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Bharatiya Swaroop

भारतीय स्वरुप एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। सम्पादक मुद्रक प्रकाशक अतुल दीक्षित (published from Uttar Pradesh, Uttrakhand & maharashtra) mobile number - 9696469699

भारतीय नौसेना के लिए दो बहुउद्देश्यीय पोतों के अधिग्रहण को लेकर मुबंई स्थित मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए

रक्षा मंत्रालय ने 25 मार्च, 2022 को मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ “खरीदें-भारतीय” श्रेणी के तहत 887 करोड़ रुपये की कुल लागत से भारतीय नौसेना के लिए दो बहुउद्देश्यीय पोतों (एमपीवी) के अधिग्रहण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे और अतिरिक्त सचिव व महानिदेशक (अधिग्रहण) श्री पंकज अग्रवाल की उपस्थिति में इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। नौसेना को मई, 2025 से इन पोतों को सौंपे जाने का समय तय किया गया है।

एमपीवी अपनी तरह का पहला पोत होगा, जिसका निर्माण भारतीय नौसेना की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने को लेकर लागत प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए किया जाएगा। मेसर्स एलएंडटी शिपयार्ड इन जहाजों का निर्माण कट्टुपल्ली (चेन्नई) में करेगी। यह गनरी/एएसडब्ल्यू फायरिंग अभ्यासों के लिए समुद्री निगरानी व गश्ती, टारपीडो की लॉन्चिंग/रिकवरी और विभिन्न प्रकार के हवाई, सतह व जल के नीचे के लक्ष्यों के परिचालन जैसे विविध भूमिकाओं में सहायता करने का काम करेगा। ये पोत जहाजों को खींचने और सीमित अस्पताल जहाज क्षमता के साथ मानवीय सहायता व आपदा राहत (एचएडीआर) समर्थन प्रदान करने में भी सक्षम होंगे। इसके अलावा ये पोत विकास के तहत नौसेना के हथियारों व सेंसर के परीक्षण मंच, आईएसवी व बचाव कार्यों के लिए समर्थन मंच और हमारे द्वीपीय क्षेत्रों में लॉजिस्टिक (रसद) सहायता प्रदान करने का भी काम करेंगे।  यह अनुबंध भारत सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप भारतीय पोत निर्माण उद्योग की सक्रिय भागीदारी को और अधिक बढ़ावा देगा व प्रोत्साहित करेगा। इसके अलावा अधिकांश उपकरण व प्रणाली स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त होने के चलते ये पोत रक्षा मंत्रालय की “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” पहल के एक गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।

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डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल के भारतीय सेना संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 27 मार्च, 2022 को ओडिशा के तट पर चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) के भारतीय सेना संस्करण के दो सफल उड़ान परीक्षण किए। उड़ान परीक्षण हाई-स्पीड हवाई लक्ष्यों के विरूद्ध लाइव फायरिंग ट्रायल के हिस्से के रूप में किए गए। मिसाइलों ने हवाई लक्ष्यों को इंटरसेप्ट किया और दोनों रेंजों पर सीधे हिट दर्ज करते हुए उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया। पहला लाँच एक मध्यम ऊंचाई लंबी दूरी के लक्ष्य को इंटरसेप्ट करना था और दूसरा लाँच कम ऊंचाई वाली छोटी दूरी के लक्ष्य की क्षमता सिद्ध करने के लिए था।

यह एमआरएसएएम संस्करण भारतीय सेना द्वारा उपयोग के लिए डीआरडीओ और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई), इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। एमआरएसएएम आर्मी वेपन सिस्टम में मल्टी-फंक्शन रडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम और अन्य वाहन शामिल हैं। उड़ान परीक्षण डिलीवरेबल आकृति में हथियार प्रणाली के साथ किए गए थे। हथियार प्रणाली का निष्पादन आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे रेंज उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए उड़ान डेटा के माध्यम से सत्यापित किया गया था। उड़ान परीक्षण डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एमआरएसएएम-सेना के सफल उड़ान परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी है। उन्होंने कहा, दोनों सफल परीक्षण महत्वपूर्ण दूरी पर लक्ष्य को भेदने में हथियार प्रणाली की क्षमता को स्थापित करते हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने एमआरएसएएम के सेना संस्करण के सफल उड़ान परीक्षण में शामिल टीमों की सराहना की और कहा कि ये परीक्षण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए प्रमुख उपलब्धियां हैं।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज चंडीगढ़ में चंडीगढ़ पुलिस आवासीय परिसर, धनास के प्रथम चरण का लोकार्पण व तीसरे चरण का शिलान्यास किया

पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सभी सरकारी विभागों में सबसे कठिन होती है और पुलिसकर्मी एकमात्र ऐसा सरकारी कर्मचारी होता है जिसके ड्यूटी के घंटे निश्चित नहीं होते हैं होली, रक्षाबंधन, दीपावली, लोहड़ी के दिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी कई गुना बढ़ जाती है और उन्हें अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने का मौक़ा नहीं मिलता हाऊसिंग सेटिस्फ़ेक्शन रेश्यो देशभर के पुलिसकर्मियों की दक्षता बढ़ाने के सभी प्रयासों में ना केवल एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बल्कि एक चुनौती भी है और जब तक इसे आप नहीं बढ़ाते तब तक पुलिसकर्मी से अपनी ड्यूटी के अच्छे निर्वहन की आप आशा नहीं कर सकते जब तक तकनीक का उपयोग इन्वेस्टिगेशन, डेटा स्टोरेज और इसके एनालिसिस के लिए नहीं करेंगे तब तक अपराध पर नियंत्रण असंभव है और ये सारी चीज़ें भारत सरकार ने आईसीजेएस (ICJS) के माध्यम से देशभर की पुलिस के लिए रखी हैं इसके अंतर्गत सीसीटीएनएस में देश के 98 प्रतिशत से ज़्यादा थानों को जोड़ लिया गया है, ई-कोर्ट, ई-प्रिज़न, ई-फ़ॉरेन्सिक और ई-प्रॉसीक्यूशन का एक मॉडल बनाया गया है और आईसीजेएस के माध्यम से इन सबको जोड़कर इन्हें थाने तक उपलब्ध कराने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने किया है इन सभी योजनाओं और डेटा का क्या फ़ायदा इनका एनालिसिस तो राज्य या संघ प्रदेश के स्तर पर होना है और इसके आधार पर पुलिस की वार्षिक रणनीति बनानी है ये सब राज्यस्तर पर बल्कि पुलिस स्टेशन स्तर पर तय करने की ज़रूर है क्योंकि हर पुलिस स्टेशन में अपराधों का प्रकार, प्रवृत्ति और संख्या अलग-अलग होती हैं और ये सब तभी हो सकता है जब पुलिस थाने के स्तर तक हम आईसीजेएस को पहुंचाएंगे जब तक फॉरेंसिक एविडेंस के आधार पर प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया नहीं होती तब तक दोष सिद्धि की दर को आप सुधार नहीं सकते आने वाले दिनों में हम आईपीसी, सीआरपीसी एविडेंस एक्ट में सुधार करने जा रहे हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की है और यह सभी राज्यों में अपने एफीलिएटेड कॉलेज खोलने वाला है और तब एक बहुत बड़ी संख्या में मैनपावर उपलब्ध होगी तब हम कानूनन यह कर सकेंगे कि 6 साल से ज्यादा जिस भी दफा में सजा है उस सबमें साइंटिफिक एविडेंस को कंपलसरी करें चंडीगढ़ पुलिस का कलेवर बदलने के लिए मोटरसाइकिल और गाड़ियों का आधुनिक संचार सुविधाओं से लैस दस्ता आज दिया गया है और जब यह दस्ता शहर में घूमेगा तब चंडीगढ़ के लोगों में विश्वास का वातावरण बनेगा लगभग सवा सौ करोड़ रूपए से ज्यादा राशि चंडीगढ़ पुलिस को अपग्रेड करने के लिए खर्च हुई है जिसमें हाउसिंग के प्रोजेक्ट, फॉरेंसिक साइंस को अपग्रेड करने की व्यवस्था और कई सारे ई-इनीशिएटिव लिए गए हैं आज एक मानवता का काम हमारे प्रशासक श्री बनवारीलाल पुरोहित के तत्वाधान में हुआ है,जिन भी कर्मियों ने असमय जान गंवाई है उन सारे परिवारों की चिंता करते हुए उनको धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है और उनके परिजनों को नौकरी देने का काम भी हो रहा है यह बहुत जरूरी है क्योंकि जो जवान ड्यूटी पर तैनात है उसे यह विश्वास होना चाहिए कि प्रशासन चट्टान की तरह मेरे पीछे खड़ा है आज से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को केंद्रीय सिविल सेवाओं के साथ जोड़ने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है, इससे सबसे सेवा निवृत्ति की आयु बढ़ कर 58 की जगह 60 वर्ष हो जाएगी महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर के लिए 1 साल की जगह 2 साल की छुट्टी भी मिलेगी बहुत समय से यह मांग चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारी, अधिकारियों की थी और आज मोदी जी ने यह बहुत बड़ा फैसला लिया है और लोगों को नए वित्तीय वर्ष से इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा जब से नरेंद्र मोदी जी की सरकार केन्द्र में बनी है तब से अनेक क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन की शुरुआत हुई है देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत और समस्याविहीन बनाने के लिए और कई दशकों से चली आई समस्याओं को ख़त्म करने के लिए पिछले 7 सालों में जितना काम हुआ है उतना सात दशकों में कभी नहीं हुआ चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र हो, कश्मीर हो, चाहे नॉर्थ ईस्ट थिएटर हो, सभी जगह पर जो आतंकवादी समूहों के साथ झड़पों की घटनाओं पर हमारे सुरक्षाबलों ने एक प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया है हमारे सुरक्षाबलों ने यह संदेश कड़ाई के साथ भेजा है कि देश के नागरिक चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते हो, कश्मीर में रहते हो, चाहे उत्तर पूर्व में रहते हों, उनकी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नहीं है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा इसके परिणामस्वरूप नक्सलवादी घटनाओं में बहुत कमी आई है, उत्तर पूर्व में कई उग्रवादी संगठनों ने भारत सरकार के प्रोएक्टिव स्टेप को स्वीकार करते हुए भारत सरकार के साथ समझौते किए हैं नौ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने सरेंडर कर अपने आप को कानून के हवाले किया है और इन परिवारों ने आज कानून पर भरोसा कर सरेंडर किया है कश्मीर में भी आतंकवादी घटनाओं पर नकेल कसने में सुरक्षा बलों ने एक प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया है और इसके आंकड़ों को विरोधी भी नकार नहीं सकते मोदी जी के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा की जितनी भी चुनौतियां है इन सभी को न केवल एड्रेस किया गया है, बल्कि इसका परिणाम लाने का काम भी किया गया है कश्मीर से लेकर चंडीगढ़ और हरियाणा तक नारकोटिक्स से पूरी जनता परेशान है मोदी सरकार ने अभियान चलाया है जिसके अंतर्गत वर्ष 2021 में 75 साल में रिकॉर्ड नारकोटिक्स और इनके रैकेट चलाने वालो को पकड़ने का काम हुआ है मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले दो-तीन सालों में हम नारकोटिक्स के ख़िलाफ़ लड़ाई चरम सीमा पर ले जाएंगे और नरेंद्र मोदी सरकार का यह दृढ़ निश्चय है कि  किसी को भी हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद करने और आने वाली नस्लों को नशे के गर्त में डुबाने की इजाजत नहीं होगी पुलिस कल्याण के बारे में, चाहे कोई भी सशस्त्र बल हो या संघ प्रदेश के सभी पुलिस बलों के कल्याण की बात हो, नरेंद्र मोदी जी ने बहुत अच्छे तरीके से एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ पुलिस कल्याण को गृह विभाग का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया है यह साल हमारा आजादी का 75वां साल है, इसीलिए आजादी के संघर्ष से युवा पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए मोदी जी ने तय किया है कि यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा आजादी प्राप्त करने के लिए हमारे पुरखों ने जो कड़ा संघर्ष किया है उससे देशभर के युवाओं को परिचय कराया जाए आजादी ऐसे ही नहीं मिली,नामी-बेनामी कई लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है,कई लोग अपने ओजस्वी कैरियर को समाप्त कर आजादी के आंदोलन की लड़ाई के अंदर कूद पड़े और कई लोगों ने अनेक प्रकार के जनजागृति के काम कर कर देश को आजाद कराने के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन किया और तब जाकर यह देश अंग्रेजों की गिरफ्त से बाहर आया

देश के लिए मरने का मौका भले ना मिला हो, देश के लिए जीने का मौका ईश्वर ने हमें दिया है और आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से इसे हर युवा तक पहुंचाने का लक्ष्य है

