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‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ (विवेकानंद जयंती) के अवसर पर एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय , में एनएसएस, एनसीसी, रेंजर्स टीम के संयुक्त तत्वाधान में भाषण एवं पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर -12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जयंती जिसे ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, के अवसर पर एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय , मॉल रोड, कानपुर में एनएसएस, एनसीसी, रेंजर्स टीम के संयुक्त तत्वाधान में भाषण प्रतियोगिता एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सुमन ने इस अवसर पर छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया विवेकानंद जी का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। हमारा देश युवाप्रधान देश है, तथा देश के भविष्य को आकार देने में युवाओं का ही सबसे अधिक योगदान होता है। किसी भी प्रकार की बाधा से घबराकर हमें पीछे नहीं हटना चाहिए जैसाकि विवेकानंद जी ने स्वयं कहा है उठो, जागो और तबतक न रुको जबतक अपने लक्ष्य की प्राप्ति न कर लो। प्राचार्या ने बताया कि नई शिक्षा नीति युवाओं के सम्पूर्ण विकास को केंद्र में रखकर बनाई गई है, साथ-ही यह व्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ अग्रसर है। इस अवसर पर महाविद्यालय की स्मार्ट क्लास में विकसित भारत यंग लीडर डायलाग 2025 प्रोग्राम के अंतर्गत सभी छात्राओं को लाइव प्रसारण दिखाया गया, जिसमें युवा शक्ति मिशन का प्रारंभ किया गया। जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया एनएसएस, एनसीसी, रेंजर्स की दिव्यांशी शर्मा, भूमि गुप्ता, अदिति ओझा, रिया वर्मा इत्यादि छात्राओं ने भाषण प्रतियोगिता एवं आयुषी बाजपेई, सुप्रिया, निधा परवीन ने पोस्टर प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। एनएसएस प्रभारी श्वेता रानी, एनसीसी प्रभारी प्रीति यादव, रेंजर्स टीम प्रभारी ऋचा सिंह के द्वारा कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्राओं, शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक कर्मचारी वर्ग की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।

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इनर व्हील क्लब कानपुर विदुषी द्वारा कंबल वितरित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 12 जनवरी मकर संक्रांति के उपलक्ष्य इनर व्हील क्लब कानपुर विदुषी द्वारा रोबिन हुङ (Robin Hood Academy ) बररा में जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरित किया गया । कुल 45 कंवल वितरित किये गये जिसे पाकर जरूरतमंद लोगों के चेहरे खिल गये। इस अवसर पर कलब की अध्यक्षा डा० सीमा वर्मा, डा० सबा यूनुस, सेक्रेटरी रुचि अग्रवाल, एडिटर रति गुप्ता, मनीषा शुक्ला, मंजू अवस्थी, नीरजा गुप्ता, मोहिनी शुक्ला आदि उपस्थित रहे ।

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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधान मण्डल की (कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन/भारत क्षेत्र (जोन-1) उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड) मा. महिला सदस्यों का सम्मेलन सम्पन्न

*◆ “भारतीय लोकतंत्र में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी”*

*◆ “समाज के प्रत्येक क्षेत्रों में बढ़ रही महिलाओं की उपयोगिता”*

*◆ “उ0प्र0 विधानसभा लगातार नवाचार का कर रहा प्रयोग”*
*- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ*

