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नए अध्ययन से जीभ के कैंसर के उपचार की नयी तकनीक विकसित करने में मिल सकती है मदद

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास, कैंसर संस्थान, चेन्नई के श्री बालाजी डेंटल कॉलेज अस्पताल तथा बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक खास किस्म के माइक्रोआरएनए  की पहचान की है जो जीभ का कैंसर होने पर अत्याधिक सक्रिय रूप से दिखाई देता है। वैज्ञानिकों ने इस माइक्रोआरएनए को एमआईआर -155 का नाम दिया है।   यह एक किस्म के छोटे रिबो न्यूक्लिक एसिड हैं।  ये एसिड ऐसे नॉन कोडिंग आरएनए  हैं जो कैंसर को पनपने में मदद करने के साथ ही विभिन्न जैविक और नैदानिक  प्रक्रियाओं के नियंत्रित करने में शामिल रहते हैं। ऐसे में जीभ के कैंसर के इलाज के लिए इन आरएनएन में बदलाव कर उपचार की नयी तकनीक विकसित करने की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।

आईआईटी मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर करुणाकरण ने इस शोध के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “एमआईआरएनए को पहले से ही जीभ के कैंसर में एक ओंकोजीन के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि कैंसर से जुड़े एमआईआरएनए को ओंकोमीर्स या ओंकोमीआर कहा जाता है।  ये कैंसर फैलाने  वाली कोशिकाओं का दमन कर कैंसर को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। कुछ ओंकोमीआर कैंसर को पनपने से भी रोकते हैं ऐसे में यह जरूरी है कि  कैंसर कोशिकाओं के दमन और प्रसार दोंनो से जुड़े ओंकोमीआर की पहचान की जाए।’’

एमआईआरएनए कुछ प्रोटीन के कार्यों को बाधित या सक्रिय कर कैंसर के फैलाव को प्रभावित करता है। उदाहरण के तैार पर एक प्रकार का प्रोटीन जिसे प्रोग्राम्ड सेल डेथ 4 (पीडीसीडी4) कहा जाता है, कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकने में मदद करता है। इस प्रोटीन में किसी किस्म की रुकावट मुंह, फेफड़े, स्तन, यकृत, मस्तिष्क और पेट के कैंसर के फैलने का मुख्य कारण बनती है।

शोधकर्ताओं की टीम ने यह भी दिखाने की कोशिश की है कि किस तरह से एमआईआर-155 को निष्क्रिय करने या उसका दमन करने से कैंसर कोशिकाएं मृत हो जाती हैं और कोशिकाओं के पनपनें का चक्र खत्म हो जाता है। अनुसंधानकर्ता शब्बीर जर्गर ने कहा कि लंबे समय से यह माना जा रहा है कि एमआईआर -155 पीडीसीडी4 को डाउनरेगुलेट करता है लेकिन अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है।

 प्रो. करुणाकरण ने कहा “हमारे अध्ययन से पता चला है कि एमआईआर-155  में आणविक स्तर पर बदलाव के माध्यम से पीडीसीडी4 को बहाल किए जाने से  कैंसर और विशेषकर जीभ के कैंसर के उपचार के लिए नयी तकनीक विकसित की जा सकती है। 

शोध के निष्कर्ष मॉलिक्यूलर एंड सेल्युलर बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोध टीम में शब्बीर जरगर, विवेक तोमर, विद्यारानी श्यामसुंदर, रामशंकर विजयलक्ष्मी, कुमारवेल सोमसुंदरम और प्रोफेसर  करुणाकरण शामिल थे।

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कानपुर में कोरोना के 16 नए केस सामने आए

कानपुर में कोरोना संक्रमित 16 नए केस आये सामने जबकि 1 कोरोना मरीज सही होकर हुए डिस्चार्ज, आज के नए केस लक्ष्मीपुरवा, चकेरी, मछली वाला हाता ग्वालटोली, बिधनू , किदवई नगर और छावनी अस्पताल के है, चार मामले फतेहपुर के भी है, कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 559, कानपुर में अब तक ठीक होकर डिस्चार्ज हुए मरीजों का संख्या 340, कानपुर में कुल एक्टिव केस 201, आज 1 मरीज की हुई मौत, अब तक 18 लोगो की हो चुकी है मौत.