मोदी जी ने हर क्षेत्र में आजादी के अमृत महोत्सव में इसे संकल्प वर्ष का नाम दिया है और हर क्षेत्र अपने संकल्प तय करेगा, हर व्यक्ति अपने संकल्प तय करेगा और देश की आज़ादी की जब शताब्दी बनाई जा रही होगी, तो करोड़ों संकल्पों का यह संपुट देश को महान बनाकर दुनिया के अंदर गौरवपूर्ण स्थिति में स्थापित करेगा हम सब भारतीयों का परिश्रम भारत माता को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर बैठाए, इस प्रकार के भारत की कल्पना हमें करनी चाहिए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज चंडीगढ़ में चंडीगढ़ पुलिस आवासीय परिसर, धनास के प्रथम चरण का लोकार्पण व तीसरे चरण का शिलान्यास किया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चण्डीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारीलाल पुरोहित, चण्डीगढ़ की महापौर सुश्री सरबजीत कौर और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सभी सरकारी विभागों में सबसे कठिन होती है। पुलिसकर्मी एकमात्र ऐसा सरकारी कर्मचारी होता है जिसके ड्यूटी के घंटे निश्चित नहीं होते हैं। उसे लगातार, दिन-रात समस्या के साथ जूझना पड़ता है और अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। क़ानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की ज़रूरत उस वक़्त सबसे ज़्यादा होती है जब पूरा देश आनंद और उत्साह के साथ अपने परिवार के साथ त्यौहार मना रहा होता है। होली, रक्षाबंधन, दीपावली, लोहड़ी के दिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी कई गुना बढ़ जाती है और उनिहें अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने का मौक़ा नहीं मिलता। काम के घंटे विपरीत होने के कारण उनकी सेहत पर भी असर पड़ता है, खान-पान और व्यायाम नियमित नहीं हो पाती। ऐसे समय में अपने परिवार के साथ जितना भी समय एक अच्छे माहौल में पुलिसकर्मी बिता सके, वो बहुत महत्वपूर्ण है। आज अलग-अलग स्तर पर लगभग 1560 परिवारों में से 350 परिवारों को उनका निवास भी मिल गया है। उन्होंने कहा कि हाऊसिंग सेटिस्फ़ेक्शन रेश्यो देशभर का पुलिसकर्मियों की दक्षता बढ़ाने के सभी प्रयासों में ना केवल एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बल्कि एक चुनौती भी है। जब तक इसे आप नहीं बढ़ाते तब तक पुलिसकर्मी से अपनी ड्यूटी के अच्छे निर्वहन की आप आशा नहीं कर सकते।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब तक तकनीक का उपयोग इन्वेस्टिगेशन, डेटा स्टोरेज और इसके एनालिसिस के लिए नहीं करेंगे तब तक अपराध पर नियंत्रण असंभव है। जब तक क्लासीफ़ाइड डेटा नहीं होता है, इसके एनालिसिस के बिना अपराध नियंत्रण की कोई रणनीति नहीं बन सकती। जब तक अन्वेषण को आप स्पीड के साथ नहीं कर सकते, तब तक अपराध पर नियंत्रण नहीं हो सकता। जब तक प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया साइंटिफ़िक सुबूत के आधार पर नहीं करते हो, तब तक अपराध पर नियंत्रण नहीं पा सकते हो। जब तक प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया को ऑनलाइन मॉनीटर नहीं कर सकते हो, तब तक आप जल्दी न्याय नहीं दिला सकते हो। ये सारी चीज़ें भारत सरकार ने आईसीजेएस (ICJS) के माध्यम से देशभर की पुलिस के लिए रखी हैं। इसके अंतर्गत सीसीटीएनएस में देश के 98 प्रतिशत से ज़्यादा थानों को जोड़ लिया गया है। ई-कोर्ट, ई-प्रिज़न, ई-फ़ॉरेन्सिक और ईप्रॉसीक्यूशन का एक मॉडल बनाया गया है और आईसीजेएस के माध्यम से इन सबको जोड़कर इन्हें थाने तक उपलब्ध कराने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने किया है। लेकिन इन सभी योजनाओं और डेटा का क्या फ़ायदा क्योंकि इनका एनालिसिस तो राज्य या संघ प्रदेश के स्तर पर होना है और इसके आधार पर पुलिस की वार्षिक रणनीति बनानी है, कि हमारे प्रदेश में किस अपराध पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है, किस अपराध की मॉडस ऑपरेंडी क्या है। ये सब राज्यस्तर पर तय करने की ज़रूरत है और बल्कि पुलिस स्टेशन स्तर पर तय करने की ज़रूर है क्योंकि हर पुलिस स्टेशन में अपराधों का प्रकार, प्रवृत्ति और संख्या अलग-अलग होती हैं। ये सब तभी हो सकता है जब पुलिस थाने के स्तर तक हम आईसीजेएस को पहुंचाएंगे। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली भी आज जारी की गई है। ई-एफ़आईआर रजिस्टर करने की शुरूआत तो हो गई लेकिन जब तक लोगों को पता नहीं चलेगा कि थाने जाए बिना एफ़आईआर रजिस्टर हो सकती है। उन्होंने कहा कि नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ पुलिस के बीच एक एमओयू हुआ है और मैंने पुलिस कांग्रेस में कई बार कहा है कि जब तक फॉरेंसिक एविडेंस के आधार पर प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया नहीं होती तब तक दोष सिद्धि की दर को आप सुधार नहीं सकते। इसके लिए बहुत जरूरी है कि 6 साल से ज्यादा जिसमें सजा है, आने वाले दिनों में हम आईपीसी, सीआरपीसी एविडेंस एक्ट में सुधार करने जा रहे हैं। इसमें इसका प्रोविजन करेंगे परंतु मैन पावर कहां से आएगी, ना देश के पास इतना फॉरेंसिक के क्षेत्र का ट्रेंड मैन पावर है, ना इसकी सुविधाएं हैं। परंतु जब कभी भी शुरुआत करते हैं, दिक्कतें तो आती ही है और दिक्कतों का रास्ता ढूंढना होता है, दिक्कतों से रास्ता बंद हो गया है, अगर ऐसा सोचते हैं तो कभी आगे नहीं बढ़ सकते। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की है और यह सभी राज्यों में, क्षेत्रों में अपने एफीलिएटेड कॉलेजों को खोलने वाला है और तब एक बहुत बड़ी संख्या में मैन पावर उपलब्ध होगी और फिर हम कानूनन यह कर सकेंगे कि 6 साल से ज्यादा जिस भी दफा में सजा है उस सबमें साइंटिफिक एविडेंस को हम कंपलसरी करेंगे। अभी चंडीगढ़ प्रशासन ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत एक ट्रेंड मैनपावर चंडीगढ़ पुलिस को मिलेगा। जो बच्चे वहां से पास आउट होंगे बीएससी, एमएससी होंगे, कोई फॉरेंसिक के क्षेत्र में एक्सपर्ट होंगे वह चंडीगढ़ पुलिस के साथ सहयोगी बनेंगे और चंडीगढ़ पुलिस अपनी एफ़आईआर, इन्वेस्टिगेशन और प्रशिक्षण में इसका उपयोग करेगी। मुझे विश्वास है कि इससे चंडीगढ़ पुलिस की दोष सिद्धि की दर  में बहुत बड़ी मात्रा में चंडीगढ़ पुलिस को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि आज चंडीगढ़ पुलिस का कलेवर बदलने के लिए मोटरसाइकिल और गाड़ियों का आधुनिक संचार सुविधाओं से लैस दस्ता आज दिया गया है। चंडीगढ़ जैसे एक छोटे से संघ प्रदेश के अंदर यह दस्ता जब घूमेगा तब मुझे विश्वास है कि चंडीगढ़ के लोगों में विश्वास के वातावरण बनेगा और इससे पुलिस बल पर भरोसा भी बढ़ेगा और पुलिस को अप्रोच करने का विश्वास भी बढ़ेगा।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा का राजधानी क्षेत्र भी है। यहां की कानून और व्यवस्था की स्थिति का असर एक संघ प्रदेश और दो राज्यों, यानी तीनों जगह पर पड़ता है। अगर यहां पर चंडीगढ़ पुलिस कोई मॉडल खड़ा करती है तो स्वाभाविक रूप से हरियाणा और पंजाब पुलिस को भी इसका फायदा होता है। आज ये जो नई शुरुआत हुई है इससे न केवल चंडीगढ़, इसके साथ-साथ हरियाणा और पंजाब पुलिस को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर लगभग सवा सौ करोड़ रूपए से ज्यादा राशि चंडीगढ़ पुलिस को अपग्रेड करने के लिए खर्च हुई है और उन सभी का आज लोकार्पण किया गया है। 