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महिला जगत

एसएन सेन महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के परामर्श केंद्र द्वारा आत्महत्या रोकथाम सप्ताह ” के अंतर्गत भाषण प्रतियोगिता एवं व्याख्यान का आयोजन

कानपुर 17 सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एसएन सेन महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के परामर्श केंद्र द्वारा दिनांक 16.09.22 को एक भाषण प्रतियोगिता एवं व्याख्यान का आयोजन “आत्महत्या रोकथाम सप्ताह ” के अंतर्गत किया गया, कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन से हुआ दीप प्रज्वलन के पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सुमन ने अपने आशीर्वचन से कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान समय में आत्महत्या एक गंभीर समस्या है इस तरह के कार्यक्रमों द्वारा हम छात्राओं को जागरूक करते हैं इसके दुष्परिणामों से ताकि वह आत्महत्या करने का कदम कभी ना उठाएं l इसके बाद मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ मोनिका सहाय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि आत्महत्या एक अभिशाप है और हम छोटे-छोटे प्रयासों के द्वारा इस समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं,

इसके उपरांत डॉक्टर आभा सक्सेना जो मनोवैज्ञानिक है pious vision मैं ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हमारे आस पास कोई व्यक्ति असामान्य व्यवहार करता दिखे या स्वयं के लिए ऐसा महसूस करें तो वह किसी परामर्शदाता से ,दोस्तों से, या परिवार के सदस्यों को इस बात को जरूर बताएं जिससे कि उनकी इस समस्या का समाधान हो सके और आत्महत्या के लिए वे प्रेरित ना हो जाए, इसके बाद प्रतियोगिता के विजेताओं का नाम घोषित किया गया जो निम्न प्रकार से हैं:-
प्रथम स्थान सुरभि श्रीवास्तव

द्वितीय स्थान अदिति साहू

तृतीय स्थान अंशिका पाल

सांत्वना पुरस्कार 1 भूमिका सिंह

सांत्वना पुरस्कार 2 शिवानी यादव

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग की प्रवक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर प्रीति यादव ने किया कार्यक्रम का सफल संचालन मनोविज्ञान विभाग की प्रवक्ता डॉ अंजना गुप्ता द्वारा किया गया, मनोविज्ञान विभाग की अन्य प्रवक्ताओं सुश्री सौम्या श्रीवास्तव एवं सुश्री मयूरिका गुप्ता का भी कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग रहा, कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं एवं छात्राएं उपस्थित रहे।

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एस एन सेन बा• वि• पी• जी• कॉलेज के विज्ञान संकाय में अंतरमहाविद्यालयीय मॉडल प्रतियोगिता का आयोजन

कानपुर 16 सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बा• वि• पी• जी• कॉलेज के विज्ञान संकाय में अंतरमहाविद्यालयीय मॉडल प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें 10 महाविद्यालयों ने प्रतिभाग किया।
वर्तमान समय में ओजोन परत जो हमारी पृथ्वी का सुरक्षा आवरण है, क्षतिग्रस्त होने के कारण पृथ्वी पर हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों का प्रवेश मानव जाति तथा पृथ्वी को हानि पहुंचा रहा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं और जलवायु परिवर्तन, असामान्य वर्षा, बढ़ता तापमान, बर्फ का पिघलना तथा समुद्र तल में उन्नयन हो रहा है।
इसीलिए ओज़ोन दिवस के अवसर पर छात्रों तथा समाज में जागरूकता उत्पन्न करने हेतु इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ• सुमन ने फीता काटकर किया।प्राचार्या डॉ• सुमन, दलहन अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ• अकरम, चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ• एस• के• बिस्वास, रसायन विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ• गार्गी यादव तथा वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ• प्रीति सिंह ने दीप प्रज्वलित कर के किया। डॉ• अकरम तथा डॉ• बिस्वास ने छात्र- छात्राओं के मॉडलों का निरीक्षण एवं मूल्यांकन किया। मॉडलों के प्रदर्शन तथा छात्र-छात्राओं ने सरल शब्दों में अनेक समस्याओं तथा समाधानों को बताया। सभी ने छात्रों के प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रतियोगिता के परिणाम में –
प्रथम पुरस्कार -एस एन सेन महाविद्यालय की अमल सिद्दीक़ी, गरिमा कुशवाह तथा मुस्कान बी एस सी।तृतीय वर्ष

द्वितीय पुरस्कार -डी ए वी महाविद्यालय की सलोनी गंगवर,वर्तिका वर्मा तथा आकांशा शर्मा बी एस सी तृतीय वर्ष

तृतीय पुरस्कार -डी ऐ वी महाविद्यालय की कुमारी रागिनी तथा अक्षय कुमार बी एस सी द्वितीय वर्ष

