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Bharatiya Swaroop

भारतीय स्वरुप एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। सम्पादक मुद्रक प्रकाशक अतुल दीक्षित (published from Uttar Pradesh, Uttrakhand & maharashtra) mobile number - 9696469699

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए 6,28,993 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामले मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों को राहत प्रदान करने के लिए कई उपायों की आज घोषणा की। घोषित उपायों का उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणालियों को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए तैयार करना और विकास एवं रोज़गार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना है। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामले राज्य मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, वित्त सचिव डॉ. टी. वी. सोमनाथन, डीएफएस सचिव, श्री देबाशीष पांडा और राजस्व सचिव श्री तरुण बजाज भी राहत पैकेज की घोषणा के दौरान उपस्थित थे।

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केंद्रीय वित्त औरकॉर्पोरेट मामले मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में वित्तीय राहत पैकेज की घोषणा की

6,28,993 करोड़ रुपयों की राशि के कुल 17 उपायों की घोषणा की गई। इनमें पहले घोषित किए गए दो उपाय, डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी और मई से नवंबर, 2021 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार भी शामिल हैं।

आज घोषित उपायों को निम्नलिखित 3 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:-

1. महामारी से आर्थिक राहत

2. सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना

3. विकास और रोजगार के लिए प्रोत्साहन

I. महामारी से आर्थिक राहत

आज घोषित 17 योजनाओं में से आठ का उद्देश्य कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों और व्यवसायों को आर्थिक राहत प्रदान करना है। स्वास्थ्य और यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्रों केपुनरोद्धार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

i. कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1.10 लाख करोड़ की ऋण गारंटी योजना

इस नई योजना के तहत व्यवसायों को 1.1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मिलेगा। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये और पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों के लिए 60,000 करोड़ रुपये शामिल हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र के घटक का उद्देश्य कम सेवा वाले क्षेत्रों में लक्षित चिकित्सा बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है। 8 महानगरों के अलावा अन्य शहरों में स्वास्थ्य/चिकित्सा बुनियादी ढांचे से संबंधित विस्तार और नई परियोजनाओं दोनों के लिए गारंटी कवर उपलब्ध होगा, जबकि विस्तार के लिए गारंटी कवर 50 प्रतिशत और नई परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत रहेगा। आकांक्षी जिलों के मामले में, नई परियोजनाओं और विस्तार दोनों के लिए 75 प्रतिशत का गारंटी कवर उपलब्ध होगा। योजना के तहत स्वीकार्य अधिकतम ऋण 100 करोड़ रुपये है और गारंटी अवधि 3 वर्ष तक है। बैंक इन ऋणों पर अधिकतम 7.95 प्रतिशत का ब्याज वसूल सकते हैं। अन्य क्षेत्रों के लिए ऋण 8.25 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सीमा के साथ उपलब्ध होंगे। इस प्रकार इस योजना के तहत उपलब्ध ऋण बिना गारंटी के 10-11 प्रतिशतकी सामान्य ब्याज दरों की तुलना में काफी सस्ते होंगे।

ii. आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस)

सरकार ने मई, 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में प्रारंभ की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को 1.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत ईसीएलजीएस पर विशेष ध्यान देते हुए 2.73 लाख करोड़ रुपयों की मंजूरी दीगई हैं जबकि 2.10 लाख करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। विस्तारित योजना के तहत, स्वीकार्य गारंटी और ऋण राशि की सीमा प्रत्येक ऋण पर बकाया के मौजूदा 20% के स्तर से ऊपर बढ़ाने का प्रस्ताव है। उभरती जरूरतों के अनुसार क्षेत्रवार विवरण को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस प्रकार स्वीकार्य गारंटी की कुल सीमा 3 लाख करोड़ रुपये से 4.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है।

iii. लघु वित्त संस्थानों के लिए ऋण गारंटी योजना

यह आज घोषित एक पूरी तरह से नई योजना है जिसका उद्देश्य लघु वित्त संस्थानों के नेटवर्क द्वारा सेवा प्रदान करने वाले छोटे से छोटे उधारकर्ताओं को लाभ पहुंचाना है। नए या मौजूदा एनबीएफसी-एमएफआई या एमएफआई को लगभग 25 लाख छोटे कर्जदारों को 1.25 लाख रुपये तक के ऋण के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को गारंटी प्रदान की जाएगी। बैंकों से ऋण की अधिकतम सीमा एमसीएलआर प्लस 2% होगी। अधिकतम ऋण अवधि 3 वर्ष होगी, और वृद्धिशील उधार की 80% सहायता को एमएफआई द्वारा उपयोग किया जाएगा। ब्याज दरें आरबीआई द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से कम से कम 2% कम होंगी। यह योजना नए ऋण देने पर केंद्रित है, न कि पुराने ऋणों के पुनर्भुगतान पर। एमएफआई कर्जदारों को आरबीआई के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार जैसे कि कर्जदाताओं की संख्या, जेएलजी का सदस्य बनने के लिए कर्जदार, घरेलू आय और कर्ज की अधिकतम सीमा के अनुरूप कर्ज देंगे। योजना की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें सभी उधारकर्ता (89 दिनों तक के डिफॉल्टरों सहित) पात्र होंगे। एमएफआई/एनबीएफसी-एमएफआई को एमएलआई द्वारा वित्त पोषण के लिए प्रदान की गई राशि पर 31 मार्च, 2022 तक अथवा जारी किए गए 7,500 करोड़ रुपये की राशि के लिए गारंटी जो भी पहले हो, के लिए गारंटी कवर उपलब्ध होगा। नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (एनसीजीटीसी) के माध्यम से 3 साल तक डिफ़ॉल्ट राशि का 75% तक गारंटी प्रदान की जाएगी।

योजना के तहत एनसीजीटीसी द्वारा कोई गारंटी शुल्क नहीं लिया जाएगा।

iv. पर्यटक गाइडों/ हितधारकों के लिए योजनाआज घोषित एक और नई योजना का उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत लोगों को राहत प्रदान करना है। कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित क्षेत्रों के लिए नई ऋण गारंटी योजना के तहत, पर्यटन क्षेत्र के लोगों को देनदारियों का निर्वहन करने और व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी/ व्यक्तिगत ऋण प्रदान किया जाएगा। इस योजना में कुल 10,700 पर्यटन मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय स्तर के पर्यटक गाइड और राज्य सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त पर्यटक गाइड और पर्यटन मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त लगभग 1,000 यात्रा और पर्यटन हितधारक (टीटीएस) शामिल होंगे। प्रत्येक टीटीएस 10 लाख रुपये तक का ऋण पाने के लिए पात्र होंगे जबकि प्रत्येक पर्यटक गाइड 1 लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं। इसके लिए किसी प्रकार का प्रसंस्करण शुल्क नहीं होगा साथ ही फोरक्लोज़र/पूर्व भुगतान शुल्क में छूट और अतिरिक्त आनुशांगिक की कोई आवश्यकता नहीं होगी। इस योजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा एनसीजीटीसी के माध्यम से संचालित किया जाएगा।

v. 5 लाख पर्यटकों को एक महीने का निःशुल्क पर्यटक वीजा

पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह एक और योजना है। इसमें अवधारणा की गई है कि एक बार वीजा जारी होने के फिर से प्रारंभ होने के बाद, भारत की यात्रा करने वाले पहले 5 लाख पर्यटक वीजा निःशुल्क जारी किए जाएंगे। हालांकि, प्रति पर्यटक एक बार ही लाभ मिलेगा। यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक या 5 लाख वीजा जारी होने तक, जो भी पहले हो, तक लागू रहेगी। सरकार को इस योजना से कुल 100 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव का सामना करना होगा।

vi. आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एएनबीवाई) का विस्तार

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का शुभारंभ 1 अक्टूबर, 2020 को किया गया था। यह नियोक्ताओं को ईपीएफओ के माध्यम से नए रोजगार के सृजन, रोजगार में नुकसान की भरपाई के लिए प्रोत्साहित करती है। योजना के तहत 1000 कर्मचारियों तक की क्षमता के प्रतिष्ठान के लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के अंशदान (मजदूरी का कुल 24%) के लिए 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों को पंजीकरण से लेकर दो साल तक सब्सिडी प्रदान की जाती है जबकि 1,000 से अधिक कर्मचारियों की क्षमता के मामले में कर्मचारी का हिस्सा केवल (मजदूरी का 12%) होता है। योजना के अंतर्गत, 18.06.2021 तक 79,577 प्रतिष्ठानों के 21.42 लाख हितग्राहियों को 902 करोड़ रुपये का लाभ दिया जा चुका है। सरकार ने योजना के तहत पंजीकरण की तिथि को 30.6.2021 से बढ़ाकर 31.03.2022 करने का निर्णय लिया है।

vii. डीएपी और पीएण्डके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी

डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए किसानों को हाल ही में की गई अतिरिक्त सब्सिडी की घोषणा का विवरण प्रस्तुत किया गया। वित्त वर्ष 2020-21 में मौजूदा एनबीएस सब्सिडी 27,500 करोड़ रूपए थी जिसे वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़ाकर 42,275 करोड़ रूपए कर दिया गया है। इस प्रकार, किसानों को 14,775 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का लाभ मिलेगा। इसमें डीएपी के लिए 9,125 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी और एनपीके आधारित जटिल उर्वरक के लिए 5,650 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी शामिल हैं।

viii. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत मई से नवंबर2021 तक निःशुल्क खाद्यान

