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नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस का हुआ आयोजन, पुरा छात्रों ने स्कूली दिनों की यादों को किया ताजा

देश भर में 16 लाख से अधिक नवोदयन्स का नेटवर्क समाज को नई दिशा देने के लिए तत्पर – पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
नवोदयन्स भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बना रहे हैं अपना अलग मुकाम –  पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
बीएचयू स्थित शताब्दी कृषि भवन में जुटे नवोदयन्स, नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस पर हुआ सम्मान

“हम नव युग की नई भारती, नई आरती/हम स्वराज्य की ऋचा नवल/भारत की नवलय हों/नव सूर्योदय, नव चंद्रोदय/हमीं नवोदय हों” प्रार्थना के साथ नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस और एल्युमिनाई मीट समारोह का आयोजन वाराणसी में बीएचयू स्थित शताब्दी कृषि भवन में किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम इत्यादि विभिन्न राज्यों के पुरातन नवोदय विद्यार्थी शामिल हुए और अनेकता में एकता की विशिष्टता को रेखांकित करते हुए स्कूली दिनों की यादों को ताजा किया। बीएचयू के कुलगीत, नवोदय प्रार्थना, स्वागत गीत के बीच अतिथियों ने पं. मदन मोहन मालवीय और नवोदय विद्यालय के संस्थापक राजीव गांधी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि अप्रैल, 1986 में दो नवोदय विद्यालयों से आरंभ हुआ यह सफर आज 661 तक पहुँच चुका है। देश भर में नवोदय विद्यालय के 16 लाख से अधिक पुरा विद्यार्थियों का नेटवर्क समाज को नई दिशा देने के लिए तत्पर है। आज नवोदय एक ब्रांड बन चुका है। राजनीति, प्रशासन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सैन्य सेवाओं से लेकर विभिन्न प्रोफेशनल सेवाओं, बिजनेस और सामाजिक सेवाओं में नवोदयन्स पूरे भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया में अपना अलग मुकाम बना रहे हैं। श्री यादव ने कहा कि अमृत काल में भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने में नवोदयन्स की अहम भूमिका है। नवोदय विद्यालय एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद उत्कृष्ट शिक्षा और बेहतर परीक्षा परिणामों की वजह से आज शीर्ष पर है।

बरेका में चीफ इंजीनियर श्री रणविजय सिंह ने कहा कि हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में नवोदय का बहुत योगदान रहा है। हम वहाँ ज़िंदगी को समझना और सही मायनों में जीना सीखते हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम में सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट श्री विनोद सिंह ने कहा कि नवोदय परिवार आज भी बेहद संगठित है और लोग एक दूसरे से दिल से जुड़े हैं। सुख-दुःख में एक दूसरे के साथ जिस तरह से खड़े रहते हैं, वह मन में हैरत ही नहीं गर्व भी पैदा करता है।

सम्मानित होने वाले नवोदयंस- इस अवसर पर नवोदय विद्यालय के पुरा विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, बीएचयू हिंदी विभाग प्रोफेसर डॉ. सत्यपाल शर्मा, फिजिक्स प्रोफ़ेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार, बरेका चीफ इंजीनियर रणविजय सिंह, श्री काशी विश्वनाथ धाम में सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट विनोद सिंह, डीआरएम ऑफिस में इंजीनियर अभिषेक सिंह, बिजली विभाग अधिशाषी अभियंता चंद्रशेखर चौरसिया, सर सुन्दरलाल चिकित्सालय, बीएचयू में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर ममता मिश्रा, मंचीय कवि दानबहादुर सिंह, एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज गौतम, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. सत्यपाल यादव, पुलिस उप निरीक्षक सुनील गौड़, डॉ. प्रदीप गौतम, विमलेश कुमार, अमित त्रिपाठी इत्यादि सम्मानित हुए।

कार्यक्रम में मंचीय कवि दान बहादुर सिंह ने अपनी कविताओं से शमां बांधा वहीं तमाम पुरा विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति कर लोगों का दिल जीत लिया।

कार्यक्रम का संयोजन सोमेश चौधरी, महेंद्र मिश्र ‘मोहित’, शालिन्दी और देवव्रत ने किया, वहीं संचालन अनुराधा व अभिषेक ने किया।

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कानपुर समाचार

*कानपुर कमिश्नरेट का आदेश बेअसर क्यों साबित हो रहा है*

*धारा 144 लगी होने के बाद भी कैसे कानपुर पुलिस का आदेश नहीं काम कर रहा है*

*प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या के बाद यूपी के कई जिलों में धारा 144 लगा दी गई थी*

*स्वरूप नगर थाना क्षेत्र के कार्डियोलॉजी के पास में असलम नाम का युवक रात भर दुकान खोलकर लगवाता है भीड़* ?

