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सीजफायर पे इतनी किच किच क्यों

दैनिक भारतीय स्वरूप पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डो को निशाना बनाते हुए भारत द्वारा की गयी सैन्य कार्रवाई बन्द हो जाने के बाद पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है| विपक्षी दल जहाँ सरकार पर हमलावर हैं वहीँ सत्ता पक्ष के नेता ऑपरेशन सिन्दूर को सफल तथा सीजफायर को अस्थाई बता रहे हैं| प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम अपने सम्बोधन में बताया कि भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया जिसका उसे अन्दाजा भी नहीं था| भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा था| प्रधानमन्त्री ने यह भी बताया कि पाकिस्तान दुनियां भर में तनाव कम करने के लिए गुहार लगा रहा था और बुरी तरह पिटने के बाद पाकिस्तानी सेना ने 10 मई की दोपहर हमारे डीजीएमओ को सम्पर्क किया| तब तक हम आतंकवाद के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे| पाकिस्तान की तरफ से जब यह कहा गया कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधी और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जायेगा तो भारत ने भी उस पर विचार किया| प्रधानमन्त्री ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट कहा कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को सिर्फ स्थगित किया है| सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद ऑपरेशन सिन्दूर अब भारत की नीति बन चुकी है| पाकिस्तान को चेतवानी देते हुए उन्होंने कहा है कि हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे| रक्षामन्त्री राजनाथ सिंह ने भी प्रधानमन्त्री की बात दोहराते हुए पाकिस्तान को आगाह किया कि हिन्दुस्तान की धरती पर किया गया कोई भी आतंकी हमला एक्ट ऑफ़ वार माना जायेगा|

पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत भारतीय वायु सेना ने 6-7 मई की रात पाकिस्तान तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कुल 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी| जिसका उद्देश्य आतंकियों के लांचपैड तथा हथियारों के भण्डार को नेस्तानाबूद करना था| जो पूरी तरह सफल रहा| विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस कार्रवाई में जैश-ए-मुहम्मद का सरगना अब्दुल रऊफ अजहर सहित 100 से अधिक आतंकी मारे गये| अब्दुल रऊफ दिसम्बर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट – 814 के अपहरण तथा अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या में शामिल बताया जाता था| आतंकी अड्डों पर अचानक हुई इस बड़ी कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के कई सैन्य ठिकानों तथा रिहायशी इलाकों को निशाना बनाने की कोशिश की| परन्तु भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने माकूल जवाब देते हुए सभी हमलों को चुटकियों में विफल कर दिया| पाकिस्तान द्वारा छोड़े गये सभी ड्रोन जहाँ हवा में ही नष्ट कर दिये गये वहीं उसका एयर बेस सिस्टम भी ध्वस्त कर दिया गया| इस ऑपरेशन में जिन नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, उनमें चार पाकिस्तान में तथा पांच पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित थे| इन्हें लश्कर, जैश-ए-मुहम्मद तथा हिजबुल मुजाहिदीन जैसे भारत विरोधी आतंकी संगठनों के ठिकानों के रूप में चिन्हित किया गया था| अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 25 किलोमीटर दूर मुरीदके में स्थित लश्कर मुख्यालय का नाम ‘मरकज तैयबा’ था| 26/11 के आतंकी अजमल कसाब तथा डेविड हेडली आदि ने यहीं प्रशिक्षण लिया था| अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किमी दूर बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मुहम्मद के मुख्यालय का नाम ‘मस्जिद/मरकज सुभान अल्लाह’ था| यह आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण तथा उन्हें कट्टर बनाने का केन्द्र था| अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 12 किमी दूर सियालकोट में स्थित ‘मेहमूना जोया’ नाम का आतंकी अड्डा हिजबुल मुजाहिदीन का बड़ा शिविर तथा कठुआ जम्मू क्षेत्र का नियंत्रण केन्द्र बताया गया| जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले की योजना बनाने तथा उस पर निगरानी रखने का काम यहीं से हुआ था| सियालकोट में ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 6 किमी दूर जैश-ए-मुहम्मद का सरजाल नामक केन्द्र था| मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर के चार पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले आतंकवादियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था| पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पांच आतंकी अड्डों में ‘सवाई/शवाई नाला’ नामक लश्कर का प्रशिक्षण केन्द्र नियंत्रण रेखा से लगभग 30 किमी दूर मुजफ्फराबाद में स्थित था| मुजफ्फराबाद में ही ‘सैयदना बिलाल’ नाम से जैश-ए-मुहम्मद का प्रशिक्षण केन्द्र संचालित था| जहाँ हथियार, विस्फोटक तथा जंगल में जीवित रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था| वहीँ नियंत्रण रेखा से लगभग 30 किमी दूर कोटली में राजौरी-पूंछ क्षेत्र में सक्रिय लश्कर आतंकियों का प्रशिक्षण केन्द्र था| जिसका नाम गुलपुर था| अप्रैल 2023 में पूंछ में तथा जून 2024 में हिन्दू तीर्थयात्रियों की बस पर हमला करने वाले आतंकियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था| कोटली में ही नियंत्रण रेखा से लगभग 13 किमी दूर लश्कर के अब्बास नामक अड्डे में फिदायीन अर्थात आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण दिया जाता था| नियंत्रण रेखा से लगभग 9 किमी दूर भीम्बेर में बरनाला नाम से लश्कर का आतंकी अड्डा था| जिसमें हथियार, आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तथा जंगल में जीवित रहने की ट्रेनिग दी जाती थी| इन सभी आतंकी अड्डों की तबाही ने निश्चित ही भारत विरोधी आतंकियों की कमर तोड़ने का काम किया है| इसे आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई को बहुत बड़ी सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए| लेकिन भारत की एक बड़ी आबादी ऑपरेशन सिन्दूर के तहत पाकिस्तान के टुकड़े होते हुए देखना चाहती थी| लोगों का यह विचार था कि अब यह कार्रवाई पाक अधिकृत कश्मीर की भारत में वापसी तथा बलूचिस्तान की आजादी के बाद ही रुकनी चाहिए| परन्तु अचानक घोषित हुए सीजफायर ने सबकी आशाओं पर पानी फेर दिया| उसमें भी सीजफायर का ऐलान भारत और पाकिस्तान से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा किये जाने से आम जन का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है|  

