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प्रधानमंत्री मोदी 18 मई को ओडिशा में 8000 करोड़ रूपये रेल परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 18 मई को दोपहर लगभग साढे बारह बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से ओडिशा में 8000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री पुरी और हावड़ा के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे। ये रेलगाड़ी ओडिशा के खोरधा, कटक, जाजपुर, भद्रक, बालेश्‍वर जिलों और पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर, पुरबा मेदिनीपुर जिलों से गुजरेगी। ये रेलगाड़ी यात्रियों को  आरामदायक और सुविधाजनक तथा कम समय में यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

प्रधानमंत्री पुरी और कटक रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखेंगे। पुनर्विकसित स्टेशनों में रेल यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करने वाली सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ओडिशा में शत-प्रतिशत विद्युतीकृत रेल नेटवर्क का उद्घाटन करेंगे। इससे परिचालन और रखरखाव लागत कम होगी और आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी।

प्रधानमंत्री संबलपुर-टिटलागढ़ रेल लाइन के दोहरीकरण का भी लोकार्पण करेंगे। वे अंगुल-सुकिंदा के बीच एक नई ब्रॉड गेज रेल लाइन, मनोहरपुर-राउरकेला-झारसुगुड़ा-जमगा को जोड़ने वाली तीसरी लाइन और बिछुपाली-झरतरभा के बीच नई ब्रॉड-गेज लाइन का भी लोकापर्ण करेंगे। इससे ओडिशा में इस्पात, बिजली और खनन क्षेत्रों में तेजी से औद्योगिक विकास के फलस्वरूप यातायात की बढ़ती मांगे पूरी हो सकेंगी और इन रेल खंडों में यात्रियों की आवाजाही पर दबाव कम करने में भी मदद मिलेगी।

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लाइफ कार्यक्रम के तहत मछली पकड़ने के दौरान कचरे के निपटान के लिए समुद्र साफ रखने जैसी पहल पर जोर दिया गया ताकि समुद्री वातावरण में प्लास्टिक के प्रयोग को खत्म करने और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) एक ऐसा अवसर है जो पर्यावरण के लिए जागरूकता और उस दिशा में काम करने के लिए देशभर के लाखों लोगों को एक साथ लाता है। इस वर्ष, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार ने मिशन लाइफ पर जोर देते हुए विश्व पर्यावरण दिवस 2023 मनाने की योजना तैयार की है। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 2021 यूएनएफसीसी कोप26 में ग्लासगो में विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में लाइफ यानी पर्यावरण के लिए जीवन शैली की अवधारणा पेश की गई थी, जब उन्होंने स्थायी जीवन शैली को अपनाने के लिए एक वैश्विक प्रयास को फिर से शुरू करने का आह्वान किया था। इस उपलक्ष्य में  लाइफ पर देश भर में जन जुटान के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
  1. नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम)

नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) ने रॉयपुरम फिशिंग हार्बर में मिशन लाइफ के विषयों को बढ़ावा देने की दिशा में एक और पहल की है। यह मछली पकड़ने का बंदरगाह तमिलनाडु में मछली पकड़ने के प्रमुख और व्यस्ततम केंद्रों में से एक है और उत्तरी चेन्नई के रॉयपुरम क्षेत्र में कासीमेडु में स्थित है। बंदरगाह जहाज निर्माण यार्ड से भी सुसज्जित है।  मुख्य रूप से यह मछली पकड़ने की नावों, कटमरैन और मछली पकड़ने के जाल की मरम्मत करने वाले यार्ड के निर्माण के लिए है। बंदरगाह लगभग 600 यंत्रीकृत मछली पकड़ने वाली नौकाओं को समायोजित कर सकता है, प्रति दिन लगभग 200 टन मछली रखने का काम कर सकता है और लगभग 1000 परिवारों को आजीविका में मददगार है।

लाइफ कार्यक्रम के तहत एन4 समुद्र तट पर समुद्र तट की सफाई मछुआरा समुदाय के लगभग 125 सदस्यों, 50 कॉलेज के छात्रों और 25 ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) के कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ की गई थी। एनसीएसएम के कर्मचारियों और ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के सदस्यों ने मछली पकड़ने वाली बस्ती में लगभग 160 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा एकत्र किया। इस कचरे में 70 किलो मछली पकड़ने के खराब जाल शामिल थे, बाकी सिंगल यूज प्लास्टिक और पैकेजिंग प्लास्टिक शामिल थे। एकत्रित कचरे को जीसीसी अधिकारियों को सौंप दिया गया था।

संवेदीकरण के तहत एनसीएससीएम के कर्मचारियों ने स्थानीय मछुआरा समुदाय को जिम्मेदार और मछली पकड़ने, मछली सुखाने सहित स्वच्छ मछली प्रबंधन और प्रसंस्करण और ऊर्जा और जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के बारे में समझाया। इसके अलावा, उन्होंने मछली पकड़ने से संबंधित कचरे को निपटाने के लिए प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। समुद्री वातावरण में इस कार्यक्रम के दौरान, “मछली पकड़ने संबंधी कचरा को निपटाने” जैसी स्वच्छ समुद्री पहलों पर जोर दिया गया था ताकि मछुआरों को प्रचुर मात्रा में खोए और छोड़े गए मछली पकड़ने के गियर (एएलडीएफजी) को तट-आधारित सुविधाओं के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए एक उपाय के रूप में और प्लास्टिक को बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस आयोजन ने मछुआरों को समुद्र की संवेदनशीलता, जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की आवश्यकता के बारे में सरल तरीके से प्रशिक्षित किया। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिभागियों ने कूड़ेदान और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के खिलाफ लाइफ प्रतिज्ञा में भाग लिया। इस कार्यक्रम के तहत तख्तियों और पैम्फलेटों को समुद्र तट पर लगाया गया। एनएसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने स्थानीय मछुआरा समुदाय को मिशन लाइफ का महत्व समझाया।

