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भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 50 लाख प्रवासियों को 85 लाख से भी अधिक ‘मुफ्त भोजन’ और 1.25 करोड़ ‘मुफ्त पानी की बोतलें’ वितरित कीं

भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वाले लगभग 50 लाख प्रवासियों को 85 लाख से भी अधिक ‘मुफ्त भोजन’ और लगभग 1.25 करोड़ ‘मुफ्त पानी की बोतलें’ वितरित कीं

भारतीय रेलवे (Indian Railway) का दावा-  3,276 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनों' से करीब 42 लाख प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया गया

 भारतीय रेलवे ने 1 मई, 2020 से ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वाले लगभग 50 लाख प्रवासियों को 85 लाख से भी अधिक ‘मुफ्त भोजन’ और लगभग 1.25 करोड़ ‘मुफ्त पानी की बोतलें’ वितरित की हैं। इसमें भारतीय रेलवे के पीएसयू आईआरसीटीसी द्वारा तैयार किए जा रहे और जोनल रेलवे द्वारा वितरित किए जा रहे भोजन शामिल हैं।सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा कर रहे प्रवासियों को भोजन और पानी की बोतलें उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। आईआरसीटीसी यात्रा कर रहे प्रवासियों को रेल नीर पानी की बोतलों के साथ भोजन के रूप में पुरी-सब्जी-अचार, रोटी-सब्जी-अचार, केला, बिस्कुट, केक, बिस्कुट-नमकीन, केक-नमकीन, शाकाहारी पुलाव, पाव भाजी, नींबू-चावल-अचार, उपमा, पोहा-अचार, इत्‍यादि उपलब्‍ध करा रही है।

विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों और अन्य व्यक्तियों की विशेष रेलगाड़ियों से आवाजाही के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद भारतीय रेलवे 1 मई 2020 से ही ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन कर रही है। 28 मई 2020 तक देश भर के विभिन्न राज्यों से 3736 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाई गई हैं, जबकि लगभग 67 ट्रेनें पाइपलाइन में हैं। 27 मई 2020 को 172 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रवाना की गईं। अब तक 27 दिनों में लगभग 50 लाख प्रवासियों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से उनके गृह राज्‍यों में ले जाया गया है। उल्लेखनीय है कि आज चलने वाली ट्रेनों को किसी भी तरह के ट्रैफि‍क जाम (कंजेशन) का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

ये 3736 ट्रेनें विभिन्न राज्यों से रवाना हुई थीं। जिन शीर्ष पांच राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से अधिकतम ट्रेनें रवाना हुई हैं, उनमें गुजरात (979 ट्रेनें), महाराष्ट्र (695 ट्रेनें), पंजाब (397 ट्रेनें), उत्तर प्रदेश (263 ट्रेनें) और बिहार (263 ट्रेनें) शामिल हैं।

इन ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन देश भर के विभिन्न राज्यों में समाप्त हुआ। जिन शीर्ष पांच राज्यों में अधिकतम ट्रेनों का परिचालन समाप्त हुआ है, उनमें उत्तर प्रदेश (1520 ट्रेनें), बिहार (1296 ट्रेनें), झारखंड (167 ट्रेनें), मध्य प्रदेश (121 ट्रेनें) और ओडिशा (139 ट्रेनें) शामिल हैं।

श्रमिक स्‍पेशल ट्रेनों के अलावा, रेलवे नई दिल्ली से जुड़ने वाली 15 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चला रही है। रेलवे ने समय सारणी के अनुसार 1 जून से 200 और ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है।

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उत्तरी भारत भर में विशाल टिड्डी दलों के पहुंचने के बीच राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे प्रभावित राज्यों में नियंत्रण अभियानों में तेजी लाई गई

टिड्डी दल का आक्रमण: टिड्डियों से ...

पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत भर में विशाल टिड्डी दलों के पहुंचने के बीच, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे प्रभावित राज्यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयों में तेजी लाए हैं। आज तक, ये टिड्डी दल राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, जयपुर जिलों और मध्य प्रदेश के सतना, ग्वालियर, सीधी, राजगढ़, बैतूल, देवास, आगर मालवा जिलों में सक्रिय हैं।

वर्तमान में 200 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) प्रभावित राज्यों के जिला प्रशासन और कृषि फील्‍ड मशीनरी के साथ तालमेल कायम करते हुए सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। राज्य कृषि विभागों और स्थानीय प्रशासन के समन्वय के साथ टिड्डी नियंत्रण का कार्य जोरों पर हैं। अब तक राजस्थान के 21 जिलों, मध्य प्रदेश के 18 जिलों, पंजाब के एक जिले और गुजरात के 2 जिलों में टिड्डी नियंत्रण कार्य किया गया है। अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्रों से परे टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए, राजस्थान के अजमेर, चित्तौड़गढ़ और दौसा; मध्य प्रदेश के मंदसौर, उज्जैन और शिवपुरी तथा उत्तर प्रदेश के झांसी में अस्थायी नियंत्रण शिविर स्थापित किए गए हैं।

अब तक (26.05.2020 तक), राजस्थान,पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश में जिला प्रशासन और राज्य कृषि विभाग के साथ समन्वय करते हुए एलसीओ द्वारा कुल 303 स्थानों के 47,308 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों पर  नियंत्रण पाने की कार्रवाइयां की गई हैं। टिड्डियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण पाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 89 दमकल गाडि़यों; 120 सर्वेक्षण वाहनों; छिड़काव करने वाले उपकरणों और 810 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर युक्‍त 47 नियंत्रण वाहनों को आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग दिनों के दौरान तैनात किया गया।

आमतौर पर, टिड्डी दल पाकिस्तान के रास्‍ते से भारत के अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में जून / जुलाई के महीने में मानसून के आगमन के साथ ग्रीष्‍मकालीन प्रजनन के लिए प्रवेश करते हैं। इस वर्ष हालांकि इन हॉपर और गुलाबी रंग की टिड्डियों का प्रवेश समय से काफी पहले हो गया है, जिसकी वजह पाकिस्तान में पिछले सीजन में टिड्डियों की अवशिष्ट आबादी की उपस्थिति बताई गई हैं, जिन्‍हें वह नियंत्रित नहीं कर सका था। राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती जिलों में 11 अप्रैल, 2020 से टिड्डी हॉपर और 30 अप्रैल, 2020 से गुलाबी अपरिपक्व वयस्क टिड्डियों के प्रवेश की सूचना मिल रही है, जिन्हें नियंत्रित किया जा रहा है। गुलाबी अपरिपक्व वयस्क ऊंची उड़ान भरते हैं और पाकिस्तान की तरफ से आने वाली पश्चिमी हवाओं के साथ एक दिन में एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक की लंबी दूरी तय करते हैं। इनमें से अधिकांश गुलाबी अपरिपक्व वयस्क रात को पेड़ों पर ठहरते हैं और ज्यादातर दिन में उड़ान भरते हैं।

इस वर्ष समय से पहले टिड्डी दलों के हमले से चिंतित केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने प्रभावित राज्‍यों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए 6 मई, 2020 को कीटनाशक निर्माताओं और सभी संबंधित हितधारकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। कृषि मंत्री श्री तोमर के निर्देशों का पालन करते हुए 22 मई, 2020 को सचिव (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) श्री संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में पंजाब, राजस्थान, गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के टिड्डियों के खतरे वाले जिलों के जिला प्रशासन और जिला कृषि अधिकारियों और एनडीएमए  के प्रतिनिधियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बैठक में राज्यों के साथ टिड्डी के बारे में जागरूकता फैलाने वाला साहित्य, एसओपी, स्‍वीकृत कीटनाशक और जागरूकताफैलाने वाले वीडियो साझा किए गए। इससे पहले, 5 मई, 2020 को राजस्थान, गुजरात और पंजाब के टिड्डी दल के हमले की आशंका वाले जिलों के प्रधान सचिव (कृषि) और डीएम के साथ सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें आवश्‍यक कार्रवाई करने के लिए टिड्डी दल के हमले की आशंका वाले राज्यों के साथ तैयारियों और तालमेल बनाए रखने की समीक्षा की गई। 