अब प्रश्न यह उठता है कि आतंकी अड्डों पर कार्रवाई शुरू करते ही जब भारत सरकार ने बड़ी प्रतिबद्धता पूर्वक स्पष्ट कर दिया था कि हम सिर्फ और सिर्फ आंतकवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर रहे हैं| इसमें न तो पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला किया जायेगा और न ही वहां के रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया जायेगा| तब फिर भारत की एक बड़ी आबादी के मन में बलूचिस्तान की आजादी तथा पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की भ्रान्ति ने कैसे और क्यों जन्म लिया? इसके राजनीतिक निहितार्थ भले ही तलाशे जा रहे हों| परन्तु कारण यह हो सकता है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आलोचना झेल रही सरकार ने 6 मई तक सेना को पर्याप्त होमवर्क करने के बाद सैन्य कार्रवाई की इजाजत दी थी| जिसका परिणाम पूरी तरह सकारात्मक रहा और पाकिस्तान तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी अड्डों को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सका| तदोपरान्त पाकिस्तान की ओर से की गयी जवाबी कार्यवाही को भी भारतीय जवानो ने विफल कर दिया| ऐसे में भारत की एक बड़ी आबादी को यह आभास होना स्वाभाविक था कि हम पाकिस्तान पर भारी हैं| अतः लगे हाँथ पाक अधिकृत कश्मीर को मुक्त तथा बलूचिस्तान को आजाद करवाकार समस्या को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए| जबकि सरकार तथा सेना का उद्देश्य 7 मई को ही पूरा हो गया था| अतः कार्रवाई को रोकना मुनासिब लगा और हुआ भी यही| ऐसे में आम जन में असन्तोष फ़ैल गया| बड़े पैमाने पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आयीं और अभी तक आ रही हैं| इसी अवसर का लाभ उठाते हुए विपक्षी दल भी हमलावर हो रहे हैं| कोई इन्दिरा गाँधी को याद कर रहा है तो कोई अटल विहारी वाजपेई की दुहाई दे रहा है| प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को अन्ततोगत्वा कहना ही पड़ा कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को सिर्फ स्थगित किया है|

निश्चित ही भारत सैन्य स्तर पर पाकिस्तान से कई गुना अधिक शक्तिशाली है| परन्तु उत्साह के अतिरेक में सीजफायर के विरोध में प्रतिक्रिया देने से पूर्व हमें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि आज की परिस्थितियां 1971 से कहीं अधिक भिन्न हैं| बलूचिस्तान की आजादी और पाक अधिकृत कश्मीर की मुक्ति के लिए सैन्य कार्रवाई की बजाय कूटनीतिक तरीका अधिक उपयुक्त है| इस हेतु प्रयास भी जारी है| इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर की मुक्ति से कहीं अधिक आवश्यक जम्मू कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करवाना है| साढ़े तीन दशक से अपने ही देश में निर्वासित जीवन जी रहे कश्मीर के मूल निवासियों की घर वापसी भारत सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है| ऑपरेशन सिन्दूर को इस चुनौती से निपटने की दिशा में एक बड़े एवं प्रभावशाली प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए

डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

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जिला भूमि एवं जल संरक्षण समिति, डब्ल्यूसीडीसी मिशन समिति, कृषि विभाग एवं गेहूं क्रय केंद्रों की प्रगति की समीक्षा बैठक संपन्न

भारतीय स्वरूप जिला सूचना कार्यालय जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में जिला भूमि एवं जल संरक्षण समिति, डब्ल्यूसीडीसी मिशन समिति, कृषि विभाग एवं गेहूं क्रय केंद्रों की प्रगति की समीक्षा बैठक संपन्न हुई।

*लाभार्थी आधारित योजनाओं में बैंकों की भूमिका पर हुई समीक्षा*

जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि जिन बैंकों द्वारा योजनाओं के लाभार्थियों को समय पर लाभ नहीं दिया जा रहा है, उनकी सूची बनाकर संबंधित विभाग को के द्वारा उपलब्ध कराई जाए जैसे बैंक जो जो योजना में लापरवाही बरत रहे है उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने निर्देशित करते हुए कहा कि जिन विभागों की लाभार्थी परक योजनाओं से जुड़ी बैंक में जो भी समस्याएं है उनकी सूची बनाते हुए एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने जिला उद्यान अधिकारी को निर्देशित किया कि जनपद के प्रत्येक ब्लॉक से 100-100 प्रगतिशील कृषकों की सूची एक सप्ताह में तैयार करना सुनिश्चित करें।।
जिलाधिकारी ने जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों को सहभागिता योजना के अंतर्गत एक सप्ताह के अंदर समस्त कार्रवाई करते हुए उन्हें उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें ।
जिलाधिकारी ने जिला उद्यान अधिकारी को किसानों के लिए अस्थायी आउटलेट हेतु भूमि चिन्हित कर विपणन सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।

*गेहूं क्रय केंद्रों की समीक्षा*

जिलाधिकारी ने गेहूं क्रय की समीक्षा करते हुए यह पाया कि जनपद में कुल 70 गेहूं क्रय केंद्रो का लक्ष्य 28500 मी0टन के सापेक्ष मात्र 8841.30 मी0टन 31.02 प्रतिशत की खरीद हुई है, जिसमें जनपद कानपुर नगर प्रदेश में गेहूं खरीद में 29 में स्थान पर है,
खाद्य विभाग के क्रय केंद्रों द्वारा लक्ष्य का 65.45 प्रतिशत खरीद की गई है, किंतु सहकारिता द्वारा संचालित क्रय केंद्रों के लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 13.27 प्रतिशत की खरीद की गई है।
जनपद में सबसे खराब खरीद करने वाले upss संस्था द्वारा मात्र 8 प्रतिशत ही किए जाने पर जिलाधिकारी ने जिला प्रबंधक upss श्री भानु प्रताप के विरुद्ध करवाई हेतु उनके प्रबंध निदेशक upss को पत्र भेजने के निर्देश दिए।
जिलधिकारी ने सहकारिता विभाग के ए0आर0 कोऑपरेटिव कानपुर नगर को कड़े निर्देश देते हुए कहा कि 01 सप्ताह के भीतर गेहूं खरीद में वृद्धि लाने हेतु गांव में जाकर किसानों से संपर्क कर लक्ष्य के अनुसार खरीद करें अन्यथा की दशा में उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, अपर जिलाधिकारी आपूर्ति, कृषि अधिकारी, पंचायत राज अधिकारी, उद्यान अधिकारी, डिप्टी आरएमओ आदि उपस्थित थे।

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लेबर कॉलोनी का मालिकाना हक- जो जहां है, उसी को उसका मालिक बना दिया जाए-मैथानी*

भारतीय स्वरूप संवाददाता आज लखनऊ बापू भवन में उत्तर प्रदेश परामर्श दात्री समिति श्रम मंत्रालय की बैठक प्रमुख सचिव श्रम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें विधायक सुरेंद्र मैथानी द्वारा,पूर्व में उत्तर प्रदेश सदन में लगाई गई याचिका एवं लंबे समय से किये जा रहे संघर्ष के, उन सारे बिंदुओं को शामिल किया गया, जिन पर लेबर कॉलोनी के निवासियों के मालिकाना पर फैसला काफी कुछ उनके पक्ष में आए।

विधायक ने बैठक मे कहा कि मैं जीवन के 42 वर्ष लेबर कॉलोनी में रहा हूं मुझसे बेहतर पूरे उत्तर प्रदेश में वहां का दर्द और वहां का निवारण दूसरा कोई नहीं बता सकता। उन्होंने उक्त बैठक में कहा की कॉलोनीयों के स्वामित्व के मामले में, जो जहां है,जितना है, जिसके पास है और जैसा है,उसी हालत में, उसी को उसका मालिकाना हक, मात्र टोकन मनी ले करके, दे दिया जाए।यह इसका व्यावहारिक पक्ष है। यदि हम कानूनी दांव पेज और दशकों पुराने, अव्यावहारिक नियमों के हिसाब से, कोई नियमावली बनाएंगे, तो वह सफल नहीं होगी। इसलिए हमें व्यावहारिक पक्ष के आधार पर ही, जनहित में अपनी संस्तुति करके, कैबिनेट को प्रस्ताव भेजना चाहिए।

