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एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में नेत्र परिक्षण शिविर आयोजित

कानपुर 23 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन ऐस ऐस यूनिट (काडोम्बिनी देवी) के द्वारा महाविद्यालय परिसर में नेत्र परिक्षण शिविर का आयोजन किया गया माँ सरस्वती को माल्यार्पण कर इस शिविर का शुभारम्भ प्राचार्या प्रो. (डॉ) सुमन के नेत्र परिक्षण से प्रारम्भ हुआ यह नेत्र परिक्षण शिविर सेंटर फॉर साइट के डॉ अलोक सचान एवम उनकी तकनीशियन टीम अभिनव मिश्रा, अनुराग शुक्ल एवम राजीव के द्वारा संपन्न किया गया, इस शिविर में १०० छात्राओं, ५० अभिवावको, १० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारीगण, १२ तृतीया श्रेणी कर्मचारीगण, २० प्रवक्ताओं ने अपनी नेत्रों का परिक्षण करवाया कैंप कोऑर्डिनेटर प्रो. चित्रा सिंह तोमर एवम डॉ. प्रीति सिंह ने सभी छात्राओं को कैंप में भाग लेने के लिए उत्साहित किया तथा प्राचार्य प्रो. (डॉ.) सुमन ने कैंप की सफलता पर सबको बधाई दी, कैंप का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया

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डी जी कॉलेज में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 23 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज में भूगोल विभाग एवं मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
प्राचार्य डॉ अर्चना वर्मा ने बताया कि यह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता डॉ संगीता सिरोही तथा डॉ.सुषमा शर्मा के कुशल निर्देशन में आयोजित की गई।
उक्त प्रतियोगिता में टीम बी से नलिनी पटेल, महाम शफीक, आराधना व महिमा गुप्ता ने प्रथम; टीम ए व टीम डी से ममता, लक्ष्मी, नंदिनी, शुभी दीक्षित,अर्चना दीक्षित, पूर्णिमा, निधि व रागिनी कुमारी ने संयुक्त रूप से द्वितीय तथा टीम सी से शिवांशी राठौर, श्वेता यादव, मानसी व साहू दिव्यांका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया अरीशा व निखत स्कोरर रही।
आयोजन को सफल बनाने में विभाग की सभी प्राध्यापिकाओं डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड, डॉ ज्योति आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में राष्ट्रीय जेंडर अभियान के अंतर्गत मिशन शक्ति द्वारा महिला सशक्तिकरण व घरेलू हिंसा विषय पर एक चर्चा आयोजित

कानपुर 22 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय जेंडर अभियान के अंतर्गत मिशन शक्ति द्वारा महिला सशक्तिकरण व घरेलू हिंसा को कैसे रोके इस विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन मिशन शक्ति प्रभारी डॉ मीतकमल के द्वारा प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में किया
गया।  की वूमन सेल की कनवीनर डॉ शिप्रा श्रीवास्तव और कॉलेज की आईसीसी की
चेयर पर्सन सूफिया शाहब मुख्य वक्ता रही। डॉ शिप्रा ने छात्रों को घरेलू हिंसा व गुड और बैड टच के विषय में जानकारी दी। डॉ सूफिया ने बताया कि किस प्रकार आईसीसी का गठन हुआ और इसका उद्देश्य कालेज होने वाली समस्याओं का समाधान करना है। किस प्रकार एक महिला ही महिला को सशक्त बना सकती है ये भी समझाया गया। घरेलू हिंसा के अन्य पहलू और सरकार के वन स्टॉप सेंटर भी चर्चा के विषय रहे। कॉलेज की प्राचार्य  सबीना बोदरा ने छात्राओं को समझाया की उन्हे अपने सशक्तिकरण का सदुपयोग करना चाहिए। छात्रा खुशी होटवानी ने सबको सरकार द्वारा चलाए गए महिला सशक्तिकरण के अभियानों से अवगत कराया। कुछ छात्र छात्राओं ने कविता के माध्यम से कार्यक्रम में अपना योगदान दिया

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भारतीय नौसेना को पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वागीर’ की डिलीवरी