125 करोड़ रूपए की राशि जिसमें हाउसिंग के प्रोजेक्ट भी है, फॉरेंसिक साइंस को अपग्रेड करने की व्यवस्था भी है और कई सारे ई-इनीशिएटिव भी लिए गए हैं। इससे आने वाले दिनों में बहुत बड़ा फायदा इस संघ प्रदेश को होने वाला है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज एक मानवता का काम हमारे प्रशासक महोदय बनवारीलाल पुरोहित के तत्वाधान में हुआ है। जिन भी कर्मियों ने असमय अपनी जान गंवाई है उन सारे परिवारों की चिंता करते हुए उनको धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है और उनके परिजनों को नौकरी देने का काम भी हो रहा है। यह बहुत जरूरी है क्योंकि जो जवान ड्यूटी पर तैनात है उसे यह विश्वास होना चाहिए कि प्रशासन चट्टान की तरह मेरे पीछे खड़ा है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि आज से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को केंद्रीय सिविल सेवाओं के साथ जोड़ने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है। उन्होंने कहा कि इससे आप लोगों को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। सबसे पहले तो आपकी सेवा निवृत्ति की आयु बढ़ कर 58 की जगह 60 वर्ष हो जाएगी। महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर के लिए 1 साल की जगह 2 साल की छुट्टी भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि बहुत समय से यह मांग चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारी, अधिकारियों की थी और आज मोदी जी ने यह बहुत बड़ा फैसला लिया है। कल ही इसका नोटिफिकेशन भी निकल जाएगा और आप लोगों को नए वित्तीय वर्ष से इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। श्री अमित शाह ने कहा कि जब से नरेंद्र मोदी जी की सरकार केन्द्र में बनी है और मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से अनेक क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन होने की शुरुआत हुई है। परंतु देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत और समस्याविहीन बनाने के लिए और कई दशकों से चली आई समस्याओं को ख़त्म करने के लिए 7 सालों में जितना काम हुआ है, इतना सात दशकों में कभी नहीं हुआ। चाहे नक्सल प्रभावित क्षेत्र हो, कश्मीर हो, चाहे नॉर्थ ईस्ट थिएटर हो, सभी जगह पर जो आतंकवादी समूहों के साथ झड़पों की घटनाओं पर एक प्रभावशाली नियंत्रण हमारे सुरक्षाबलों ने स्थापित किया है। उन्होंने यह संदेश कड़ाई के साथ भेजा है कि देश के नागरिक चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते हो, कश्मीर में रहते हो, चाहे उत्तर पूर्व में रहते हों, इनकी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नहीं है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप नक्सलवादी घटनाओं में बहुत कमी आई है, उत्तर पूर्व में कई उग्रवादी संगठनों ने भारत सरकार के प्रोएक्टिव स्टेप को स्वीकार करते हुए भारत सरकार के साथ समझौते किए हैं। नौ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने सरेंडर कर अपने आप को कानून के हवाले किया है। 9,000 से ज्यादा परिवारों ने आज कानून पर भरोसा कर सरेंडर किया है। कश्मीर में भी आतंकवादी घटनाओं पर नकेल कसने में सुरक्षा बलों ने एक प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया है। इसके आंकड़ों को विरोधी भी नकार नहीं सकते। मोदी जी के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा की जितनी भी चुनौतियां है इन सभी को न केवल एड्रेस किया गया है, बल्कि इसका परिणाम लाने का काम भी किया गया है केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर से लेकर चंडीगढ़ और हरियाणा तक नारकोटिक्स से पूरी जनता परेशान है। मैं आप सभी को एक बात कहना चाहता हूं कि जो मोदी सरकार ने अभियान चलाया है, 2021 में 75 साल में रिकॉर्ड नारकोटिक्स और इनके रैकेट चलाने वालो को पकड़ने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले दो-तीन सालों में नारकोटिक्स के ख़िलाफ़ लड़ाई हम चरम सीमा पर ले जाएंगे और किसी को इजाजत नहीं होगी हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की और आने वाली नस्लों को नशे के गर्त में डुबाने की किसी को इजाजत नहीं होगी, यह नरेंद्र मोदी सरकार का एक दृढ़ निश्चय है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस कल्याण के बारे में, चाहे कोई भी सशस्त्र बल हो या संघ प्रदेश के सारे पुलिस बलों के कल्याण के बारे में बात हो, नरेंद्र मोदी जी ने बहुत अच्छे तरीके से एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ पुलिस कल्याण को गृह विभाग का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया है। उन्होंने कहा कि यह साल हमारा आजादी का 75वां साल है। आप जब पैदा हुए हैं तब आजादी का माहौल भी नहीं है। हमारी युवा पीढ़ी को इतिहास को पढ़ना चाहिए और इसीलिए आजादी के संघर्ष से युवा पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए मोदी जी ने तय किया है कि यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। हमारे देश भर के युवाओं को आजादी प्राप्त करने के लिए जो कड़ा संघर्ष हमारे पुरखों ने किया है उनसे परिचय कराया जाए। आजादी ऐसे ही नहीं मिली, नामी- अनामी कई लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, कई लोग अपने ओजस्वी कैरियर को समाप्त कर आजादी के आंदोलन की लड़ाई के अंदर कूद पड़े और कई लोगों ने अनेक प्रकार के जनजागृति के काम कर कर देश को आजाद कराने के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन किया और तब जाकर यह देश अंग्रेजों की गिरफ्त से बाहर आया। आज जो युवा स्वाभाविक रूप से अनेक प्रकार के अधिकारों के लिए सोच रहा है, हम इसलिए सोच रहे हैं कि हम आजाद भारत के अंदर सांस ले रहे हैं। हमारे संविधान ने आपको यह अधिकार दिया हैं। परंतु यह अधिकार आपको मिला है, इसके लिए कितनी कड़ी मशक्कत, कड़ा संघर्ष, बड़ा त्याग और बलिदान करना पड़ा है, वह हम सबको जरूर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें आजादी के लिए लड़ने का मौका ईश्वर ने नहीं दिया, क्योंकि हम सबका जन्म ही आजादी के बाद हुआ है। देश के लिए मरने का मौका भले ना मिला हो, देश के लिए जीने का मौका ईश्वर ने हमें दिया है और वह आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से हर एक युवा तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके साथ-साथ मोदी जी ने हर क्षेत्र में आजादी के अमृत महोत्सव में इसे संकल्प वर्ष का नाम दिया है। हर क्षेत्र अपने संकल्प तय करेगा, हर व्यक्ति अपने संकल्प तय करेगा और देश की आज़ादी की जब शताब्दी बनाई जा रही होगी, तो करोड़ों संकल्पों का यह संपुट देश को महान बनाकर दुनिया के अंदर गौरवपूर्ण स्थिति में स्थापित करेगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि कई लोग मुझे कहते हैं कि हम व्यक्ति के नाते क्या कर सकते हैं, नागरिक के नाते क्या कर सकते हैं। आप कल्पना कर सकते हो कि 130 करोड़ लोग अगर संकल्प लेते हैं तो 130 करोड़ संकल्पों का यह संपुट हमारे देश को कितना आगे ले जा सकता है। यह कल्पना लेकर यह संकल्प के वर्ष में हमें संकल्प लेकर देश के लिए जीने की शुरुआत करनी चाहिए। इसी तरह से हर प्रशासनिक इकाई, छोटी सी नगरपालिका हो, या मुनीसिपल कॉरपोरेशन हो या चंडीगढ़ प्रशासन हो हर क्षेत्र के अंदर अपने लक्ष्य तय करने चाहिए। 25 साल में हम कहां होंगे। अगर यह लक्ष्य तय कर लेते हैं तो जब आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी तब यह सभी इकाइयां जब संकल्प सिद्धि करेगी तो यह आजादी का अमृत काल है 75 से 100 साल का, यह हमारे लिए परिश्रम की पराकाष्ठा का एक समय होना चाहिए। हम सब भारतीयों का परिश्रम भारत माता को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर बैठाए, इस प्रकार के भारत की कल्पना हमें करनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि मैं चंडीगढ़ प्रशासन को कहना चाहता हूं कि हर क्षेत्र में प्रशासन द्वारा 25 साल का एक संकल्प बनाया जाए। 5-5 साल की कार्य योजना बनाई जाए और इसके सालाना रिव्यू की एक योजना बनाई जाए तो 100 साल के बाद जब देश की शताब्दी के समय, लोगों को एक उन्नत मस्तक के साथ विश्व में खड़ा रहने का मौका मिलेगा। मैं आशा करता हूं कि आप सभी लोग कानून और व्यवस्था को सुधारने की इस प्रक्रिया से जुड़े हैं वह सभी लोग एक संकल्प लेकर अपने व्यक्तिगत जीवन में भी हमारे समाज में, हमारे देश में एक नई ऊंचाई प्राप्त हो इसके लिए प्रयासरत बनेंगे।