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कानपुर में आज कोरोना मामले में आफत और रहत दोनों

कानपुर में आज का दिन आफत और राहत दोनों लेकर आया!

कानपुर में कोरोना संक्रमित 18 नए केस आये सामने जबकि 23कोरोना मरीज सही होकर हुए डिस्चार्ज ।

आज के नए केस अनवरगंज , मीरपुर कैन्ट , जूही , रमईपुर , बिल्हौर , लक्ष्मी पुरवा , यू एच एम अस्पताल परिसर , दर्शन पुरवा और सूटरगंज के है ।

कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 543

कानपुर में अब तक ठीक होकर डिस्चार्ज हुए मरीजों का संख्या 339

कानपुर में कुल एक्टिव केस 187

आज 1 मरीज की हुई मौत ।

अब तक 17 लोगो की हो चुकी है मौत।

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रक्षा मंत्रालय द्वारा ओएफबी कर्मचारियों के संगठनों के साथ ओएफबी के निगमीकरण पर वार्ता

रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) की एक उच्च स्तरीय आधिकारिक समिति (एचएलओसी) ने आज यहां आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के बारे में उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कर्मचारियों के संघों/ संगठनो के साथ बातचीत के शुरुआत की पहल की है।

श्री वी एल कंठा राव, अतिरिक्त सचिव (डीडीपी) की अध्यक्षता वाली समिति ने रक्षा मंत्रालय और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर, इस प्रकार के तीन संघों- कंफेडरेशन ऑफ डिफेंस रिकॉग्नाइज्ड एसोसिएशन (सीडीआरए), इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन (आईओएफजीओए) और नेशनल डिफेंस ग्रुप-बी गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन (एनडीजीबीजीओए) के साथ वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से बैठक  की मेजबानी की, जिसमें सभी हितधारकों को उनकी भागीदारी के साथ पूर्वकथित निर्णय को लागू करने वाली सरकार की मंशा से अवगत कराया गया और संगठन के सदस्यों से तनख़्वाह, वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य सुविधाओं के संदर्भ में कर्मचारियों के लाभ/हितों की रक्षा और अन्य सेवा मामलों के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए, जबकि ओएफबी को एक या शतप्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाले कॉरपोरेट संस्थाओं में परिवर्तित किया जा रहा है। नए कॉर्पोरेट इकाई/ संस्थाओं के लिए भविष्य में सरकार के आदेशों और आवश्यक बजटीय समर्थन के संदर्भ में उनकी चिंताओं पर भी सुझाव मांगे गए।

सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक में चर्चा की गई। संघों द्वारा सभी ओएफबी कर्मचारी परिसंघों/ यूनियनों के साथ और ज्यादा बैठकें करने अनुरोध पर समिति द्वारा विचार किया गया और यह आश्वासन दिया गया कि परिसंघों/ यूनियनों के साथ मेल-जोल जारी रखा जाएगा।

सरकार ने 16 मई, 2020 को आत्मानिर्भर भारत पैकेज के एक भाग के रूप में यह घोषणा की थी कि ओएफबी का निगमीकरण करके आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार किया जाएगा।

कर्मचारी संघों का प्रतिनिधित्व सीडीआरए के अध्यक्ष, श्री बी के सिंह और महासचिव, श्री बी बी मोहंती द्वारा किया गया। आईओएफएसजीओए का प्रतिनिधित्व इसके महासचिव, श्री एस बी चौबे और सामान्य कोषाध्यक्ष, श्री एम ए सिद्दीकी ने किया, जबकि एनजीडीबीजीओए का प्रतिनिधित्व इसके अध्यक्ष, श्री एम बारिक और महासचिव, जयगोपाल सिंह ने किया।