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2. राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई)

राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएसई) के गढ़वाल क्षेत्रीय केंद्र (जीआरसी) ने मिशन लाइफ के तहत एक जागरूकता अभियान चलाया। मिशन लाइफ की थीम ‘स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं’ को बढ़ावा देने के लिए शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड के छात्रों के साथ औषधीय और बागवानी प्रजातियों का वृक्षारोपण अभियान आयोजित किया गया। संकाय, छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित कुल 58 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने लाइफ प्रतिज्ञा भी ली और उन्हें दीर्घावधि में संसाधनों को बनाए रखने के लिए ‘लाइफ मिशन के महत्व’ के बारे में जागरूक किया गया।

3. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई)

जेडएसआई के निदेशक डॉ. धृति बनर्जी के मार्गदर्शन में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में जीवन संबंधी विभिन्न विषयों पर जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कार्यालय, बाजारों में मिशन लाइफ के जन जुटान के 16 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और विभिन्न कार्यस्थलों जैसे स्कूलों, कॉलेजों में विभिन्न आयु वर्ग के 300 से अधिक लोगों तक पहुंचा। कार्यक्रम का संचालन जेडएसआई जबलपुर के डॉ संदीप कुशवाहा और उनकी टीम ने किया।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया पुणे ने मिशन लाइफ़ के जन जुटान के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें जनता को सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरों के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें पुणे में पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान टीम 100 से ज्यादा लोगों तक पहुंची। अकुर्दी रेलवे स्टेशन, पुणे में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें जनता को सार्वजनिक परिवहन और साइकिल का उपयोग करने के लिए जागरूक किया गया। 50 बस चालकों और आम जनता से संपर्क किया गया।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पोर्ट ब्लेयर ने 16.05.2023 को केंद्रीय बस स्टैंड, पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें आम जनता को मिशन लाइफ के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें सार्वजनिक परिवहन और साइकिल का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान 50 बस चालकों और आम जनता से संपर्क किया।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता ने 16 मई,2023 को सिल्वर पॉइंट स्कूल, हेरिटेज क्लब और फ्यूचर फाउंडेशन स्कूल के कुल 100 छात्रों और भारतीय संग्रहालय, स्तनपायी गैलरी में आगंतुकों के लिए एक जन जुटान, मिशन लाइफ़ कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें सभी ने स्वच्छता की शपथ ली।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, दीघा ने पश्चिम बंगाल के दीघा बीच पर दुकानदारों और विक्रेताओं के लिए जन जुटान कार्यक्रम का आयोजन किया। लगभग 50 विक्रेताओं को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें कागज के कप और कपड़े के थैले जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया।

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  1. नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री

एनजेडपी के सहयोग से मिशन लाइफ एनएमएनएच के जन जुटान कार्यक्रम के तहत 123 स्कूली छात्रों के लिए इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया गया। इस दौरान  छात्रों ने मिशन लाइफ को अपनाने का संकल्प भी लिया।

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आरएमएनएच, भोपाल ने 16 मई, 2023 को मेरी लाइफ: लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट लाइफस्टाइल के तहत जीवन शैली को बदलने के लिए कचरे के पृथक्करण पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस जागरूकता कार्यक्रम में 115 छात्रों और आम जनता ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

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वो नज़र कुछ ऐसी थी कि जिसमें जिस्म की चाह नही ,कुछ और ही था।

