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स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ पहली बार समुद्री परीक्षण के लिए रवाना

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंदसोनोवाल ने भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड द्वारा स्वदेशी रूप सेनिर्मित किए गए भारत के सबसे जटिल स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ केसमुद्री परीक्षणों की शुरुआत की सराहना की है। उन्होंने कहा कि स्वदेशीविमानवाहक पोत का डिजाइन और निर्माण राष्ट्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है । उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ औरआत्मनिर्भर भारत पहल का सही प्रतिबिंब है। मंत्री महोदय ने देश को गौरवप्रदान करने के लिए कोचीन शिपयार्ड और भारतीय नौसेना को बधाई दी।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Pix55IDM.jpeg

विक्रांत के प्रणोदन संयंत्रों का विभिन्न नेविगेशन, संचार औरहल उपकरणों के परीक्षणों के अलावा समुद्र में कठिन परीक्षण किया जाएगा।बंदरगाह पर विभिन्न उपकरणों के परीक्षण के बाद स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) के समुद्री परीक्षणों की शुरुआत विशेष रूप से कोविड-19 महामारी केइस कठिन समय के दौरान देश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। कोचीन शिपयार्डलिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा शिपयार्ड और पत्तन, पोत परिवहन औरजलमार्ग मंत्रालय के अधीन एकमात्र शिपयार्ड है। मंत्रालय के पुख़्तासमर्थन से अगस्त 2013 में कोचीन शिपयार्ड के बिल्डिंग डॉक से स्वदेशीविमानवाहक पोत की शुरूआत ने राष्ट्र को एक विमान वाहक डिजाइन का निर्माणकरने में सक्षम देशों की सूची में ला खड़ा किया।

स्वदेशी विमानवाहक पोत की मूल डिजाइन भारतीय नौसेना के नौसेनाडिजाइन निदेशालय द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की गई है और संपूर्णविस्तृत इंजीनियरिंग, निर्माण और सिस्टम का एकीकरण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेडद्वारा किया जाता है। शिपयार्ड ने उन्नत सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जहाज कीविस्तृत इंजीनियरिंग की, जिससे डिजाइनर को जहाज के डिब्बों का पूरा 3 डीदृश्य प्राप्त करने में मदद मिली। यह देश में पहली बार है कि किसीएयरक्राफ्ट कैरियर के आकार का जहाज पूरी तरह से 3डी मॉडल में तैयार कियागया है और 3डी मॉडल से प्रोडक्शन ड्रॉइंग निकाली गई है।

स्वदेशी विमानवाहक पोत देश का सबसे बड़ा युद्धपोत है जिसमेंलगभग 40,000 टन विस्थापन की सुविधा है। जहाज स्वदेशी रूप से विकसित 21,500 टन विशेष ग्रेड स्टील की एक विशाल इस्पात संरचना है और पहली बार इसकाभारतीय नौसेना के जहाजों में उपयोग किया गया है। जहाज की विशालता काअनुमान लगभग 2000 किलोमीटर की केबलिंग, 120 किलोमीटर पाइपिंग और जहाज परउपलब्ध 2300 कम्पार्टमेंट्स से लगाया जा सकता है।

एयरक्राफ्ट कैरियर एक छोटा तैरता हुआ शहर है, जिसमें एकफ्लाइट डेक का इलाका है जो दो फुटबॉल मैदानों के आकार को कवर करता है। स्वदेशी विमानवाहक पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें सुपर स्ट्रक्चर भी शामिल है। ‘विक्रांत’ की अधिकतम गति लगभग 28 समुद्री मील और लगभग 7,500 समुद्री मील की एंड्योरेंस के साथ 18 समुद्रीमील की परिभ्रमण गति है। सुपर स्ट्रक्चर में पांच डेक समेत कुल 14 डेक हैं। जहाज में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट्स हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों केक्रू के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें महिला अधिकारियों को समायोजितकरने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं ।

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इससे लद्दाख में सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख में उमलिंगला दर्रे के पास 19,300 फुट से अधिक की ऊंचाई पर मोटर वाहन चलने योग्य सड़क का निर्माण कर विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उमलिंगला दर्रे से होकर गुजरने वाली 52 किलोमीटर लंबी यह सड़क तारकोल से बनाई गई है और इसने बोलीविया की सबसे ऊंची सड़क के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि बोलीविया ने अपने देश में स्थित ज्वालामुखी उतूरुंकू को जोड़ने के लिए 18,935 फीट की ऊंचाई पर सड़क का निर्माण किया है।