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कानपुर में कोरोना का कहर जारी

कानपुर में कोरोना संक्रमित 21 नए केस आये सामने

आज के नए केस सलेमपुर , सरसौल , घाटमपुर , भीतरगांव , ककवन , सर्वोदय नगर , एलन गंज , बर्रा 2 , रतनपुर , अहिरवां , लक्ष्मी पुरवा , काकादेव , पटकापुर और लाल बंग्ला के है ।

कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 525

कानपुर में अब तक ठीक होकर डिस्चार्ज हुए मरीजों का संख्या 316

कानपुर में कुल एक्टिव केस 193

आज 1 मरीज की हुई मौत ।

अब तक 16 लोगो की हो चुकी है मौत।

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कोरोना वायरस के खिलाफ होम्योपैथी दवा का शोध हुआ सफल

कोरोना वायरस के खिलाफ होम्योपैथी दवा का शोध हुआ सफल — डॉ हर्ष निगम

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली होम्योपैथी दवा का शोध सफलता पूर्ण संपन्न हो चुका है । यह दावा आज वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ हर्ष निगम ने पत्रकार वार्ता के दौरान किया । उन्होंने बताया कि प्रदेश में 3000 लोगों पर 5 तरह की होम्योपैथी दवा का शोध किया गया । जो काफी सफल रहा , इन पांचों दवाओं में सबसे ज्यादा कारगर फास्फोरस दवाई दवा रही। उन्होंने बताया कि इस रिशर्च में 13 होम्योपैथिक डॉक्टरों का पैनल शामिल था । डॉ हर्ष निगम के मुताबिक कोरोनावायरस के भारत में आने से पूर्व उनकी टीम ने चीन , इटली , रूस , अमेरिका , ब्रिटेन और ईरान सहित कई अन्य देशों से इसकी रिपोर्ट और डाटा एकत्र करना शुरू कर दिया था । उन्होंने बताया कि फास्फोरस दवा के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है ।

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भारत के नए व्यावसायिक स्थल के रूप में उभरा पूर्वोत्तर क्षेत्र : डॉ. जितेंद्र सिंह

केन्द्रीय उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से भारत के एक नये व्यावसायिक स्थल के रूप में उभर रहा है। कोविड के बाद आर्थिक, व्यापार, वैज्ञानिक शोध और कई अन्य क्षेत्रों में नई सफलताओं की संभावनाओं के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के आर्थिक हब और स्टार्टअप्स के लिए पसंदीदा स्थल के रूप में उभरेगा।

मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एंड एनालिसिस और आईआईएम शिलांग द्वारा आयोजित ई-सिम्पोसिया 2020 का शुभारम्भ करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में पूर्व में की गई गलतियों को मोदी सरकार में पिछले छह साल के दौरान दूर किया गया है और इस क्रम में पहली बार देश के दूसरे क्षेत्रों के समान इस क्षेत्र पर पहली बार विशेष ध्यान दिया गया है। इससे न सिर्फ लोगों का भरोसा बढ़ा है, बल्कि भारत के साथ ही देश के बाहर के क्षेत्रों से विभिन्न स्तरों पर जुड़ने की क्षमता भी बढ़ी है।

            पूर्व में क्षेत्र के समग्र विकास की दिशा में पिछली सरकारों की दिलचस्पी में कमी पर दुख प्रकट करते हुए डॉ. सिंह ने इस क्षेत्र के व्यापक और समग्र विकास के लिए इस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि चाहे इस क्षेत्र में संपर्क की समस्या से पार पाना हो या उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देना हो, यह सरकार हर संभव सहायता और समर्थन देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