पिछले वित्तीय वर्ष में, कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के कारण गरीबों को हुई कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार ने पीएमजीकेवाईके तहत 133,972 करोड़ रुपये व्यय किए थे। इस योजना का शुभारंभ पहले अप्रैल से जून 2020 की अवधि के लिए किया गया लेकिन बाद में गरीबों और जरूरतमंदों को निरंतर सहायता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुएइस योजना को नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था। था। कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर, गरीबों/ कमजोरों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई 2021 में इस योजना को फिर से प्रारंभ किया गया। इसके तहत, एनएफएसए लाभार्थियों को मई से नवंबर 2021 तक पांच किलो अनाज निःशुल्क दिया जाएगा। योजना का अनुमानित वित्तीय प्रभाव 93,869 करोड़ रुपये होंगा, जिससे पीएमजीकेवाई की कुल लागत 2,27,841 करोड़ रुपये हो जाएगी।

II. सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना

बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल/ बाल चिकित्सा बिस्तरों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त 23,220 करोड़ रुपये प्रदान किए गए

क्रेडिट गारंटी योजना के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र को समर्थन देने के अलावा, 23,220 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन को मजबूत करने के लिए एक नई योजना की भी घोषणा की गई। इस नई योजना से बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल/बाल चिकित्सा बिस्तरों पर विशेष ध्यान देने के साथ अल्पकालिक आपातकालीन तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में ही खर्च की जाने वाली योजना के लिए 23,220 करोड़ रुपये का परिव्ययरखा गया है। योजना के तहत मेडिकल छात्रों (इंटर्न, रेजीडेन्ट, अंतिम वर्ष) और नर्सिंग छात्रों के माध्यम से अल्पकालिक मानव संसाधन वृद्धि; आईसीयू बेड की उपलब्धता बढ़ाने, केंद्रीय, जिला और उप-जिला स्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने; उपकरण एवंदवाओं की उपलब्धता; टेली-परामर्श तक पहुंच; एम्बुलेंस सेवाओं को मजबूत करने; और जाँच क्षमता एवं सहायक निदान में वृद्धि, निगरानी एवं जीनोम अनुक्रमण के लिए क्षमता को मजबूत करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा।

iii. सरकार द्वारा विकास और रोजगार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके लिए निम्नलिखित आठ योजनाओं की घोषणा की गई:-

i. जलवायु अनुकूल विशिष्ट किस्म जारी

पहले उच्च उपज वाली फसल की किस्मों को विकसित करने के लिए पोषण, जलवायु अनुकूलता और अन्य विशेषताओं की ओर ध्यान नहीं दिया गया था। इन किस्मों में, महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की सांद्रता आवश्यक स्तर से काफी कम थी, और ये जैविक और अजैविक दबावोंके प्रति अतिसंवेदनशील थी। आईसीएआर ने प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन-ए जैसे उच्च पोषक तत्वों वाली जैव-दृढ़िकृत फसल किस्मों को विकसित किया है। ये किस्में रोगों, कीटों, सूखे, लवणता और बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करने में सक्षम हैं, और जल्दी परिपक्व होती हैं और इन्हें यांत्रिक कटाई के तौर पर भी विकसित किया जाता हैं। चावल, मटर, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, क्विनोआ, कुट्टू, विंग्ड बीन, अरहर और ज्वार की 21 ऐसी किस्में राष्ट्र को समर्पित की जाएंगी।

ii. पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) का पुनरुद्धार

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) की स्थापना 1982 में पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि-बागवानी उत्पादों का लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में सहायता करने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में कृषि, खरीद, प्रसंस्करण और विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है। इसमें 75 किसान उत्पादक संगठन/किसान उत्पादक कंपनियां एनईआरएएमएसी के साथ पंजीकृत हैं। इसने पूर्वोत्तर के 13 भौगोलिक संकेतक (जीआई) फसलों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की है। कंपनी ने बिचौलियों/एजेंटों को दरकिनार कर किसानों को 10-15 फीसदी अधिक मूल्य प्रदान करने के लिए व्यापारिक योजना तैयार की है। इसमें उद्यमियों को इक्विटी वित्त की सुविधा के लिए जैविक खेती के लिए पूर्वोत्तर केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। एनईआरएएमएसी को77.45 करोड़ रुपये का पुनरुद्धार पैकेज प्रदान किया जाएगा।

iii. राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाते (एनईआईएमाध्यम से निर्यात परियोजना के लिए 33,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन

राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) ट्रस्ट जोखिम कवर का विस्तार करके मध्यम और दीर्घकालिक (एमएलटी) परियोजना निर्यात को बढ़ावा देता है। यह एक्ज़िम बैंक द्वारा दिए गए कम क्रेडिट-योग्य उधारकर्ताओं और सहायक परियोजना निर्यातकों को खरीदार के लिए क्रेडिट को कवर प्रदान करता है। एनईआईए ट्रस्ट ने 31 मार्च, 2021 तक 63 विभिन्न भारतीय परियोजना निर्यातकों द्वारा 52 देशों में 52,860 करोड़ रुपये की 211 परियोजनाओं का समर्थन किया है। एनईआईए को 5 वर्षों में अतिरिक्त कोष प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। यह इसे अतिरिक्त रुपये को हामीदारी करने में सक्षम करेगा। परियोजना निर्यात का 33,000 करोड़।

iv. निर्यात बीमा कवर को 88,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन

निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) ऋण बीमा सेवाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देता है। इसके उत्पाद भारत के व्यापारिक निर्यात के लगभग 30 प्रतिशत का समर्थन करते हैं। निर्यात बीमा कवर को 88,000 तक बढ़ाने के लिए ईसीजीसी में 5 वर्षों तक इक्विटी रखने का निर्णय लिया गया है।

v. डिजिटल इंडियाः भारतनेट पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रत्येक गांव में ब्रॉडबैंड के लिए 19,041 करोड़ रूपए

2,50,000 ग्राम पंचायतों में से 56,223 ग्राम पंचायतों को 31 मई, 2021 तक सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है। भारतनेट को व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण के आधार पपीपीपी मॉडल में 16 राज्यों में (9 पैकेजों में समायोजित) करके लागू करने का प्रस्ताव है। इसके लिए अतिरिक्त रु. 19,041 करोड़ प्रदान किए जाएंगे। इस प्रकार, भारतनेट के तहत कुल परिव्यय को बढ़ाकर 61,109 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाएगा। यह सभी ग्राम पंचायतों और बसे हुए गांवों को कवर करने के लिए भारतनेट के विस्तार और उन्नयन को सक्षम करेगा।

vi. बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के कार्यकाल का विस्तार

पीएलआई योजना पांच वर्ष की अवधि के लिए भारत में निर्मित लक्षित खंडों के तहत माल की वृद्धिशील बिक्री पर 6 प्रतिशत से 4 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करती है। प्रोत्साहन आधार वर्ष 2019-20 के साथ 01 अगस्त 2020 से लागू हैं। हालांकि, महामारी संबंधी लॉकडाउन, कर्मियों की आवाजाही पर प्रतिबंध, स्थानांतरित संयंत्र और मशीनरी की स्थापना में देरी और घटकों की आपूर्ती श्रृंखला में व्यवधान के कारण उत्पादन गतिविधियों में व्यवधान के कारण कंपनियां वृद्धिशील बिक्री की स्थिति हासिल करने में असमर्थ रही हैं। इसलिए 2020-21 में शुरू की गई योजना के कार्यकाल को एक वर्ष यानी 2025-26 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है। भाग लेने वाले उद्योगों को योजना के तहत अपने उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोई भी पांच वर्ष चुनने का विकल्प मिलेगा। 2020-21 में किए गए निवेश को स्वीकार्य निवेश के रूप में गिना जाता रहेगा।

vii. सुधार-आधारितपरिणाम- से जुड़ी ऊर्जा वितरण योजना के लिए 3.03 लाख करोड़ रुपये दिये गए