*कभी भी आ सकती है लाइन ऑर्डर की समस्या कानपुर में*

*हैलट चौकी इंचार्ज और स्वरूप नगर थाने की पुलिस क्यों नहीं मानते हैं अधिकारी का आदेश*

*किसके संरक्षण में रात भर खुली रहती है सरूप नगर में मैगी प्वाइंट की दुकानें*

*भीड़ का वीडियो हुआ वायरल*

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दिनदहाड़े महिला का उसके पुलिस वाले पति ने कि अपरहण करने की कोशिश

बाल पकड़कर महिला को घसीटते हुए गाड़ी में डालने का वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

पीड़ित महिला का आरोप गाड़ी से तेजाब की बोतल निकाल कर तेजाब डालने के भी करी गई कोशिश आसपास के लोगों ने बचाई महिला की जान

पीड़ित महिला के पति के दूसरी महिला से अवैध संबंध

कुछ महीने पूर्व कल्याणपुर थाना के अंतर्गत महिला ने अपने पति को पकड़ा था दूसरी युवती के साथ एक रूम मे

फिलहाल पुलिस ने मौके पर पहुंचकर महिला के पति को पकड़ कर ले गई थाने

पीड़ित महिला भी थाने में मौजूद

पूरा मामला पनकी थाना क्षेत्र का

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विधायक इरफान सोलंकी कानपुर कोर्ट में आज होंगे पेश।

महिला के प्लॉट पर आगजनी मामले में इरफान सोलंकी महाराजगंज जेल में है बंद।

कचहरी में सुरक्षा व्यवस्था के किए गए कड़े इंतजाम।

अतीक और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद इरफान का परिवार दहशत में।

महाराजगंज जेल से परिवार की एक गाड़ी लगातार चल रही है साथ।

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पनकी पुलिस के हाथ लगी सफलता

पुलिस ने गैंगस्टर में वांछित शातिर को दबोचा

पुलिस को चखमा देकर लंबे समय से फरार चल रहा था शातिर

शातिर पर वाहन चोरी मामलें में कई मुकदमें है दर्ज

इंस्पेक्टर विक्रम सिंह शातिर से गहनता से कर रहे पूछताछ

कानपुर कमिश्नरेट थाना पनकी क्षेत्र का मामला

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कानपुर विकास प्राधिकरण के ये जिम्मेदार विभाग के राजस्व को लगा रहे लाखों करोड़ों का चूना…

केडीए जोन 4 तैनात जेई राजेश निरंजन और सुपरवाइजर दीपक बेखौफ कर रहे भ्रष्टाचार…

जेई राजेश निरंजन सुपरवाइजर दीपक क्षेत्र में जमकर करवा रहे हैं अवैध निर्माण…

सुपरवाइजर दीपक सालों से तैनात है एक ही क्षेत्र में…

अवैध निर्माणों के मसीहा हैं राजेश निरंजन और सुपरवाइजर दीपक…

राजेश निरंजन और दीपक का बस एक ही नारा “जेब हमारी भर डालो अवैध निर्माण तुम कर डालो…”

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थोड़ी सी फ़िक्र ही काफ़ी है ..मेरे इश्क़ को ज़िन्दा रखने के लिए