प्रोजेक्ट -75 कलवरी क्लास सबमरीन की पांचवीं पनडुब्बी यार्ड 11879 आज दिनांक 20 दिसंबर 2022 को भारतीय नौसेना को सौंपी गई । प्रोजेक्ट- 75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है । इन पनडुब्बियों का निर्माण मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में किया जा रहा है । दिनांक 12 नवंबर 2020 को लॉन्च की गई, वागीर ने दिनांक 01 फरवरी 2022 से समुद्री परीक्षण शुरू किया और यह बहुत गर्व की बात है कि इस पनडुब्बी ने पहले की पनडुब्बियों की तुलना में कम से कम समय में हथियार और सेंसर परीक्षणों सहित सभी प्रमुख परीक्षणों को पूरा किया है ।

पनडुब्बी निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि कठिनाई तब बढ़ जाती है जब सभी उपकरणों को छोटा करने की आवश्यकता होती है और कड़े गुणवत्ता की आवश्यकताएं भी बनाए रखनी होती हैं । एक भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और कदम है और इस क्षेत्र में आत्मविश्वास बढ़ाता है, एक उल्लेखनीय उपलब्धि यह है कि यह 24 महीने की अवधि में भारतीय नौसेना को दी गई तीसरी पनडुब्बी है ।

पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और इससे भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी ।

 

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भारत सरकार ने (i)’7.38 प्रतिशत नई सरकारी प्रतिभूति 2027,(ii)’7.26% सरकारी प्रतिभूति 2032′, (iii) 7.36 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूति 2052 की बिक्री (जारी/पुनर्निर्गम) के लिए नीलामी की घोषणा

भारत सरकार ने निम्न सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री (जारी/पुनर्निर्गम) की घोषणा की है- (i) मूल्‍य आधारित नीलामी के जरिए 7000 करोड़ रुपये (अंकित) की अधिसूचित राशि के लिए ‘7.38 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूति, 2027’, (ii)एक समान मूल्य पद्धति का उपयोग करके मूल्य आधारित नीलामी के माध्यम से 12,000 करोड़ रुपए (नॉमिनल) की अधिसूचित राशि के लिए “7.26% सरकारी सुरक्षा 2032” और (iii) 9,000 करोड़ रुपए की अधिसूचित राशि के लिए “7.36 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूति 2052” (नॉमिनल) विविध मूल्य पद्धति का उपयोग करते हुए मूल्य आधारित नीलामी के माध्यम से। भारत सरकार के पास उपरोक्त उल्लिखित प्रत्येक प्रतिभूति के लिए 2,000 करोड़ रुपए तक की अतिरिक्त सदस्यता को बनाए रखने का विकल्प होगा। नीलामी 23 दिसंबर, 2022 (शुक्रवार) को भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई कार्यालय, फोर्ट, मुंबई द्वारा आयोजित की जाएगी।

स्टॉकों की बिक्री की अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत तक की राशि सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी में अप्रतिस्पर्धी बोली सुविधा योजना के अनुसार पात्र व्यक्तियों और संस्थाओं को आवंटित की जाएगी।

नीलामी के लिए प्रतिस्पर्धी और अप्रतिस्पर्धी दोनों बोलियां भारतीय रिजर्व बैंक की कोर बैंकिंग सोल्यूशन (ई-कुबेर) प्रणाली पर इलेक्ट्रॉनिक प्रपत्र में 23 दिसंबर, 2022 को प्रस्तुत की जानी चाहिए। अप्रतिस्पर्धी बोलियां सुबह 10.30 बजे से 11.00 बजे के बीच और प्रतिस्पर्धी बोलियां सुबह 10.30 बजे से 11.30 बजे के बीच प्रस्तुत की जानी चाहिए।

नीलामियों के परिणाम की घोषणा 23 दिसंबर (शुक्रवार) को की जाएगी और सफल बोलीदाताओें द्वारा भुगतान 26 दिसंबर, 2022 (सोमवार) को किया जाएगा।

ये स्टॉक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय संशोधित परिपत्र संख्या “आरबीआई/2018-19/25”, दिनांक 24 जुलाई, 2018, के तहत जारी “केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में जब निर्गमित लेन-देन”संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुसार “जब निर्गमित” कारोबार के लिए पात्र होंगे।