बुनियादी ढांचे के निर्माण, प्रणाली के उन्नयन, क्षमता निर्माण और प्रक्रिया में सुधार के लिए डिस्कॉम्स को वित्तीय सहायता की संशोधित सुधार-आधारित, परिणाम से जुड़ी बिजली वितरण योजना की घोषणा 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई थी। इसका उद्देश्य “एक आकार सभी के लिए उपयुक्त” के स्थान पर राज्य का भी विशिष्ट हस्तक्षेप कराना है। योजना में भागीदारी पूर्व-योग्यता मानदंड जैसे लेखा-परीक्षित वित्तीय रिपोर्ट का प्रकाशन, राज्य सरकार की बकाया राशि/डिस्कॉम को सब्सिडी का अग्रिम परिसमापन और अतिरिक्त नियामक परिसंपत्तियों का निर्माण करने के आधार पर होगी। योजना के तहत 25 करोड़ स्मार्ट मीटर, 10,000 फीडर, 4 लाख किमी एलटी ओवरहेड लाइन लगाने के लिए सहायता प्रदान करने का लक्ष्य है। आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई और सौभाग्य के वर्तमान में जारी कार्यों को भी योजना में शामिल किया जाएगा। योजना के लिए कुल परिव्यय 3,03,058 करोड़ रुपए है, जिसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा 97,631 करोड़ रुपए है। इस योजना के तहत उपलब्ध राशि सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 0.5% की अतिरिक्त उधारी के अतिरिक्त है जो राज्यों को अगले चार वर्षों के लिए वार्षिक रूप से उपलब्ध होगी बशर्ते कि बिजली क्षेत्र में विशिष्ट सुधार किए जाएं। इस उद्देश्य के लिए इस वर्ष उपलब्ध उधार धनराशि 1,05,864 करोड़ रुपये है।

viii. पीपीपी परियोजनाओं और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए नई सुव्यवस्थित प्रक्रिया

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के अनुमोदन की वर्तमान प्रक्रिया लंबी है और इसमें अनुमोदन के कई स्तर शामिल हैं। पीपीपी प्रस्तावों के मूल्यांकन और अनुमोदन के लिए एक नई नीति तैयार की जाएगी और सूचना प्रौद्योगिकी को आमंत्रण के माध्यम से मुख्य बुनियादी ढाँचे की संपत्ति का मुद्रीकरण किया जाएगा। नीति का उद्देश्य बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रबंधन के वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिए परियोजनाओं की शीघ्र मंजूरी सुनिश्चित करना रहेगा।

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भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मिशन मोड में भारतीय रेलवे 11,5000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाएं सौंपने के लिए तैयार

भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मिशन मोड में भारतीय रेलवे अगले कुछ वर्षों में 11,5000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सौंपने के लिए तैयार है।

कोविड की चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे पटरियों की क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है।

पिछले एक वर्ष में 11,588 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 1,044 किलोमीटर लंबाई की 29 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं चालू हो गई हैं।

भारतीय रेल ने 39,663 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 3,750 किलोमीटर लंबाई की कुल 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं को चिन्हित किया है। इन 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से 27 परियोजनाएं दिसंबर, 2021 तक पूरी हो जाएंगी जबकि शेष 02 परियोजनाएं मार्च 2022 तक सौंपी जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल नेटवर्क का अधिकांश यातायात गोल्डन चतुर्भुज, उच्च घनत्व नेटवर्क मार्गों और अत्यधिक उपयोग किए गए  भारतीय रेलवे नेटवर्क मार्गों पर चलता है। उच्च घनत्व और अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क मार्ग में भारतीय रेलनेटवर्क कीमार्ग लंबाई 51 प्रतिशत है लेकिन इसमें 96 प्रतिशत यातायात है।

यातायात घनत्व, ले जाई जाने वाली सामग्री के प्रकार, रणनीतिक दृष्टि से मार्ग के महत्व के आधार पर तेजी से प्रगति कर रही परियोजनाओं (व्यय पहले ही 60 प्रतिशत से अधिक) सहित तत्काल विस्तार के लिए आवश्यक परियोजनाओं को अति महत्वपूर्ण श्रेणी (58 परियोजनाएं) में रखा गया है। जो परियोजनाएं अगले चरण में पूरी होनी हैं उन्हें महत्वपूर्ण परियोजनाएं(68 परियोजनाएं) माना गया है। ये सभी सिविल परियोजनाएं (विद्युतीकरण तथा सिग्नलिंग कार्य से संबंधित) हैं।

केंद्रित रूप में वित्त पोषण तथा निरंतर निगरानी से इन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है ताकि निवेश का लाभ उठाया जा सके। पूरी होने पर यह परियोजनाएं मोबिलिटी, सुरक्षा में सुधार लाएंगी और इन संतृप्त तथा व्यस्त मार्गों पर सवारी और मालगाड़ी चलाने की अतिरिक्त क्षमता का निर्माण होगा। शीघ्र पूरी की जाने वाली चिन्हित परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन को उच्च प्राथमिकता दी गई है।

अति महत्वपूर्ण परियोजनाएः

39,663 करोड़ रुपए लागत की 3,750 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 58 परियोजनाओं को अति महत्वपूर्ण चिन्हित किया गया है। यह अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं मल्टी-ट्रैकिंग यानी दोहरीकरण/तीसरी लाइन/चौथी लाइन की व्यस्त मार्गों पर हैं। इन परियोजनाओं के पूरी होने पर रेलवे इन घने/ संतृप्त/व्यस्त मार्गों पर सुरक्षा के साथ तेज गति से अधिक यातायात संचालन में सक्षम होगा। अब तक 11,588 करोड़ रुपए लागत की 1,044 किलोमीटर कुल लंबाई की 29 परियोजनाएं चालू कर दी गई हैं। 27 परियोजनाएं दिसंबर, 2021 तक पूरी हो जाएंगी जबकि शेष 02 परियोजनाएं मार्च 2022 तक पूरी होंगी।

महत्वपूर्ण परियोजनाएं:

75,736 करोड़ रुपये की लागत वाली 6,913 किलोमीटर कुल लंबाई की 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की पहचान की गई है और 1,408 करोड़ रुपये की लागत वाली 108 किलोमीटर लंबी 04 परियोजनाएं अब तक पूरी कर ली गई हैं और शेष परियोजनाओं को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

68 महत्वपूर्ण परियोजनाएं – अनुमानित लागत 75,736 करोड़ रुपये (लगभग 76,000 करोड़) की थीं जिनमें से 21 मार्च तक 37,734 (लगभग 38,000 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं। इस वर्ष के लिए परिव्यय 14,466 करोड़ रुपये (लगभग 15,000 करोड़) है। अब-तक 4 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।

भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,614 किलो मीटर दोहरीकरण/तीसरी/चौथी लाइन चालू की है। महामारी की स्थिति के बावजूद भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 133 किलोमीटर दोहरीकरण/तीसरी लाइन चालू की है।

भारतीय रेलवे ने असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कुछ प्रमुख क्षमता निर्माण परियोजनाएं दी हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  1. असम –

न्यू बोंगईगांव-गुवाहाटी सेक्शन के ब्रह्मपुत्र नदी पर नारायण सेतु पर दूसरी लाइन ट्रैक चालू होने से इस सेक्शन पर काफी राहत मिलेगी।

 