वो सामने बैठा मुझे ही देखे जा रहा था और मैं.. आँख भी नहीं मिला पा रही थी। वो नज़र कुछ ऐसी थी कि जिसमें जिस्म की चाह नही ,कुछ और ही था।मेरे ख़याल से इससे ख़ूबसूरत इश्क़ नहीं हो सकता, जो सिर्फ़ नज़रों से ही किसी की रूह को छू लेता है ..
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सबा ने हिम्मत कर अपनी आँखें उठाई और इक लम्बी ख़ामोशी को तोड़ते हुए बोली ! अच्छा तो बासु ..अब मैं चलू।बासु बोला !आज कितने सालों के बाद अचानक से तुम मेरे सामने आ गई।बहुत बार सोचा कि तुम्हें फ़ोन करूँ ,तुम से बात करूँ।इतने अरसे के बाद तुम्हें देखा।कैसे आज तुम्हें जाने के लिए कह दूँ। सबा मैं तो हैरान हूँ कि कैसे ,तुम मुझे भुला बैठी ? बासु की बड़ी बड़ी आँखों में गहराई और बेचैनी का अहसास कर पा रही थी सबा।शोर तो सबा के सीने में भी बहुत था मगर ख़ामोश सा।जैसे सब्र करना सीख गई थी सबा।इतना भी आसान नहीं था सबा के लिए ,खुद को सहज सा दिखाना।बहुत जद्दोजहद में थी सबा।कभी अपना दुपट्टे का पल्लू संभाल रही थी तो कभी अपनी नज़रों को।नहीं चाहती थी कि बासु उसकी बेक़रारी को देख पाये।
सबा ने इक गहरी साँस भरी,जो बासु के दिल के आरपार हो गई।सबा भारी आवाज़ में बोली! बासु वक़्त सब कुछ सिखा देता है।तुम से बिछड़े तीन साल हो गये है मगर मैं तुम्हें भूल नहीं पाई बासु, और भूलती भी कंयू तुम्हें।तुम चाहत हो मेरी।ये अलग बात है कि हमारी शादी नहीं हो पाई,क्यूँकि मैं मुसलमान घर की बेटी और तुम कट्टर ब्राह्मण परिवार से थे।घरों में शान्ति रहे इसीलिए हमने अपनी खुवाईशो का गला दबा दिया।तब कोई और चारा था भी नही ,हमारे पास।है न बासु ? बासु मेरे लिए ,तुम्हें छोड़ कर जाना मुश्किल होगा, ये तो पता था मुझे। शरीर से रूह निकल कर रह गई थी तुम्हारे ही पास .. ज़ाहिर है ..दर्द होना तो लाज़मी ही था ..मगर इतना दर्द होगा वो नही पता था। काश !! मेरे अबू मान गये होते या तुम्हारे पापा।सुबक पड़ी थी सबा ,ये सब कहते कहते। बासु का दिल रो रहा था। बासु बोला ! मैं कंयू नहीं लड़ पाया सबसे? क्यू अपने फ़र्ज़ को इतनी अहमियत दी मैंने ।याद आया उसे ,कैसे उसके पापा  अंबालिका की शादी की दुहाई देने लगे थे। चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि अगर तुम मुसलमान घर की लड़की ले कर आये तो तेरी बहन सारी उम्र कुँवारी बैठी रहेगी।सिहर उठा था बासु। सबा का हाथ पकड़ कर बोला। कुछ चाहते ऐसी होती है सबा।जिसमें इन्सान ,इश्क़ में दर्द तो सह लेता है मगर इश्क़ करना कभी नहीं छोड़ पाता ..
इश्क़ मे रहना और फिर इश्क़ की इबादत करना ….हर किसी के हिस्से में कहाँ आ पाती हैं हर जगह हर पल तुम्हारी ये कमी का अहसास ..क्या मुझे ख़ुशी दे पायेगा कभी। तुम ने ही तो कहा था कि हम बड़ों का दिल नहीं दुखायेंगे।तुम्हारी ही दी गई क़सम को निभा रहा हूँ मैं..मगर जीना अब इक सजा सा लगता है तुम्हारा वजूद सकून है मेरा ! सबा ..यूं मिल कर बिछड़ना ,मुक़द्दर में था या हमने ये सजा तय कर ली खुद अपने ही लिये..ये बात मैं समझ नहीं पाया, बस यही बात समझ में आई कि मुझे प्यार है तुमसे .. आज भी.. बासु बोलता जा रहा था। सबा ! कभी कभी मैं सोचता हूँ कि तुम और मैं , हम दोनों ही..बस सब का क़र्ज़ उतार रहे है। बाँट ही तो रहे हैं सभी को ..सभी का हक़। इक रह जायेगा तुम्हारे सर … या मेरे सर ..बस ! “हमारे इश्क़ का क़र्ज़ .. हमारी ख़ामोशियाँ…. तुम्हारा और मेरा इन्तज़ार .. कतरा कतरा आँखों से गिरते आँसुओं का बोझ कैसे उतार पायेंगे ,इक दूजे का ये क़र्ज़.. मेरी जागती रातों का हिसाब .. मेरे सवाल और तुम्हारे जवाब यही दफ़्न हो जायेगे,हमारे ही अन्दर।कितना अधूरा सा मैं ,कितनी अधूरी सी तुम..ये ख़ालीपन कभी नहीं भर पायेगा। सबा गंभीर हो कर बोली! बासु ..शायद ..वक़्त हमे इक दूजे के बिना रहना सिखा दे। बासु सबा की इस बात पर जैसे तड़प सा गया। बोला! क्या तुम मुझे भूल पाओगी सबा। हमारा प्यार कभी भी वक़्त के साथ धुंधला नहीं हो सकता।मरते दम तक तुम ही रहोगी मेरे दिल में।अब तो बस जीना ही है, मोहब्बत तो मैं ,कर चुका तुम से। अब तो सिर्फ़ बस फ़र्ज़ निभाने बाकि है। सबा !
मैं भी इक वादा करता हूँ आज के बाद मैं तुम्हें कभी नहीं मिलूँगा। न ही कभी तुम्हें देखूँगा चाहे तुम मेरे पास से भी गुज़र जाओ।
तुम से न मिलने से,बात न करने से बेक़रारी तो रहेगी, मगर मिलने के बाद, तुम से बात करके मैं और भी बेचैन हो गया हूँ ।सबा की आँखों से आँसूओ की छड़ी सी लग गई बोली बासु !अगर तुम बात नहीं करोगे तो मै कैसे ज़िन्दा रह पाऊँगी तुम्हारे बग़ैर।
शाम गहरी हो चुकी थी। भीगती आँखों और बोझिल मन से सबा बासु को अलविदा कह कर चल पड़ी।जानती थी उसकी ज़िन्दगी का सफ़र अब आसान नहीं होगा मगर कोई चारा नहीं था ,सिवाय अपनी तक़दीर के फ़ैसले को मानने के और बासु भी अपनी हथेलियों से अपने मुँह को छिपा कर फूट फूट कर रो रहा था। दोस्तों! ओह !! ये कहानी बहुतो की हो सकती है। इतना प्यार ..इतना दर्द ..इतनी गहराई और फिर मिल न पाना ..कितना असहनीय होता होगा जिनको ऐसे हालातों में से गुजरना पड़ता होगा और कितने दुख की बात है कि हम आज भी मज़हबों में उलझ कर ,अपने ही हाथों से बच्चों की ख़ुशियों पर ग्रहण लगा देते है।हमारा कहना तो वो मान जाते है मगर वो ख़ुश ,कहाँ रह पाते है।कभी सोचा है कि वो पूरी ज़िन्दगी कैसे मर मर कर अपना जीवन काटेंगे।
प्यार करना कोई बुरी बात नहीं है।जिस का किसी के साथ जो रिश्ता बनना होता है वो तो पहले से निर्धारित है फिर हम और आप कंयू उसे बदलना चाहते है । किसी को दर्द दे कर , किसी को अलग करके , किसी से बल छल करके, कोई कैसे चैन से रह सकता है ?
किसी को तंग करके कभी किसी का भला नहीं हुआ। न आज !! न पहले कभी !!
:_ लेखिका स्मिता ✍️

