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भारतीय ज्ञान परंपरा : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विशेष सन्दर्भ में ‘ विषय पर प्रतियोगिता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर एस.एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर के शिक्षाशास्त्र विभाग के द्वारा दिनाँक 19-11-2024, मंगलवार को शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा ‘भारतीय ज्ञान परंपरा : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विशेष सन्दर्भ में ‘ विषय पर छात्राओं हेतु पी. पी. टी. प्रेजेंटेशन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया|विभागीय प्रतियोगिता कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रोफेसर सुमन, समाजशास्त्र विभाग की वरिष्ठ आचार्या प्रो. रेखा चौबे, मुख्य कुलानुशासिका कैप्टन ममता अग्रवाल, शिक्षा शास्त्र विभागाध्यक्षा प्रो. चित्रा सिंह तोमर, प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में सम्मिलित- IKS प्रभारी प्रो. मीनाक्षी व्यास, दर्शन शास्त्र विभागाध्यक्षा प्रो. किरन व्योम तथा शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्षा प्रो. प्रीती पांडेय जी ने सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा माल्यार्पण के साथ किया| उपस्थित शिक्षिकाओं ने सरस्वती माँ के चरणों में पुष्प अर्पित किए। अतिथि स्वागत परंपरा के उपरान्त, प्रो. चित्रा सिंह तोमर ने विषय प्रवर्तन करते हुए विस्तार से NEP 2020 के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परंपरा के सूक्ष्म बिंदुओं पर प्रकाश डाला तथा छात्राओं का मार्गदर्शन किया| प्राचार्या प्रो. सुमन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ मे मस्तिष्क, शरीर, आत्मा के सामंजस्य की भारतीय ज्ञान में उपादेयता स्पष्न्ने भारतीय ज्ञान के आधुनिक स्वरूप को भारत की नई पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए आवश्यक बताया। छात्राओं के उत्तम प्रयास की सराहना करते हुए IKS पर कार्यक्रम हेतु शिक्षाशास्त्र विभाग को शुभकामनाएं भी दीं।

प्रतियोगिता में शिक्षा शास्त्र विभाग की 13 छात्राओं ने वैदिक शिक्षा, मूल्य शिक्षा, वेदांत दर्शन, भारतीय ज्ञान परंपरा, भगवद गीता, भारतीय शैक्षिक विचारक- राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद विद्यासागर, महर्षि दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, अरबिंदो, आदि संबंधित विषयों पर PPT Presentation किया। निर्णायक मंडल में प्रो. किरन ने छात्राओं को मूल्य शिक्षा, आध्यात्मिक उत्थान, चारित्रिक विकास हेतु सोशल मीडिया से दूर रहने तथा अच्छी सन्दर्भ पाठ्य पुस्तकों को पढ़ने की सलाह दी। प्रो. मीनाक्षी व्यास ने ‘सा विद्या वा विमुक्तये’ की अवधारणा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट किया। उन्होंने परिवर्तन को गतिमान रहने के लिए आवश्यक बताया। प्रो. प्रीती पांडेय ने प्रत्येक प्रतिभागी छात्रा के PPT Presentation की तकनीकी बारीकियों को प्रभावशाली तरीके से स्पष्ट किया तथा भविष्य में अच्छे PPT Presentation बनाने के लिए उन्हें सुझाव भी दिए। प्रतियोगिता का निर्णय निम्नवत रहा-

प्रथम स्थान- आयुषी बाजपेई
द्वितीय स्थान- पावनी पांडेय
तृतीय स्थान- अंशिका कन्नौजिया
सान्त्वना पुरुस्कार- मुस्कान द्विवेदी

मंच संचालन डाॅ. ऋचा सिंह ने किया। कैप्टन ममता अग्रवाल ने नई तकनीकी के प्रयोग हेतु छात्राओं को प्रोत्साहित किया। प्रो. अलका टंडन, प्रो. निशा वर्मा,डॉ. मोनिका सहाय, डाॅ. प्रीति सिंह,डॉ. पूजा गुप्ता, डॉ. कोमल सरोज, डॉ. शिवांगी यादव, डॉ. अमिता सिंह ने कार्यक्रम के आरंभ से अंत तक उपस्थित रहकर छात्राओं को निरंतर प्रोत्साहित किया। सभी शिक्षिकाओं की कार्यक्रम में उपस्थिति ने छात्राओं का मनोबल बढ़ाया।