भारत में एफएओ प्रतिनिधि के कार्यालय में 11 मार्च, 2020 को दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों में डेजर्ट लोकस्ट के बारे में एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल  बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में चार सदस्य देशों (अफगानिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान) और एफएओ, रोम के प्लांट प्रोटेक्शन डिवीजन के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया था। इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्री कैलाश चौधरी और सचिव, डीएसी एंड एफडब्ल्यू ने भाग लिया था। इस बैठक में सदस्य देशों के तकनीकी अधिकारियों की स्काइप के माध्यम से प्रत्येक सोमवार को वर्चुअल  बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया था और अब तक ऐसी नौ बैठकें हो चुकी हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों को टिड्डी दल के हमले तथा उन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक उपायों और फसल वाले क्षेत्रों में असरदार कीटनाशकों के उपयोग के बारे में परामर्श जारी किए गए हैं।

वर्तमान में टिड्डी नियंत्रण कार्यालयों में 21 माइक्रोनेयर और 26 उल्‍वामास्ट (47 छिड़काव उपकरण) हैं, जिनका उपयोग टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए किया जा रहा है। कृषि मंत्री श्री तोमर के अनुमोदन पर, अतिरिक्त 60 स्प्रेयर्स के लिए मेसर्स माइक्रोन, ब्रिटेन को सप्‍लाई ऑर्डर दिया गया है। ऊंचे पेड़ों और दुर्गम क्षेत्रों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के एरियल स्‍प्रे हेतु ड्रोन सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों को सूचीबद्ध करने के लिए ई-निविदा आमंत्रित की गई है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 21 मई, 2020 को ‘’टिड्डियों पर नियंत्रण पाने संबंधी कार्रवाइयों के लिए रिमोट पाइलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम के उपयोग के लिए सरकारी इकाई (डीपीपीक्‍यूएस) को सशर्त छूट” को मंजूरी प्रदान की है और इस आदेश के अनुसार, टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के छिड़काव हेतु ड्रोन के उपयोग के लिए निविदा के जरिए दो कम्‍पनियां तय की गई हैं।  

इस बीच, नियंत्रण क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त 55 वाहनों की खरीद के लिए आपूर्ति आदेश दिया गया है। टिड्डी नियंत्रण संगठनों के पास कीटनाशकों का पर्याप्त  भंडार (53,000 लीटर मैलाथियान) बनाए रखा जा रहा है। कृषि यांत्रिकीकरण पर उप-मिशन के तहत, राजस्थान के लिए 2.86 करोड़ रुपये की लागत से 800 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रे उपकरणों की सहायता स्वीकृत की गई है। इसके अलावा, वाहनों, ट्रैक्टरों को भाड़े पर लेने और कीटनाशकों की खरीद के लिए आरकेवीवाई मंजूरी के तहत 14 करोड़ रुपये मूल्‍य राजस्थान के लिए जारी किए गए हैं। वाहनों, छिड़काव उपकरणों, सेफ्टी यूनिफॉर्म, एंड्रॉइड एप्लिकेशन की खरीद और प्रशिक्षण के लिए 1.80 करोड़ रुपये की लागत से आरकेवीवाई मंजूरी गुजरात के लिए भी जारी की गई है।

एफएओ के 21 मई, 2020 के लोकस्‍ट स्‍टेट्स अपडेट के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका में वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है जहां यह खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए एक अभूतपूर्व खतरा बना हुआ है। नए टिड्डी दल  भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर के साथ-साथ सूडान और पश्चिम अफ्रीका के ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्रों में दाखिल होंगे। जैसे-जैसे वनस्पति सूखती जाएगी, इनके और अधिक झुंड और दल तैयार होंगे और इन क्षेत्रों से भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर ग्रीष्‍म प्रजनन क्षेत्रों का रुख करेंगे। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे क्षेत्रों में जून के शुरुआती दिनों के दौरान अच्छी बारिश का पूर्वानुमान व्‍यक्‍त किया गया है, जो इनके लिए अंडे देने हेतु अनुकूल है ।

वर्ष 2019-20 के दौरान, भारत में बड़े पैमाने पर टिड्डियों का हमला हुआ, जिसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। 21 मई, 2019 से लेकर 17 फरवरी 2020 तक, कुल 4,03,488 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार किया गया और टिड्डियों को नियंत्रित किया गया। इसके साथ ही, राजस्थान और गुजरात के राज्य कृषि विभाग ने राज्य के फसल वाले क्षेत्रों में टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए तालमेल किया। वर्ष 2019-20 के दौरान, राजस्थान के 11 जिलों के 3,93,933 हेक्टेयर क्षेत्र; गुजरात के 2 जिलों के 9,505 हेक्टेयर क्षेत्र और पंजाब के 1 जिले के 50 हेक्टेयर क्षेत्र में नियंत्रण कार्य किए गए । 16-17 जनवरी 2019 को भारत का दौरा करने वाले एफएओ के सीनियर लोकास्‍ट फोरकास्टिंग ऑफिसर ने टिड्डियों को नियंत्रित करने में भारत की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना भी की।

