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जर्मनी के न्यूरेमबर्ग अंतर्राष्ट्रीय खिलौना मेले में भारतीय खिलौना विनिर्माताओं को बड़ी संख्या में ऑर्डर प्राप्त हु

निर्यातकों का कहना है कि 30 जनवरी 2024 से 3 फरवरी, 2024  तक चलने वाले जर्मनी के न्यूरेमबर्ग अंतर्राष्ट्रीय खिलौना मेले में भाग लेने वाले भारतीय खिलौना विनिर्माताओं को 10 मिलियन डॉलर से अधिक के बराबर के बड़ी संख्या में ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, क्योंकि उन्होंने वहां उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को प्रदर्शित किया था। भारतीय खिलौना उद्योग ने रेखांकित किया कि सरकार की अनिवार्य गुणवत्ता मानदंडों, सीमा शुल्क में वृद्धि और खिलौनों पर राष्ट्रीय कार्य योजना ( एनएपीटी ) जैसी पहलों ने उच्च गुणवत्ता वाले खिलौनों के विनिर्माण में सहायता की है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर काफी सराहना प्राप्त की। भारतीय खिलौना सेक्टर एक स्वस्थ विकास दर से आगे बढ़ रहा है और वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। मेले में सबसे लोकप्रिय वर्गों के बीच लकड़ी से बने खिलौनों और शैक्षणिक शिक्षण खिलौनों से संबंधित उत्पादों की प्रधानता रही।

शीर्ष निर्यातकों के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी जैसे देशों के खरीदारों ने उनमें दिलचस्पी प्रदर्शित की और अच्छी संख्या में ऑर्डर दिए। इस वर्ष भारत से 55 से अधिक प्रतिभागी थे। न्यूरेमबर्ग अंतर्राष्ट्रीय खिलौना मेले में भारतीय खिलौना विनिर्माताओं ने कहा कि खरीदारों के दृष्टिकोण और व्यवहार में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की खिलौना अर्थव्यवस्था की व्यापक अपील के कारण भारत को अब एक आकर्षक वैकल्पिक सोर्सिंग गंतव्य के रूप में सराहना प्राप्त हो रही है।

भारतीय खिलौना विनिर्माताओं ने यह भी कहा कि इस प्रतिष्ठित मंच ने अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त उद्यमों के लिए द्वार खोल दिए हैं क्योंकि भारतीय विनिर्माण इकोसिस्टम को वैश्विक स्वीकृति प्राप्त हो रही है। भारतीय उद्योग के साथ साझीदारी करने में वैश्विक कंपनियों की दिलचस्पी ने घरेलू विनिर्माताओं को बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय दोनों ही बाजारों में मांग की पूर्ति करने के लिए अपनी विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने का प्रोत्साहन प्रदान किया है।

‘ मेड इन इंडिया ‘ खिलौनों की उभरती अंतर्राष्ट्रीय पहचान से निर्यात में वृद्धि में योगदान मिलने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2014-15 में 332.55 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में 158.7 मिलियन डॉलर के खिलौनों के समग्र आयात में उल्लेखनीय 52 प्रतिशत की कमी और वित्त वर्ष 2014-15 में 96.17 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में 325.72 मिलियन डॉलर के खिलौनों के समग्र निर्यात में 239 प्रतिशत की भारी वृद्धि पहले ही दर्ज की जा चुकी है।

जहां घरेलू विनिर्माताओं को पहले ही जर्मनी में सफलता प्राप्त हो चुकी है, स्नैपडील और वॉलमार्ट सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी बड़ी कंपनियों के साथ गठबंधन पाइपलाइन में है। सरकार और उद्योग के समेकित प्रयासों के साथ, इस सेक्टर का भविष्य में सफलता अर्जित करना तय है।

न्यूरेमबर्ग अंतर्राष्ट्रीय खिलौना मेला 3 फरवरी, 2024 को संपन्न हुआ। विश्व के सबसे बड़े खिलौना मेलों में से एक इस मेले में 65 देशों के 2,000 से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया।

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अनुसूचीबद्ध विमानन सेवा प्रदाताओं ने वर्ष 2023 के दौरान अपने बेड़े में 112 हवाई जहाज शामिल किए

विमानन सेवा प्रदाताओं द्वारा विमानों के समावेशन में लगातार वृद्धि हुई है। अनुसूचीबद्ध विमानन सेवा प्रदाताओं ने वर्ष 2023 के दौरान 112 हवाई जहाजों को अपने बेड़े में शामिल किया है। 31.12.2023 तक नियमित विमानन सेवा प्रदाताओं के एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (एओसी) पर स्वीकृति प्राप्त विमानों की कुल संख्या 771 है। विमानन सेवा प्रदाताओं के अनुसार 31.12.2023 तक बेड़े का विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।

हवाई परिवहन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विमानन सेवा प्रदाता अपने बेड़े में नए विमान शामिल कर रहे हैं। प्रमुख विमानन सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा हवाई जहाजों के लिए दिए गए ऑर्डरों का उल्लेख अनुलग्नक-II में  संलग्न किया गया है।