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शासन के दिशा निर्देशानुसार छात्राओं को व्यवसाय जगत की जानकारी देने हेतु कैरियर काउंसलिंग वार्ता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर एस.एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज तथा सी.एस.जे.एम.यू. कानपुर की सेवायोजन प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से एस.एन.सेन महाविद्यालय में शासन के दिशा निर्देशानुसार छात्राओं को व्यवसाय जगत की जानकारी देने हेतु एक कैरियर काउंसलिंग वार्ता तथा ऑल डिजी टेक्नोलॉजी कंपनी, नोएडा के द्वारा रोजगार लिए प्लेसमेंट- ड्राइव का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने रूचि दिखाते हुए बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रशिक्षण अवधि के पश्चात वेतन बढ़ने के आकर्षण ने छात्राओं को उत्साहित एवं उल्लासित किया। कार्यक्रम के विधिवत् शुभारंभ के पश्चात, प्राचार्य प्रो. सुमन, सेवायोजन प्रकोष्ठ सह प्रभारी प्रो. निशा वर्मा, तथा चीफ प्रॉक्टर कप्तान ममता अग्रवाल ने, विश्वविद्यालय के इंक्यूबेशन सेल से आए हुए प्रतिनिधि अनिल कुमार त्रिपाठी एवं ऑल डिजी टेक्नोलॉजी कंपनी के एच.आर श्री अभिषेक प्रताप सिंह का स्वागत किया। अनिल कुमार त्रिपाठी जी ने छात्राओं को कम्युनिकेशन स्किल्स , कंप्यूटर ज्ञान, स्टार्ट अप में इनोवेशन की आवश्यकता इत्यादि के बारे में जानकारी साझा की। अगले कार्यक्रम में ऑल डिजी टेक्नोलॉजी कंपनी से आए हुए एच.आर, श्री अभिषेक प्रताप सिंह एवं उनकी टीम द्वारा छात्राओं का साक्षात्कार लिया गया जिसमें 100 छात्राओं ने प्रतिभाग किया। सभी वक्ताओं ने छात्राओं की कैरियर संबंधी समस्याओं का समाधान किया।
महाविद्यालय सेवायोजन प्रकोष्ठ के सदस्यों डॉ.कोमल सरोज, डॉ. अनामिका, श्वेता रानी ने कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

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अप्रैल-अक्टूबर 2023 की अवधि के 436.48 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान संचयी समग्र निर्यात 468.27 बिलियन अमरीकी डॉलर रहने का अनुमान है, अनुमानित वृद्धि 7.28 प्रतिशत की होगी

अक्टूबर 2024* के लिए भारत का कुल निर्यात (वस्तुएं और सेवाएं संयुक्त) 73.21 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो अक्टूबर 2023 की तुलना में 19.08 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। अक्टूबर 2024* के लिए कुल आयात (वस्तुएं और सेवाएं संयुक्त) 83.33 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो अक्टूबर 2023 की तुलना में 7.77 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।

तालिका 1: अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापार*

    अक्टूबर 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

अक्टूबर 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

व्यापार निर्यात 39.20 33.43
आयात 66.34 63.86
सेवाएं* निर्यात 34.02 28.05
आयात 17.00 13.46
कुल व्यापार

(माल +सेवाएं) *

निर्यात 73.21 61.48
आयात 83.33 77.33
व्यापार संतुलन -10.12 -15.85

* नोट: रिजर्व बैंक द्वारा जारी सेवा क्षेत्र के नवीनतम डेटा सितंबर 2024 के लिए हैं। अक्टूबर 2024 का डेटा एक अनुमान है, जिसे रिजर्व बैंक की अगली रिलीज़ के आधार पर संशोधित किया जाएगा। (ii) अप्रैल-अक्टूबर 2023 और अप्रैल-जून 2024 के डेटा को तिमाही भुगतान संतुलन डेटा उपयोग से आनुपातिक आधार पर संशोधित किया गया है।

चित्र 1: अक्टूबर 2024 के दौरान कुल व्यापार*

अप्रैल-अक्टूबर 2024* के दौरान भारत का कुल निर्यात 468.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है, जो 7.28 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। अप्रैल-अक्टूबर 2024* के दौरान कुल आयात 531.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है, जो 7.05 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

तालिका 2: अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापार*

    अप्रैल-अक्टूबर 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

अप्रैल-अक्टूबर 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

व्यापार निर्यात 252.28 244.51
आयात 416.93 394.18
सेवाएं* निर्यात 215.98 191.97
आयात 114.57 102.32
कुल व्यापार

(माल +सेवाएं) *

निर्यात 468.27 436.48
आयात 531.51 496.50
व्यापार संतुलन -63.24 -60.02

 

चित्र 2: अप्रैल-अक्टूबर 2024* के दौरान कुल व्यापार

व्यापारिक आयात-निर्यात

  • अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक निर्यात 39.20 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 33.43 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  • अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक आयात 66.34 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 63.86 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

चित्र 3: अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक व्यापार

  • अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक निर्यात 252.28 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान यह 244.51 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक आयात 416.93 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान यह 394.18 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक व्यापार घाटा 164.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान यह 149.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 4: अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान व्यापारिक व्यापार

  • अक्टूबर 2024 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 31.36 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 24.56 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  • अक्टूबर 2024 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) आयात 39.21 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 37.23 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