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दिल्ली में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस का समापन हुआ

“अगले दशक के लिए भूविज्ञान: चुनौतियां और समाज” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान कार्यक्रम-36वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस कल यहां संपन्न हुई।

कांग्रेस के तीसरे दिन, सत्र की वार्ता में भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं और सबडक्शन इनिशीएशन का समय, ओपियोलाइट अबडक्शन और हिमालय में क्रस्टल थिकनिंग और मेटामोरफिज्म होना, भूवैज्ञानिक कार्बन भंडारण: CO2 भंडारण के प्राकृतिक एनालॉग पर अवलोकन से द्वितीयक ट्रैपिंग तंत्र का महत्व पता करना, एक एलियन वर्ल्ड पर माइक्रोबियल लाइफ: अर्ली अर्थ में जीवन का निवास स्थान” जैसे विषय शामिल थे, जो माइक सियरल, माइकल बिकल, मार्टिन वैन क्रैनेंडोंक, कैथी कैंपबेल द्वारा पेश किए गए।

22 मार्च 2022 को “विश्व जल दिवस” मनाते हुए, मशहूर भू-वैज्ञानिक प्रोफेसर मिहिर शाह, शिव नादर विश्वविद्यालय और एसीडब्ल्यूएडीएएम की उमा असलेकर द्वारा “ब्रिंगिग द साइंस बैक इंटो वाटर: भारत में स्थायी भूजल प्रबंधन की चुनौतियां” पर एक व्याख्यान दिया गया। वार्ता में भूजल संसाधनों के प्रबंधन पर जोर दिया गया। उन्होंने जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती की पुरजोर वकालत करने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया।

समापन टिप्पणी प्रो. डी.एम. बनर्जी, एफएनए ने 36वीं आईजीसी आयोजन समिति समेत भारत के सभी भागीदारों को धन्यवाद देते हुए किया।

पैनल चर्चा में एक सुरक्षित और स्वस्थ ग्रह बनाने के लिए पृथ्वी की गतिशीलता को समझने, लगातार विकास को बढ़ावा देने, पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक असमानताओं को कम करने, भू-विज्ञान की बेहतर समझ, जलवायु परिवर्तन और भू-खतरों की भविष्यवाणी और शमन के बारे में थी।

दुनिया के प्रसिद्ध भूवैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों जैसे डेटा संचालन के जरिये पृथ्वी विज्ञान को सीखना और खोज करना, हेडियन अर्थ से एक रहने योग्य ग्रह तक, एंथ्रोपोसीन भूवैज्ञानिक समय पैमाने की एक संभावित इकाई के रूप में: क्रेटेशियस लवणता संकट की प्रगति और उच्च दबाव रिकॉर्ड पर एक अद्यतन आदि पर विस्तृत चर्चा की गई।

चर्चा का अंत प्रोफेसर रोलैंड ओबेरहेन्सली, पूर्व अध्‍यक्ष आईयूजीएस, प्रोफेसर, पोस्टडैम विश्वविद्यालय, जर्मनी के व्याख्यान “हाई प्रेसर रिकॉर्ड ऑफ ए क्रेटेशियस सलिनिटी क्राइसिस” के साथ हुआ।

तीन दिवसीय कार्यक्रम में दुनिया भर से लगभग 7000 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घाटन दिवस पर 20 मार्च को केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी, कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे, संचार राज्य मंत्री श्री देवूसिंह चौहान और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान एवं एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस को संबोधित किया। उन्होंने भूविज्ञान के ओलंपिक के रूप में इसे वर्णित किया।

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के तकनीकी और वैज्ञानिक समर्थन के साथ, खान मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 20-22 मार्च 2022 तक 36वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) को आयोजित किया गया था। भारत ने 58 वर्षों के बाद बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के समर्थन से कांग्रेस की मेजबानी की है। इस आयोजन ने दुनिया भर के भू-वैज्ञानिकों को लगातार विकास के क्षेत्र में अधिक प्रभावी उपकरण तैयार करने के लिए सही मंच प्रदान किया।

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने स्टार्ट-अप्स को बनाए रखने के लिए उद्योग द्वारा समान हिस्सेदारी की भागीदारी का आह्वान किया

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज स्टार्टअप्स को बनाए रखने के लिए उद्योग द्वारा समान हिस्सेदारी की भागीदारी का आह्वान किया।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) और भारत बायोटेक लिमिटेड के डॉ. कृष्णा एला द्वारा संचालित मैसर्स सैपिजेन बायोलॉजिक्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के दो नए वैक्सीन- “इंट्रानैसल कोविड -19 वैक्सीन और आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन” के विकास और व्यावसायीकरण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इसके अलावा, दोनों पक्षों के लिए समान हिस्सेदारी होगी, जिसमें प्रत्येक पक्ष स्थायी स्टार्टअप सुनिश्चित करने के लिए क्रमशः 200 करोड़ रुपये का योगदान देगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल स्थायी स्टार्टअप्स के लिए समान भागीदारी के साथ समान हिस्सेदारी और उद्योग की जिम्मेदारी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि भारत की वैक्सीन रणनीति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के विचार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान और भविष्य की संभावित चुनौतियों का सामना करने के लिए एक साझेदारी में एकजुट करती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह की पहल के पीछे का विचार लंबे समय में एक स्थायी साझेदारी करना और भारत के युवाओं को आजीविका का एक स्थायी स्रोत प्रदान करना है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार हर संभव सहयोग देकर औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित कर रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह न केवल समान हिस्सेदारी और भागीदारी का समझौता है बल्कि समान सामाजिक जिम्मेदारी का भी समझौता है। उन्होंने इसे भारत की वैक्सीन रणनीति में एक नई शुरुआत करार दिया और उम्मीद जताई कि यह देश में अनुसंधान और विकास को और गति देगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज, महामारी के केवल दो वर्षों के भीतर,  भारतीय दवा उद्योग अपने स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने में सक्षम है। इसने विकसित किए गए लगभग सभी कोविड वैक्सीन के निर्माण में मदद करने के लिए अपनी प्रौद्योगिकी समावेशी क्षमता को भी दिखाया है। भारत ने अपेक्षाकृत कम लागत पर वैक्सीन का निर्माण करके दिखाया और इस प्रकार भारत “दुनिया की फार्मेसी” के रूप में उभर रहा है। मार्च 2021 तक, भारत ने 70 देशों को कोविड वैक्सीन की 5.84 करोड़ खुराक का निर्यात किया। यह सस्ती कुशल श्रमशक्ति और एक अच्छी तरह से स्थापित विनिर्माण परितंत्र की उपलब्धता के कारण संभव हुआ है। आज हस्ताक्षर किए गए समझौते के तहत, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड और भारत बायोटेक ने दो नए वैक्सीन- इंट्रानैसल कोविड-19 वैक्सीन” और “आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन” के विकास और व्यावसायीकरण के लिए 400 करोड़ रुपये का स्थायी कोष बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये की मदद देने का वादा किया है। कंपनी का लक्ष्य भुवनेश्वर में नवीनतम वैश्विक मानकों के अनुरूप एक अत्याधुनिक सीजीएमपी सुविधा स्थापित करना है जो शुरू में इंट्रानैसल कोविड-19 वैक्सीन और (आरटीएस, एस) मलेरिया वैक्सीन का निर्माण करेगी और फिर बाद में अन्य वैक्सीन का निर्माण करते हुए अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करेगी। जिन दो वैक्सीन का विकास और व्यावसायीकरण किया जाना है वो हैं: –