*विशेष सचिव द्वारा कहा गया कि पहले खाली पड़ी हुई जगह पर कमर्शियल स्पेस बना लिया जाए और फिर मूल आवंटी और उसके बाद सिग्मी लोगों और उसके बाद बड़े लोगों के काबिज मकान को,अलग-अलग दर पर,उन्हें आवंटन करने की पॉलिसी बनाई जाए।या पहले खाली पड़े हुए पार्क में, स्थलों पर, अपार्टमेंट की तर्ज पर फ्लैट बनाया जाए और उनका आवंटन करके, तब इस कॉलोनी को डिमोलिश करके, दोबारा इसका निर्माण कर,जो जिस श्रेणी में आता हो,उनको उनकी पात्रता के आधार पर,निर्माण कंप्लीट उपरांत आवंटन किया जाए। जिस पर क्रोधित होकर, विधायक सुरेंद्र मैथानी जी ने उक्त प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह मैं किसी कीमत पर नहीं होने दूंगा।आपने पिछले 60 साल में ₹ 1 का भी मेंटेनेंस नहीं कराया, आप किस आधार पर उसको अपनी संपत्ति मान रहे हो।और हम लोगों ने, हमारी सरकार ने और हमने अपने मुख्यमंत्री जी ने वहाँ की सड़क,नाली,सीवर, बिजली, विकास कार्यों और पार्कों का विकास कराकर, उसे रहने योग्य बनाया है।और अब आप,अपना मालिकाना हक समझकर,आधार हीन,कोई भी ऐसा निर्णय नहीं कर सकते, जो वहां की जनता की मूल भावनाओं के खिलाफ हो। मैं इसका विरोध करता हूं और उसको सड़कों पर उत्तर के भी,किसी भी कीमत पर नहीं होने दूंगा। यह पूरी तरह जन विरोधी है।मुझे समझाने का प्रयास न करें।क्योंकि मैं वहां के कष्ट को जानता हूं और मैं वहां का 42 साल निवासी रहा हूं। पहले मुझसे बात करो,तब कोई कदम,आप आगे बड़ा पाओगे। बैठक के अंत में प्रमुख सचिव सभापति ने कहा की विधायक जी का पक्ष व्यावहारिक है इस पर शास्त्री नगर कॉलोनी और कानपुर की श्रम कॉलोनी से ही इसका सर्वे अध्ययन प्रारंभ करें जिसको 6 महीने के अंदर पूर्ण कर लिया जाए।जिसमें लोकल अथार्टी, नगर निगम अथवा के डी ए अथवा आवास विकास को सम्मिलित करके, उसमें टेक्निकल दृष्टि से जे ई तथा पीडब्ल्यूडी के लोगों को भी शामिल करके और परामर्शदात्री के सदस्य के नाते विधायक जी को भी शामिल करके, इसकी एक अध्ययन रिपोर्ट अभिलंब तैयार की जाए। जिस पर कोई सकारात्मक रिपोर्ट तैयार करके शासन ,कैबिनेट को प्रेषित की जाए। जिससे जल्द से जल्द इस पर सकारात्मक निर्णय आ सके।

 इस पर विधायक जी ने प्रमुख सचिव को इस सकारात्मक दृष्टि में आगे कार्यवाही हेतु बड़ी, बैठक के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

उक्त बैठक में प्रमुख रूप से प्रमुख सचिव श्रम एम के शानमुगा सुंदरम जी, विधायक सुरेंद्र मैथानी जी एवं विधायक मंजू शिवाज जी एवं श्रम आयुक्त मारकंडे शाही जी तथा विशेष सचिव कुणाल सिल्कू, विशेष सचिव निलेश कुमार सिंह,उपश्रमायुक्त पंकज सिंह राणा, उपश्रमायुक्त श्रीमती रचना केसरवानी,उप श्रमायुक्त जय प्रताप जी, उपश्रमायुक्त अनुराग मिश्रा गाजियाबाद एवं विधायक सुरेंद्र मैथानी, विधायक मंजू सिवाच एवं अनिल उपाध्याय आदि लोग प्रमुख रूप से थे।

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गाजियाबाद नगर निगम ने देश के पहले प्रमाणित ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए स्थायी जल प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाई

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत गाजियाबाद ने देश के पहले प्रमाणित ‘ग्रीन म्युनिसिपल बांड’ को सफलतापूर्वक जारी कर स्थायी अवसंरचना और शहरी रेज़िलियंस को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस बांड के माध्यम से 150 करोड़ रुपये की राशि एकत्रित की गई है, जो एक अत्याधुनिक तृतीयक मल-जल शोधन संयंत्र (टीएसटीपी) के विकास में निवेश की जा रही है।

यह सिर्फ़ एक और बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं है, बल्कि एक परिवर्तनकारी पहल है, जो गाजियाबाद की अपने नागरिकों के लिए स्थायी भविष्य के निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। एकत्र की गई निधियों को एक उन्नत टीएसटीपी के विकास के लिए निर्देशित किया जा रहा है, जो अभूतपूर्व पैमाने पर अपशिष्ट जल के उपचार और पुनः उपयोग करने के लिए डिज़ाइन की गयी एक अत्याधुनिक सुविधा है।

ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड ने भारत के वित्तीय परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ा है, जो शहरी बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए एक स्थायी मॉडल प्रदान करता है। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से यह परियोजना केवल जल उपचार सुविधा ही नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक है; यह पूरे देश के भविष्य के शहरों के लिए वित्तीय अनुशासन को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ जोड़ने का एक खाका है।

इस पहल के केंद्र में तृतीयक मल-जल शोधन संयंत्र (टीएसटीपी) है, जो एक तकनीकी चमत्कार है जो माइक्रोफिल्ट्रेशन, अल्ट्राफिल्ट्रेशन, नैनोफिल्ट्रेशन और रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) सहित उन्नत मेम्ब्रेन फिल्ट्रेशन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है। ये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करती हैं कि उपचारित पानी उच्चतम मानकों को पूरा करे, जिससे यह औद्योगिक प्रक्रियाओं में पुन: उपयोग के लिए उपयुक्त हो जाए।

40 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की उपचार क्षमता के साथ टीएसटीपी एक विशाल 95 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन नेटवर्क से जुड़ा है, जो गाजियाबाद की 1,400 से अधिक औद्योगिक इकाइयों को उपचारित पानी पहुंचाता है। यह संयंत्र सुनिश्चित करता है कि अपशिष्ट जल अब बर्बाद न हो, बल्कि इसे एक मूल्यवान संसाधन में बदल दिया जाए जो शहर के औद्योगिक क्षेत्र का समर्थन करता है, जिससे ताजे पानी के स्रोतों पर निर्भरता कम हो जाती है।