तालिका 3: अक्टूबर 2024 के दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

  अक्टूबर 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

अक्टूबर 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

गैर-पेट्रोलियम निर्यात 34.61 27.55
गैर-पेट्रोलियम आयात 48.04 47.72
गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 31.36 24.56
गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण आयात 39.21 37.23

नोट: रत्न और आभूषण आयात में सोना, चांदी और मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर शामिल हैं

चित्र 5: अक्टूबर 2024 के दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

  • अप्रैल-अक्टूबर 2024 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 194.17 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 में यह 178.28 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2024 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) आयात 261.92 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 में यह 248.57 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

तालिका 4: अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

  अप्रैल-अक्टूबर 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

अप्रैल-अक्टूबर 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

गैर-पेट्रोलियम निर्यात 211.34 196.88
गैर-पेट्रोलियम आयात 309.78 294.08
गैर-पेट्रोलियम एवं गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 194.17 178.28
गैर-पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण आयात 261.92 248.57

नोट: रत्न और आभूषण आयात में सोना, चांदी और मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर शामिल हैं

 

चित्र 6: अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

 

सेवा व्यापार

  • अक्टूबर 2024* के लिए सेवा निर्यात का अनुमानित मूल्य 34.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि अक्टूबर 2023 में यह मूल्य 28.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • अक्टूबर 2024* के लिए सेवा आयात का अनुमानित मूल्य 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि अक्टूबर 2023 में यह 13.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 7: अक्टूबर 2024 के दौरान सेवा व्यापार*

  • अप्रैल-अक्टूबर 2024* के दौरान सेवा निर्यात का अनुमानित मूल्य 215.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 में यह 191.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2024* के दौरान सेवा आयात का अनुमानित मूल्य 114.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 में यह 102.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2024* के लिए सेवा व्यापार अधिशेष 101.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि अप्रैल-अक्टूबर 2023 में यह 89.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 8: अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान सेवा व्यापार*

  • अक्टूबर 2024 के दौरान पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में सकारात्मक वृद्धि दर्ज होने वाले उत्पादों का ब्यौरा इस प्रकार है- चावल (85.79प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (45.69प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (39.37प्रतिशत), फ्लोर कवरिंग सहित जूट निर्माण (37प्रतिशत), सभी वस्त्रों का आरएमजी (35.06प्रतिशत), तंबाकू (34.3प्रतिशत), हस्तशिल्प को छोड़कर निर्यात। हस्तनिर्मित कालीन (32.66प्रतिशत), कॉफी (32.38प्रतिशत), मसाले (30.91प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (27.35प्रतिशत), अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, संसाधित खनिजों सहित खनिज (25प्रतिशत), प्लास्टिक और लिनोलियम (23.3प्रतिशत), कालीन (16.78प्रतिशत), फल और सब्जियां (15.91प्रतिशत), धान्य तैयारी (अनाज) और विविध संसाधित वस्तुएं (13.35प्रतिशत), मानव निर्मित यार्न/फैब्स/मेड-अप्स आदि (12.89प्रतिशत), चमड़ा और चमड़ा उत्पाद (12.33प्रतिशत), चाय (9.3प्रतिशत), रत्न और आभूषण (8.77प्रतिशत), ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (8.21प्रतिशत), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (7.71प्रतिशत), काजू (7.22प्रतिशत), कपास यार्न/फैब्स/मेड-अप्स, हैंडलूम उत्पाद आदि। (6.97प्रतिशत), समुद्री उत्पाद (3.88प्रतिशत) और तिलहन (2.65प्रतिशत)।
  • अक्टूबर 2024 के दौरान चांदी (-74.76प्रतिशत), मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर (-29.46प्रतिशत), कोयला, कोक और ब्रिकेट, आदि (-28.34प्रतिशत), चमड़ा और चमड़ा उत्पाद (-19.41प्रतिशत), अखबारी कागज (-16.85प्रतिशत), परिवहन उपकरण (-11.82प्रतिशत), परियोजना सामान (-6.16प्रतिशत), उर्वरक, कच्चा और विनिर्मित (-3.99प्रतिशत), सोना (-1.43प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (-1.39प्रतिशत) का आयात पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में नकारात्मक वृद्धि दिखाता है।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2023 की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2024* के दौरान सेवाओं के निर्यात में 12.51 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
  • निर्यात के लिए मूल्य में परिवर्तन के संदर्भ में अक्टूबर 2024 की तुलना में अक्टूबर 2023 में सकारात्मक वृद्धि वाले शीर्ष 5 देश हैं, सिंगापुर (197.39प्रतिशत), संयुक्त अरब अमीरात (43.32प्रतिशत), यूएसए (11.47प्रतिशत), यूके (42.12प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (60.41प्रतिशत)।
  • निर्यात के लिए मूल्य में परिवर्तन के संदर्भ में अप्रैल-अक्टूबर 2024 की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2023 में सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 देश हैं- नीदरलैंड (32.92प्रतिशत), संयुक्त अरब अमीरात (15.86प्रतिशत), यूएसए (6.31प्रतिशत), सिंगापुर (20.78प्रतिशत) और यूके (16.23प्रतिशत) हैं।
  •  आयात के लिए स्रोत मूल्य में परिवर्तन के संदर्भ में अक्टूबर 2024 की तुलना में अक्टूबर 2023 में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 देश हैं- संयुक्त अरब अमीरात (70.37प्रतिशत), रूस (25.98प्रतिशत), ताइवान (82.76प्रतिशत), पेरू (142.69प्रतिशत) और अंगोला (425.33प्रतिशत)।
  • आयात के लिए स्रोत मूल्य में परिवर्तन के संदर्भ में अप्रैल-अक्टूबर 2024 की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2023 में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 देश हैं- संयुक्त अरब अमीरात (55.12प्रतिशत), चीन निर्यात रक़म (9.8प्रतिशत), रूस (8.85प्रतिशत), ताइवान (45.45प्रतिशत) और अंगोला (99.84प्रतिशत)।