पूर्वी लद्दाख में इस सड़क के निर्माण से क्षेत्र के चूमार सेक्टर के सभी महत्वपूर्ण कस्बे आपस में जुड़ जाएंगे। चिशुमले और देमचोक के लेह से सीधे आवागमन का वैकल्पिक मार्ग का विकल्प उपलब्ध कराने के कारण इस सड़क का स्थानीय लोगों के लिए काफी महत्व है। इसकी मदद से सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और लद्दाख में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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ऐसे ऊंचे स्थानों पर बुनियादी ढांचे का निर्माण अपने आप में चुनौतीपूर्ण और बेहद कठिन होता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ तापमान शून्य से – 40 डिग्री नीचे चला जाता है और इस ऊंचाई पर मैदानी क्षेत्रों के मुक़ाबले ऑक्सीजन का स्तर 50% रह जाता है। बीआरओ यह उपलब्धि अपने कर्मियों के साहस और विपरीत मौसमी स्थितियों में ऊंचे स्थानों पर कार्य करने की क्षमता और कुशलता के चलते प्राप्त कर सका है।

इस सड़क का निर्माण माउंट एवरेस्ट के आधार शिविरों से भी ऊंचे स्थान पर किया गया है। माउंट एवरेस्ट का नेपाल स्थित साउथ बेस कैंप 17,598 फीट पर है जबकि तिब्बत स्थित नॉर्थ बेस कैंप 16,900 फीट की ऊंचाई पर है। इसके अलावा जिस ऊंचाई पर इस सड़क का निर्माण किया गया है वह सियाचीन ग्लेशियर से काफी ऊंचा है। सियाचीन ग्लेशियर की ऊंचाई 17,700 फीट है। लेह में खर्दुंग ला पास भी इस सड़क के निर्माण स्थल से कम 17,582 फीट की ऊंचाई पर है।

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पूर्वोत्‍तर भारत के साथ हवाई संपर्क को मजबूत करने में एक नया मुकाम हासिल

भारत सरकार की आरसीएस-उड़ान (क्षेत्रीय संपर्क योजना- उड़े देश का आम नागरिक) योजना के तहत इम्फाल (मणिपुर) और शिलांग (मेघालय) के बीच पहली सीधी उड़ान सेवा को कल झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस मार्ग का संचालन पूर्वोत्तर भारत के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में हवाई संपर्क को मजबूत करने संबंधी भारत सरकार के उद्देश्यों को पूरा करता है। इस उड़ान के शुभारंभ के दौरान नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अधिकारी उपस्थित थे।

मणिपुर और मेघालय की राजधानी के बीच हवाई संपर्क क्षेत्र के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग रही है। खूबसूरत शहर शिलांग चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है। कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों की मौजूदगी के लिए प्रसिद्ध शिलांग पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए शिक्षा का केंद्र है। सुंदर और शैक्षणिक केंद्र होने के अलावा शिलांग मेघालय का प्रवेश द्वार भी है। यह राज्य भारी वर्षा, गुफाओं, सबसे ऊंचे झरनों, सुंदर दृश्य और अपनी समृद्ध संस्कृति एवं विरासत के लिए प्रसिद्ध है। शिलांग एलीफेंट फॉल्स, शिलांग पीक, उमियाम लेक, सोहपेटबनेंग पीक, डॉन बॉस्को म्यूजियम, लैटलम कैन्यन के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, शिलांग दो फुटबॉल क्लब तैयार करने वाला पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र राजधानी शहर है जो आई-लीग अर्थात् रॉयल वाहिंगदोह एफसी और शिलांग लाजोंग एफसी में भाग लेते हैं। इनके अलावा, शिलांग गोल्फ कोर्स देश के सबसे पुराने गोल्फ कोर्सों में से एक है।

परिवहन का कोई सीधा साधन उपलब्ध न होने के कारण लोगों को इम्फाल से शिलांग पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से 12 घंटे की लंबी यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है अथवा उन्हें गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान सेवा लने के बाद बस सेवा लेनी पड़ती है। इंफाल और शिलांग के बीच यात्रा को पूरी करने में 1 दिन से अधिक का समय लगता है। अब इंफाल से शिलांग के लिए केवल 60 मिनट और शिलांग से इंफाल के लिए 75 मिनट की उड़ान सेवा का विकल्प चुनकर वहां के लोग आसानी से दोनों शहरों के बीच उड़ान भर सकते हैं।