अनुलग्नक-I

31.12.2023 तक विभिन्न विमानन सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट) पर स्वीकृति प्राप्त विमानों की संख्या

क्रम संख्या विमानन सेवा प्रदाता का नाम बेड़े की संख्या
निर्धारित संचालक
1 एआईएक्स कनेक्ट प्रा. लिमिटेड

(जिसे पूर्व में एयरएशिया (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था)

24
2 एयर इंडिया लिमिटेड (एयर इंडिया) 124
3 एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड (एयर इंडिया एक्सप्रेस) 34
4 एलायंस एयर एविएशन लिमिटेड (एलायंस एयर) 21
5 ब्लू डार्ट एविएशन लिमिटेड (ब्लू डार्ट) 8
6 गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड (गो फर्स्ट)* 54*
7 इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (इंडिगो) 342
8 क्विकजेट कार्गो एयरलाइंस प्रा. लिमिटेड (क्विकजेट) 2
9 एसएनवी एविएशन प्रा. लिमिटेड (अकासा एयर) 20
10 स्पाइस जेट लिमिटेड (स्पाइस जेट) 57
11 टाटा एसआईए एयरलाइंस लिमिटेड (विस्तारा) 66
12 ज़ेक्सस एयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (ज़ूम) 2
अनुसूचीबद्ध नियमित आने-जाने वाले संचालक
13 बिग चार्टर प्रा. लिमिटेड (फ्लाई बिग) 2
14 जीएसईसी मोनार्क और डेक्कन एविएशन प्रा. लिमिटेड (इंडिया वन एयर) 3
15 घोड़ावत इंटरप्राइजेज प्रा. लिमिटेड (स्टार एयर) 8
16 पवन हंस लिमिटेड (एससीओ)28 4
कुल संख्या 771

* गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड (गो फर्स्ट) वर्तमान में दिवाला और दिवालियापन संहिता की धारा 10 के अनुसार कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है।

अनुलग्नक- II

प्रमुख विमानन सेवा प्रदाताओं द्वारा दिए गए विमान ऑर्डर

(एयरलाइंस कंपनियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार)

क्रम संख्या संचालक का नाम विमान का प्रकार आदेशित विमानों की संख्या वर्ष
1 एयर इंडिया ग्रुप ए320/ए321 210 2023
ए350 40 2023
बी787 20 2023
बी777 10 2023
बी737-8 190 2023
2 इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (इंडिगो) ए320 फैमिली 400 2015
ए320 फैमिली 300 2019
ए320 फैमिली 500 2023
एटीआर 72-212ए (600 संस्करण) 50 2017
3 एसएनवी एविएशन प्रा. लिमिटेड (अकासा एयर) बी737-8 76 2021
बी737-8 150 2024
4 स्पाइसजेट लिमिटेड

 

(स्पाइसजेट)

बी737-8 155 2016
कुल 2101  

 

नोट:

  1. विमान सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा विमान शामिल करने के साथ-साथ पट्टा अवधि की समाप्ति होने के बाद उनके मौजूदा विमानों की पुनः सुपुर्दगी/निर्यात भी किया जाएगा। इस तरह से विमान शामिल होने से एयरलाइन के बेड़े में संख्या बढ़ोतरी के अलावा समय के साथ मौजूदा बेड़े के बदलाव की भी आवश्यकता पूरी होगी।
  2. विमान सेवा प्रदाता कंपनियों व्यावसायिक विचारों के आधार पर समय के साथ अपने बेड़े की योजना बनाएंगे/अनुकूलन करेंगे।

नागर विमानन मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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प्रथम सर्वेक्षण विशाल मालवाहक जहाज, आईएनएस संध्याक को विशाखापत्तनम में रक्षा मंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

प्रथम सर्वेक्षण विशाल मालवाहक जहाज (एसवीएल), आईएनएस संध्याक (यार्ड 3025) 03 फरवरी, 2024 को नौसेना डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में आयोजित एक विशेष समारोह में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। जहाज की प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नौवहन को सक्षम करने की दिशा में बंदरगाहों, नौवहन चैनलों/मार्गों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर जलमाप चित्रण संबधित जलीय सर्वेक्षण करना है। अपनी दूसरी भूमिका में, जहाज कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को पूर्ण करने में सक्षम होगा।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में जलावतरण को ऐतिहासिक बताया और विश्वास जताया कि आईएनएस संध्याक भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में भारत की भूमिका को और अधिक मजबूत करेगा और भारतीय नौसेना को शांति और सुरक्षा बनाए रखने में सहयोग करेगा। उन्होंने किसी भी देश की सुरक्षा के महत्‍व को मनुष्य के विकास के साथ जोडते हुए बताया। उन्होंने कहा “जीवन के प्रारंभिक वर्षों में अपने परिवार पर निर्भर रहने से, एक बच्चा समाज में ज्ञान का प्रसार करने से पहले धीरे-धीरे आत्‍मनिर्भर हो जाता है। इसी प्रकार, कोई भी देश अपने विकास के प्रारंभिक चरण में अपनी सुरक्षा की क्षमता विकसित करने से पहले सुरक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता है। अंतत: तृतीय चरण का प्रादुर्भाव होता है जब वह इतना शक्तिशाली हो जाता है कि न केवल अपने हितों की रक्षा करता है, बल्कि अपने मित्र देशों की रक्षा करने में भी सक्षम हो जाता है”।