सांत्वना पुरस्कार – डी बी एस महाविद्यालय रवि अहिरवार तथा आशी बी एस सी द्वितीय
ब्रह्मावर्त महाविद्यालय वर्तिका बाजपेई तथा स्नेहा शर्मा
पी पी एन महाविद्यालय की अस्ना खान बी एस सी प्रथम वर्ष

कार्यक्रम का संचालन डॉ• प्रीति सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्या डॉ• सुमन ने किया। डॉ• शैल वाजपाई, डॉ• शिवांगी यादव, डॉ• अमिता सिंह, डॉ• समीक्षा सिंह, कु• ज़ेबा आफरोज़ तथा कु• स्नेह त्रिवेदी ने कार्यक्रम में सक्रिय योगदान दिया।

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एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा (01-15 सितंबर 2022) के अंतर्गत “Beat Plastic Pollution” विषय पर वेबीनार का आयोजन

कानपुर 15 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज, कानपुर में अंग्रेजी विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्देशित स्वच्छता पखवाड़ा (०1-15 सितंबर 2022) के तत्वावधान में “Beat Plastic Pollution” विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का शुभारंभ अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापिका श्रीमती कोमल सरोज ने किया| अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) अलका टंडन ने विषय का परिचय दिया| महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सुमन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं वक्ता रही| प्राचार्या महोदया ने अपने वक्तव्य में वर्तमान जीवन में प्लास्टिक के अतिशय प्रयोग पर प्रकाश डालते हुए एकल प्रयोग प्लास्टिक का बहिष्कार करने की बात कही| उन्होंने जीव, जंतुओं, नदियों एवं समुद्रों पर प्लास्टिक के भयानक दुष्प्रभाव को उजागर किया तथा कपड़े के बैग के प्रयोग पर जोर दिया| महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने आम जीवन में प्लास्टिक का प्रयोग न करने पर बल दिया| रसायन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ गार्गी यादव ने प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने की बात कही| शारीरिक शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति पांडे ने प्लास्टिक के दुष्प्रभाव पर एक सुंदर कविता प्रस्तुत की| वनस्पति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति सिंह ने गाय एवं मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्लास्टिक के परस्पर दुष्प्रभाव पर पीपीटी प्रस्तुत किया| समाजशास्त्र की डॉ मीनाक्षी व्यास ने प्रत्येक व्यक्ति को भावी पीढ़ी के भविष्य हेतु स्वयं प्लास्टिक का प्रयोग न करने का प्रण लेने की बात कही| शिक्षा विभाग की श्रीमती रिचा सिंह ने गाय एवं समुद्री जीव के कल्याण हेतु सरकार के प्रयास के बारे में हमें जागरूक किया| इस वेबिनार में महाविद्यालय की समस्त शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया| श्रेया दीक्षित और ओमाक्षी पंडित ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ पूजा गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया|

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हिन्दी दिवस

हम गुलाम इसलिए हुए क्योंकि हमने अपने देश मे विदेशियों को आने दिया वो तो चले गये लेकिन उनकी भाषा का जाल इस कदर फैला है ।जिस वजह से हम आज हिन्दी दिवस मना रहे । कभी सुना है इंग्लिश डे मनाते हुए नही न? तो अपने देश अपनी भाषा का सम्मान करें जन जन मे यह जागरूकता फैलाए कि हिन्दी पढना ,बोलना ,लिखना आना ही चाहिए । अब बात ये है कि हम हिन्दुस्तानी अपनी ही भाषा हिन्दी को दिवस के रूप मे मनाने कि क्या जरूरत आ पड़ी? क्या हम मजबूर हैं अपने ही देश अपनी मात्र भाषा को बोलने ,पढने ,लिखने मे ? भाषा कोई त्योहार नही जो कुछ दिन मना कर हम भूल जायें।इसलिए मनाए नही इसे अपने जीवन मे गर्व से शामिल करें 💐🙏अपर्णा सिंह लखनऊ 

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किरण बजाज को मिला शिक्षा रत्न सम्मान