जैसा कि देखा जा सकता है, पिछले छह साल में न सिर्फ क्षेत्र बल्कि पूरे देश में भी सामान और व्यक्तियों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए सड़क, रेल और वायु संपर्क के लिहाज से खासा विकास हुआ है। अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों में जहां अभी तक रेल नहीं पहुंची थी, वहां पर भी अब रेल संपर्क हो गया है। इसी प्रकार सिक्किम जैसे राज्यों में अब हवाई अड्डा परिचालन में आ गया है। दूसरे राज्यों में भी नए बंदरगाह खुल रहे हैं या सुविधाओं में बढ़ोत्‍तरी की जा रही है और पहले मौजूद सुविधाओं की क्षमता बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रों के आदान-प्रदान के लिए भारत-बांग्लादेश संधि से कारोबार की बाधाएं दूर हो गई हैं, आवाजाही भी आसान हो गई है, जो पहले खासा मुश्किल कार्य था। यह संधि भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही संभव हुई थी। जल्द ही हम त्रिपुरा से बांग्लादेश के लिए एक ट्रेन का संचालन करने जा रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र के विकास का एक नया अध्याय शुरू होगा और नए अवसर सामने आएंगे। साथ ही इससे पूरे क्षेत्र का बंदरगाहों तक संपर्क भी सुनिश्चित होगा। यह कहने की जरूरत नहीं कि इससे सीमाओं विशेष रूप से पूर्वी क्षेत्र के पड़ोसियों के साथ व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने क्षेत्र में मौजूद अंतर-राज्यीय सड़कों के विकास और उचित रख-रखाव के लिए “पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजनाएं” (एनईआरएसडीएस) नाम से एक नई योजना की शुरुआत भी की है जिसे बोलचाल की भाषा में ‘ऑर्फन्ड रोड’ (अनाथ मार्ग) का नाम मिला, क्योंकि दोनों संपर्क राज्यों द्वारा इसका उचित रख-रखाव नहीं किया गया।इस तरह की पहलों की यह सूची काफी लंबी है। यह कहना ही पर्याप्त है कि इससे क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के प्रति इस सरकार के संकल्प और प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

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दूसरी तरफ, सरकार और डीओएनईआर मंत्रालय सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोगों विशेषकर उन महिलाओं, जो देश के इस हिस्से में परम्परागत रूप से खासी मेहनती होती हैं, को टिकाऊ आय उपलब्ध कराने के लिए आजीविका परियोजनाओं को प्रोत्साहन देकर स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। बागवानी, चाय, बांस, सुअर पालन, रेशम कीड़ा पालन, पर्यटन आदि क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं को भी वांछित प्रोत्साहन दिया गया है। बदलते परिदृश्य में डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर का बांस सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे उप महाद्वीप के लिए व्यापार का महत्वपूर्ण माध्यम होने जा रहा है।

इस अवसर को महसूस करते हुए सरकार ने घर में पैदा होने वाले बांस को वन अधिनियम के दायरे से बाहर करते हुए लगभग एक सदी पुराने वन अधिनियम में संशोधन किया है। वर्तमान परिदृश्य में, क्षेत्र में पर्यटन को व्यापक प्रोत्साहन मिलने जा रहा है, क्योंकि इसके सुरम्य स्थल और प्राकृतिक छटा यूरोपीय स्थलों को जाने के बजाय यहां की ओर आकर्षित करती है। सरकार ने संभावित उद्यमियों को उपक्रम निधि उपलब्ध कराकर स्थानीय उद्यमशीलता को भी प्रोत्साहित किया है और क्षेत्र में घरेलू के साथ ही मित्रवत देशों से निवेश को आसान बनाया है।

इस दिशा में सरकार की भूमिका की अहमियत को देखते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आईआईएम शिलांग जैसे संस्थानों से नीतियां बनाने और केन्द्र के साथ-साथ राज्य सरकारों का मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया। डॉ. सिंह से पहले डीओएनईआर सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह, एनईसी सचिव श्री मोसेस के. चालाई, आईआईएम शिलांग के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन श्री शिशिर बजोरिया, आईआईएम शिलांग के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य श्री अतुल कुलकर्णी, आईआईएम शिलांग के निदेशक प्रोफेसर डी. पी. गोयल और प्रोफेसर कीया सेनगुप्ता ने भी इस अवसर पर क्षेत्र की सामरिक और विकास संबंधी संभावनाओं तथा जरूरतों को रेखांकित किया।