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समाचार कानपुर से

कानपुर 22 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता,

*वाह रे स्वास्थ्य विभाग डायरेक्टर उर्सला के रहमों करम पर डॉक्टर की सीट के ठीक बगल में बैठ सुरजीत नाम का एमआर दवा कंपनी और डॉक्टर के बीच मोटे कमीशन के चलते सांठगांठ होने के कारण खुलेआम पर्ची पर बाहर से बैठ कर लिखता है दवाये लाचार अस्पताल प्रशासन मौन*

*भगवान का दर्जा प्राप्त सफेद कोट के काले कारनामे*
उर्सला अस्पताल में डॉक्टर व दवा कंपनियों के एमआर के बीच सांठगांठ व मोटे कमीशन का खेल होने का मामला आए दिन सुर्खियों में बना रहता है डॉक्टर ओपीडी में दवा कंपनियों के एमआर को साथ बैठकर पेशेंट को बाहर से दवा खरीदने व बाहर से जांच कराने को कहते हैं इसको लेकर पहले भी शिकायतें अधिकारियों के पास आ चुकी हैं मंगलवार को एक ताजा मामला सामने आया है जिसमें बर्रा निवासी शिवेश शुक्ला ने आरोप लगाया है कि *उर्सला के ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉक्टर आरके वर्मा ने उन्हें बाहर से दवा खरीदने के लिए दबाव बनाया वही डॉक्टर की सीट के ठीक बगल में बैठे एक व्यक्ति ने जो एमआर है व जिसका नाम सुरजीत बताया जाता है* पीड़ित को निर्धारित मेडिकल स्टोर का नाम बताकर काफी कम कीमत में दवा मिलने की सलाह दी इसकी शिकायत पीड़ित ने मंगलवार को उर्सला के निदेशक से लिखित तौर पर की साथ ही साथ साथ उर्सला चौकी में भी मामले की तहरीर दी , *मोटे कमीशन के लालच के चलते सरकारी डॉक्टर्स व एममार के बीच सांठगांठ का यह खेल नया नहीं बरसों पुराना है जिसमें उर्सला अस्पताल में खुलेआम पीड़ित बीमार व्यक्तियों का शोषण आय दिन होता रहता है*

*आखिर कौन है इन सब का जिम्मेदार…? गरीब पीड़ित शोषित बीमारों के दोहन पर आखिरकार कब जागेगा नगर का स्वास्थ्य अमला*

*क्या कहते हैं जिम्मेदार*

*पूरे प्रकरण पर उर्सला के डायरेक्टर डॉ एस पी चौधरी का कहना है कि शिकायत पहुंची है तीन डॉक्टरों की जांच कमेटी गठित कर जांच की जा रही है*
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निर्माणाधीन अपार्टमेंट में ईंट से कूचकर गार्ड की हत्या,बुजुर्ग गार्ड की हत्या से इलाके में सनसनी का माहौल,बुजुर्ग गार्ड की बिस्तर पर सोते समय की गई हत्या ,*कानपुर के गोविंद नगर के-ब्लॉक इलाके का मामला*
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आवश्यक सूचना

लाल इमली से चुन्नीगंज चौराहे आने वाले वाहनों के लिए कल सुबह से परसों सुबह तक बंद रहेगा अपोलो हॉस्पिटल वाला वैकल्पिक मार्ग

चुन्नीगंज भूमिगत स्टेशन के निर्माण हेतु बीएनएसडी इंटर कॉलेज से चुन्नीगंज चौराहे के बीच बैरिकेडिंग की गयी है। लाल इमली से चुन्नीगंज चौराहे पहुँचने के लिए हल्के वाहनों को अपोलो हॉस्पिटल के पास से वैकल्पिक मार्ग दिया गया था। मेट्रो के निर्माण कार्यों हेतु, यातायात पुलिस, कानपुर महानगर की सहमति से कल दिनांक- 21.12.2022 सुबह से 22.12.2022 सुबह तक यह वैकल्पिक मार्ग बंद रहेगा। लाल इमली से चुन्नीगंज चौराहे पहुँचने के लिए वाहन सवारों को ग्वालटोली होते हुए ही आना होगा।