रक्षा मंत्री ने आशा व्यक्त की कि आईएनएस संध्‍याक महासागरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और देश के साथ-साथ अन्‍य देशो की रक्षा करने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्‍त करने में सहयोगी होगा। उन्होंने कहा “समुद्र विशाल और अथाह है। हम जितना अधिक इसके तत्वों को जानने में सक्षम होंगे, हमारे ज्ञानकोष में उतनी ही वृद्धि होगी और हम मजबूत बनेंगे। जितना अधिक हम महासागर, इसकी पारिस्थितिकी, इसकी वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे, हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेंगे। जितना अधिक हम महासागर के बारे में जानेंगे, उतना ही अधिक सार्थक रूप से हम अपने रणनीतिक सुरक्षा हितों को पूरा करने में सक्षम होंगे”।

श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि आजादी के बाद, कई विषम चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करते हुए, भारत अपनी सुरक्षा के लिए आगे बढ़ता रहा और स्‍वयं को खतरों से बचाता रहा। उन्होंने कहा, आज देश विकास के पथ पर अग्रसर है, हमारी मजबूत नौसेना हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से कहीं अधिक उत्‍तरदायित्‍व निभाते हुए सुरक्षा प्रदान कर रही है।

रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर को वैश्विक व्यापार के लिए हॉटस्पॉट बताया। उन्होंने अरब सागर में व्यापारिक जहाजों के अपहरण के प्रयासों और समुद्री डाकुओं से जहाजों की रक्षा करने के लिए भारतीय नौसेना के साहस और फुर्ती की बात करते हुए कहा “हिंद महासागर में अदन की खाड़ी, गिनी की खाड़ी आदि जैसे कई चोक पॉइंट स्थित हैं, जिनके माध्यम से विशाल स्‍तर पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होता है। इन अवरोध बिंदुओं पर कई खतरे विद्यमान हैं, जिनमें से सबसे बड़ा खतरा समुद्री डाकुओं से है”।

श्री राजनाथ सिंह ने ‘न्यू इंडिया’ की प्रतिज्ञा बताते हुए आश्वासन दिया कि समुद्री डकैती और तस्करी में शामिल गतिविधियों को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अभी हाल ही में आईएनएस इंफाल के जलावतरण के अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा था कि भारत नापाक गतिविधियों में संलिप्‍त तत्‍वों को समुद्र की गहराई से भी ढूंढ निकालेगा और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा।

रक्षा मंत्री ने आईएनएस संध्‍याक के जलावतरण समारोह के अवसर पर न केवल भारतीय जहाजों, बल्कि मित्र देशों के जहाजों को भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने हाल ही में अदन की खाड़ी में एक ब्रिटिश जहाज पर ड्रोन हमले का हवाला देते हुए बताया, जिसके परिणामस्वरूप तेल टैंकरों में आग लग गई। उन्होंने आग बुझाने में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए भारतीय नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रयास को विश्‍व ने पहचाना और सराहा।

श्री राजनाथ सिंह ने विगत कुछ दिनों में पांच समुद्री डकैती के प्रयासों को विफल करने व ड्रोन और मिसाइलों से हमला किए गए जहाजों की सहायता करने के अलावा 80 मछुआरों/नौसैनिकों को बचाने के लिए भारतीय नौसेना के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा “हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना शांति और समृद्धि सुनिश्चित करते हुए सुरक्षित व्यापार की सुविधा प्रदान कर रही है। कई रक्षा विशेषज्ञ इसे एक महाशक्ति का उदीयमान बता रहे हैं। यही हमारी संस्कृति है – हर किसी की रक्षा करना”।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि बढ़ती ताकत के साथ, भारत न केवल क्षेत्रीय स्‍तर पर, बल्कि पूरे विश्व से अराजकता को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विभिन्न देशों के बीच नौवहन, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता बनाए रखने के भारत के दर्शन को दोहराया। “हमारी बढ़ती शक्ति का उद्देश्य नियम-आधारित विश्व व्यवस्था सुनिश्चित करना है। हमारा उद्देश्य हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अवैध और अनियमित मत्‍स्‍याखेट को रोकना है। नौसेना इस क्षेत्र में नशीले पदार्थों और मानव तस्करी को रोक रही है। यह न केवल समुद्री डकैती रोकने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि इस पूरे क्षेत्र को शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। आईएनएस संध्याक हमारे उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार जिस उद्देश्य से नौसेना को मजबूत कर रही है, उससे विश्व शांति का प्रवर्तक बनने की हमारी नियति साकार होगी।”

