कानपुर नगर 6 मई, (सू0वि0) कैबिनेट मंत्री, मत्स्य, उ0 प्र0 सरकार डॉ0 संजय निषाद ने आज अटल घाट गंगा नदी में गंगा को निर्मल बनाने व मत्स्य संरक्षण हेतु 80 से 100 मिली मी0 की 40 हजार मछलियों को प्रवाहित किया। उन्होंने गंगा नदी में मछलियों को प्रवाहित करते हुये कहा कि ये विभिन्न प्रकार की मछलियॉ गंगा में हानिकारक शैवाल को खाकर गंगा को स्वच्छ बनाने में मदद करेगी। उन्होंने बताया कि रोहू, कतला, नैन प्रजातियों की मछलियॉ नदी के तल में जमा कचरे को साफ करती है और इसके साथ ही मत्स्य संपदा को बढाती है। पानी में इन मछलियो के प्रवाहित होने से गंगा में स्वच्छता के साथ मत्स्य संपदा में तेजी से बढोतरी होगी और गंगा को निर्मल बनाने में यह मछलियॉ कारगर होगी।
उन्होंने कहा कि मत्स्य संपदा में बढोतरी होने से मछुआ समुदाय के लोगो को मत्स्य पालन के साथ लाभ भी प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि रोहू मछली पानी के ऊपरी सतह सरफेस फीडर में मौजूद असुद्धियो को खाती है, कतला मछली पानी के बीच की गन्दगी को खाकर नष्ट करती तथा नैन मछली पानी की निचली सतह में रहकर गन्दगी को खत्म करती है और जो भी गैसे आदि कचरे में दबी होती है उन्हें नष्ट करती है।
उन्होंने मत्स्य पालन विभाग द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत मत्स्य पालको को निःशुल्क रुपये 05 लाख की धनराशि की दुर्घटना बीमा योजना की जानकारी देते हुये कहा कि मत्स्य पालक इस योजना का लाभ प्राप्त करे। उन्होंने मत्स्य पालकों को जागरुक करते हुये कहा कि वह सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ प्राप्त करे और स्वास्थ्य, शिक्षा व अपने रोजगार पर विशेष ध्यान देकर जीवन स्तर को बेहतर बनाये। उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों को इस योजना से मत्स्य पालकों को लाभान्वित करने के लिये इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु कैम्प लगाकर योजना का लाभ दिलाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को मत्स्य पालकों के हितो में संचालित योजनाओं की अधिक से अधिक मछुआ समुदाये के लोगों को जानकारी देते हुये समयबद्ध क्रियान्वन कराये जाने के निर्देश दिये।
इससे पश्चात उन्होंने डीएवी कालेज में मत्स्य संपदा सेक्टर के डिप्लोमा प्रशिक्षणार्थियों से संवाद करते हुये मत्स्य पालन सेक्टर को और उपयोगी बनाये जाने तथा वैज्ञानिकों से मत्स्य पालन व मत्स्य संपदा को और बेहतर तथा उपयुक्त बनाने के लिये सुझाव प्राप्त किये। जिससे की मत्स्य पालन को बढावा देने के साथ और अधिक लोगो को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
कार्यक्रम में उप निदेशक मत्स्य डा0 नरुलहक, सहायक निदेशक मत्स्य एन0के0 अग्रवाल, नमामि गंगे के सचिव, प्रभागी वन अधिकारी व अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
एस एन सेन बालिका विद्यालय में पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित
कानपुर 6 मई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय में रसायन शास्त्र विभाग द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता का शुभारंभ महाविद्यालय की प्रबंध समिति के सचिव पी के सेन, प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल, डॉ पूनम अरोड़ा, डॉ गार्गी यादव, डॉ प्रीति सिंह ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन रसायन विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ गार्गी यादव ने किया। पोस्टर प्रतियोगिता का निर्णय निर्णायक मंडल की सदस्या जन्तु विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ पूनम अरोड़ा एवं वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ प्रीति सिंह ने किया। उन्होंने प्रत्येक पोस्टर का विश्लेषण बहुत ही बारीकी से किया और सम्बंधित प्रश्न पूछ कर छात्राओं का उत्साह वर्धन किया। प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से छात्राओं की विषयों के प्रति अभिरुचि उत्पन्न होती है और उन्हें अपने विषयों को समझना आसान हो जाता है . नई शिक्षा नीति में छात्राओं के लिए इस तरह के कार्यक्रमों को करवाने पर विशेष बल दिया गया है.