कहता है .. बोलो क्या दूँ तुझे ऐसा ..जो तुम्हें मेरे इश्क़ की याद दिलाये। मैंने कहा! बेशक़ीमती है तू.. और ये तेरी बेमिसाल नज़र. और उस पे तेरी थोड़ी सी तवज्जो .. थोड़ी सी फ़िक्र ही काफ़ी है ..मेरे इश्क़ को ज़िन्दा रखने के लिए… हर इक शय इस जमाने की तवज्जो ही माँगती है चाहे वो कोई रिश्ता हो या कुछ और … प्यार हमें अधूरे से पूरा करता है। ये कहानी मेरी ही आप बीती है आप से शेयर करना चाहती हूँ बात उन दिनों की है जब मैं अपने नये घर में शिफ़्ट हुई थी लोग कहते थे कि वहाँ की ऊजा अच्छी नही है मगर मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करती थी इक निडर निर्भय सा स्वभाव है मेरा।
जब मैं अपने नये घर में आई तो मेरे पुराने घर से लाये गये बहुत से पौधे नये घर में आकर हफ़्ते में ही सूख गये। विज्ञान के हिसाब से देखा जाये तो कहा जा सकता है कि जगह बदली तो पौधे मर गए .. उन दिनों मेरे पति के पैर में अचानक से दर्द हो रहा था मेरी इक सहेली के भेजने पर ,मेरे यहाँ इक रोज़ इक गोरा जिस का नाम एडविन था ,रेकी करने आया तो मैंने इस बात का ज़िक्र एडविन से भी कर दिया ,कि पता नहीं कयू ? आज कल मेरे प्लांट बहुत मर रहे हैं और मैं बहुत दुखी हूँ इस बात से, और ये भी बताया कि लोग मेरे नये घर की ऊर्जा को सही नहीं बताते। वो हंसने लगा और कहने लगा!
मैं लोगों को अपनी ऊर्जा से अच्छा करता हूँ और रेकी करते हुए मेरी अपनी एनर्जी कम हो जाती है मगर तुम्हारे घर से और तुम से मुझे,अच्छी हीलिगं वाली ऊर्जा मिल रही है इसने मुझे पूछा? कि क्या है ऐसा इस घर में ? तुम कोई मंत्र जाप कर रही हो ? मै सोचने लगी, कि कर तो रही थी और हैरान भी थी कि इसे कैसे पता चल गया । एडविन कहने लगा तुम्हारे पौधों को तुम्हारी ही ऊर्जा चाहिए।कल से अपने गार्डन में जाना और इनसे बातें करना ,सब ठीक हो जाएँगे। मुझे तब ये बात अटपटी सी ही लगी थी कि मैं कैसे भला इन पौधों को ठीक कर सकूँगी । मगर दोस्तों ! अगले ही दिन मैंने अपने पौधों से बातें करनी शुरू कर दी । उन्हें प्यार से छूती अपना स्पर्श देतीं।अपनी आग़ोश में लेती ।आप यक़ीन नहीं करेंगे। मेरे पौधे हफ़्ते भर में ठीक होने लगे पिछले बीस सालों से वो पौधे आज भी मेरे घर में है .. ऐसे ही दो साल पहले ,मैं फ़रवरी के महीने भारत में थी और वहाँ करोना की वजह से वहाँ मुझे रूकना पड़ा।मई के पहले हफ़्ते में वापस आने पर देखा कि मेरे बहुत ही महँगे प्लांट मर गए थे। मुझे बहुत दुख हुआ था इस बात का।मैंने किसी ख़ास गार्डनर को बुलाया जो पौधों का विशेषज्ञ था।आ कर मुझे कहने लगा ! कि आप के ये पौधे मर गये हैं आप इन्हें फ़ैक दीजिए। अब ये दोबारा नहीं जीवित नहीं होंगे।मेरा मन बहुत उदास हुआ उसकी बात सुन कर ,क्योंकि मुझे पता था कि वो इन्सान पौधों की अच्छी जानकारी रखता है। उस रात मुझे नींद नहीं आई और मैंने ठान लिया कि मैं इन्हें ठीक कर के ही रहूँगी । सुबह सुबह उठ कर मै अपने बैक गार्डन में चली गई। सब पौधों से बाते करने लगी । एक पौधा जो बिलकुल मर चुका था उसको मैंने हाथों में ले कर चूमा और पूछा ! कि तुमने मुझे इतना मिस किया जब मैं भारत में थी और अपने आलिंगन में भर कर कहा ! अब मैं आ गई हूँ और अब तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। ऐसा मैं रोज़ रोज़ करती । इस बात को तक़रीबन दो महीने हो चुके थे ।इक रोज़ मैंने देखा कि उस पौधे की जड़ से आ रही टहनी का थोड़ा सा हिस्सा हरा होने लगा .. मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था मुझे याद है मैं ख़ुशी से चिल्ला रही थी कि ये मेरा पौधा ,ठीक होने वाला है फिर तीन हफ़्ते बाद इक रोज़ उसपर इक छोटी सी पत्ती आई । उस दिन जो मेरे मन की अवस्था थी उसको समझा पाना मेरे लिए तो बहुत ही मुश्किल है । मैं ख़ुशी से नाच रही थी कि मेरा पौधा जीवित हो गया है ।
दोस्तों !
आज भी जब मैं इस बात का ज़िक्र कर रही हूँ तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं ये सोच कर ,कि कैसे रब ने हम सब में इतनी बड़ी ताक़त रखी हुई है प्यार की। मगर अफ़सोस शायद हम सब ही इस ताक़त का इस्तेमाल करना भूल जाते है।
हम चाहे तो प्यार से सब कुछ ठीक कर सकते हैं ऐसा मेरा मानना है
🌹🌹🌹
लेखिका स्मिता ✍️

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एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज में डॉ. भीमराव राव अंबेडकर और ज्योतिबा फुले जयंती के उपलक्ष्य में सिंपोजियम और लघु नाटिका का आयोजन किया गया

कानपुर 17 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज कानपुर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव राम जी अंबेडकर और समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती के उपलक्ष्य में महाविद्यालय के एनसीसी, एनएसएस, रोवर रेंजर, शिक्षा शास्त्र ,समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में सिंपोजियम और लघु नाटिका का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. ब्रजेश सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, एच. बी. टी. यू. कानपुर), महाविद्यालय सचिव श्री पी. के. सेन तथा प्राचार्या प्रोफेसर सुमन के द्वारा दीप प्रज्वलन से किया। अतिथि स्वागत एवम् सरस्वती वंदन की परंपरा का निर्वहन करते हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह तथा पुष्प गुच्छ भेंट किए गए। समाजशास्त्र विभाग से प्रो. निशी प्रकाश, अर्थशास्त्र विभाग से प्रो. निशा वर्मा, शिक्षाशास्त्र विभाग से प्रो. चित्रा सिंह तोमर तथा राजनीति विज्ञान विभाग से कुमारी पूनम ने महात्मा फुले व बाबा साहेब की विचारधारा पर विस्तृत प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रीती पांडेय तथा डॉ. प्रीति सिंह ने किया। कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय पर्व समिति प्रभारी डॉ रचना निगम और सदस्यों द्वारा किया गया l इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा। राष्ट्रगान के द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ।