शिलांग उड़ान योजना के तहत इम्फाल से जुड़ने वाला दूसरा शहर है। उड़ान 4 बोली प्रक्रिया के दौरान विमानन कंपनी इंडिगो को इंफाल-शिलांग मार्ग आवंटित किया गया था। हवाई किराये को आम लोगों के लिए उपयुक्त रखने के लिए उड़ान योजना के तहत विमानन कंपनी को वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) प्रदान की जा रही है। विमानन कंपनी इस मार्ग पर सप्ताह में चार उड़ानों का संचालन करेगी और अपने 78 सीटों वाले एटीआर 72 विमानों को तैनात करेगी। फिलहाल इंडिगो 66 उड़ान मार्गों पर परिचालन कर रही है।

उड़ान योजना के तहत अब तक 361 मार्गों और 59 हवाई अड्डों (5 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित) का परिचालन शुरू किया जा चुका है। इस योजना की परिकल्पना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मजबूत हवाई संपर्क स्थापित करने के लिए की गई है जो भारत के विमानन बाजार में एक नया क्षेत्रीय श्रेणी की नींव रखती है।

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प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति पर मुख्यमंत्री से की बातचीत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी से राज्य के कुछ हिस्सों में बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण पैदा हुई बाढ़ की स्थिति पर बातचीत की है। प्रधानमंत्री ने स्थिति की गम्भीरता को कम करने में मदद के लिए केंद्र से हरसंभव सहायता का आश्वासन भी दिया।

पीएमओ के एक ट्वीट में कहा गया है, “पीएम @narendramodi ने राज्य के कुछ हिस्सों में बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण पैदा हुई बाढ़ की स्थिति पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री  @MamataOfficial से बातचीत की। पीएम ने स्थिति की गम्भीरता को कम करने में मदद के लिए केंद्र से हर संभव समर्थन का आश्वासन दिया।

प्रधानमन्त्री श्री  मोदी ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना की है।”

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जन संख्या वृद्धि कानून

1975 में लगाया गया आपातकाल आज भी लोग याद करते हैं और याद करने के साथ-साथ उस वक्त की दबंगई को भी याद करते हैं। –प्रियंका वर्मा आज भी बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है और इसे रोकने के लिए कारगर उपाय किए जाने चाहिए। अब तक जो भी नियम कानून इस मुद्दे को लेकर बने हैं वह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए हैं। आज देश में हर मिनट पर 42 बच्चों का जन्म हो रहा है हर दिन 61,000 बच्चों का जन्म होता है। ये बढ़ती हुई आबादी रोजगार के अवसरों को खत्म कर रही है साथ ही गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या की सबसे बड़ी समस्या स्थान की है, साथ ही बिजली और पानी की भी है। लगातार कट रहे जंगल प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उसका खामियाजा भी हम भुगत रहें हैं। गरीबी और खाद्यान्न की समस्या का कारण जनसंख्या वृद्धि ही है और इसका दुष्प्रभाव चिकित्सा की बद इंतजामी के रूप में भी दिखाई देता है।

योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून शायद राज्य की बढ़ती हुई आबादी को रोकने में सफल हो। ऐसी कई बातें हैं जिन पर अमल किए बिना जनसंख्या वृद्धि को रोक पाना संभव नहीं है। बढ़ती आबादी पर नियंत्रण का लक्ष्य वाकई काबिले तारीफ है। ये नियम कि दो बच्चों से ज्यादा वाले व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी सराहनीय है और एक बच्चा पैदा करने पर कई प्रोत्साहन पुरस्कार की बात भी सराहनीय है। असम सरकार का फैसला भी इस मुद्दे पर काबिले तारीफ है।
आज जरूरत है कि सबसे पहले लोगों में जागरूकता पैदा की जाए। लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की सबसे ज्यादा जरूरत है, ताकि लोगों का मानसिक विकास हो सके। आज कोरना के दौर में लोग सुरक्षा के लिए मास्क तक नहीं लगाते, सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन नहीं करते। ये शिक्षा का ही अभाव है कि वे इसके दुष्परिणामों से अनजान रहते हैं। शिक्षा द्वारा इनका मानसिक विकास के साथ यह सही गलत का फर्क करना समझेंगे साथ ही समाज में फैली रुढ़िवादिता से भी बाहर आ सकेंगे। शिक्षा एक अहम मसला है लोगों को जागरूक करने के लिए साथ ही लोगों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी से लेकर बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभाव से भी अवगत करवा कर सकेगी। जागरूकता के अभाव में व्यक्ति कई – कई बच्चों को जन्म देता है और गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी को बढ़ावा देता है। जनसंख्या वृद्धि के प्रति वही लापरवाह हैं जो शैक्षिक व सामाजिक रूप से पिछड़े हैं।
आज यह भी जरूरी है कि धर्म और आस्था के नाम पर जनसंख्या बढ़ाने जैसी बातों का बहिष्कार किया जाए। जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून धर्म और जाति से दूर रहे और नेताओं के बेतुके बयानों को भी प्रतिबंधित किया जाये साथ ही सभी के लिए एक ही नियम कानून मान्य होना चाहिये। हम कट्टरता से बाहर आकर ही इस योजना को साकार कर सकते हैं। बहुसंख्यक अल्पसंख्यक को मुद्दा ना बनाकर बल्कि जनता के हितों का मुद्दा बनाकर योजनाएं सफल की जा सकती है। परिवार नियोजन की नीति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसके नुकसान – फायदे के बारे में बता कर लोगों को जागरूक किया जाए ताकि सीमित परिवार के साथ साथ स्त्री के स्वास्थ्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। गौरतलब है कि योगी सरकार ने जो नियम कानून प्रस्तावित किया है वो प्रोत्साहन के लिए तो ठीक है लेकिन दंडात्मक प्रावधान से असमानता बढ़ेगी। एक बच्चे की नीति से जनसंख्‍या पर निगेटिव इम्पैक्ट पड़ेगा। यह तात्कालिक उपाय तो हो सकता है लेकिन स्थाई नहीं।
कहीं ऐसा ना हो कि योजनाएं तो बना दी गई लेकिन कार्यान्वित नहीं हो पाईं और कुछ समय बाद ठंडे बस्ते में चली गई। बेहतर होता कि 2021 की (जो कोविड के कारण नहीं हो सकी) जनगणना कराने के बाद नियम कानून बनाने की बात की जाती। कोविड में हमने कितनों को खो दिया व इसका जनसंख्‍या पर क्या असर पड़ा। इसका सही आंकलन अभी तक नहीं हो सका है। 2011-21 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर क्या रही इसका भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

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रफाल लड़ाकू विमान को 101 स्क्वाड्रन में शामिल करने का समारोह 28 जुलाई 2021 को संपन्न हुआ

भारतीय वायु सेना ने 28 जुलाई, 2021 को औपचारिक रूप से पूर्वी वायु कमान (ईएसी) के हासीमारा वायु सेना स्टेशन में रफाल लड़ाकू विमान को 101 स्क्वाड्रन में शामिल किया। चीफ ऑफ द एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी ने इस समारोह की अध्यक्षता की। पूर्वी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, एयर मार्शल अमित देव एवीएसएम वीएसएम द्वारा वायु सेना प्रमुख का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में एक फ्लाई-पास्ट भी हुआ था, जिसके दौरान हासीमारा वायु सेना स्टेशन के लिए रफाल विमान के आगमन की घोषणा की गई और उसके बाद और पारंपरिक वाटर कैनन सलामी हुई ।

स्वागत समारोह के दौरान वायु सेना कर्मियों को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि, पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूती प्रदान करने के महत्व को ध्यान में रखते हुए हासीमारा में रफाल को शामिल करने की योजना सावधानीपूर्वक बनाई गई थी। 101 स्क्वाड्रन के उस गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए, जिसने उन्हें ‘फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ की उपाधि दी, चीफ ऑफ द एयर स्टाफ ने वायु सेना कर्मियों से उनके उत्साह और प्रतिबद्धता को नए रफाल विमानों की बेजोड़ क्षमता के साथ जोड़ने का आग्रह किया। सीएएस ने कहा कि, उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब भी और जहां भी आवश्यकता होगी, स्क्वाड्रन का वर्चस्व बना रहेगा और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि, विरोधी हमेशा उनकी उपस्थिति से भयभीत रहे।

