ऐसा कहने सुनने में आता है कि अब जो अपराध होते हैं वह सोशल मीडिया की वजह से जल्दी सामने आ जाते हैं। अपराध पहले भी होते थे लेकिन खबरों में नहीं आ पाते थे और जब तक समाचार पत्रों के जरिए सामने आते थे तब तक मामला पुराना हो जाता था। वैसे यह सही भी है सोशल मीडिया की वजह से अपराध जल्दी ही लोगों के सामने आ जाता है लेकिन यदि महिला अपराध के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इन आंकड़ों में बढ़ोतरी ही हुई है और लगातार बढ़ते जा रहे हैं और महिला अपराध समाज में दहशत फैलाने का कार्य कर रहे हैं। हमारे समाज में घरेलू हिंसा, दुष्कर्म, लव जिहाद और एसिड अटैक जैसे मामले बहुत तेजी से उभर रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं? यदि ध्यान दिया जाये तो सबसे बड़ी वजह तो सोशल मीडिया ही है जहां अश्लीलता को बुरी तरह से परोसा जा रहा है और जिसे बड़ों से लेकर बच्चे तक उस अश्लीलता को देखते और पोसते आ रहे हैं। महिलाएं, लड़कियां अजीबोगरीब कपड़े पहनकर, बेहूदा अंग संचालन करके वीडियो पोस्ट कर रही हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी जिन्हें ठीक से बात करनी भी नहीं आती जिनकी उम्र खेलने और पढ़ने की है वह भी कमर मटका कर ऊलजलूल हरकतें करते दिख जाएंगे और उनकी ऐसी हरकतों पर माता-पिता बड़े गौरवान्वित होते हैं। उनके लिए उनका बच्चा स्टार से कम नहीं होता। इन्हीं रील्स वीडियो पर ही लोगों के भद्दे कमेंट भी पढ़ने को मिल जाते हैं। मतलब यह कि महिला और पुरुष दोनों का ही ओछापन दिखाई देता है। आज सबसे बड़ी समस्या सोशल मीडिया पर बनने वाली रील्स, वीडियो है जिस पर सख्त नियम लागू होने चाहिए। सभ्य घर की महिलाएं भी इससे अछूती नहीं रह गई हैं और कुछ स्त्रियों ने तो बेहूदेपन की हदें पार कर दी है।
लिव इन का बढ़ता हुआ ट्रेंड हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम हमारी सभ्यता, संस्कृति को कहां ले जा रहे हैं। हमारे देश में विवाह जैसी संस्था समाज की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ही है। यह लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देना सही नहीं है। इसके दुष्परिणाम लव जिहाद के रूप में सामने आता है। जहां धर्म परिवर्तन ना करने के कारण, जबरदस्ती रिश्ते बनाए रखने के कारण या आपस में सामंजस्य ना रहने के कारण अपराधिक कृत्य सामने आते हैं। जिसमें बाद में पछताने के सिवा कुछ नहीं हासिल नहीं होता। हम भौतिक रूप से बहुत खुले विचार वाले हो गए हैं लेकिन हमारी सोच अभी भी वही रूढ़िवादी है। हम अभी भी इस तरह की परंपराओं को मन से स्वीकार नहीं कर पाये हैं। पाश्चात्य सभ्यता वैसे भी हमें परिवार से अलग-थलग रहना सिखाती है जोड़कर नहीं। इस सब पर रोकथाम जरूरी है। समाज को सही दिशा देने के लिए आजादी के नाम पर ऐसी उच्श्रृंखलता लिव इन जैसी प्रथा को खत्म किया जाना चाहिए। पाश्चात्य सभ्यता में संबंधों का टूटना-बिखरना एक आम बात है, वहीं अब भारत में भी रिश्तों का औचित्य खोने लगा है और व्यक्तिगत हितों के सामने आपसी रिश्तों का कद दिनोंदिन बौना होता जा रहा है और महानगरों में यह प्रथा (लिव इन) ज्यादा प्रचलित हो रही है। लिव इन की प्रथा उन लोगों के लिए सही है जिनके रिश्ते में दरार पैदा हो गई हो या विवाह विच्छेद में दिक्कतें आ रही हो क्योंकि हमारी कानून व्यवस्था बहुत लचर है जिसके कारण न्याय मिलने में काफी समय लग जाता है। लिव इन की प्रथा भारतीय समाज में नयी नहीं है। वैदिक काल में हमारे यहाँ मान्य विवाह की आठ पद्धतियों में से एक ‘गंधर्व विवाह पद्धति’ प्रचलित थी। जिसे समाज मन से स्वीकार नहीं करता,, क्योंकि यह रिश्ता सामाजिक मर्यादाओं और दायित्वों को अमान्य करता है।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए सरकार ने कुछ नियम बनायें हैं जिनका उल्लंघन खुलेआम होता है।
महिला अपराधों में घरेलू हिंसा को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां स्त्री परिवार, समाज, दबाव और शर्म के कारण आवाज नहीं उठा पाती है। परिवार का सहयोग ना मिलना, बच्चों का भविष्य ध्यान में रखकर उसके पास चुप रहने के अलावा कोई पर्याय नहीं होता है। देखा गया है कि ऐसी स्त्रियां मानसिक स्तर पर और निर्णय लेने की क्षमता में खुद को अक्षम पातीं हैं। उनका व्यक्तित्व दबा दिया जाता है।