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होनहार “शौर्य मोहन”, भावी संस्कृत विद्वान

शौर्य मोहन, जीव विज्ञान के छात्र, वीरेंद्र स्वरूप शिक्षा केंद्र, श्यामनगर, कानपुर, यूपी के प्रतिष्ठित स्कूल ने कक्षा बारहवीं सीबीएसई (2023)परीक्षा में संस्कृत में 100/100 अंक प्राप्त किए।वे 10 वर्ष की उम्र से ही हिंदी और संस्कृत में कविताएँ लिखने लगे थे। उनका सपना संस्कृत के विद्वानों के लिए अपनी वेबसाइट बनाने का था। जब वह 12 साल के थे, तब उन्होंने अपनी दादी के साथ संस्कृत में बातचीत शुरू की, जो अभी भी उनकी संस्कृत की गुरु हैं । वह अपनी शिक्षिका को अपनी प्रेरणा मानते हैं।
वह ब्रिन-ओ-ब्रेन, गणित, प्रतियोगिता में दो बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं तथा स्कूल स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी चैंपियन रह चुके हैं । इसके अतिरिक्त जब उन्होंने विश्वविद्यालय में 100 से अधिक शोधार्थियों के सामने राष्ट्रीय संगोष्ठी में संस्कृत में शोध पत्र प्रस्तुत किया तो उनकी बहुत सराहना हुई। वह अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए भावुक हैं। उनका लक्ष्य निकटतम भविष्य में संस्कृत में चरक संहिता और अन्य प्राचीन साहित्य को आम आदमी की भाषा में सुलभ कराना है ताकि वर्तमान समय में आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति को मजबूत किया जा सके।

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भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गई

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गयी। कानपुर आकाशवाणी की उद्घोषिका रंजना यादव के संचालन में आयोजित संगोष्ठी के संयोजक व न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने अतिथि के रूप में उपस्थित समस्त मातृशक्ति को प्रणाम करते हुए उनका स्वागत किया। मुख्य वक्ता डॉ. चित्रा तोमर ने कहा कि यही सत्य है कि महिलाएं अनेक रूपों मे सशक्त है यदि वे स्वम पर दया खाना छोड़ दें क्योंकि सदियों की विरासत ने हमें यही सिखाया है अपने स्वाभिमान एवं दृण इच्छा शक्ति को आधार बनाकर बधाओं कों नष्ट करने का सामर्थ्य है नारी मे और एक माँ क़े रूप मे तो वह जीवनदायिनी है अतः सकारात्मक सोच रखना आवश्यकत है। मुख्य अतिथि डॉ. शशि अग्रवाल ने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज महिलाओं का नेतृत्व स्वीकार कर उनका अनुसरण कर रहा है। इसलिए अब दुनिया की आधी आबादी के रूप में हम सभी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आबूधाबी से विशिष्ट अतिथि ललिता मिश्रा ने अपनी कविता, भविष्य बाहें पसारे करता उसका इंतजार। युग निर्माता वो जननी, लक्ष्य भेदने को तैयार। इतिहास रचाकर करती है वो अपना सोलह श्रृंगार। आज की नारी है जो, सबल, सचेत, सृजनकार सुनाई। अमेरिका से रेखा भाटिया ने कहा कि मानसिक सोच में बदलाव ज़रूरी समय बीतने के साथ वर्तमान आधुनिक और भौतिकवादी काल में नारी का स्वरुप बदला है। उच्च शिक्षा ग्रहण कर नारी हर क्षेत्र में अग्रणी है। समाज, देश और विश्व के सामाजिक और आर्थिक विकास में अपना विशिष्ठ योगदान दे रही है। घर, बाहर कड़ी मेहनत से, लगन से, निष्ठा से सभी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर नारी ने संतुलन और सांमजस्य बनाने की भरपूर कोशिश की है। स्त्रियों की सामाजिक दशा में बदलाव ज़रूर हुआ है लेकिन उपभोक्तावादी इस आधुनिक काल में नारी के सशक्तिकरण का आकलन केवल आर्थिक और भौतिक दृष्टी से किया जा रहा है, नारी को मात्र प्रदर्शन और भोग की वस्तु की तरह पेश किया जाता है। यह सुधार केवल सतही स्तर पर है जैसे रहन-सहन-पहनावा ,नौकरी इत्यादि तक ही सिमित होकर रह गया है। आधुनिकता के नाम पर थोपी गई संस्कृति- संस्कार और पहनावे में स्वतंत्रता को शक्तिकरण का मापक बनाकर विभिन्न प्रचार माध्यमों से स्त्रियों के शरीर को वस्तु की तरह नुमाइश कर स्त्री की गरिमा पर गंभीर और भयंकर कुठाराघात होने लगा है। इस काल में नर-नारी के एकदूसरे के पूरक भाव की जगह विरोधी भाव को अधिक उभारा गया। आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल कर लेने के बाद भी स्त्रियों के विरुद्ध अपराध, यौन हिंसा, घरेलु हिंसा,अत्याचार,सामाजिक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न और शोषण में वृद्धि ही हुई है। बलात्कार की घटनाएँ भारत ही नहीं वरन अमेरिका में भी ज्यादा घटती हैं। नारी स्वरुप का सशक्तिकरण सम्पूर्ण रूप से अभी भी मात्र एक छलावा है, जिसमें नारी स्वयं भी छली जा रही है।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में सही मायनों में नारी को लैंगिक समानता, विचारों की समानता, समान अवसर और अधिकार मिले हैं , एक भ्रम है। लेकिन यह सोचकर संतोष होता है कि पितृसत्तात्मक सोच से नारी मुक्त होना चाहती है और निरंतर अग्रसर है। लेकिन सशक्तिकरण वैचारिक स्तर पर होना चाहिए, लैंगिक समानता, समान अधिकार और समान अवसर मिलने चाहिए जिसके लिए आवश्यक है नारी के प्रति सम्मान, संवेदनशील व्यवहार की भावना बढ़ाने के साथ ही सहिष्णुता उनकी सुरक्षा, जीवनशैली चुनने की उसे स्वतंत्रता होनी चाहिए। जिसके लिए सामाजिक और मानसिक सोच में बदलाव लाना बेहद ज़रूरी है। हिसार, हरियाणा की विशिष्ट वक्ता डॉ. गीतू भुटानी ने कहा कि कितनी बड़ी शक्ति आज हमारे हाथ में है। जिसे हमने पहचाना ही नहीं है। वी आर होम मेकर, हम जेनरेशन मेकर। बाहर से आने वाला आपको नहीं जीत सकता, जो आपके अंदर बैठा है, आपका स्वावलंबन, आत्मविश्वास। वही सब कुछ बदल सकता है। महिलाओं को अपने भीतर जीतना है, उन्हें बाहरी ताकत की ज़रूरत नहीं। हरियाणा से नेहा धवन और दुबई से निशा गिरि द्वारा वक्तव्य और कविता प्रस्तुत की ग्रीन। लखनऊ से डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा किभारतीय नारी को शक्ति का पुंज बताया उन्होंने कहा कि सहनशीलता और सृजनात्मक गुण नारी की अदम्य शक्तियां हैं। बनारस की प्रो. चम्पा कुमारी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यहां डॉ. के सुवर्णा, डॉ. अनीता निगम, डॉ. रोचना विश्वनोई, शशि सिंह आदि उपस्थित रहे।