101 स्क्वाड्रन रफाल लड़ाकू विमान से लैस होने वाली भारतीय वायु सेना की दूसरी स्क्वाड्रन है। इस स्क्वाड्रन का गठन 01 मई, 1949 को पालम में किया गया था और गुजरे वक्त में यह हार्वर्ड, स्पिटफायर, वैम्पायर, सु-7 और मिग-21एम विमानों का संचालन कर चुका है। इस स्क्वाड्रन के गौरवशाली इतिहास में 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में सक्रिय भागीदारी शामिल है।

 

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भारतीय नौसेना ने महाराष्ट्र में बाढ़ राहत और निकासी के लिए बचाव दल तैनात किए

चिपलून में पांच और महाड में दो बाढ़ बचाव दल तैनात

रायगढ़ जिले में बचाव के लिए सीकिंग 42 सी हेलिकॉप्टर भी तैनात

नौसेना के बाढ़ बचाव दल जेमिनी रबर बोटप्राथमिक चिकित्सा किट और बचाव गियर से लैस

शॉर्ट नोटिस पर और बचाव दल तैनाती के लिए स्टैंडबाय पर

महाराष्ट्र सरकार से प्राप्त अनुरोध के आधार पर, मुंबई स्थित पश्चिमी नौसेना कमान ने राज्य प्रशासन को सहायता प्रदान करने के लिए बाढ़ बचाव दल और हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं।

प्रतिकूल मौसमी हालात और प्रभावित क्षेत्रों में आई व्यापक बाढ़ के बावजूद, कुल सात नौसैनिक बचाव दल 22 जुलाई 2021 को मुंबई से रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों में तैनाती के लिए सड़क मार्ग से रवाना हुए। रायगढ़ जिले से भी फंसे हुए कर्मियों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है। आईएनएस शिकारा, मुंबई से एक सीकिंग 42सी हेलीकॉप्टर 23 जुलाई 2021 को सुबह के समय पोलादपुर/ रायगढ़ में बचाव के लिए रवाना हुआ।

नौसेना के बाढ़ बचाव दल पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं और जेमिनी रबर बोट, लाउड हैलर, प्राथमिक चिकित्सा किट और लाइफ जैकेट से लैस हैं। इन बचाव दलों में विशेषज्ञ नौसेना गोताखोर और गोताखोरी उपकरण भी शामिल हैं।

जरूरत पड़ने पर तत्काल तैनाती के लिए मुंबई में अतिरिक्त बाढ़ बचाव दल को उच्च स्तरीय तैयारी पर तैयार रखा जा रहा है।

 

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डीआरडीओ ने आकाश-एनजी का सफल परीक्षण किया

  • तीन दिन में दूसरा सफल उड़ान परीक्षण
  • उच्च स्तरीय गति से आने वाले एवं फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम
  • भारतीय वायु सेना की रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व इज़ाफ़ा करेगा
  • रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ को बधाई दी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दिनांक 23 जुलाई, 2021 को सुबह 11:45 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से नई पीढ़ी की आकाश (आकाश-एनजी) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया गया। यह परीक्षण एक उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के विरुद्ध किया गया था जिसे मिसाइल द्वारा सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया गया। उड़ान परीक्षण से स्वदेशी मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ मिसाइल से युक्त संपूर्ण हथियार प्रणाली के कामकाज को मान्यता मिली है। इस हथियार प्रणाली का खराब मौसमी हालात में परीक्षण किया गया था जिसने इस हथियार प्रणाली की हर मौसम में काम करने की क्षमता को सिद्ध कर दिया।

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आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात अनेक राडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम द्वारा हासिल किए गए डेटा के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के प्रदर्शन को मान्य किया गया। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की एक टीम ने यह परीक्षण देखा।

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दिनांक 21 जुलाई, 2021 को सीकर बग़ैर मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया और मिशन की सभी आवश्यकताएं पूरी हुईं।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने तीन दिनों के अंतराल में आकाश-एनजी के दूसरे सफल उड़ान परीक्षण पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली का विकास भारतीय वायु सेना की वायु रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि करने वाला साबित होगा।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने आकाश एनजी के सफल परीक्षण के लिए टीमों को बधाई दी जो उच्च स्तरीय गति से आने वाले एवं फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम है।

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मई-जून 2021 के दौरान 73.46 लाख मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न का वितरण किया गया

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि, कोरोना महामारी की वजह से आये आर्थिक व्यवधान के कारण समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को 30 नवंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।

इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच)] के अंतर्गत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को अनाज का मुफ्त वितरण करने के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को खाद्यान्न आवंटित किया गया है। इनमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये सहायता प्राप्त करने वाले परिवार भी शामिल हैं। योजना के तहत चिंहित किये गए लाभार्थियों की संख्या लगभग 80 करोड़ है, हालांकि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा समय-समय पर की गई लाभार्थियों की पहचान के आधार पर इसमें परिवर्तन होता है।

एनएफएसए को केंद्र और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की संयुक्त जिम्मेदारी के तहत लागू किया गया है। यद्यपि केंद्र राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक खाद्यान्नों के आवंटन में, प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में निर्दिष्ट डिपो तक खाद्यान्न के परिवहन और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से खाद्यान्नों की डिलीवरी उचित मूल्य की दुकान तक कराने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। वहीं राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह हैं, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ पात्र लाभार्थियों की पहचान, उन्हें राशन कार्ड जारी करना, उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के माध्यम से पात्र लाभार्थियों को खाद्यान्न का वितरण, प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का आवश्यक सुदृढ़ीकरण करना भी शामिल है।

वर्ष 2020 (पीएमजीकेएवाई-I और II) के दौरान पीएमजीकेएवाई-2020 (अप्रैल-नवंबर 2020) के तहत 322 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के कुल आवंटन में से लगभग 298.8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (यानी करीब 93%) का वितरण राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया गया है।

अब तक 2021 (पीएमजीकेएवाई III) के दौरान (मई-जून 2021 में) लगभग 75.51 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के कुल आवंटन में से करीब 73.46 लाख मीट्रिक टन (यानी लगभग 97%) खाद्यान्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा वितरित किया गया है

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भारत दुनिया के सभी लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए जी-20 देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है : भूपेंद्र यादव

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा कि भारत एक ऐसे बेहतर विश्व, जिसमें कोई भी पीछे न छूटे, के लिए जी20 देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही इस ग्रह व यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ मजबूती से खड़ा है।

जी20 पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए पर्यावरण मंत्री ने मौजूदा कोविड-19 संकट से निपटने के लिए एक सामूहिक वैश्विक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा कि इस दिशा में विकासशील देशों को पहले से कहीं ज्यादा हर संभावित मदद की जरूरत है। आज नेपल्स, इटली में हुई जी20 पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने श्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भाग लिया।

‘प्रकृति आधारित समाधानों’ (एनबीएस) और टिकाऊ वित्त पर भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि संदर्भ और योजनाएं आर्थिक विकास के चरण, राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होनी चाहिए और विकासशील देशों की प्रतिस्पर्धा, समानता व विकास की कीमत पर इनका निर्धारण नहीं होना चाहिए।

समुद्री कूड़े की समस्या से पार पाने के मुद्दे पर, श्री यादव ने जोर देकर कहा कि भारत ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर स्वैच्छिक नियामकीय कदम उठाए हैं और उन्होंने याद दिलाया कि 2019 में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा (यूएनईए) में भारत ने “एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के उत्पादों के प्रदूषण के समाधान” पर रिजॉल्युशन संख्या 4/9 अलग से पेश किया था।

केंद्रीय मंत्री ने संसाधन दक्षता (आरई) और सर्कुलर इकोनॉमी (सीई) पर भारत द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जी20 संसाधन दक्षता संवाद से आरई और सीई पर विचारों, जानकारियों के आदान-प्रदान को मजबूती और बेहतर भविष्य के लिए टिकाऊ व समानता के साथ संसाधनों के उपयोग को समर्थन देना चाहिए।

दिन भर चली बैठक के दौरान, भारत ने यूनेस्को की इंटरनेशनल एन्वायरमेंट एक्सपर्ट्स नेटवर्क; 2030 तक वैश्विक भू क्षेत्र और समुद्रों की कम से कम 30 प्रतिशत रक्षा; 2030 तक लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी; समुद्री प्लास्टिक कचरे पर जी20 कार्यान्वयन रूपरेखा पर तीसरी रिपोर्ट आदि वैश्विक पहलों का स्वागत किया।

भारत ने पानी पर जी20 संवाद का भी स्वागत किया, लेकिन राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखने की बात दोहराई। साथ ही 2020 के बाद के जैव विविधता फ्रेमवर्क को प्रभावी और कार्यान्वयन योग्य बनाने पर जोर दिया।

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