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महाड़ सत्याग्रह और बाबासाहेब आंबेडकर

सामाजिक क्रांति के इतिहास में के डॉक्टर बाबा साहेब आम्बेडकर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विलायत से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उच्च डिग्री प्राप्त करने के बाद बाबा साहब आम्बेडकर 1917 में भारत आये।

अपने करार के अनुसार कुछ समय उन्होने बड़ौदा रियासत में अर्थ मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन वे यहां अधिक नहीं रह पाये। दरबार के कार्कुन अछूत समझकर उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया करते। उच्च शिक्षित और इतने ऊंचे पद पर आसीन होने के बावजूद भी उन्हें अपमान सहना पड़ा।

बाबासाहब आम्बेडकर का मुंबई आगमन:

दरबार की नौकरी छोड़कर उसी वर्ष वे मुंबई लौट आए। जल्द ही मुंबई के सिडनहम कॉलेज में पॉलिटिकल इकॉनोमिक के प्राध्यापक के रूप में उनका चयन हो गया। बाबा साहब अपने समय के सब से अधिक शिक्षित व्यक्तियों में से एक थे। इसके बावजूद स्वयं उन्हें कई बार जाति के नाम पर अपमानित होना पड़ा था। दलितों के इस उत्पीड़न को बाबा साहब ने बहुत करीब से देखा और मेहसूस किया था। वे जानते थे कि देश में सदियों से अछूत कह कर दलितों का समाजिक बहिष्कार किया जाता रहा है। उन्हें आज भी अस्पृश्य समझा जाता है। कहीं मंदिर प्रवेश से रोका जाता तो कहीं रास्ते पर चलने तक की पाबंदी होती। सार्वजनिक तालब, कुओं से उन्हें पानी तक लेने की इजाज़त न होती। दलितों के साथ हो रहे इस अमानवीय व्यव्हार ने बाबा साहब को बहुत गहरे तक आहत किया लेकिन वे निराश नहीं हुए। सदियों से चले आ रहे इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने संघर्ष करने का निश्चय कर किया । दरअसल बाबा साहब इन सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटाना चाहते थे।

उस समय देश में अंग्रज़ों का शासन था। गाँधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष जारी था। बाबा साहब का कहना था कि “दलित समाज की मुक्ति के बिना हमारी स्वतंत्रता अधुरी है।” दलित समाज की मुक्ति के लिये बाबा साहब आम्बेडकर ने जन संघर्ष और सामूहिक आंदोलन के मार्ग को चुना था । वे जानते थे कि संघर्ष द्वारा  एक तरफ उन्हें अपने अधिकार तो प्राप्त होंगे ही साथ ही सदियों से पीड़ित दलित तबके के भीतर आत्मसम्मान की भावना भी जागृत होगी।

महाराष्ट्र में दलित समाज की स्थित:

महाराष्ट्र कई स्थानों पर दलितों को सार्वजनिक तालाब या कुएँ से पानी लेने की अनुमति नहीं थी। यदि कोई दलित व्यक्ति सार्वजनिक तालाब से पानी लेने की हिम्मत दिखाता तो पूरे समाज को इसके परिणाम भुगतने पड़ते। कितनी अजीब बात है जल, ज़मीन और वन जैसी प्राकृतिक संपदा जिस पर प्रत्येक प्राणी का अधिकार है लेकिन दलितों को अछूत कह कर

उनका बहिष्कार किया जाता था।

संघर्ष के मार्ग का चयन:

बाबा साहब स्वयं दलित समुदाय से थे । वे भारतीय समाज की  सनातनी  व्यवस्था से भलीभांति परिचित थे। अंग्रेजों के शासन में  भी भारतीय समाजिक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया था। सार्वजनिक जीवन में उन्हें बहिष्कृत जीवन ही जीना पड़ता। दलितों की इस दशा देख कर वे बड़े आहत हुए। अपने भविष्य को लेकर बाबा साहब आंबेडकर के सामने दो मार्ग थे। एक तो अपनी शिक्षा को आधार बनाकर धन दौलत कमाते या फिर  असहाय दलितों की आवाज़ बन कर उनकी की मुक्ति के लिए संघर्ष करते। बाबा साहब ने संघर्ष की राह चुनी। इसी के साथ सन 1924 को मुंबई में उन्होंने दलित उद्धार के लिए   ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ नामी एक संस्था बनाई। इस सभा में अस्पृश्य सदस्यों के साथ-साथ ऊंची जाति के भी सदस्य जुड़े थे। कई स्थानों पर इस संस्था के अंतर्गत सभाओं का आयोजन भी