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केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में राज्यों को 36,400 करोड़ रुपये जारी किए

  कोविड-19 संकट के कारण पैदा हुई वर्तमान परिस्थिति में राज्य सरकारों के संसाधनों के बुरी तरह प्रभावित होने के बावजूद खर्च करने की आवश्यकता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने आज राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशें को दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक की अवधि के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर 36,400 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

     केंद्र सरकार द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशें को अप्रैल से नवंबर, 2019 की अवधि के लिए 1,15,096 करोड़ रुपये की जीएसटी क्षतिपूर्ति पहले ही जारी की जा चुकी है।

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क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय,में वेब-संगोष्ठी के दूसरे दिन विद्वानों और वैज्ञानिकों ने रखे विचार

          क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय, कानपुर और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 03 से 05 जून, 2020 तक एक अत्यंत उपयोगी वेब-संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में इसके संयोजन का दायित्व डॉ. सुनीता वर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग) और डॉ. श्वेता चंद (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग) ने संभाला और महाविद्यालय प्रबंध-समिति के सचिव रेवरेंड एस. पी. लाल तथा प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल ने अपना सहयोग व संरक्षण प्रदान किया. साथ ही वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डॉ. अवनीश कुमार एवं कंट्रोलिंग ऑफिसर डॉ. अशोक सल्वटकर का संयुक्त योगदान एवं सहयोग भी इस वेब-संगोष्ठी के आयोजन में है. आज की वेब-संगोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रो. राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय, प्रयागराज की परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनीता यादव हैं. कार्यक्रम में तीन मुख्य वक्ताओं ने भागीदारी की – प्रो. आर. सी. दुबे ( डीन, जी.के.वी., हरिद्वार), डॉ. ए. के. वर्मा (राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सैदाबाद) और डॉ. शशिबाला सिंह (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, भूगोल विभाग, डी. जी. कॉलेज, कानपुर).  

कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में आज आयोजित होने वाली वेब-संगोष्ठी की सार्थकता बहुत बढ़ जाती है. यह वेब-संगोष्ठी तीन-दिवसीय है, जिसके दूसरे दिन आज दिनांक 04.06.20 को वेब-संगोष्ठी का आरम्भ करते हुए इसकी संयोजिका डॉ. सुनीता वर्मा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया. तत्पश्चात कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल द्वारा ईश्वर की आराधना द्वारा सभी विघ्न-बाधाओं के निराकरण और संगोष्ठी के सफल आयोजन की प्रार्थना की गई.

तत्पश्चात वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डॉ. अवनीश कुमार ने आयोग का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसके उद्देश्य स्पष्ट किए. स्वतंत्र भारत में प्रयोजनमूलक हिंदी के विकास में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की बहुत महती भूमिका है. वेब-संगोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रो. राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय, प्रयागराज, की परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनीता यादव ने नए बदले हुए वातावरण में कोविड-19 द्वारा परिवर्तित परिवेश का आकलन समाज और भाषा के सन्दर्भ में किया. इस के लिए भाषा और शब्दावली को भी अपने अभिव्यक्ति के साधनों सहित अवसर के अनुकूल उपस्थित होना होगा.   

