कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन एस एस यूनिट द्वारा “दसवां अंतराष्ट्रीय योग दिवस” को धूम-धाम से मनाया गया। फूलबाग बस्ती में ऍन एस ऐस की स्वयंसेविकाओं ने योग पर बस्ती वासियों को जागरूक किया साथ ही योग प्रशिक्षक भूमि तिवारी ने स्वयंसेविकाओं को योग का प्रशिक्षण दिया । ४० स्वयंसेविकाओं ने, बस्ती वासियों ने तथा अनेक शिक्षक व शिक्षिकाओं एवम शिक्षिनेतर्र कर्मचारियों ने योग का अभ्याहस किया। ऍन एस एस प्रभारी प्रो चित्रा सिंह तोमर ने योग के समापन पर स्वयंसेविकाओं को फल एवम मिष्ठान का वितरण किया।
Read More »छोटे व मझोले अखबारों को खत्म करने की साजिशः के. डी. चंदोला
~छोटे व मझोले अखबारों का उत्पीड़न बन्द करे केन्द्र सरकारः चंदोला
-प्रेस सेवा पोर्टल की जटिलताओं का दूर करने की मांग
-प्रेस सेवा पोर्टल व विज्ञापन पालिसी की विसंगितयों को दूर करवाने का प्रयास करूंगाः के. सतीश नम्बूदरीपद्
-अनेक जटिलतायें पैदा करके छोटे व मझोले अखबारों को बन्द करने की साजिशः चंदोला
-अखबार प्रकाशन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जी. एस. टी. मुक्त की जायेः श्याम सिंह पंवार
गुवाहाटी। एसोसियेशन ऑफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया की राष्ट्रीय परिषद् (नेशनल काउंसिल) की बैठक असम राज्य के गुवाहाटी के पलटन बाजार स्थित होटल स्टार लाइन में आयोजित की गई।
बैठक में छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों को प्रभावित करने वाली नीतियों व उनकी समस्याओं का निराकरण करने की मांग की गई। अनेक राज्यों से पधारे प्रकाशकों ने आरोप लगाया कि केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ आर. एन. आई. कार्यालय व सी. बी. सी. कार्यालय के अधिकारियों की मनमानी के चलते छोटे व मझोले वर्ग के अखबार मालिक परेशान हैं। इन दिनों नया प्रेस सेवा पोर्टल परेशानी का एक बड़ा कारण बना हुआ है जिसके चलते अखबारों के प्रकाशकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और प्रकाशकगण अपने-अपने अखबारों का वार्षिक विवरण नहीं भर पा रहे हैं। अतः प्रेस सेवा पोर्टल की जटिलताओं को दूर करने के साथ-साथ वार्षिक विवरण भरने का समय अगस्त 2024 तक बढ़ाया जाये। वहीं सी. बी. सी. की विज्ञापन पालिसी के चलते छोटे व मझोले अखबारों की विज्ञापन की हिस्सेदारी प्रभावित हो रही है और उनका हक मारा जा रहा है। अतः विज्ञापन नीति में संशोधन किया जाये ताकि छोटे व मझोले अखबारों की विकासदर प्रभावित ना हो। अखबार मालिकों ने यह माँग भी रखी कि अखबारों के मालिकों का परिचय पत्र भी आर. एन. आई. द्वारा जारी किया जाये।
मुख्य अतिथि रहे प्रेस इन्फॉर्मेंशन ब्यूरो (पूर्वोत्तर जोन) के डायरेक्टर जनरल के. सतीश नम्बूदरीपद् ने प्रकाशकगणों की अनेक समस्याओं को सुनकर आश्वासन दिया कि आर. एन. आई. व सी. बी. सी. के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर छोटे व मझोले अखबारों की जटिल समस्याओं का निस्तारण अवश्य करवायेंगे और जहाँ जिस तरह की जरूरत होगी, उसमें परिवर्तन व संशोधन करवायेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नई-नई तकनीकों का सामना करने के लिये तैयारी करने की जरूरत है अन्यथा पिछड़ जाओगे। लेकिन मैं अपने स्तर से यही प्रयास करूंगा कि प्रकाशकों की हर समस्या का समाधान हो जाये।