आजकल बच्चों के हाथों में मोबाइल होना आम बात है और वह भी सोशल मीडिया से अछूते नहीं है। इन सब का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्तर पर क्या असर होगा यह सोचने का विषय है? हिंसा से भरपूर सीरियल, मूवीज़ देखकर ही लोग अपराधिक प्रवृत्ति की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं। इस सब पर रोकथाम जरूरी है। सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के मन से कानून का डर खत्म हो गया है। आज जरूरत है स्मार्ट पुलिस व्यवस्था की और पुलिस को भी अपना रवैया बदलना होगा उसे सकारात्मक रवैया अपनाना होगा ताकि पीड़ित व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सके और न्याय के लिए आवाज उठा सके।
लिव इन जैसे रिश्तो में भरोसा कम रहता है और अलगाव की स्थिति ज्यादा रहती है जिसमें पुरुष से ज्यादा महिलाओं को दिक्कतों का सामना ज्यादा करना पड़ता है साथ ही उत्पीड़न और सामाजिक उपेक्षा भी ज्यादा सहनी पड़ती है अगरचे इनसे कोई संतान रही तो उसकी मानसिक स्वास्थ्य और उसके भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता है। लिव इन रिलेशनशिप दायित्वों से मुंह छिपाना ही है जिसमें कोई बंधन नहीं होता है। आज बहुत जरुरी हो गया है कि सरकार इस पर सख्त कानून बनाये। लिव इन प्रगतिवाद की अनिवार्य बुराई है। सामाजिक व्यवस्था की जड़ता और कट्टरता को दूर कर लिव इन रिलेशनशिप को संस्कारपरक परिवार बनाने की दिशा में प्रयास होने चाहिए। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी
निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में चल रहे उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति पर आयोग के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर एसएसपी, मैनपुरी और इटावा से स्पष्टीकरण मांगा
भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में चल रहे उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति पर आयोग के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर एसएसपी मैनपुरी और इटावा से स्पष्टीकरण मांगा है। समाजवादी पार्टी के प्रो. रामगोपाल यादव से प्राप्त अभ्यावेदन के संदर्भ में, मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोग ने, चुनाव आयुक्त श्री अनूप चंद्र पांडे और श्री अरुण गोयल के साथ विचार-विमर्श के बाद निम्नलिखित निर्देश दिए हैं –
1. एसएसपी, मैनपुरी उक्त स्थानान्तरण एवं नियुक्ति नीति के अंतर्गत आने वाले उपनिरीक्षक श्री सुरेश चंद, श्री कादिर शाह, श्री सुधीर कुमार, श्री सुनील कुमार, श्री सत्य भान एवं श्री राज कुमार गोस्वामी को संबंधित विधानसभा क्षेत्र, जहां वे वर्तमान में तैनात हैं, से तत्काल कार्यमुक्त करें।
2. एसएसपी, मैनपुरी आयोग को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें कि पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति करते समय आयोग के मौजूदा निर्देशों और आदर्श आचार संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन न करने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।
3. एसएसपी इटावा इस बात पर अपना स्पष्टीकरण दें कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद आयोग की पूर्व अनुमति के बिना चार थानों- वैदपुरा, भरथना, जसवंतनगर और चौबिया- के एसएचओ को लंबी छुट्टी देने के मामले में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।
4. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया है कि 21-मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के लिए चल रहे उपचुनाव से संबंधित सुरक्षा बल की तैनाती संबंधित जनरल और पुलिस ऑब्जर्वर की देखरेख में रेंडमाइजेशन आदि की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए सख्ती से की जाए। स्थानीय पुलिस बल का रेंडमाइजेशन निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु आयोग के मौजूदा निर्देशों की आधारशिला है।
5. स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने हेतु, चुनाव वाले सभी जिलों के डीईओ को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है कि आयोग के मौजूदा निर्देशों, कानून के प्रासंगिक प्रावधानों और आदर्श आचार संहिता का अक्षरशः पालन किया जाए।
Read More »रक्षा मंत्रालय ने कॉर्पोरेट नौकरियों में पूर्व-अग्निवीरों के लिए आरक्षण पर भारतीय रक्षा उद्योग के साथ बातचीत का आयोजन किया
