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सेना प्रमुख ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा-एलएसी पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

थल सेनाध्यक्ष, जनरल मनोज पांडे वर्तमान में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में वास्तविक नियंत्रण रेखा-एलएसी पर अग्रिम क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। भारतीय थल सेना प्रमुख का पदभार संभालने के बाद सेनाध्यक्ष का इस सेक्टर का यह पहला दौरा है। मध्य कमान के सेना कमांडर और उत्तर भारत क्षेत्र के जीओसी भी सेना प्रमुख के साथ इस दौरे पर हैं।

अग्रिम चौकियों के दौरे के दौरान, थल सेना प्रमुख को स्थानीय कमांडरों द्वारा सीमाओं पर मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही है। अग्रिम क्षेत्रों में परिचालन तैयारियों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करते हुए, सेना प्रमुख के पर्वतारोहण कौशल और लंबी दूरी की गश्त सहित तैनात संरचनाओं की अधिक ऊंचाई वाली परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन देखने की योजना है। इस दौरान थल सेना प्रमुख इस क्षेत्र में जारी बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों और अग्रिम क्षेत्रों में सेना-नागरिक संपर्क की भी समीक्षा कर रहे हैं।

अपनी यात्रा के दौरान कमांडरों के साथ बातचीत करते हुए, सेना प्रमुख ने सीमाओं पर सतर्कता और चौकसी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रक्षात्मक मुद्रा में तेजी से सुधार और संरचनाओं की परिचालन तैयारी पर संतोष व्यक्त किया। सेना प्रमुख ने लगातार निगरानी करने में आधुनिक तकनीक के समावेश की सराहना की।

थल सेनाध्यक्ष ने अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत के दौरान उनके उच्च मनोबल की सराहना की और उनसे पेशेवर उत्कृष्टता के उच्च मानकों को बनाए रखने का आह्वाह्न किया। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में परिचालन प्रभावशीलता और सतत विकास की दिशा में सेना, सीएपीएफ, नागरिक प्रशासन और पुलिस के बीच उत्कृष्ट तालमेल की भी सराहना की।

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मैं पराया धन नहीं, मैं तुम्हारी बिटिया हूं~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

क्यों मायका पराया करना है

क्यों न ऐसा मानें कि अब हमारा
दो घर हो गया है.
कभी इस घर तो कभी उस घर
जाकर साथ निभाना है
हां ये मान लिया कि
पिया घर जरा ज्यादा फर्ज निभाना है
पर मायके में भी तो कुछ फर्ज,

कुछ रिवाजनिभाना है
सब जिम्मेदारी बेटे ही क्यों ले लें
सबको मिलकर एक साथ निभाना है
क्यों मैं सुनूं कि अब कब आओगी तुम
क्यों न ऐसा सुनूं कि जब भी समय मिले
बिटिया घर आ जाना तुम
फर्क बढ़ जाता है जब
परिवार का दायरा बढ़ जाता है
तो क्यों न ऐसा सोचें कि
जिम्मेदारियां निभाने में दो हाथ
और जुड़ जाते हैं
बेटे जब चले जाते नौकरी, व्यापार के लिए
दूर प्रदेश…. तब क्या वो पराये हो जाते हैं
थोड़े थोड़े समय पर थोड़े समय के लिए

आते हैं वो फर्ज निभाने के लिए
तब भी तो तुम ऐसा ही कहती हो न
कि जब समय मिले तो जल्दी आ जाना
मैं पराया धन नहीं हूं
मैं तुम्हारी बिटिया हूं
हमें हमेशा साथ निभाना है

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कानपुर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड के बोर्ड ने 14वीं बोर्ड बैठक में कई अहम फैसला लिया

कानपुर 14 जून, कानपुर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड के बोर्ड ने 14वीं बोर्ड बैठक में कई अहम फैसला लिया है।