भारतीय स्वरुप संवाददाता, विगत दिवस सर्व जागरूक संगठन की जिला अध्यक्ष व किरण क्लासेस की फाउंडर किरण बजाज को पैरामाउंट इंटरनेशनल स्कूल दिल्ली में शिक्षा रत्न सम्मान से नवाजा गया। परिवार के फाउंडर राजू गावरी को गेस्ट ऑफ ऑनर मिला, जिस तरह आज चारों तरफ शिक्षा के क्षेत्र में आशातीत प्रयास हो रहे हैं उसी तरह से जीनियस ब्रेन एवं एचआरडी मिशन में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए जीत तोड़ प्रयास कर रहे हैं, जिस प्रकार एक राष्ट्र के लिए पैसे व इकनोमिक की महत्वता होती है वह तभी प्राप्त हो सकती है जब वह शैक्षिक रूप से मजबूत हो हमारे देश के अध्यापक राष्ट्र के निर्माण के लिए अहम भूमिका निभा रहे हैं आज पैरामाउंट इंटरनेशनल स्कूल दिल्ली के प्रांगण में जीनियस ब्रेन विद एचआरडी मिशन ने शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रयास कर रहे एनजीओ, स्कूल, प्रिंसिपल, एजुकेटर को शिक्षा रत्न प्रदान करते हुए आज देश के राष्ट्र निर्माता यानी शिक्षक को सम्मानित किया गया| सर्व जागरूक संगठन व किरण क्लासेस की फाउंडर किरण बजाज जो कि बहुत से पिछड़े वर्ग के बच्चों व फिजिकल चैलेंज बच्चों को उठाने का निरंतर प्रयास कर रही हैं| उन्हें उनके सराहनीय प्रयास के लिए सम्मानित किया गया| वहीं हम सब साथ सम्मिलित परिवार जो कि एक ऐसा परिवार है जो तारक मेहता का उल्टा चश्मा से इंस्पायर्ड हुआ है| परिवार की ताकत को समझता हुआ वसुदेव कुटुंबकम को साबित करता है |जहां एक तरफ परिवार एकल हो रहे हैं और अपना मूल्य खो रहे हैं वही हम सब साथ सम्मिलित परिवार जो कि बढ़ चढ़कर परिवारिक रुप को महत्व देता हुआ सबका साथ व सबके विकास को सिद्ध करता हुआ आगे बढ़ रहा है| इनके फाऊंडर राजू गावरी जी जो कि सर्व जागरूक संगठन में भी सराहनीय कदम उठा रहे हैं| बाकी पूरे देश में से 100 स्कूल के शिक्षक वहां पर उपस्थित रहे| गुजरात से दिल्ली से सिरसा से हरियाणा से पंजाब से चंडीगढ़ से बहुत सारे जिलों से शिक्षक पहुंचे| वहां हम सब साथ सम्मिलित परिवार व सर्व जागरूक संगठन की टीम और किरण बजाज जिला अध्यक्ष व राजू गावरी फाउंडर चेयरपर्सन ऑफ हम सब साथ सम्मिलित परिवार, संदीप दीक्षित जी, प्राची अरोड़ा , मीना रानी जी, नीरज मलिक , कुसुमलता राठौर भी उस मौके पर मौजूद रहे

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में 5 दिवसीय शिक्षक पर्व का संपन्न

कानपुर 10 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर में उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार शिक्षक दिवस के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 5 सितंबर 2022 से 9 सितंबर 2022 तक मनाए जा रहे शिक्षक पर्व के पांचवे और अंतिम दिवस का शुभारंभ महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव एवम् प्रथम विशिष्ट अतिथि श्री प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव एवम् द्वितीय विशिष्ट अतिथि श्री शुभ्रो सेन, कोषाध्यक्ष एवम् आज की मुख्य अतिथि श्रीमति दीपाश्री सेन, आज के कार्यक्रम की अध्यक्षा एवम् प्राचार्या प्रो. सुमन, समापन सत्र प्रभारी प्रो. निशी प्रकाश एवम् शिक्षक पर्व प्रभारी प्रो. रेखा चौबे ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के द्वारा किया। श्रीमति ऋचा सिंह ने अपनी मधुर वाणी में सरस्वती वंदन कर सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंचासीन अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ के द्वारा किया गया। प्रो. निशी प्रकाश ने स्वागत उद्बोधन दिया एवम् प्रो. रेखा चौबे ने पंच दिवसीय शिक्षक पर्व के अन्तर्गत संपादित कार्यक्रम – संकाय शिक्षकों का अभिवादन, अतिथि व्याख्यान, आशुवाचन प्रतियोगिता, वेबीनार, पोस्टर प्रदर्शनी, पुस्तक वाचन एवम् पैनल चर्चा आदि को समग्र रूप से सदन में प्रस्तुत किया जिसे श्रीमति रोली मिश्रा द्वारा एक वीडियो में संग्रहित कर प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम श्रृंखला में आज छात्राओं हेतु लघु चल चित्र प्रदर्शन में शैक्षिक फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई जिससे सभी छात्राएं आनन्दित थीं।