रक्षा मंत्रालय ने 30 नवंबर, 2022 को सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के तत्वावधान में भारतीय रक्षा उद्योग के साथ कंपनियों की कॉर्पोरेट भर्ती योजना के तहत पूर्व-अग्निवीरों के लिए लाभकारी रोजगार के अवसरों की तलाश के क्रम में एक बातचीत सत्र का आयोजन किया। सत्र की अध्यक्षता रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने की। एलएंडटी, अदानी डिफेंस लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड, अशोक लेलैंड सहित अन्य प्रमुख भारतीय रक्षा उद्योगों के वरिष्ठ अधिकारियों ने चर्चा में भाग लिया।
रक्षा सचिव ने राष्ट्र निर्माण में जुटे विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक समर्पित और अनुशासित युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से सशस्त्र बलों के साथ अपने कार्यकाल के बाद अग्निवीरों की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए सरकार के प्रयास पर प्रकाश डाला। सशस्त्र बलों के साथ अपने जुड़ाव के दौरान अग्निवीरों द्वारा प्राप्त कौशल एक उच्च सक्षम और पेशेवर कार्यबल बनाने में मदद करेगा और यह उद्योग द्वारा उपयोगी और संरचनात्मक जुड़ाव के लिए आसानी से उपलब्ध होगा।
कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस प्रयास में अपना निरंतर समर्थन और प्रतिबद्धता जताई और सशस्त्र बलों के साथ अपना पहला बैच पूरा करने के बाद पूर्व-अग्निवीरो को तैनात करने के प्रति उत्सुकता व्यक्त की। उन्होंने आश्वासन दिया कि उपलब्ध कौशल क्षमता के आधार पर अग्निवीरों के आरक्षण के लिए उनकी भर्ती नीतियों में उपयुक्त प्रावधान किए जाएंगे। उद्योग की आवश्यकताओं के साथ अग्निवीरों द्वारा सीखे गए कौशल को जोड़ने के संबंध में कुछ सुझावों पर भी विचार किया गया।
रक्षा सचिव ने प्रतिभागियों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया को स्वीकार करते हुए, भारतीय रक्षा निर्माताओं से अपनी प्रतिबद्धता पर कार्य करने और कॉर्पोरेट भर्ती योजनाओं के तहत उनसे जल्द से जल्द नीतिगत घोषणा करने का आग्रह किया।
Read More »भारतीय तटरक्षक के उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके-III स्क्वाड्रन, 840 एसक्यूएन (सीजी), को चेन्नई में कमीशन किया गया
तटरक्षक क्षेत्र पूर्व, 840 स्क्वॉड्रन (सीजी) को और मजबूत करने के प्रमुख प्रयास के तहत उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) एमके-III स्कवॉड्रन को महानिदेशक श्री वीएस पठानिया ने 30 नवंबर, 2022 को आईसीजी एयर स्टेशन, चेन्नई में कमीशन किया। उक्त 840 स्कवॉड्रन (सीजी) को कमीशन किया जाना इस बात का संकेत है कि हेलीकॉप्टर निर्माण के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से अग्रसर है। यह प्रयास केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना के अनुरूप है। इससे तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के संवेदनशील समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा के लिये भारतीय तट रक्षक की क्षमताओं में बहुत बढ़ोतरी हो जायेगी।
एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टरों को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने निर्मित किया है, जो पूरी तरह स्वदेशी है। इसमें उन्नत रडार के साथ इलेक्ट्रो ऑप्टिकल संवेदी यंत्र, शक्ति इंजन, पूरी तरह शीशे का बना कॉकपिट, तेज प्रकाश वाली सर्च लाइट, उन्नत संचार प्रणालियां, स्वचालित पहचान प्रणाली, तलाश व बचाव प्रणालियां लगी हैं। इन उपकरणों और सुविधाओं की सहायता से हेलीकॉप्टर समुद्री टोही गतिविधियों के अलावा दूर तक तलाशी व बचाव कार्य कर सकता है। हेलीकॉप्टर दिन और रात, दोनों समय पोतों से उड़ान भरकर उपरोक्त गतिविधियां चलाने में सक्षम है।
हेलीकॉप्टर में भारी मशीनगन लगी हुई है, इसलिये यह पलक झपकते आक्रामक मुद्रा में आ सकता है। इसमें एक गहन चिकित्सा सुविधा इकाई भी मौजूद है, ताकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को फौरन अस्पताल पहुंचाया जा सके। भारतीय तट रक्षक में चरणबद्ध तरीके से कुल 16 एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टरों को शामिल किया गया है। इनमें से चार हेलीकॉप्टरों को चेन्नई में तैनात किया गया है। शामिल होने के बाद से स्कवॉड्रन ने 430 घंटों से अधिक समय की उड़ान भरी है तथा अनेक संचालन अभियानों को पूरा किया है।
Read More »मुख्य सचिवों के दूसरे सम्मेलन से ठीक पहले विनिर्माण, आवास एवं रियल एस्टेट, और सेवाओं में निजी निवेश पर कार्यशाला आयोजित