इस मौके पर एसोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा, ‘‘हम केन्द्र सरकार से कहना चाहते हैं कि हम प्रकाशकगण, नई तकनीक के विरोधी नहीं हैं, लेकिन विज्ञापन नीति व प्रेस सेवा पोर्टल में जो विसंगतियाँ हैं, उन्हें तत्काल दूर किया जाये अन्यथा देशभर के छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों के प्रकाशकगण विरोध करने पर बाध्य होंगे।’’
उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार ने कहा, ‘‘अखबारों को प्रकाशित करने में प्रयुक्त होने वाली सभी सामग्री को जी. एस. टी. मुक्त किया जाये, जिससे कि छोटे व मझोले वर्ग के अखबार प्रकाशकों को जटिलता से राहत मिल सके।’’
उन्होंने यह भी मांग कि अखबारों की पिं्रट लाइन के अनुसार ही प्रेस सेवा पोर्टल पर प्रकाशकों/स्वामियों की प्रोफाइल बनाने की सुविधा दी जाये क्योंकि आधार में दर्ज विवरण भिन्न होने के चलते प्रकाशकों का विवरण मेल नहीं खा रहा है जिसके प्रकाशकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बैठक में एसोसियेशन की कोषाध्यक्ष भगवती चंदोला, उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, अखिलेश सिंह, असम इकाई अध्यक्ष गिरिन्द्र कुमार कार्जी, किरि रांगहेंग, उत्तराखण्ड इकाई अध्यक्ष अतुल दीक्षित, मध्य प्रदेश से अकरम खान, सबरूनिशा, आन्ध्र प्रदेश से एस. कोण्डलाराव, के. वेंकटेश रेड्डी, राजस्थान से गोपाल गुप्ता, तरूण कुमार जैन, धर्मेन्द्र सोनी, अन्जू लता सोनी, कर्नाटक से वेनुगोपाल के. नाइक सहित अनेक प्रकाशक मौजूद रहे।
पुलिस कमिश्नरेट को भूमाफिया की खुली चुनौती, दबंगई से किसान के मकान पर कर लिया कब्जा
कानपुर 20 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता यूपी में दूसरी बार सरकार बनने के बाद सीएम योगी का अवैध कब्जों को लेकर सख्त रुख अतियार किए हैं। इसके बावजूद भू माफियों के हौसले बुलंद है। ऐसा एक मामला कानपुर के हनुमंत विहार थाना क्षेत्र में सामने आया है। जहाँ दबंगों ने बुजुर्ग किसान के बंद मकान में कब्जा कर लिया और पुलिस में शिकायत करने पर धमका रहे है। पीड़ित किसान ने पुलिस आयुक्त के यहाँ न्याय की गुहार लगाई पीड़ित के अनुसार पुलिस आयुक्त की स्टाफ अफसर अंकिता सिंह ने थाना हनुमंत विहार पुलिस को एफआईआर के निर्देश दिए है।
पुलिस आयुक्त कार्यालय में गुरुवार को थाना हनुमंत विहार के उस्मानपुर में रहने वाले मिहीलाल ने बताया कि वो अक्सर बीमार रहता है। इसलिए पिछले तीन वर्ष से वो अपने गाँव भीमसेन में रहता है। उसका उस्मानपुर स्थित पुस्तैनी मकान बन्द था। जिसका फायदा उठाते हुए पड़ोस में रहने वाले दबंग सतीश मौर्या, सतेन्द्र मौर्या, जितेन्द्र मौर्या और राकेश मौर्या ने मकान का ताला तोडकर जबरन घुस गए और सारा सामान गायब कर मकान पर कब्जा कर लिया। बकौल मिहीलाल बीती 10 जून को जब वो अपने गाँव से पुस्तैनी मकान पर आया तो देखा की मकान पर एक वकील का बोर्ड लगाकर सतीश मौर्या, सतेन्द्र मौर्या व जितेन्द्र मौर्या और राकेश मौर्या ने कब्जा कर लिया है। और पीड़ित के विरोध करने पर उसे धमकाया जिसकी शिकायत थाना हनुमंत विहार से लेकर डीसीपी साउथ तक से की गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की आरोप है कि बुधवार को मिहीलाल को जितेंद्र मौर्या और सतीश मौर्या ने जबरन रोक कर गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी देते हुए दबंगो ने रंगदारी माँगी जिसके बाद से पीड़ित मिहीलाल दहशत में जीने को मजबूर है।
Read More »अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पूर्व जागरूकता कार्यक्रम