इस अवसर पर अपने संबोधन में, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि एसवीएल परियोजना सरकार और नौसेना द्वारा समुद्र में कार्य करने की सर्वोत्कृष्ट शर्त – महासागरों की अथाह गहराई के सर्वेक्षण – को दिए जा रहे बढ़ते महत्व को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं और कार्यों को करने के लचीलेपन का लाभ उठाने के लिए नौसेना द्वारा स्वदेशी तौर पर अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म लॉन्च किए जा रहे है। उन्होंने कहा “चाहे वह शक्तिशाली विमानवाहक पोत विक्रांत हो, विशाखापत्तनम क्लास के घातक विध्वंसक, बहुमुखी नीलगिरि क्लास फ्रिगेट्स, गुप्त कलवरी क्लास पनडुब्बियां, फुर्तीला शैलो वॉटर एएसडब्ल्यू क्राफ्ट या विशेष डाइविंग सपोर्ट वेसल्स हों – हम सावधानीपूर्वक सशक्‍त भारत की सेवा में एक संतुलित ‘आत्मनिर्भर’ शक्तिबल का निर्माण कर रहे हैं”।

एडमिरल आर हरि कुमार ने बताया कि 66 जहाजों और पनडुब्बियों के आर्डर में से 64 का निर्माण कार्य भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। इसका अर्थ है कि नौसेना इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिससे शिपयार्ड की क्षमता और श्रमिकों के साथ-साथ सहायक उद्योगों में कार्यरत लोगों की क्षमताओं में वृद्धि होगी।

रक्षा मंत्री के इस आश्वासन पर कि हिंद महासागर में शांति भंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, नौसेना प्रमुख ने कहा: “न केवल भारत तथापि पूरी दुनिया ने पिछले चार-पांच सप्‍ताहों में श्री राजनाथ सिंह के निर्देशों का प्रभाव देखा है। भारतीय नौसेना तब तक नहीं रुकेगी जब तक हिंद महासागर पूरी तरह से मुक्‍त, सुरक्षित और स्वतंत्र नहीं हो जाता। हम तैयार हैं!”

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में निर्माणाधीन एसवीएल परियोजना के चार जहाजों में से पहले जहाज को जलावतरण समारोह में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। इस परियोजना का संचालन भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा किया गया है।

जहाज की आधारशिला 12 मार्च, 2019 को रखी गई थी और जहाज को 05 दिसंबर, 2021 को लॉन्च किया गया था। यह बंदरगाह और समुद्र में व्यापक परीक्षणों से गुजर चुका है, जिसके बाद इसे लॉन्‍च किया जाएगा। जहाज का विस्थापन 3,400 टन और कुल लंबाई 110 मीटर और बीम 16 मीटर है।

आईएनएस संध्‍याक गहरे और उथले पानी के मल्टी-बीम इको-साउंडर्स, स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, दूर से संचालित वाहन, साइड स्कैन सोनार, डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली, उपग्रह-आधारित पोजिशनिंग सिस्टम  सहित अत्याधुनिक जलमाप चित्रण संबंधी जलीय उपकरणों से सुसज्जित है। स्थलीय सर्वेक्षण उपकरण जहाज दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित है और 18 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है। इसमें लागत के हिसाब से 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री लगी हुई है और यह एमएसएमई सहित भारतीय नौसेना और उद्योग के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के लिए एक श्रद्धांजलि स्‍वरूप है। इसका शामिल होना राष्ट्र के बढ़ते समुद्री हितों और क्षमताओं को दर्शाता है।

‘संध्याक’ का अर्थ है विशेष खोज करने वाला। इसके शिखर पर स्थि‍त शिखा एक नाविक के कम्पास के सोलह बिंदुओं को दर्शाती है, जिसमें समुद्र पर सवार एक ‘डिवाइडर’ और एक ‘लंगर’ शामिल है, जो महासागरों की स्थिति का दर्शाता है, यह सर्वेक्षण

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को एनआईटी- गोवा के परिसर का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार (6 फरवरी, 2024) को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी)- गोवा के स्थायी परिसर का उद्घाटन करेंगे। यह कार्यक्रम वर्चुअल माध्यम के जरिए आयोजित होगा। इसमें गोवा के राज्यपाल श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ.  प्रमोद सावंत, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग व पर्यटन राज्य मंत्री  श्रीपाद नाईक, दक्षिणी गोवा के सांसद श्फ्रासिस्को सार्डिन्हा और गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता व कुनकोलिम के विधायक यूरी अलेमाओ उपस्थित रहेंगे।

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इस परियोजना की परिकल्पना गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉ. मनोहर पर्रिकर ने की थी। वे राज्य में राष्ट्रीय महत्व का एक संस्थान स्थापित करना चाहते थे, जिससे गोवा शिक्षा के लिए भी एक गंतव्य के रूप में अपनी सेवा दे सके।