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एसीएम की पेशकार का रिश्वत लेते वीडियो वायरल

आर्म लाइसेंस रिनुअल करने के नाम पर मांग रही रिश्वत

एक नहीं आधा दर्जन से अधिक लोगों से रिश्वत लेने के वीडियों वायरल

वीडियो एसीएम प्रथम की पेशकार पूनम सिंह का बताया जा रहा
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: कल्याणपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत चौकी के सामने मिला युवक का शव
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कल्याणपुर थाना क्षेत्र में युवक का मिला शव

आवास विकास 1 चुंगी चौकी के सामने चंद कदमों की दूरी पर बने तालाब में मिला शव

युवक का शव मिलने से क्षेत्र में फैली सनसनी

हत्या कर शव फेके जाने की जताई जा रही आशंका

मौके पर पहुँची स्थानीय पुलिस, भारी संख्या में राहगीरों की लगी भीड़

सूचना पर पहुँची पुलिस ने शव को तालाब से बाहर निकाला

आखिर तालाब में कहा से आया युवक का शव, चंद कदमों पर बनी चौकी पुलिस को नही लगी भनक

कल्याणपुर थाना क्षेत्र आवास विकास 1 चुंगी चौकी के सामने का मामला
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*कानपुर विकास प्राधिकरण के वीसी महोदय जरा गौर फरमाइए…*

आपके नाम से होने वाली वसूली से दागदार होती आपकी छवि को बचाइए…

कानपुर विकास प्राधिकरण के इस वसूलीबाज अवर अभियंता ने फिर से की अवैध वसूली…

अवैध रूप से कानपुर में टिका अवर अभियंता प्राधिकरण को अंदर ही अंदर कर रहा है खोखला…

वसूलीबाज अवर अभियंता केके गुप्ता ने वीसी के नाम का भय दिखाकर नामी व्यवसायी शंटी-बंटी से की अवैध वसूली…

प्राधिकरण की तरफ से कठोर कार्रवाई ना होने देने के एवज में शंटी-बंटी से 5 लाख में तय किया था केके गुप्ता ने सौदा…

शंटी-बंटी से 3 लाख रुपए अवैध रूप से वसूलने के बाद केके गुप्ता बाकी 2 लाख वसूलने की तैयारी में…

केडीए वीसी अरविंद अगर करलें स्थलीय निरीक्षण तो खुल जायेगी केके गुप्ता के कारनामों की पोल…

जो कर रहा है अवैध रूप से हो रहे निर्माणों पर कार्यवाही ना करने के एवज में लंबा झोल…

अगले अंक में देखिए कैसे वसूलीबाज जेई केके गुप्ता ने जातिवाद निभाते हुए एक नामचीन व्यवसायी से करवा दिया केडीए की करोड़ों की जमीन पर अवैध रूप से निर्माण जिसके एवज में वसूले है दसियों लाख रुपए.. नाम और तथ्य के साथ जल्द होगा खुलासा…!
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मानक को ताक पर रखकर बिल्डर ने तान दी 7 मंजिला बिल्डिंग।

चमनगंज में 105/ 226 में बिना परमिशन के खोद दिया बेसमेंट

खलील बिल्डर की मनमानी जारी, बेसमेंट के साथ ही बना डाली 4 दुकाने

आवासीय बिल्डिंग में कॉमर्शियल भी कर दिया बिल्डर खलील ने

KDA अधिकारियों की अनदेखी से सकरी जगह पर तान दी 7 मंजिल बिल्डिंग ,
फिर भी नही भरा दिल आठवें फ्लोर के लिये खड़े हो गये पिलर।।

आखिर जोन के अधिकारी क्यों बांधे है आंख में पट्टी

सब कुछ जानकर JE और AE नहीं कर रहे कोई भी काईवाई

KDA सचिव व अन्य अधिकारी मानक विहीन बनी बिल्डिंग एयर बिल्डर खलील पर कब करेंगे कार्रवाई।।
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*काकादेव क्षेत्र में गुंडई करने वाले भाजपा पार्षद राघवेंद्र मिश्रा गिरफ्तार हुए*