कानपुर 20 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना तथा मिशन शक्ति के संयुक्त तत्वावधान में एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अयोजन हेतु उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल महोदया आदरणीया श्रीमती आनंदीबेन पटेल के निर्देशानुसार योग शपथ का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने हेतु बड़े पैमाने पर छात्राओं के द्वारा स्वयं तथा अपने परिवार के सदस्यों के द्वारा ऑनलाइन शपथ ली गई तथा महाविद्यालय में भी शपथ का आयोजन किया गया। छात्राओं ने योग के संबंध में जागरूकता फैलाने एवं विभिन्न योगासनों का अभ्यास भी किया जिनमे मुख्य रूप से ताड़ासन, त्रिकोणासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, धनुरासन पवनमुक्तासन आदि तथा प्राणायाम व विभिन्न योगिक क्रियाओं यथा अनुलोम-विलोम, कपालभाति, शीत प्राणायाम, भ्रमर गुंजन, ओम् ध्वनि उच्चारण आदि के अभ्यास कराए गए। कार्यक्रम में आपसी सौहार्द, प्रेम, सद्भाव, शांति व देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत मंत्रोच्चारण व भजन का गायन भी किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अर्चना वर्मा, चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव, डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ मंजुला श्रीवास्तव एवम् कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापिकाएं उपस्थित रही।
मज़े की लाइफ
दैनिक भारतीय स्वरूप, कुछ ख्याल अक्सर अचानक आते हैं यूंकि बेमतलब से लगते हैं लेकिन सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम जिंदगी को किस नजर से देखते हैं और शायद हमारा नजरिया हमारी जिंदगी के रास्ते भी तय करता है। कितने ही दुख सुख आते जाते हैं, कितने ही लोग मिलते बिछड़ते हैं जिंदगी में, पता नहीं कब कौन दोस्त बन जाता है और कब किसका साथ छूट जाता है। ये वक्त, ये पल ऐसे होते हैं जिनमें डूबकर हम बह जाते हैं या फिर मौन साधकर तटस्थ हो जाते हैं। कुछ ऐसे अपनों से भी वास्ता रहता है जो जिंदगी में नमक और शक्कर की तरह घुले से रहते हैं लेकिन फिर भी जिंदगी नींबू निचोड़ कर शरबत बना ही देती है क्योंकि हमेशा मुस्कुराते हुए हमें संबंधों को स्वीकारना होता है। कभी-कभी लगता है कि यह सब प्रपंच छोड़कर “मजे की लाइफ” का आनंद लेना चाहिए कोई कुछ बोल रहा हो तो बोलने दो उसे हम अपने ही गीत में मगन रहें, कोई पैर खींचना चाहे तो उसके साथ बैठकर बतिया ही लिया जाए। यह रफ्तार भरी जिंदगी कब थम जाती है यह भी हमें देर से मालूम पड़ता है। लब्बोलुआब कुछ यूं है कि पंचायती स्वभाव वाले प्राणी हमेशा खुश रहते हैं। तांक – झांक, लगाई – बुझाई शगल रहता है उनका और कुछ नहीं तो मनोरंजन ही हो जाता है। मोहल्ले में सबसे ज्ञानी भी वही रहते हैं।
“मोहल्ले में सबसे ज्ञानी हम ही हैं ऐसा हम मानते हैं अब क्या करें सबको मालूम हो या ना हो हमारा काम है ज्ञान बांटना और कुछ इधर-उधर करना। अब घर में बहुरिया है तो घर की चिंता से हम मुक्त है सारा जीवन खट लिया तो अब हम मजे से अपनी लाइफ जिएंगे।”
“पता नहीं लड़कियाँ एक ही शहर में शादी करके मायके में काहे पड़ी रहती है, समझ में नहीं आया आज तक। अब हम पूछे तो बुरे बन जाए फिर भी मन की कुलबुलाहट पर काबू कैसे पाएं तो पूछ ही लेते हैं कि का हो लल्लन की दुल्हिन बिटिया घर में है? सब कुसल मंगल तो है ना ?”