कानपुर नगर, दिनांक 08 जनवरी, 2024 (सू0/वि0)
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधान मण्डल की (कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन/भारत क्षेत्र (जोन-1) उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड) मा0 महिला सदस्यों का सम्मेलन रोजिएट पैलेस हॉल, इटरनिटी होटल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने शिरकत की। मा0 मुख्यमंत्री जी के अलावा मा0 विधानसभा अध्यक्ष उ0प्र0 सतीश महाना, मा0 विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड़ ऋतु खंडूरी भूषण, मा0 मंत्री महिला कल्याण एवं बाल विकास उ0प्र0 बेबी रानी मौर्य, मा0 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माध्यमिक शिक्षा उ0प्र0 गुलाब देवी, मा0 राज्य मंत्री महिला कल्याण एवं बाल विकास उ0प्र0 प्रतिभा शुक्ला, मा0 राज्य मंत्री उच्च शिक्षा उ0प्र0 रजनी तिवारी सहित उ0प्र0 व उत्तराखण्ड़ राज्य की मा0 महिला विधायकगण शामिल हुई।
इस अवसर पर मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा व प्राचीन लोकतंत्र है, जो हमारे रग-रग में बसा हुआ है। भारत में गणतंत्र की शुरूआत छठी शताब्दी ईसा पूर्व में ही हो गयी थी जब वैशाली, मगध जैसे गणराज्य बनाये गये थे। यह भारतीय परम्परा रही है कि हमने कभी किसी पर अपनी बात थोपा नहीं है। यहां महिलाओं को भी बराबरी के दर्जे से स्वतंत्रता दी गयी है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से 04 सदस्य कमला चौधरी, सुजेता कृपलानी, पूर्णिमा बनर्जी, बेगम एजाज रसूल शामिल रहीं। भारत ने 1952 के आम चुनाव में ही महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान किया था।
मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि उ0प्र0 विधानसभा लगभग पिछले तीन वर्षो से नये-नये प्रयोग कर रहा है जिसमें ई-विधानसभा व पेपर लेस विधानसभा का संचालन किया जा रहा है। उ0प्र0 विधानसभा अलग-अलग क्षेत्रों से जुडे हुये विशेषज्ञों जैसे- कुशल अभियन्ता, वैज्ञानिक, समाज सेवक, अर्थशास्त्री आदि का योगदान लेकर प्रगति कर रहा है। उन्होंने सम्बोधन में यह भी कहा कि उ0प्र0 विधानसभा में आज लगभग 15 फीसदी महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। आज महिलायें किसी भी क्षेत्र में वंचित नही है। वो जहां पर कार्य कर रही है उनकी कार्यशैली उत्कृष्ट है। आज प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। स्थानीय निकाय, विधानसभा या लोकसभा हर क्षेत्र में महिलायें अपने झण्डे बुलन्द कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 56 प्रतिशत ब्लाक प्रमुख व 70 प्रतिशत जिला पंचायत अध्यक्ष महिलायें है जो राजनीतिक क्षेत्र में उनकी प्रगति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण का लगातार प्रयास कर रही है। महिलाओं के लिये सेंट्रल कन्वेंशन सेंटर और शौचालय भी बनाये गये है। लगभग 04 करोड़ गरीब परिवारों को आवास और 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन दिये गये। हाल ही में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया है। हमारी सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में लगभग 01 करोड़ 91 लाख बच्चों को यूनीफार्म, जूते, मोजे और स्वेटर इत्यादि निःशुल्क प्रदान किये गये है।
इस अवसर पर मा0 विधानसभा अध्यक्ष उ0प्र0 सतीश महाना ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज आवश्यकता है कि विधायिका में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो, उनकी प्रभावी उपस्थिति हो, उनके द्वारा समाज में बेहतर संदेश दिया जाये और इसका विस्तार सुनिश्चित हो। महिला सशक्तिकरण के क्रम में ही आज उ0प्र0 और उत्तराखण्ड की महिला विधायकों का सम्मेलन बुलाया गया। उ0प्र0 का बदलता स्वरूप पूरी दुनिया देख रही है जिसकी चर्चा पूरे देश और दुनिया में हो रही है, उनमें महिला विधायकों का महत्वपूर्ण योगदान है। यह सम्मेलन पूरे देश में यह संदेश देगा कि अन्य राज्यों को भी ऐसे सम्मेलनों का आयोजन करना चाहिये।
वहीं, मा0 विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड ऋतु खंडूरी भूषण जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एवं सदन की कार्यवाही में सहभागिता बढ़ाने तथा संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महिला सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज महिलायें समाज के सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहीं हैं। आज की संगोष्ठी में उपस्थित मा0 सदस्य अपने क्षेत्रों की महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व कर रही है। ये महिलायें अपनी अवाज संसद से लेकर सड़क तक उठा रही है और देश की अन्य महिलाओं को भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को प्रेरित भी कर रहीं हैं।
सम्मेलन के अंत में मा0 मंत्री बेबी रानी मौर्य ने उपस्थित सभी गण्यमान्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन में उक्त के अतिरिक्त प्रमुख सचिव, विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे, मुख्य सलाहकार, मुख्यमंत्री अवनीश अवस्थी, मण्डलायुक्त अमित गुप्ता, मण्डलायुक्त विजयेंद्र पांडियन, ए0डी0जी0 कानपुर आलोक सिंह, पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, नगर आयुक्त सुधीर कुमार और मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन समेत विधानसभा व जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहें।

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भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ की बैठक संपन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 8 जनवरी। भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के केन्द्रीय कार्यालय में एक बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता मुकेश सिंह ने की। बैठक में 27,28 व 29 दिसंबर को नागपुर में हुएं 20वें त्रैवार्षिक अधिवेशन की सफलता के लिए कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया गया। कानपुर से 150 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यकर्ताओं को नागपुर में भैया जी जोशी केन्द्रीय कार्यकारिणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने व्यक्तित्व विषय पर अपना उद्बोधन दिया था। आज मीटिंग में उनके बताए मार्ग पर कानपुर के कार्यकर्ताओं को चलने की सीख दी गई। नागपुर में रिटायर्ड कर्मचारियों की समस्याओं को हल कराने के लिए आल इंडिया लेवल का फोरम बनाने का फैसला हुआ। जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष काजल विश्वास (जबलपुर) व राष्ट्रीय महामंत्री साधू सिंह (कानपुर) को घोषित किया गया। नागपुर में पूरे देश से लगभग 1000 कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। वहां पांच प्रस्ताव पारित हुए। इन्हें रक्षामंत्री महोदय को भेजा गया।
1 एनपीएस, यूपीएस हटाकर ओटीएस लागू किया जाए।

2 मृतक आश्रितों को वन टाईम रिलेक्सेशन देते हुए शत् प्रतिशत नौकरी दी जाएं।

3 ठेका श्रमिकों का शोषण बंद हो व उन्हें पर्मानेंट किया जाए।

4 आयुध कर्मचारियों पर प्रसार भारती माडल लागू किया जाए।

5 रक्षा संस्थानों में रिक्त पदों को अविलंब भरा जाएं।
नागपुर में मारुती पवार पूणे को अखिल भारतीय अध्यक्ष , मुकेश सिंह को अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष , रवीन्द्र मिश्रा उड़ीसा को अखिल भारतीय महामंत्री ,योगेन्द्र सिंह चौहान को अखिल भारतीय संयुक्त मंत्री ,पुनीत चन्द्र गुप्ता को कोषाध्यक्ष, तनवीर अहमद को कार्यालय मंत्री, वीरेंद्र शर्मा को रक्षा मंत्रालय का लायजन प्रभारी व सुधीर त्रिपाठी, अमरेन्द्र मोहन,विश्वनाथ यादव,सुधा शुक्ल, पियूष सिंह, सुधा रानी, शिवेंद्र सागर, रामशंकर विश्वकर्मा को कार्यकारिणी सदस्य चुना गया। आज बैठक में आठवें पे कमीशन के गठन व ओपीएस लागू करने के लिए बजट से पूर्व राष्ट्रीय आंदोलन की रुपरेखा तैयार की गई। आंदोलन दि 15 जनवरी से 30 जनवरी तक सभी रक्षा संस्थानों पर होगा व प्रधानमंत्री महोदय को ज्ञापन सौंपा जाएगा ताकि बजट में इसकी घोषणा हो। सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दी गई। बैठक में साधू सिंह ,इन्द्र जीत सिंह,योगेन्द्र सिंह चौहान, पुनीत चन्द्र, तनवीर अहमद, सुधीर त्रिपाठी,सुनील अवस्थी, संतोष मिश्रा, वेद व्यास मणि, सचिन कुमार, लालबहादुर, दीपक शुक्ला सहित कानपुर के सभी रक्षा संस्थानों के कार्यकर्ता उपस्थित रहें।