टिड्डी नियंत्रण संगठन और जिला प्राधिकरण तथा राज्य कृषि विभाग के अधिकारी प्रतिदिन प्रातकाल के समय एलसीओ के कंट्रोल स्प्रे व्‍हीकल्‍स,  ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर्स  और दमकल गाडि़यों  के साथ टिड्डी नियंत्रण कार्य कर रहे हैं। अपरिपक्व टिडि्डयां बहुत सक्रिय हैं और उनकी गतिशीलता इस दल को एक स्थान पर नियंत्रित करना मुश्किल बना देती है और विभिन्न स्थानों पर किसी विशेष टिड्डी दल को नियंत्रित करने में 4 से 5 दिन का समय लगता है।

 टिड्डी एक सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता होती है। यह दो देशों की सीमाओं के आर-पार जाने वाला या ट्रांस-बॉर्डर कीट है और विशाल दल  में फसल पर हमला करता है। अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में पाया जाने वाला यह कीट करीब 60 देशों में पाया जाता है और यह पृथ्वी की भू सतह के वन-फिफ्थ हिस्से को कवर कर सकते हैं। डेजर्ट लोकस्ट की विपत्ति विश्‍व की मानव आबादी के दसवें हिस्से की आर्थिक आजीविका के लिए खतरा बन सकती है। ग्रीष्‍म  मानसून सीजन के दौरान अफ्रीका / खाड़ी / दक्षिण पश्चिम एशिया से ये टिड्डी दल भारत में दाखिल होते हैं और वसंतकालीन प्रजनन के लिए ईरान, खाड़ी और अफ्रीकी देशों की ओर लौट जाते हैं।

भारत में 2 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत आता है। टिड्डी चेतावनी संगठन और भारत सरकार के 10 टिड्डी सर्कल कार्यालय (एलसीओ) राजस्थान (जैसलमेर, बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर, जालौर, चुरू, नागौर, सूरतगढ़) और गुजरात (पालमपुर और भुज) राज्य सरकारों के साथ समन्वय करते हुए अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में डेजर्ट लोकस्‍ट के नियंत्रण, निगरानी, सर्वेक्षण के लिए उत्‍तरदायी हैं।

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जिला जज ने किया वर्चुअल कोर्ट से न्यायिक कार्य

जिला जज कानपुर नगर ने वर्चुअल कोर्ट से किया न्यायिक कार्य का प्रारंभ

कानपुर-माननीय उच्च न्यालय इलाहाबाद के निर्देशानुसार दिनांक 26.05.2020 से जिला न्यायालय कानपुर नगर सीमित न्यायिक कार्य संपादित करने हेतु खोला गया। न्यायिक कार्य का प्रारंभ स्वयं जनपद न्यायाधीश श्री ए के सिंह द्वारा वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से किया गया तथा अर्जेंट प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया गया। इसी प्रकार विशेष क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय,न्यायालय मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट व विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा भी अलग-अलग टाइम स्लॉट मे वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से न्यायिक कार्य संपादित किया गया। जनपद न्यायाधीश श्री ए के सिंह के द्वारा अन्य अधिकारियों के साथ जिला न्यायालय परिसर का निरीक्षण किया गया तथा समस्त कर्मचारियों को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने हेतु निर्देशित किया। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार न्यायालय परिसर का प्रतिदिन सैनिटाइजेशन करवाया जाएगा तथा मात्र 10% कर्मचारी ही न्यायालय आएंगे। यह सूचना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कानपुर नगर के सचिव श्री ऐश्वर्य प्रताप सिंह द्वारा प्रदान की गई।

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कानपुर में आज 4 करोना संक्रमित मिले