सवाल हम पूछा तो जवाब मा सवाल हम ही से पूछ लिया गया।
“अरे चाची! तुमका काहे चिंता हो रही है?”
चाची:- “अरे कुछू नाहीं! मुन्नी को देखा तो पूछ लिया। कौउनो बात नहीं सुखी रहो। रामदुलारी हमका मिलीं रहीं तो उनहीं बताइन कि मुन्नी आई है तो हाल-चाल लेक खातिर आए गयन और तुमरी सहेली बबीता के घर से झगड़े की आवाज आवत रही। लागत भय कि बहुरिया सास का खूब खरीखोटी बोलत रही। रोना धोना मचा रहै खूब, आवाज आवत रही।”
“अरे चाची! सब घर में कुछ ना कुछ होत है तुम काहे परेसान होती हो? घर मा बैइठ के भजन किया करो।”
चाची:- “हां बिटिया! अब यही करना ही है मगर आंख कान नाक बंद थोड़ी कर लेंगे।”
“चाची तुम तुमरी कहो कल तुम्हार बिटेवा तुमका का बोलत रहै ? काहे डांटत रहै?”
अरे कुछ नहीं! चलो हम जा रहे हैं, देर हो रही है। बिटिया लोगन का बहुत दिन मायका मा नाही रहेक चाही। ससुराल मा ही नीक लगतीं हैं और सुनो लल्लन की दुल्हिन हम अपना समझ कै बोलत हन नहीं तो हमका का पड़ी है। राधे-राधे..”
गली के नुक्कड़ पर सहेली नंदा मिल गई दोनों बतियाने लगी। कहां से आ रही हो जी?
“अरे लल्लन के घर पर रुक गये रहन पता है पंदर दिन से घर पर है मुन्नी, हमका तो दाल में कुछ काला नजर आ रहा है?”
“अरे कुछ नहीं! सब कामचोरी है ससुराल में काम करना पड़ता है तो भाग कर मायके आ जाती हैं।”
“हम्म यही बात होई! अच्छा सुनो तुम मंदिर गई रहौ का? बहुत चोट्टा पंडित है सब डकार लेत है फिर भी पेट नहीं भरत है उका ऊपर से ही – ही करत रहत है बस।”
“ऐजी तुम फालतू ना बोला करो उ अपना काम करत हय बेचारा, जो बुलावत है तय कर लेत है उतना मा ही सब होई जात है।”
“का हमका कुत्ता काटा है जो हम ई मेर बोलब? हंय?. हम देखा है कल रजनी कहत रही।”
“अच्छा छोड़ो तुम जाय के खुदही तय कर लो हम का देर हो रही है राधे-राधे।”
चाची:- “ठीक है! राधे-राधे। आजकल कौउनो से कुछू कहे वाला नहीं उल्टे हमरे ऊपर बरस पड़त हैं।”
घर पहुंचते ही… अम्मा जी आ गई? चौधरी वाले काम हो गए हों आपके तो जरा सब्जी काट दो हमको!”
“हां! लाओ दे दो अब यही करेंगे!”