इस परियोजना की सफलता न केवल इसकी तकनीकी और पर्यावरणीय उपलब्धियों में निहित है, बल्कि इसके नवाचारी वित्तीय ढांचे में भी निहित है। टीएसटीपी  को सार्वजनिक-निजी हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (पीपीपी-एचएएम) के तहत विकसित किया गया था, जिसमें 40 प्रतिशत निवेश नगर निगम द्वारा किया गया। इस सार्वजनिक-निजी भागीदारी दृष्टिकोण ने इस परियोजना को वित्तीय अनुशासन के साथ समयबद्ध रूप से लागू करने में सहायता की। ग्रीन बॉन्ड जारी करके जीएनएन की 150 करोड़ रुपये जुटाने की सफलता ने शहर के सतत दृष्टिकोण में निवेशकों के विश्वास को प्रदर्शित किया और शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) में वित्तीय पारदर्शिता और अनुशासन का एक नया स्तर लाया है।

जीएनएन ने 9.5 एमएलडी तृतीयक उपचारित जल की आपूर्ति के लिए 800 से अधिक फर्मों के साथ अनुबंध किया, जिससे शहरी जल प्रबंधन में शहर की अग्रणी स्थिति स्थापित हुई। गाजियाबाद के इस अभिनव दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर भी सराहा गया। शहर को वाटर डाइजेस्ट वर्ल्ड वाटर अवार्ड्स 2024-25 में सर्वश्रेष्ठ म्यूनिसपल ट्रीटेड वाटर अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो जल संरक्षण, पुनर्चक्रण और स्थायी जल प्रबंधन में शहर की उत्कृष्टता को मान्यता देता है।

वेस्ट सफ़ोक कॉलेज, इंग्लैंड के 22 छात्रों और 4 संकाय सदस्यों की एक टीम ने एक एक्सपोज़र विजिट के तहत गाजियाबाद नगर निगम का दौरा किया। इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान इस टीम ने टीएसटीपी संयंत्र और अन्य परियोजनाओं का निरीक्षण किया तथा स्मार्ट शहरों और सतत विकास के प्रति गाजियाबाद की प्रतिबद्धता को निकट से देखा।

उन्नत जल उपचार प्रौद्योगिकियों, नवाचारी वित्तीय मॉडलों और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ गाजियाबाद स्वच्छ, स्मार्ट और अधिक रेज़िलियंट शहरों के लिए भारत की खोज में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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इंडिया पोस्ट ने पूरे देश में निवेशकों के लिए केवाईसी सत्यापन सेवाओं को सरल बनाने के लिए एसबीआई म्यूचुअल फंड के साथ साझेदारी की

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ग्राहक ऑन-बोर्डिंग प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल में डाक विभाग ने एक प्रमुख परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एसबीआईएफएम) के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है । समझौता ज्ञापन के माध्यम से औपचारिक रूप से किया गया यह सहयोग, एसबीआई म्यूचुअल फंड के निवेशकों के लिए डोरस्टेप केवाईसी सत्यापन सेवाएं प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाएगा। इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में निवेशकों के लिए सुविधा, सुरक्षा और विनियामक अनुपालन सुनिश्चित करते हुए केवाईसी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।

डाक भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में डाक विभाग के व्यवसाय विकास निदेशालय की महाप्रबंधक सुश्री मनीषा बंसल बादल और एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री मुनीश सभरवाल के बीच समझौता ज्ञापन पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए ।

देश के दूर-दराज के इलाकों में फैले 1.64 लाख से ज़्यादा डाकघरों के विशाल नेटवर्क के साथ भारतीय डाक विभाग वित्तीय समावेशन के उद्देश्य से की जाने वाली पहलों का समर्थन करने के लिए अद्वितीय स्थिति में है। शहरी क्षेत्रों, ग्रामीण कस्बों, दूरदराज के गांवों और यहां तक ​​कि अन्य वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में डाकघरों के साथ, डाक विभाग के पास केवाईसी सत्यापन सहित ग्राहक सेवा आवश्यकताओं में सहायता करने के लिए बेजोड़ पहुंच है।

समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में इंडिया पोस्ट देश भर के निवेशकों से आवश्यक फॉर्म और दस्तावेज एकत्र करके एसबीआई म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए केवाईसी औपचारिकताओं को पूरा करने में सुविधा प्रदान करेगा। केवाईसी दस्तावेज इंडिया पोस्ट के प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा एकत्र किए जाएंगे, जिससे प्रक्रिया में उच्च स्तर की सुरक्षा, सटीकता और गोपनीयता सुनिश्चित होगी।

इंडिया पोस्ट के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क का लाभ उठाकर, यह साझेदारी यह सुनिश्चित करेगी कि निवेशक, चाहे वे कहीं भी हों, आसानी से केवाईसी प्रक्रिया को पूरा कर सकें। यह ग्रामीण, वंचित और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले निवेशकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा जिन्हें अक्सर पारंपरिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डोर-टू-डोर केवाईसी सेवा निवेशकों को बहुत सुविधा प्रदान करेगी जिससे वे अपने घर बैठे आराम से पूरी प्रक्रिया को पूरा कर सकेंगे। यह विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, गतिशीलता चुनौतियों वाले व्यक्तियों या दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है, जहाँ भौतिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच सीमित है।

यह सहयोग सीधे तौर पर भारत सरकार की जन निवेश पहल का समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ाना और अधिक लोगों को देश के पूंजी बाजारों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत वित्तीय सेवाओं को डिजिटल बनाने के चल रहे प्रयासों में भी योगदान देता है। इंडिया पोस्ट के भरोसेमंद नेटवर्क के साथ, यह साझेदारी केवाईसी प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद करेगी और व्यक्तियों, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश उत्पादों से जुड़ने के लिए एक प्रवेश द्वार प्रदान करेगी। दरवाजे पर केवाईसी सेवाएं प्रदान करके, यह पहल वित्तीय नियमों के अनुपालन के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

केवाईसी सत्यापन को सुगम बनाने में इंडिया पोस्ट की भूमिका यूटीआई म्यूचुअल फंड और एसयूयूटीआई (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का सार्वजनिक कोष) सहित अन्य म्यूचुअल फंड कंपनियों के साथ इसके सफल सहयोग के माध्यम से प्रदर्शित हुई है। इन साझेदारियों में, इंडिया पोस्ट ने कम समय में 5 लाख से अधिक केवाईसी सत्यापन सफलतापूर्वक संभाले, जिससे सटीकता, सुरक्षा और दक्षता के साथ उच्च-मात्रा वाले संचालन को प्रबंधित करने की इसकी क्षमता का प्रदर्शन हुआ।

भारतीय डाक वित्तीय सेवा क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के संगठनों के साथ सहयोग के लिए सक्रिय रूप से नए रास्ते तलाश रहा है। अपने मजबूत बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षित कार्यबल और विश्वसनीयता के साथ, भारतीय डाक भारतीय आबादी के बीच वित्तीय साक्षरता , डिजिटल ऑन-बोर्डिंग और निवेश भागीदारी को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाने के लिए अच्छी स्थिति में है।

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वैज्ञानिकों ने सूर्य के भूमिगत मौसम का चार्ट बनाया है जो उसके 11-वर्षीय एक्टिविटी साइकल से जुड़ा है