मुख्य सचिवों के दूसरे सम्मेलन से ठीक पहले स्तंभ 1 – विकास और रोजगार सृजन के तहत उप-विषय 2 – अवसंरचना और निवेश के ट्रैक 2 – विनिर्माण, आवास एवं रियल एस्टेट, और सेवाओं में निजी निवेश पर आमने–सामने बैठकर कार्यशाला ट्रैक- नेतृत्व राज्य असम और केंद्रीय नोडल विभाग यानी, आर्थिक कार्य विभाग, भारत सरकार द्वारा 1 दिसंबर 2022 को आईआईटी गुवाहाटी, असम में आयोजित की गई, और इसमें 19 राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भागीदारी देखी गई। इस कार्यशाला में राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 50 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग एवं शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
इस कार्यशाला का उद्घाटन भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव श्री अजय सेठ और असम सरकार के मुख्य सचिव श्री पबन कुमार बोरठाकुर ने किया। उन्होंने विचारों, संभावित समाधानों और तरह-तरह की सीख एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान पर केंद्र-राज्य और अंतर-राज्य चर्चाएं करने के लिए इस अवसर का उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने उन व्यावहारिक सिफारिशों को पेश करने की आवश्यकता पर भी विशेष जोर दिया जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं और इस वर्ष के सीएस सम्मेलन की थीम – ‘विकसित भारत – अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना‘ के अनुरूप हैं।
संदर्भ तय करने वाले अपने संबोधन में श्री समीर सिन्हा, प्रधान सचिव, वित्त विभाग, असम सरकार ने उस पृष्ठभूमि और कदमों से अवगत कराया जिनकी बदौलत आज आमने–सामने बैठकर यह कार्यशाला आयोजित की जा सकी है। इन कदमों में अवधारणा नोट एवं पृष्ठभूमि प्रपत्र तैयार करना और इस महीने की शुरुआत में वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक आयोजित करना, इत्यादि शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने ट्रैक 2 चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों की एक समग्र तस्वीर पेश की।
इस कार्यशाला के दौरान उद्योग एवं शिक्षा जगत और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं, जिसके बाद प्रमुख कार्यान्वयन मॉडलों, समस्त परियोजनाओं एवं योजनाओं से जुड़े विचारों व अनुभवों और आगे की राह पर खुली चर्चा
Read More »नवंबर 2022 के दौरान सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,45,867 करोड़ रुपए रहा, साल-दर-साल 11% की रिकॉर्ड वृद्धि
नवंबर 2022 के महीने में एकत्र किया गया सकल जीएसटी राजस्व 1,45,867 करोड़ रुपए रहा, जिसमें से सीजीएसटी 25,681 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 32,651 करोड़ रुपए, आईजीएसटी 77,103 करोड़ रुपए (माल के आयात पर एकत्रित 38,635 करोड़ रुपए सहित) और 10,433 करोड़ रुपए (माल के आयात पर एकत्रित 817 करोड़ रुपए सहित) उपकर है।
सरकार ने आईजीएसटी से 33,997 करोड़ रुपए सीजीएसटी के लिए और 28,538 करोड़ रुपए एसजीएसटी के लिए तय किए हैं। नवंबर 2022 के महीने में नियमित निपटान के बाद केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 59678 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 61189 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, केंद्र ने नवंबर 2022 में राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी मुआवजे के रूप में 17,000 करोड़ रुपये भी जारी किए थे।
नवंबर 2022 के महीने का राजस्व पिछले साल इसी महीने में जीएसटी राजस्व से 11% अधिक है, जो 1.31,526 करोड़ रुपये था। महीने के दौरान, माल के आयात से राजस्व 20% अधिक था और घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से राजस्व पिछले वर्ष इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व से 8% अधिक है।
नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में रुझान दिखाता है। तालिका नवंबर 2021 की तुलना में नवंबर 2022 के महीने के दौरान प्रत्येक राज्य में एकत्र किए गए जीएसटी के राज्य-वार आंकड़े दिखाती है।
नवंबर 2022 के दौरान जीएसटी राजस्व में हुई राज्यवार प्रगतिः [1]
राज्य |
नवंबर-21 |
नवंबर-22 |
बढ़ोत्तरी |
जम्मू-कश्मीर |
383 |
430 |
12% |
हिमाचल प्रदेश |
762 |
672 |
-12% |
पंजाब |
1,845 |
1,669 |
-10% |
चंडीगढ़ |
180 |
175 |
-3% |
उत्तराखंड |
1,263 |
1,280 |
1% |
हरियाणा |
6,016 |
6,769 |
13% |
दिल्ली |
4,387 |
4,566 |
4% |
राजस्थान |
3,698 |
3,618 |
-2% |
उत्तर प्रदेश |
6,636 |
7,254 |
9% |
बिहार |
1,030 |
1,317 |
28% |
सिक्किम |
207 |
209 |
1% |
अरुणाचल प्रदेश |
40 |
62 |
55% |
नगालैंड |
30 |
34 |
11% |
मणिपुर |
35 |
50 |
42% |
मिजोरम |