कहने का मतलब यही है कि आप अपनी जिंदगी को अपने मनमुताबिक जियें। जिंदगी में कुछ हासिल करें या ना करें मगर सुकून जरूर हासिल करें। लोगों से जुड़ाव लगाव और संबंध इस जीवन की कमाई है और इसे निभाना वास्तव में कसौटी है कसौटी पर खरा उतरना भी कसौटी ही है आसान नहीं होता मगर यही हमारी पूंजी भी है। अपनी इच्छाओं अपनी भावनाओं और खुद अपने आप को नकारात्मकता से दूर रख कर जीवन का आनंद लेना चाहिए।- – प्रियंका वर्मा माहेश्वरी
आखिर लगा ही दी नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमन्त्री पद पर हैट्रिक
दैनिक भारतीय स्वरुप, जैसा कि पूर्वानुमान था, नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने हैट्रिक लगाते हुए 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली| यद्यपि विपक्षी पार्टियों के गठबन्धन इण्डिया ने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन को कड़ी टक्कर दी है| जिससे भाजपा का 400 पार का स्वप्न साकार नहीं हो सका| इसके कारणों पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को गहन विचार करना पड़ेगा| क्योंकि पार्टी के चाणक्यों ने 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने हेतु जो रणनीति बनायी थी, वह कहीं न कहीं विफल साबित हुई| जिसके चलते भाजपा को बहुमत से बहुत कम 240 सीटें ही प्राप्त हुईं| परन्तु उसके नेतृत्व वाले गठबन्धन राजग ने 292 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की| जनवरी 2023 से फरवरी 2024 के बीच विभिन्न एजेंसियों द्वारा कराये गये चुनावी सर्वेक्षणों में भी नरेन्द्र दामोदर दास मोदी हैट्रिक लगाते हुए दिखाई दे रहे थे| जो एकदम सही साबित हुआ| लेकिन सीटों को लेकर सर्वेक्षणों का आकलन गलत सिद्ध हुआ| देश की 13 अलग-अलग एजेंसियों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के आधार पर भाजपा गठबन्धन को 44.30 प्रतिशत वोट के साथ 341 के आसपास सीटें मिलने की सम्भावना थी| लेकिन भाजपा को मात्र 36.56 प्रतिशत मतों के साथ 240 सीटें ही प्राप्त हुईं और उसके गठबन्धन राजग को 41.56 प्रतिशत मतों के साथ 292 सीटों से सन्तोष करना पड़ा| सर्वेक्षण में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को 36.52 प्रतिशत मतों के साथ 146 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था| जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले इण्डिया गठबन्धन को 39.21 प्रतिशत मतों के साथ 234 सीटें प्राप्त हुईं| सर्वेक्षण के आधार पर अन्य दलों को 56 सीटें मिलनी चाहिए थीं| परन्तु वास्तविक परिणाम मात्र 17 सीटों का ही रहा| यहाँ विचार करने योग्य बात यह है कि इण्डिया गठ्बन्धन को 234 सीटें तब प्राप्त हुई हैं जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की आधारभूत इकाइयाँ संगठनात्मक रूप से भाजपा की तरह मजबूत नहीं हैं|
अयोध्या के बहुचर्चित श्रीराम मन्दिर के निर्माण से भाजपा की बांछे खिली हुई थीं और उसे पूर्ण विश्वास था कि आस्था का शैलाव ऐसा उमड़ेगा कि भाजपा अकेले दम पर 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने में सफल होगी| परन्तु परिणाम पूरी तरह उल्टा निकला| पूरे देश में जो हुआ सो हुआ ही अयोध्या से सम्बन्धित फ़ैजाबाद सीट ही भाजपा के हाँथ से निकल गयी| जिसके कारण अयोध्यावासी कट्टर भाजपाइयों द्वारा सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं| श्रीराम के प्रति उनकी आस्था पर ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं| संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को