उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया की उपस्थिति में वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के दो दिवसीय सम्मेलन का आभासी रूप से उद्घाटन किया। इस आयोजन में कई राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने भी भाग लिया। इनमें राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश डॉ दया शंकर मिश्रा, श्रीमती विदादला रजनी (आंध्र प्रदेश), श्री बन्ना गुप्ता (झारखंड), डॉ प्रभुराम चौधरी (मध्य प्रदेश), श्री धन सिंह रावत (उत्तराखंड), श्री रवींद्र जायसवाल (उत्तर प्रदेश), श्रीमती चंद्रिमा भट्टाचार्य (पश्चिम बंगाल), डॉ. सपम रंजन (मणिपुर) और डॉ. एम के शर्मा (सिक्किम) शामिल थे।
उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों के कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 1.33 लाख से अधिक एचडब्ल्यूसी अब चालू हो चुके हैं और टेली-परामर्श सेवाओं के केंद्र के रूप में काम कर रहे हैं”। उन्होंने इन केंद्रों पर सेवारत चिकित्सा पेशेवरों को विभिन्न बीमारियों की जांच के बारे में स्थानीय आबादी के बीच जागरूकता फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि राष्ट्र से रोगों का उन्मूलन करने के लिए सहयोगपूर्ण प्रयास आवश्यक है। निक्षय-मित्र पहल की भावना और प्रगति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “केंद्र, राज्यों, समुदायों और व्यक्तियों के सहयोगपूर्ण प्रयास से हम वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। आइए, हम सब आगे आएं और टीबी रोगियों की सहायता के लिए निक्षय मित्र बनें।” कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. मनसुख मांडविया ने निस्वार्थ सेवा और विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान कर्तव्य के प्रति संकल्पबद्धता प्रदर्शित करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) का आभार व्यक्त किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार की प्रमुख पहल ई-संजीवनी के महत्वपूर्ण प्रभाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसकी बदौलत इलाज के लिए रोगी की 21.59 किमी प्रति यात्रा की सफलतापूर्वक बचत हुई, और प्रत्येक यात्रा पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आने वाली 941.51 रुपये की लागत की बचत संभव हो सकी और इस प्रकार देश भर में 7,522 करोड़ रुपये की बचत हुई। ये टेली-परामर्श एबी-एचडब्ल्यूसी पर उपलब्ध हैं। इस गति को बरकरार रखने और एचडब्ल्यूसी में प्रदान की जा रही 12 स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने जांच, निदान और उपचार के माध्यम से एकीकृत स्वास्थ्य और आरोग्य के बारे में व्यापक अभियान चलाने के लिए महीने में एक बार स्वास्थ्य मेला आयोजित करने का आग्रह किया।
यूएचसी दिवस 2022 की थीम “हम जैसा विश्व बनाना चाहते हैं, उसका निर्माण करें :सभी के लिए स्वस्थ भविष्य” (बिल्ड द वर्ल्ड वी वांट: अ हेल्दी फ्यूचर फॉर ऑल) है । सभी के लिए स्वस्थ भविष्य के निर्माण में स्वास्थ्य कवरेज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, यूएचसी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि इन सेवाओं के लिए भुगतान करते समय सभी लोगों को बिना वित्तीय कठिनाइयों का सामना किए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। इसके महत्व को देखते हुए जी-20 इंडिया हेल्थ ट्रैक में भी यूएचसी को एक प्रमुख प्राथमिकता के रूप में और वर्ष 2030 के संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में एक प्रमुख लक्ष्य के रूप में शामिल किया गया है।
सम्मेलन के पहले दिन, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित श्रेणियों के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया:
1. लक्ष्य के सामने एचडब्ल्यूसी के परिचालन की उपलब्धि,
2. टेली परामर्श, और
3. एबीएचए आईडी बनाना
पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) और 15वें वित्तीय आयोग के कार्यान्वयन पर एक मंत्रिस्तरीय सत्र भी आज आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ आर एस शर्मा, सीईओ, एनएचए, श्री राजेश भूषण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, सुश्री रोली सिंह, एएस एंड एमडी (एनएचएम), केंद्र, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों और विकास साझेदारों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
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