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भारत की हरित बहाली

हम एक ऐसी संस्कृति का हिस्सा होने के लिए भाग्यशाली हैं जहाँ पर्यावरण के साथ पूर्ण सौहार्द के साथ रहना हमारे लोकाचार का केंद्र है। आइए सुनिश्चित करें कि हमारे दैनिक जीवन में उठाया गया सबसे छोटा कदम भी प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक प्रयास होगा।

~ प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी

प्रस्तावना

वन कार्बन को अवशोषित करके, जैव विविधता को संरक्षित करके और स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करके जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, बढ़ते पर्यावरणीय दबाव इन आवश्यक पारिस्थितिकी प्रणालियों को चुनौती दे रहे हैं। यद्यपि, भारत में एक सकारात्मक बदलाव हुआ है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2023 में दर्शाया गया है कि देश का वन और वृक्ष क्षेत्र अब 827,357 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है  जो देश के कुल भूमि क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 715,343 वर्ग किलोमीटर (21.76%) वन क्षेत्र और 112,014 वर्ग किलोमीटर (3.41%) वृक्ष क्षेत्र शामिल हैं। यह प्रगति पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास को संतुलित करने के भारत के सफल प्रयासों को दर्शाती है।

आईएसएफआर 2023: भारत के वनों की एक झलक

भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 , उपग्रह डेटा और क्षेत्र की जानकारी का उपयोग करके देश के वन संसाधनों का द्विवार्षिक मूल्यांकन है। पहली रिपोर्ट 1987 में प्रकाशित हुई थी, और आईएसएफआर 2023 इसका 18वां संस्करण है।

रिपोर्ट दो खंडों में प्रकाशित की गई है:

  • खंड-में राष्ट्रीय स्तर का मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें आच्छादित वन क्षेत्र, मैंग्रोव आच्छादित क्षेत्र, वन में लगने वाली आग, बढ़ती हुई वन संपदा, कार्बन स्टॉक, कृषि वानिकी, वन विशेषताएं और दशकीय परिवर्तन जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • खंड-II में प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिए वन आच्छादित क्षेत्र और क्षेत्र सूची डेटा पर विस्तृत जानकारी दी गई है जिसमें ज़िला और वन प्रभाग के अनुसार वन आच्छादित क्षेत्र डेटा भी शामिल है।

वन क्षेत्र में वृद्धि

 

भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 भारत के वन क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि पर प्रकाश डालती है जो 2013 में 698,712 वर्ग किमी से बढ़कर 2023 में 715,343 वर्ग किमी हो गया है। आग की घटनाओं में भी कमी आई है, 2023-24 में 203,544 आग के हॉटस्पॉट दर्ज किए गए जो 2021-22 में 223,333 से कम है। भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य के अनुरूप देश ने 30.43 बिलियन टन CO2 समकक्ष का कार्बन सिंक हासिल किया है। यह 2005 से वन और वृक्ष आच्छादन में अतिरिक्त 2.29 बिलियन टन कार्बन सिंक को दर्शाता है, जो 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन CO2 समकक्ष के लक्ष्य के करीब है

वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाएं और पहल

भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) ने वन क्षेत्र का बेहतर मानचित्र प्रस्तुत करना, एक उन्नत वन अग्नि चेतावनी प्रणाली के निर्माण और राष्ट्रीय वन सूची के पहले पांच वर्षीय चक्र को पूरा करने के माध्यम से वन निगरानी में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसने वन विकास और कार्बन स्टॉक पर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन सीमाओं के डिजिटलीकरण ने वन क्षेत्र के आकलन में काफी सुधार किया है। इन पहलों ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन और वृक्ष क्षेत्र का विस्तार करने और मैंग्रोव और आर्द्रभूमि के संरक्षण के प्रयासों के साथ मिलकर वन क्षेत्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। यहाँ कुछ योजनाएँ दी गई हैं जिन्होंने इन प्रगति का समर्थन किया है:

· हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम) : फरवरी 2014 में शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) के माध्यम से संरक्षण, बहाली और विस्तार पहल के माध्यम से भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम ने 17 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश को वृक्षारोपण और पारिस्थितिकी बहाली प्रयासों के लिए 944.48 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

नगर वन योजना (एनवीवाई) : 2020 में स्थापित, यह योजना शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हरित स्थान विकसित करने पर केंद्रित है। मंत्रालय ने 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 546 परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिसके लिए 431.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

· स्कूल नर्सरी योजना (एसएनवाई) : पौधों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह योजना पूरे भारत में स्कूलों में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करती है। 4.80 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 743 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

· तटीय आवास और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (MISHTI) : इस पांच वर्षीय पहल (2023-2028) का उद्देश्य भारत के तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव को बहाल करना और बढ़ावा देना है, जिससे तटीय आवासों की स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी जैसे राज्यों को 17.96 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

राष्ट्रीय तटीय मिशन के तहत , मैंग्रोव और कोरल रीफ के संरक्षण और प्रबंधन घटक के माध्यम से मंत्रालय ने तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मैंग्रोव की संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। यह पहल 9 तटीय राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश तक फैली हुई है, जिसका उद्देश्य इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों की सुरक्षा करना है।

· जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना(NPCA) यह योजना देश में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों के बीच लागत साझाकरण पर आधारित है।

· एक पेड़ माँ के नाम : प्रधानमंत्री ने 5 जून 2024 को इसका शुभारंभ  किया था। यह अभियान नागरिकों को माताओं के सम्मान में पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है जिससे प्रकृति और पोषण के बीच गहरा संबंध बढ़ता है।

प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) : यह योजना वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम, 1980 के अनुरूप, गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग के कारण वन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के नुकसान की भरपाई करती है।

· बीस सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत वनरोपण लक्ष्य : मंत्रालय केन्द्र सरकार की योजनाओं, राज्य सरकार की योजनाओं तथा गैर सरकारी संगठनों, निजी संगठनों और नागरिक समाज के प्रयासों का मिश्रण उपयोग करते हुए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए वार्षिक वनरोपण लक्ष्य निर्धारित करता है।

· जागरूकता और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान : मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, वन महोत्सव और वन्यजीव सप्ताह जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ सम्मेलनों, कार्यशालाओं और सूचनात्मक अभियानों के माध्यम से वृक्षारोपण को बढ़ावा देता है।

· भारतीय वन प्रबंधन मानक : राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता – 2023 का एक हिस्सा । यह मानक टिकाऊ वन प्रबंधन की निगरानी के लिए मानदंड और रूपरेखा स्थापित करता है और भारतीय वन तथा लकड़ी प्रमाणन योजना का समर्थन करता है जिससे विशेष रूप से छोटे पैमाने के लकड़ी उत्पादकों को लाभ मिलता है।

· वन अग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना-2018 : यह योजना वन में लगने वाली आग को रोकने लचीलापन बनाने और अग्नि नियंत्रण और रोकथाम के लिए सामुदायिक क्षमता बढ़ाने के उपाय प्रदान करती है।

संयुक्त वन प्रबंधन और पारिस्थितिकी विकास समितियां : राष्ट्रीय वन नीति 1988 के अनुरूप मंत्रालय ने बेहतर वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है जिससे प्रबंधन और संरक्षण गतिविधियों में स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

इसके अतिरिक्त अधिनियमों, नियमों, विनियमों और न्यायालय के आदेशों के सख्त पालन के माध्यम से वनों, मैंग्रोव और आर्द्रभूमि का संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है।

वन एवं वन्यजीव संरक्षण के लिए कानूनी ढांचा

भारत में वन और वन्यजीव संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन एक मजबूत कानूनी ढांचे द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिसे संरक्षण और सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है। प्रमुख कानूनों में भारतीय वन अधिनियम, 1927, वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 शामिल हैं जिनका उद्देश्य वन्यजीव प्रजातियों और उनके आवासों की रक्षा करना है जिसमें राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण भी शामिल है। इसके अतिरिक्त राज्य वन अधिनियम प्रत्येक राज्य के लिए विशिष्ट वन प्रबंधन को पूरा करते हैं जबकि वृक्ष संरक्षण अधिनियम और नियम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पेड़ों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन कानूनों का पालन करवाना मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है जो इन कानूनी प्रावधानों के अनुसार वनों और वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हैं।

प्रकृति के साथ लोगों का जुड़ाव

कानून, योजनाएँ और अधिनियम अकेले ही वह बदलाव नहीं ला सकते जिसकी हमें ज़रूरत है वास्तव में बदलाव लाने के लिए समर्पित व्यक्तियों की ज़रूरत होती है। पद्मश्री तुलसी गौड़ा, जिन्हें “वृक्षों की माँ” के नाम से भी जाना जाता है, ने कर्नाटक में लाखों पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए 60 से ज़्यादा साल समर्पित किए जिससे बंजर ज़मीन हरे-भरे जंगलों में बदल गई। उनके काम ने पर्यावरण संरक्षण में एक स्थायी विरासत छोड़ी है। तुलसी का निधन उनके जैसे  व्यक्तियों की तत्काल आवश्यकता की मार्मिक याद दिलाता है – जो निस्वार्थ भाव से पृथ्वी की देखभाल और सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरियाली भरा, अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष

भारत पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में अपनी यात्रा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। 2023 भारत वन स्थिति रिपोर्ट वन और वृक्ष आवरण दोनों में प्रभावशाली वृद्धि, आग की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट और कृषि वानिकी के उत्कर्ष को दर्शाती है। ये उपलब्धियाँ विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। अभिनव सरकारी पहलों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी के माध्यम से भारत न केवल अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर रहा है बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से बहाल भी कर रहा है। भारत निरंतर प्रतिबद्धता और सामूहिक कार्रवाई के साथ सभी के लिए एक हरित, स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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सरकार भारत को विश्व की फूड बास्केट बनाने की दिशा में कोई कमी नहीं छोड़ रही : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