बोर्ड की बैठक आयुक्त कानपुर मंडल की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी और इसमें श्री विशाख जी (डीएम कानपुर नगर) श्री शिव शरणप्पा (नगर आयुक्त और सीईओ स्मार्ट सिटी), श्री अरविंद सिंह (वीसी केडीए), श्री बीजीटीएस मूर्ति (डीसीपी यातायात)), श्री नीरज श्रीवास्तव जी और अन्य अधिकारी ने भाग लिया ।

बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं:

1) पूरा होने के बाद स्मार्ट सिटी कानपुर की परियोजनाओं के “संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम)” के लिए व्यय के लिए एक अलग बैंक खाता खोला और संचालित किया जाएगा।

2) बोर्ड ने लगभग ₹ 100 करोड़ की 31 परियोजनाओं की निर्माण / लागू करने की अनुमति को पारित किया है।
प्रमुख परियोजनाएं हैं:

-बड़ा चौराहा का विकास (₹ 3.5 करोड़)

-कानपुर नगर निगम में “फ़ेशल रेकग्निशन मेकनिज़म” ( चेहरे पहचान हेतु अटेंडन्स सॉफ़्टवेर) के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने और प्रत्येक दिन शहर की बेहतर साफ़ सफ़ाई सुनिश्चहित करने की प्रणाली (धनराशि अगले १५ दिनो में तय किया जायेगा)

-ग्रीन पार्क विज़िटर गैलरी (चरण 2) (₹ 3.57 करोड़)

– ग्रीन पार्क में बैडमिंटन / टेबल टेनिस और जिम हॉल का विकास (₹ 5.5 करोड़)

– ठोस कचरा प्रबंधन के लिए बीस वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन (₹ 2 करोड़)

-चुन्नीगंज कन्वेंशन सेंटर के आसपास / चारों तरफ़ स्मार्ट रोड का निर्माण (₹3 करोड़)

– 10 पार्कों में ओपन जिम और पार्कों का विकास (₹ 5 करोड़)

– एबीडी क्षेत्र में ६ सरकारी भवनों में स्थापित बड़े सोलर बिजली उत्पादन सैयंत्र की स्थापना (₹ 3.5 करोड़)

– आनंदेश्वर मंदिर के पास सार्वजनिक स्थानों का जन सुविधा विकास (₹ 6 करोड़)

– 30 स्मार्ट बस स्टॉप का निर्माण और विकास (₹ 4 करोड़, सार्वजनिक निजी भागीदारी के साथ, केएससीएल ₹ 50 लाख का भुगतान करेगा)

– नाना राव पार्क में ऑटोमेटेड फुट ओवर ब्रिज का निर्माण (₹4 करोड़)

– एबीडी क्षेत्र में नौका विहार का विकास (₹ 2 करोड़)

– स्लम क्षेत्रों में सार्वजनिक सुविधाओं का विकास (₹ 4 करोड़)

-तुलसी उपवन का सौंदर्यीकरण (₹ 3.5 करोड़)

– एबीडी क्षेत्र में सड़कों के सुरक्षित सड़क संकेत, चिह्न और अन्य सुरक्षा उपाय (₹ 5 करोड़)

– सिटी ई-बस एप्लिकेशन का विकास और इसे स्मार्ट सिटी के आईसीसीसी से जोड़ना (₹ 80 लाख)

– कारगिल पार्क में नौका विहार सुविधाओं का विकास (₹50 लाख)

– वेब आधारित एलआईडीएआर (LIDAR) प्रौद्योगिकी आधारित संपत्ति मानचित्रण का विकास (₹ 1.75 करोड़)

3) बोर्ड ने अगले 2 वर्षों के लिए कानपुर स्मार्ट सिटी की ICCC परियोजना के लिए IIT कानपुर को “तकनीकी सहायता समूह” (TSG) के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। यह ICCC में उपलब्ध सुविधाओं का सर्वोत्तम संभव उपयोग सुनिश्चित करने में मदद करेगा और ITMS और यातायात प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग भी करेगा।