प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार रहे:
प्रथम :रिया राणा,अनन्या अवस्थी
द्वितीय : महक विश्वकर्मा, नेहा श्रीवास्तव
तृतीय : सरिया सलमान, निकिता मिश्रा, गौरी ओमर
सभी विजेताओं को निर्णायक मंडल एवं प्राचार्या द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर डॉ निशा वर्मा, श्रीमती किरण, डॉ कीर्ति पांडे, डॉ प्रीता अवस्थी, कु वर्षा सिंह, कु तैय्यबा ,श्रीमती प्रतिभा, डॉ राई घोष आदि शिक्षिकायें उपस्थित रहीं।
Read More »एक साथ 78,220 तिरंगे लहराकर भारत ने बनाया विश्व रिकार्ड
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत ने एक साथ सबसे ज़्यादा राष्ट्रीय ध्वज लहराने का रिकॉर्ड बनाया है। 23 अप्रैल 2022 को बिहार के भोजपुर के जगदीशपुर स्थित दुलौर मैदान में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में 78 हज़ार 220 तिरंगे झंडों को एक साथ लहराकर भारत ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।
मौका था जगदीशपुर के तत्कालीन राजा वीर कुंवर सिंह का अंग्रेजों के खिलाफ विजय प्राप्त करने का, जिन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक माना जाता है। यह कार्यक्रम भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आयोजित किया था।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों के सामने बनाये गए इस रिकॉर्ड के लिए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की भौतिक पहचान के लिए बैंड पहनाए गए थे और पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कल्पना की है कि 2047 में पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में भारत शीर्ष पर होना चाहिए और वीर कुंवर सिंह जी जैसे सभी वीर सेनानियों को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। बाबू कुंवर सिंह जी बहुत बड़े समाज सुधारक भी थे और उन्होंने पिछड़े और दलितों का कल्याण करने का एक विचार उस जमाने में देश के सामने रखा। इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया, उनकी वीरता, योग्यता, बलिदान के अनुरूप उन्हें इतिहास में स्थान नहीं दिया गया, लेकिन आज बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम एक बार फिर इतिहास में अमर करने का काम किया है
बाबु वीर कुंवर सिंह 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी विदेशी हुकूमत का डट कर मुकाबला किया। वे जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जयिनी वंश के परिवार से संबंधित थे, जो वर्तमान में भोजपुर जिले, बिहार, भारत का एक हिस्सा है। 80 साल की उम्र में, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों के एक चयनित बैंड का नेतृत्व किया। वह बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य नायक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के नाम से जाना जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री आरके सिंह, श्री अश्विनी चौबे और श्री नित्यानंद राय मौजूद रहे। इनके अलावा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी की भी उपस्थिति रही। सभी ने हज़ारों की तादाद में जुटे आमजन के साथ मिलकर एक साथ पांच मिनट तक तिरंगा लहराया और राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया।
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प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ बातचीत की
प्रधानमंत्री मोदी ने आज यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष महामहिम उर्सुला वॉन डेर लेयेन की अगवानी की।
प्रधानमंत्री ने इस साल रायसीना डायलॉग में उद्घाटन भाषण देने के लिए सहमति प्रदान करने पर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष का धन्यवाद किया और कहा कि वे आज दिन में उनका संबोधन सुनने के लिए उत्सुक हैं।
दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि एक बड़े और जीवंत लोकतांत्रिक समाज के रूप में, भारत तथा यूरोप विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर एक जैसे मूल्य और साझा दृष्टिकोण रखते हैं।
दोनों नेताओं ने एक मुक्त व्यापार समझौते एवं निवेश समझौते पर वार्ता की पुन: शुरुआत सहित भारत और यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की समीक्षा की। भारत और यूरोपीय संघ के आपसी संबंधों के सभी पहलुओं का राजनीतिक-स्तरीय प्रबंधन करने तथा सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में समन्वय सुनिश्चित करने के लिए एक उच्चस्तरीय व्यापार एवं प्रौद्योगिकी आयोग स्थापित करने पर सहमति बनी।