23 |
24 |
3% |
त्रिपुरा |
58 |
60 |
3% |
मेघालय |
152 |
162 |
6% |
असम |
992 |
1,080 |
9% |
पश्चिम बंगाल |
4,083 |
4,371 |
7% |
झारखंड |
2,337 |
2,551 |
9% |
ओडिशा |
4,136 |
4,162 |
1% |
छत्तीसगढ़ |
2,454 |
2,448 |
0% |
मध्य प्रदेश |
2,808 |
2,890 |
3% |
गुजरात |
9,569 |
9,333 |
-2% |
दमन और दीव |
0 |
0 |
67% |
दादरा और नगर हवेली |
270 |
304 |
13% |
महाराष्ट्र |
18,656 |
21,611 |
16% |
कर्नाटक |
9,048 |
10,238 |
13% |
गोवा |
518 |
447 |
-14% |
लक्ष्यद्वीप |
2 |
0 |
-79% |
केरल |
2,129 |
2,094 |
-2% |
तमिलनाडु |
7,795 |
8,551 |
10% |
पुदुचेरी |
172 |
209 |
22% |
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह |
24 |
23 |
-7% |
तेलांगना |
3,931 |
4,228 |
8% |
आंध्र प्रदेश |
2,750 |
3,134 |
14% |
लद्दाख |
13 |
50 |
273% |
अन्य क्षेत्र |
95 |
184 |
93% |
केंद्रीय अधिकार क्षेत्र |
180 |
154 |
-14% |
कुल योग |
98,708 |
1,06,416 |
8% |
गुजरात में भारी मात्रा में मादक दवाओं का पकड़ा जाना इस बात का परिचायक है कि राज्य विधानसभा चुनाव 2022 में खर्च पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है
भारत निर्वाचन आयोग ने कानून लागू करने वाली अनेक एजेंसियों के जरिये जो सटीक योजना बनाई, गंभीर समीक्षायें कीं और खर्च पर पैनी नजर रखी, उसकी बदौलत गुजरात में मौजूदा विधानसभा चुनावी प्रक्रिया के दौरान रिकॉर्ड जब्ती करने में सफलता मिली है। ज़ब्ती की कार्रवाई लगातार चल रही है और इसी तरह की एक अहम कार्रवाई के दौरान एटीएस गुजरात के अधिकारियों के दल के नेतृत्व में मादक पदार्थों की एक बड़ी खेप पकड़ी गई है। यह अभियान वडोदरा (ग्रामीण) और वडोदरा सिटी में चलाया जा रहा है। एटीएस के दल ने दो मेफेड्रोन दवा निर्माण इकाइयों का पता लगाया और लगभग 478 करोड़ रुपये की कीमत के बराबर मेफेड्रोन (सिंथेटिक दवा) की लगभग 143 किलोग्राम मात्रा जब्त की। टीम ने नादियाड और वडोदरा से पांच लोगों को गिरफ्तार किया है तथा एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की विभिन्न धाराओं के तहत एटीएस पुलिस स्टेशन, अहमदाबाद में आपराधिक मामला दर्ज किया जा रहा है। अभियान लगातार जारी है और अभियान के पूरा हो जाने के बाद पूरा विवरण उपलब्ध करा दिया जायेगा।
गुजरात में अब तक (29.11.2022) की गई जब्ती का विवरण इस प्रकार हैः
राज्य | नकदी | शराब | मादक दवायें | कीमती धातुयें | मुफ्त उपहार | कुल ज़ब्ती |
(करोड़ रुपये में) | मात्रा और कीमत (करोड़ रुपये में) | कीमत (करोड़ रुपये में) | कीमत (करोड़ रुपये में) | कीमत (करोड़ रुपये में) | (करोड़ रुपये में) | |
गुजरात | 27.0 | 411851.23 मात्रा, कीमत 14.88 | 61.96 (इस समय पकड़ी जाने वाली नशीली दवाओं के अतिरिक्त) | 15.79 | 171.24 | 290.94 |
वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 27.21 करोड़ रुपये की कुल जब्ती की गई थी। यदि 29.11.2022 का जब्ती चार्ट देखा जाये, जिसमें 290.24 करोड़ रुपये की कुल जब्ती दर्ज है, तो पता चलेगा कि 2017 में जो जब्ती हुई थी, इस बार उससे 10.66 गुना अधिक कीमत की जब्ती की गई है। इसके अलावा नशीली दवाओं की जब्ती जारी है, उसमें तो 28 गुना की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। जब्ती आंकड़ों में इस भारी छलांग के पीछे भारत निर्वाचन आयोग की समग्र रणनीति, विस्तृत योजना और कर्मठता का हाथ है।
बनासकांठा जिले में थराद पुलिस थाने में रखी पकड़ी गई शराब
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 की तिथियों की घोषणा के अवसर पर, मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने प्रलोभन-मुक्त चुनावों पर जोर दिया था और हिमाचल प्रदेश मे भारी कीमत की जब्ती का हवाला दिया था। 23 नवंबर, 2022 को आयोग ने गुजरात और पड़ोसी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों – राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दमन व दीव तथा दादर व नगर हवेली के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों, आबकारी आयुक्तों, डीजी (आयकर) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की थी। यह बैठक शांति-व्यवस्था की परिस्थिति की समीक्षा करने तथा मुक्त, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिये समन्वय के लिये बुलाई गई थी। इस अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने प्रभावकारी और कड़े उपाय करने का निर्देश दिया। यह व्यवस्था मतदान के दिन तक जारी रहेगी, ताकि दूसरे राज्यों से नकदी, शराब, मुफ्त की रेवडियां न आने पायें। उन्होंने मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को यह निर्देश भी दिया कि वे जब्ती का राज्यवार मूल्यांकन करें तथा उचित कार्रवाई करें। आयोग ने यह भी कहा कि जिन स्थानों से गैर-कानूनी शराब और मादक पदार्थ आते हैं, वहां कार्रवाई सुनिश्चित की जाये।