*काकादेव पुलिस में राघवेंद्र मिश्रा को उनके घर के पास से गिरफ्तार किया*

*कल देर रात भाजपा पार्षद ने गौरव ठाकुर को जमकर पीटा था*

*काकादेव थाने में भाजपा पार्षद के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज में एस. रामानुजन जी की जयंती के उपलक्ष में मनाया गया राष्ट्रीय गणित दिवस

कानपुर 22 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर के विज्ञान संकाय एवं ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एस. रामानुजन जी की जयंती पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता, विकास जैन जी , सुजीत सिंह जी, प्रबंध समिति के सचिव पी के सेन एवं प्राचार्य डॉ सुमन ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मुख्य वक्ता  विकास जैन जी ने  रामानुजन जी की समकालीन परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता के बारे में छात्राओं को विस्तृत जानकारी दी। अन्य प्रमुख वक्ता सुजीत सिंह जी ने अनेक गणितीय सूत्रों के बारे में भी बताया की आज के बढ़ते कंपटीशन के दौर में छात्र कैसे इनका प्रयोग करके कम समय में ही प्रश्नों को हल कर सकते हैं। प्राचार्या प्रो.(डॉ.) सुमन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि आज के समय में छात्र एक विषय या क्षेत्र को लेकर भ्रमित रहते हैं इसलिए वे ज्यादा सफल नहीं हो पाते हैं। एक ही क्षेत्र में अधिक रुचि रखने की प्रवृत्ति ने ही रामानुजन को एक महान गणितज्ञ के रूप में पहचान दिलाई।एक महान प्रतिभा के जन्मोत्सव पर उनके नेक विचारों पर चलने का प्रण, हमारी सफलता के सफर की राहें आसान कर सकता है। उन्होंने यह भी बताया की महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहेगा जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके।
कार्यक्रम का संचालन विज्ञान संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमिता सिंह ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्लेसमेंट सेल की अध्यक्षा प्रो गार्गी यादव , सदस्या डॉ. कोमल सरोज व विज्ञान संकाय की एसिटेंट प्रोफेसर डॉ शिवांगी यादव , कु वर्षा , कु तय्यबा, डॉ समीक्षा , डॉ राई घोष एवं समस्त प्रवक्ताएं और छात्राएं उपस्थित रही।

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जीवन की कठनाइयो से हार कहा मैं मानी हूं

गर्दिश में थे सितारे मेरे फिर भी मैं मुस्काई हूं।

अपनो की खुशियों के खातिर रोज ही मैं बिखरी हूं
बिखरे तिनके खुद चुन लू इतना साहस लाई हूं
जीवन की कठनाइयों से…

थक गया मन मेरा औरों के लिए मैं क्या बोलूं
जब शर्म ने उनको छुआ नहीं मैं शब्दों में क्या बोलूं
चारदीवारी मुस्काए खड़े मैं बिंदु कहा कह पाई हूं
कठिनाईयां मुझसे पूछ रहीं इतना साहस कहा से लाई हैं।
जीवन की कठनाइयों…..
बिन सुविधा रह भी लू पर मान बिना न रह पाऊं। बिन रोटी मैं रह भी लू अपमान का घूट न पी पाऊं।
झिट छोर खड़ी हो जाऊ पर मर्यादा तोड़ न पाऊं मैं।
जीवन की कठिनाइयों से हार कहा …….
दो घर होगे मेरे यह परिभाषा सब ने भेदी थी।
लहू लगेगा दीवारों पर मेरा ये राज न उनने खोला था
रंग लहू देकर दस बरस बिताए मैंने हैं
जीवन की ……

खुद पर बीती भूल गई मैं अंश पे छाले न सह पाऊं ।
अश्क को पी कर रह जाती मुंह से कुछ न कह पाऊं।
अभिलाषाएं अब टूट रही व्यथा न मन की कह पाऊं।
नया सबेरा खिलेगा एक दिन खुद से ही मैं कह पाऊं
जीवन की ..