स्वतन्त्र रूप से मतदान करने का अधिकार दिया है| इसके लिए कोई किसी पर न तो दबाव डाल सकता है और न ही अपनी मर्जी थोप सकता है| अब यदि किसी दल को उसकी अपेक्षा के अनुरूप मत नहीं प्राप्त हुए हैं तो उस दल को मतदाताओं के प्रति दुर्भावना व्यक्त करने की अपेक्षा अपनी कार्यशैली की समीक्षा करनी चाहिए| जनतन्त्र में जनता ही सर्वोपरि है| सरकारों के काम-काज की समीक्षा करते हुए उसके समर्थन या विरोध का निर्णय वह मतदान के माध्यम से ही सुनाती है| जो हुआ भी और आगे भी होगा| किसी एक मुद्दे के बल पर कोई भी दल लम्बे समय तक पूर्ण बहुमत की अपेक्षा नहीं कर सकता और न ही करना चाहिए| आशा है भाजपा के रणनीतिकार इस बात को गम्भीरता पूर्वक समझेंगे और पुनः उन्हें जो सुअवसर मिला है उसका भरपूर सदुपयोग करेंगे| गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसानो की दुर्दशा, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली तथा शिक्षा का गिरता स्तर जैसे ज्वलन्त मुद्दे चुनौती बनकर सामने खड़े हैं| इन मुद्दों को बहुत लम्बे समय तक हासिये पर नहीं डाला जा सकता| निश्चित ही नरेन्द्र मोदी अपने नये कार्यकाल में इन मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और इनसे निबटने के लिए स्थाई योजना बनाते हुए उसे प्रभावी ढंग से लागू भी करेंगे| उन्हें विशेष रूप से याद रखना होगा कि उनकी सत्ता में वापसी का मार्ग विकल्पहीनता के कारण भी प्रशस्त हुआ है| लोगों ने इण्डिया गठबन्धन को गुस्से में वोट दिया है| कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को उनका आधारभूत संगठनात्मक ढांचा मजबूत न होने के बावजूद इतना वोट मिलना सिर्फ और सिर्फ लोगों के अन्दर भाजपा सरकार के प्रति व्याप्त गुस्से का परिणाम है| वहीँ असन्तुष्टों के एक बड़े वर्ग ने इण्डिया और राजग के बीच तीसरा और मजबूत विकल्प न देखकर राजग को चुना है| इस बार मतदान का प्रतिशत भी कम रहा| इसके मूल में भी कहीं न कहीं लोगों में सरकार के प्रति उत्साह का अभाव रहा| देशवासी कांग्रेस और सपा के शासन की विफलताओं को अभी भूले नहीं हैं| जिनके विकल्प में उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगी दलों पर अपना विश्वास जताया था| परन्तु इन दस वर्षों में मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकार कोई करिश्मा नहीं कर सकी| बल्कि विफलता ही उसके हिस्से में आयी| जिसको लेकर आम जन में रोष होना स्वाभाविक था| परन्तु भाजपा और कांग्रेस की जगह किसी तीसरे और मजबूत विकल्प के अभाव में यह रोष जनाक्रोश में परिवर्तित नहीं हो सका| जैसा 2014 में हुआ था| ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के दायरे में आने वाले विपक्षी दलों के नेताओं का बड़ी संख्या में चुनाव पूर्व भाजपा में शामिल होना, उसके बाद उन पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई रूक जाना और पार्टी में तत्काल उन्हें विशेष स्थान मिल जाना भी भाजपा के लिए घातक बना| क्योंकि इससे न केवल भारतीय जनता पार्टी के रूढ़ नेता एवं समर्पित कार्यकर्ता अन्दरखाने नाराज हुए| बल्कि आम जन में भी इसका गलत सन्देश गया| जिसका सीधा असर भाजपा के वोट प्रतिशत पर पड़ा| अतः प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके सहयोगियों को अपने नये कार्यकाल में पुरानी रणनीतियों का परित्याग करते हुए नई कार्यशैली अपनानी चाहिए| जो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं, रूढ़ नेताओं तथा आम जन को सन्तुष्ट करने वाली हो| यद्यपि इस बार सरकार को गठबन्धन के दबाव में निर्णय लेने पड़ सकते हैं| परन्तु नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत छवि दृढ़ निश्चयी व्यक्ति वाली रही है| इसीलिए वह देश ही नहीं विदशों तक के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं| अतएव गठबन्धन के दबाव की परवाह किये बिना उन्हें जनहित के निर्णय लेने में कतई संकोच नहीं करना चाहिए! — डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)