प्राचार्या प्रो. सुमन ने मुख्य अतिथि श्रीमति दीपाश्री सेन को उत्तरीय तथा सरस्वती सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया। सेन महाविद्यालय एक महिला शिक्षक के रूप में श्रीमति दीपाश्री सेन को सम्मानित कर हर्ष का अनुभव कर रहा है। मुख्य अतिथि ने अपने वक्तव्य में सेन परिवार के शैक्षिक कार्यों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए समस्त महिला शिक्षकों का भावविभोर अभिवादन किया। विशिष्ट अतिथि श्री शुभ्रो सेन ने महाविद्यालय उत्थान में शिक्षकों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। अंत में प्रो. सुमन की ओजस्वी वाणी ने कार्यक्रम के समापन में चार चांद लगा दिए। मंच संचालन श्रीमति किरन एवम् डॉ. प्रीती पांडेय ने संयुक्त रूप से किया। शैक्षिक पर्व समिति ने कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। इस अवसर महाविद्यालय परिवार की उपस्थिति ने वातावरण को जीवंतता प्रदान की।

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एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज में शिक्षक पर्व के चौथे दिन ‘ गुरु शिष्य संबंधों की वर्तमान शिक्षा नीति 2020 के परिदृश्य में प्रासंगिकता’ विषय पर चर्चा हुई

कानपुर 8 सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज, कानपुर में 5-09-2022 से 9 -09-2022 तक मनाए जाने वाले शिक्षक पर्व के चौथे दिन आज दिनांक 8 सितंबर 2022 को ‘ गुरु शिष्य संबंधों की वर्तमान शिक्षा नीति 2020 के परिदृश्य में प्रासंगिकता’ विषय पर पैनल चर्चा की गई जिसमें महाविद्यालय की शिक्षिकाओं और छात्राओं ने भाग लिया। पैनल चर्चा में शामिल मुख्य सदस्य थे- कैप्टन ममता अग्रवाल,श्रीमती किरण,डॉ. प्रीति पांडे, प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास, ,डॉ .प्रीति सिंह, डॉ. पूजा गुप्ता, डॉ. संगीता सिंह,डॉ. शिवांगी यादव, डॉ.अमिता। सर्वप्रथम शिक्षक पर्व कार्यक्रम की प्रभारी डॉ. रेखा चौबे एवं अतिथिगण डॉ अलका टंडन, डॉ.गार्गी यादव, डॉ. निशा अग्रवाल ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने गुरु को मां के समान बताया। कैप्टन ममता अग्रवाल जी ने प्राचीन वैदिक काल के गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर बल देते हुए तकनीकी परिवर्तन के महत्व को भी स्वीकारा। श्रीमती किरण ने बताया कि गुरु शिष्य परंपरा तभी संभव है जब गुरु के अंदर करुणा और शिष्य के अंदर विनम्रता का भाव हो। प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास ने शिक्षक के महत्व को बताते हुए कहा कि आधुनिकता और परंपरा का समन्वय ही भारत को थिंक टैंक के रूप में विकसित कर सकता है। डॉ प्रीति पांडे ने NEP 2020 की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक -छात्र का संबंध किस तरह से हो कि छात्र गुरु से ज्ञान प्राप्त करें और समाज में आत्मनिर्भर बन सकें।डॉ. प्रीति सिंह ने बताया कि तकनीकी का प्रयोग करके शिक्षक अपने ज्ञान का हस्तांतरण दूर बैठे छात्र को कर सकता है।डॉ संगीता सिंह ने प्रश्न उठाया की आख़िर ऐसा क्या किया जाए की छात्र औपचारिक संस्थाओं में आए और हम शिक्षकों से जुड़ाव महसूस करे।डॉक्टर पूजा गुप्ता ने गुरु शिष्य परंपरा पर बल देते हुए कहा कि न केवल गुरु शिष्य को ज्ञान देता है बल्कि शिष्य भी नई तकनीकी को सीखने में गुरु की मदद करता है।डॉ. अमिता सिंह ने बताया की सिखाने के लिए आवश्यक नही है की हमें कोई गुरु ही सिखाए, हम जीवन अनुभवों से भी सीख सकते है। डॉक्टर शिवांगी यादव ने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए गुरु और शिष्य के महत्व पर प्रकाश डाला।प्राचार्य डॉ. सुमन ने इस कार्यक्रम के आयोजन की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए शिक्षक और छात्र के संबंध में आई दूरी को वजह बताया उन्होंने सभी छात्रों को शिक्षक के सहयोग से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की एनएसएस इकाई द्वारा मनाए जाने वाले *’राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’* के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन

कानपुर 7 सितंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की एनएसएस इकाई के द्वारा पोषण एवं स्वास्थ्य के तहत मनाए जाने वाले *’राष्ट्रीय पोषण सप्ताह’* के अंतर्गत एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें रीजेंसी हॉस्पिटल से डॉ० जया अग्रवाल ने कुपोषण, उससे होने वाली बीमारियों, संतुलित आहार और पोषण के महत्व के बारे में अवगत कराया। प्राचार्य प्रो. सुनंदा दुबे ने रीजेंसी अस्पताल से आई टीम का स्वागत करते हुए भारत सरकार के द्वारा पोषण पूर्ति व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए चलाए जा रहे अभियान *पोषण माह* की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कार्यक्रम का संचालन भूगोल विभाग की असि. प्रो. डॉ अंजना श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद एनएसएस प्रभारी डॉ संगीता सिरोही ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. साधना सिंह, कु० श्वेता गौड़, आकांक्षा अस्थाना एवं सभी छात्राओं ने सक्रिय प्रतिभागिता की।

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एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज में शिक्षक पर्व के तीसरे दिन पुस्तक वाचन एवं प्रदर्शनी का आयोजन

एस .एन. सेन बी. वी.पी.जी.कॉलेज, कानपुर में 5-09-2022 से 9 -09-2022 तक मनाए जाने वाले शिक्षक पर्व के तीसरे दिन आज  दो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया -पहला कार्यक्रम पुस्तक वाचन एवं दूसरा प्रदर्शनी। पुस्तक वाचन कार्यक्रम का आयोजन दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष श्रीमती किरण एवं उनकी सहयोगी रोली मिश्रा, डॉक्टर पूजा गुप्ता एवं डॉक्टर संगीता सिंह ने किया। पुस्तक वाचन कार्यक्रम में विभिन्न संकाय से लगभग 50 छात्राओं एवं शिक्षिकाओं ने हिस्सा लिया। छात्राओं द्वारा अंग्रेजी कविता, उपन्यास,हिंदी कविताओं एवं संस्कृत श्लोक का वाचन किया गया। इसके उपरांत संबंधित विभाग की शिक्षिकाओं ने उन्हें आकर्षक ढंग से प्रस्तुति के गुर सिखाए।इस कार्यक्रम में अपेक्षा शुक्ला ,यास्मीन बानो, रोशनी सिंह, हर्षिता साहू के द्वारा सुंदर ढंग से प्रस्तुति करने के उपरांत उन्हें प्रमाण पत्र दिया गया। इसके उपरांत प्राचार्य डॉ सुमन ने सभी छात्राओं को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि पुस्तकें हमारे देश एवं संस्कृति से सरोकार रखती है ,अतः सभी लोग नियमित रूप से पुस्तक पढ़ें।कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती किरण ने सभी शिक्षकों एवं छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
दिन के दूसरे कार्यक्रम पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन सितार विभाग की विभागाध्यक्ष कैप्टन ममता अग्रवाल एवं उनकी सहयोगी रोली मिश्रा ने किया। अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अलका टंडन एवं समाजशास्त्र की प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास ने निर्णायक का कार्य किया। इस प्रतियोगिता में लगभग 35 छात्राओं ने सहभागिता की जिसमें प्रथम पुरस्कार बीए तृतीय वर्ष की छात्रा संस्कृति पॉल ,द्वितीय पुरस्कार बीए तृतीय वर्ष की छात्रा रोशनी सिंह ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान दो छात्राओं ने प्राप्त किया बीए प्रथम वर्ष की गुल्फ़िशा एवं बी. ए. तृतीय वर्ष की यासमीन। सांत्वना पुरस्कार बी. ए.तृतीय वर्ष की छात्रा ओमाक्षी पंडित को मिला। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य जी ने प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए कैप्टन ममता अग्रवाल एवं उनकी टीम को बधाई एवं धन्यवाद ज्ञापित किया तथा इस प्रतियोगिता में आगे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए सभी छात्राओं को प्रोत्साहित किया।शिक्षक पर्व कार्यक्रम की प्रभारी समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर निशि प्रकाश एवं प्रोफेसर रेखा चौबे के सफल मार्गदर्शन से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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एक ख्वाब से मुलाकात