 

 

A: नैसल कोरोना वायरस वैक्सीन: मौजूदा समय में उपयोग किए जाने वाले इंट्रामस्क्युलर (आईएम) कोरोना वायरस वैक्सीन के विपरीत इंट्रानैसल वैक्सीन म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है जिससे टीकाकरण वाले व्यक्ति की ऊपरी और निचली श्वसन प्रणाली दोनों की रक्षा होती है और संक्रमण तथा संचरण का चक्र टूट जाता है। वर्तमान परियोजना में सार्स-सीओवी-2 चिंपैंजी एडिनोवायरस के निष्क्रिय या मारे गए वायरस के रूप में वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सेंट लुइस के मेडिसिन स्कूल द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी मंच का इस्तेमाल होगा। इस मंच के कई फायदे हैं: ये वैक्सीन सर्फेस एंटीजन को व्यक्त करते हैं जो विशेष रूप से सार्स-सीओवी -2 के संदर्भ में मजबूत निवारक तरल प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अपने एपिटोप अनुरूपता को बनाए रखते हैं। इसे बढ़ाना अपेक्षाकृत आसान है। इसका वितरण (आई-जेनरेशन टीकों में से प्रत्येक 0.5 मिलीलीटर की 2 खुराक के मुकाबले 0.1 मिलीलीटर की एकल खुराक) भी आसान है। इसे अप्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा भी लगाया जा सकता है और इसे खुद भी लगाना संभव है। सिरिंज, सुई और अल्कोहल स्वैब की कोई आवश्यकता नहीं है। उपयोग करने के लिए सुरक्षित भी है।

B: आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन: सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता को देखते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन- डब्ल्यूएचओ के मलेरिया और टीकाकरण के लिए शीर्ष सलाहकार निकायों ने संयुक्त रूप से उप-सहारा अफ्रीका के चयनित क्षेत्रों में टीके की चरणबद्ध शुरूआत की सिफारिश की है। तीन देशों – घाना, केन्या और मलावी ने 2019 में मध्यम और उच्च मलेरिया संचरण के चयनित क्षेत्रों में टीका लगाना शुरू करना शुरू किया। प्रत्येक देश के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से टीकाकरण किया जा रहा है। जीएवीआई के पूर्वानुमान के अनुसार, 2035 तक मलेरिया के टीके की मांग 75 मिलियन खुराक की होगी।

दोनों टीके नए हैं और पहली बार व्यावसायिक उत्पादन के दायरे में आएंगे।

कंपनी का लक्ष्य अप्रैल 2023 तक इंट्रानैसल कोविड -19 वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक / वर्ष और अप्रैल 2025 के अंत तक आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन की 15 मिलियन खुराक / वर्ष का उत्पादन करना है।

इस अवसर पर टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा कि यह एक सतत कोष होगा और इस विचार को आज हकीकत में बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा कंपनियां न केवल राष्ट्र को सेवा प्रदान कर रही हैं, बल्कि पूरी दुनिया को सस्ती कीमत पर दवाएं और टीके उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और इस तरह भारत को “विश्व की फार्मेसी” के रूप में बदल रही हैं।

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गुजरात के नर्मदा जिले में केवडिया, स्टैच्यु ऑफ यूनिटी में आदि बाजार- आदिवासी संस्कृति और व्यंजन की भावना का एक उत्सव, का शुभारम्भ हुआ

आदि बाजारों- आदिवासी संस्कृति और व्यंजन की भावना के एक उत्सव की श्रृंखलाओं के क्रम में 26 मार्च, 2022 को गुजरात के नर्मदा जिले में एकता नगर, केवडिया, स्टैच्यु ऑफ यूनिटी में एक अन्य बाजार का उद्घाटन किया गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के ट्राइफेड द्वारा आयोजित 11 दिवसीय प्रदर्शनी की शुरुआत 26 मार्च को हुई और यह 5 अप्रैल तक चलेगी। इसका उद्घाटन गुजरात सरकार में जनजातीय विकास, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्रीमती निमिषाबेन सुथार ने की। इस अवसर पर गुजरात सरकार में उच्च और प्रौद्योगिकी शिक्षा, विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. कुबेरभाई मनसुखभाई दिंडोर, ट्राइफेड के चेयरमैन श्री रामसिंह रथवा और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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प्रतिष्ठित स्मारक स्टैच्यु ऑफ यूनिटी में हो रही 11 दिवसीय जीवंत प्रदर्शनी में 100 से ज्यादा स्टॉलों के माध्यम से जैविक आदिवासी उत्पाद और दस्तकारी के सामानों का प्रदर्शन किया जाएगा और ये देश के 10 से ज्यादा राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस अवसर पर बोलते हुए, श्रीमती निमिषाबेन सुधार ने कहा, “यह मुख्य रूप से भारत के पहले उप प्रधानमंत्री भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयास ही थी, जो भारत एक रूप में अस्तित्व में है। देश को समावेशी और एकजुट बनाना उनकी मुख्य महत्वाकांक्षाओं में से एक थी। दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचा यह महान स्मारक उनके मूल्यों- राष्ट्रीयता, आध्यात्मिकता और संस्कृति का एक प्रमाण है, जिनका सरदार पटेल ने समर्थन किया और जिनके लिए वे हमेशा खड़े रहे। साथ ही यह जिला मुख्य रूप से एक आदिवासी क्षेत्र है। मुझे यह देखकर खासी खुशी है कि एक आदि बाजार- आदिवासी जीवन, संस्कृति और परम्पराओं का उत्सव- इस आदिवासी बहुल बाजार में होगा और चहुंमुखी विकास को बढ़ावा देगा। मैं आप सभी को शुभकामनाएं देती हूं। ”ट्राइफेड के चेयरमैन श्री रामसिंह रथवा ने उद्घाटन के दौरान कहा, “मैं खुश हूं कि ट्राइफेड भारत के आदिवासियों की आजीविका बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है। आदि बाजार से देश भर में बड़ी संख्या में लोगों तक आदिवासी संस्कृति के प्रसार में सहायता मिलेगी। यह खासी भीड़भाड़ वाला और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने के कारण इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायता मिलेगी।

 