  1. पश्चिम बंगाल-
  2. ए)  मई 2021 में भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी और राज्य चुनाव के बावजूद पश्चिम बंगाल में दो दोहरीकरण परियोजनाओं यानी कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ का हिस्सा चालू किया है।

बी) कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ: एनटीपीसी टीपीएस यानी फरक्का क थर्मल पावर स्टेशन (निर्माणाधीन) के लिए कोयले की आवाजाही के लिए बर्धमान साहिबगंज की ओर आने- जाने वाले यातायात को देखते हुए इस लाइन का दोहरीकरण बहुत महत्वपूर्ण है

3.) महाराष्ट्र –

जून 21 में भारतीय रेलवे ने महाराष्ट्र में अति महत्वपूर्ण परियोजना भुसावल-जलगांव तीसरी लाइन शुरू की है, जिससे इस सेक्शन की अड़चन दूर हो जाएगी और मामद-खंडवा और भुसावल-उधना सेक्शन में ट्रेन सेवा संचालन के लिए काफी राहत मिलेगी।

4.) उत्तराखंड-

हरिद्वार-लक्सर दोहरीकरण:. राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से मेरठ, मुजफ्फरनगर और रुड़की होते हुए हरिद्वार तक इस खंड का पूरा मार्ग चालू होने के बाद डबल लाइन (जनवरी, 2021 में) बन गया है। इससे इस व्यस्त मार्ग पर समयबद्धता में सुधार होगा।

उपरोक्त अति महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यात्री और माल ढुलाई की सुचारू आवाजाही, ट्रेनों की गति बढ़ाने, नई रेल सेवा शुरू करने, सुरक्षा में वृद्धि के लिए अधिक लाइन क्षमता उपलब्ध होगी क्योंकि इन व्यस्त मार्गों पर रखरखाव मार्जिन उपलब्ध होगा।

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स्मृति इरानी ने संरक्षण अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि पीड़ितों की पहुंच उनके लिए उपलब्ध सभी कानूनी अधिकारों तक हो

घरेलू हिंसा की पीड़ितों की मदद को लेकर सुरक्षा अधिकारियों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट सीरीज शुरू की। यह घरेलू हिंसा के मामलों से निपटने के लिए संरक्षण अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा, लोक रंजन, निदेशक एलबीएसएनएए और चेयरपर्सन, नेशनल जेंडर एंड चाइल्ड सेंटर तथा श्रीमती दिशा पन्नू ने वर्चुअल रूप से हिस्सा लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिस, कानूनी सहायता सेवाओं, स्वास्थ्य प्रणाली, सेवा प्रदाताओं, आश्रय सेवाओं, वन स्टॉप सेंटर आदि सहित अधिनियम के तहत विभिन्न हितधारकों/सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है।

श्रीमती स्मृति इरानी ने अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रीय महिला आयोग की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिलाओं के लिए प्रशासन और न्याय के बीच की खाई को पाटते हैं और यह उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि पीड़ितों की पहुंच उनके लिए उपलब्ध सभी कानूनी अधिकारों तक हो। केंद्रीय मंत्री ने महामारी के दौरान महिलाओं की मदद करने के लिए 24/7 काम करने के लिए एनसीडब्ल्यू नेतृत्व को बधाई दी। उन्होंने आयोग द्वारा शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों जैसे गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्पलाइन और सुरक्षा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की वर्तमान पहल की सराहना की।

अपने संबोधन में एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने संरक्षण अधिकारियों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला, जो पीड़ित महिला और अदालत के बीच सुविधा प्रदान करने वाले की भूमिका में होते हैं। उन्होंने कहा कि संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिला को राहत प्राप्त करने के लिए शिकायत दर्ज कराने और मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करने के अलावा चिकित्सकीय सहायता, कानूनी सहायता, परामर्श, सुरक्षित आश्रय और अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रशिक्षण सत्रों में प्रतिभागियों में अधिनियम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए कानूनी प्रणाली, सुरक्षा अधिकारियों की भूमिका और अन्य हितधारकों के साथ परस्पर संबंध को लेकर समझ विकसित होगी। यह प्रशिक्षण रूढ़िवादी मानसिकता को भी बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगा और घरेलू हिंसा का पीड़ितों और उनके बच्चों पर प्रभाव को समझेगा।

28 जून से 2 जुलाई तक चलने वाला पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम उन कार्यशालाओं की श्रृंखला में पहला है, जो आगे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल इन तीन राज्यों के संरक्षण अधिकारियों के लिए आयोजित किए जाएंगे। महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षण ऑनलाइन रखा गया है।

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डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सचिव, बायोटेक्नोलॉजी विभाग; महानिदेशक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद; और निदेशक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने सार्स-सीओवी-2 वायरस के डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में कई सवालों के जवाब दिए हैं। 25 जून, 2021 को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कोविड मीडिया ब्रीफिंग में दिए गए उत्तरों को पीआईबी ने प्रश्नोत्तर के रूप में तैयार कर पेश किया है।

प्रश्न: एक वायरस म्यूटेट क्यों होता है?

वायरस अपने स्वभाव की वजह से म्यूटेट हो जाता है। यह इसके विकास का हिस्सा है। सार्स-सीओवी-2 वायरस सिंगल-स्ट्रैन्डिड आरएनए वायरस है। तो, आरएनए के अनुवांशिक अनुक्रम में परिवर्तन ही म्यूटेशन हैं। जिस क्षण कोई वायरस अपने मेजबान कोशिका या अतिसंवेदनशील शरीर में प्रवेश करता है, वह अपनी प्रतिकृति बनाना शुरू कर देता है। जब संक्रमण का फैलाव बढ़ता है तो प्रतिकृति की दर भी बढ़ जाती है। एक वायरस जिसमें म्यूटेशन आ जाता है वो उसके वेरिएंट के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न: म्यूटेशन का क्या असर होता है?

म्यूटेशन की सामान्य प्रक्रिया का हम पर तब असर पड़ता है जब इससे संक्रमण फैलने के स्तरों या उपचार में बदलाव देखने को मिलते हैं। म्यूटेशन इंसानों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक, नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है या प्रभावहीन रह सकता है।

नकारात्मक प्रभावों में किसी खास क्षेत्र में संक्रमण, प्रसार में तेजी, प्रतिरक्षा से बचने और किसी ऐसे व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता , जिसके पास पहले से प्रतिरक्षा है, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से बेअसर होना, फेफड़ों की कोशिकाओं पर ज्यादा असर और संक्रमण की गंभीरता में वृद्धि आदि शामिल है।

सकारात्मक प्रभाव यह हो सकता है कि वायरस निष्क्रिय हो जाए।

प्रश्न:  सार्स-सीओवी-2वायरस में बार-बार म्यूटेशन क्यों देखा जाता हैम्यूटेशन कब रुकेंगे?

सार्स-सीओवी-2 निम्नलिखित कारणों से म्यूटेट हो सकता है:

  • वायरस की प्रतिकृति के दौरान आई कोई गड़बड़ी
  • ठीक हो चुके लोगों के प्लाज्मा के जरिये इलाज, टीकाकरण या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (समान एंटीबॉडी अणुओं के साथ कोशिकाओं के एक क्लोन द्वारा निर्मित एंटीबॉडी) जैसे उपचार के बाद वायरस पर पड़ने वाला प्रतिरक्षा दबाव
  • कोविड-उपयुक्त व्यवहार की कमी के कारण बिना प्रतिरोध के वायरस का फैलाव। यहां वायरस खुद को बढ़ने के लिए सबसे अच्छे मेजबान ढूंढता है और अधिक मजबूत और अधिक संक्रमणीय हो जाता है।

जब तक महामारी बनी रहेगी तब तक वायरस म्यूटेट होता रहेगा। इससे यह और आवश्यक हो जाता है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन किया जाये।

प्रश्न:  वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) और वैरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) क्या हैं?