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत दुनिया में डायबिटीज अनुसंधान का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार),  पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में भारत दुनिया में डायबिटीज अनुसंधान का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है। प्रतिष्ठित पेशेवर संगठन “डायबिटीज इंडिया” द्वारा आज यहां आयोजित तीन दिवसीय विश्व डायबिटीज सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में बीमारियों के विभिन्न चरणों के रोगियों का एक विशाल पूल मौजूद है, लेकिन इसके साथ-साथ ही हमारे अनुसंधानकर्ताओं में योग्‍यता, क्षमता और कौशल की भी कोई कमी नहीं है। उल्‍लेखनीय है कि डॉ.जितेन्‍द्र सिंह स्‍वयं एक प्रसिद्ध डायबिटीज विशेषज्ञ भी है। उन्‍होंने कहा कि इसलिए यह समय अधिक से अधिक यथासंभव भारतीय डेटा जुटाने का है क्‍योंकि हमारा लक्ष्‍य भारतीय रोगियों के लिए, भारतीय समस्याओं के लिए, भारतीय समाधानों के लिए, भारतीय उपचार के नियमों को विकसित करना होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय फेनोटाइप पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले अलग है और उनकी अनुवांशिकता भी हमसे काफी अलग है। इसके परिणामस्‍वरूप टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस का रोगजनन और प्रगति तथा अन्य मेटाबोलिक विकार पश्चिमी आबादी की तरह नहीं है।

अनुसंधान साक्ष्यों का जिक्र करते हुए  डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह सिद्ध हो गया है कि कि कई पीढ़ियों से यूरोपीय देशों में रहने वाले भारतीय मूल के प्रवासियों में अभी भी टाइप2 मेलिटस डायबिटीज विकसित होने की प्रमुखता मौजूद हैं, हालांकि वे अब भारत और यहां के पर्यावरण में नहीं रह रहे थे। भारत में प्रचलित कुछ महत्वपूर्ण जोखिम कारकों का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारी केंद्रीय मोटापा (ओबेसिटी) प्रोफाइल भी दूसरे लोगों से अलग है। उदाहरण के लिए भारत में  केंद्रीय मोटापे का प्रसार पुरुषों और महिलाओं दोनों में लगभग बराबर है, जबकि पश्चिमी आबादी में व्यक्ति मोटे दिखाई देते हैं, लेकिन उनमें आंत की वसा सामान्य होती है। स्वास्थ्य सेवा को उच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की व्यक्तिगत दिलचस्‍पी और हस्तक्षेप का ही नतीजा है कि दो वर्षों के भीतर भारत ने न केवल छोटे देशों की तुलना में कोविड महामारी का सफलतापूर्वक और बेहतर तरीके से प्रबंधन किया है, बल्कि भारत में डीएनए वैक्सीन का भी सफलतापूर्वक निर्माण किया है और इसे अन्य देशों को भी उपलब्ध कराने में भी सफलता हासिल की है। स्वदेशी चिकित्सा अनुसंधान के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के समर्थन का उल्लेख करते हुए  डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि पारंपरिक भारतीय ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक निष्कर्षों के साथ एकीकृत किया जाए और इसके साथ-साथ आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा सहित, चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के तालमेल की तलाश की जाए और डायबिटीज के नियंत्रण और रोकथाम में इनसे अधिकतम लाभ प्राप्‍त किया जाए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में यह निष्कर्ष निकाला कि डायबिटीज की रोकथाम स्वास्थ्य सेवा के लिए न केवल हमारा कर्तव्य है बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी हमारी आवश्‍यक जिम्‍मेदारी है क्योंकि यह एक ऐसा देश है जहां 70 प्रतिशत आबादी 40 वर्ष से कम आयु की है और आज के युवा इंडिया@2047 के प्रधान नागरिक बनने जा रहे हैं। हम देश के युवाओं की ऊर्जा को टाइप2 डायबिटीज और अन्य संबंधित विकारों के परिणामस्वरूप होने वाली जटिलताओं को अक्षम बनाने में बर्बाद नहीं होने देंगे।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत गृह मंत्रालय ने CAPFs के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) परीक्षा आयोजित करने को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) परीक्षा आयोजित करने को मंज़ूरी दे दी है। ये ऐतिहासिक निर्णय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की पहल पर सीएपीएफ में स्थानीय युवाओं की भागीदारी बढ़ाने और क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए लिया गया है।

हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा प्रश्न पत्र निम्न 13 क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किया जाएगा—

  1. असमिया
  2. बंगाली
  3. गुजराती
  4. मराठी
  5. मलयालम
  6. कन्नड़
  7. तमिल
  8. तेलुगु
  9. ओडिया
  10. उर्दू
  11. पंजाबी
  12. मणिपुरी
  13. कोंकणी