दोनों नेताओं ने हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग की संभावनाओं सहित जलवायु संबंधी विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने कोविड-19 की निरंतर चुनौतियों पर भी चर्चा की और दुनिया के सभी हिस्सों में टीकों एवं चिकित्सा विज्ञान की समान पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयासों पर जोर दिया।
इसके अलावा, इस बैठक के दौरान यूक्रेन की स्थिति और भारत-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित विभिन्न घटनाक्रमों सहित सामयिक महत्व के कई भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
Read More »गडकरी ने महाराष्ट्र के सोलापुर में 8,181 करोड़ रुपये की लागत वाली 292 किलोमीटर की 10 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज महाराष्ट्र के सोलापुर में 8,181 करोड़ रुपये की लागत वाली 292 किलोमीटर की 10 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
मंत्री ने कहा कि इन सड़क परियोजनाओं में सोलापुर जिले और इसके आसपास के क्षेत्र को देश की मुख्य धारा में लाने की क्षमता है। उन्होंने आगे कहा कि ये परियोजनाएं सोलापुर के लोगों के कल्याण और विकास के लिए महत्वपूर्ण होंगी। श्री गडकरी ने बताया कि इन परियोजनाओं से शहर में यातायात को सुचारू करने और दुर्घटनाओं व पर्यावरण प्रदूषण की घटनाओं को कम करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि इनके माध्यम से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ना आसान होगा।
श्री गडकरी ने कहा कि सिद्धेश्वर मंदिर, अक्कलकोट, पंढरपुर जैसे महत्वपूर्ण मंदिरों के सोलापुर जिले में स्थित होने के कारण यहां सड़क नेटवर्क को मजबूत करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि इन कारकों को ध्यान में रखते हुए इन राजमार्ग परियोजनाओं से शहर और जिले में आध्यात्मिक स्थलों तक पहुंच की सुविधा होगी व कृषि उत्पादों के परिवहन को सुगम बनाने में भी सहायता मिलेगी।
मंत्री ने बताया कि सोलापुर जिले में लगातार उत्पन्न होने वाली जल संकट की स्थिति को दूर करने के लिए 2016-17 से एनएचएआई ने बुलढ़ाणा प्रारूप के अनुरूप सोलापुर जिले में कई तालाबों का निर्माण किया है। उन्होंने आगे बताया कि कई उपलब्ध जलाशयों को और गहरा किया गया है व उनसे प्राप्त मिट्टी और पत्थरों का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे सोलापुर जिले के करीब 73 गांवों में जल उपलब्ध हो गया है। इसके अलावा क्षेत्र में भूजल स्तर 6,478 टीएमसी बढ़ गया है और 561 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो गई है। मंत्री ने कहा कि इस परियोजना से 2 जलापूर्ति योजनाओं को लाभ हुआ है और क्षेत्र के 747 कुओं को रिचार्ज (फिर से जल का भराव) किया जा चुका है।
Read More »प्रधानमंत्री ने मुंबई में आयोजित एक समारोह में लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार प्राप्त किया
प्रधानमंत्री मोदी आज मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत रत्न लता मंगेशकर की स्मृति में स्थापित किया गया यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सिर्फ एक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय योगदान के लिए दिया जाएगा। इस अवसर पर, महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी और मंगेशकर परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे। पीएम मोदी ने मंगेशकर परिवार का धन्यवाद किया
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि मुझे संगीत जैसे गहन विषय की बहुत जानकारी तो नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक बोध से यह महसूस होता है कि संगीत एक ‘साधना’ भी है और एक भावना भी। उन्होंने कहा, “जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे, वो शब्द है। जो व्यक्त में ऊर्जा और चेतना का संचार कर दे, वो ‘नाद’ है। जो चेतन में भावों और भावनाओं को भरकर सृष्टि और संवेदनशीलता की पराकाष्ठा तक ले जाए, वो ‘संगीत’ है। संगीत आपको वीररस और मातृत्व स्नेह की अनुभूति करवा सकता है। यह राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है।” उन्होंने कहा, “हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत के इस सामर्थ्य और शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है।” एक व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए, श्री मोदी ने कहा, “मेरे लिए, लता दीदी ‘सुर साम्राज्ञी’ होने के साथ-साथ मेरी बड़ी बहन भी थीं। पीढ़ियों को प्रेम और भावनाओं का उपहार देने वाली लता दीदी से अपनी बहन जैसा प्यार पाने से बड़ा सौभाग्य और क्या होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे आमतौर पर पुरस्कार लेते हुए बहुत सहज नहीं महसूस करते, लेकिन जब मंगेशकर परिवार लता दीदी जैसी बड़ी बहन का नाम लेता है और उनके नाम पर पुरस्कार देता है, तो यह उनके स्नेह और प्यार का प्रतीक बन जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरे लिए इसे ना कहना संभव नहीं है। मैं यह पुरस्कार सभी देशवासियों को समर्पित करता हूं। जिस तरह लता दीदी लोगों की थीं, वैसे ही उनके नाम पर मुझे दिया गया यह पुरस्कार भी लोगों का है।” प्रधानमंत्री ने कई व्यक्तिगत किस्से सुनाए और सांस्कृतिक जगत में लता दीदी के असीम योगदान के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “लता जी की जीवन यात्रा ऐसे समय में पूरी हुई जब हमारा देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने आजादी से पहले भारत को आवाज दी थी और देश की इन 75 वर्षों की यात्रा भी उनकी आवाज के साथ जुड़ी रही।”
प्रधानमंत्री ने मंगेशकर परिवार की राष्ट्रभक्ति के गुण के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, “संगीत के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति की जो चेतना लता दीदी के भीतर थी, उसका स्रोत उनके पिताजी ही थे।” श्री मोदी ने वह घटना सुनाई जब आजादी की लड़ाई के दौरान शिमला में ब्रिटिश वायसराय के एक कार्यक्रम में दीनानाथ जी ने वीर सावरकर का लिखा एक गीत गाया था। यह गीत वीर सावरकर ने ब्रिटिश शासन को चुनौती देते हुए लिखा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभक्ति की यह भावना अपने परिवार को दीनानाथ जी ने विरासत में दी थी। लता जी ने संगीत को अपनी पूजा बना लिया लेकिन देशभक्ति और राष्ट्र सेवा को भी उनके गीतों से प्रेरणा मिली।
लता दीदी के शानदार करियर का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “लता जी ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं। उन्होंने 30 से अधिक भाषाओं में हजारों गाने गाए। चाहे वह हिंदी हो, मराठी, संस्कृत या दूसरी भारतीय भाषाएं हो, उनका स्वर हर भाषा में एक जैसा घुला हुआ था।” श्री मोदी ने आगे कहा, “संस्कृति से आस्था तक, पूर्व से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लता जी के सुरों ने पूरे देश को एक करने का कार्य किया। वैश्विक स्तर पर भी, वह भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “ वह हर राज्य, हर क्षेत्र के लोगों के मन में बसी हुई हैं। उन्होंने दिखाया कि कैसे भारतीयता के साथ संगीत अमर हो सकता है।” प्रधानमंत्री ने मंगेशकर परिवार के परोपकारी कार्यों की भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए विकास का मतलब सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है। इस परियोजना में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सभी के कल्याण के दर्शन को भी शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि विकास की ऐसी अवधारणा सिर्फ भौतिक क्षमताओं से हासिल नहीं की जा सकती। इसके लिए आध्यात्मिक चेतना बेहद महत्वपूर्ण है। इसीलिए भारत योग, आयुर्वेद और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन को समाप्त करते हुए कहा, “मेरा मानना है, हमारा भारतीय संगीत भी भारत के इस योगदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आइए हम इस विरासत को उन्हीं मूल्यों के साथ जीवित रखें तथा इसे आगे बढ़ाएं और इसे वैश्विक शांति का एक माध्यम बनाएं।”
Read More »इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते है
इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते है
स्त्री तकलीफ में होती है माना, मग़र पुरुष भी कहाँ सुकून से पलते है!!
इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते है
कुछ पुरुष होते है जो दर्द को अन्दर ही अन्दर पीते है,अपने बच्चो का चेहरा देखकर उसी में वो जीते है!!
स्त्री रो कर बाह लेती है अपने दर्द को,वही पुरुष रोने भी कह बैठ पाता है
क़भी बच्चो में देखता है अपने अस्क को, तो क़भी आईने में खोजता फिरता है खुद को!!
इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते है
तकलीफ होती हज़ार गुना जब माँ कहती है की
मेरा बेटा अब मेरा बेटा नहीं रह बस किसी का पति बन गया है, इस उलझन को वो कैसे सुलझाये
अपनी माँ को वो क्या बतलाये की वो क्या था और क्या बन के रह गया!!
इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते है
हर पुरुष की नहीं ये कहानी, मग़र है बहुत से जो इस दर्द से है गुजरते,एक कोने में बैठ कर अपनी ज़िन्दगी की डोर को हाथों में लेकर घन्टो बैठ कर देखते है, फिर उसी डोर को सीने से लगा कर
ज़िम्मेदारियों को उठाने वो घर से निकलते है! इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते है …श्रद्धा श्रीवास्तव
एस. एन. सेन बी. वी. पी.जी. कॉलेज की कोदोम्बिनी देवी एन. एस. एस. इकाई तथा ‘आरोग्य भारती’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित
कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, विगत दिवस एस. एन. सेन बी. वी. पी.जी. कॉलेज, कानपुर के कोदोम्बिनी देवी एन. एस. एस. इकाई तथा ‘आरोग्य भारती’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आरंभ प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल,मुख्य अतिथि स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा उर्सला हॉस्पिटल की पूर्व निदेशक डॉ. मधु लाल, एन. एस. एस. इंचार्ज डॉ. चित्रा सिंह तोमर तथा आरोग्य भारती के प्रान्त अध्यक्ष डॉ. सुनील भारती, प्रांत सचिव डॉ. अनोखेलाल पाठक तथा सदस्या डॉ. पूनम वाजपेयी ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया ।
अतिथियों के स्वागत के पश्चात आरोग्य भारती के प्रांत सचिव डॉ. अनोखेलाल ने धन्वन्तरि मंत्र के साथ कार्यक्रम का औपचारिक आरम्भ किया। इसके पश्चात डी. ए. वी. कॉलेज में योग प्रशिक्षक तथा आरोग्य भारती की सदस्या डॉ. पूनम वाजपेयी ने छात्राओं तथा शिक्षिकाओं को योग की महत्ता बताते हुए योगाभ्यास तथा प्राणायाम कराया। छात्राओं को वृक्ष आसन, त्रिकोन आसन, वज्रासन, मंडूक आसन,वक्र आसन,मकरासन, पवनमुक्तासन, सेतुबंध आसन, मर्कट आसन, कपालभाती, अनुलोम विलोम,भ्रामरी आदि का अभ्यास कराया।
तत्पश्चात् मुख्य अतिथि डॉ. मधु लाल ने स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। अगली श्रृंखला में आरोग्य भारती के प्रांत अध्यक्ष डॉ. सुनील भारती ने अपनी संस्था ‘आरोग्य भारती’ के लक्ष्य एवं उद्देश्यों के विषय में बताया तथा छात्राओं को प्रोत्साहित किया ।
प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा छात्राओं को सीख लेने के लिए प्रोत्साहित किया ।
आरोग्य भारती के सदस्य आशीष वाजपई ने रोग निवारण के लिए ‘रेकी’ विधा के विषय में बताया। अंत में आरोग्य भारती के प्रांत सचिव डॉ. अनोखेलाल पाठक ने ‘शांति मंत्र’ के साथ कार्यशाला का औपचारिक समापन किया ।
प्रधानमंत्री ने बनासकांठा के दियोदर में बनास डेयरी संकुल में कई विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बनासकांठा जिले के दियोदर में एक नया डेयरी कॉम्प्लेक्स और आलू प्रसंस्करण संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया गया है। नया डेयरी कॉम्प्लेक्स एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। यह प्रतिदिन लगभग 30 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण, लगभग 80 टन मक्खन, एक लाख लीटर आइसक्रीम, 20 टन संघनित दूध (खोया) और 6 टन चॉकलेट का उत्पादन करने में सक्षम होगा। आलू प्रसंस्करण संयंत्र विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत आलू उत्पादों जैसे फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, आलू टिक्की, पैटी आदि का उत्पादन करेगा, जिनमें से कई उत्पाद अन्य देशों में निर्यात किए जाएंगे। ये संयंत्र स्थानीय किसानों को सशक्त बनाएंगे और क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री ने बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन भी राष्ट्र को समर्पित किया। यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन किसानों को कृषि और पशुपालन से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। उम्मीद है कि रेडियो स्टेशन लगभग 1700 गांवों के 5 लाख से अधिक किसानों से जुड़ेगा। प्रधानमंत्री ने पालनपुर में बनास डेयरी संयंत्र में पनीर उत्पादों और मट्ठा पाउडर के उत्पादन के लिए विस्तारित सुविधाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, प्रधानमंत्री ने गुजरात के दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने खिमना, रतनपुरा-भीलडी, राधनपुर और थावर में स्थापित होने वाले 100 टन क्षमता के चार गोबर गैस संयंत्रों की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल शामिल थे।