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रथम मुख्य वक्ता डॉ. आर. सी. दुबे ने इस वैश्विक आपदा के समय का आकलन पारंपरिक ज्ञान के सन्दर्भ में प्रस्तुत किया. उनके अनुसार भारत में कोविड का सामना करने के लिए हमें अपने पारंपरिक सांस्कृतिक ज्ञान का आश्रय लेना चाहिए. ऐसे समय में शुद्ध दूध, शहद, घी और जल का प्रयोग बहुत उपयोगी है. साथ ही नियमित रूप से अग्निहोत्र अपने घर में करने से हम समस्त वातावरण में व्याप्त सूक्ष्म कृमियों एवं नकारात्मकता को विनष्ट कर सकते हैं और साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी पुष्ट रख सकते हैं. नियमित रूप से हाथ-पैर-मुँह धोना और धूप का सेवन भी लाभप्रद है. इस संगोष्ठी के द्वितीय मुख्य वक्ता डॉ. ए. के. वर्मा ने कोविड के सन्दर्भ में पर्यावरण की स्थिति पर विचार किया. उन्होंने इस बात पर ध्यान आकृष्ट किया कि पिछले कुछ महीनों के लॉकडाउन की स्थिति में मानव- गतिविधियों के बहुत कम हो जाने से सबसे अधिक लाभ पर्यावरण का हुआ है. पर्यावरण में आये इस सुधार से निश्चय ही वैश्विक स्तर पर मौसम-बदलाव और जैव-विविधता पर व्यापक असर होगा. आज के कार्यक्रम की तीसरी मुख्य वक्ता डॉ. शशिबाला सिंह थीं. उनके अनुसार आज विश्व भर में कोविड 19 महामारी के प्रकोप से समस्त मानव समाज त्रस्त है. इस आपदा ने न केवल हमारे नित्य जीवन के व्यवहारों और कार्यों को परिवर्तित किया है, बल्कि हमारी सोच व भाषा को भी प्रभावित किया है. कोविड के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने ऐसी महामारियों के समय में सामाजिक व्यवहार पर भी प्रकाश डाला.

इस वेब-संगोष्ठी के दूसरे दिन का समापन करते हुए कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. श्वेता चंद ने सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक धन्यवाद प्रेषित किया. साथ ही कल, दिनांक 05.06.20 को इस वेब-संगोष्ठी के तृतीय व अंतिम दिन प्रतिभाग करने हेतु सबको आमंत्रित किया. 

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क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय कानपुर और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के संयुक्त तत्वावधान वेब-संगोष्ठी काआयोजन

क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय कानपुर और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 03 से 05 जून, 2020 तक एक अत्यंत उपयोगी वेब-संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में इसके संयोजन का दायित्व डॉ. सुनीता वर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग) और डॉ. श्वेता चंद (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग) ने संभाला और महाविद्यालय प्रबंध-समिति के सचिव रेवरेंड एस. पी. लाल तथा प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल ने अपना सहयोग व संरक्षण प्रदान किया. साथ ही वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डॉ. अवनीश कुमार एवं कंट्रोलिंग ऑफिसर डॉ. अशोक सल्वटकर का संयुक्त योगदान एवं सहयोग भी इस वेब-संगोष्ठी के आयोजन में है. आज की वेब-संगोष्ठी की मुख्य अतिथि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता हैं. कार्यक्रम में दो मुख्य वक्ताओं ने भागीदारी की – डॉ. सुबोध कुमार सिंह (निदेशक, जी. एस. मेमोरियल हॉस्पिटल) और प्रो. देवी प्रसाद मिश्र (प्रोफ़ेसर, आई.आई.टी. कानपुर).

कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में आज आयोजित होने वाली वेब-संगोष्ठी की सार्थकता बहुत बढ़ जाती है. यह वेब-संगोष्ठी तीन-दिवसीय है, जिसमें समसामयिक महामारी की परिस्थिति के सन्दर्भ में वैज्ञानिक दृष्टि से हिंदी शब्दावली की आवश्यकताओं और नवीनताओं पर विचार-विमर्श किया गया.

आज पहले दिन, दिनांक 03.06.20 को वेब-संगोष्ठी का आरम्भ करते हुए इसकी संयोजिका डॉ. सुनीता वर्मा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया. तत्पश्चात कॉलेज प्रबंध समिति के सचिव रेवरेंड सैमुअल पाल लाल द्वारा ईश्वर की आराधना द्वारा सभी विघ्न-बाधाओं के निराकरण और संगोष्ठी के सफल आयोजन की प्रार्थना की गई.