 

इस निर्णय के परिणामस्वरूप लाखों उम्मीदवार अपनी मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा में भाग ले सकेंगे जिससे उनके चयन की संभावनाएं बढ़ेंगी।

गृह मंत्रालय और कर्मचारी चयन आयोग कई भारतीय भाषाओं में परीक्षा के संचालन की सुविधा के लिए मौजूदा समझौता ज्ञापन से संबंधित एक परिशिष्ट पर हस्ताक्षर करेंगे।

कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी), कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित प्रमुख परीक्षाओं में से एक है, जिसमें देशभर से लाखों उम्मीदवार भाग लेते हैं। हिन्दी और अंग्रेज़ी के अतिरिक्त 13 क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा का आयोजन 01 जनवरी, 2024 से होगा।

इस निर्णय के बाद ये उम्मीद है कि राज्य / केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें स्थानीय युवाओं को अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने के इस अवसर का उपयोग करने और देश की सेवा में करियर बनाने के लिए बड़ी संख्या में आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक अभियान शुरू करेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय, क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग और विकास के प्रोत्साहन के लिए कटिबद्ध है।

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मुख्य समाचार

*_कानपुर ब्रेकिंग_*

*_पुलिस आयुक्त के निर्देश के अनुसार संयुक्त पुलिस आयुक्त द्वारा की जा रही स्थिति की निगरानी….._*

*_सभी डीसीपी अपने अपने ज़ोन में सम्भाल रहे है व्यवस्था,स्वयं भ्रमणशील…._*

*_सभी थाना प्रभारी निरिक्षक तथा सभी पुलिस अधिकारियों को फ़ील्ड में बने रहने के दिए निर्देश , तद्नुसार सभी स्वयं पुलिस बल के साथ फ़ील्ड में है मौजूद…._*

*_सभी को अगले आदेश तक के लिए अलर्ट मोड में बने रहने का निर्देश….._*

*_एलआईयू ,पुलिस युवा मित्र तथा सिविल डिफ़ेंस को सूचना संग्रहण तथा सूचना प्रबंधन के लिए लगाया गया….._*

*_सभी महत्वपूर्ण तथा संवेदनशील स्थानों पर की जा रही है विशेष निगरानी…_*

*_पुलिस बल पूरी तरह अलर्ट मोड पर सभी जगह मुस्तैदी के साथ कर रही लगातार निगरानी….._*

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लखनऊ- कालिदास मार्ग (CM आवास) पर मीडिया कर्मियों का जाना प्रतिबंधित
सुरक्षा का हवाला देकर लगाया गया प्रतिबंध
मीडिया कर्मी किसी भी मंत्री के आवास नहीं जा सकेंगे
कालिदास मार्ग पर केशव प्रसाद मौर्य, दयाशंकर सिंह, जितिन प्रसाद, सुरेश खन्ना,सूर्य प्रताप शाही,नंद गोपाल नंदी के हैं आवास

*बड़ी खबर*

हत्याकांड की रिपोर्ट कॉपी डीजीपी ने सीएम को सौपी

सीएम योगी 2-2 घंटे में ले रहे मामले की अपडेट

सभी पुलिसवालों को सीएम योगी का सख्त निर्देश

प्रदेश में लॉ-एंड – ऑर्डर मेंटेन रखे, आम जनता ना हो परेशान

 *प्रयागराज*

अतीक और अशरफ को आज ही किया जा सकता है सुपुर्द-ए-खाक

सारी मसारी कब्रिस्तान में कब्र खोदने का काम शुरू

दोनों की बॉडी परिवार को सौपने पर अभी फैसला नहीं

*प्रयागराज*

जिगाना पिस्टल से की गई अतीक और अशरफ की हत्या

तुर्किए में बनती है हत्या में इस्तेमाल पिस्टल

जिगाना पिस्टल भारत में है पूरी तरह प्रतिबिंबित

5 से 6 लाख रुपये बताई जा रही पिस्टल की कीमत

*लखनऊ*
सीएम आवास पर लगातार मीटिंग जारी

सुबह 7 बजे से लगातार चल रही है बैठक

बैठक में सभी आलाधिकारी लगातार मौजूद

अतिरिक्त पुलिस बल के साथ सीएम आवास की सड़कें बंद की गई

5 कालिदास मार्ग पर सीएम आवास पर बैठक जारी

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में “लोकतंत्र में चुनौतियां” विषय पर माहना का व्याख्यान