4) स्मार्ट सिटी बोर्ड ने “गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक कचरे (एनसीपीडब्ल्यू)” को प्रयोग करने योग्य में परिवर्तित करने के लिए और उससे फर्नीचर और अन्य निर्माण सामग्री बनाने के तकनीकी हेतु आईआईटी कानपुर की एक गैर-लाभकारी कंपनी “फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

5) कानपुर स्मार्ट सिटी बोर्ड ने पालिका स्टेडियम सुविधाओं के बेहतर संचालन, प्रबंधन और रख रखाव के लिए ओपन टेंडर द्वारा स्मार्ट सिटी द्वारा चयनित ओ एंड एम प्रबंधन निजी एजेन्सी के चयन को भी मंजूरी दे दी है।
बोर्ड ने अग्रीमेंट के प्रावधानों की समीक्षा के लिए और पालिका स्टेडियम में सुविधाओं के संचालन और प्रबंधन की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया।

बोर्ड ने विजिटर गैलरी की निजी भागीदारी के माध्यम से सुविधाओं का बेहतर संचालन और रख रखाव के लिए आगामी दिनो में निर्माणाधीन कन्वेंशन सेंटर, कलेक्ट्रेट में मल्टी लेवल पार्किंग, मोतीझील में वेंडर कियोस्क, बैडमिंटन कोर्ट और ग्रीन पार्क में जिम और नई स्विमिंग पूल को निजी O&M संस्था के माध्यम से बेहतर संचालन और प्रबंधन (ओ एंड एम) शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्व रक्तदाता दिवस मनाया

कानपुर 14 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में विश्व रक्तदाता दिवस मनाया गया। जिसमें सभी वॉलिंटियर्स ने जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को *रक्तदान महादान* के प्रति जागरूक किया तथा शपथ भी ली। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुनंदा दुबे ने की। उन्होंने छात्राओं को विभिन्न प्रकार के ब्लड ग्रुप, ट्रांसफ्यूजन, रक्तदान के इतिहास व महत्व के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में श्री अविनव श्रीवास्तव ने छात्राओं को अपने निजी अनुभवों से अवगत कराते हुए बताया कि किस प्रकार से वे रक्तदान करके अपने रक्त से कितने लोगों की जान बचा सकती है तथा उसे एक चेन के रूप में चला कर हमेशा के लिए अर्थात शाश्वत बना सकती हैं। विश्व स्वास्थय संगठन द्वारा हर साल 14 जून को शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में ‘विश्व रक्तदान दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में भूगोल विभाग की असि. प्रो. अंजना श्रीवास्तव, आकांक्षा अस्थाना, पवित्रा देवी एवं सभी छात्राओं की सक्रिय सहभागिता रही।

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योग से मन और शरीर दोनों का विकास होता है : सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं राजमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2022 के 12 दिन के काउंटडाउन के तहत अरुणाचल प्रदेश की सुरम्य जीरो वैली में हुए योग उत्सव में भाग लिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002RUK7.jpgकेंद्रीय मंत्री के साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा, सांस्कृतिक मामले, स्वदेशी मामलों के मंत्री ताबा तेदिर और अरुणाचल प्रदेश सरकार में कृषि, बागवानी, पशु पालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री तेगे तेकी के अलावा कई अन्य योग के चाहने वाले आज सुबह हुए योग उत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा कि योग मन और शरीर दोनों का विकास करता है। यह हमारी आत्मा को सक्रिय करते हुए हमें शांति और व्यवस्थित रखता है। उन्होंने कहा कि भवगद् गीता ने योग के सार को खूबसूरती से बताया है, जो स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं की यात्रा है। उन्होंने कहा, मैं आज सुबह खूबसूरत जीरो वैली में योग का अभ्यास करके खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।

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अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है

मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।

इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले  6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।

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धरती को रखना हरा भरा जीवन धर्म हमारा