ज की रात भारी थी शिफ़ा पर।शिफ़ा कभी करवट इधर ले रही थी कभी उधर।नींद का कोई नामों निशान नही था।आज बरसों के बाद मानवी की पार्टी मे उसने कबीर को देखा जो अपनी पत्नी के साथ था।जैसे ही शिफ़ा पार्टी मे पहुँची तो वो पार्टी से जा रहा था सिर्फ़ आँखे मिली और दोनो की धड़कनें जैसे रूक सी गई।बरसों बाद यू आमना सामना हुआ तो भरी आँखों से इक दूजे को देखते रह गए और बात भी नही हुई।आज शिफ़ा इस उदासी का कारण समझ नहीं पा रही थी।सोच रही थी ,आज कंयू बेचैन है वो।क्यों हलचल सी है उसके मन में।मगर कुछ बातों का कोई जवाब नहीं होता।शिफ़ा ने उठ कर खिड़की बंद कर दी।आज बाहर बिजली खूब गरज कर चमक रही थी और तेज बारिश की बौछारें खिड़कियों पर ज़ोर ज़ोर से दस्तक दे रही थी,ठीक उसके दिल की तरह ,जहां पुरानी यादें ज़ोरों से दस्तक देने को आतुर हो रही थी।बहुत कोशिश कर रही थी पुरानी यादो की भीड़ मे न जाये ,मगर हर कोशिश आज जैसे नाकाम हो रही थी।उसे याद आया कि वो कैसे कबीर को और कबीर उसे ,छत से देखा करते थे।कैसे वो दोनों इक दूजे को चाहते थे।कबीर उस के घर के पास ही रहता था।घर मे आना जाना भी था मगर दोनों ही कभी कुछ कह नही पायें।मगर अकसर वो कबीर को कालेज से आते वक़्त अपनी बस मे देखा करती, मगर कभी हिम्मत नही हुई कि दोनों बात करे।अक्सर कोई मंचला लड़का अगर शिफ़ा को तंग करने पीछे पीछे आ रहा होता और फिर कैसे कबीर बस से उतर कर शिफ़ा के पास पास चलना शुरू कर देता कि ताकि वो सही सलामत घर पहुँच जाये,और किस तरह उसे सुरक्षित होने का अहसास करवा दिया करता। इक ऐसा ही रिश्ता था जो बहुत गहरा तो था मगर ख़ामोश सा।जैसे तैसे सोचते सोचते शिफ़ा की आँख लग गई।सुबह रात न सोने की वजह से सिर भारी सा था।खिड़की के पास बैठी शिफ़ा, चाय पीते पीते सामने पहाड़ों को निहार रही थी।रात बारिश की वजह से पेड़ों से भरे पहाड़ और भी सुन्दर दिख रहे थे।इक सौंधी सौंधी सी महक पूरे वातावरण को महका रही थी,मगर सोच फिर कबीर से जा जुड़ी।सोचने लगी !
कैसे कालेज ख़त्म होते ही जल्दी ही उसकी शादी शुभम से हो गई और वो शुभम के साथ इन शिमला की पहाड़ियों में आ कर बस गई ।शुभम उसका पति उसे बहुत प्यार करता था।ख़ुश थी अपनी ज़िंदगी में ,शिफा ने शुभम को उठाया और चाय दे कर कहा! जल्दी उठ जायें,आज आप की मीटिंग भी है।शुभम जल्दी ही तैयार हो कर आफ़िस चला गया।शिफ़ा को पता ही नहीं चला कि कब से उसका मोबाइल फ़ोन बज रहा था।जब देखा तो कबीर का फ़ोन था,जैसे इन्तज़ार ही कर रही थी जब कि वो अच्छे से जानती भी थी कि कबीर के पास उसका फ़ोन नम्बर नही है।शिफ़ा ने धड़कते दिल से फ़ोन उठाया उधर कबीर ही था।कबीर की आवाज़ आज बरसों बाद सुन रही थी।
हैलो !हाय !से आगे बात बढ़ ही नही रही थी।तब शिफ़ा ने पूछा !तुम्हें मेरा नम्बर कहाँ से मिला।कबीर ने बताया कल तुम्हें देखा ,तो रहा नहीं गया और मैंने तुम्हारा नम्बर तुम्हारी सहेली मानवी से ले लिया।कबीर बोलता जा रहा था, सवाल पर सवाल करता जा रहा था और फिर शिफ़ा से पूछा ?तुम्हारे शहर में हूँ ,क्या आज दोपहर को मेरे साथ काफ़ी पी सकती हो।शिफ़ा को खुद भी ये अहसास नहीं हुआ कि कैसे,उसने कितनी सहजता से कबीर को मिलने के लिए हाँ कह दी।शिफ़ा फ़्री भी थी तो सोचा चली जाती