वंदना बाजपेई

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स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया पेंशनर्स एसोसिएशन और माधवबाग हॉस्पिटल चैन के संयुक्त तत्वाधान में हृदय रोग एवं मधुमेह रोग बचाव के लिए कार्यशाला का आयोजन

कानपुर 20 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया पेंशनर्स एसोसिएशन, कानपुर आँचल, के तत्वाधान में माधवबाग हॉस्पिटल चैन के सहयोग से अपने पेंशनर्स साथियों के लिए हृदय रोग एवं मधुमेह रोग बचाव के उपायों पर चर्चा के लिए कार्यशाला का आयोजन गोविन्द नगर सिन्धी धर्मशाला में किया गया जिसमें महाराष्ट्र से आये माधवबाग के प्रतिनिधि मिलिन्द सरदार ने अपने संबोधन में कहा कि उम्र में दस साल पीछे जाने के लिए रात का खाना सोने से तीन घंटा पहले भिखारी की तरह खाएं और उपस्थित पेंशनर्स को हिदायत दी कि मॉर्निंग वॉक नहीं कोरोगे तो वार्निंग वाक करनी पड़ेगी। विमलेश अवस्थी ने कहा कि हर व्यक्ति किसी न किसी तरह ऊर्जा ले रहा है हम हँस रहे हैं तो ऊर्जा मिल रही और गुस्से में ऊर्जा घट रही है। मुकेश वर्मा और कुलदीप पाटनी ने भी सेहत संबंद्धित प्रश्न पूछकर उसका निदान किया। कानपुर आँचल के अध्यक्ष अतुल अग्रवाल, सुरेश कपूर, राहुल निगम, सुरेन्द्र सुखीजा, अनुज पाण्डेय एवं हरीश तनेजा , अमृत अग्रवाल एवं रोहित साहू रहे। माधवबाग टीम से डॉ श्वेता सिंह, लक्ष्मी मौर्या और अजय सिन्हा रहे।