साल 2010 में एनआईटी गोवा ने राज्य में पोंडा के फार्मागुडी स्थित गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर स्थित अपने पारगमन (ट्रांसिट) परिसर में काम करना शुरू किया था।  इसके बाद शिक्षा मंत्रालय की सहायता से साल 2023 में दक्षिण गोवा स्थित कुनकोलिम में संस्थान के अपने परिसर का निर्माण कार्य पूरा हुआ। अपने स्थायी परिसर के लिए गोवा सरकार ने जुलाई 2017 में कुनकोलिम गांव में 4,56,767 वर्गमीटर (113 एकड़) भूमि हस्तांतरित की थी। इस परिसर का शिलान्यास गोवा के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. मनोहर पर्रिकर ने 15 दिसंबर, 2018 को किया था। इस अवसर पर तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर भी उपस्थित थे।

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मई, 2019 में एनआईटी गोवा परिसर के निर्माण की योजना सीपीडब्ल्यूडी के साथ परियोजना निगरानी समिति के रूप में शुरू की गई थी और पहले चरण के तहत 46 एकड़ भूमि पर काम करने की परिकल्पना की गई। इस परिसर का निर्माण आरसीसी प्रीकास्ट 3एस तकनीक का उपयोग करके किया गया है। इस परिसर का कुल निर्मित क्षेत्र 70,750 वर्गमीटर है, जिसकी निर्माण लागत 390.83 करोड़ रुपये है। इसकी कुल क्षमता 1,260 छात्र की है।

इस परिसर में विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनमें शैक्षणिक परिसर, विभागीय परिसर, संगोष्ठी परिसर, प्रशासनिक परिसर, छात्रावास, स्वास्थ्य केंद्र, स्टाफ क्वार्टर, सुविधा केंद्र, खेल मैदान व और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

इसके अलावा परिसर की कई पर्यावरण-अनुकूल विशेषताएं भी हैं। इनमें सौर संयंत्र, सीवेज उपचार संयंत्र, जल की बचत करने वाली फिटिंग व सैनिटरीवेयर में फिक्स्चर, कुशल विद्युत प्रकाश व्यवस्था और सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाइट शामिल हैं। इसके निर्माण के दौरान राज्य में मौसम की स्थिति के अनुकूल बागवानी कार्यों के तहत स्थानीय पौधों का रोपण किया गया और सौर पैनलों को लगाया गया है। इसके अलावा भवनों में बिजली के उपयोग को कम करने और प्रकाश व्यवस्था प्रदान करने के लिए बेहतर प्राकृतिक वेंटिलेशन डिजाइन किया गया है।

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एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) की  5वीं बैठक हुई

भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने आज जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल नई दिल्ली में अपने कार्यालय में अपनी पांचवीं बैठक की। बैठक में 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष सी. कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त श्री संजय कोठारी ने भाग लिया।

भारतीय उद्योग परिसंघ (कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज-सीआईआई) के प्रतिनिधिमंडल में महा निदेशक  श्री चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, अध्यक्ष श्री आर दिनेश, अध्यक्ष, नामित अध्यक्ष श्री संजीव पुरी,, उप महानिदेशक श्री मारुत सेन गुप्ता, उप महानिदेशक,  सुश्री अमिता सरकार, कार्यकारी निदेशक, श्री बिनॉय जॉब शामिल थे। मुख्य आर्थिक रणनीति और परियोजना समन्वय श्री जी श्रीवास्तव ने समिति के समक्ष एक प्रस्तुति दी जिसमें एक राष्ट्र एक चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन –ओएनओई) और इसके प्रभाव पर उद्योग के विचारों पर प्रकाश डाला गया, जिसके बाद उन्होंने एक औपचारिक ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) के अध्यक्ष श्री कोविंद ने आज बिहार सरकार के मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन के साथ भी बातचीत की, जिन्होंने एक साथ चुनाव कराने पर अपनी पार्टी का विचार प्रस्तुत किया।

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कल 1 फरवरी को संपन्न अपनी बैठकों में श्री कोविंद ने राजनीतिक दलों के साथ उनके परामर्श, के एक अंग के रूप में सांसद श्री राहुल शेवाले, लोकसभा में शिवसेना पार्टी के नेता (एकनाथ संभाजी शिंदे), सांसद श्री राजेंद्र गावित, सांसद श्री श्रीरंग बार्ने और श्री आशीष कुलकर्णी के साथ बातचीत की।  जिन्होंने इस विषय पर अपनी सुविचारित राय दी।

 

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फेम इंडिया योजना के चरण-II के तहत 13,41,459 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को 5,790 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई

हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण और विनिर्माण (फेम) योजना के चरण-II के तहत बजटीय आवंटन और धनराशि के परिव्यय का विवरण निम्नलिखित है:

क्रम संख्या वित्तीय वर्ष बजट आवंटन धनराशि का उपयोग (31.01.2024 की स्थिति के अनुसार)
1 2019-20 500 करोड़ रुपये 500 करोड़ रुपये
2 2020-21 318.36 करोड़ रुपये 318.36 करोड़ रुपये
3 2021-22 800 करोड़ रुपये 800 करोड़ रुपये
4 2022-23 2897.84 करोड़ रुपये 2402.51 करोड़ रुपये
5 2023-24 5171.97 करोड़ रुपये 1980.83 करोड़ रुपये

