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‘केंद्रीय बजट 2024-25’ की तैयारियों का अंतिम चरण आज नई दिल्ली में ‘पारंपरिक हलवा समारोह’ के साथ शुरू हुआ

केंद्रीय बजट 2024-25 तैयार करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण को रेखांकित करने वाला ‘हलवा समारोह’ आज नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी की उपस्थिति में आयोजित किया गया।

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बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल ‘पारंपरिक हलवा समारोह’ आयोजित किया जाता है। ‘केंद्रीय बजट 2024-25’ को 23 जुलाई, 2024 को पेश किया जाएगा।

वार्षिक वित्तीय विवरण (जिसे आम तौर पर बजट के रूप में जाना जाता है), अनुदान मांग (डीजी), वित्त विधेयक, इत्‍यादि सहित समस्‍त केंद्रीय बजट दस्तावेज भी ‘केंद्रीय बजट मोबाइल ऐप’ पर उपलब्ध होंगे, ताकि डिजिटल सुविधा के सबसे सरल रूप का उपयोग करके बजट दस्तावेजों को सांसदों (एमपी) और आम जनता को बिना किसी परेशानी के सुलभ कराया जा सके। यह ऐप द्विभाषी (अंग्रेजी एवं हिंदी) है और यह एंड्रॉयड एवं आईओएस दोनों ही प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध होगा। इस ऐप को केंद्रीय बजट वेब पोर्टल (www.indiabudget.gov.in)  से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

23 जुलाई, 2024 को संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री का बजट भाषण पूरा हो जाने के बाद ही समस्‍त बजट दस्तावेज इस मोबाइल ऐप पर उपलब्ध होंगे।

हलवा समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ वित्त मंत्रालय के सचिव और बजट की तैयारी में शामिल भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौजूद थे।

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इस समारोह के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने ‘बजट प्रेस’ का भी मुआयना किया और बजट की तैयारियों की समीक्षा करने के अलावा संबंधित अधिकारियों को अपनी शुभकामनाएं भी दीं।

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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए स्व-नामांकन हेतु पंजीकरण की अंतिम तिथि 18 जुलाई 2024 तक बढ़ी

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए पात्र शिक्षकों से ऑनलाइन स्व-नामांकन हेतु पंजीकरण की अंतिम तिथि 18 जुलाई 2024 तक बढ़ा दी गई है। आवेदक अपना पूरा स्व-नामांकन 21 जुलाई 2024 तक जमा कर सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल http://nationalawardstoteachers.education.gov.in.  पर 27 जून 2024 से नामांकन आमंत्रित किए गए थे।
इस वर्ष 50 शिक्षकों का चयन तीन चरणों वाली चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, अर्थात जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर। पुरस्कार 5 सितम्‍बर 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय का स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग हर साल 5 सितम्‍बर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित करता है, जिसमें कठिन, पारदर्शी और ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान की सराहना करना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और मेहनत से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।

पात्रता की शर्तें:

राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, स्थानीय निकायों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त प्राथमिक/मध्य/उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत स्कूल शिक्षक और स्कूल प्रमुख इस पुरस्कार के लिए पात्र हैं।

  • केन्‍द्र सरकार के स्कूल, यानी केन्‍द्रीय विद्यालय (केवी), जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा संचालित सैनिक स्कूल, परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसाइटी (एईईएस) द्वारा संचालित स्कूल, और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस); और
  • केन्‍द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबद्ध स्कूल।

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सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के क्षमता निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है: रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ

रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने सभी आवश्यक सहायता एवं सहयोग प्रदान करके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। 16 जुलाई, 2024 को बेंगलुरु कॉम्प्लेक्स की अपनी यात्रा के दौरान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के अधिकारियों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि यह पीएसयू पर निर्भर है कि वे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनायें और इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी युग में प्रतिस्पर्धी बने रहें।

बीईएल की उपलब्धियों और प्रदर्शन की सराहना करते हुए, श्री संजय सेठ ने कहा कि यह पीएसयू ‘मेक इन इंडिया’ पहल और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के साथ साझेदारी में कई स्वदेशी उपकरण और प्रणालियां विकसित की हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष इसने आत्मनिर्भरता को मजबूत करते हुए 150 वस्तुओं के पेटेंट हासिल किए हैं।

केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री ने एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स नेवी (एडीएसएन) स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट (एसबीयू), मिलिट्री रडार एसबीयू और अत्याधुनिक ईएमआई/ईएमसी लैब में प्रिसिजन मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी का दौरा किया। उन्हें तटीय निगरानी प्रणाली और परिधि सुरक्षा प्रणाली की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने स्मार्ट सिटी एक्सपीरियंस सेंटर और प्रोडक्ट डेवलपमेंट एंड इनोवेशन सेंटर (पीडीआईसी) का दौरा किया, जो अत्याधुनिक रक्षा और सुरक्षा उपायों से संबंधित नवाचार, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देता है। उन्होंने अगली पीढ़ी की परियोजनाओं पर काम कर रहे इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से बातचीत की।

रक्षा राज्यमंत्री ने बीईएल की अपनी पहली यात्रा की स्मृति में पीडीआईसी परिसर में एक पौधा भी लगाया। इससे पहले, श्री मनोज जैन, सीएमडी, श्री भानु प्रकाश श्रीवास्तव, निदेशक (अन्य इकाइयां), श्री दामोदर भट्टड़, निदेशक (वित्त), श्री के वी सुरेश कुमार, निदेशक (विपणन) तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

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जून 2024 में भारत का कुल निर्यात 5.40 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है; अप्रैल-जून 2024 के दौरान संचयी समग्र निर्यात 8.60 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है

जून 2024 में भारत का कुल निर्यात 5.40 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है; अप्रैल-जून 2024 के दौरान संचयी समग्र निर्यात 8.60 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है
  • जून 2024* के लिए भारत का कुल निर्यात (संयुक्त रूप से वस्तुएं और सेवाएं) 65.47 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो जून 2023 की तुलना में 5.40 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। जून 2024* के लिए कुल आयात (संयुक्त रूप से वस्तुएं और सेवाएं) 73.47 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो जून 2023 की तुलना में 6.29 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।

तालिका 1: जून 2024 के दौरान व्यापार*

    जून 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

जून 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

व्यापार निर्यात 35.20 34.32
आयात 56.18 53.51
सेवाएं* निर्यात 30.27 27.79
आयात 17.29 15.61
कुल व्यापार

(माल +सेवाएँ) *

निर्यात 65.47 62.12
आयात 73.47 69.12
व्यापार का संतुलन -8.00 -7.00

  नोट: आरबीआई द्वारा जारी सेवा क्षेत्र का नवीनतम डेटा मई 2024 के लिए है। जून 2024 का डेटा एक अनुमान हैजिसे आरबीआई की अगली रिलीज़ के आधार पर संशोधित किया जाएगा।

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कोयला मंत्रालय द्वारा तीन कोयला खदानों के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर

 कोयला मंत्रालय ने आज 7वें दौर के दूसरे प्रयास के अंतर्गत नीलाम की गई तीन कोयला खदानों के लिए कोयला खनन विकास और उत्पादन समझौतों को सफलतापूर्वक निष्पादित किया। यह वाणिज्यिक कोयला खनन की सफलता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। तीन खदानों में से दो आंशिक रूप से खोजी गई हैं, जबकि एक पूरी तरह अन्वेषित है।

समझौते किए गए खदानों हैं मच्छकटा (संशोधित) कोयला खदान, कुडनाली लुबरी कोयला खदान और सखीगोपाल-बी काकुरही कोयला खदान। सफल बोलीकर्ता क्रमशः एनएलसी इंडिया लिमिटेड, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड हैं।

इन तीन खदानों से वाणिज्यिक नीलामी के अंतर्गत अनुमानित वार्षिक राजस्व सृजन लगभग 2,991.20 करोड़ रुपए है, जो लगभग 30.00 एमटीपीए की कुल पीक रेट क्षमता उत्पादन पर आधारित है। इन खदानों के चालू होने पर लगभग 40,560 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। इसके अतिरिक्त, इन कोयला खदानों को चालू करने के लिए लगभग 4,500 करोड़ रुपए का कुल निवेश आवंटित किया जाएगा।यह पहल कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन में योगदान देने और राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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“भारत का लक्ष्य 2030 तक 4 बिलियन डॉलर के एमआरओ उद्योग के साथ अग्रणी विमानन केन्‍द्र बनना” – राममोहन नायडू