कड़ी निगरानी की तैयारियों में उस समय तेजी आई, जब मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त श्री अनूप चंद्र पाण्डेय के नेतृत्व में आयोग की टीम ने सितंबर में गुजरात का दौरा किया था तथा चुनावी तैयारियों का जायजा लिया था। समर्पित टीमों ने अक्टूबर में राज्य के विभिन्न इलाकों का दौरा किया और विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा की। अपने दौरे के समय आयोग ने कानून लागू करने वाली एजेंसियों, जिला प्राधिकारों और पुलिस नोडल अधिकारियों से बातचीत की तथा उन्हें निर्देश दिया कि मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सभी हरकतों पर कड़ी नजर रखी जाये।
अहमदाबाद में रामोल पुलिस थाने ने दूध-वाहन में ले जाई जाने वाली शराब की धड़-पकड़ की
खर्च पर निगरानी की प्रक्रिया चुनाव की घोषणा के पहले ही शुरू हो जाती है। इसमें तमाम गतिविधियां शामिल होती हैं, जैसे खर्च निरीक्षकों के रूप में अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति, समग्र और सटीक निगरानी के लिये कानून लागू करने वाली एजेंसियों को जागरूक बनाना व उनकी समीक्षा करना, खर्च संवेदी निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान, निगरानी प्रक्रिया में मैदानी स्तर पर तैनात की जानी वाली टीमों की उचित उपलब्धता और उसकी योजना तथा चुनावी प्रक्रिया को दूषित करने वाले धनबल की भूमिका को रोकने के इरादे से डीईओ/एसपी के साथ नियमित संपर्क। चुनावी तैयारियों की समीक्षा, केंद्रीय निरीक्षकों, डीईओ, एसपी के साथ समीक्षा के बाद समग्र निगरानी की जा रही है।
आम चुनावों से लेकर गुजरात विधानसभा चुनाव में धनबल पर अंकुश लगाने और उसकी कारगर निगरानी के लिये भारत निर्वाचन आयोग ने 69 व्यय निरीक्षकों को तैनात किया गया है। इसके अलावा 27 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को भी व्यय संवेदी निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है, जहां कड़ी निगरानी की जा रही है। आयोग ने विशेष व्यय निरीक्षक श्री बी. मुरली कुमार (आईआरएस, 1983, सेवानिवृत्त अधिकारी) को नियुक्त किया है, जो इस मामले के विशेषज्ञ हैं। श्री कुमार को तैयारियों का जायजा लेने और कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ समन्वय बैठाने के लिये तैनात किया गया है।
इसी तरह, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2022 में भी जब्ती की कार्रवाई की गई। राज्य में 12 नवंबर को मतदान पूर्ण हो गया। वहां 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की तुलना में इस बार 500 प्रतिशत से अधिक का उछाल देखा गया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनवा में 9.03 करोड़ रुपये की कीमत की जब्ती की गई थी, जिसकी तुलना में इस बार 57.24 करोड़ रुपये की कीमत की जब्ती की गई। वर्ष 2022 के जारी उप-चुवावों में एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र और बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान व उत्तरप्रदेश के छह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 5.40 करोड़ रुपये की कीमत की जब्ती की गई। कड़ी निगरानी चुनाव होने वाले राज्यों में जारी रहेगी, जब तक कि चुनावी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। अंदेशा है कि जब्ती के आंकड़े अभी और बढ़ेंगे।
Read More »क्राइस्ट चर्च कॉलेज, की एनएसएस इकाई द्वारा वर्ल्ड एड्स डे के अवसर पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित
कानपुर 2 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर की एनएसएस इकाई ने वर्ल्ड एड्स डे के अवसर पर एड्स पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें जजेस के तौर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल उप प्राचार्य डॉ सबीना बोदरा और आए हुए अतिथि अजय कुमार गुप्ता शामिल हुए इस कार्यक्रम का प्रारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल के द्वारा हुआ जिसमे छात्र एवं छात्राओ को एड्स से संबंधित जानकारी दी और उनको इसके प्रति जागरूक किया इसके पश्चात प्रतियोगिता प्रारंब हुई और सभी प्रतिभागियों ने बहुत ही उत्सुकता के साथ इसमें भाग लिया और इस प्रतियोगिता में।कार्यक्रम का समापन कॉलेज के प्राचार्य तथा उप प्राचार्य और साथ ही एनएसएस इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन दीक्षित तथा खुशी मल्होत्रा सह प्रमुख विलायत फातिमा तथा मोमिन अली ने अपनी टीम जिसमे रितेश,सुप्रिया,स्तुति,आर्फिया के साथ मिल के कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन किया।