 

भारी उद्योग मंत्रालय ने 25 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 68 शहरों में 2,877 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन की मंजूरी दी है। इन चार्जिंग स्टेशनों में से 148 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण किया जा चुका है और इनका परिचालन किया जा रहा है।

इसके अलावा भारी उद्योग मंत्रालय ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तीन तेल विपणन कंपनियों को 7,432 इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए पूंजीगत सब्सिडी के रूप में 800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

31 जनवरी, 2024 की स्थिति के अनुसार फेम इंडिया योजना के चरण-II के तहत इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं को 13,41,459 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर 5790 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। (31 जनवरी, 2024 की स्थिति के अनुसार फेम-II पोर्टल पर दावाकृत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नीचे दिए गए ब्यौरे के अनुसार)

क्रम संख्या वाहन का प्रकार कुल वाहन संख्या
1 दोपहिया 11,85,829
2 तिपहिया 1,38,639
3 चौपहिया 16,991
  कुल 13,41,459

इसेक अलावा भारी उद्योग मंत्रालय ने शहर के भीतर परिचालन के उद्देश्य से विभिन्न शहरों/एसटीयू/राज्य सरकार की इकाइयों के लिए 6862 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। 29 नवंबर, 2023 की स्थिति के अनुसार इन 6,862 ई-बसों में से 3487 बसों की आपूर्ति एसटीयू को की जा चुकी है।

यह जानकारी भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने आज राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी।

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सरकार ने तमिलनाडु के समुद्र तट पर 4 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं

भारत सरकार ने 4 गीगावॉट की कुल क्षमता की समुद्र तट पर पवन ऊर्जा के विकास के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से तमिलनाडु के समुद्र तट पर अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए खुली पहुंच के आधार पर प्रत्येक 1 गीगावॉट के चार खंडों के लिए आमंत्रित बोलियां हैं। इस व्यवस्था के अंतर्गत, प्रत्येक खंड के लिए बोली जीतने वाले डेवलपर्स 1 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित करेंगे और ओपन एक्सेस व्यवस्था के अंतर्गत सीधे उपभोक्ताओं को बिजली बेचेंगे। ओपन एक्सेस बोलियों के अंतर्गत कोई व्यवहार्यता गैप फंडिंग (वीजीएफ) नहीं दी जाती है और उत्पन्न नवीकरणीय ऊर्जा उद्योगों जैसी संस्थाओं को बेची जाएगी जो वर्तमान में उच्च-टैरिफ बैंड में हैं।

अपतटीय पवन के अनेक लाभ हैं। यह भूमि की उपलब्धता की बाधाओं को दूर करता है; इसमें उच्च क्षमता उपयोग फ़ंक्शन (सीयूएफ) है – जो लगभग 50 प्रतिशत है। इसके अलावा, अपतटीय पवन टर्बाइनों की क्षमताएं ऑन-शोर पवन टर्बाइनों की तुलना में अधिक हैं; प्रत्येक टरबाइन 15 मेगावाट की है।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत भारत सरकार के उपक्रम सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) के माध्यम से ऑफ-शोर पवन ऊर्जा बोलियां आमंत्रित की गई हैं। सभी आवश्यक पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने के बाद बोलियां आमंत्रित की जा रही हैं। निविदा आमंत्रण सूचना यहाँ पर प्राप्त की जा सकती है।

भारत पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व के रूप में उभरा है। यह कदम भारत की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा को एक और आयाम में ले जाएगा।

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रेल स्टेशनों पर भीड़भाड़ के कारण होने वाली भगदड़ और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय रेल के उठाए गए कदम

भारतीय रेल ने यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने और अतिरिक्त स्थान प्रदान करने के लिए नई सेवाएं शुरू करने के साथ उनका विस्तार किया है, उनकी उपलब्धता और सवारी डिब्बों की संख्या में बढ़ोतरी की जाती है, जो परिचालन संबंधित व्यवहार्यता, संसाधनों की उपलब्धता, प्रतिस्पर्धी मांगों आदि के अधीन संचालित प्रक्रियाएं हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान आरंभिक आधार पर यात्रियों की संख्या 639 करोड़ है।

इसके अलावा त्यौहारों के मौसम और छुट्टियों आदि के दौरान यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ की जरूरतों पूरा करने के लिए विशेष ट्रेनों का परिचालन व इनकी संख्या में अस्थायी बढ़ोतरी भी की जाती है।

भारतीय रेल ने स्टेशनों पर अधिक भीड़ के कारण होने वाली भगदड़ और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

