत, एमएसएमई क्षेत्र में 06 प्रतिशत सहित विभिन्न क्षेत्रों में परियोजनायें स्थापित हो रही हैं। इन परियोजनाओं से लगभग 05 लाख प्रत्यक्ष एवं 20 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। प्रदेश में मा0 प्रधानमंत्री जी के रिफॉर्म, परफार्म तथा ट्रान्सफॉर्म के तीन मंत्र को प्रदेश सरकार ने अंगीकृत करते हुए देश की छठी अर्थव्यवस्था से उ0प्र0 देश की दूसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

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मिशन शक्ति फेज 4 (उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल) के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर योग कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 21 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कालेज, कानपुर में मिशन शक्ति फेज 4 (उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल) के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम को प्राचार्य डाॅ जोसेफ डेनियल के नेतृत्व में मिशन शक्ति प्रभारी डाॅ मीतकमल द्विवेदी ने संचालित किया एवं एनसीसी कैडेट्स की भी प्रतिभागिता रही। योगाचार्य वेद प्रकाश जी एवं योगाचार्य निधि प्रकाश ने छात्रों को योग के फायदे के बारे में जानकारी दी और उन्हें विभिन्न योगासन ताड़ासन, कटिचक्रासन, अर्धचंद्र आसन को करने की सही तरीके के विषय में बताया ।उन्होंने छात्रो के बौद्धिक विकास और मानसिक संतुलन के लिए आवश्यक योगासनों से अवगत कराया । उन्हे कैसे अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए इस विषय मे भी जानकारी दी । कॉलेज की उप प्राचार्या सबीना बोदरा, एनसीसी केयरटेकर हिमांशु दीक्षित, रिषभ आदि भी मौजूद रहे ।100 से अधिक छात्र -छात्राएं इस कार्यक्रम सम्मिलित हुए।

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क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योगा सत्र आयोजित

कानपुर 21 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में योगा सत्र का आयोजन किया गया। इसका आरंभ कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ सबीना बोदरा तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा के निर्देशन में हुआ।तथा इस अवसर पर कालेज के अध्यापक डॉ रवि महलवाला,डॉ जुनेजा भी उपस्थित रहे।इसके उपरांत आए हुए योग प्रशिक्षक डॉ बीएन आचार्य जी तथा योगाचार्य पूनम बाजपेई उनके सहयोगी मानवी तथा शिवा द्वारा योग सत्र को प्रारंभ किया गया प्रशिक्षकों द्वारा योग दिवस के अवसर पर मानव शरीर स्वस्थ रखने के अनेक उपाय बताए तथा योग से होने वाले लाभों से अवगत कराया।इसके साथ आज के कार्यक्रम का समापन डॉ सुनीता वर्मा ने अपनी एनएसएस इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन दीक्षित तथा सह प्रमुख विलायत फातिमा,मोमिनअली ने अपनी टीम जिनमें अरबाज खान,सुप्रिया दास,पवन श्रीवास्तव, अरफिया, फरीना,अभिषेक के साथ मिलकर किया

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