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मीडिया को दिखाना चाहिए सकारात्मक खबरें

दोस्तों ..🙏मैं समिता जो इंग्लैंड मे रह रही हूँ अपने भारतीये परिवारों की हालात …इस महामारी मे देख कर बहुत दुख महसूस कर रही हूँ .. मैं ही नही ..हम सारे ही मानसिक तौर पर इस पीड़ा को महसूस कर रहे है
आज जो बात करने जा रही हूँ मुझे विश्वास है कि आप लोग सभी इससे सहमत होंगे

सब को पता है कि हमे महामारी
ने घेर रखा है चारों तरफ़ से ..
और हमारा न्यूज़ चैनल हमे सारा दिन सफ़ेद कपड़ों ने लिपटी लाशें ..जलते शव ..डरे हुये और
परेशान लोग .. मरीज़ों से भरे अस्पताल .. आर्थिक परेशानी दिखा कर जनता का मनोबल तोड़ रहे है जब कि वक़्त की माँग ये है .. सब इक दूसरे का साथ दे .. मीडिया न्यूज़ चैनलज को ये जानकारी उपलब्ध करने की कोशिश करनी चाहिये

कौन से अस्पताल मे जगह ख़ाली है ..ताकि लोग इधर उधर न भटके अपने मरीज़ को सीधा वही ले जाये .. और उनका वक़्त भी ख़राब न हो ..

लोगों को ऐंबुलेंस की जानकारी दी जाये ..जगह जगह लोगों को सेवा करने के लिये उकसाया जाये ..

जहाँ तक हो सके आकसीजन सिलेंडर के दाम कम से कम करने के लिये गोवरमैंट से सख़्त क़ानून बनाने के लिये मागं की जाये ..ताकि आम इन्सान इससे फ़ायदा उठा सके ..
कहाँ से मरीज़ों को आकसीजन सिलेंडर मिल सकता है .. इसकी भी जानकारी दी जाये

ऐसे लोगों की बात जनता तक पहुँचाये जो लोग इससे ठीक हो कर अपनो घरों मे सुरक्षित लौटे है ..

बहुत सी संस्थाये ..बहुत से धार्मिक सत्संग घर जो सेवा मे जुटे है सबसे ज़्यादा नाम बयास वाले राधासवामी का सुनने मे आया है .. जिन्होंने पहली बार भी देश को इस महामारी मे बहुत योगदान दिया है और अब भी उन्होंने अपने सत्संग घरों को मरीज़ों के लिये तैयार किया हुआ है और भी संस्थाय् है उनकी जानकारी लोगों तक न्यूज़ चैनल के दुआरा बार बार पहुँचाई जाये ..

ये वक़्त हिम्मत बँधाने का है न कि हिम्मत तोड़ने का ..

लोगों को २५ घण्टे ..डर ..या मौतों के आँकड़े बताने से कोई फ़ायदा नही होगा….

भारत इतना सक्षम देश है .. दूर के देशों मे इसने धाक जमा रखी है .. आज हमारा भारत धनवंता के लिये मशहूर है .. ऐसे मे कोई इलाज न हो सकने की वजह से अपनी जान गवाँ बैठे तो हम सब के लिये बेहद अफ़सोस की बात है ..

मेरी पूरे भारत के सक्षम लोगों से दरखास्त है .. जो कोई कुछ भी योगदान दे सकता है दे ..🙏 इस वक़्त के समय मे मीडिया बहुत लोगों को मदद कर सकती है दोस्तों ..🙏बहुत धन्यवाद जो लोग इस मुश्किल घड़ी में डट कर इक दूसरे का सहारा बने हुए हैं