कानपुर 5 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में एक ऑनलाइन विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वन संरक्षण हेतु चिपको आंदोलन को प्रणेता अमृता देवी को स्मरण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कानपुर विश्वविद्यालय भूगोलवेत्ता संघ के अध्यक्ष डॉ. जी एल श्रीवास्तव पूर्व प्राचार्य अरमापुर पीजी कॉलेज व पूर्व विभागाध्यक्ष डी ए वी कॉलेज कानपुर रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में हरित घर की संकल्पना बताते हुए 5 मुख्य मुद्दों- वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कचरे के वर्गीकरण निस्तारण एवं चक्रण, पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण लिए इकोब्रिक्स बनाकर विभिन्न उपयोगी सामग्री बनाने के लिए उनका प्रयोग करने व जीव-जंतु संरक्षण तथा ऊर्जा की बचत की ओर छात्राओं को उन्मुख व अभिप्रेरित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुनंदा दुबे ने अपने व्याख्यान में बताया कि इस बार के पर्यावरण दिवस का होस्ट स्वीडन देश है तथा इसका थीम *ओन्ली वन प्लेनेट* है। जिसका अर्थ है- केवल एक पृथ्वी ही है जो हमारा घर है। अतः हमें उसे अपने व्यक्तिगत छोटे-छोटे प्रयासों के द्वारा बचाना है ताकि पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित रह सके। उन्होंने अपने व्याख्यान में वेदो का भी उल्लेख किया जिनमें संपूर्ण जैव- जगत, जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधों आदि को देव स्वरूप मानकर पूजा करना मनुष्य का धर्म बताया गया था। यह सब पर्यावरण संरक्षण के ही उपाय है। इस अवसर पर छात्राओं के द्वारा चित्रकला प्रदर्शनी, स्लोगन राइटिंग व वृक्षारोपण- एक व्यक्ति एक पेड़ आदि भी किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की चीफ प्रॉक्टर डॉ अर्चना वर्मा विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष तथा प्राध्यापिकाएं विशेष रूप से डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ पूजा श्रीवास्तव व डॉ अर्चना दीक्षित आदि उपस्थित रही।

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प्रधानमंत्री ने कानपुर के परौंख गांव में जनसभा को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी आज  राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के साथ कानपुर के परौंख गांव में पथरी माता मंदिर गए। इसके बाद उन्होंने डॉ. बी आर अंबेडकर भवन का दौरा किया और फिर मिलन केंद्र का दौरा किया। यह केंद्र माननीय राष्ट्रपति का पैतृक घर है जिसे सार्वजनिक उपयोग के लिए दान कर दिया गया था जिसे एक सामुदायिक केंद्र (मिलन केंद्र) में परिवर्तित कर दिया गया है। दोनों गणमान्य व्यक्तियों ने परौंख गांव में एक सार्वजनिक समारोह में भाग लिया । इस अवसर पर प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, जनप्रतिनिधि शामिल थे।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह उस गांव का दौरा करके खुश हैं, जिसने राष्ट्रपति के बचपन को देखा है और उन्हें देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचते देखा है। उन्होंने उन स्मृतियों को याद किया जो राष्ट्रपति ने यात्रा के दौरान उनके साथ साझा की थीं। उन्होंने राष्ट्रपति के जीवन की यात्रा की ताकत की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने परौंख में भारत के आदर्श गांवों की ताकत को महसूस किया। उन्होंने कहा कि यह गांव एक भारत श्रेष्ठ भारत का बेहतरीन उदाहरण है। पथरी माता मंदिर देव भक्ति और देश भक्ति दोनों का ही प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने राष्ट्रपति के पिताजी की विचार प्रक्रिया और कल्पनाशीलता को नमन किया जो तीर्थयात्रा के लिए और पूरे देश में आस्था के स्थानों से शिलाएं और आस्था की शिल्पकृतियां लेकर आए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति को परौंख गांव की मिट्टी से जो संस्कार मिले हैं उन्हें आज दुनिया देख रही हैI  राष्ट्रपति, जो कि ‘ संविधान ‘ और ‘ संस्कार ‘ दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं  ने प्रोटोकॉल तोड़कर और हेलीपैड पर उनका स्वागत करके प्रधानमंत्री को आश्चर्यचकित कर दिया। प्रधानमंत्री ने याद किया कि राष्ट्रपति ने कहा था कि वह एक अतिथि का स्वागत करने के अपने ‘संस्कारों’ का पालन कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को उनके अनुग्रहपूर्ण कार्य के लिए धन्यवाद दिया।

