कहता है .. बोलो क्या दूँ तुझे ऐसा ..जो तुम्हें मेरे इश्क़ की याद दिलाये। मैंने कहा! बेशक़ीमती है तू.. और ये तेरी बेमिसाल नज़र. और उस पे तेरी थोड़ी सी तवज्जो .. थोड़ी सी फ़िक्र ही काफ़ी है ..मेरे इश्क़ को ज़िन्दा रखने के लिए… हर इक शय इस जमाने की तवज्जो ही माँगती है चाहे वो कोई रिश्ता हो या कुछ और … प्यार हमें अधूरे से पूरा करता है। ये कहानी मेरी ही आप बीती है आप से शेयर करना चाहती हूँ बात उन दिनों की है जब मैं अपने नये घर में शिफ़्ट हुई थी लोग कहते थे कि वहाँ की ऊजा अच्छी नही है मगर मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करती थी इक निडर निर्भय सा स्वभाव है मेरा।
जब मैं अपने नये घर में आई तो मेरे पुराने घर से लाये गये बहुत से पौधे नये घर में आकर हफ़्ते में ही सूख गये। विज्ञान के हिसाब से देखा जाये तो कहा जा सकता है कि जगह बदली तो पौधे मर गए .. उन दिनों मेरे पति के पैर में अचानक से दर्द हो रहा था मेरी इक सहेली के भेजने पर ,मेरे यहाँ इक रोज़ इक गोरा जिस का नाम एडविन था ,रेकी करने आया तो मैंने इस बात का ज़िक्र एडविन से भी कर दिया ,कि पता नहीं कयू ? आज कल मेरे प्लांट बहुत मर रहे हैं और मैं बहुत दुखी हूँ इस बात से, और ये भी बताया कि लोग मेरे नये घर की ऊर्जा को सही नहीं बताते। वो हंसने लगा और कहने लगा!
मैं लोगों को अपनी ऊर्जा से अच्छा करता हूँ और रेकी करते हुए मेरी अपनी एनर्जी कम हो जाती है मगर तुम्हारे घर से और तुम से मुझे,अच्छी हीलिगं वाली ऊर्जा मिल रही है इसने मुझे पूछा? कि क्या है ऐसा इस घर में ? तुम कोई मंत्र जाप कर रही हो ? मै सोचने लगी, कि कर तो रही थी और हैरान भी थी कि इसे कैसे पता चल गया । एडविन कहने लगा तुम्हारे पौधों को तुम्हारी ही ऊर्जा चाहिए।कल से अपने गार्डन में जाना और इनसे बातें करना ,सब ठीक हो जाएँगे। मुझे तब ये बात अटपटी सी ही लगी थी कि मैं कैसे भला इन पौधों को ठीक कर सकूँगी । मगर दोस्तों ! अगले ही दिन मैंने अपने पौधों से बातें करनी शुरू कर दी । उन्हें प्यार से छूती अपना स्पर्श देतीं।अपनी आग़ोश में लेती ।आप यक़ीन नहीं करेंगे। मेरे पौधे हफ़्ते भर में ठीक होने लगे पिछले बीस सालों से वो पौधे आज भी मेरे घर में है .. ऐसे ही दो साल पहले ,मैं फ़रवरी के महीने भारत में थी और वहाँ करोना की वजह से वहाँ मुझे रूकना पड़ा।मई के पहले हफ़्ते में वापस आने पर देखा कि मेरे बहुत ही महँगे प्लांट मर गए थे। मुझे बहुत दुख हुआ था इस बात का।मैंने किसी ख़ास गार्डनर को बुलाया जो पौधों का विशेषज्ञ था।आ कर मुझे कहने लगा ! कि आप के ये पौधे मर गये हैं आप इन्हें फ़ैक दीजिए। अब ये दोबारा नहीं जीवित नहीं होंगे।मेरा मन बहुत उदास हुआ उसकी बात सुन कर ,क्योंकि मुझे पता था कि वो इन्सान पौधों की अच्छी जानकारी रखता है। उस रात मुझे नींद नहीं आई और मैंने ठान लिया कि मैं इन्हें ठीक कर के ही रहूँगी । सुबह सुबह उठ कर मै अपने बैक गार्डन में चली गई। सब पौधों से बाते करने लगी । एक पौधा जो बिलकुल मर चुका था उसको मैंने हाथों में ले कर चूमा और पूछा ! कि तुमने मुझे इतना मिस किया जब मैं भारत में थी और अपने आलिंगन में भर कर कहा ! अब मैं आ गई हूँ और अब तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। ऐसा मैं रोज़ रोज़ करती । इस बात को तक़रीबन दो महीने हो चुके थे ।इक रोज़ मैंने देखा कि उस पौधे की जड़ से आ रही टहनी का थोड़ा सा हिस्सा हरा होने लगा .. मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था मुझे याद है मैं ख़ुशी से चिल्ला रही थी कि ये मेरा पौधा ,ठीक होने वाला है फिर तीन हफ़्ते बाद इक रोज़ उसपर इक छोटी सी पत्ती आई । उस दिन जो मेरे मन की अवस्था थी उसको समझा पाना मेरे लिए तो बहुत ही मुश्किल है । मैं ख़ुशी से नाच रही थी कि मेरा पौधा जीवित हो गया है ।
दोस्तों !
आज भी जब मैं इस बात का ज़िक्र कर रही हूँ तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं ये सोच कर ,कि कैसे रब ने हम सब में इतनी बड़ी ताक़त रखी हुई है प्यार की। मगर अफ़सोस शायद हम सब ही इस ताक़त का इस्तेमाल करना भूल जाते है।
हम चाहे तो प्यार से सब कुछ ठीक कर सकते हैं ऐसा मेरा मानना है
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लेखिका स्मिता ✍️