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ओला कंपनी के इशारे पे नांच रहे सम्भागीय परिवहन अधिकारी

कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता ‘ओला’ कैब कम्पनी अनफिट टैक्सियों द्वारा यात्रा करवाकर एक तरफ जहाँ लोगों की जानमाल से खिलवाड़ कर रही है तो दूसरी ओर सम्भागीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों को भी ठेंगे पर नचा रही है।
बताते चलें कि विगत दिनों कानपुर स्मार्ट सिटी में ओला एप के माध्यम से फर्जीवाड़ा करने का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले की खबरें जब अनेक समाचारपत्रों, न्यूजपोर्टलों में प्रकाशित हुई तो एक तरफ जहाँ ओला कैब कम्पनी पर कार्यवाई करने पर कानपुर पुलिस कमिश्नरेट किनारा करते दिखी तो दूसरी तरफ सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) सुधीर कुमार ने मे0 ओला फ्लीट टैक्नोलॉजी प्रा0 लि0, सिविललाइन्स कानपुर नगर को 231 गाड़ियों में अनियमितता पकड़ते हुए ‘‘एक करोड़ इक्यावन लाख उन्नीस हजार दो सौ तैतीस रुपये’’ की नोटिस 26 अप्रैल 2023 को जारी करते हुए 30 अप्रैल 2023 तक जमा करने का समय दिया था, साथ ही हिदायत दी थी कि 30 अप्रैल 2023 तक उपरोक्त धनराशि जमा ना करने पर जिलाधिकारी द्वारा वसूली करवा ली जायेगी।
मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक ‘ओला’ कैब कम्पनी ने सम्भागीय परिवहन कार्यालय में कोई भी धनराशि जमा नहीं की है। इस बाबत सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) सुधीर कुमार से जब जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि ओला की टीम ने ‘बॉस’ से विगत दिनों एक वार्ता कर ली है और मौखिक रूप से मोहलत मांग ली है।
अब ऐसे सवाल यह उठता है कि क्या सहायक सम्भागीय परिवहन कार्यालय का निर्देश सिर्फ ‘कुछ’ के चक्कर में जारी किया गया है या सम्भागीय परिवहन कार्यालय के अधिकारी ‘ओला कैब कम्पनी’ के ठेंगे पर नाचते हैं ? अगर ऐसा नहीं तो जो निर्देश लिखित में जारी किया गया है उसमें मौखिक का खेल क्यों खेला जा रहा है ? नियत अवधि गुजरने के बावजूद धनराशि की वसूली हेतु टैक्सियों से बकाया सम्बन्धित विवरण जिलाधिकारी कानपुर नगर को क्यों नहीं उपलब्ध करवाया गया ?

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अनुराग सिंह ठाकुर और योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2022 के लोगो, शुभंकर, मशाल, गान और जर्सी का शुभारंभ किया

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लखनऊ में बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के आधिकारिक लोगो, शुभंकर, मशाल, गान और जर्सी को पूरे उत्साह के साथ लॉन्च किया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, “आज मुझे बहुत संतुष्टि मिली है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना के अनुरूप खेलो इंडिया अभियान ने एक क्रांति का रूप ले लिया है और यह क्रांति आज भारत के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश में पहुंच गई है। इन खेलों में भाग लेने वाले विश्वविद्यालय के एथलीट अनुभव करेंगे कि जीवन के सबसे कठिन सबक सीखने के लिए खेल अपने आप में एक महत्वपूर्ण तरीका है। खेलो इंडिया प्लेटफार्म, खेल में उत्कृष्टता और राष्ट्र की सेवा में अनुशासित, समर्पित तथा कर्त्तव्य-केंद्रित युवाओं के निर्माण से संबंधित है। योगी जी के प्रभावी नेतृत्व में, मुझे विश्वास है कि उत्तर प्रदेश अब तक का सबसे अच्छा खेलो इंडिया गेम प्रस्तुत करने के लिए तैयार है।