सौर भौतिकविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सूर्य की सतह के नीचे एक क्षेत्र में प्लाज्मा के विशाल टाइड्स का पता लगाया है जिसे निकट-सतह सियर लेयर (एनएसएसएल) कहा जाता है। प्लाज्मा धाराएं सूर्य की चुंबकीय प्रभाव के साथ बदलती हैं और अंतरिक्ष मौसम और पृथ्वी पर दूरगामी प्रभाव डाल सकती हैं।

सूर्य की सतह के नीचे लगभग 35,000 किलोमीटर की गहराई तक फैली सतह के पास की सियर लेयर (एनएसएसएल) एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह अलग-अलग घूर्णन व्यवहारों द्वारा चिह्नित है जो गहराई के साथ और स्थान और समय के साथ परिवर्तनों द्वारा भिन्न होते हैं, जो सक्रिय क्षेत्र चुंबकीय क्षेत्रों और सौर चक्र से संबंधित हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के खगोलविदों के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में सूर्य के गतिशील “आंतरिक मौसम” – एनएसएसएल में इसकी सतह के ठीक नीचे प्लाज्मा धाराओं की जांच की गई है, जो इसके 11-वर्षीय सौर सनस्पॉट चक्र के साथ चलती हैं।

पिछले सप्ताह ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में प्रकाशित शोध में, आईआईए, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (यूएसए) और राष्ट्रीय सौर वेधशाला (एनएसओ, यूएसए) के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ये छिपे हुए प्रवाह समय के साथ कैसे बदलते हैं, जिससे सामान्य रूप से सौर गतिशीलता के बारे में हमारी समझ में बदलाव आ सकता है और विशेष रूप से सूर्य का आंतरिक भाग उसके बाहरी चुंबकीय व्यवहार से कैसे जुड़ता है।

हेलियोसिस्मोलॉजी- एक उन्नत तकनीक जो सूर्य से होकर गुजरने वाली ध्वनि तरंगों पर नज़र रखती है – का उपयोग करते हुए टीम ने नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्ज़र्वेटरी/ हेलिओसिस्मिक और मैग्नेटिक इमेजर (एसडीओ/एचएमआई) और अमेरिका के नेशनल सोलर ऑब्ज़र्वेटरी (एनएसओ) के ग्राउंड-आधारित ग्लोबल ऑसिलेशन नेटवर्क ग्रुप (जीओएनजी) से एक दशक से अधिक के डेटा का उपयोग करके सौर सामग्री की गति में परिवर्तन देखा।

सतह के नीचे अवलोकन

प्रोफेसर एसपी राजगुरु और आईआईए की पीएचडी छात्रा अनीशा सेन के नेतृत्व में किए गए विश्लेषण से ये पैटर्न सामने आए – सतही प्लाज्मा प्रवाह सक्रिय सनस्पॉट अक्षांशों की ओर अभिसरित होते हैं, लेकिन एनएसएसएल के मध्य में दिशा बदल देते हैं, जो परिसंचरण कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए बाहर की ओर बहते हैं। ये प्रवाह सूर्य के घूर्णन और कोरिओलिस बल से दृढ़ता से प्रभावित होते हैं – वही बल जो पृथ्वी पर तूफानों के घूमने के लिए जिम्मेदार है।

कोरिओलिस प्रभाव सूर्य के विभिन्न गहराई पर घूमने के तरीके को सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली शिल्पकार में बदल देता है जिससे घूर्णन सियर (गहराई के साथ घूर्णन की ढाल) में बदलाव होता है। दिलचस्प बात यह है कि ये स्थानीय धाराएं सूर्य के बड़े पैमाने के क्षेत्रीय प्रवाह को शक्ति नहीं देती हैं – जिन्हें टॉरसनल ऑसिलेशन के रूप में जाना जाता है – यह सुझाव देते हुए कि ये वैश्विक प्रवाह, जो सूर्य के विशाल आंतरिक भाग में तरंगित होते हैं, उन्हें किसी गहरी और अधिक रहस्यमय चीज़ द्वारा संचालित किया जाना चाहिए।

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चित्र 1 : सतह के पास (0.99 सौर त्रिज्या) और निकट की एक गहरी परत (0.95 सौर त्रिज्या) पर प्रवाह संरचनाएं कैसे विकसित होती हैंइसका चित्रणजैसे कि सनस्पॉट दिखाई देते हैं और समय के साथ विकसित होते हैं (11-वर्षीय सौर चक्र में)। सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में घुमावदार गति की दिशाएं कोरिओलिस बल द्वारा निर्धारित की जाती हैंठीक उसी तरह जैसे यह पृथ्वी पर तूफान प्रणालियों को आकार देता है।

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चित्र 2. सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में सक्रिय क्षेत्रों के आसपास कोरिओलिस बल की मध्यस्थता से औसत प्रवाह संरचनाओं को दर्शाने वाला रेखाचित्र। लेबल मेरिडियन प्रवाह में अवशिष्टों के चिह्नों को दर्शाते हैं, δU θ , और परिणामी अवशिष्ट रोटेशनल सियर, δ(∂Ω/∂r), दो गहराइयों, 0.99 और 0.95 R सूर्य के लिए जो एनएसएसएल की रेडियल सीमाओं को चिह्नित करते हैं। चित्र कलाकृति श्रेय: अमृता राजगुरु }

जूम इन करें और देखें

“अपने निष्कर्षों को मान्य करने के लिए, हमने 3डी वेलोसिटी मैप्स का उपयोग करके एक विशाल सनस्पॉट क्षेत्र पर ज़ूम इन किया। हमने जो स्थानीयकृत प्रवाह पैटर्न देखे, वे वैश्विक रुझानों से मेल खाते थे – सतही अंतर्वाह और गहरे बहिर्वाह दोनों की पुष्टि करते हैं,” प्रमुख लेखक अनीशा सेन ने कहा।

इस शोधपत्र के लेखकों में से एक प्रोफेसर एसपी राजगुरु कहते हैं, “यह सूर्य के आंतरिक मौसम पैटर्न के निर्माण और विकास के बारे में एक आश्चर्यजनक जानकारी है।” “इन छिपे हुए पैटर्न को समझना सिर्फ़ अकादमिक नहीं है – सौर गतिविधि अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करती है जो पृथ्वी पर उपग्रहों, बिजली ग्रिड और संचार को बाधित कर सकती है। यह काम हमें सूर्य के व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए यथार्थवादी मॉडल को समझने और बनाने के करीब लाता है।” अध्ययन समूह में अभिनव गोविंदन अय्यर और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगी भी शामिल थे।

इन निष्कर्षों से हमें यह पता चलता है कि सूर्य की चुंबकीय गतिविधियां किस प्रकार उसके आंतरिक प्रवाह से जुड़ी हैं, तथा यह संकेत मिलता है कि हम अभी भी गहरी परतों में छिपी किसी ऐसी चीज को नहीं देख पा रहे हैं जो वास्तव में इसकी वैश्विक गतिशीलता को संचालित करती है।

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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना शुरू की

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 29 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में “हरित हाइड्रोजन आपूर्ति श्रंखला में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए अवसरों” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य भारत में हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के विकास में एमएसएमई की प्रमुख भूमिका पर चर्चा करना और अवसरों का पता लगाना था। एमएसएमई, नीति निर्माताओं, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, उद्योग संघों और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों सहित विभिन्न हितधारक समूहों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