श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने पैतृक आवास को ‘मिलन केंद्र’ के रूप में विकसित करने के लिए दिया था। आज यह परामर्श और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है। इसी तरह डॉ. बी आर अंबेडकर भवन बाबासाहेब अंबेडकर के आदर्शों को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि परौंख गांव के लोगों के सामूहिक प्रयासों से गांव आगे बढ़ता रहेगा और देश के सामने एक आदर्श गांव का मॉडल पेश करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि गांव का कोई भी व्यक्ति कहीं भी चला जाए लेकिन उससे उसका गांव कभी भी नहीं छूटता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी भारत की स्वतन्त्रता को भारत के गांवों से जोड़कर देखते थे। भारत के गांव का अर्थ है कि जहां आध्यात्मिकता है, वहां आदर्श भी होने चाहिए। भारत के गांव का मतलब है, जहां परंपराएं हैं और वहां प्रगति भी है। भारत का गांव अर्थात जहां संस्कृति है वहां सहयोग भी होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जहां प्रेम है वहां समानता है। अमृत काल के इस दौर में ऐसे गांवों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। देश अब गांवों, किसानों, गरीबों और पंचायती लोकतंत्र के लिए काम करने के इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है I उन्होंने कहा “हमारे गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है और सबसे ज्यादा समर्पण भी है। इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि जन धन योजना, पीएमएवाई, उज्ज्वला और हर घर जल जैसी योजनाओं से करोड़ों ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा, “देश ने गरीबों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व गति से काम किया है।” अब देश सभी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। योजनाओं की संतृप्ति अब एक उच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इससे बिना किसी भेदभाव के सभी का सशक्तिकरण होगा।

भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मंच पर उपस्थित  सभी चार गणमान्य व्यक्ति- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गांवों या छोटे शहरों से निकले हैं। हमारे संघर्ष और गरीबी तथा ग्रामीण जीवन से सीधे संपर्क ने हमारे संस्कारों को मजबूत किया हैI  उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की ही ताकत है कि “भारत में, एक गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच सकता है”।

लोकतंत्र की मजबूती के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने परिवारवाद की राजनीति के प्रति सतर्क किया। उन्होंने कहा कि यह परिवारवाद की राजनीति ही है जो न केवल राजनीति में बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटती है और नई प्रतिभाओं को आगे आने से रोकती है। उन्होंने कहा, “मेरा किसी राजनीतिक दल या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है। लेकिन मैं चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो और लोकतंत्र के लिए समर्पित राजनीतिक दल हों”, उन्होंने आगे कहा “मैं चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पार्टियां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें और स्वस्थ बने। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा और देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों से गांव में अमृत सरोवर के निर्माण में मदद करने का अनुरोध किया और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए भी कहाI अंत में उन्होंने कहा कि सबका प्रयास आत्मनिर्भर भारत को हासिल करने का तरीका है और आत्मनिर्भर गांव ही आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद है।

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केंद्र ने सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) को चरणबद्ध रूप से खत्म करने के लिए राज्यों को पत्र लिखा

देश भर के राज्य/केंद्र शसित प्रदेश और शहरी स्थानीय निकाय “क्लीन एंड ग्रीन” के व्यापक जनादेश के तहत विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून, 2022 को देश को सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) से मुक्त करने के साथ-साथ पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान देने के लिए अभियान चलाएंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 29 मई, 2022 को राष्ट्र के नाम 89वें मन की बात संबोधन के बाद ऐसा हो रहा है, जिसमें उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नागरिकों को एक साथ शामिल होने तथा स्वच्छता एवं वृक्षारोपण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया था।