जब म्यूटेशन होता है- यदि इसका किसी अन्य समान प्रकार वेरिएंट के साथ कोई पिछला संबंध है जिसके बारे में लगता है कि उसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा है- तो यह वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन बन जाता है।

एक बार आनुवंशिक चिन्हों की पहचान हो जाने के बाद, जिनका रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के साथ संबंध हो सकता है या जिनका एंटीबॉडी या वायरस को निष्क्रिय करने वाली प्रक्रियाओं पर प्रभाव मिलता है, हम उन्हें वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट कहना शुरू करते हैं।

और जिस वक्त हमें क्षेत्रों से और नैदानिक ​​सहसंबंधों के माध्यम से बढ़े हुए संचरण के प्रमाण मिलते हैं, यह वेरिएंट ऑफ कंसर्न बन जाता है। वेरिएंट ऑफ कंसर्न वह हैं जिनमें निम्नलिखित में से एक या अधिक विशेषताएं हैं:

  • प्रसार में बढ़त
  • तीव्रता/रोग लक्षणों में परिवर्तन
  • निदान, दवाओं और टीकों से बचाव

पहला वेरिएंट ऑफ कंसर्न यूके द्वारा घोषित किया गया था जहां यह पाया गया था। वर्तमान में वैज्ञानिकों द्वारा पहचाने गए वेरिएंट ऑफ कंसर्न के चार प्रकार हैं- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा।

प्रश्न:  डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या हैं?

ये सार्स-सीओवी-2 वायरस के वेरिएंट को दिए गए नाम हैं, जो उनमें पाए गए म्यूटेशन के आधार पर हैं। लोगों को आसानी से समझ में आने के लिये डब्ल्यूएचओ ने ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों, यानी अल्फा (बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351), गामा (पी.1), डेल्टा (बी.1.617), आदि का उपयोग करने की सिफारिश की है।

डेल्टा संस्करण, जिसे सार्स-सीओवी-2 बी.1.617 के रूप में भी जाना जाता है, में लगभग 15-17 म्यूटेशन होते हैं। यह पहली बार अक्टूबर 2020 में रिपोर्ट किया गया था। फरवरी 2021 में महाराष्ट्र में 60% से अधिक मामले डेल्टा वेरिएंट से संबंधित थे।

भारतीय वैज्ञानिकों ने ही डेल्टा वेरिएंट की पहचान की और इसे वैश्विक डेटाबेस में दर्ज कराया। डब्ल्यूएचओ के अनुसार डेल्टा संस्करण को वेरिएंट ऑफ कंसर्न में वर्गीकृत किया गया है और अब यह 80 देशों में फैल गया है।

डेल्टा संस्करण (बी.1.617) के तीन उपप्रकार बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 हैं, जिनमें से बी.1.617.1 और बी.1.617.3 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि बी. 1.617.2 (डेल्टा प्लस) को वेरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

डेल्टा प्लस वेरिएंट में डेल्टा वेरिएंट की तुलना में एक अतिरिक्त म्यूटेशन है; इस म्यूटेशन को के417एन म्यूटेशन नाम दिया गया है। ‘प्लस’ का अर्थ है कि डेल्टा संस्करण में एक अतिरिक्त म्यूटेशन हुआ है। इसका मतलब यह नहीं है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की तुलना में अधिक गंभीर या अत्यधिक संचरण योग्य है।

प्रश्न:  डेल्टा प्लस वेरिएंट (B.1.617.2) को वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न के रूप में क्यों वर्गीकृत किया गया है?

डेल्टा प्लस संस्करण को निम्नलिखित विशेषताओं के कारण वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया गया है:

  • प्रसार की बढ़ी हुई क्षमता
  • फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स के लिए मजबूत बंधन
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया में संभावित कमी
  • टीकाकरण के बाद प्रतिरक्षा से बचाव का अनुमान

प्रश्न:  भारत में इन म्यूटेशन का कितनी बार अध्ययन किया जाता है?

भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी), बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) के समन्वय में और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और सीएसआईआर के साथ पूरे देश में फैली प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के जरिये सार्स-सीओवी-2 में जीनोमिक विविधताओं की नियमित आधार पर निगरानी करता है।इसे दिसंबर 2020 में 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ स्थापित किया गया था और अब इसका विस्तार 28 प्रयोगशालाओं और 300 निगरानी केंद्रों तक किया गया है जहाँ से जीनोमिक नमूने एकत्र किए जाते हैं। आईएनएसएसीओजी अस्पताल नेटवर्क नमूनों को देखता है और आईएनएसएसीओजी को गंभीरता, नैदानिक ​​​​सहसंबंध, संक्रमण पर अहम खोज और पुन: संक्रमण के बारे में सूचित करता है।

राज्यों से 65000 से अधिक नमूने लिए गए और संसाधित किए गए, जबकि लगभग 50000 नमूनों का विश्लेषण किया गया है, जिनमें से 50% वेरिएंट ऑफ कंसर्न बताए गए हैं।

प्रश्न:  किस आधार पर नमूनों का चयन जीनोम अनुक्रमण के लिये किया जाता है?

नमूना चयन तीन व्यापक श्रेणियों के तहत किया जाता है:

1) अंतर्राष्ट्रीय यात्री (महामारी की शुरुआत के दौरान)

2) सामुदायिक निगरानी (जहां आरटी-पीसीआर नमूने सीटी वैल्यू 25 से कम दर्ज होते हैं)

3) निगरानी केंद्र- नमूने प्रयोगशालाओं (प्रसार की जांच के लिए) और अस्पतालों (गंभीरता की जांच के लिए) से प्राप्त किए जाते हैं।

जब किसी जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव देखा जाता है, तो उसकी निगरानी की जाती है।

प्रश्न: भारत में फैल रहे वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न के प्रसार के क्या संकेत देखने को मिल रहे हैं?

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, परीक्षण किए गए 90%नमूनों में डेल्टा वेरिएंट (B.1.617) पाए गए हैं। हालांकि, बी.1.1.7स्ट्रेन जो कि महामारी के शुरुआती दिनों में भारत में सबसे अधिक देखने को मिल रहा था, में कमी आई है।

प्रश्न: वायरस में म्यूटेशन देखने के तुरंत बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है?

यह कहना संभव नहीं है कि देखा गया म्यूटेशन संचरण को बढ़ाएगा या नहीं। इसके अलावा, जब तक ऐसे वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलेंगे जो मामलों की बढ़ती संख्या और मामलों में वेरिएंट के हिस्से के बीच संबंध साबित करते हैं, हम पुष्टि नहीं कर सकते कि विशेष प्रकार के वेरिएंट में तेजी दर्ज हुई है। एक बार म्यूटेशन पाए जाने के बाद, यह पता लगाने के लिए सप्ताह दर सप्ताह विश्लेषण किया जाता है कि क्या मामलों में वृद्धि और मामलों में वेरिएंट के हिस्से के बीच ऐसा कोई संबंध है। इस तरह के सहसंबंध के वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध होने के बाद ही सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई की जा सकती है।

एक बार इस तरह के सहसंबंध स्थापित हो जाने पर, यह  इस तरह के वेरिएंट को किसी अन्य क्षेत्र/प्रांतों में देखे जाने पर पहले से तैयारी करने में बहुत मदद करेगा।

प्रश्न: क्या कोविशील्ड और कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-के वेरिएंट के खिलाफ काम करते हैं?

हां, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन दोनों अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं। डेल्टा प्लस वेरिएंट पर वैक्सीन की प्रभावशीलता की जांच के लिए लैब टेस्ट जारी हैं।

डेल्टा प्लस वेरिएंट: वायरस को अलग कर दिया गया है और अब आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में संवर्धित किया जा रहा है। टीके की प्रभावशीलता की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण चल रहे हैं और परिणाम 7 से 10 दिनों में उपलब्ध होंगे। यह वेरिएंट पर दुनिया का पहला परिणाम होगा।

प्रश्न: इन वेरिएंट से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी क्या उपाय किए जा रहे हैं?

सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी कदम वहीं हैं, चाहे वेरिएंट किसी भी प्रकार के हों। निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं:

  • एक जगह पर कई मामलों को लेकर जरूरी रोकथाम
  • मामलों का अलगाव और उपचार
  • संपर्क में आये लोगों को अलग रखना
  • टीकाकरण में तेजी लाना

प्रश्न: वायरस में म्यूटेशन होने और कई अन्य वेरिएंट सामने आने की वजह से क्या सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ बदलती हैं?

नहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ वेरिएंट्स के साथ-साथ नहीं बदलती हैं।

प्रश्न:  म्यूटेशन की निरंतर निगरानी क्यों महत्वपूर्ण है?