माननीय केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने उद्घाटन भाषण में नवाचार आधारित विकास को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और इस बात पर बल दिया कि एमएसएमई अपनी नवीन क्षमताओं और स्थानीय समाधानों के माध्यम से भारत के ऊर्जा परिवर्तन की रीढ़ के रूप में काम करेंगे। उन्होंने वर्ष 2030 तक आत्मनिर्भर हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के निर्माण के मिशन के उद्देश्यों को साकार करने में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

माननीय केंद्रीय मंत्री महोदय ने भारत की हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना (जीएचसीआई) का भी शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि यह योजना हरित हाइड्रोजन उत्पादन को प्रमाणित करने और पारदर्शिता, जानकारी प्राप्त करने और बाजार की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत ढांचा बनाने की दिशा में एक आधारभूत कदम है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के कार्यान्वयन में कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एमएसएमई को इस नए औद्योगिक परिदृश्य में सार्थक रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाने हेतु क्षमता निर्माण, वित्त की सुविधा और प्रौद्योगिकी संबंधों को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने हरित हाइड्रोजन के लिए संस्थागत और ढांचागत सहायता के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें एमएसएमई महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

:कार्यशाला में चार केंद्रित तकनीकी सत्र शामिल थे:

  1. एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी सहयोग

पैनल में शामिल वक्ताओं ने अनुसंधान एवं विकास सहयोग मॉडल, द्विध्रुवीय प्लेटों और इलेक्ट्रोलाइजर्स जैसे घटकों के स्वदेशीकरण और ज्ञान संस्थानों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

  1. हरित हाइड्रोजन आपूर्ति श्रंखला में व्यावसायिक अवसर

चर्चा का मुख्य विषय एमएसएमई को बड़े पैमाने की परियोजनाओं में एकीकृत करना था। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और कॉर्पोरेट विशेषज्ञों ने व्यवस्थित एमएसएमई जुड़ाव रणनीतियों का समर्थन करते हुए व्यावसायिक मॉडल और बाजार के अवसरों की रूपरेखा तैयार की।

  1. बायोमास के माध्यम से विकेंद्रीकृत हाइड्रोजन उत्पादन

विशेषज्ञ वक्ताओं ने बायोमास के हाइड्रोजन में थर्मोकेमिकल और बायोकेमिकल रूपांतरण पर उपयोग के मामले प्रस्तुत किए और ग्रामीण उद्योगों में उनके अनुप्रयोग की खोज की। सत्र में स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए विकेंद्रीकृत मॉडल की क्षमता पर प्रकाश डाला गया, साथ ही पुनः उपयोग की अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को प्रोत्साहन दिया गया।

  1. हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम में निवेश को प्रेरित करना

विश्व बैंक, इरेडा, केएफडब्ल्यू और आईआईएफसीएल सहित वित्तीय संस्थानों ने जोखिम कम करने की रणनीतियों, मिश्रित वित्त व्यवस्था और एमएसएमई के लिए सुलभ हरित ऋण व्यवस्था को डिजाइन करने की आवश्यकता पर चर्चा की।

कार्यशाला ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा उपयोग में परिवर्तन में एमएसएमई को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और एक समावेशी, प्रौद्योगिकी-संचालित और विकेन्द्रीकृत हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के निर्माण के प्रति एमएनआरई की प्रतिबद्धता को दर्शाया। कार्यशाला में एमएसएमई की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिन्होंने हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में प्रवेश करने में, विशेष रूप से घटक निर्माण, संचालन और रखरखाव सेवाओं और ग्रामीण हाइड्रोजन उत्पादन जैसे क्षेत्रों में गहरी रुचि दिखाई। प्रतिभागियों ने एमएसएमई को क्षमताओं को संयोजित करने और बडे पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं से लाभ उठाने में सहायता करने के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल, संयुक्त नवाचार के लिए साझा मंच और हरित हाइड्रोजन समूह के गठन की आवश्यकता पर बल दिया। चर्चाओं में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट मांग संकेतों और दीर्घकालिक नीति स्थिरता के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। विशेषज्ञों ने हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से इलेक्ट्रोलाइज़र और ईंधन कोशिकाओं के लिए विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने की भारत की मजबूत क्षमता का उल्लेख किया।

भारत सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को लागू कर रही है। इसका उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।

इस मिशन के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक निम्नलिखित संभावित परिणाम सामने आएंगे:

  1. देश में लगभग 125 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास
  2. कुल आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश
  3. छह लाख से अधिक नौकरियों का सृजन
  4. जीवाश्म ईंधन आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की संचयी कमी
  5. वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी

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वियतनाम में प्रदर्शित करने के लिए सारनाथ के पवित्र बुद्ध अवशेष राष्ट्रीय संग्रहालय पहुंचेंगे

भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) नई दिल्ली के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) दिवस वेसाक 2025 के भव्य समारोह के दौरान वियतनाम में सारनाथ के पवित्र बुद्ध अवशेष की पहली बार प्रदर्शनी आयोजित करेगा।

पवित्र अवशेष को 30 अप्रैल, 2025 को सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार (मठ) से वाराणसी हवाई अड्डे तक पूजा-अर्चना के साथ औपचारिक रूप से दिल्ली लाया जाएगा। इस विहार में शाक्यमुनि बुद्ध के पवित्र अवशेष रखे गए हैं। इसका निर्माण अंगारिका धर्मपाल ने करवाया था, जो महाबोधि सोसाइटी के संस्थापक थे और आज भी इसका रखरखाव और संचालन महाबोधि सोसाइटी द्वारा किया जाता है।

दिल्ली पहुंचने पर पवित्र अवशेष को 30 अप्रैल, 2025 को शाम 5.30 बजे राष्ट्रीय संग्रहालय में एक विशेष संरक्षित बाड़े में रखा जाएगा, जहां धम्म के अनुयायियों, जिसमें समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्य और बौद्ध देशों के राजनयिक प्रतिनिधि शामिल होंगे, द्वारा प्रार्थना, जप और ध्यान किया जाएगा।

अगले दिन, 1 मई 2025 को, बुद्ध के पवित्र अवशेष को राष्ट्रीय संग्रहालय से वरिष्ठ भिक्षुओं की देखरेख में पूर्ण धार्मिक पवित्रता और प्रोटोकॉल के साथ विशेष भारतीय वायु सेना के विमान द्वारा हो ची मिन्ह सिटी ले जाया जाएगा।

महासचिव आदरणीय शार्त्से खेंसुर रिनपोछे जंगचुप चोएडेन के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी शामिल हैं, वियतनाम में पवित्र प्रदर्शनी समारोहों और वेसाक समारोहों में भाग ले रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू करेंगे।