कानपुर 16 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज स्थित प्रो निनान अब्राहिम ऑडिटोरियम में “लोकतंत्र में चुनौतियां” विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश विधान सभा के सभापति और कॉलेज के पूर्व छात्र सतीश महाना ने कहा कि देश में लोकतंत्र के सामने निरक्षरता, गरीबी, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार आदि की अभी भी चुनौतियां हैं उन्होंने कहा लोकतंत्र की सफलता के लिए साक्षरता बहुत जरूरी है, माहना क्राइस्ट चर्च कॉलेज मे एलुमिनाई एसोसिएशन के विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे, उन्होंने आगे कहा कि हिनुस्तान में निरक्षरता को दूर करना किसी चुनौती से कम नहीं,
एलुमनी एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक मेहरोत्रा ने छात्र छात्राओं के लिए पेयजल कूलर भेट किया, एसोसिशन ने रमेश शर्मा को सम्मानित किया, स्टूडेंट क्रिश्चन मूवमेंट ने कॉलेज की वाइस प्रिंसीपल डा. सबीना आर बोदरा और प्रो मीत कमल के मार्ग दर्शन में प्रार्थना की।
एल्यूमिनाई एसोसिशन के अध्यक्ष और प्राचार्य प्रो जोसेफ डेनियल ने स्वागत किया, कॉलेज के पूर्व छात्रों में विशेष रूप से सतीश महाना के साथ पढ़े हुए लोगों को आमंत्रित किया गया था, कॉलेज से सेवानिवृत्त डॉ एस डी मल्ल, प्रो रवि प्रकाश महलवाला, डॉ जॉन जसवंत, डॉ डेनियल सिंह, डॉ ए के वर्मा, डॉ मुकुल मिश्रा, डॉ नीता जैन, और डॉ नलिन कुमार का सम्मान किया गया, कार्यक्रम में डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, सुजाता चर्तुवेदी, हिमांशु दीक्षित, अतुल दीक्षित, राजीव मेहरोत्रा, मनीष मेहरोत्रा, शलभ शर्मा, अनुपम शुक्ला, आनंदिता भट्टाचार्य, सुनीता शर्मा, आदि उपस्थित रहे।
अंत में डॉ सूफिया शहाब ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने वीर भूमि राजस्थान को अपनी पहली वंदे भारत ट्रेन मिलने पर बधाई दी, जो न केवल जयपुर-दिल्ली के बीच यात्रा को आसान बनाएगी, बल्कि राजस्थान के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि यह तीर्थराज पुष्कर और अजमेर शरीफ जैसी आस्था के स्थलों तक पहुंचने में मदद करेगी।

प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहा कि, पिछले दो महीनों में दिल्ली-जयपुर वंदे भारत एक्सप्रेस सहित देश में छह वंदे भारत ट्रेनों को झंडी दिखाने का अवसर मिला है। उन्होंने मुंबई-सोलापुर वंदे भारत एक्सप्रेस, मुंबई-शिर्डी वंदे भारत एक्सप्रेस, रानी कमलापति-हजरत निजामुद्दीन वंदे भारत एक्सप्रेस, सिकंदराबाद-तिरुपति वंदे भारत एक्सप्रेस और चेन्नई कोयम्बटूर वंदे भारत एक्सप्रेस का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत के बाद से लगभग 60 लाख नागरिकों ने इससे यात्रा की है। प्रधानमंत्री ने कहा, “वंदे भारत की गति इसकी मुख्य विशेषता है और यह लोगों के समय की बचत कर रही है।“ प्रधानमंत्री ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रा करते हैं, वे प्रत्येक यात्रा पर 2500 घंटे बचाते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वंदे भारत एक्सप्रेस को विनिर्माण कौशल, सुरक्षा, तेज गति और सुंदर डिजाइन को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। यह दोहराते हुए कि नागरिकों ने वंदे भारत एक्सप्रेस की बहुत सराहना की है, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक्सप्रेस ट्रेन भारत में विकसित की जाने वाली पहली अर्ध-स्वचालित ट्रेन है और दुनिया की पहली सुगठित और कुशल ट्रेनों में से एक है। श्री मोदी ने कहा, “वंदे भारत पहली ट्रेन है, जो स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली, कवच के अनुकूल है।“ उन्होंने बताया कि यह पहली ट्रेन है, जो बिना किसी अतिरिक्त इंजन की आवश्यकता के सह्याद्री घाटों की ऊंचाइयों को पार कर सकती है। उन्होंने कहा, “वंदे भारत एक्सप्रेस ‘भारत प्रथम, हमेशा प्रथम’ की भावना को साकार करती है।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वंदे भारत एक्सप्रेस विकास, आधुनिकता, स्थिरता और ‘आत्मनिर्भरता’ का पर्याय बन गई है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि रेलवे जैसी नागरिकों की एक महत्वपूर्ण और मूलभूत आवश्यकता को राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के समय भारत को काफी बड़ा रेलवे नेटवर्क विरासत में मिला था, लेकिन आजादी के बाद के वर्षों में आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर राजनीतिक हित हावी रहे। रेल मंत्री के चयन, ट्रेनों की घोषणा और यहां तक कि भर्तियों में भी राजनीति साफ नजर आई। रेलवे की नौकरियों के झूठे बहाने देकर भूमि का अधिग्रहण किया गया और कई मानवरहित क्रॉसिंग बहुत लंबे समय तक चलते रहे तथा साफ़-सफाई एवं सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया। 2014 के बाद स्थिति बेहतर हुई, जब लोगों ने पूर्ण बहुमत के साथ एक स्थिर सरकार चुनी। उन्होंने कहा, “जब राजनीतिक लेन-देन का दबाव कम हुआ, तो रेलवे ने राहत की सांस ली और यह नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया।“