Read More »रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्रेटर नोएडा में एक कार्यक्रम में युवा शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा- नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर एक मजबूत और आत्म-निर्भर ‘नए भारत’ का निर्माण करें
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने युवाओं से नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेने और भविष्य की सभी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम एक मजबूत और आत्मनिर्भर ‘नए भारत’ का निर्माण करने का आह्वान किया है। श्री राजनाथ सिंह ने यह विचार ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक सम्मेलन में युवा शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि देश की युवा जागृत सोच में ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को देश की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से प्रेरणा लेनी चाहिए और गहन शोध के माध्यम से नवीन विचारों के साथ आगे बढ़ते हुए देश को और ऊंचाइयों पर ले जाना चाहिए। आने वाले समय में प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में एक केंद्रीय भूमिका निभाएगी इस पहलू को ध्यान में रखते हुए श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से इंटरनेट जैसे नए तरीकों के अलावा पारंपरिक स्रोतों जैसे अनुसंधान संस्थानों, पुस्तकालयों और अभिलेखागार के माध्यम से गहन शोध पर ध्यान केंद्रित करने का भी आह्वान किया।
श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से दुनिया भर में हो रहे नवीनतम विकास के साथ गति बनाए रखने का आग्रह करते हुए यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इसके साथ-साथ देश की सांस्कृतिक परंपराएं और मूल्य संरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में, दुनिया कई माध्यमों से आपस में जुड़ी हुई है। इसलिए, विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, शिक्षा, आर्थिक और राजनीतिक प्रणालियों को समझना आवश्यक है। जबकि हम एक ‘नए भारत’ के निर्माण में दृढ़ हैं, हमारा मार्गदर्शक ‘अतीत का भारत’ और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमिका और दूरदृष्टि का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। कुछ लोग इसे इतिहास का पुनर्लेखन कहते हैं जबकि वह इसे पाठ्यक्रम में सुधार मानते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का ध्यान ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड’ के विजन के अनुरूप हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आते हुए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ को हासिल करना है जिसका नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था।
श्री राजनाथ सिंह ने देश को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों की भी जानकारी दी। इनमें राजपथ से कार्तव्य पथ; इंडिया गेट परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा की स्थापना; नेताजी को श्रद्धांजलि के रूप में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के तीन द्वीपों का नाम बदलना; मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी से प्रेरित भारतीय नौसेना की एक नई पताका और ब्रिटिश काल के सैकड़ों कानूनों को समाप्त करना शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत समृद्ध विविधता और अपार संभावनाओं का देश है और सरकार देश को मजबूत और ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए उस क्षमता का दोहन करने के साथ आगे बढ़ रही है।
Read More »भारत की जी20 की अध्यक्षता की पारी शुरू
जी20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे तथा यहां से और आगे की ओर बढ़ेंगे।
अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूं- क्या जी20 अभी भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव को उत्प्रेरित कर सकते हैं?