हूँ।झट से तैयार हुई और कैफ़े में पहुँच गई।शिफ़ा को आते देख कबीर की धड़कन बहुत तेज हो रही थी।बरसों बाद रूबरू हो रहे थे दोनों।शिफ़ा को देख कर उसे वही बचपन वाली शिफ़ा दिखाई दी।सुन्दर शान्त और साडी में लिपटी हुई।शिफ़ा की सादगी पर तो हमेशा से मरता था कबीर।आज भी जैसे उसके सादेपन ने कबीर को दिवाना बना दिया।शिफ़ा को बस देखता रह गया ,तो शिफ़ा भी थोड़ा झेंप सी गई।कबीर कहने लगा तुम बिलकुल नहीं बदली ,ठीक वैसी ही हो ,जैसे कालेज के दिनों में थी।शिफ़ा ने बड़ी हिम्मत करके कबीर की आँखों में देखा।कबीर की बड़ी बड़ी आँखें ,ये वही आँखे थी जो शिफ़ा को अक्सर बेचैन कर दिया करती थी कभी।कितनी दफ़ा शिफ़ा ने कबीर की आँखों को काग़ज़ पर पेंसिल से बना डाला था।देख रही थी, कुछ भी तो नहीं बदला।आज भी कबीर की आँखों में वही कशिश महसूस कर रही है।आज भी कबीर को देख कर उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा है।कुछ पल दोनों बेसुध से ,ख़ामोशी से इक दूजे को देखते रहे।समझ नहीं आ रहा था।कहाँ से बात शुरू करें क्योंकि कहने को बहुत कुछ था मगर, न तो पहले से हालात थे ,न ही पहले सा वक़्त।
फिर कबीर ने ही ख़ामोशी को तोड़ते हुए शिफ़ा से पूछा ?शिफ़ा !क्या पियोगी चाय या काफ़ी? शिफ़ा ने कहा ! काफ़ी ही ठीक रहेगी।आज ठण्ड भी बहुत है और शिफ़ा खुद में सिमटती हुई कबीर के पास बैठ गई।कबीर बोला ! शिफ़ा मैं आज इतना ख़ुश हूँ ,शायद पहले कभी नहीं हुआ मगर इक तुम्हारी शिकायत तुमसे ही करनी है ,वो ये ,तुमने शादी करके मुझे कितना पराया कर दिया।न ही कोई वजह बताई बस मुझे कुछ कहे बग़ैर ही शादी कर ली तुमने।तुम्हारा कभी मन नहीं हुआ मिलने को ?कभी याद नहीं आई मेरी ?शिफ़ा हम दोनो ही इक दूजे को चाहते थे।चाहते थे न ?ये बात तुम्हें भी और मुझे भी पता है तो फिर ये क्या हुआ? कंयू तुम न कह सकी ? कंयू मैं न कह सका ? क्यूं हम आज साथ नही ?कबीर दिवानों ने की तरहां कहे जा रहा था जैसे बरसों की सब बातों का जवाब माँग रहा था शिफ़ा से।शिफ़ा ख़ामोश नीची निगाहें किये सब सुन रही थी मगर कबीर की आँखों में झांकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।डरती थी ,कि कहीं कबीर की आँखे उसके मन को कमजोर न कर दे।कहीं वो ख़ुद भी सारी मर्यादाएँ तोड़ कर ,कुछ ऐसा कह दे जो उसे अब कहने का अधिकार नहीं है शायद।कबीर बोलता जा रहा था तुम्हें याद है जब मैं तुम्हारे घर होली के दिन आया करता था।तुम्हारे चेहरे पर गुलाल लगाने के वक़्त कैसे मेरे दिल की धड़कन तेज हो ज़ाया करती थी ,तुम इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती।कबीर को शिफ़ा की ख़ामोशी जैसे खल सी रही थी।कबीर की बोलते बोलते आँखे नम हो गईं और उसका गला भर आया।इक तूफ़ान तो शिफ़ा के अन्दर भी था मगर शिफ़ा ने बहुत संजीदगी से कहा !कबीर बहुत कुछ ऐसा था जो मेरी ख़ामोशी के कारण थे।मैं अपने माँ बाप को कोई दुख नहीं देना चाहती थी।जैसा वो चाहते थे मैंने वही किया।कबीर बोला और मेरे बारे में कंयू नही सोचा ? शिफ़ा थोड़ा गंभीरता से बोली।कबीर मैं पापा का हाथ बटाना चाहती थी उनकी ज़िम्मेदारियाँ को बाँटना चाहती थी।कबीर बोला !मुझे कह कर देखती तो सही।मुझ पर यक़ीन नहीं था क्या ?मुझ से कहती ,हम दोनों मिल कर सारी ज़िम्मेवारी बाँट लेते।फिर गंभीर हो कर कबीर ने शिफ़ा के हाथ पर हाथ रख दिया।कबीर के इस स्पर्श से शिफ़ा के पूरे शरीर में इक कंपन सा हो गया।