”11 दिन चलने वाले इस महोत्सव में देश के 10 राज्यों के जनजातीय हस्तशिल्प, कला, चित्रकलाओं, कपड़े, आभूषणों का प्रदर्शन किया जाएगा।30 मार्च और 8 अप्रैल, 2022 के बीच एक अन्य आदि बाजार ओडिशा के राउरकेला में सेल प्रदर्शनी मैदान में आयोजित किया जाएगा। आदिवासी जीवन के मूलभूत स्वभाव का प्रतिनिधित्व करने वाले ये आदि बाजार ट्राइफेड द्वारा वंचित आदिवासियों की आजीविका में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा हैं, जो पिछले दो साल में खासी प्रभावित हुई है। आदि बाजार एक ऐसी पहल है, जिससे इन समुदायों के आर्थिक कल्याण और उन्हें मुख्यधारा के विकास के नजदीक लाने में सहायता मिलती है।

 

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एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर का पांचवां दिन

कानपुर 29 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवे दिन का आरंभ एस एच ओ कैंट एरिया अर्चना सिंह, समाज सेविका विजयेता श्रीवास्तव तथा एन एस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. चित्रा सिंह तोमर के द्वारा मां सरस्वती की दीप पूजा, प्रार्थना तथा पुष्प अर्पण से किया गया। शिविर के प्रथम सत्र में मिशन शक्ति टीम में एस एच ओ छावनी अर्चना सिंह, सिपाही दीक्षा सिंह, प्रताप भानु त्रिपाठी, महेश गुर्जर ने ग्रामीण महिलाओं की घरेलू हिंसा से संबंधित समस्याओं, गांव में शराब पीकर उत्पात करने वाले लड़कों से संबंधित समस्याओं का समाधान किया। पुलिस टीम के द्वारा त्वरित व तात्कालिक समस्याओं के समाधान हेतु मोबाइल नंबर दिया गया तथा ये विश्वास ग्रामीण महिलाओं को दिलाया गया कि पुलिस उनके साथ है और अब गांव की सुरक्षा हेतु पुलिस गश्त बढ़ा दी जाएगी। एन एस शिविर का यह सत्र महिलाओं के घरेलू एवम् सामाजिक जीवन में सार्थक परिवर्तन लाने की दिशा में सराहनीय प्रयास था। एन एस एस प्रोग्राम ऑफिसर ने सभी अथितियों तथा ग्रामीण महिलाओं का शिविर में स्वागत करते हुए सहयोग हेतु उनका आभार व्यक्त किया। शिविर के द्वितीय सत्र में डॉ. मोनिका शुक्ला के निर्देशन में ग्रामीण महिलाओं के लिए सिलाई कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें महिलाओं के ग्रुप बनाकर ब्लाउज, कुर्ता आदि की कटिंग व सिलाई का अभ्यास करवाया गया। एन एस एस प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने शिविर के दोनों ही सत्र में आवश्यकतानुसार अपना महत्त्वपूर्ण निर्देशन प्रदान किया। डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. अनामिका, श्रीमती चेतना त्रिपाठी ने शिविर के सफल आयोजन में सक्रिय सहयोग प्रदान किया। अंत में स्वयं सेविकाओं द्वारा शिविर में फल वितरण किया गया। राष्ट्रगान के साथ पांचवे दिन के शिविर का समापन किया गया।

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केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लाल किले में भव्‍य दस दिवसीय ‘लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता’ का उद्घाटन किया

दस दिवसीय लाल किला महोत्सव – भारत भाग्य विधाता, 17वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित स्मारक, लाल किला, नई दिल्ली में कल से शुरू होगा। 25 मार्च से 3 अप्रैल 2022 तक आयोजित होने वाला यह उत्सव रोजाना सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहेगा। इस महोत्सव में “मातृभूमि” -प्रोजेक्शन मैपिंग शो, यात्रा – 360° तल्लीन कर देने वाला अनुभव होगा। इसके अलावा एक सांस्कृतिक परेड, खाओ गल्ली, रंग मंच में लाइव प्रदर्शन, भारत के नृत्य, अनोखे वस्त्र, खेल मंच और खेल गांव तथा योग सहित मशगूल कर देने लायक कई तरह के अनुभव होंगे। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी कल सुबह 10 बजे लाल किले में महोत्सव का उद्घाटन करेंगी। यह घोषणा संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती उमा नंदूरी ने आज नई दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में की। इस अवसर पर डालमिया ग्रुप के सीईओ श्री आनंद भारद्वाज के साथ पर्यटन मंत्रालय में अपर महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बराड़; भारतीय पुरातत्‍‍व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय में निदेशक श्री अजय यादव भी उपस्थित थे। श्रीमती नंदूरी ने यह भी कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत भाग्य विधाता का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाल किला उत्सव देश की विरासत का उत्सव मनाने के लिए है और भारत भाग्य विधाता के तहत भारत के हर हिस्से की संस्कृति को दिखाया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय की अपर महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बराड़ ने कहा कि सरकार की एक विरासत अपनाओ पहल के माध्यम से लाल किले को उसके पुराने गौरव में पुनर्जीवित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत भाग्य विधाता सभी की भारत की विविधता की सराहना करने में मदद करेगा। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर में पर्यटन के पुनर्जीवित होने के साथ, यह एक महत्वपूर्ण घटना होने जा रही है और पर्यटकों को भारत में आकर्षित सकारात्मक संकेत भेजती है। लाल किले के “स्मारक मित्र”, डालमिया भारत लिमिटेड के साथ संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में इस भव्‍य कार्यक्रम की परिकल्पना की है। लाल किला महोत्सव – भारत भाग्य विधाता आगंतुकों के लिए एक समृद्ध सांस्कृतिक दावत का वादा करता है और इसका उद्देश्य विरासत संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देना है।

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लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्‍वपूर्ण होती हैः राष्ट्रपति कोविन्द