  1. भीड़ प्रबंधन के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कर्मियों को वाणिज्यिक विभाग और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के साथ समन्वय से स्टेशनों व रेल परिसरों में तैनात किया गया है।
  2. आरपीएफ की ओर से त्यौहारों के मौसम के दौरान ट्रेनों के लगने से पहले प्लेटफार्म पर यात्रियों की कतार बनाकर अनारक्षित कोचों में यात्रियों के व्यवस्थित प्रवेश के लिए हरसंभव प्रयास किए जाते हैं।
  3. भीड़ नियंत्रण के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली के माध्यम से बार-बार उद्घोषणा की जाती हैं।
  4. यात्रियों के आवागमन को व्यवस्थित करने के लिए जीआरपी के समन्वय से आरपीएफ कर्मियों द्वारा फुट ओवर ब्रिज, प्रवेश और निकास द्वारों, प्लेटफॉर्मों पर सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  5. भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की निगरानी और संभावित भीड़ के आवागमन की सूचना स्टेशन परिसर में तैनात कर्मियों को देने के लिए क्लोज्ड सर्किट टेलिविजन (सीसीटीवी) निगरानी कमरों में प्रशिक्षित रेल सुरक्षा बल के कर्मियों की तैनाती की गई है।
  6. रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएसएफ) बटालियनों से सुरक्षा कर्मियों की अतिरिक्त जनशक्ति उपलब्ध कराई जाती है।
  7. सादे कपड़ों में कर्मियों को तैनात कर आपराधिक गतिविधियों पर निगरानी और सतर्कता सुनिश्चित की जाती है।

31 मार्च, 2023 की स्थिति के अनुरूप परिचालन के लिए 65301 सवारी डिब्बे उपलब्ध हैं।

कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए भारतीय रेल ने 23 मार्च, 2020 से सभी नियमित यात्री रेलगाड़ियों को बंद कर दिया था और केवल विशेष रेलगाड़ी सेवाएं चलाई जा रही थीं। इस दौरान भारतीय रेल ने आईआईटी बॉम्बे की सहायता से समय-सारणी का एक वैज्ञानिक विधि से युक्तिकरण किया था। इस अभ्यास को अन्य बातों के साथ-साथ अनुरक्षण गलियारा ब्लॉकों का सृजन करके बेहतर यात्री सुरक्षा उपलब्ध कराने, मौजूदा समय-सारणी में विरोधाभासों को न्यूनतम करने, जिसमें अन्य बातों के साथ- साथ यात्री सेवाओं को मेल/एक्सप्रेस सेवाओं परिवर्तित करना शामिल है, शुरू किया गया। नवंबर, 2021 से मेल/एक्सप्रेस सेवाओं को परिवर्तित समय-सारणी और नियमित गाड़ी संख्या के साथ-साथ परिचालित किया जा रहा है।

यह जानकारी रेल, संचार व इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी।

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अमृत ​​भारत स्टेशन योजना के तहत विकास/पुनर्विकास के लिए 1318 स्टेशनों की पहचान की गई है

रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे पर स्टेशनों के विकास के लिए ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ शुरू की है। यह योजना दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना करती है। इसमें ऐसे प्रत्येक स्टेशन पर आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए स्टेशन पहुंच, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, शौचालय, आवश्यकतानुसार लिफ्ट/एस्केलेटर, स्वच्छता, मुफ्त वाई-फाई, ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क जैसी सुविधाओं में सुधार, बेहतर यात्री सूचना प्रणाली, कार्यकारी लाउंज, व्यावसायिक बैठकों के लिए नामांकित स्थान, भूनिर्माण आदि के लिए मास्टर प्लान तैयार करना और चरणों में उनका कार्यान्वयन शामिल है।

इस योजना में इमारतों के सुधार, शहर के दोनों किनारों के साथ स्टेशन को एकीकृत करने, मल्टीमॉडल एकीकरण, ‘दिव्यांगजनों’ के लिए सुविधाएं, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल समाधान, गिट्टी रहित ट्रैक का प्रावधान, आवश्यकता के अनुसार ‘रूफ प्लाजा’, लंबी अवधि में स्टेशन पर चरणबद्धता और व्यवहार्यता और सिटी सेंटरों के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है।

इस योजना के तहत अब तक विकास/पुनर्विकास के लिए 1318 स्टेशनों की पहचान की गई है। भारतीय रेलवे पर ‘आदर्श स्टेशन योजना’ के तहत 1251 स्टेशनों का विकास किया गया है।

स्टेशनों के विकास और रखरखाव के लिए आवंटन और व्यय का विवरण क्षेत्रीय रेलवे-वार रखा जाता है, न कि राज्य-वार या स्टेशन-वार या योजना-वार। स्टेशनों के विकास और यात्री सुविधाओं के प्रावधान को आम तौर पर योजना शीर्ष – 53 ‘ग्राहक सुविधाएं’ के तहत वित्त पोषित किया जाता है। 02 क्षेत्रीय रेलवे हैं, अर्थात, उत्तर रेलवे (एनआर) और उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) जो पंजाब राज्य को सेवाएं प्रदान करते हैं। वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान योजना शीर्ष-53 के तहत कुल ₹ 1148.74 करोड़ व्यय किए गए हैं और चालू वर्ष का कुल आवंटन ₹ 2613.36 करोड़ है।