सीमाओं के बीच, लाज मे सिमटी शिफ़ा का सारा शरीर ,इतनी ठंडी में भी भीग सा गया क्योंकि आज तक उसे कबीर के स्पर्श का कोई अहसास नहीं था।सिहर सी गई थी शिफ़ा, और कबीर भी उसकी मनोदशा को उसके माथे पर आई पसीने की बूँदों से पढ़ पा रहा था।कबीर ने पूछा ! क्या ख़ुश हो उनके फ़ैसले पर।शिफ़ा ने कहा !जब फ़ैसला ही मान लिया तो मेरे ख़ुश या न ख़ुश होने का सवाल ही पैदा न हुआ।पिता के घर ,पिता के घर की इज़्ज़त का ख़्याल रहा।अब पति के घर ,पति की इज़्ज़त का ख़्याल रखना है बस।कबीर ने पूछा और तुम्हारी अपनी ख़ुशी का क्या ?
शिफ़ा कहने लगी अपने बारे में कभी सोचा ही नहीं। ज़िम्मेदारियाँ उठाते उठाते पता ही नहीं चला, कैसे वक़्त गुज़रता गया।हाँ ये सच है कि मैंने अक्सर तुम्हें याद किया है।जब भी कभी पहले प्यार का ज़िक्र हुआ तो तुम याद आये मुझे।कुछ शादियाँ समझौता ही होती है कबीर।दो लोगों के लेने देने का सम्बन्ध मात्र ही होती है।इससे ज़्यादा कुछ नहीं।कबीर ने अचानक से इक सवाल शिफ़ा के सामने रख दिया कि क्या वो अब भी उसे वैसे ही चाहती है?शिफ़ा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई और बोली बेशक !समाज में रहने के लिए उसके जिस्म को तो आगे बढ़ना पड़ा ,मगर उसकी रूह आगे कभी नहीं बढ पाई,वहीं रह गई तुम्हारे आसपास और हाँ कबीर ,किसी को चाहने के लिये सारी उम्र उस इन्सान के साथ रहना ज़रूरी तो नहीं।तुम्हारी जगह वहीं है जहां थी।शिफ़ा बहुत चाहती थी कि दिल की हर बात उससे कह दे ,मगर न कभी पहले कह सकी, न अब।फिर इकदम से उठ खड़ी हुई और
बोली !अच्छा अब मैं चलती हूँ ।चलने को कह तो रही थी मगर खुद के अल्फ़ाज़ जैसे साथ नहीं दे रहे थे।अभी और वक़्त कबीर के साथ बिताना चाह रही थी।मन ही मन सोच रही थी कि कबीर उसे रोक ले।मगर होंठ ख़ामोश थे।जाने से पहले दोनों ने इक दूजे को देखा।कबीर ने धीरे से कहा ! शिफ़ा कल मैं जा रहा हूँ और तुम्हें बहुत याद करूँगा।भूल तो मैं ,तुम्हें कभी पाया ही नही।अगर तुम कल न दिखती ,न हम मिलते तो अच्छा ही होता शायद ,और फिर इक लम्बी गहरी साँस ली कबीर ने।जो सीधा शिफ़ा की रूह के आरपार हो गई थी जैसे।शिफ़ा ने बड़ी संजीदगी से कबीर से कहा !अगर तुम्हारी और मेरी चाहत में पाकीज़गी है तो यकीनन हम अगले जन्म में ज़रूर मिलेंगे।मैं सब्र से तुम्हारा इन्तज़ार करूँगी तब तक।अच्छा अब मैं जाऊँ कबीर?ऐसा कह कर शायद शिफ़ा चाह रही थी कि कबीर उसे जाने की इजाज़त खुद दे दे तो शायद हल्के मन से वो वहाँ से जा सके। कबीर चाहते हुए भी उसे न रोक सका और सोच रहा कि मैं शिफ़ा को कभी रोक कंयू नहीं पाया।न पहले ,न आज ,और सोच रहा था किस हक़ से रोकूँ शिफ़ा को।इक ठण्डी आह लिए ,ख़ामोश सूनी निगाहों से अपने प्यार को बस जाते हुए देखता रहा। दोस्तों लोग प्यार करते हैं बिछड़ भी जाते है और कभी दोबारा ज़िन्दगी अगर उन्हें मिला भी देती है तो शिफ़ा और कबीर की तरह संयम में नहीं रह पाते।”संयम “जो बहुत ज़रूरी भी है “किसी को प्यार करना और फिर उसे पा लेना तो “आम सी बात है”अगर कुछ ख़ास है तो वो ये ,खुवाईशे को समेट लेना और रिश्ते को मर्यादाओं में रह कर स्वीकार करना।अतीत की भी अपनी जगह और अपना वक़्त होता है कुछ रिश्ते सिर्फ़ ख़्वाब ही रहते है हक़ीक़त नहीं मगर ये भी सच है कि कुछ ख़्वाब ,हक़ीक़त से भी ज़्यादा दिल के क़रीब होते है इसमें कोई शक है भी नहीं।

स्मिता 

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