आज 4 नए केस मिले पॉजिटिव

2 डिप्टी पड़ाव और 2 प्रवासी मजदूरों के पॉजिटिव केस मिले ।

कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या है 337

आज 1 मरीज सही होकर हुए डिस्चार्ज ।

कानपुर में अब तक ठीक होकर डिस्चार्ज हुए मरीजों का संख्या 300

कानपुर में कुल एक्टिव केस 26

अब तक 11 लोगो की हो चुकी है मौत

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कोविड के बाद भारत और मजबूती से उभरेगा तथा विश्व बिरादरी में सम्मान पाएगा: डॉ जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि कोविड के बाद भारत और मजबूती से उभरेगा तथा विश्व बिरादरी में सम्मान पाएगा।

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एक निजी टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि संकट की इस घड़ी में सभी शंकाओं और पूर्वानुमानों के बावजूद उन्हें यह भरोसा है कि आज से 6 महीने बाद दुनिया भारत को सम्मान की दृष्टि से देखेगी और हमारे साथ जुड़ने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि यही नहीं, भारत व्यवसाय के लिए भी एक सुरक्षित जगह के रूप में उभरेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा समय रहते लाकडाउन की घोषणा करने से भारत को कोविड के बाद की दुनिया के मानकों के अनुसार खुद को तैयार करने में काफी मदद मिली। पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो आमतौर पर पर्यटन पर ही निर्भर है, का प्रभारी होने के नाते जब उनसे खास तौर पर कोविड महामारी के प्रभाव के बारे में पूछा गया तो डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को निश्चय ही पर्यटन में फायदा होगा और यह यूरोप सहित अन्य पश्चिम देशों के सैलानियों को आकर्षित करना शुरू कर सकता है क्योंकि जब उन देशों के ज्यादातर पर्यटक स्थल कोरोना से बुरी तरह प्रभावित रहे तब भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र ही है जो नि:संदेह कोरोना से मुक्त रहा और सिक्किम जैसे कुछ लोकप्रिय पर्यटक स्थल में तो कोरोना का एक भी पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया। डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक व्यापार की बात है तो भारत के सामने एक मौका है कि वह अपने ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को पूरी ताकत से आगे बढ़ाए। इस बारे में उन्होंने बांस का उदाहरण दिया जिसमें सालाना 5000 से 6000 करोड़ रुपए का कारोबार होता है और एक बड़े अनुपात में अगरबत्ती एवं बांस से बनी अन्य वस्तुएं दूसरे देशों से आयात कराई जाती हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह हमारा फार्मा उद्योग पहले ही तेजी पकड़ चुका है और कोविड के संदर्भ में भी हम दवाइयां और टीके बनाने की ओर अग्रसर हैं और इस तरह वह भी निर्यात के लिए हमारे हाथ में होगा। जब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए हाल ही में जारी की गई अधिवास अधिसूचना के बारे में पूछा गया तो डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह उस प्रक्रिया का विस्तार है जिसकी शुरुआत 5 अगस्त 2019 में की गई थी और अब यह तार्किक समापन की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी इस फैसले के सकारात्मक नतीजों को महसूस करेगी ।

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भारतीय दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग में निवेश करने के लिए जापानी कंपनियों को आमंत्रित किया गया

कोविड – 19 के बाद के परिदृश्य में भारत और जापान के बीच व्यापार सहयोग के लिए “चिकित्सा उपकरण और एपीआई सेक्टर: चुनौतियाँ तथा उभरते अवसर” विषय पर 22 मई, 2020 को सुबह 11.30 बजे एक वेबिनार आयोजित किया गया। इस वेबिनार को औषध विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से भारत के दूतावास, टोक्यो द्वारा आयोजित किया गया किया गया था।

जापान में भारत के राजदूत श्री संजय कुमार वर्मा ने कोविड – 19 संकट के संदर्भ में आपसी संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए भारत और जापान के लिए मौजूद इस सुनहरे अवसर पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव डॉ. पी डी वाघेला ने भारत में दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग पर तथा क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर प्रस्तुति दी। उन्होंने देश में व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों को भी प्रस्तुत किया। फार्मास्यूटिकल्स विभाग के संयुक्त सचिव श्री नवदीप रिणवा ने बल्क ड्रग और चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विभाग की योजनाओं जैसे उत्पादन से जुडी प्रोत्साहन योजनाएँ, बल्क ड्रग / चिकित्सा उपकरण पार्कों को प्रोत्साहन आदि के बारे में बताया। उन्होंने प्रतिनिधियों से योजनाओं का लाभ उठाने का अनुरोध किया।