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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आईआरईडीए की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के तहत ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज ओडिशा के पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई। भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता को बढ़ावा देना और आगंतुकों के लिए पहुंच में सुधार करना है। इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को इस प्रतिष्ठित विरासत स्थल तक पहुंचने में मदद करना है।

जोशी ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक को वाहन की चाबियाँ सौंपते हुए सांस्कृतिक स्थलों पर इस प्रकार की सतत पहल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस ऐतिहासिक मंदिर में बैटरी से चलने वाले वाहनों की उपलब्धता हरित ऊर्जा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है और आगंतुकों को एक सुलभ तथा पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्प प्रदान करती है। इस तरह की स्थायी पहलों में मदद करने में इरेडा के प्रयास राष्ट्र के हरित मिशन और महत्वपूर्ण विरासत स्थलों पर आगंतुकों के अनुभवों को बढ़ाने में उसके समर्पण को दर्शाते हैं।

इरेडा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि इरेडा को हमारी सीएसआर पहलों के माध्यम से विरासत स्थलों के 10 पर्यावरण अनुकूल वाहनों के विकास में योगदान देने का सम्मान मिला है। यह परियोजना जीवन के हर क्षेत्र में टिकाऊ और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। इसका उद्देश्य आगंतुकों के लिए पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता समाधान प्रदान करना है।

इस समारोह में इरेडा के निदेशक (वित्त) डॉ. बीके मोहंती के साथ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और इरेडा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री, इरेडा के सीएमडी, मंत्रालय और इरेडा के अन्य अधिकारियों ने भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने 30 नवंबर, 2024 तक राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 3.0 शुरू किया है

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने पेंशनभोगियों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र अभियान 3.0 शुरू किया है। जीवन प्रमाण, पेंशनभोगियों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन है। डीएलसी अभियान 3.0 1 से 30 नवंबर, 2024 तक भारत के 800 शहरों/कस्बों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें केंद्र/राज्य सरकारों/ईपीएफओ/स्वायत्त निकायों के सभी पेंशनभोगी पेंशन वितरण बैंकों या आईपीपीबी में अपने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं। सुपर सीनियर पेंशनभोगी इसे अपने घर से ही जमा कर सकते हैं और घर पर ही सेवाएंभी प्राप्त कर सकते है। सभी पेंशन वितरण बैंक, सीजीडीए, आईपीपीबी, यूआईडीएआई देशभर में डीएलसी अभियान को लागू करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

राष्ट्रव्यापी अभियान 2.0 1 से 30 नवंबर, 2023 तक देश भर के 100 शहरों में 600 स्थानों पर 17 पेंशन वितरण बैंकों, मंत्रालयों/विभागों, पेंशनभोगी कल्याण संघों, यूआईडीएआई, एमईआईटीवाई आदि के सहयोग से चलाया गया। इस अभियान के तहत 1.47 करोड़ से अधिक डीएलसी बनाए गए, जो कि एक बड़ी सफलता थी।

अभियान 3.0 में, पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग कार्यालयों और सभी बैंक शाखाओं/एटीएम में लगाए गए बैनर/पोस्टर के माध्यम से डीएलसी-फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के बारे में सभी पेंशनभोगियों को बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। सभी बैंकों ने अपनी शाखाओं में समर्पित कर्मचारियों की एक टीम बनाई है, जिन्होंने अपने स्मार्टफोन में आवश्यक ऐप डाउनलोड किए हैं, जो पेंशनभोगियों द्वारा जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं। यदि पेंशनभोगी वृद्धावस्था/बीमारी/कमजोरी के कारण शाखाओं में जा पाने में सक्षम नहीं है, तो बैंक अधिकारी उपरोक्त उद्देश्य के लिए उनके घर/अस्पताल भी जा रहे हैं।

पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन इस अभियान को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। उनके प्रतिनिधि पेंशनभोगियों को आस-पास के शिविर स्थलों पर जाकर डीएलसी जमा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के अधिकारी भी देश भर में प्रमुख स्थानों का दौरा कर पेंशनभोगियों को उनके जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए विभिन्न डिजिटल तरीकों के इस्तेमाल में मदद कर रहे हैं और इस संबंध में हुई प्रगति की बहुत बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

सभी हितधारकों, विशेष रूप से सभी स्थानों पर बीमार/बुजुर्ग पेंशनभोगियों में बहुत उत्साह देखने को मिला है। इसके परिणामस्वरूप, 3.0 अभियान के शुभारंभ के पहले सप्ताह के अंत तक 37 लाख से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाए गए, जिनमें से 90 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 14,329 पेंशनभोगी और 80-90 वर्ष की आयु के बीच के 1,95,771 पेंशनभोगी अपने घर/स्थान/कार्यालय/शाखाओं से अपने डीएलसी जमा कर सके।

एसबीआई और पीएनबी महीने भर चलने वाले अभियान के पहले सप्ताह के दौरान 5 लाख से अधिक डीएलसी बनाकर अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्य महीने भर चलने वाले अभियान के पहले सप्ताह के दौरान 8.5 लाख से अधिक डीएलसी बनाकर सूची में शीर्ष पर हैं।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग इस अभियान को पूरे देश में सफल बनाने के लिए अपने सभी प्रयास जारी रखेगा।

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निडर, निष्पक्ष और सकारात्मक पत्रकारिता पर जोर

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर, -श्रीमदभगवत गीता को आत्मसात कर पत्रकारिता करें, इसमें है निर्माण का संदेश
कानपुर। भगवत गीता सिखाती है कि किस तरह निष्पक्ष, निडर, निस्वार्थ रहकर हम कर्म करें, जो हमें संतोष देगा और एक अच्छे समाज का निर्माण करेगा। पत्रकार भी गीता को आत्मसात कर पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करें।
ये विचार कानपुर प्रेस क्लब की ओर से नवीन मार्केट कार्यालय में “पत्रकारिता में गीता का महत्व” विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए। श्रीमद भगवत गीता वैदिक न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उमेश पालीवाल ने कहा समाज और राष्ट्र निर्माण में पत्रकारों की बड़ी भूमिका है। उन्हें गीता के संदेशों पर अमल करना चाहिए। उसमें स्पष्ट है कि कर्म ही धर्म है, उसी रास्ते पर बिना किसी डर, पक्षपात और स्वार्थ निष्काम भाव से चलते रहो। पत्रकारिता धर्म का निर्वहन इसी भाव से करो तो राष्ट्र मजबूत होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़कर गीता को प्रचारित कर रहे अमरनाथ ने कहा कि निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता से बड़ा कोई धर्म नहीं है और इस पवित्र कर्म के पथ पर कदम नहीं डगमगाएं, गीता वैदिक न्यास के जिलाध्यक्ष एवं समजसेवी भूपेश अवस्थी ने कहा गीता के संदेश हृदय में रख पत्रकारिता के रास्ते पर चलेंगे तो बिल्कुल न तो डरेंगे और न ही विचलित होंगे। वरिष्ठ पत्रकार जुवैद फारूखी ने कहा गीता और कुरान, दोनों ही कर्म और इंसानियत की राह पर चलना सिखाते हैं, कर्म ही प्रधान है। गीता न्यास से जुड़े कमल द्विवेदी ने कर्मयोग पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा ने शायरी के जरिये कर्मयोग की बात कही। प्रेस क्लब के अध्यक्ष सरस वाजपेयी ने सकारात्मक पत्रकारिता पर जोर देते हुए गीता आत्मसात करने की अपील की। इस मौके पर प्रेस क्लब के मंत्री शिवराज साहू, मोहित दुबे, कोषाध्यक्ष सुनील साहू, कौशतुभ मिश्र, रोहित मिश्र, दीपक सिंह, मयंक मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार जीपी वर्मा, अनिल मिश्र, उन्नाव-शुक्लागंज प्रेस क्लब के अध्यक्ष मयंक और कई पत्रकार मौजूद रहे। संचालन प्रेस क्लब के महामंत्री शैलेश अवस्थी ने किया। इस मौके पर डॉ. उमेश पालीवाल सहित सभी अथितियों को शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

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भगवान बिरसा मुंडा जयंती – जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित हुई विभिन्न प्रतिस्पर्धाएं