 

सभा को संबोधित करते हुए, योगी आदित्यनाथ ने कहा, “आज उत्तर प्रदेश के वातावरण और राज्य के प्रति धारणा में, शांति और कानून के शासन के साथ बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है, यही कारण है कि यहां खेल और खिलाड़ी फल-फूल रहे हैं। मैं तीसरे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 में भाग लेने वाले सभी एथलीटों, कोचों, अधिकारियों और सहायक कर्मचारियों का स्वागत करता हूं और राज्य में उनके सुखद प्रवास की कामना करता हूँ। मुझे विश्वास है कि हमारी टीम इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए सर्वोत्तम परिस्थितियां, खेल सुविधायें और खेल अवसंरचना सुनिश्चित करेगी। खेलेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया।”

“खेलो इंडिया पहल देश के खेल इकोसिस्टम के लिए भी महत्वपूर्ण बनी हुई है। अभी कुछ हफ्ते पहले, हमने खेलो इंडिया के 5 साल पूरे होने का उत्सव मनाया। पिछले 5 वर्षों में भारतीय खेलों के परिदृश्य में भारी बदलाव आया है। ऐसे कई खेलो इंडिया एथलीट हैं, जिन्हें पिछले कुछ वर्षों में उनके प्रदर्शन के आधार पर विशिष्ट लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना में शामिल किया गया है और आज वे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। इन प्रतिस्पर्धाओं और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से तैयार किये गए खेल इकोसिस्टम के बीच तालमेल ने वास्तव में हमारे एथलीटों को स्पर्धा के एक स्तर से दूसरे स्तर तक आसानी से आगे बढ़ने में मदद की है।”

कौशल, नीति और धैर्य की विचारधारा से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में आधिकारिक तौर पर खेल 25 मई से शुरू होकर 3 जून 2023 तक चलेंगे। अभूतपूर्व भव्य लॉन्च और 3डी डिस्प्ले के साथ एनामॉर्फिक विज़ुअल देखने के आनंद से परिपूर्ण एक शानदार उद्घाटन समारोह; शानदार लॉन्च; तकनीकी चमत्कार, जिसने चकाचौंध और कुछ अद्भुत सांस्कृतिक प्रदर्शनों के जरिये प्रभावित किया। लॉन्च ने प्रौद्योगिकी की एक विशाल वर्चुअल दुनिया को प्रदर्शित किया, जो मनोरंजन से भरपूर था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने चार मशाल रिले को भी झंडी दिखाई, जो अगले 20 दिनों के दौरान भारत के इस सबसे बड़े राज्य के पश्चिमी, पूर्वी, मध्य और बुंदेलखंड इलाके से होकर गुजरेगी। मुख्यमंत्री, केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी थे।

इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में उत्तर प्रदेश सरकार के खेल मंत्री श्री गिरीश चंद्र यादव, उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दया शंकर सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार के खेल और युवा कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री नवनीत सहगल, आईएएस, भारतीय खेल प्राधिकरण की उप-महानिदेशक श्रीमती एकता विश्नोई, एआईयू के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, भारतीय खेल प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक श्री संजय सारस्वत और कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल थीं।

श्री गिरीश चंद्र यादव ने कहा: “उत्तर प्रदेश एक खेल प्रेमी राज्य के रूप में तेजी से उभर रहा है और जल्द ही यह देश के ‘खेलों के केन्द्र’ के रूप में जाना जाएगा। हम मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के मार्गदर्शन में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2022 की मेजबानी करने और राज्य की खेल संबंधी यात्रा में एक और उपलब्धि हासिल करने के लिए उत्सुक हैं। मैं सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को शुभकामनाएं देता हूं।”

शुभारंभ समारोह की शुरुआत सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री द्वारा यूनिवर्सिटी गेम्स के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का शुभारंभ किए जाने से पहले उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री श्री गिरीश चंद्र यादव के  स्वागत भाषण के साथ हुई। इसके बाद श्री अनुराग ठाकुर ने प्रसिद्ध गायक पलाश सेन द्वारा रचित और गाए गए “खेलो इंडिया – हर दिल में देश” शीर्षक खेलों के गान का विमोचन किया।

इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी गेम्स की आधिकारिक जर्सी को लॉन्च किया, जिसे ललित उपाध्याय, सुधा सिंह और दिव्या काकरान जैसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख खिलाड़ियों ने पहना और मंच पर आत्मविश्वास के साथ उसे प्रदर्शित किया।

इस अवसर पर यूनिवर्सिटी गेम्स के शुभंकर जीतू बारासिंघा, जो आकर्षक जीवंत राजकीय पशु  और “गर्व से गौरव” का प्रतीक है, का अनावरण किया गया।

अंतिम अनावरण यूनिवर्सिटी गेम्स के मशाल का किया गया, जिसे उत्तर प्रदेश के दिग्गज खिलाड़ियों- ललित उपाध्याय, वंदना कटारिया, सुधा सिंह, विजय यादव, दानिश मुज्तबा द्वारा एक-एक करके मंच पर लाया गया। खेल जगत के दिग्गजों द्वारा मशाल सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री ने एनामॉर्फिक स्क्रीन पर इन्हें जलाया और कैंटर पर चार दिशाओं में जाने वाली चार मशाल रिले को झंडी दिखाने के लिए पार्किंग क्षेत्र में गए।

प्रतीक चिन्ह (लोगो)