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र की सरकार राजस्थान को नए अवसरों की भूमि बना रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कनेक्टिविटी के लिए अभूतपूर्व काम किया है, जो राजस्थान जैसे राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पर्यटन है। श्री मोदी ने फरवरी में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड के लोकार्पण का उल्लेख किया। इस खंड से दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा जिलों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार राजस्थान में सीमावर्ती क्षेत्रों में लगभग 1400 किलोमीटर लंबाई की सड़कों पर काम कर रही है और राज्य के लिए 1000 किलोमीटर से अधिक लंबाई की सड़कें प्रस्तावित हैं।

राजस्थान में कनेक्टिविटी को दी जा रही प्राथमिकता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने तरंगा हिल से अंबाजी तक रेलवे लाइन पर काम शुरू करने का उल्लेख किया। यह लाइन एक सदी पुरानी लंबित मांग थी, जिसे अब पूरा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उदयपुर-अहमदाबाद लाइन बड़ी लाइन बनाने का काम पूरा हो चुका है और 75 प्रतिशत से अधिक रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण किया जा चुका है। श्री मोदी ने टिप्पणी की कि राजस्थान के लिए रेल बजट 2014 की तुलना में 14 गुना बढ़ा दिया गया है, जो 2014 के 700 करोड़ रुपये से बढ्कर इस वर्ष 9500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की गति भी दोगुनी हो गयी है। रेल लाइन के आमान परिवर्तन और दोहरीकरण से डूंगरपुर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली और सिरोही जैसे आदिवासी क्षेत्रों को मदद मिली है। उन्होंने कहा कि अमृत भारत रेल योजना के तहत दर्जनों स्टेशनों का उन्नयन किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, सरकार विभिन्न प्रकार की सर्किट ट्रेनों का भी परिचालन कर रही है और भारत गौरव सर्किट ट्रेनों का उदाहरण दिया। इन ट्रेनों ने अब तक 70 से अधिक यात्राएं की हैं और 15 हजार से अधिक यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचा चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अयोध्या-काशी हो, दक्षिण दर्शन हो, द्वारका दर्शन हो, सिख तीर्थस्थल हों, ऐसे कई स्थानों के लिए भारत गौरव सर्किट ट्रेनें चलाई गई हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि यात्रियों के सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, यह कहा जा सकता है कि ये ट्रेनें ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को लगातार मजबूत कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ अभियान पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय रेलवे ने पिछले वर्षों में राजस्थान के स्थानीय उत्पादों को पूरे देश में पहुंचाने का एक और प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे ने लगभग 70 ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ के स्टॉल लगाए हैं, जिनमें राजस्थान की जयपुरी रजाई, सांगानेरी ब्लॉक प्रिंट वाली चादरें, गुलाब के उत्पाद और अन्य हस्तशिल्प बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के छोटे किसानों, कारीगरों और हस्तशिल्पियों को बाजार तक पहुंचने का यह नया माध्यम मिला है। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विकास में सबकी भागीदारी का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “जब रेल जैसी परिवहन-संपर्क की अवसंरचना मजबूत होती है, तो देश मजबूत होता है। इससे देश के आम नागरिक को लाभ होता है, देश के गरीब और मध्यम वर्ग को लाभ होता है।“ उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक वंदे भारत ट्रेन राजस्थान के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

पृष्ठभूमि

राजस्थान के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली ट्रेन जयपुर से दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के बीच चलेगी। इस ट्रेन की नियमित सेवा 13 अप्रैल, 2023 से शुरू होगी तथा जयपुर, अलवर और गुड़गांव में ठहराव-स्टेशनों के साथ अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच चलेगी।

नई वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली कैंट और अजमेर के बीच की दूरी 5 घंटे 15 मिनट में तय करेगी। इस मार्ग की मौजूदा सबसे तेज ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली कैंट से अजमेर तक के लिए 6 घंटे 15 मिनट का समय लेती है। इस तरह नई वंदे भारत एक्सप्रेस, इस मार्ग पर चलने वाली मौजूदा सबसे तेज ट्रेन की तुलना में 60 मिनट कम समय लेगी।

अजमेर-दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस हाई राइज ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) टेरीटरी पर दुनिया की पहली अर्ध-उच्च गति यात्री ट्रेन होगी। यह ट्रेन पुष्कर, अजमेर शरीफ दरगाह सहित राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों के रेल-संपर्क में सुधार करेगी। बढ़े हुए रेल-संपर्क से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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