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फार्मास्यूटिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन और जापान फेडरेशन ऑफ मेडिकल डिवाइसेस एसोसिएशन ने कोविड – 19 के बाद की स्थिति में दवा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की चुनौतियों एवं अवसरों तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर इसके प्रभाव के बारे में विचार – विमर्श किया। दोनों संगठनों ने सुझाव दिया कि दोनों देशों के बीच सहयोग आपूर्ति-श्रृंखला विशेष रूप से एपीआई और चिकित्सा उपकरणों को स्थिरता प्रदान करने में योगदान दे सकता है। जेईटीआरओ, चेन्नई के प्रतिनिधि ने एपीआई क्षेत्र और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में चुनौतियों और उभरते अवसरों पर अपने विचार व्यक्त किये।

सुश्री मोना के सी खानधर, मंत्री (आर्थिक और वाणिज्य), ईओआई, टोक्यो ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और मजबूती के बारे में उल्लेख किया और कोविड -19 संकट को दूर करने और निवेश में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन और सुधार पैकेजों पर विस्तृत जानकारी दी। भारतीय अर्थव्यवस्था में लाभ, एफडीआई पारितंत्र और जापान के लिए विशिष्ट सुविधाओं का भी उल्लेख किया गया।

जापानी सहायक कंपनियों, निप्रो इंडिया कॉर्प और ईसाइ फार्मास्यूटिकल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने मेक इन इंडिया ’कार्यक्रम के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी और अपने अनुभव साझा किये।

प्रमुख भारतीय फार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भारत में दवा और चिकित्सा उपकरण उद्योग में भविष्य के अवसरों पर अपने विचार साझा किये।

​गुजरात, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और गोवा की राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों में निवेश के अवसरों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किये, जिसमें प्रोत्साहन पैकेज और टैक्स लाभ, कारोबार शुरू करने में आसानी, भूमि उपलब्धता, ढांचागत सुविधाएं, नियामक ढांचा आदि शामिल थे। प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों में निवेश के लिए जापानी कंपनियों को आमंत्रित किया।

वेबिनार में जी2बी और बी2बी नेटवर्किंग के हिस्से के रूप में आंध्र प्रदेश मेडटेक ज़ोन, वॉकहार्ट, सन फार्मा, पैनासिया बायोटेक और बड़ी संख्या में जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

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गृह मंत्रालय ने देश के बाहर फंसे भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत में फंसे उन लोगों की आवाजाही के लिए भी ‘एसओपी’ जारी किया है जो जरूरी कारणों से विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने देश के बाहर फंसे भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत में फंसे उन लोगों की आवाजाही के लिए भी एक मानक परिचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) जारी किया है जो जरूरी कारणों से विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं। यह आदेश इसी विषय पर एमएचए के 05 मई, 2020 के आदेश का अधिक्रमण करेगा यानी उसका स्‍थान लेगा। ये एसओपी भूमि सीमाओं के जरिए आने वाले यात्रियों पर भी लागू होंगे।

कोविड-19 महामारी के फैलाव को रोकने के उद्देश्‍य से लॉकडाउन उपायों के तहत यात्रियों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर पाबंदी लगा दी गई है। उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार, ऐसे कई भारतीय नागरिक हैं जो रोजगार, अध्ययन/इंटर्नशिप, पर्यटन एवं व्यवसाय (बिजनेस) जैसे विभिन्न उद्देश्यों से लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले ही अलग-अलग देशों में गए थे और अब वे विदेश में फंसे हुए हैं। लंबे समय तक विदेश में रहने के कारण वे मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और तत्काल भारत लौटने के इच्छुक हैं। उपर्युक्त लोगों के अलावा भी ऐसे कई अन्य भारतीय नागरिक हैं जिनके लिए चिकित्सकीय आपात स्थिति या परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के कारण भारत आना अत्‍यंत आवश्यक है। इसी तरह भारत में भी ऐसे कई लोग फंसे हुए हैं, जो विभिन्न उद्देश्यों से तत्‍काल विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं।

विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों की यात्रा के लिए, ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो भारी संकट से जूझने के कारण स्‍वदेश आने के लिए विवश हो गए हैं। इनमें ये लोग शामिल हैं- प्रवासी कामगार/श्रमिक जिनकी छंटनी कर दी गई है;  वीजा की अवधि की समाप्ति की समस्‍या से जूझ रहे अल्पकालिक वीजा धारक; आपातकालीन चिकित्सा की जरूरत वाले लोग/गर्भवती महिलाएं/बुजुर्ग;  परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के कारण भारत लौटने के इच्‍छुक लोग; और विद्यार्थी।

इस तरह के व्यक्तियों को उस देश में स्थित भारतीय मिशन में विदेश मंत्रालय द्वारा निर्धारित आवश्यक विवरण के साथ खुद को पंजीकृत कराना होगा जहां वे फंसे हुए हैं। ये लोग नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अनुमति के अनुसार गैर अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों और सैन्य कार्य विभाग (डीएमए)/शिपिंग मंत्रालय की अनुमति के अनुसार जहाज से भारत की यात्रा करेंगे। यात्रा का खर्च यात्रियों को ही वहन करना होगा। इसके अलावा, केवल उन्‍हीं लोगों को भारत की यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी जिनमें कोविड बीमारी का कोई भी लक्षण नहीं है।

विदेश मंत्रालय (एमईए) इस तरह के सभी यात्रियों के प्रासंगिक विवरण सहित उड़ान/जहाज वार डेटाबेस तैयार करेगा और इसे संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के साथ अग्रिम रूप से साझा करेगा। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय हर राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के लिए अपने प्रमुख (नोडल) अधिकारियों को निर्दिष्‍ट करेगा, जो संबंधित राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा इस उद्देश्य के लिए निर्दिष्‍ट किए गए नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय स्‍थापित करेंगे। आने वाली उड़ान/जहाज की समय-सारणी (आगमन का दिन, स्थान और समय) को विदेश मंत्रालय द्वारा अपने ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कम से कम दो दिन के नोटिस पर दर्शाया जाएगा।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ‘क्‍वारंटाइन व्यवस्था सहित अंतर्राष्ट्रीय आगमन से जुड़े दिशा-निर्देश’ भी गृह मंत्रालय के एसओपी के साथ नीचे दिए गए लिंक में संलग्न किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी यात्रियों को विमान/जहाज पर सवार होने से पहले 14 दिनों के लिए अनिवार्य क्‍वारंटाइन का वचन देना होगा जिसमें स्व-भुगतान पर 7-दिवसीय संस्थागत क्‍वारंटाइन और इसके बाद अपने घर पर 7-दिवसीय  आइसोलेशन शामिल है।

भारत में फंसे ऐसे लोगों के लिए, जो विदेश यात्रा करने के इच्छुक हैं, उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) या इस प्रयोजन के लिए एमओसीए द्वारा निर्दिष्ट किसी भी एजेंसी के यहां प्रस्थान और आगमन के स्थानों सहित आवश्यक विवरणों के साथ आवेदन करना होगा, जैसा कि एमओसीए द्वारा निर्दिष्‍ट किया गया है। भारत से इनकी यात्रा गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए होगी जिन्हें एमओसीए द्वारा विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अनुमति दी गई है। यात्रा का खर्च यात्रियों को ही वहन करना होगा।

उन लोगों को गंतव्य देशों की यात्रा करने की अनुमति होगी जो उस देश के नागरिक हैं; जिनके पास उस देश का कम से कम एक वर्ष की अवधि वाला वीजा है; और ग्रीन कार्ड या ओसीआई कार्ड धारक हैं। चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति या परिवार में किसी की मृत्यु होने की स्थिति में छह माह का वीजा रखने वाले भारतीय नागरिकों को भी अनुमति दी जा सकती है। ऐसे व्यक्तियों के टिकट के कन्फर्म होने से पहले ही एमओसीए यह सुनिश्चित करेगा कि गंतव्य देश अपने यहां ऐसे व्यक्तियों के प्रवेश की अनुमति अवश्‍य देगा।