विश्व पर्यावरण दिवस के दोहरे जनादेश और 30 जून, 2022 तक भारत के एसयूपी पर प्रतिबंध के संकल्प को देखते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इन आदेशों को पूरा करने के लिए कई तरह की गतिविधियों को लेकर एक विस्तृत सलाह जारी की है। इनमें प्लास्टिक कचरा संग्रह पर विशेष जोर देने के साथ बड़े पैमाने पर सफाई और प्लॉगिंग अभियान शामिल होंगे, साथ ही, सभी नागरिकों  – छात्र, स्वैच्छिक संगठन, स्वयं सहायता समूह, स्थानीय गैर सरकारी संगठन/सीएसओ, एनएसएस और एनसीसी कैडेट, आरडब्ल्यूए, बाजार संघ, कॉर्पोरेट संस्थाएं, आदि की भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा।

राष्ट्रव्यापी एसयूपी प्रतिबंध के संकल्प को लागू करने के लिए परामर्श में सुझाई गई अनेक पहलें शामिल हैं। वर्तमान में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा  स्वच्छ भारत मिशन – शहरी 2.0 कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जिसमें एसयूपी का उन्मूलन शामिल है – फोकस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मिशन के तहत, प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय को कचरे के  शत-प्रतिशत स्रोत पृथक्करण को अपनाने की आवश्यकता है, और सूखे कचरे (प्लास्टिक कचरे सहित) को रीसाइक्लिंग और/या मूल्य वर्धित उत्पादों के रूप में प्रसंस्करण के लिए आगे के अंशों में विभाजित करने के लिए एक सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा (एमआरएफ) तक पहुंच हो, जिससे प्लास्टिक और सूखे कचरे की मात्रा कम से कम होकर डंपसाइट्स या जलाशयों में समाप्त हो जाए।

जबकि 2,591 शहरी स्थानीय निकायों (4,704 में से) ने पहले ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार अधिसूचना के तौर पर एसयूपी प्रतिबंध की सूचना दी है। इसके तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि शेष 2,100 से अधिक  शहरी स्थानीय निकाय 30 जून, 2022 तक इसे अधिसूचित करें।  शहरी स्थानीय निकाय द्वारा एसयूपी ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान करने और उन्हें खत्म करने की आवश्यकता होगी, जबकि समानांतर रूप से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के समर्थन का लाभ उठाते हुए और विशेष प्रवर्तन दस्तों का गठन, औचक निरीक्षण करने और एसयूपी प्रतिबंधों को लागू करने के लिए चूककर्ताओं पर भारी जुर्माना और दंड लगाने की आवश्यकता होगी।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (पीडब्लूएम) (संशोधित) नियमावली, 2021 के अनुसार, पचहत्तर माइक्रोन (75 μ यानी 0.075 मिमी मोटाई) से कम नया या रीसायकल प्लास्टिक से बने कैरी बैग के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमावली, 2016 के तहत पहले अनुशंसित पचास माइक्रोन (50 μ) के स्थान पर 30 सितंबर, 2021 से प्रभावी है। इस नए प्रावधान के परिणामस्वरूप, नागरिकों को अब स्ट्रीट वेंडर, स्थानीय दुकानदारों, सब्जी विक्रेता आदि द्वारा प्रदान किए गए पतले प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने से रोकने और वैकल्पिक विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (संशोधित) नियम, 2021 के अनुसार प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए कई पूरक पहल भी की जाएंगी। शहरी स्थानीय निकायों को बाजार में आसानी से उपलब्ध एसयूपी-विकल्पों (जैसे कपड़ा/जूट/प्लास्टिक बैग, सड़ने वाली कटलरी आदि) की पहचान करने और नागरिकों के बीच ऐसे विकल्पों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता होगी। बोतलबंद पेय से निपटने वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं से अनुरोध किया जा सकता है कि वे बोतल बैंक स्थापित करें (जहां उपयोगकर्ता पीईटी बोतलों को छोड़ने के लिए भुगतान प्राप्त कर सकते हैं), और उनके विस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी के हिस्से के रूप में विभिन्न स्थानों पर सब्सिडी वाले पुन: प्रयोज्य प्लास्टिक बोतल बूथ भी स्थापित करें। साथ ही, शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को एसयूपी के विकल्प प्रदान करने के लिए  थैला (बैग)/बार्टन (बर्तन) कियोस्क या भंडार स्थापित कर सकते हैं, विशेष रूप से सार्वजनिक बैठकों और त्योहारों में उपयोग के लिए, जिससे एसयूपी खपत को कम करने में मदद मिलती है। इन पहलों को एसयूपी के उपयोग को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने और एसयूपी-विकल्पों का लाभ उठाने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और अन्य उच्च फुटफॉल क्षेत्रों में तैनात किए जाने वाले ‘स्वच्छता रथ’ के माध्यम से मजबूत किया जा सकता है।

राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों को भी पास के सीमेंट संयंत्रों या अन्य औद्योगिक इकाइयों के साथ समझौता कायम करने की सलाह दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पन्न प्लास्टिक कचरे का एक हिस्सा या तो सीमेंट संयंत्रों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में या सड़क निर्माण के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। बाद के उद्देश्य के लिए, शहरी स्थानीय निकायों या उनके लोक निर्माण विभागों को सड़क निर्माण में एसयूपी/बहुस्तरीय प्लास्टिक के उपयोग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ आगे आने की आवश्यकता होगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एडवाइजरी में बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी पर जोर दिया गया है, जहां सभी नागरिक श्रेणियां – निर्वाचित प्रतिनिधि जैसे मेयर और वार्ड पार्षद, स्वैच्छिक संगठन, स्थानीय एनजीओ/सीएसओ, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, मार्केट एसोसिएशन, स्वयं सहायता समूह, छात्र और युवा एसयूपी प्रतिबंध और प्रवर्तन के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए समूहों आदि की पहचान की जानी है और उन्हें शामिल किया जाना है। शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को प्लास्टिक न फैलाने और प्लास्टिक को लैंडफिल में जाने से रोकने के लिए संकल्प  करने हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं, साथ ही मीडिया या सोशल नेटवर्क में अच्छे निपटान व्यवहार को प्रचारित करने के लिए इनाम अभियान भी चला सकते हैं ताकि दूसरों को एसयूपी उपयोग को रोकने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

इन सभी पहलों को उच्चतम स्तर पर निगरानी के लिए प्रलेखन और रिपोर्टिंग के लिए एक विस्तृत प्रोटोकॉल के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा दर्ज किया जाना है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन – शहरी कार्यान्वित किया जा रहा है, जो देश के सभी वैधानिक शहरों में व्यापक स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन उपायों के माध्यम से “कचरा मुक्त शहर” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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भारत अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) परिषद के लिए फिर से चुनाव लड़ेगा

विश्व सूचना समाज सम्मेलन (वर्ल्ड समिट ऑफ इंफॉर्मेशन सोसाइटी – डब्ल्यूएसआईएस) 2022 के दौरान केंद्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत वैश्विक डिजिटल परिवर्तन, विकास में उत्कृष्टता प्राप्त करने और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में सबसे आगे रहा है।” श्री देवुसिंह चौहान ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में 31 मई से 3 जून 2022 तक आयोजित डब्ल्यूएसआईएस 2022 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

डब्ल्यूएसआईएस को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू), संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) द्वारा सभी डब्ल्यूएसआईएस एक्शन लाइन सह-/सुविधाकर्ता और संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों के निकट सहयोग से किया जाता है। विश्व समुदाय के लिए सूचना समाज के निर्माण में पहल करने के लिए 2003 में डब्ल्यूएसआईएस शिखर सम्मेलन के बाद से यह एक अनवरत प्रक्रिया है।