‘रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण सहित यात्री सुविधाओं’ पर रेलवे पर स्थायी समिति (17वीं लोकसभा) की छठी रिपोर्ट में निहित सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति 08.03.2021 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी गई है।

यह जानकारी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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देश में डिफेंस इकोसिस्टम

सरकार ने देश के रक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए विभिन्न कार्य योजनाएं बनाई हैं। सार्वजनिक और निजी दोनों भारतीय उद्योगों को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 (डीएपी-2020) के अध्याय-III में निर्धारित ‘मेक प्रोसीजर’ के तहत रक्षा प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें प्रोटोटाइप विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रावधान भी शामिल हैं।

पूर्वनिर्धारित वित्तीय और गुणवत्ता प्रमाण-पत्र वाली फर्मों को ग्रीन चैनल का दर्जा देने के लिए रक्षा भंडार और पुर्जों की खरीद के लिए एक ग्रीन चैनल नीति शुरू की गई है। ग्रीन चैनल सर्टिफिकेट का अनुदान रक्षा मंत्रालय के तहत विभिन्न खरीद एजेंसियों द्वारा संपन्न अनुबंधों के तहत आपूर्तिकर्ता की गारंटी/वारंटी के तहत भंडार के प्री-डिस्पैच निरीक्षण और स्वीकृति की छूट प्रदान करता है। रक्षा उद्योगों के लिए निवेश आकर्षित करने, घरेलू आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने और देश में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग ईकोसिस्टम को मजबूत करने के उद्देश्य से दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (डीआईसी) – उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (यूपीडीआईसी) और तमिलनाडु डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर (टीएनडीआईसी) स्थापित किए गए हैं। ।

घरेलू रक्षा और एयरोस्पेस मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम शुरू की गई है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सरकारी सहायता के लिए एक सामान्य परीक्षण सुविधा के रूप में ग्रीनफील्ड डिफेंस टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना है, जिसके तहत देश में रक्षा परीक्षण बुनियादी ढांचे में कमियों को कम करने के लिए एमएसएमई और स्टार्ट-अप की भागीदारी पर विशेष ध्यान देने के साथ स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है।

इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सिलेंस (आईडेक्स) को स्टार्ट-अप और एमएसएमई को इनोवेशन करने, प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और रक्षा और एयरोस्पेस से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए लॉन्च किया गया है, जिसका उद्देश्य रक्षा और एयरोस्पेस, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में  इनोवेशन और प्रौद्योगिकी विकास और एकेडमिया को बढ़ावा देने के लिए एक ईकोसिस्टम का निर्माण करना है।  साथ ही उन्हें अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुदान/धन और अन्य सहायता प्रदान करता है जिसमें भविष्य में भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस आवश्यकताओं के लिए अपनाने की क्षमता है। डीएसपीयू विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए विभिन्न उत्कृष्टता केंद्रों/शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएससी, आईआईएम आदि के साथ हाथ मिला रहे हैं।

डीआरडीओ ने एक प्रक्रिया निर्धारित की है जिसके द्वारा वह अपनी विकसित प्रौद्योगिकियों को उद्योगों को ट्रांसफर करता है। इसके लिए लाइसेंसिंग एग्रीमेंट फॉर ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी साइन किया जाता है। डीआरडीओ ने अपने इंडस्ट्री पार्टनर्स (विकास सह उत्पादन भागीदार (डीसीपीपी)/विकास भागीदार (डीपी)) के लिए जीरो टीओटी फीस और भारतीय सशस्त्र बलों और सरकारी विभागों को आपूर्ति के लिए जीरो रॉयल्टी के साथ एक नई टीओटी नीति और प्रक्रियाएं विकसित की हैं। डीआरडीओ लैब्स में उद्योगों के लिए परीक्षण सुविधाएं अब खोली गई हैं। डीआरडीओ ने प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) लॉन्च किया है जो नवीन रक्षा उत्पादों के डिजाइन विकास के लिए भारतीय उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। जून 2023 में, डीआरडीओ ने उद्योग में रक्षा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 75 प्राथमिकता वाले प्रौद्योगिकी क्षेत्रों/उत्पादों/प्रणालियों को जारी किया जिसे डीआरडीओ नहीं करेगा।

युवाओं को इनोवेशन, प्रौद्योगिकी विकास और रक्षा एवं एयरोस्पेस से संबंधित समस्या समाधान में आईडेक्टस योजना के तहत स्टार्ट-अप के रूप में जोड़ा जाता है। युवा इंजीनियर विभिन्न परियोजनाओं के लिए रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के उत्कृष्टता केंद्रों/शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ के माध्यम से शामिल होते हैं जिनमें अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण शामिल हैं। डीआरडीओ ने विभिन्न आईआईटी, आईआईएससी, केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में 15 डीआरडीओ उद्योग अकादमी-उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई) स्थापित किए हैं, जिनमें से छह 2023 में चालू हो गए हैं। डीपीएसयू और निजी क्षेत्र रक्षा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञता वाले प्रशिक्षित युवाओं को काम पर रख रहे हैं।

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