   
देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 18 प्रतिशत रहा है। खासकर कोविड के समय सारी दुनिया को यह पता चल चुका है कि भारत का कृषि क्षेत्र अन्य देशों से मजबूत है। इस क्षेत्र को और मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार सदा प्रयासरत है। इस क्षेत्र के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्वता को जताते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत को विश्व की फूड बास्केट बनाने की दिशा में उनकी सरकार कोई कमी नहीं छोड़ रही है। आज पूणे स्थित गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान (एईआरसी) प्लेटिनम जुबली सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री चौहान ने कहा कि शोधकर्ताओं का कार्य केवल लैब तक ही सीमित न रहे बल्कि उसे किसानों तक भी पहुंचाया जाये। इस दिशा में उनकी सरकार कई पहलुओं पर काम कर रही है। भारत की संस्कृति सभ्यता बहुत पुरानी है। इसी के साथ ही कृषि क्षेत्र भी जुड़ा हुआ है। विशेषकर द्वितीय विश्व युद्व के बाद पूरी दुनिया को एक परिवार की दृष्टि से देखने का काम भारत ने ही शुरू किया है और पूरे विश्व को इस दिशा में मार्गदर्शन दिया है। यह धरती सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बनी है यह कीट पतंगों जैसे सारे जीवों के लिए बनी है। कीटनाशकों के अनियन्त्रित प्रयोग को रोकने का आह्वान करते हुए श्री चौहान ने कहा कि यह समय की मांग है कि हमें प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ना है और इसे पूरी इच्छाशक्ति से आगे बढ़ाना होगा। इससे उत्पादन में वेल्यू एडिशन होगा। किसानों की भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार किसानों के उत्पादों को दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए नई योजना पर काम कर रही है। इसके तहत किसानों को अपने उत्पादों को अन्य राज्यों व बाजारों तक पहुंचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर योजना बना रहे हैं।
आज हम पूणे स्थित गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान (एईआरसी) की प्लेटिनम जुबली मना रहे हैं। इस अवसर पर सभी शोधकर्ताओं और छात्राओं को बधाई देते हुए श्री चौहान ने कहा कि इसी 70 साल में हमने क्या पाया और क्या खोया है। इसका अवलोकन करना समय की मांग है। इस दिशा में तकनीकी व्यवस्थाओं को और मजबूत करने पर जोर देते हुए श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक और किसानों को एकत्र होकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। श्री चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की सहायता के लिए डीडी किसान चैनल पर एक विशेष कार्यक्रम आधुनिक कृषि चौपाल शुरू किया। यह एक ऐसा मंच है जिसमें किसान, शोधकर्ता और वैज्ञानिक बैठकर कृषि क्षेत्र की समस्याओं व नये अवसरों पर अपनी विचारों का आदान प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़ी जानकारियां केवल अंग्रेजी भाषा में ही सीमित न रहें इसको भारत की विभिन्न भाषाओं में भी प्रकाशित करना आवश्यक है ताकि लैब टू लैंड की दूरी को पूरा किया जा सके।

प्रधानमंत्री मोदी 25 दिसम्बर 2024 को नदी जोड़ों परियोजना का शुभारंभ करेंगे। इस योजना के बारे में बताते हुए श्री चौहान ने कहा कि देश में कई हिस्सों में कभी बाढ़ आती है तो कई हिस्सों में सूखा पड़ता है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक विशेष नदी जोड़ों परियोजना का शुभारंभ जल्दी ही होगा। इस योजना से जहां ज़्यादा बारिश होती है और जहां सूखा पड़ता है उन क्षेत्रों को इससे लाभ पहुंचेगा। कृषि मंत्री ने कहा कि हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी चाहिए जिससे कम पानी में ज़्यादा सिंचाई हो। कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन की लागत कम करने पर जोर देते हुए श्री चौहान ने कहा कि पिछले साल उनकी सरकार 1.94 मिटिक टन सब्सिडी किसानों को प्रदान की गई है। किसान को अगर तुरंत पैसा चाहिए तो इसके लिए उन्हें महाजन के पास जाना न पड़े इसीलिए उन्हें सरकार ने तुरंत धनराशि मुहैया कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की है। 2014 से 2024 के बीच उनकी सरकार बहुत सारे उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है इससे किसानों को बड़े पैमाने पर राहत मिल रही है। उन्होंने कहा है कि हमें हर समय आयात पर निर्भर नहीं होना चाहिए इसीलिए हमें ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके।

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जेजेएस 2024 में शामिल हुए 50,000 विज़िटर्स

भारतीय स्वरूप संवाददाता नई दिल्ली – राजस्थान की जेम्स और ज्वेलरी विरासत दुनिया भर में मशहूर है। राजस्थान की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान है, जो राज्य की जीडीपी का 17% हिस्सा बनाता है। इसे ध्यान में रखकर आयोजित किए गए ‘द दिसंबर शो’ – जयपुर ज्वेलरी शो (जेजेएस) का हाल ही में शानदार समापन हुआ। इस चार दिवसीय इवेंट में लगभग 50,000 विज़िटर्स और व्यापारियों ने भाग लिया। हर साल की तरह, इस बार भी शो को उत्साही और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। जेजेएस के चेयरमैन विमल चंद सुराना* ने बताया कि जयपुर ज्वेलरी शो ने इस वर्ष नए मुकाम हासिल किए हैं, जिसमें सबसे अधिक बूथ और रिकॉर्ड संख्या में खरीदार शामिल थे। यह एक अद्वितीय मंच है, जो बेहतरीन व्यापारिक अवसर प्रदान करता है।
जेजेएस के प्रवक्ता अजय काला ने बताया* कि व्यवसाय और प्रबंधन के मामले में यह अब तक का सबसे बेहतर शो रहा। उन्होंने शो की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
इस वर्ष के शो में 7,915 आउटस्टेशन रजिस्ट्रेशन और 593 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी शामिल थे। इस वर्ष रूस, थाईलैंड और बैंकॉक के प्रतिनिधिमंडलों का दौरा जेजेएस में अन्य आकर्षण का केंद्र रहा।
पर्ल एकेडमी ने ‘बेस्ट इंस्टीट्यूट डिस्प्ले’ ट्रॉफी जीती। अन्य अवॉर्ड्स में बेस्ट बूथ और बेस्ट यंग वुमन अचीवर्स शामिल थे। रूबी रिडिफाइन्ड ने एक अनूठी डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें प्रतिभागियों को रूबी रत्नों का उपयोग करके ट्रेंडी और फैशनेबल ज्वेलरी बनानी थी।इस आयोजन में कई जानकारीपूर्ण सेमिनार्स भी आयोजित हुए। जेजेएस अवॉर्ड्स में वाणी कपूर गेस्ट ऑफ ऑनर थीं, जबकि नंदिनी गुप्ता ने नेटवर्किंग डिनर में शिरकत की। स्वराग बैंड के प्रदर्शन ने शाम को खास बना दिया।*