संभावित टीके से बचने की क्षमता, बढ़ी हुई प्रसार की क्षमता और रोग की गंभीरता पर नजर रखने के लिए म्यूटेशन की निरंतर निगरानी महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: एक आम आदमी इन वेरिएंट ऑफ कंसर्न से सुरक्षित रहने के लिये क्या कर सकता है।

सभी को कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना चाहिए, जिसमें ठीक से मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना और सामाजिक दूरी बनाए रखना शामिल है।

दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है। एक बड़ी तीसरी लहर को रोकना संभव है बशर्ते व्यक्ति और समाज सुरक्षात्मक व्यवहार का अभ्यास करें।

इसके अलावा, प्रत्येक जिले द्वारा परीक्षण पॉजिटिविटी रेट की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए। यदि पॉजिटिविटी रेट 5% से ऊपर जाती है, तो सख्त प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।

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राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कानपुर में अपने पैतृक गांव परौंख और अपने पुश्तैनी घर का दौरा किया

 

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद उत्तर प्रदेश की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के दौरान आज (27 जून, 2021) उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे। यह पहली बार है जब राष्ट्रपति अपना वर्तमान कार्यभार संभालने के बाद अपने जन्मस्थान का दौरा कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने परौंख की अपनी यात्रा की शुरुआत पाथरी माता मंदिर को श्रद्धांजलि देकर की और उसके बाद डॉ. बी आर अंबेडकर को उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद, राष्ट्रपति ने अपने पैतृक घर का दौरा किया जिसे ग्रामीणों के लिए सामुदायिक केंद्र में बदल दिया गया है। उन्होंने गांव के वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज का भी दौरा किया।President of India, Salary, Powers, Term and List of Presidents of India

बाद में, राष्ट्रपति ने परौंख गांव में एक सार्वजनिक अभिनंदन (जन अभिनंदन) समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह जहां भी रहते हैं, अपने गांव की मिट्टी की महक और ग्रामीणों की यादों को हमेशा देखते रहते हैं। उनके लिए परौंख उनका जन्मस्थान है जहां से उन्हें हमेशा आगे बढ़कर देश की सेवा करने की प्रेरणा मिलती है।

अपने सहपाठियों श्री जसवंत सिंह, श्री विजयपाल सिंह उर्फ सल्लू सिंह, श्री हरिराम, श्री चंद्रभान सिंह भदौरिया, श्री राजाराम और श्री दशरथ सिंह को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उनके साथ अध्ययन किया और भविष्य के सपने एक साथ साझा किए। एक-दूसरे की मदद करने जैसे मूल्यों का सृजन बचपन के दिनों में ही हुआ था। उनके जीवन में उन मित्रों और सहपाठियों का एक विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि इस गांव के पर्यावरण और लोगों ने भी जीवन के विभिन्न आयामों में उनकी मदद की है।

राष्ट्रपति ने अपने गांव के कई प्रमुख लोगों को भी याद किया जिन्होंने गांव के वातावरण में सामाजिक एकता, धार्मिक सहिष्णुता, सद्भाव, शिक्षा के प्रति जागरूकता और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता के आदर्शों को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों ने उनकी सोच को प्रभावित किया।

राष्ट्रपति ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि परौंख में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वह जूनियर हाई स्कूल के लिए खानपुर गए। उस समय प्राथमिक शिक्षा के बाद कोई स्कूल नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें उस समय लगा था कि यदि वहां माध्यमिक विद्यालय होता तो जिन बच्चों को शिक्षा का अवसर नहीं मिला वे भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते और शिक्षा के लाभों से वंचित नहीं होते। उन दिनों लड़कियों को शिक्षा के लिए गांव से बाहर भेजना लगभग असंभव था। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज परौंख गांव के बच्चे वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा विकास के नए अवसर प्रदान करती है।

कोविड-19 महामारी के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी ने मानव जीवन में बहुत व्यवधान पैदा किए हैं। महामारी का प्रतिकूल प्रभाव व्यापक और दुखद है। कई लोगों ने अपनों को खोया है। इस महामारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए हमें अभी भी बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए जांच, रोकथाम और टीकाकरण के लिए व्यापक और प्रभावी कदम उठाए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि महामारी ने स्वास्थ्य और उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस महामारी से खुद को बचाने के लिए फिटनेस पर ध्यान देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे देश में और उत्तर प्रदेश में भी टीकाकरण अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाव के लिए ढाल की तरह है। इसलिए व्यक्ति को न केवल स्वयं टीका लगवाना चाहिए बल्कि दूसरों को भी टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

दोपहर के बाद, राष्ट्रपति ने पुखरायण में एक अन्य सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया। पुखरायण में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि उनका जन्मस्थान परौंख है, पुखरायण का यह क्षेत्र उनका कार्यस्थल रहा है। यहीं से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हुई। यही कारण है कि यह क्षेत्र उनके जीवन और उनके हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि उनके सार्वजनिक जीवन के शुरुआती दौर में इस क्षेत्र के लोगों ने उन्हें जो स्नेह और शक्ति दी, उसने उन्हें अपनी जीवन यात्रा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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तुम्हें ग़रूर है कि तुम्हें चाहने वाले बहुत है मगर नाज़ हमें भी है कि हमारे जैसा दिल न होगा

हमने कहा तुम्हें ग़रूर तो है कि तुम्हें चाहने वाले बहुत है मगर नाज़ हमें भी है कि हमारे जैसा सादगी वाला दिल न होगा

हर किसी के पास हाँ जिस्म चाहते होगे लोग तेरा पर बता तो सही है ऐसा कोई जो तेरी रूह का ख़रीदार हो पहले तो लोगों को रूह का ही नही पता तेरे शहर मे अगर पता चल भी जाये तो लोग तेरी रूह की क़ीमत न लगा पायेंगे कहाँ है आज इतनी शिद्दत इतनी सादगी तेरे शहर में ? बता तो सही रूह और जिस्म में बहुत फ़र्क़ है साहेब रूह हर किसी की साफ़ पाक इक बच्चे की ही तरहा है ये जिस्म ही है जिस पर दुनिया की सोच का रंग चढ़ता है सादगी कोई कमजोरी नहीं बहुत बड़ी ताक़त होती हैं सादगी का अपना ही शृंगार होता है उसे कहा पड़ती है ज़रूरत किसी आईने की रूह की सादगी को पहचानने वाली आँख भी कोई कोई ही होती है सादगी से अछूता कोई नहीं रह सकता ये तो बिन छूये ही किसी की रूह को छूने की ताक़त रखती हैं सादगी वो बेशक़ीमती गहना है जो तुम से कोई छीन नही सकता ये वो लिबास है ख़ूबसूरत तो सब को लगता है मगर पहन कोई कोई ही पाता है ये तो वो शय है जो ख़ुदा अपनी रहमत से किसी किसी को ही इससे नवाज़ता है, दोस्तों दुनिया के साथ नई सोच के साथ चलना बहुत अच्छी बात है चलना भी चाहिये मगर ये कहना “सब चलता है आजकल“ ये सोच हमारे आने वाली पीड़ियो को सही दिशा नहीं दिखा पायेगी, दोस्तों लिबास की सादगी से ज़्यादा हम यहाँ मन की सादगी की बात कर रहे है जो आज के दौर मे बहुत कम देखने को मिलती है बहुत ख़ास लोग है जो इस बेशक़ीमती सोच को अपनाये हुए हैं सादगी की भीड़ नहीं मिलेगी ये कहीं कहीं ही मिलेगी ये तो वो ब्रांड है जो हर कोई इसे ख़रीद नहीं पाता और ये ब्रांड पैसो से तो ख़रीदा भी नही जा सकता सोचें दोस्तों आप इक आम सोच जो कहती है सब चलता है आजकल की भीड़ का हिस्सा बनना चाहेंगे, या कुछ अलग सा, कुछ ऐसा, जो बहुत प्रभावशाली हो, चुम्बकीय हो, जो अतुलनीय हो, सादगी से जीने के लिये केवल मन को साधना पड़ता है, अपनी जीवन शैली नहीं बदलनी पड़ती ज़रूर वक़्त के साथ चले नई सोच नये तरीक़े अपनाये मगर बेहद सादगी से इक सादा सा मन सादा तन इक दैविक आकर्षण रखता है इस की भी अपनी ही आभा इक मोहनी होती है ये एक ऐसी खुशबू हैं जिसकी महक हर कोई महसूस कर सकता है