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2022 उत्तर प्रदेश का आधिकारिक प्रतीक चिन्ह (लोगो ) भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। यह प्रतीक चिन्ह राज्य की समृद्ध पारंपरिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है, जो शिक्षा, बुनियादी ढांचा और खेल जैसे सभी पहलुओं में इसके विकास का आधार रहा है।

शुभंकर

शुभंकर जीतू, बारासिंघा का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक अद्भुत स्तनधारी है, जो एक शक्तिशाली शारीरिक बनावट और उल्लेखनीय गति वाला होता है। यह अपने स्वभाव में कौशल, नीति और धैर्य को प्रदर्शित करता है और अनुग्रह एवं सूक्ष्मता की प्रतिमूर्ति होता है, जो वास्तव में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, उत्तर प्रदेश की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। यह उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत की शक्ति और प्रचुरता को प्रदर्शित करता है।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आधिकारिक शुभंकर के रूप में, जीतू उत्साह के स्रोत के रूप में काम करेगा, प्रशंसकों के जुड़ाव को बढ़ावा देगा और पूरे प्रतियोगिता के दौरान टीम भावना का निर्माण करेगा। उत्तर प्रदेश के प्रशंसक पूरे राज्य में जीतू को देखने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि उसका उपयोग नए प्रशंसकों को आकर्षित करने और अधिक से अधिक लोगों को खेलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु किया जाएगा। यह शुभंकर टीम के प्रायोजकों, सामानों और अन्य विपणन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा, जिससे वह इस आयोजन की सफलता का एक अनिवार्य हिस्सा बन जाएगा।

पिछले खेलो इंडिया खेलों के शुभंकर जया और विजय ने मंच पर जीतू का स्वागत किया।

मशाल

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, उत्तर प्रदेश की आधिकारिक मशाल ‘शक्ति’ न केवल अपनी विरासत और भावना की प्रतीक है, बल्कि एक ऐसी जीवंत इकाई भी है जो ऊर्जा से भरी हुई है। प्रत्येक एथलीट को अपने अंतिम लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने हेतु गंगा नदी को ‘शक्ति’ पर उकेरा गया है और इस पर अंकित ऊपर की ओर इशारा करते हुए, भविष्य की ओर उन्मुख दिखने वाला तीर गौरवशाली अतीत और उत्तर प्रदेश के भविष्य का उत्सव मनाता है। शक्ति के प्रकाश प्रदान करने वाले मूल में मोर पंख और कमल की पंखुड़ियां भी अंकित हैं, जो पहाड़ों को भी हिला सकने वाली अपनी शांत ऊर्जा को इंगित करती हैं और प्रेरणा और इच्छाशक्ति का एक शक्तिशाली स्रोत है।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स

इस 12-दिवसीय केआईयूजी यूपी 2022 का आयोजन वाराणसी, नोएडा और गोरखपुर के अलावा राज्य की राजधानी लखनऊ में किया जाएगा। दिल्ली के डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में निशानेबाजी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। कबड्डी प्रतियोगिता 23 मई, 2023 को नोएडा में शुरू होगी, जबकि कुछ अन्य स्पर्धाएं 24 मई, 2023 को विभिन्न स्थानों पर भी शुरू होंगी।

इस यूनिवर्सिटी गेम्स, जो आधिकारिक तौर पर 25 मई से 03 जून, 2023 तक होंगे, में 200 भारतीय विश्वविद्यालयों के 4000 से अधिक एथलीट 21 खेल स्पर्धाओं में प्रतिस्पर्धा करेंगे। उद्घाटन समारोह 25 मई, 2023 को लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। यूनिवर्सिटी गेम्स उत्कृष्टता के स्तर को ऊपर उठाते हुए और सच्ची खेल भावना, हिम्मत एवं गौरव के उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा, खेल तथा जीत के सम्मान के लिए बेहतरीन खेल भावना का उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।

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 शांतनु ठाकुर ने तूतीकोरिन से मालदीव के बीच सीधी शिपिंग सेवा को वी.ओ. चिदम्बरनर  बंदरगाह से झंडी दिखाकर रवाना किया

आज आयोजित एक समारोह में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्यमंत्री श्री शांतनु ठाकुर ने पोत एम बी एमएसएस गैलाना को तुतीकरण से मालदीव के लिए सीधी शिपिंग सेवा के रूप में रवाना किया।

जून 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री और मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत और मालदीव के बीच सम्पर्क बढ़ाने हेतु बुनियादी संरचना के विकास पर विचार किया था, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को भी बढ़ावा देने वाला होगा।

यह सेवा दोनों देशों के बीच आपसी समझ की पुष्टि करने और इसे आगे बढ़ाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री की मालदीव के आधिकारिक यात्रा के दौरान ०८.०६ २०१९  को मालदीव सरकार के नागर विमानन मंत्रालय और भारत सरकार के पतन पोत परिवहन और जल मार्ग मंत्रालय के बीच समुद्री मार्ग द्वारा यात्री और कार्गों सेवा को संचालित करने के लिए हस्ताक्षरित ज्ञापन की परिणति के रूप में संचालित की जा रही है. यह कदम ‘पड़ोसी पहले’ और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास की भारत की नीति  के अनुरूप भी है.