भारत आईटीयू परिषद के लिए 2023-2026 की अवधि के लिए फिर से चुनाव लड़ रहा है। भारत 1869 से आईटीयू का सदस्य रहा है और इसके कार्यों और गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है और वैश्विक समुदाय के हक में दूरसंचार/आईसीटी की वृद्धि और विकास में यथासंभव योगदान देता रहा है।

भारत की रेडियो विनियमन बोर्ड (आरआरबी) उम्मीदवार और आईटीयू परिषद के लिए फिर से चुनाव लड़ने की भारत की उम्मीदवारी के स्वागत समारोह में अपने संबोधन में श्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि भारत दुनिया को एक जुड़े समाज के रूप में महसूस करने और सतत विकास लक्ष्यों – 2030 को पूरा करने में आईसीटी को सक्षम करने के लिए आईटीयू की सोच और दृष्टि का प्रसार करता है।

सदस्य, आरआरबी के लिए भारत की उम्मीदवार के रूप में सुश्री एम. रेवती के नाम का प्रस्ताव करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि सुश्री रेवती के पास पेशेवर विशेषज्ञता, नेतृत्व क्षमता, समय पर किसी कार्य को संपन्न करने की प्रतिबद्धता, व्यवस्थित तौर पर समस्या का समाधान निकालने की क्षमता और समावेशी आईसीटी विकास के लिए विनियम तैयार करने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है।

श्री देवुसिंह चौहान ने आईटीयू के लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया और प्रतिभागियों से आईटीयू परिषद के लिए भारत की उम्मीदवारी और आरआरबी के लिए सुश्री रेवती की उम्मीदवारी का समर्थन करने की अपील की।

केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान “ब्रिजिंग द डिजिटल डिवाइड” पर उच्च स्तरीय नीति सत्र, कल्याण, समावेशन और लचीलापन के लिए आईसीटी पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज बैठक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर उच्च स्तरीय वार्ता सहित कई सत्रों में भाग लिया। डिजिटल डिवाइड पर उच्च स्तरीय नीति वक्तव्य देते हुए उन्होंने भारत के सभी 6 लाख गांवों को कवर करने के लिए भारतनेट, सभी गांवों के लिए अम्ब्रेला मोबाइल कवरेज, सभी के लिए हाई स्पीड इंटरनेट एक्सेस और कई अन्य उपायों के बारे में भारत सरकार की पहल के बारे में वैश्विक मंच को अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत को सफलतापूर्वक उचित मानकों की मंजूरी मिल गई है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में 5जी के प्रसार में मदद मिलेगी।

आईसीटी और एआई पर उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान श्री देवुसिंह चौहान ने प्रतिभागियों को भरोसोमंद आईसीटी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत द्वारा की गई पहलों और एआई की क्षमता का पता लगाने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एआई की विघटनकारी प्रकृति और अर्थव्यवस्थाओं को बदलने की इसकी क्षमता को देखते हुए, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते भारत के पास एआई क्रांति में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।

डब्ल्यूएसआईएस 2022 के इतर, केंद्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने कई द्विपक्षीय बैठकें कीं और आईटीयू के उप सचिव श्री मालकॉम जॉनसन, ईरान के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री इस्सा ज़ारेपोर, जापान के नीति समन्वय उप मंत्री श्री यूजी सासाकी, आईटीयू के महासचिव श्री हाओलिन झोउ जैसे कई गणमान्य व्यक्तियों और महानुभावों से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने उन्हें विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा द स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (श्री सरदार वल्लभभाई पटेल) का एक लघु स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।

आईटीयू के महासचिव श्री हाओलिन झोउ ने आईसीटी में भारत की पहल की सराहना की। डब्ल्यूआईएसएस के अध्यक्ष प्रोफेसर ईसा अली इब्राहिम ने भारत को एक सफल केस स्टडी के रूप में दर्ज किया।

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