ऐसे भारतीय समुद्री नाविक/चालक दल, जो विदेश में जहाजों पर अपनी सेवाएं देने के लिए अनुबंध स्वीकार करने के इच्‍छुक हैं, वे वंदे भारत मिशन के तहत भारत से प्रस्थान करने वाली गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों या अपने नियोक्ताओं द्वारा व्यवस्‍था की गई अन्य उड़ानों के जरिए यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए शिपिंग मंत्रालय की मंजूरी आवश्‍यक होगी।

विमान पर सवार होते समय एमओसीए यह सुनिश्चित करेगा कि स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग अवश्‍य हो। विमान पर केवल ऐसे ही यात्रियों को सवार होने की अनुमति होगी जिनमें कोविड का कोई भी लक्षण नहीं होगा। विमान पर सवार होते ही सभी यात्रियों को मास्क लगाने, पर्यावरणीय स्वच्छता, श्वसन स्वच्छता एवं हाथ की स्वच्छता जैसी आवश्यक सावधानियां अवश्‍य बरतनी होंगी।

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मिशन सागर – मॉरीशस के पोर्ट लूइस पर आईएनएस केसरी

मिशन सागर के तहत भारतीय नौसेना पोत केसरी ने 23 मई 2020 को मॉरीशस के पोर्ट लुइस में प्रवेश किया। भारत सरकार कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए मित्रवत देशों को सहायता प्रदान कर रही है और उसी इस दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय नौसेना पोत केसरी मॉरीशस के लोगों के लिए कोविडसे संबंधित आवश्यक दवाओं और आयुर्वेदिक दवाओं की एक विशेष खेप के साथ पहुंचा है।

Mission Sagar: INS Kesari से 580 tonnes के खाद्य ...

इसके अलावा एक 14-सदस्यीय विशेषज्ञ मेडिकल टीम को भी इस जहाज के जरिये भेजा गया जो मॉरीशस में अपने समकक्षों के साथ काम करेगी और कोविड-19 से संबंधित आपात स्थितियों से निपटने में सहायता करेगी। इस मेडिकल टीम में भारतीय नौसेना के डॉक्टर और पैरामेडिक्स शामिल हैं।इसके अलावा इस टीम में एक सामुदायिक चिकित्सा विशेषज्ञ, एक पुल्मोनोलॉजिस्ट और एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट भी शामिल हैं।

      भारत सरकार की ओर से मॉरीशस सरकार को दवाइयां सौंपने के लिए23 मई 2020 को एक आधिकारिक समारोह आयोजित किया गया। मॉरीशस सरकार की ओर से माननीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कैलाश जगतपाल ने उस खेप को प्राप्‍त किया। भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त महामहिम श्री तन्मय लाल ने किया। मंत्री ने इस समारोह के दौरान भारतीय नौसेना पोत केसरी के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर मुकेश तायल से भी बातचीत की।

मॉरीशस को दी जा रही सहायता कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर भारत सरकार के आउटरीच कार्यक्रम का हिस्‍सा है। मिशन सागर ‘सागर’ के पूरे क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

यह मिशन भारत द्वारा आईओआर देशों के साथ संबंधों के महत्व को रेखांकित करता है और कोविड-19वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई मं दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट संबंधों का निर्माण करता है। इस अभियान को विदेश मंत्रालय और भारत सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ करीबी समन्वय के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।   

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कानपुर नही हो पा रहा करोना मुक्त

कोरोना मुक्त नही हो पा रहा कानपुर

2 नए केस मिले पॉजिटिव

एक केस बर्रा और दूसरा डिप्टी पड़ाव का है

कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या है 325

कानपुर में कुल एक्टिव केस 28

कानपुर में अब तक ठीक होकर डिस्चार्ज हुए मरीजों का संख्या 288

9 लोगो की हो चुकी है मौत

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अफवाह


अफवाह तो अफवाह ही सच कहाँ होती है।
अफवाहो पर ही हकीकत में तौबा या वाह !होती है।

यथार्थ का ऐहसास होते ही छू-मन्तर हवा होती है।
अक्स दिखता है बेहतरीन जब धुँध फना होती है।

जिन्दगी जीना नही हर किसी के बस में यहां।
जिन्दगी जीना भी एक खूबसूरत कला होती है।

दर्द में कट जाती है कभी तमाम जिन्दग़ानि।
कभी-कभी दर्द ही इसकी महफूज़ दवा होती है।

सुधा भारद्वाज”निराकृति”
विकासनगर उत्तराखण्ड

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