आयोजन से पहले, प्रधानमंत्री ने बनास डेयरी के साथ अपने जुड़ाव के बारे में ट्वीट किया तथा 2013 और 2016 में अपनी यात्राओं से तस्वीरें साझा कीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले कई वर्षों में, बनास डेयरी स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से किसानों और महिलाओं को सशक्त बनाने का केंद्र बन गया है। मुझे डेयरी के अभिनव उत्साह पर विशेष रूप से गर्व है जो उनके विभिन्न उत्पादों में देखा जाता है। शहद पर उनका निरंतर ध्यान रखना भी प्रशंसनीय है।” श्री मोदी ने बनासकांठा के लोगों के प्रयासों और भावना की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मैं बनासकांठा के लोगों की कड़ी मेहनत दृढ़ता की भावना की सराहना करना चाहता हूं। जिस तरह से इस जिले ने कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है वह काबिले तारीफ है। किसानों ने नई तकनीकों को अपनाया, जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया और परिणाम सभी के सामने हैं।”
Read More »प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के दाहोद और पंचमहाल में 22,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया
प्रधानमंत्री मोदी ने आज दाहोद में आदिजाति महासम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने लगभग 22,000 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने 1,400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने दाहोद जिला दक्षिणी क्षेत्र में क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना का उद्घाटन किया, जिसे नर्मदा नदी बेसिन पर लगभग 840 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। यह योजना दाहोद जिले के लगभग 280 गांवों और देवगढ़ बरिया शहर की जलापूर्ति की जरूरतों को पूरा करेगी। प्रधानमंत्री ने दाहोद स्मार्ट सिटी की पांच परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया, जिन्हें लगभग 335 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। इन परियोजनाओं में एकीकृत आदेश व नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) भवन, तेज प्रवाह जल निकासी प्रणाली, सीवरेज कार्य, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और वर्षा जल संचयन प्रणाली शामिल हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पंचमहाल और दाहोद जिले के 10,000 आदिवासियों को 120 करोड़ रुपये के लाभ प्रदान किये गए। प्रधानमंत्री ने 66 केवी घोड़िया सबस्टेशन, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी आदि का भी उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने दाहोद स्थित उत्पादन इकाई में 9,000 एचपी विद्युत रेल इंजन के निर्माण की आधारशिला भी रखी। इस परियोजना की लागत करीब 20,000 करोड़ रुपये है। दाहोद कार्यशाला को भाप इंजनों की एक निश्चित अवधि के बाद की जाने वाली सम्पूर्ण मरम्मत के लिए 1926 में स्थापित किया गया था, जिसका अब अवसंरचना संबंधी सुधारों के साथ विद्युत रेल इंजन निर्माण इकाई के रूप में उन्नयन किया जाएगा। यह 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने लगभग 550 करोड़ रुपये की राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इनमें शामिल हैं- करीब 300 करोड़ रुपये की जलापूर्ति से संबंधित परियोजनाएं, 175 करोड़ रुपये की दाहोद स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, दुधिमती नदी परियोजना से संबंधित कार्य, घोड़िया में जीईटीसीओ सबस्टेशन आदि। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्रीमती दर्शना जरदोश, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल और गुजरात सरकार के कई मंत्री उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय आदिवासी समुदाय के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया। उन्होंने राष्ट्र सेवा की ओर उन्हें प्रेरित करने का श्रेय इस समुदाय के लोगों के आशीर्वाद को दिया। उन्होंने एक ऐसे परिदृश्य के निर्माण का श्रेय भी इन समुदाय के समर्थन और आशीर्वाद को दिया जिसमें केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों और विशेष रूप से महिलाओं की सभी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन हुआ है उनमें एक पेयजल से जुड़ी योजना है और दूसरी दाहोद को स्मार्ट सिटी बनाने