मेरा विश्वास है कि हम ऐसा कर सकते हैं।
हमारी परिस्थितियां ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। पूरे इतिहास के दौरान, मानवता अभाव में रही। हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था। विभिन्न विचारों, विचारधाराओं और पहचानों के बीच, टकराव और प्रतिस्पर्धा आदर्श बन गए।
दुर्भाग्य से, हम आज भी उसी शून्य-योग की मानसिकता में अटके हुए हैं। हम इसे तब देखते हैं जब विभिन्न देश क्षेत्र या संसाधनों के लिए आपस में लड़ते हैं। हम इसे तब देखते हैं जब आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाया जाता है। हम इसे तब देखते हैं जब कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी की जाती है, भले ही अरबों लोग बीमारियों से असुरक्षित हों।
कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि टकराव और लालच मानवीय स्वभाव है। मैं इससे असहमत हूं। अगर मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है, तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली इतनी सारी आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए?
भारत में प्रचलित ऐसी ही एक परंपरा है जो सभी जीवित प्राणियों और यहां तक कि निर्जीव चीजों को भी एक समान ही पांच मूल तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंचतत्व से बना हुआ मानती है। इन तत्वों का सामंजस्य – हमारे भीतर और हमारे बीच भी- हमारे भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए आवश्यक है।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए हमारी थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है।
ये सिर्फ एक नारा नहीं है। ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं।
आज हमारे पास दुनिया के सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करने के साधन हैं।
आज, हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है – हमारे युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं है। ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए!
आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।
सौभाग्य से, आज की जो तकनीक है वह हमें मानवता के व्यापक पैमाने पर समस्याओं का समाधान करने का साधन भी प्रदान करती है। आज हम जिस विशाल वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, वह डिजिटल प्रौद्योगिकियों की मापनीयता को प्रदर्शित करती है।
भारत इस सकल विश्व का सूक्ष्म जगत है जहां विश्व की आबादी का छठवां हिस्सा रहता है और जहां भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और विश्वासों की विशाल विविधता है।
सामूहिक निर्णय लेने की सबसे पुरानी ज्ञात परंपराओं वाली सभ्यता होने के नाते भारत दुनिया में लोकतंत्र के मूलभूत डीएनए में योगदान देता है। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की राष्ट्रीय सहमति किसी फरमान से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाजों को एक सुरीले स्वर में मिला कर बनाई गई है।
आज, भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा का पोषण करते हुए, हमारा नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल एकदम हाशिए पर पड़े नागरिकों का भी ख्याल रखता है।
हमने राष्ट्रीय विकास को ऊपर से नीचे की ओर के शासन की कवायद नहीं, बल्कि एक नागरिक-नेतृत्व वाला ‘जन आंदोलन’ बनाने की कोशिश की है।
हमने ऐसी डिजिटल जन उपयोगिताएं निर्मित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है जो खुली, समावेशी और अंतर-संचालनीय हैं। इनके कारण सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे विविध क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रगति हुई है।
इन सभी कारणों से भारत के अनुभव संभावित वैश्विक समाधानों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
जी20 अध्यक्षता के दौरान, हम भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरों के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए एक संभावित टेम्प्लेट के रूप में प्रस्तुत करेंगे।
हमारी जी20 प्राथमिकताओं को; न केवल हमारे जी20 भागीदारों, बल्कि वैश्विक दक्षिण में हमारे साथ-चलने वाले देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती है, के परामर्श से निर्धारित किया जाएगा।
हमारी प्राथमिकताएं; हमारी ‘एक पृथ्वी’ को संरक्षित करने, हमारे ‘एक परिवार’ में सद्भाव पैदा करने और हमारे ‘एक भविष्य’ को आशान्वित करने पर केंद्रित होंगी।
अपने प्लेनेट को पोषित करने के लिए, हम भारत की प्रकृति की देख-भाल करने की परंपरा के आधार पर स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहित करेंगे।
मानव परिवार के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए, हम खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि भू-राजनीतिक तनाव मानवीय संकट का कारण न बनें। जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए।
हमारी आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने के लिए; हम, बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होने वाली जोखिमों को कम करने और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के बीच एक ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे।
भारत का जी20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा।
आइए हम भारत की जी20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट हों।
आइए हम मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरुप देने के लिए साथ मिलकर काम करें।
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