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इश्क़ चाहे रब का हो या जग का .. दोनों की माँग केवल निष्ठा

हमने यू ही पूछ लिया …क्या प्यार बार बार होता है भला ? उसने भी बहुत लापरवाह हो कर कहा . हाँ बहुत बार हो सकता है .. अब वो क्या जाने …जो बार बार हो …वो दिल्लगी होती है और जो ज़िन्दगी मे सिर्फ़ इक ही बार हो ..वो दिल की लगी होती है … बहुत फ़र्क़ होता है दोनों मे दोस्तों …जो बार बार हो .. वो महज़ इक आकर्षण या मोह भी हो सकता है सच्चा इश्क़ तो जिस्मों से परे .. किसी की रूह को छू लेने का नाम है और जिस की नामौजूदगी से रूह जल उठती है ..वही है इश्क़.. इश्क़ चाहे रब से हो ..या जग से हो ..दोनों में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं होता ..
दोनों ही निष्ठा और
निःस्वार्थ प्रेम मागंते है ..
इश्क़ में हम देने लगते हैं चाहे वो हमारा वक़्त हो ..हमारी हर बात ..हर सोच .. हर ख़ुशी..हर अल्फ़ाज़.. तिनका तिनका हमारी रूह का इश्क़ को समर्पित होने लगता है ..

जब इन्सान खुद इश्क़ हो जाता है.. तो वो पूरी कायनात से प्यार करता है ..और तब .. रब की इबादत खुद ब खुद होने लगती है
“इश्क़ इश्क़ कहती है जिसे दुनिया ..कहां होता है वो इश्क़”.. .. इश्क़ इक पाक जज़्बा है जब कोई इन्सान इश्क़ से ..सच मे रूबरू होता है .. फिर उसकी नज़र किसी और को देखना भी नही चाहती .. इश्क़ की भी अपनी मर्यादाएँ होती है
अल्फ़ाज़ो से ज़्यादा .. सुन्दर मन और सादगी किसी की भी रूह को छू लेने की ताक़त रखती है वहाँ लफ़्ज़ों का जादू नही चलता …आँखें सब कह देती है …

इश्क़ जब तक ज़रूरत है वो कभी भी ख़ुशी नही देगा ..मगर जब इश्क़ ज़रूरत न हो कर इबादत हो जाये .. तो उस वक़्त रूह पाकीजा हो कर बेमिसाल ख़ुशी को अनुभव करती है ..
दोस्तों अगर हम सभी सोचें ..और अपने अन्दर झांक कर देखें क्या वाक़ई मे हम मर्यादाओं मे रह कर किसी एक की भी रूह को छू पाये है कभी ..अगर हाँ .. तो यक़ीन मानिये दोस्तों ..आप को सच मे रब का साक्षात्कार हुआ है क्योंकि रब ही इश्क़ है और इश्क़ ही रब हैं 🙏

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रसायन विभाग क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में विश्व पर्यावरण दिवस, “पारिस्थितिकी बहाली” पर एक वेबिनार आयोजित

 

कानपुर 6 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता रसायनविज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से, विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून, 2021 को अपराह्न 3:00 बजे (आईएसटी) जूम प्लेटफॉर्म पर “पारिस्थितिकी बहाली” पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य छात्रों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों को एक ई-प्लेटफॉर्म पर लाना है, जहाँ समाज के लाभ के लिए पर्यावरण की बहाली और स्थिरता पर प्रभावी विचार-विमर्श हो सके।
वेबिनार की शुरुआत डॉo श्वेता चंद, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग, द्वारा लोगों की भलाई और वेबिनार की कार्यवाही के निर्बाध प्रवाह के लिए की गई प्रार्थना के साथ हुई।
कॉलेज के सचिव, रेव. सैमुअल पॉल लाल ने सभा को संबोधित किया और उन्हें इस बात से अवगत कराया कि प्रत्येक क्षेत्र किस कठिन समय का सामना कर रहा है और कैसे सर्वशक्तिमान ईश्वर हमारी भलाई के लिए हम पर अपना हाथ रख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस 2021 में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक की ओर से सभी के लिए एक वैश्विक रैली की शुरुआत होगी: सरकारों से लेकर निगमों और नागरिकों तक – हमारे बीमार ग्रह को ठीक करने में अपनी भूमिका को पूरा करने के लिए।
प्राचार्य डॉ. जोसेफ डेनियल ने कहा कि पारिस्थितिक तंत्र, जंगल जैसे बड़े भी हो सकते हैं, और तालाब की तरह छोटे भी। इनमे से कई मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो लोगों को पानी, भोजन, निर्माण सामग्री और कई अन्य आवश्यक चीजें प्रदान करते हैं। वे जलवायु-संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण जैसे ग्रह-व्यापी लाभ भी प्रदान करते हैं। लेकिन हाल के दशकों में, संसाधनों के लिए मानवता की भूख ने कई पारिस्थितिक तंत्रों को टूटने की ओर धकेल दिया है। इसलिए इस वर्ष, 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस, पारिस्थितिक तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक का आधिकारिक शुभारंभ, प्राकृतिक दुनिया की गिरावट को रोकने और सुधारने के लिए 10 साल आगे ले जाने का प्रतीक है।
सम्मेलन की संयोजिका, डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य, प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने सभा को बताया कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली बड़े पैमाने पर एक वैश्विक उपक्रम है। जंगलों से लेकर पीटलैंड (दलदलिय) -तटों तक, हम सभी अपने अस्तित्व के लिए स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र पर निर्भर हैं। पारिस्थितिक तंत्र को जीवित जीवों – पौधों, जानवरों, लोगों – के बीच उनके परिवेश के साथ बातचीत के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें प्रकृति एवं मानव निर्मित प्रणालियाँ जैसे शहर और खेत भी शामिल हैं। हम अपने अस्तित्व की नींव को खतरनाक दर से खो रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं। पारिस्थितिक तंत्र का नुकसान दुनिया को जंगलों और पीटलैंड जैसे कार्बन सिंक से वंचित कर रहा है, जबकि मानवता इसे बिलकुल वहन नहीं कर सकती है। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लगातार तीन वर्षों से बढ़ा है और ग्रह संभावित विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। COVID-19 के उद्भव ने यह भी दिखाया है कि पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान के परिणाम कितने विनाशकारी हो सकते हैं। जानवरों के लिए प्राकृतिक रहन-सहन को कम करके, हमने – कोरोनावायरस सहित – अन्य रोगजनकों के फैलने के लिए आदर्श परिस्थितियों का निर्माण किया है। लेकिन साथ में हम बेहतर तरीके से वापस निर्माण भी कर सकते हैं।
एफ.आई.इ.ओ. कानपुर के मुख्य सलाहकार, लायन वाई. एस. गर्ग ने इस तरह के एक खतरनाक मुद्दे को संबोधित करने के लिए कॉलेज को बधाई दी। पारिस्थितिक तंत्र और उसकी जैव विविधता आर्थिक विकास, सतत विकास और मानव कल्याण को रेखांकित करती है। फिर भी जैव विविधता का नुकसान जारी है, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिक तंत्र की वस्तुओं और सेवाओं में गंभीर कमी आई है, जो आर्थिक समृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है।
मुख्य वक्ता डॉ. दीपांकर साहा, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली; वर्तमान में वे पर्यावरण मूल्यांकन समिति, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेषज्ञ सदस्य हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सतत विकास का मुख्य सिद्धांत निर्णय लेने के सभी पहलुओं में पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक चिंताओं का एकीकरण है। पर्यावरणीय स्थिरता प्राकृतिक पर्यावरण से संबंधित है – यह कैसे टिकती है और विविध और उत्पादक बनी रहती है, यह उस पर ही निर्भर करता है। चूंकि प्राकृतिक संसाधन पर्यावरण से प्राप्त होते हैं, इसलिए वायु, जल और जलवायु की स्थिति विशेष चिंता का विषय है। पर्यावरणीय स्थिरता के लिए समाज को ग्रह की जीवन-समर्थन प्रणालियों को संरक्षित करते हुए मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए गतिविधियों को नियोजित करने की आवश्यकता होती है।
वेबिनार श्रृंखला की दूसरी वक्ता डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य लीड ऑडिटर – फॉरेस्ट सर्टिफिकेशन, डीआईएन सर्टको गेसेलशाफ्ट फर कोनफॉर्मिटैट्सबेवर्टुंग एमबीएच (TUVRheinland Group), जर्मनी थीं। उन्होंने कहा कि वन प्रमाणन को बेहतर वन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए पिछले दशक की सबसे महत्वपूर्ण पहल के रूप में व्यापक रूप से देखा जाता है। जिम्मेदार वन प्रबंधन एक महत्वपूर्ण समाधान है और प्रमाणन की एक विश्वसनीय प्रणाली इन महत्वपूर्ण संसाधनों के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित कर सकती है।
तीसरे वक्ता डॉ. सुदीप्तो घोष, सलाहकार, क्षेत्रीय-सह-सुविधा केंद्र, पूर्वी क्षेत्र, राष्ट्रीय औषधीय पौध बोर्ड, आयुष मंत्रालय थे। उन्होंने कहा कि सदियों से प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन ने पारिस्थितिक तंत्र के भीतर संतुलन को बुरी तरह से बाधित कर दिया है, जिससे दुनिया भर में पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आया है। क्षति, सतत विकास और उनकी उत्पादकता, स्वास्थ्य और स्थिरता में निवेश और पुनर्निवेश करने में विफलता के परिणामस्वरूप पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र खराब हो रहे हैं। आने वाले दशकों में विश्व की आबादी की भलाई बड़े हिस्से में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण और बहाली पर निर्भर करेगी, जिससे पर्यावरण से संबंधित जोखिमों को कम करते हुए सतत विकास में योगदान मिलेगा।
आयोजन सचिव प्रो. रवि प्रकाश महलवाला, एसोसिएट प्रोफेसर, भौतिक विज्ञान विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुश्री शेरोन लाल, व्याख्याता, अंग्रेजी विभाग ने पूरे सत्र का संचालन किया एवं डॉo मीतकमल, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने भी पूरा सहयोग किया|
वेबिनार में लगभग 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सत्र बहुत ज्ञानवर्धक था और मंच पर मूल्यवान विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