से जुड़ी परियोजना है। इन दोनों परियोजनाओं से इस इलाके की माताओं और बेटियों का जीवन आसान होगा। उन्होंने कहा कि दाहोद मेक इन इंडिया अभियान में योगदान देगा क्योंकि दाहोद स्थित उत्पादन इकाई में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से 9000 एचपी वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव तैयार होने वाले हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे दाहोद का रेलवे का इलाका मरता जा रहा था जब वो इस इलाके में सर्वेंट क्वार्टरों का दौरा किया करते थे। उन्होंने इस इलाके के रेलवे से संबंधित ढांचे को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया और आज उस सपने के साकार होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह विशाल निवेश इस इलाके के युवाओं को नए अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि रेलवे सभी पहलुओं में उन्नत हो रहा है और इस किस्म के उन्नत लोकोमोटिव का निर्माण भारत के कौशल का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की विदेशों में मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने में दाहोद बड़ी भूमिका निभाएगा। भारत अब दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जो 9 हजार हॉर्स पावर के शक्तिशाली लोको बनाता है।”
गुजराती में संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रगति की इस यात्रा में हमारी माताएं और बेटियां पीछे न रह जाएँ। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी वजह से सरकार की सभी योजनाओं के केंद्र में महिलाओं के जीवन को आसान बनाना और उनका सशक्तिकरण करना है। उन्होंने महिलाओं को सबसे पहले प्रभावित करने वाली पानी की कमी की समस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार इसलिए हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले कुछ वर्षों में छह करोड़ परिवारों को नल के पानी की सुविधा मिली है। गुजरात में पांच लाख आदिवासी परिवारों को नल के पानी की सुविधा मिल चुकी है। आने वाले दिनों में इस अभियान को और तेज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महामारी और युद्धों के कठिन दौर में, सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे कमजोर समुदायों और प्रवासी मजदूरों के कल्याण को सुनिश्चित किया। यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी गरीब परिवार भूखा न सोए और 80 करोड़ से अधिक लोगों को दो साल से अधिक समय से मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने इस संकल्प को दोहराया कि प्रत्येक आदिवासी परिवार के पास शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली, पानी के कनेक्शन से लैस एक पक्का घर होना चाहिए। उनके गांव में स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र, शिक्षा, एंबुलेंस और सड़कों की सुविधा होनी चाहिए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकार अथक प्रयास कर रही हैं। उन्होंने लाभार्थियों को प्राकृतिक खेती जैसी राष्ट्र सेवा से जुड़ी परियोजनाओं में शामिल होते देख अपार प्रसन्नता व्यक्त की। सरकार ने सिकल सेल रोग की समस्या के समाधान की ओर भी ध्यान दिया है।
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वास्तविक स्वतंत्रता सेनानियों को वह उचित सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा जैसे श्रद्धेय सेनानियों को दिए गए उचित सम्मान के बारे में बताया। उन्होंने स्थानीय शिक्षकों से दाहोद में हुए नरसंहार के बारे में पढ़ाने को कहा जो जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसा ही था, ताकि नई पीढ़ी को इन घटनाओं के बारे में पता चल सके। उन्होंने उन बीते दिनों से तुलना करते हुए इस क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति के बारे में भी चर्चा की जब एक भी विज्ञान स्कूल वहां नहीं था। अब वहां मेडिकल व नर्सिंग कॉलेज खुल रहे हैं, युवा पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं और एकलव्य मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। जनजातीय अनुसंधान संस्थानों की संख्या में काफी हद तक वृद्धि हो चुकी है। उन्होंने स्मरण किया कि किस तरह से 108 केंद्रों में सर्पदंश के लिए इंजेक्शन दिया जा रहा है।
अपने संबोधन के आखिर में उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के वर्ष में उन 75 सरोवरों के लिए अपना अनुरोध दोहराया जिन्हें इस जिले में बनाया जाना है।
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