इसके बाद डॉ. अशोक सल्वटकर ने संगोष्ठी के विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए हिंदी भाषा के बढ़ते हुए महत्व और निरंतर उत्पन्न होने वाले नवीन संदर्भों पर प्रकाश डाला. ऐसा ही नया बदला हुआ परिवेश कोविड-19 द्वारा बन गया है. इस के लिए भाषा और शब्दावली को भी अपने अभिव्यक्ति के साधनों सहित अवसर के अनुकूल उपस्थित होना होगा. तत्पश्चात वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डॉ. अवनीश कुमार ने आयोग का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसके उद्देश्य स्पष्ट किए. स्वतंत्र भारत में प्रयोजनमूलक हिंदी के विकास में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की बहुत महती भूमिका है. ज्ञान के विभिन्न शास्त्रों के लिए इस आयोग द्वारा अत्यंत सटीक व सार्थक हिंदी शब्दावली का निर्माण किया गया है. इससे ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में हिंदी भाषा के उतरोत्तर प्रयोग की संभावनाएँ विस्तारित हो गई हैं.

वेब-संगोष्ठी की मुख्य अतिथि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने समसामयिक परिस्थिति में वैज्ञानिक सन्दर्भ में हिंदी शब्दावली की उपादेयता पर विचार व्यक्त किए. समाज और भाषा का अत्यंत निकट और अन्योन्याश्रित संबंध है. समाज की परिस्थितियों के अनुरूप भाषा के स्वरूप में परिवर्तन आते हैं और दूसरी ओर भाषा भी अपने प्रयोगों से समाज की विचारधारा और व्यवहार को गढ़ती है. आज विश्व भर में कोविड 19 महामारी के प्रकोप से समस्त मानव समाज त्रस्त है. इस आपदा ने न केवल हमारे नित्य जीवन के व्यवहारों और कार्यों को परिवर्तित किया है, बल्कि हमारी भाषा के आयामों को विस्तृत करते हुए नई शब्दावली व नए शब्द-प्रयोगों से संयुक्त भी किया है. समाज पुनः निर्मित हो रहा है. ऐसे में भाषा भी निश्चित रूप से अपने नवीन संदर्भों में पुनः परिभाषित हो रही है.

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मुख्य वक्ताडॉ. सुबोध कुमार सिंह ने एक चिकित्सक की दृष्टि से इस वैश्विक आपदा के समय का आकलन प्रस्तुत किया. विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में भाषा, और विशेषकर हिंदी भाषा, की उपयोगिता और आवश्यकता का उल्लेख भी उन्होंने किया. कोविड-19 अपने साथ अनेक नूतन शब्द लाया, जो व्यक्ति के दैनंदिन के व्यवहार से जुड़े तो हैं ही साथ ही विज्ञान के क्षेत्र में भी नव्यता लाये हैं. इस संगोष्ठी के द्वितीय मुख्य वक्ता प्रो. देवी प्रसाद मिश्र ने वैज्ञानिक सन्दर्भ में हिंदी भाषा की शाब्दिक शक्ति और प्रभाव पर विचार व्यक्त किए. डॉ. मिश्र के अनुसार सामाजिक परिवर्तनों को अभिव्यक्ति भाषा ही देती है. अभिव्यक्ति के इस प्रमुख साधन द्वारा विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में आज हिंदी भाषा ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अपना ली है. सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों में हिंदी की अभिव्यक्तियाँ उपलब्ध होने से आज हिंदी के क्षेत्र-विस्तार के साथ-साथ उसकी सामाजिक व प्रयोजनमूलक भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है.

इस वेब-संगोष्ठी के प्रथम दिन का समापन करते हुए कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. श्वेता चंद ने सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक धन्यवाद प्रेषित किया. साथ दिनांक 04.06.20 को इस वेब-संगोष्ठी के द्वितीय दिन प्रतिभाग करने हेतु सबको आमंत्रित किया.

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