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अवेयरनेस ऑफ म्यूकार्माइकोसिस ब्लैक फंगस इन कोविड-19 विषय पर संगोष्ठी आयोजित

डॉ शालिनी मोहन, एसोसिएट प्रोफेसर ,आप्थाल्मालॉजी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज,

आज  दिनांक 27 मई को वैल्यू एजुकेशन सेल  क्राइस्ट चर्च कॉलेज  द्वारा  एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था अवेयरनेस ऑफ म्यूकार्माइकोसिस ब्लैक फंगस इन कोविड-19  इसमें मुख्य  वक्ता के रूप में डॉ शालिनी मोहन,  एसोसिएट प्रोफेसर , आप्थाल्मालॉजी  ,जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज,  कानपुर के रूप में आमंत्रित की गई/  डॉ मोहन ने सभी प्रतिभागियों को बताया कि फंगस से डरने की जरूरत नहीं है  बलिक की जागरूक रहने की जरूरत है  /  यह फंगस बहुत ही दुर्लभ हालात में होती है उन्हीं पेशंस में डेवलप हो रही है जिनमें डायबिटीज कंट्रोल  नहीं है या फिर जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कमजोर है डायलिसिस के पेशेंट में , पेशेंट्स जो कि अत्यधिक मात्रा में स्टेरॉइड्स का सेवन करते हैं या इम्यूनोसपरेसिव  ड्रग्स का सेवन करते हो / डॉ मोहन ने बताया कि स्वस्थ आहार ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है इसलिए उसका सेवन करें /साफ सफाई से रहे /धूप का सेवन अवश्य करें क्योंकि धूप एक नेचुरल सेंट्रलाइजर है/ कपड़ों को भी धोने के बाद धूप अच्छी तरह दिखाइए /कमरों में प्रॉपर वेंटिलेशन रखें अगर ऐसा करते हैं तो इस फंगस का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा /   कार्यक्रम का आरंभ डॉक्टर सबीना बोदरा ने प्रार्थना करके किया उसके बाद कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया / मुख्य वक्ता का परिचय डॉ  मीत कमल द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ श्वेता चंद ने किया/  इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉ थी राय ने अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन दिया / कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागी मौजूद रहे और यह कार्यक्रम जन समाज के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ / डॉ मोहन ने कॉलेज प्रशासन को धन्यवाद दिया तथा कहा कि इस तरह के जागरूकता कैंप अगर सभी लोग आयोजित करें तो आम आदमी को इस फंगस के बारे पूर्ण जानकारी दी जा सकती है/

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मीडिया को दिखाना चाहिए सकारात्मक खबरें

दोस्तों ..🙏मैं समिता जो इंग्लैंड मे रह रही हूँ अपने भारतीये परिवारों की हालात …इस महामारी मे देख कर बहुत दुख महसूस कर रही हूँ .. मैं ही नही ..हम सारे ही मानसिक तौर पर इस पीड़ा को महसूस कर रहे है
आज जो बात करने जा रही हूँ मुझे विश्वास है कि आप लोग सभी इससे सहमत होंगे

सब को पता है कि हमे महामारी
ने घेर रखा है चारों तरफ़ से ..
और हमारा न्यूज़ चैनल हमे सारा दिन सफ़ेद कपड़ों ने लिपटी लाशें ..जलते शव ..डरे हुये और
परेशान लोग .. मरीज़ों से भरे अस्पताल .. आर्थिक परेशानी दिखा कर जनता का मनोबल तोड़ रहे है जब कि वक़्त की माँग ये है .. सब इक दूसरे का साथ दे .. मीडिया न्यूज़ चैनलज को ये जानकारी उपलब्ध करने की कोशिश करनी चाहिये

कौन से अस्पताल मे जगह ख़ाली है ..ताकि लोग इधर उधर न भटके अपने मरीज़ को सीधा वही ले जाये .. और उनका वक़्त भी ख़राब न हो ..

लोगों को ऐंबुलेंस की जानकारी दी जाये ..जगह जगह लोगों को सेवा करने के लिये उकसाया जाये ..

जहाँ तक हो सके आकसीजन सिलेंडर के दाम कम से कम करने के लिये गोवरमैंट से सख़्त क़ानून बनाने के लिये मागं की जाये ..ताकि आम इन्सान इससे फ़ायदा उठा सके ..
कहाँ से मरीज़ों को आकसीजन सिलेंडर मिल सकता है .. इसकी भी जानकारी दी जाये

ऐसे लोगों की बात जनता तक पहुँचाये जो लोग इससे ठीक हो कर अपनो घरों मे सुरक्षित लौटे है ..

बहुत सी संस्थाये ..बहुत से धार्मिक सत्संग घर जो सेवा मे जुटे है सबसे ज़्यादा नाम बयास वाले राधासवामी का सुनने मे आया है .. जिन्होंने पहली बार भी देश को इस महामारी मे बहुत योगदान दिया है और अब भी उन्होंने अपने सत्संग घरों को मरीज़ों के लिये तैयार किया हुआ है और भी संस्थाय् है उनकी जानकारी लोगों तक न्यूज़ चैनल के दुआरा बार बार पहुँचाई जाये ..

ये वक़्त हिम्मत बँधाने का है न कि हिम्मत तोड़ने का ..

लोगों को २५ घण्टे ..डर ..या मौतों के आँकड़े बताने से कोई फ़ायदा नही होगा….

भारत इतना सक्षम देश है .. दूर के देशों मे इसने धाक जमा रखी है .. आज हमारा भारत धनवंता के लिये मशहूर है .. ऐसे मे कोई इलाज न हो सकने की वजह से अपनी जान गवाँ बैठे तो हम सब के लिये बेहद अफ़सोस की बात है ..

मेरी पूरे भारत के सक्षम लोगों से दरखास्त है .. जो कोई कुछ भी योगदान दे सकता है दे ..🙏 इस वक़्त के समय मे मीडिया बहुत लोगों को मदद कर सकती है दोस्तों ..🙏बहुत धन्यवाद जो लोग इस मुश्किल घड़ी में डट कर इक दूसरे का सहारा बने हुए हैं

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