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वैधव्य

“अरे संजय लेट हो जाएगा…. उठो! ऑफिस के लिए लेट हो रहा है।” आज फिर मैं देर तक सोती रही (मन ही मन बढ़बढ़ाते हुए बोली)। जल्दी से फ्रेश होकर चाय बनाई और चाय लेकर कमरे में संजय को उठाने आई। कमरे में आते ही जैसे मैं वर्तमान में आ गई, शायद जैसे कोई सपना देख रही थी मैं। मेरा जी धक् से रह गया और मैं निढाल होकर पलंग पर बैठ गई। अतीत के पन्ने मेरे मानस पटल पर चित्रित होने लगे। संजय को साथ छोड़े हुए दो बरस हो रहे थे लेकिन मैं अभी भी संजय के साथ साथ जी रही थी। मैं संजय के बिना जीने की कल्पना को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। मैं अभी भी पुराने दिनों की याद में जी कर अपने अवसाद को बढ़ा रही थी। संजय से आगे मेरी सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी। मैं हर उस चीज से भाग रही थी जो मुझे अकेलेपन का एहसास करवा रही थी। शायद मैं अपने आप से दूर होकर एक अलग ही दुनिया में जीने लग गई थी। दूसरों की बातें, सलाह सब मुझे बोझ लगते। वो सब अजनबी लगते जो मुझे नियमों में बांधने की कोशिश करते।
संजय के साथ बिताए हुये पल अभी भी जीवंत थे। मैं हर कुछ देर में समय से पीछे चली जाती और अतीत में जीने लगती। संजय का मुझे अति प्रेम करना ही शायद मुझे उनसे दूर नहीं कर पा रहा था। अपने प्यार के घेरे में मुझे इस तरह बांध रखा था उन्होंने कि उनके आगे मेरी दुनिया खत्म थी। वो मेरा हाथ थामें हर जगह साथ रहते। कहीं भी जाना हो, घूमना हो मैं साथ में ही रहती थी। बच्चों की जिम्मेदारियों से मैं फ्री हो गई हो थी और हम दोनों ज्यादातर वक्त साथ बिताते थे। बेटा बेटी की शादी कर दी थी और वह अपने परिवार में व्यस्त हो गए थे। अब हम दोनों के पास पहले से अधिक समय था और हम अक्सर देशाटन को निकल जाते।
सब कुछ सामान्य चल रहा था मगर यह किसे खबर थी कि जिंदगी की तस्वीर बदलने में वक्त नहीं लगता। एक दिन संजय का ब्लडप्रेशर हाई हो गया और उन्हें पैरेलेटिक अटैक आ गया। जीवन जैसे थम सा गया था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि सब कैसे ठीक करूं? उनका दाहिना हिस्सा पूरा बेकार हो चुका था। डाक्टर कोशिश कर रहे थे उन्हें ठीक करने की। दवाइयों के साथ साथ फीजियोथेरेपी भी चल रही थी लेकिन नतीजा सिफर था। अब वो पूरी तरह से मुझ पर निर्भर थे। मैं जैसे तैसे परिस्थितियों को संभाल रही थी । बेटी बेटा भी अपनी तरफ से सहयोग कर रहे थे लेकिन नौकरी और घर की व्यस्तता के कारण वह बहुत ज्यादा साथ नहीं दे पा रहे थे।
बेटा:- “मां! महीना हो गया है, मुझे दिल्ली वापस जाना होगा। शुभम का स्कूल मिस हो रहा है और प्रिया की भी छुट्टियां पूरी हो गई है। मैं आता रहूंगा।”
मैं:- “ठीक है बेटा! समय निकालते रहना।”
बेटी:- “मां मुझे भी जाना होगा और अब रोज-रोज आना संभव नहीं है। घर में सब को खटकता है। कल ही मम्मी जी कह रही थी कि जो हो गया सो हो गया अब खुद को संभालो और घर पर ध्यान दो। मैं बीच-बीच में आती रहूंगी आपसे मिलने।”
मां:- (असहाय भाव से) ठीक है बेटा, जैसा ठीक लगे। जब भी समय मिले आ जाया करना।”
मैं कठिन होती जा रही परिस्थिति को सोचने संभालने और संजय की बीमारी से चिंतित होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि जीवन में जो लोग अपने महसूस होते हैं बुरे वक्त में वो भी पराए हो जाते हैं। अपने आप को खुद ही मजबूत कर आगे बढ़ना पड़ता है। मैं साहस करके अकेले ही स्थिति को संभालने में लग गई। सबसे पहले डॉक्टर से विचार-विमर्श करके एक नर्स की व्यवस्था की, जो संजय को संभालने में मेरी मदद कर सके। फिर घर की व्यवस्था की ओर ध्यान दिया। उसे व्यवस्थित करके मैंने बिजनेस पर ध्यान दिया। मैंने दुकान जाने का समय बांधा ताकि संजय को अनदेखा ना कर सकूं। हमारी मिठाई की दुकान होने के कारण सुबह सुबह काम ज्यादा रहता था। दूध के आने से लेकर मिठाइयां बनाने में सुबह सुबह व्यस्तता ज्यादा रहती थी। अभी तक संजय ही सब संभालते थे मुझे कभी देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी लेकिन अब यह जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी। सुबह चार बजे उठकर फारिग होकर दुकान के लिए निकल जाती थी। वहां सब को निर्देशित करके वापस घर आ जाती थी और संजय को संभालती थी। ऐसे कठिन समय में मेरी मां मेरा बहुत साथ निभा रही थी। दोपहर से लेकर शाम तक जब मैं दुकान पर होती थी तब तक मां ही संजय की देखरेख करती थी। इसी तरह सब कुछ चल रहा था।