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का शिलान्यास किया

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने भारत और विश्व के ईसाई समुदाय के लोगों को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। यह याद करते हुए कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में सरकार ने अपने गठन के एक वर्ष पूरे कर लिए हैं, श्री मोदी ने इसके प्रदेश के लोगों को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक वर्ष में हजारों करोड़ रुपये से अधिक की नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के साथ-साथ विकास कार्यों ने गति पकड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ऐतिहासिक केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना, दौधन बांध और ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना (मध्य प्रदेश का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र) का शिलान्यास किया गया है।

प्रधानमंत्री ने आज भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के मौके पर आज के दिन को एक उल्लेखनीय प्रेरणादायी दिन बताते हुए कहा कि आज सुशासन और अच्छी सेवा का पर्व हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। श्री वाजपेयी की याद में डाक टिकट और सिक्का जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने उनको स्मरण करते हुए कहा कि श्री वाजपेयी ने वर्षों तक उनके जैसे सामान्य कार्यकर्ताओ का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए अटल जी की सेवा हमेशा हमारी स्मृति में अमिट रहेगी। श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि आज से 1100 से अधिक अटल ग्राम सुशासन सदनों पर काम शुरू हो जाएगा और इसके लिए पहली किस्त जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अटल ग्राम सेवा सदन गांवों के विकास को आगे बढ़ाएगा।

सुशासन दिवस को एक दिन का मामला न बताते हुए श्री मोदी ने कहा, “सुशासन हमारी सरकारों की पहचान है।” केंद्र में लगातार तीसरी बार सेवा करने का अवसर देने और मध्य प्रदेश में लगातार सेवा करने का मौका देने के लिए लोगों का आभार जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके पीछे सुशासन सबसे मजबूत कारक है। प्रधानमंत्री ने बुद्धिजीवियों, राजनीतिक विश्लेषकों और अन्य प्रख्यात शिक्षाविदों से विकास, लोक कल्याण और सुशासन के मानदंडों पर आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश का मूल्यांकन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि जब भी लोगों की सेवा करने का अवसर मिला, उनकी सरकार ने लोगों के कल्याण और विकास कार्यों को सुनिश्चित करने में सफलता पाई है। श्री मोदी ने कहा, “अगर हमें कुछ मानदंडों पर आंका जाए, तो देश देखेगा कि हम आम लोगों के प्रति कितने समर्पित हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने के लिए अथक प्रयास किया, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना खून बहाया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सुशासन के लिए न केवल अच्छी योजनाओं की जरूरत होती है, बल्कि उनके प्रभावी कार्यान्वयन की भी जरूरत होती है और इस बात पर बल दिया कि सुशासन का पैमाना यह है कि सरकारी योजनाओं से आम लोगों को कितना फायदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने घोषणाएं तो कीं, लेकिन कार्यान्वयन में गंभीरता और इरादे की कमी के कारण लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाया। उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के लाभों पर जोर दिया, जिसके तहत मध्य प्रदेश में किसानों को 12,000 रुपये मिलते हैं और कहा कि यह जन धन बैंक खाते खोलने से संभव हुआ। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना पर प्रकाश डाला और कहा कि बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबर से जोड़े बिना यह संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि पहले सस्ते राशन की योजनाएं थीं, लेकिन गरीबों को राशन पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, जबकि आज गरीबों को पूरी पारदर्शिता के साथ मुफ्त राशन मिलता है, इसका श्रेय प्रोद्योगिकी को जाता है, जिसने धोखाधड़ी को खत्म कर दिया और वन नेशन, वन राशन कार्ड जैसी देशव्यापी सुविधाओं को बढ़ावा दिया।

श्री मोदी ने कहा कि सुशासन का अर्थ है कि नागरिक अपने अधिकारों के लिए सरकार से भीख न मांगे और न उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पडें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी नीति 100 प्रतिशत लाभार्थियों को 100 प्रतिशत लाभ से जोड़ने की है, जो उनकी सरकारों को दूसरी सरकारो से अलग बनाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा देश इसका गवाह है और यही वजह है कि देश के लोगो ने बार-बार उन्हें सेवा का मौका दिया।

इस बात पर जोर देते हुए कि सुशासन वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों को संबोधित करता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से बुंदेलखंड के लोगों को पिछली सरकारों के कुशासन के कारण दशकों तक बहुत कष्ट सहना पड़ा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुंदेलखंड में किसानों और महिलाओं की कई पीढ़ियों को प्रभावी शासन की कमी के कारण पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष करना पड़ा और पूर्ववर्ती सरकारों ने जल संकट के स्थायी समाधान के बारे में नही सोचा।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर भारत के लिए नदी जल के महत्व को समझने वाले पहले लोगों में से एक थे, पर टिप्पणी करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएँ डॉ. अंबेडकर के विज़न पर आधारित थीं और केंद्रीय जल आयोग की स्थापना भी उनके प्रयासों के कारण ही हुई थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि पिछली सरकारों ने जल संरक्षण और बड़ी बांध परियोजनाओं में उनके योगदान के लिए डॉ. अंबेडकर को कभी उचित श्रेय नहीं दिया और वे इन प्रयासों के प्रति कभी गंभीर नहीं रहीं। इस बात पर जोर देते हुए कि सात दशक बाद भी भारत के कई राज्यों में अभी भी जल विवाद हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों मे मंशा की कमी और उनके कुशासन ने इस दिशा मे किसी भी ठोस प्रयास को रोक दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि श्री वाजपेयी की सरकार ने जल-संबंधी चुनौतियों को संबोधित करने के लिए गंभीरता से काम करना शुरू किया था, लेकिन 2004 के बाद इसे दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार अब देश भर में नदियों को जोड़ने के अभियान को गति दे रही है। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा जोड़ो परियोजना एक वास्तविकता बनने वाली है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खोलेगी। केन-बेतवा जोड़ो परियोजना के लाभों पर जोर देते हुए, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह और सागर सहित 10 जिलों को सिंचाई सुविधाएं प्रदान करेगी, श्री मोदी ने कहा कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को भी लाभ होगा, जिसमें बांदा, महोबा, ललितपुर और झांसी जिले शामिल हैं।