राष्ट्रपति  कोविन्द ने कहा है कि लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्‍वपूर्ण होती है। वे आज (24 मार्च, 2022) गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों को सम्बोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभा के सदस्य अपने क्षेत्रों के और राज्य के प्रतिनिधि होते हैं; लेकिन इस बात का महत्‍व अधिक है कि लोग उन्हें अपना भाग्य विधाता मानते हैं। लोगों की आशायें और आकांक्षायें उनसे जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की इन आकांक्षाओं को पूरा करना सभी जन प्रतिनिधियों के लिये सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि वे उस समय गुजरात विधान सभा सदस्यों को सम्बोधित कर रहे हैं, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी और उसका अमृत महोत्सव मनाने के लिये गुजरात से बेहतर स्थान और क्या हो सकता है। गुजरात क्षेत्र के लोग स्वतंत्र भारत की अलख जगाने में अग्रणी रहे हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में, दादाभाई नौरोजी और फिरोज शाह मेहता जैसी हस्तियों ने भारतीयों के अधिकारों के लिये आवाज उठाई थी। उस संघर्ष को गुजरात के लोग लगातार मजबूत करते रहे, जो फलस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की पराकाष्ठा को पहुंचा।राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को नई राह भी दिखाई, नये विचार और नया दर्शन दिया। आज विश्व में जहां भी किसी प्रकार की हिंसा होती है, तो बापू के मंत्र ‘अहिंसा’ का महत्‍व समझ में आने लगता है।राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात का इतिहास अनोखा है। यह महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि है तथा इसे सत्याग्रह की भूमि कहा जा सकता है। सत्याग्रह का मंत्र पूरी दुनिया में उपनिवेश के विरुद्ध अचूक अस्त्र के रूप में स्थापित हो गया है। बारडोली सत्याग्रह, नमक आंदोलन और दांडी मार्च ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को न केवल नया आकार दिया, बल्कि प्रतिरोध की अभिव्यक्ति तथा जन आंदोलन की पद्धति को नये आयाम भी दिये।राष्ट्रपति ने कहा कि सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत को एकता के सूत्र में बांधा और प्रशासन की आधारशिला रखी। नर्मदा के किनारे स्थित उनकी प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है तथा उनकी स्मृति के प्रति यह कृतज्ञ राष्ट्र का अकिंचन उपहार है। भारतवासियों के मन में उनका कद तो इससे भी बड़ा है।राष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति से इतर, गुजरात ने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आध्यात्मिक रूप से देखा जाये तो नरसिंह मेहता की इस भूमि का बहुत प्रभाव है। उनका भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे” तो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का गान बन गया था। इस भजन ने भारतीय संस्कृति के मानवीय पक्ष का भी प्रसार किया। राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात के लोगों की उदारता, भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। सभी वर्गों और समुदायों के लोग प्राचीन काल से ही यहां भाईचारे की भावना के साथ रह रहे हैं।राष्ट्रपति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि गुजरात ने आधुनिक काल में विज्ञान के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान किया है। जहां डॉ. होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का पितामह कहा जाता है, वहीं भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय विज्ञान, विशेषकर भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान का युगद्रष्टा माना जाता है।राष्ट्रपति ने कहा कि 1960 में जब गुजरात अस्तित्व में आया था, तब से वह अपने उद्यम और नई सोच के आधार पर विकासपथ पर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति गुजरात की भूमि पर ही शुरू हुई थी और उसने पोषण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है। आज भारत दूध के कुल उत्पादन और खपत में विश्व में पहले स्थान पर है। गुजरात की दूध सहकारितायें इस सफलता की जनक हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है, जिसका उद्देश्य गुजरात की सफलता तथा सहकारी संस्कृति के लाभों का देशभर में विस्तार करना है।राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात विधान सभा ने राज्य के आमूल विकास के लिये कई क्रांतिकारी कदम उठाये हैं। गुजरात पंचायत विधेयक, 1961 और गुजरात अनिवार्य बुनियादी शिक्षा अधिनियम, 1961 के जरिये स्थानीय स्व-शासन तथा शिक्षा में प्रगतिशील प्रणाली स्थापित की गई थी। गुजरात अकेला ऐसा राज्य है, जहां गुजरात अधोसंरचना विकास अधिनियम, 1999 को विधान सभा ने पारित किया था, ताकि अवसंरचना में निवेश तथा विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। गुजरात जैविक कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2017 को विधान सभा ने पारित किया, जो भविष्य को देखते हुये कानून को दिशा देने के संदर्भ में महत्‍वपूर्ण है। उन्होंने गुजरात की वर्तमान और पूर्व की सरकारों तथा गुजरात विधान सभा के वर्तमान और पूर्व सदस्यों की प्रशंसा की कि उन सभी ने गुजरात की बहुपक्षीय प्रगति में योगदान किया है।राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से विकास के गुजरात मॉडल को अनुकरणीय माना जा रहा है, जिसे देश के किसी भी राज्य और क्षेत्र में लागू किया जा सकता है। साबरमती रिवर-फ्रंट शहरी रूपांतरण का प्रभावशाली उदाहरण है। साबरमती और उसके रहने वालों के बीच के रिश्ते को एक नया आयाम मिला है, वहीं पर्यावरण भी सुरक्षित हो गया है। यह देश के उन शहरों के लिये भी अच्छा उदाहरण बन सकता है, जो नदी किनारे आबाद हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुये देश के उज्ज्वल भविष्य के लिये सार्थक कदम उठायें। इसलिये 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शती मना रहा होगा, तो उस समय की पीढ़ी अपने देश पर गर्व करेगी। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सरकार, राज्य सरकारें तथा समस्त देशवासी भारत के शताब्दी वर्ष को स्वर्ण युग बनाने के लिये एक साथ विकास पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे।

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सरकार और मीडिया के बीच सेतु स्थापित करने का माध्यम है वार्तालापः पीआईबी डीजी भूपेंद्र कैंथोला

पत्र सूचना कार्यालय(पीआईबी) पूर्वी क्षेत्र के महानिदेशक श्री भूपेंद्र कैंथोला ने पुरी में बुधवार को पत्र सूचना कार्यालय,पीआईबी, भुवनेश्वर द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला ‘‘वार्तालाप’’ में भाग लेने के दौरान कहा कि वार्तालाप जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचने के लिए सरकार और मीडिया के बीच सेतु स्थापित करने का एक माध्यम है। सभा को संबोधित करते हुए श्री कैंथोला ने कहा कि महामारी के कारण अब चीजें बदल गई हैं। उन्होंने न्यू मीडिया में पत्रकारों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘स्मार्टफोन के माध्यम से ऑनलाइन या डिजिटल मीडिया के रूप में एक नई पत्रकारिता की प्रवृत्ति विकसित हो रही है, जिसका प्रत्येक पत्रकार को सामना करना होगा। पुरी के वरिष्ठ पत्रकार श्री जगन्नाथ बस्तिया ने कार्यशाला में भाग लिया और पत्रकारों के सामने आने वाली कई चुनौतियों और मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘सामान्य जनता की तरह पत्रकार भी चक्रवात, महामारी से प्रभावित होते हैं। यह उनके और उनके कल्याण के बारे में सोचने का सही समय है। क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो भुवनेश्वर के अतिरिक्त महानिदेशक श्री अखिल कुमार मिश्रा ने कहा कि पत्रकारिता न केवल एक पेशा है, बल्कि एक कौशल भी है। आरओबी के एडीजी ने कहा, ‘‘वार्तालाप जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार और मीडिया के बीच वार्ता के लिए एक मंच बनाया जा रहा है और जब हम इसके बारे में विचार.विमर्श और चर्चा करते हैं तो चीजें बेहतर होती हैं। तकनीकी सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार श्री राजाराम सतपथी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आधुनिक पत्रकारिता चुनौतियों से भरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘एक पत्रकार को यह पक्का करना चाहिए कि वह किसी व्यक्ति या संगठन के लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए काम कर रहा है। एक पत्रकार की भूमिका हमेशा सूचित करने, शिक्षित करने और मनोरंजन करने की होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार श्री संदीप साहू ने पत्रकारिता नैतिकता और सोशल मीडिया के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की नैतिकता परंपरागत रूप से व्यवसायीकरण, व्यक्तियों, संगठनों और पहले होने की दौड़ की अवधारणा से प्रभावित होती है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एक सच्चे पत्रकार को हमेशा सही रास्ते पर चलना चाहिए, तथ्यों को दर्शकों के सामने पेश करने से पहले सत्यापित करना चाहिए। पीआईबी के उप निदेशक डॉ जी सी दास ने अपने स्वागत भाषण में कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला, जबकि पीआईबी के मीडिया और संचार अधिकारी श्री पी के चौधरी ने सत्र का संचालन किया। बाद में, कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एकत्रित पत्रकारों के साथ एक व्यापक संवाद सत्र आयोजित किया गया। वार्तालाप पर इनपुट और सुझाव लेते हुए उनसे एक व्यापक प्रतिक्रिया भी एकत्र की गई। मीडिया कार्यशाला में पुरी के लगभग 80 पत्रकारों की सक्रिय भागीदारी रही।

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