केन्‍द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सभी विमानों और विमान इंजन के कलपुर्जों पर 5 प्रतिशत की एकसमान आईजीएसटी दर लागू करने की घोषणा की है, जो आज 15 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी। यह निर्णय घरेलू रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक विमानन केन्‍द्र बनाना है।

इस प्रगति पर टिप्पणी करते हुए, श्री नायडू ने कहा, “एमआरओ वस्तुओं पर एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर की शुरूआत विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रोत्‍साहन है। इससे पहले, विमान घटकों पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की अलग-अलग जीएसटी दरों ने चुनौतियां खड़ी की, जिसमें कर संरचना में भिन्‍नता और एमआरओ खातों में जीएसटी संचय शामिल था। यह नई नीति इन असमानताओं को समाप्त करती है, कर संरचना को सरल बनाती है और एमआरओ क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देती है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने इस बदलाव को संभव बनाने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में, हम आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत को एक प्रमुख विमानन केन्‍द्र में बदलने में उनका समर्थन इस नीति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने नागर विमानन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने 22 जून 2024 को अपनी 53वीं बैठक में जीएसटी परिषद द्वारा अनुशंसित इस नीति समायोजन को प्राप्त करने के लिए लगन से काम किया है, एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर का उद्देश्य परिचालन लागत को कम करना, कर क्रेडिट के मुद्दों को हल करना और निवेश को आकर्षित करना है।

भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, श्री राममोहन नायडू ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण भारत को एक अग्रणी विमानन केन्‍द्र में बदलना है। भारतीय एमआरओ उद्योग के 2030 तक 4 बिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है। यह नीति परिवर्तन एमआरओ सेवाओं के लिए एक मजबूत इकोसिस्‍टम बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्‍थायी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

मंत्रालय को विश्वास है कि इस कदम से भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा तथा एक मजबूत और कुशल विमानन क्षेत्र का निर्माण होगा।

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योग गठिया के रोगियों को राहत पहुंचा सकता है

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि योगाभ्यास से गठिया (रूमेटाइड अर्थराइटिस-आरए) के रोगियों के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ सकता है।

आरए एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में सूजन का कारण बनती है। यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है और इस रोग में दर्द होता है। इसके कारण फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं। परंपरागत रूप से, योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला, एनाटॉमी विभाग और रुमेटोलॉजी विभाग एम्स, नई दिल्ली द्वारा एक सहयोगी अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तर पर योग के प्रभावों की खोज की है। इससे पता चला है कि कैसे योग पीड़ा से राहत देकर गठिया के मरीजों को लाभ पहुंचा सकता है।

पता चला है कि योग सेलुलर क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव (ओएस) को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। यह प्रो- और एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को संतुलित करता है, एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है, कोर्टिसोल और सीआरपी के स्तर को कम करता है तथा मेलाटोनिन के स्तर को बनाए रखता है। इसके जरिये सूजन और अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली चक्र का विघटन रुक जाता है।

मोलेक्यूलर स्तर पर, टेलोमेरेज़ एंजाइम और डीएनए में सुधार तथा कोशिका चक्र विनियमन में शामिल जीन की गतिविधि को बढ़ाकर, यह कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके अतिरिक्त, योग माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता है, जो ऊर्जा चयापचय को बढ़ाकर और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके टेलोमेर एट्रिशन व डीएनए क्षति से बचाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, एम्स के एनाटॉमी विभाग के मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला में डॉ. रीमा दादा और उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्द में कमी, जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, चलने-फिरने की कठिनाई में कमी और योग करने वाले रोगियों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की गई। ये समस्त लाभ योग की प्रतिरक्षात्मक सहनशीलता और मोलेक्यूलर रेमिशन स्थापित करने की क्षमता में निहित हैं।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स, 2023 में प्रकाशित अध्ययन https://www.nature.com/articles/s41598-023-42231-w से पता चलता है कि योग तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जो गठिया  के लक्षणों के लिए एक ज्ञात कारण है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को कम करके, योग अप्रत्यक्ष रूप से सूजन को कम कर सकता है, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में सुधार कर सकता है, जो ऊर्जा उत्पादन और सेलुलर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और -एंडोर्फिन, मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफ़िक कारक (बीडीएनएफ), डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (डीएचईए), मेलाटोनिन और सिरटुइन-1 (एसआईआरटी-1) के बढ़े हुए स्तरों से को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम कर सकता है। योग न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है और इस प्रकार रोग निवारण रणनीतियों में सहायता करता है तथा को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम करता है।