श्री मोदी ने कहा, “नदियों को जोड़ने के विशाल अभियान के तहत दो परियोजनाओं की शुरुआत करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल ही में राजस्थान की अपनी यात्रा के दौरान, पार्वती-कालीसिंध-चंबल और केन-बेतवा जोड़ो परियोजनाओं के जरीये कई नदियों को जोड़ने की पुष्टि की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समझौते से मध्य प्रदेश को भी काफी लाभ होगा।

श्री मोदी ने कहा, “जल सुरक्षा 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल वे देश और क्षेत्र ही प्रगति करेंगे, जिनके पास पर्याप्त जल होगा तथा समृद्ध खेतों तथा संपन्न उद्योगों के लिए जल आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात से आने के कारण, जहां अधिकांश भाग वर्ष के अधिकांश समय सूखे की स्थिति में रहते हैं, वे जल के महत्व को समझते हैं और उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी के आशीर्वाद ने गुजरात का भाग्य बदल दिया। उन्होंने बल देकर कहा कि मध्य प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को जल संकट से मुक्त करना उनकी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बुंदेलखंड के लोगों, विशेषकर किसानों और महिलाओं से उनकी कठिनाइयों को कम करने के लिए ईमानदारी से काम करने का वादा किया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस विजन के तहत बुंदेलखंड के लिए 45,000 करोड़ रुपये की एक जल-संबंधी योजना बनाई गई थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उनकी सरकारों को लगातार प्रोत्साहित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप केन-बेतवा जोड़ो परियोजना के तहत दौधन बांध की आधारशिला रखी गई। उन्होंने कहा कि इस बांध से सैकड़ों किलोमीटर लम्बी एक नहर बनेगी, जो लगभग 11 लाख हेक्टेयर ज़मीन को पानी उपलब्ध कराएगी।

श्री मोदी ने कहा, “बीता दशक भारत के इतिहास में जल सुरक्षा और जल संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने जल से जुड़ी जिम्मेदारियों को अलग-अलग विभागों में बांट दिया था, लेकिन उनकी सरकार ने इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि पहली बार हर घर में नल का पानी पहुंचाने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि आजादी के बाद के सात दशकों में केवल 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास नल कनेक्शन थे, श्री मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने 12 करोड़ नए परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया है और इस योजना पर 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। प्रधानमंत्री ने जल गुणवत्ता परीक्षण पर प्रकाश डाला, जो जल जीवन मिशन का एक और पहलू है और जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है तथा कहा कि देश भर में 2,100 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं और 25 लाख महिलाओं को गाँवों में पीने के पानी की जाँच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल ने हजारों गांवों को दूषित पानी पीने की मजबूरी से मुक्त किया है और बच्चों तथा लोगों को बीमारियों से बचाया है।

वर्ष 2014 से पहले देश में करीब 100 बड़ी सिंचाई परियोजनाएं थीं, जो दशकों से अधूरी थीं। इस बात पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने इन पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए और आधुनिक सिंचाई तकनीकों का उपयोग बढ़ाया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में करीब एक करोड़ हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई सुविधाओं से जोड़ा गया है, जिसमें मध्य प्रदेश में करीब पांच लाख हेक्टेयर भूमि शामिल है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि पानी की हर बूंद का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं और उन्होंने आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के अभियान पर प्रकाश डाला, जिसके फलस्वरूप देश भर में 60,000 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने जल शक्ति अभियान और कैच द रेन अभियान की शुरुआत का उल्लेख किया, जिसके तहत देश भर में तीन लाख से अधिक रिचार्ज कुओं का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन अभियानों का नेतृत्व लोगों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अटल भूजल योजना मध्य प्रदेश सहित सबसे कम भूजल स्तर वाले राज्यों में लागू की जा रही है।

श्री मोदी ने कहा कि मध्य प्रदेश हमेशा से पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है और जोर देकर कहा कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जो युवाओं को रोजगार प्रदान करता है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के लिए तैयार है, का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के बारे में वैश्विक जिज्ञासा बढ़ रही है और दुनिया भारत को जानना और समझना चाहती है और इसका मध्य प्रदेश को बहुत लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने एक अमेरिकी अखबार में हाल ही में छपी एक रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें मध्य प्रदेश को दुनिया के शीर्ष दस सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक बताया गया है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए यात्रा को आसान बनाने के लिए लगातार सुविधाएं बढ़ाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशी पर्यटकों के लिए ई-वीजा योजना शुरू की है और साथ ही भारत में विरासत और वन्यजीव पर्यटन को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। मध्य प्रदेश में पर्यटन की असाधारण संभावनाओं पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि खजुराहो क्षेत्र ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत से समृद्ध है, जहां कंदरिया महादेव, लक्ष्मण मंदिर और चौसठ योगिनी मंदिर जैसे स्थल हैं। उन्होंने कहा कि भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में जी-20 बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें खजुराहो में एक बैठक भी शामिल है, जिसके लिए खजुराहो में एक अत्याधुनिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र का निर्माण किया गया।