कुछ समय तक तो सब ठीक रहा फिर संजय की तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी। उनकी बाडी उन्हें सपोर्ट नहीं कर रही थी। उन्हें हर थोड़े दिनों में एक नई बीमारी हो रही थी। उन्हें हॉस्पिटलाइज किया गया डॉक्टरों की निगरानी में भी संजय की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था और फिर एक दिन वो मुझे छोड़ कर चले गए। यह सारी घटना मेरे जेहन से हटती नहीं। एक आघात, एक अकेलापन, संजय से दूर होने की छटपटाहट ने मुझे अवसाद ग्रस्त कर दिया था। मुझे भ्रम स्वरूप संजय दिखते रहते। मेरे ख्यालों में भी संजय जीवंत रहते। कई बार डॉक्टरों के साथ काउंसलिंग की, डिप्रेशन की दवाइयां ले रही थी मगर मैं वास्तविकता से भाग रही थी। घर छोड़कर यहां वहां घूमने निकल जाती थी क्योंकि घर में हर जगह संजय की यादें बसी हुई थी और वहां पर मैं खुद को अकेला पाती थी।
जब आपके हाथ में कुछ ना हो और जब सबकुछ आपके हाथ से छूटने लगे तब ईश्वर आपका हाथ थाम लेते हैं। शायद ईश्वर ने भी मेरा हाथ थाम लिया था। सोमनाथ जाते हुए ट्रेन में मिली महिला सहयात्री के रूप में। वह महिला सहयात्री जो कि वृद्ध आश्रम की देखरेख करने वाली संचालक थी। मेरी उससे मित्रता हुई उसने मुझे अपने आश्रम में आमंत्रित किया और कहा कि वहां आपको कुछ अलग अनुभव होगा। आप जरूर आइएगा। उन्होंने अपने आश्रम का पता दिया। कुछ घंटे साथ रहकर वह अपने गंतव्य पर उतर गई। मैं घर आकर सोचने लगी कि वह अकेली महिला कितनी विश्वास और ऊर्जा से भरी हुई थी। एक दिन उसके आश्रम जरूर जाऊंगी, यह सोचकर मैं घर और दुकान में व्यस्त हो गई। हम व्यापार करने वालों की कोई छुट्टी नहीं रहती, सब दिन समान रहते हैं। रविवार का दिन था। आज सुबह से ही दुकान में भीड़ जरा ज्यादा ही थी तो दुकान से हिल पाना भी मुश्किल हो रहा था। कही बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं था।
दोपहर का वक्त था इस समय काम ज्यादा नहीं था। मैं घर जाने का सोच रही थी और दराज बंद करने के लिए चाबी निकालने के लिए पर्स में हाथ डाला कि वृद्धा आश्रम वाला कार्ड मेरे हाथ में आ गया। मैंने सोचा कि चलो आज यहीं जाकर आया जाए और मैं आश्रम की ओर चल दी।
मेरी कल्पना से परे मेरे लिए एक नया माहौल था आश्रम का। कई महिलाएं बगीचे का, कोई किचन का, कोई सफाई का हर महिला किसी न किसी काम में व्यस्त थी। कुछ महिलाएं जो ज्यादा उम्र कि होने के कारण काम नहीं कर सकती थी या बीमार रहती थी, कुछ महिलाएं उनकी देखभाल कर रही थी। यह सब मेरी आंखों को सुखद लगने के साथ-साथ दुख और आश्चर्य भी हो रहा था कि यह महिलाएं आखिर यहां क्यों है? और किस वजह से उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है? कुछ महिलाओं से मैंने दोस्ती की और उन सबकी अलग-अलग कहानी थी। कोई दहेज, कोई घरेलू हिंसा, किसी के बच्चे और पति ने छोड़ दिया, तो कोई सहारा ना होने के कारण यहां पर थी। इनके दुख के आगे मुझे अपना दुख बौना जान पड़ा। मैं सोचने लगी कि ईश्वर ने मुझे इतना सक्षम बनाया है कि मैं अपने दुख का सामना कर सकती हूँ और अपनी मदद के साथ साथ दूसरों की भी मदद कर सकूं। मैंने हर रविवार इन महिलाओं से मिलने का निश्चय किया और मैं हर रविवार इनके पास आने लगी। वहां कई महिलाओं से मेरी दोस्ती हो गई। मैं उनके लिए कुछ ना कुछ खाने की चीज जरूर ले जाती क्योंकि मन का रास्ता पेट से होकर जाता है ऐसा सुना था। मैं यथासंभव उनके कामों में मदद भी करने लगी थी। मुझे अब एक नया परिवार मिल गया था, मैं धीरे-धीरे अपने दुख से बाहर आने लगी थी और अब मैं इन्हीं लोगों के साथ अपनी सारी खुशियां बांटने लगी थी। मैं पलंग से उठी और लान में आराम से चाय पीकर अपनी दि
नचर्या में व्यस्त हो गई। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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