Read More »एस.एन.सेन बालिका महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विश्व योग-दिवस 2024″ आयोजित
भारतीय स्वरूप संवाददाता राज भवन, उत्तर प्रदेश द्वारा आदेशित “अंतरराष्ट्रीय विश्व योग-दिवस 2024” के अवसर पर योगाभ्यास संवर्धन से संबंधित आयोजन एवं योग शपथ हेतु एस.एन.सेन बालिका महाविद्यालय की एनएसएस, एनसीसी रेंजर्स यूनिट व क्रीड़ा विभाग द्वारा महाविद्यालय के प्रबंध समिति के सचिव श्री पी.के.सेन एवं प्राचार्या प्रो. (डॉ )सुमन की अध्यक्षता में योग प्रशिक्षक भूमि तिवारी द्वारा महाविद्यालय की शिक्षिकाओं, तीनों यूनिट्स, क्रीड़ा विभाग एवं अन्य छात्राओं को योगाभ्यास कराया गया। साथ ही सभी को योगभ्यास के लाभ बताते हुए योगभ्यास के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में प्राचार्या महोदया के साथ शिक्षिकाओं, कर्मचारियों एवं छात्राओं ने *योग शपथ* ली।
कार्यक्रम में तीनों यूनिट्स के प्रभारी, महाविद्यालय की शिक्षिकाएं, कर्मचारी एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।
शासनादेश के परिपालन में समस्त विभागों की शिक्षिकाओं, महाविद्यालय के कर्मचारियों, महाविद्यालय के तीनों यूनिट्स एवं सभी विभागों की छात्राओं ने ऑनलाइन योग शपथ लेकर प्रमाणपत्र प्राप्त किया।
महाविद्यालय से लगभग पाँच सौ छात्राओं ने योग शपथ का प्रमाणपत्र प्राप्त किया।
उत्तर प्रदेश में एक दिन में सर्वाधिक दुर्घटना बीमा कर वाराणसी डाक परिक्षेत्र ने बनाया नया कीर्तिमान
मात्र एक दिन में 2679 लोगों का दुर्घटना बीमा करके वाराणसी परिक्षेत्र ने उत्तर प्रदेश में बनाया रिकॉर्ड
डाक विभाग के उपक्रम रूप में स्थापित इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने पाँच वर्षों के अपने सफर में ‘आपका बैंक, आपके द्वार’ को प्रोत्साहित करते हुए तमाम नए आयाम स्थापित किये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन और डिजिटल इण्डिया के क्षेत्र में आज इसकी अहम् भूमिका है। समाज के अंतिम वर्ग के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु विभिन्न कंपनियों से एग्रीमेंट के तहत सस्ती दरों पर बीमा का लाभ भी आईपीपीबी द्वारा प्रदान किया जा रहा है। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय, वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये।
गौरतलब है कि वाराणसी परिक्षेत्र ने 13 जून को मात्र एक दिन में 2679 लोगों का दुर्घटना सुरक्षा बीमा करके उत्तर प्रदेश परिमंडल में एक दिन में सर्वाधिक बीमा करने का नया कीर्तिमान स्थापित किया, जिसके सापेक्ष साढ़े ग्यारह लाख रूपये का प्रीमियम जमा किया गया। यही नहीं, जीआई सर्वसुरक्षा अभियान के तहत पहले ही दिन प्रदत्त लक्ष्य के सापेक्ष 329 फीसदी सफलतापूर्वक प्राप्तकर वाराणसी परिक्षेत्र ने पूरे भारत में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके उपलक्ष्य में इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने आईपीपीबी के चीफ मैनेजर श्री बृज किशोर और प्रवर डाक अधीक्षक श्री राजीव कुमार के संग केक काटकर लोगों से खुशियाँ बाँटी एवं डाक विभाग के ग्रामीण डाक सेवक, पोस्टमास्टर्स, निरीक्षक, सहायक अधीक्षक, मण्डलाधीक्षक और आईपीपीबी मैनेजर्स सहित समस्त स्टाफ को शुभकामनाएँ देते हुए भविष्य में नए कीर्तिमान स्थापित करने हेतु हौसलाआफ़जाई की।