आंध्र प्रदेश के एक प्रमुख स्थल नागार्जुन कोंडा में मूलगंध कुटी विहार में स्थापित बुद्ध के पवित्र अवशेषों की खुदाई की गई। महायान बौद्ध धर्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में इसका ऐतिहासिक महत्व है और यह दूसरी शताब्दी ई. के भिक्षु, दार्शनिक नागार्जुन से जुड़ा हुआ है। बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद से ही इनकी पूजा और आराधना की जाती रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तत्कालीन अधीक्षक एएच लॉन्गहर्स्ट ने 1927-31 तक बड़े पैमाने पर यहाँ खुदाई की; इस स्थल पर अधिकांश स्मारक तीसरी-चौथी शताब्दी ई. में बनाए गए थे; यहाँ तीस से अधिक बौद्ध प्रतिष्ठानों के अवशेष पाए गए। शिलालेखों के अनुसार सबसे पुराना महान स्तूप लगभग 246 ई. का है, लेकिन पुरातत्वविदों का कहना है कि स्तूप इससे भी पुराना हो सकता है।

खुदाई के बाद इन्हें 27 दिसंबर 1932 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक राय बहादुर दयाराम साहनी ने भारत के महामहिम वायसराय की ओर से बौद्धों की एक प्रतिष्ठित सभा के समक्ष महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया को भेंट किया था। हर साल नवंबर के महीने में मूलगंध कुटी विहार के स्थापना दिवस पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों लोग सारनाथ आते हैं।

पवित्र अवशेष को निम्नलिखित महत्वपूर्ण स्थलों पर औपचारिक रूप से स्थापित, सम्मानित और पूजा जाएगा; हो ची मिन्ह शहर में हान ताम मठ में 2-8 मई, 2025 तक (वेसाक 2025 के संयुक्त राष्ट्र दिवस के साथ); फिर बा दीन पर्वत, ताई निन्ह प्रांत में 9-13 मई, 2025 तक (दक्षिणी वियतनाम का राष्ट्रीय आध्यात्मिक तीर्थ स्थल); यहां से पवित्र अवशेष को प्रदर्शन के लिए क्वान सू मठ, हनोई में 14-18 मई, 2025 तक (वियतनाम बौद्ध संघ का मुख्यालय) में रखा जाएगा, और अंत में ताम चुक मठ, हा नाम प्रांत में 18-21 मई, 2025 तक (दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ा बौद्ध केंद्र) में रखा जाएगा।

यह महत्वपूर्ण प्रदर्शनी संयुक्त राष्ट्र (यूएन) दिवस वेसाक 2025 के साथ मेल खाती है, जिसे वियतनाम में मनाया जा रहा है, जो न केवल वियतनाम के नागरिकों के लिए पवित्र अवशेष का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है, बल्कि 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के लिए भी है जो वेसाक दिवस समारोह में भाग लेंगे।

15 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद से हर साल, वेसाक का तीन बार पवित्र दिन (बुद्ध गौतम के जन्म, ज्ञान और परिनिर्वाण का जश्न) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। वेसाक का अंतर्राष्ट्रीय दिवस पहली बार 2000 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मनाया गया था। इसने अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समुदायों द्वारा वेसाक के संयुक्त राष्ट्र दिवस (यूएनडीवी) के वार्षिक समारोहों को प्रेरित किया था।

वेसाक दिवस के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिषद (आईसीडीवी)ने 2013 से संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के लिए एक विशेष सलाहकार का दर्जा रखा है। यूएनडीवी 2025 समारोह और अकादमिक सम्मेलन का मुख्य विषय होगा “मानव सम्मान के लिए एकता और समावेशिता के लिए बौद्ध दृष्टिकोण: विश्व शांति और सतत विकास के लिए बौद्ध अंतर्दृष्टि”, वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय, हो ची मिन्ह सिटी, सनवर्ल्ड बौद्ध सांस्कृतिक केंद्र, ताय निन्ह प्रांत में आयोजित किया जाएगा।

बुद्ध धम्म पर प्रदर्शनियां

इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) भारत से वियतनाम तक बुद्ध धम्म और उसकी सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रसार पर तीन प्रदर्शनियाँ भी आयोजित करेगा। इनमें जातक कथाओं का इलेक्ट्रॉनिक प्रदर्शन; बुद्ध के विभिन्न रूपों को दर्शाती मूर्तियाँ; और भारत और वियतनाम की बौद्ध कलाकृतियों का तुलनात्मक अध्ययन शामिल है।

विश्लेषण में इस समृद्ध सांस्कृतिक आदान-प्रदान की समझ को गहरा करने के लिए विभिन्न संसाधनों का उपयोग किया गया है, जिसमें शिलालेख, ऐतिहासिक ग्रंथ और दृश्य कलाकृतियाँ शामिल हैं। इस बहुआयामी दृष्टिकोण का उद्देश्य वियतनाम में बुद्ध धम्म के विकास की एक व्यापक कथा प्रदान करना है, जो पूरे इतिहास में कला, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक पहचान पर इसके गहन प्रभाव को दर्शाता है।

इस अवसर पर अजंता गुफा भित्तिचित्रों के डिजिटल जीर्णोद्धार का प्रदर्शन किया जाएगा, जो प्राचीन जातक कथाओं को उजागर करेगा। पुणे के प्रसाद पवार फाउंडेशन के सहयोग से आईबीसी 8 पैनलों का अनावरण करेगा और अलग-अलग टीवी स्क्रीन पर प्रसिद्ध बोधिसत्व पद्मपाणि की डिजिटल जीर्णोद्धार प्रक्रिया को प्रदर्शित करेगा, जो 5वीं शताब्दी के उत्तरार्ध की भित्ति चित्रकला है। यह भित्तिचित्र महाराष्ट्र की अजंता गुफाओं की गुफा 1 में है, और यह भारत के गुप्त वंश की कलाओं की सुंदरता और शास्त्रीय परिष्कार को दर्शाता है।

प्रदर्शनी आगंतुकों को बोधिसत्वों और दिव्य प्राणियों के दर्शन के बीच चलने के लिए आमंत्रित करती है, क्योंकि प्राचीन कथाएँ धीरे-धीरे सामने आती हैं। ये कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि करुणा की कोई सीमा नहीं होती, ज्ञान सभी का होता है, और शांति हर जीवित प्राणी

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श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और शोभा करंदलाजे की उपस्थिति में रैपिडो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और रैपिडो ने आज नई दिल्ली में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल के माध्यम से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में रोजगार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री  शोभा करंदलाजे की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

इस अवसर पर डॉ. मांडविया ने कहा, “नेशनल करियर सर्विस पोर्टल गतिशील मंच है जो पूरे भारत में नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को एक साथ लाता है। 1 करोड़ 75 लाख से अधिक सक्रिय नौकरी चाहने वालों और 40 लाख से अधिक पंजीकृत नियोक्ताओं के साथ, यह कार्यबल जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एनसीएस दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। यह माई भारत, ईश्रम, एसआईडीएच, एमईए-ईमाइगार्टे पोर्टल और कई अन्य निजी पोर्टलों के साथ एकीकृत है।”

डॉ. मांडविया ने इस सहयोग का स्वागत किया। उन्‍होंने 1-2 वर्षों की अवधि में एनसीएस प्लेटफॉर्म पर 50 लाख आजीविका के अवसर लाने की रैपिडो की पहल की सराहना की। प्लेटफॉर्म की पहुंच और सुलभता की जानकारी देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने एनसीएस को रोजगार, कौशल और परामर्श के लिए वन-स्टॉप समाधान बनाने और साथ ही हाइपरलोकल जॉब मैचिंग और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के प्लेसमेंट का समर्थन करने में सक्षम बनाने के सरकार के दृष्टिकोण को दोहराया।

केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने एनसीएस और रैपिडो के सहयोग पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्‍होंने महिलाओं के लिए 5 लाख नौकरियों सहित महिला रोजगार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रैपिडो को बधाई दी।

श्रम और रोजगार सचिव ने बताया कि यह समझौता ज्ञापन बदलते रोजगार बाजार के मद्देनजर बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें नौकरी के अवसर महत्वपूर्ण घटक बन रहे हैं। यह सहयोग रोजगार सुविधा के लिए मंत्रालय के विकसित दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है – जो समावेशिता, नवाचार और प्रभाव पर आधारित है। उन्होंने लैंगिक समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रैपिडो की सराहना की।

रैपिडो के सह-संस्थापक पवन गुंटुपल्ली ने इस सहयोग के लिए मंत्रालय को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस भागीदारी से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने रैपिडो की “पिंक रैपिडो” पहल का उल्लेख किया, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए है। उन्होंने एनसीएस और श्रम मंत्रालय के साथ जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा सफल भागीदारी की आशा व्यक्त की।

यह निजी नियोक्ताओं/पोर्टलों, अन्य प्रमुख रोजगार/गिग प्लेटफार्मों आदि के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने की श्रृंखला में एक कदम है। इसका उद्देश्य नौकरी चाहने वालों और निजी क्षेत्र के रोजगार के बीच की खाई को पाटना है जिससे नौकरी की सुविधा में सार्वजनिक-निजी समन्वय के लिए समग्र दृष्टिकोण को सक्षम किया जा सके।

समझौता ज्ञापन के मुख्य बिंदु:

  • रैपिडो नियमित रूप से एनसीएस पोर्टल पर बाइक टैक्सी, ऑटो और कैब चलाने के लिए सत्यापित रैपिडो अवसरों को पोस्ट करेगा और इसके माध्यम से भर्ती करेगा।
  • एपीआई-आधारित एकीकरण उपयोगकर्ताओं के लिए वास्तविक समय में नौकरी पोस्टिंग और निर्बाध आवेदन ट्रैकिंग सुनिश्चित करेगा।
  • समावेशी भर्ती पर ध्यान केंद्रित करना, विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और लचीले काम की तलाश करने वालों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना।
  • इस साझेदारी से संरचित ऑनबोर्डिंग, डिजिटल सशक्तिकरण और श्रमिक कल्याण योजनाओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा मिलने की आशा है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एनसीएस पोर्टल के माध्यम से सभी क्षेत्रों में रोजगार परिणामों में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह भारत के विविध कार्यबल के लिए सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के साथ जुड़ना जारी रखेगा।

 

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पीएम गतिशक्ति के तहत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की 92वीं बैठक में प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया

सड़क और रेलवे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए आज नई दिल्ली में नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 92वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में विचार-विमर्श के दौरान पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (पीएमजीएस एनएमपी) के अनुसार, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बढ़ाने और लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

एनपीजी ने चार प्रमुख प्रस्तावों का मूल्यांकन किया – एक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) से और तीन रेल मंत्रालय (एमओआर) से। इन परियोजनाओं का मूल्यांकन पीएम गतिशक्ति के मूल सिद्धांतों के साथ उनके तालमेल के लिए किया गया, जिसमें एकीकृत मल्टीमॉडल बुनियादी ढांचा, अंतिम-छोर तक संपर्क और संपूर्ण-सरकार और संपूर्ण-क्षेत्र विकास का दृष्टिकोण शामिल है। इन पहलों की मदद से यात्रा का समय कम होने, माल ढुलाई में वृद्धि होने और क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच)

  1. छह/चार लेन वाला एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे – ऋषिकेश बाईपास

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने एनएचएआई के ज़रिए ऋषिकेश के आसपास एक बाईपास का प्रस्ताव रखा है, ताकि शहर में भीड़भाड़ कम हो और एनएच-34 पर यातायात की आवाजाही में सुधार हो – जो दिल्ली, मेरठ, रुड़की, हरिद्वार और बद्रीनाथ को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग है। यह राजमार्ग हरिद्वार, देहरादून, बीएचईएल, एसआईडीसीयूएल और माना, नेलांग और नीति जैसे रणनीतिक सीमा बिंदुओं सहित प्रमुख धार्मिक और औद्योगिक नोड्स को जोड़ता है। इस परियोजना में 6/4-लेन का एलिवेटेड कॉरिडोर और एक अतिरिक्त 4-लेन की सड़क शामिल है, जो आने वाले समय में यातायात को प्रबंधित करने और समग्र क्षमता में सुधार करने के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है।

रेल मंत्रालय (एमओआर)

  1. बीना-इटारसी चौथी रेलवे लाइन (236.97 किमी)

एमओआर ने बीना और इटारसी के बीच चौथी रेलवे लाइन प्रस्तावित की है, जो नर्मदापुरम, रानी कमलापति, भोपाल, निशातपुरा और विदिशा जैसे प्रमुख स्टेशनों से होकर गुज़रेगी। इस लाइन में 32 स्टेशन शामिल हैं और इसका मकसद माल ढुलाई के संचालन में सुधार करना है। इस परियोजना से पारगमन समय में करीब 46 मिनट की कमी आने और सेक्शनल गति में 10 किमी/घंटा की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है, जिससे तेज़ और अधिक कुशल रेल रसद में मदद मिलेगी।

  1. कसारा-मनमाड मल्टी-ट्रैकिंग लाइन (तीसरी और चौथी लाइन, 2×130.817 किमी)

इस परियोजना में दो खंडों में तीसरी और चौथी रेलवे लाइन का निर्माण शामिल है: पूर्वोत्तर घाट में कसारा-इगतपुरी और दक्कन पठार में इगतपुरी-मनमाड। इसका खास मकसद 100 में 1 का रूलिंग ग्रेडिएंट बनाए रखना है, जिससे बैंकिंग इंजन की ज़रुरत खत्म हो जाएगी और ऊर्जा दक्षता में भी सुधार होगा। यह लाइन कई स्टेशनों को बायपास करती है और लाहवित स्टेशन पर मौजूदा लाइन के साथ मिल जाती है, जिससे माल ढुलाई में आसानी होती है।

  1. भुसावल-वर्धा तीसरी और चौथी रेलवे लाइन (314 किमी)

भुसावल और वर्धा के बीच प्रस्तावित 314 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी लाइन, महाराष्ट्र के पांच जिलों – जलगांव, बुलढाणा, अकोला, अमरावती और वर्धा से होकर गुजरती है। इस परियोजना में नए रेलवे ट्रैक, स्टेशन अपग्रेड, यार्ड रीकॉन्फ़िगरेशन और सिग्नलिंग सुधार शामिल हैं। मुंबई-हावड़ा हाई डेंसिटी कारिडोर (एचडीएन-2) के एक हिस्से के रूप में, यह मार्ग माल ढुलाई के यातायात को कम करने और मध्य रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।

बैठक की अध्यक्षता उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के संयुक्त सचिव श्री पंकज कुमार ने की।

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