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में भगवान बिरसा मुंडा जयंती – 2024 “जनजातीय गौरव दिवस” के उपलक्ष में छात्राओं एवं युवाओं में भगवान बिरसा मुंडा के जीवन एवं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तथा जनजातीय विकास में उनके योगदान के संबंध में जागरूकता लाने एवं व्यापक प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की गई जिनमें भाषण प्रतियोगिता, कविता पाठ गीत, निबंध लेखन आदि प्रमुख रहे। इस कार्यक्रम में कुल 50 एन एस एस वॉलिंटियर्स ने उमंग एवं उत्साह के साथ हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय नॉलेज इंस्टीट्यूशन की प्रभारी डॉ ज्योत्सना पांडे, एनसीसी इंचार्ज प्रोफेसर शुभ्रा राजपूत तथा रेंजर्स सह-प्रभारी श्रीमती श्वेता गोंड का विशेष योगदान रहा।

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मिशन शक्ति के द्वारा विशाखा एक्ट 2013 गाइडलाइंस पर व्याख्यान आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर, मिशन शक्ति के द्वारा विशाखा एक्ट 2013 गाइडलाइंस पर व्याख्यान का आयोजन हुआ मिशन शक्ति फेज-5 के अंतर्गत दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में मिशन शक्ति प्रभारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में विशाखा एक्ट 2013 पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान राजनीति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अंशु पांडे के द्वारा दिया गया। उन्होंने अपने व्याख्यान में विशाखा एक्ट 2013 गाइडलाइंस, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ जारी की गई दिशानिर्देश पर विस्तार पूर्वक जानकारियां दी। जो छात्रों के लिए आने वाले जीवन में अत्यधिक लाभदायक साबित होंगे। इस कार्यक्रम में कुल 40 छात्राओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में एनसीसी इंचार्ज प्रोफेसर शुभ्रा राजपूत तथा रोमन रेंजर्स इंचार्ज श्वेता गोंड का विशेष योगदान रहा।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने “राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण” योजना के तहत छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लिए 725.62 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने “राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण” योजना के तहत छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लिए 725.62 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। समिति ने छत्तीसगढ़ के लिए 147.76 करोड़ रुपये, ओडिशा के लिए 201.10 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल के लिए 376.76 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। उच्च स्तरीय समिति में केन्द्रीय वित्त मंत्री, कृषि मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के Disaster Resilient भारत के विजन को पूरा करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय ने देश में आपदाओं का प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की है।  भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction) प्रणाली को मजबूत करके आपदाओं के दौरान जान-माल को होने वाले किसी भी बड़े नुकसान को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

केंद्र सरकार ने “राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण” योजना के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (NDRF)  के तहत 5000 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं, 15 राज्यों के 2542.12 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के प्रस्तावों को पहले ही मंजूरी दे दी गई है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इस वर्ष के दौरान राज्यों को 21,026 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है। इसमें राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) से 26 राज्यों को 14,878.40 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (NDRF) से 15 राज्यों को 4,637.66 करोड़ रुपये, राज्य आपदा शमन निधि (SDMF) से 11 राज्यों को 1,385.45 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आपदा शमन निधि (NDMF) से तीन राज्यों को 124.93 करोड़ रुपये शामिल हैं।

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संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ ने 5-6 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में पहले एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन आयोजित किया

संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ ने 5-6 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में पहले एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इस शिखर सम्मेलन की उल्लेखनीय उपलब्धियों में दो समानांतर मंचों का सफल आयोजन था जिनमें कई तरह के व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए। इन मंचों के जरिए विचारों का समृद्ध आदान-प्रदान हुआ। जहां पहला मंच बुद्ध की मूलभूत शिक्षाओं और आधुनिक समय में उनके प्रयोगों पर केंद्रित था, दूसरे में उन तरीकों की खोज की गई जिनसे बौद्ध सिद्धांत सतत विकास, सामाजिक सद्भाव और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में योगदान दे सकते हैं।

कार्यक्रम में कई प्रस्तुतियाँ हुईं जिनके जरिये अद्वितीय विकल्प, दृष्टिकोण और कुछ अनोखे विचार प्रस्तुत किए गए ताकि समाज की भलाई के लिए इनका व्यावहारिक उपयोग किया जा सके। अब तक के सेमिनार और सम्मेलन मुख्य रूप से धार्मिक पहलुओं और उससे जुड़े प्रवचनों से संबंधित थे। इस शिखर सम्मेलन ने धम्म के प्राचीन दर्शन और विज्ञान से निकले कई नवीन विचारों को सामने रखा।

संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा आयोजित यह एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन ‘एशिया को मजबूत बनाने में बुद्ध धम्म की भूमिका’ विषय पर आधारित था। इसमें 32 देशों के 160 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों ने भाग लिया। महासंघ के सदस्य, विभिन्न मठवासी परंपराओं के संरक्षक, भिक्षु, भिक्षुणियाँ, राजनयिक समुदाय के सदस्य, बौद्ध अध्ययन के प्रोफेसर, विशेषज्ञ और विद्वान समेत लगभग 700 प्रतिभागियों ने इस विषय पर चर्चा की।

अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सीऑन रेमन ने न्यूरोसाइंस से मानसिक अनुभूति की अवधि और उनके नैदानिक ​​अनुप्रयोगों में ध्यान के बौद्ध दृष्टिकोण के बीच तुलना की। किसी विचार (ध्यान-क्षण) के जागने और समाप्ति की प्रकृति पर विचार करने पर पता चला कि ये समय-सीमाएँ वही हैं जो ध्यानियों ने बिना घड़ी के सदियों पहले अनुमान लगाया था। पारमिता और ध्यान जैसे बौद्ध प्रथाओं के साथ-साथ न्यूरोफीडबैक और विज़ुअलाइज़ेशन तकनीकों के आधार पर यह मानसिक विकारों के उपचार में उपयोगी हो सकता है।

मंगोलिया में विपश्यना अनुसंधान केंद्र के निदेशक श्री शिरेन्देव डोरलिग द्वारा मंगोलियाई जेलों में बौद्ध अभ्यास का एक अनूठा योगदान पेश किया गया। कुछ शुरुआती रुकावटों के बाद विपश्यना ध्यान पाठ्यक्रम घोर अपराधियों वाली जेलों में भी बहुत अच्छे परिणाम दे रहे हैं।

अपने प्रस्तुतीकरण में श्री डोरलिग ने कहा कि उन्होंने जेल अधिकारियों से पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले कुछ निश्चित कार्य स्थितियों पर जोर दिया। इसमें जेल अधिकारियों को विपश्यना अभ्यास का प्रशिक्षण देना, अभ्यास और परंपरा के अनुरूप एक सख्त अनुशासित दिनचर्या और दिन के अंत में कैदियों के लिए एक दैनिक ‘समूह बैठक’ शामिल थी ताकि सफलता दर का वास्तविक आकलन किया जा सके।

अनेक प्रस्तुतियों के माध्य से मध्य एशिया, पूर्वी तुर्किस्तान और रूसी स्वायत्त गणराज्यों कलमीकिया, बुरातिया और तुवा के विशाल क्षेत्रों पर बौद्ध धर्म के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया जैसे कि वास्तुकला, पूजा पद्धतियों और जीवन के दार्शनिक तरीके पर इसका प्रभाव, जिसके निशान पुरातात्विक दृष्टि से तथा प्राचीन ग्रंथों में आज भी मौजूद हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज के इतिहास विभाग के डॉ. जगबीर सिंह ने चीनी वास्तुकला के विकास पर बौद्ध प्रभावों के बारे में बात की। उन्होंने हान राजवंश से लेकर आज तक इसके विकास पर बात की।

पहली शताब्दी में हान सम्राट मिंग ने भारत से चीन गए पहले दो भारतीय भिक्षुओं-कश्यप मतंग और धर्मरत्न के सम्मान में व्हाइट हॉर्स मठ का निर्माण कराया था।

यह चीनी बौद्ध वास्तुकला का जन्म था। वास्तुकला के इस रूप को बाद में शुद्ध चीनी वास्तुकला में शामिल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप एक अनूठी वास्तुकला विरासत सामने आई जो बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक और सौंदर्य मूल्यों को दर्शाती है।

जापान के क्योटो स्थित ओटानी विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ. शोभा रानी दाश ने जापानी बौद्ध धर्म में पूजे जाने वाले हिंदू देवताओं के बारे में बताया। उन्होंने हिंदू देवताओं के समूह के बारे में बताया जिन्हें बौद्ध धर्म के साथ जापान में बौद्ध देवताओं के रूप में लाया गया था लेकिन धीरे-धीरे उनमें से कई को शिंतो धर्म के जापानी मूल पंथ के साथ भी आत्मसात कर लिया गया। उन्होंने देवी सरस्वती का विशेष उल्लेख किया जिन्हें जापान में बेंजाइटन के नाम से जाना जाता है और स्थानीय लोग उनकी पूजा करते हैं।

तुर्की के अंकारा विश्वविद्यालय में पूर्वी भाषाओं और साहित्य के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यालसीन कायाली ने उइगर तुर्की सांस्कृतिक दुनिया में बौद्ध धर्म की मौजूदगी के बारे में कम ज्ञात तथ्य सामने लाए। यह अध्ययन संस्कृत में सुवर्णभास सूत्र के रूप में ज्ञात बौद्ध ग्रंथ पर केंद्रित था, जिसे धर्मक्षेम के चीनी अनुवाद से उइगर-तुर्की बौद्ध विरासत क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया था और इसका नाम अल्तुनयारुक (स्वर्ण प्रकाश सूत्र) रखा गया था।