पोत एमवी एमएस गैलेना की भार वहन क्षमता 421 TEUs और इसमें बल्क कार्गों ले जाने का प्रावधान भी है. शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा तैनात यह पोत  कंटेनर टर्मिनल पर 04.05.2023 पर तो पहुंचा इसे PSA SICAL कंटेनर टर्मिनल पर 270 TEU कंटेनर से लोड किया गया. एम.वी एमएस गैलेना  तूतीकोरिन से मालदीव  के लिये 05.05.2023 को रवाना होगी इसके माले पहुंचने की तिथि 07.05 2023 निर्धारित की गई है. इस शिपिंग सेवा  का मार्ग तूतीकोरिन- माले- तूतीकोरिन है और और इसका  इस मार्ग पर महीने में तीन चक्कर लगना तय है।

इस अवसर पर बोलते हुए  शांतनु ठाकुर ने कहा कि इस ऐतिहासिक और पथप्रदर्शक सेवा की शुरुआत करने के पीछे हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा मालदीव   यात्रा के दौरान की गई प्रतिबद्धता को पूरा करना था। इस पहल से न केवल रसद और अन्य लागतों में कटौती करने में मदद मिलेंगी बल्कि यह सेवा  दोनों देशों के बीच संपर्क को बढ़ाकर माल परिवहन  में लगने वाले समय को भी कम करेगी । दोनों देशों के द्वारा ली गई इस नई संपर्क पहल से न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी बल्कि यह भारतीय और मालदीव बंदरगाहों के बीच स्थिर और विकसित संपर्क को भी बढ़ाएगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय व्यापार को और गति मिलेगी। इस प्रकार व्यापार और आर्थिक अवसरों में वृद्धि होगी और दोनों देशों के बीच नए जोश के साथ समुद्री व्यापार संबंधों में वृद्धि होगी। पहले तूतीकोरिन से मालदीव जाने वाले बल्क कार्गों को बजरों और समुद्री जहाजों के माध्यम से भेजा जाता था और माल्दीव जाने वाले कंटेनरों को कोलंबो के रास्ते   भेजा जाता था. SCI द्वारा तूतीकोरिन – कोच्चि – कुल्लूधुफुसी  माले  के बीच एक सेवा संचालित की गई थी 200 TEU कंटेनरों और 3000 टन सामान्य कार्गों की क्षमता वाले पोत MCP Linz को 21.09 2020 को लॉन्च किया गया था जिसका अनुबंध 28.08.2022 को समाप्त हो गया.

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रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) को नवरत्न का दर्जा मिला

रेल मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) को नवरत्न कंपनी का दर्जा हासिल हो गया है।

आरवीएनएल को 24 जनवरी, 2003 को पीएसयू के रूप में निगमित किया गया था, जिसका उद्देश्य फास्ट ट्रैक आधार पर रेलवे के बुनियादी ढांचे की क्षमताओं के निर्माण और वृद्धि से संबंधित परियोजनाओं का कार्यान्वयन और एसपीवी परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त बजटीय संसाधनों को जुटाना था। निदेशक मंडल की नियुक्ति के साथ 2005 में कंपनी का परिचालन शुरू हुआ था। कंपनी को सितंबर, 2013 में मिनी रत्न का दर्जा दिया गया था। कंपनी की अधिकृत शेयर पूंजी 3000 करोड़ रुपये है, जिसकी चुकता शेयर पूंजी 2085 करोड़ रुपये है।

आरवीएनएल को निम्नलिखित काम सौंपे गए हैं :

  1. पूर्ण परियोजना जीवन चक्र को कवर करने वाली परियोजना के विकास और कार्यों का निष्पादन करना।
  2. यदि आवश्यक हो, तो व्यक्तिगत कार्यों के लिए परियोजना केंद्रित एसपीवी बनाना।
  3. आरवीएनएल द्वारा एक रेलवे परियोजना पूरी किए जाने पर, संबंधित क्षेत्रीय रेलवे इसका संचालन और रखरखाव करेगा।

आरवीएनएल को “नवरत्न” का दर्जा मिलने से उसके अधिकार, परिचालन स्वतंत्रता और वित्तीय स्वायत्तता में बढ़ोतरी हो गई है, जिससे आरवीएनएल की प्रगति को पर्याप्त प्रोत्साहन मिलेगा। यह विशेष रूप से इसलिए भी अहम है, क्योंकि आरवीएनएल रेलवे से परे और यहां तक कि विदेश स्थित परियोजनाओं में भी अपना विस्तार कर रही है।

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पिछले पांच वर्षों के दौरान घरेलू कोयले का उत्पादन लगभग 23 प्रतिशत बढ़ा

वित्त वर्ष 2018-2019 में 728.72 मिलियन टन की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के कुल कोयला उत्पादन में लगभग 22.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 893.08 मिलियन टन का उत्पादन हुआ। प्रतिस्थापन योग्य कोयले के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाना कोयला मंत्रालय की प्राथमिकता है। पिछले 5 वर्षों में कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का उत्पादन वित्त वर्ष 2018-2019 में 606.89 मिलियन टन की तुलना में 15.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 703.21 मिलियन टन बढ़ा है। एससीसीएल ने वित्त वर्ष 2018-19 में 64.40 मिलियन टन से 4.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में 67.14 मिलियन टन उत्पादन कर प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। कैप्टिव और अन्य खदानों ने भी 113.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में 122.72 मिलियन टन उत्पादन दर्ज किया है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 57.43 मिलियन टन था।


कोयला मंत्रालय ने सभी क्षेत्रों की मांग को पूरा करने और ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित कर आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए घरेलू कोयला उत्पादन में तेजी लाने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। कोयला उत्पादन में असाधारण वृद्धि ने देश की ऊर्जा सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त किया है। वित्त वर्ष 2023- 2024 के लिए निर्धारित वार्षिक कोयला उत्पादन का लक्ष्य 1012 मिलियन टन है। इसके अलावा, कोयला मंत्रालय पर्यावरण संरक्षण, संसाधन संरक्षण, सामाजिक कल्याण और हमारे वनों और जैव विविधता को संरक्षित करने के उपायों पर जोर देकर कोयला उत्पादन के साथ सतत विकास को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से कार्यरत है।  मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क से ढुलाई को समाप्त करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है और ‘फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी’ परियोजनाओं के तहत मशीनीकृत कोयला ढुलाई और लोडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कदम

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