पर्यटन क्षेत्र पर आगे चर्चा करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत, मध्य प्रदेश को पर्यावरण अनुकूल पर्यटन सुविधाओं और पर्यटकों के लिए नई सुविधाओं को विकसित करने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये आवंटित किए गए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सांची और अन्य बौद्ध स्थलों को बौद्ध सर्किट के जरीये जोड़ा जा रहा है, जबकि गांधी सागर, ओंकारेश्वर बांध, इंदिरा सागर बांध, भेड़ाघाट और बाणसागर बांध ईको सर्किट का हिस्सा हैं। उन्होंने आगे कहा कि खजुराहो, ग्वालियर, ओरछा, चंदेरी और मांडू जैसे स्थलों को हेरिटेज सर्किट के हिस्से के रूप में जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भी वन्यजीव सर्किट में शामिल है और पिछले वर्ष पन्ना टाइगर रिजर्व की लगभग 2.5 लाख पर्यटकों ने यात्रा की। उन्होंने खुशी जताई कि बनाई जा रही लिंक नहर पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों को ध्यान में रखेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि पर्यटक स्थानीय सामान खरीदेंगे, ऑटो और टैक्सी सेवाओं, होटलों, ढाबों, होमस्टे और गेस्ट हाउस जैसी सुविधाओं का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को भी लाभ होगा, क्योंकि उन्हें दूध, दही, फल और सब्जी जैसे उत्पादों के बेहतर दाम मिलेंगे।

पिछले दो दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति करने के लिए मध्य प्रदेश की सराहना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आने वाले दशकों में मध्य प्रदेश देश की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा, जिसमें बुंदेलखंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अपने भाषण को समाप्त करते हुए श्री मोदी ने आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य की सरकारें मध्य प्रदेश को एक विकसित भारत के लिए एक विकसित राज्य बनाने की दिशा में ईमानदारी से काम करना जारी रखेंगी।

इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई सी. पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी। यह राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत देश की पहली नदियों को जोड़ने वाली परियोजना है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे लाखों किसान परिवारों को लाभ होगा। इस परियोजना से इस क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी की सुविधा भी मिलेगी। इसके साथ ही, जलविद्युत परियोजनाएं हरित ऊर्जा में 100 मेगावाट से अधिक का योगदान देंगी। इस परियोजना से रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।

प्रधानमंत्री ने 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की नीव भी रखी। ये भवन ग्राम पंचायतों के कामकाज और जिम्मेदारियों के व्यावहारिक संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और स्थानीय स्तर पर सुशासन को बढ़ावा देंगे।

ऊर्जा की आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में स्थापित ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी और 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के सरकार के मिशन में योगदान देगी। यह जल वाष्पीकरण को कम करके जल संरक्षण में भी मदद करेगी।

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रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने सुशासन दिवस पर राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट और मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष में  ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट और इसके मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया।

वेबसाइट गणतंत्र दिवस, बीटिंग रिट्रीट समारोह, स्वतंत्रता दिवस आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन से संबंधित जानकारी, सीधा प्रसारण, टिकटों की खरीद, बैठने की व्यवस्था और कार्यक्रमों के रूट-मैप आदि से संबंधित जानकारी प्रदान करेगी। इस अवसर पर बोलते हुए रक्षा सचिव ने कहा कि रक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट और मोबाइल ऐप में झांकी के प्रस्तावों और कार्यक्रमों से संबंधित ऐतिहासिक डेटा के प्रबंधन की भी व्यवस्था है। इसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, मंत्रालयों और विभागों को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए अपनी झांकियों को डिजाइन करने और अंतिम रूप देने में सुविधा प्रदान करने के लिए एक झांकी प्रबंधन पोर्टल भी होगा।

रक्षा मंत्रालय ने इस वेबसाइट और मोबाइल एप्‍लीकेशन को परामर्श करके बनाया है। राज्यों ने झांकी के डिजाइन डेटा के प्रबंधन के लिए एक पोर्टल का सुझाव दिया था। इसी तरह, गणतंत्र दिवस समारोह के दर्शकों ने फीडबैक में सुझाव दिया था कि उनके पास कार्यक्रम, परेड, झांकी आदि की जानकारी हो। इन सभी को शामिल करके राष्ट्रपर्व ​​वेबसाइट विकसित की गई है।

वेबसाइट को https://rashtraparv.mod.gov.in पर देखा जा सकता है और मोबाइल ऐप को सरकारी ऐप स्टोर (एम-सेवा) से डाउनलोड किया जा सकता है।

यह पहल खुलेपन, पारदर्शिता और नागरिक केंद्रित शासन की दिशा में एक कदम आगे है और सुशासन दिवस पर स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक सच्ची श्रद्धांजलि है।

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प्रधानमंत्री नई दिल्ली में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी 26 दिसंबर 2024 को दोपहर करीब 12 बजे को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में बच्चों को देश के भविष्य की नींव के रूप में सम्मानित करने वाले एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम, ‘वीर बाल दिवस’ में शामिल होंगे। इस मौके पर, वो उपस्थित लोगो को संबोधित भी करेंगे।

प्रधानमंत्री ‘सुपोषित पंचायत अभियान’ का शुभारंभ करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य पोषण संबंधी सेवाओं के कार्यान्वयन को सुदृढ़ करके और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करके पोषण संबंधी परिणामों और कल्याण में सुधार करना है।

युवा लोगो को जोड़ने, इस दिन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और राष्ट्र के प्रति साहस और समर्पण की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए देशभर में कई पहलें भी शुरू की जाएंगी। माईगव और माई भारत पोर्टल के जरीये इंटरैक्टिव क्विज़ सहित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। विद्यालयों, बाल देखभाल संस्थानों और आंगनवाड़ी केंद्रों में कहानी सुनाना, रचनात्मक लेखन, पोस्टर बनाना जैसी दिलचस्प गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।

इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) के पुरस्कार विजेता भी मौजूद रहेंगे।

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