इस शोध से गठिया रोगियों के लिए पूरक चिकित्सा के रूप में योग की क्षमता का प्रमाण मिलता है। योग न केवल दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों को कम कर सकता है, बल्कि रोग नियंत्रण और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में भी योगदान दे सकता है। दवाओं के विपरीत, योग के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और यह गंभीर ऑटोइम्यून स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक सस्ता व प्रभावी तथा स्वाभाविक विकल्प प्रदान करता है।

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स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क आवश्यक हैः डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क (लिंकेज) आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि इसमें आईआईएम जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

   डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू शहर के बाहरी इलाके जगती में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के एमबीए छात्रों के नए बैच के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कहा कि अधिकतर सफल स्टार्ट-अप कहानियां मजबूत उद्योग संपर्क के कारण संभव हुई हैं। उन्होंने कहा- “उदाहरण के लिए, अरोमा मिशन में, सरकार लैवेंडर में कृषि स्टार्ट-अप में लगे लोगों की क्षमता सृजन सुनिश्चित करके और लैवेंडर से बने परफ्यूम और अन्य उत्पादों जैसे हिमालयी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए बाजार पहुंच की सुविधा प्रदान करके एक सक्षमकर्ता बन गई है।”

मंत्री महोदय ने कहा कि हिमालय के जैव संसाधनों और तटीय क्षेत्रों में अनछुए खनिजों का दोहन भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा मूल्यवर्धन कर सकता है और ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने कहा- “भारत के तटीय राज्य और जम्मू-कश्मीर जैसे हिमालयी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश देश के भविष्य की अर्थव्यवस्था को बहुत कुछ दे सकते हैं”। डॉ. जितेंद्र सिंह ने महत्वाकांक्षी पीढ़ी के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर समय चल रहा है। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप नए अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी महान समतलीकरण रही है, जिससे प्रत्येक क्षेत्र के सभी व्यक्ति को अवसर मिला है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि युवाओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, जिसने सामाजिक भलाई के लिए समान अवसर तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले प्रौद्योगिकी कुछ लोगों का विशेषाधिकार थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों से 2047 के भारत का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “2027 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरी करेगा, तब युवा ही विकसित भारत के निर्माता होंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार अपनी युवा पीढ़ी को नए कौशल और प्रशिक्षण तथा विश्व स्तरीय शिक्षा से लैस करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें विकसित भारत का निर्माता बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षक नीति 2020 इस लक्ष्य में योगदान देगी।”  डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईआईएम-जम्मू की प्रगति के बारे में कहा कि अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों में यह देश में उच्च शिक्षा के ऐसे नए प्रमुख संस्थानों में से एक बन गया है। मंत्री महोदय ने कहा, “प्रारंभिक अवस्था से ही, जब हमें फैकल्टी खोजने में भी कठिनाई हो रही थी, इसने अपनी छोटी सी यात्रा में एक लंबा सफर तय किया है।” उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएम जम्मू की स्थापना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और ऐसे नेताओं को तैयार करने के उनके सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्र को अभूतपूर्व विकास की ओर ले जाएंगे।’’

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विद्यार्थियों के अधिक लाभ के लिए संस्थानों के बीच सहयोग और तालमेल पर बल दिया। मंत्री महोदय ने कहा, “अलग-अलग काम करने का युग समाप्त हो गया है; सहयोग का युग आ गया है।” उन्होंने आईआईएम-जम्मू, एम्स-जम्मू, आईआईटी-जम्मू और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय को अनुसंधान एवं विकास तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया। इससे पहले डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आईआईएम-जम्मू के अत्याधुनिक परिसर का दौरा किया। उनके साथ निदेशक प्रो. बी.एस. सहाय और एम्स, जम्मू के निदेशक डॉ. शक्ति कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने इस अवसर पर एक पौधा लगाया।

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फाइलेरिया उन्मूलन कार्यशाला आयोजित

भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के एनएसएस क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ और एनएसएस प्रकोष्ठ उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा पी सी आई तथा ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए युवाओं की प्रतिभागिता के उद्देश से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई । कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य सम्पर्क अधिकारी प्रो. मंजू सिंह और युवा अधिकारी समरदीप सक्सेना एवं राजेश तिवारी  के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय, पी सी आई एवम् जी एच एस के अधिकारियो द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम में प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के 27 जनपदों से 70 से अधिक कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । इस कार्यक्रम में कानपुर विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ श्याम मिश्रा जी के नेतृत्व में सर्वाधिक 13 कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । जनपद कानपुर नगर से जिला नोडल अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के साथ डी ए वी कॉलेज से डॉ चंद्र सौरभ एवम् बी एन डी कॉलेज से डॉ प्रमोद ने प्रतिभाग किया।

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केंद्रीय विद्युत, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने आज उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स में चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया।

अपनी इस यात्रा के दौरान श्री मनोहर लाल ने 1000 मेगावाट के टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) में चल रही निर्माण गतिविधियों का निरीक्षण किया। यह टीएचडीसीआईएल के अंतर्गत एक प्रमुख परियोजना है जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण घटक है। केंद्रीय मंत्री ने बटरफ्लाई वाल्व चैंबर, मशीन हॉल और टिहरी पीएसपी के आउटफॉल सहित कई प्रमुख क्षेत्रों का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने नदी को जोड़ने के कार्य की समीक्षा की, जो पीएसपी को मौजूदा जल प्रबंधन प्रणालियों में एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। मौजूदा प्रयासों की सराहना करते हुए श्री मनोहर लाल ने टीएचडीसी की पूरी टीम को नवीकरणीय और विश्वसनीय जलविद्युत उत्पादन को आगे बढ़ाने की दिशा में उनके अथक समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी। उन्होंने टीम की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स के विकास में स्थापित किए गए उच्च मानकों को स्वीकार करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे जलविद्युत परियोजनाओं में टीएचडीसी का योगदान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को वास्तविक रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध टीएचडीसीआईएल के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो ऐसे समय में पूरा हुआ है, जब इतने बड़े बांध का विचार लगभग अकल्पनीय लग रहा है। टिहरी बांध का विकास अपने आप में किसी आश्चर्य और इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं है।

टीएचडीसी प्रबंधन और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा का समर्थन करने में जलविद्युत के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पूरी टीम से अपनी गति बरकरार रखने और शेष परियोजना चरणों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया। उन्होंने जलविद्युत प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने में टीएचडीसीआईएल के प्रयासों की प्रशंसा की और टीम से उत्कृष्टता के लिए अपने प्रयास जारी रखने का आग्रह किया।

टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर.के. विश्नोई ने मंत्री महोदय को उनके इस दौरे तथा उत्साहवर्धक शब्दों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के लिए एक सतत ऊर्जा भविष्य में योगदान देने के व्यापक मिशन के हिस्से के रूप में टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए टीएचडीसीआईएल की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। यह दौरा टीएचडीसीआईएल टीम के बीच उद्देश्य की नई भावना के संचार के साथ संपन्न हुआ, जो भारत के जलविद्युत क्षेत्र के भविष्य के लिए मंत्री महोदय के विज़न के साथ-साथ उस विज़न को साकार करने में उनकी भूमिका से प्रेरित रही।

मंत्री महोदय के साथ आये विद्युत मंत्रालय के प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल की टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर.के. विश्नोई, निदेशक (कार्मिक) श्री शलिन्दर सिंह, निदेशक (तकनीकी) श्री भूपेन्द्र गुप्ता तथा टीएचडीसीआईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स के बारे में कुछ जारी:

टीएचपीसी गंगा नदी की सहायक नदी भागीरथी पर बनी एक बहुउद्देशीय योजना है। इसे मानसून के दौरान भागीरथी नदी के फालतू पानी का संग्रह करने तथा गैर-मानसून अवधि के दौरान उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस संग्रहित जल को उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस परियोजना से 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है।

टिहरी एचपीसी में निम्नलिखित परियोजना शामिल हैं:

टिहरी हाइड्रो पावर प्लांट (टिहरी एचपीपी) – 1000 मेगावाट (4×250 मेगावाट)

2. कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना (कोटेश्वर एचईपी) – 400 मेगावाट (4×100 मेगावाट)

3. टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (टिहरी पीएसपी) – 1000 मेगावाट (4×250 मेगावाट)

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