ऐसा माना जाता है कि चौथी शताब्दी में इसके चीनी अनुवाद तथा जापानी और अन्य यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद ने प्राचीन बौद्ध सिद्धांत को विश्व की सांस्कृतिक विरासत में शामिल करने में योगदान दिया।

इसी तरह, रूसी अकादमी के ओरिएंटल अध्ययन संस्थान के शोध फेलो डॉ. बाटर यू. किटिनोव ने बौद्ध धर्म कैसे पूर्वी तुर्किस्तान में फैल गया और लंबे समय तक बौद्ध धर्म को बनाए रखने में उइगरों की भूमिका क्या रही इस बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूर्वी तुर्किस्तान में कुछ छोटे जनसंख्या समूह अभी भी बौद्ध धर्म का पालन कर रहे हैं जिनकी संख्या में वृद्धि हो रही है।

श्रीलंका से एसआईबीए परिसर के पाली और बौद्ध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पोलगोले कुशलाधम्मा ने शारीरिक दुर्बलता और अन्य कष्टों, विशेष रूप से भावनाओं में नकारात्मक शक्तियों, जो मानसिक अशांति, दुःख, भय और हताशा आदि उत्पन्न करती हैं, पर काबू पाने के लिए माइंडफुलनेस अभ्यासों की उपयोगिता की पहचान करने के लिए बौद्ध ध्यान पर तंत्रिका विज्ञान संबंधी शोध की भूमिका की व्याख्या की।

उन्होंने विस्तार से बताया कि किस प्रकार बौद्ध धर्म मन की प्रकृति का अध्ययन करता है और मन के तर्कसंगत वर्णन की जांच करता है तथा अनुयायियों को मानसिक कष्टों को ठीक करने वाले स्वस्थ मानसिक व्यवहार विकसित करने के लिए मार्गदर्शन करता है।

भूटान में महाचुलालोंगकोर्न राजविद्यालय विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन महाविद्यालय (आईबीएससी) के व्याख्याता डॉ. उग्येन शेरिंग ने प्रसिद्ध अवधारणा सकल राष्ट्रीय खुशी (जीएनएच) के बारे में बात की और बताया कि कैसे बौद्ध दर्शन और सिद्धांत जीएनएच की अवधारणा को रेखांकित करते हैं, जो भूटान की नीतियों और सामाजिक मूल्यों को प्रभावित करते हैं। यह बौद्ध धर्म ही था जिसने भूटान को जीएनएच का उच्च स्तर प्राप्त करने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बताया कि कैसे अन्य लोग इस मॉडल का अनुकरण कर सकते हैं।

श्रीलंका के कोलंबो विश्वविद्यालय में वियतनामी पीएचडी विद्वान गुयेन न्गोक आन्ह ने वियतनाम में सामंतवाद, उपनिवेशवाद और आधुनिकीकरण के दौरान बौद्ध धर्म के सामने आईं चुनौतियों के बारे में बताया।

हालांकि बौद्ध धर्म का वियतनामी समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह देश कई संघर्षों से गुजरा है और इसलिए मुक्ति (मोक्ष), शांति और खुशी (निर्वाण) के दर्शन ने वियतनामी समाज को मजबूती से एक साथ रखा है। दूसरी शताब्दी ईस्वी में वियतनाम में शुरू किया गया बौद्ध धर्म वियतनामी समाज का मूल सार है।

कजाकिस्तान के श्री रुसलान काजकेनोव ने बताया कि भले ही कजाकिस्तान बौद्ध देश नहीं है लेकिन देश में बौद्ध धर्म और बौद्ध दर्शन के प्रति गहरी आस्था है। यह इसलिए भी है क्योंकि बौद्ध धर्म में टेंग्रियनवाद के साथ कई समानताएं हैं। इसके अलावा, बौद्ध धर्म ने इस क्षेत्र (मध्य एशिया) की कला, वास्तुकला और सांस्कृतिक परंपराओं को प्रभावित किया है, जिसमें बौद्ध कला और ऐतिहासिक स्मारकों के तत्व शामिल हैं। उन्होंने अगला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन कजाकिस्तान में आयोजित करने का सुझाव दिया।

ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विद्वानों ने भी इसी भावना के साथ बताया कि कैसे इन देशों के लोग अपनी बौद्ध विरासत के बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं जिसे इस क्षेत्र में इसके प्रसार के शुरुआती वर्षों में स्थानीय लोगों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार किया गया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन दोनों देशों में अभी तक अज्ञात बौद्ध स्थलों की खुदाई की काफी गुंजाइश है। प्रतिनिधियों ने खुदाई पर भारतीय विशेषज्ञों और शिक्षाविदों को भी शामिल करने में उत्सुकता व्यक्त की जो बुद्ध की शिक्षाओं के सार और दुनिया के इस हिस्से में उनके प्रसार में मदद कर सकते हैं।

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