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आईपीपीबी की परिवर्तनकारी उपस्थिति ने बैंकिंग परिदृश्य को नया आकार दिया है, जो डोर-स्टेप बैंकिंग की पेशकश करता है एवं सुलभ सेवाओं का प्रतीक है जो परिवर्तन को प्रज्ज्वलित करता है। आईपीपीबी के माध्यम से डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक आज एक चलते फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। सीईएलसी के तहत घर बैठे बच्चों का आधार बनाने, मोबाइल अपडेट करने, डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट, डीबीटी, बिल पेमेंट, एईपीएस द्वारा बैंक खाते से भुगतान, वाहनों का बीमा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी तमाम सेवाएं आईपीपीबी द्वारा डाकिया के माध्यम से घर बैठे मुहैया कराई जा रही हैं। आईपीपीबी में खाता होने पर डाकघर की सुकन्या, आरडी, पीपीएफ, डाक जीवन बीमा में भी ऑनलाइन जमा किया जा सकता है। आईपीपीबी उन तमाम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिनके पास बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच नहीं है।
इस अवसर पर सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, लेखाधिकारी प्लाबन नस्कर, सहायक अधीक्षक पल्ल्वी मिश्रा, निरीक्षक अनिकेत रंजन, दिलीप पांडेय, सहायक लेखाधिकारी संतोषी राय, मनीष मिश्रा, श्रीप्रकाश गुप्ता, आनंद प्रधान, राकेश कुमार सहित तमाम कर्मी उपस्थित रहे।
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आयुष पर किए गए सर्वेक्षण के परिणाम (जुलाई 2022 से जून 2023) जारी किए गए
- लगभग 95% ग्रामीण और 96% शहरी उत्तरदाताओं को आयुष के बारे में जानकारी है।
- लगभग 85% ग्रामीण और 86% शहरी परिवारों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधों/घरेलू उपचार/स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा/लोक चिकित्सा के बारे में जानकारी रखता है।
- पिछले 365 दिनों में लगभग 46% ग्रामीण और 53% शहरी लोगों ने बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग किया।
- आयुर्वेद ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपचार के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली है।
- आयुष का उपयोग मुख्य रूप से कायाकल्प और निवारक उपायों के लिए किया जाता है।
ए. परिचय
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 79वें दौर के हिस्से के रूप में जुलाई 2022 से जून 2023 तक राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा ‘आयुष’ पर पहला विशेष अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ दुर्गम गांवों को छोड़कर पूरे देश को शामिल किया गया। 1,81,298 परिवारों से जानकारी एकत्र की गई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 1,04,195 और शहरी क्षेत्रों में 77,103 परिवार शामिल रहे।
सर्वेक्षण के व्यापक उद्देश्य निम्नलिखित के बारे में जानकारी एकत्र करना था:
- स्वास्थ्य सेवा की पारंपरिक प्रणाली (चिकित्सा की आयुष प्रणाली) के बारे में लोगों की जागरूकता,
- बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग,
- घरेलू उपचार, औषधीय पौधों, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा/लोक चिकित्सा के बारे में परिवारों की जागरूकता।
इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण में आयुष चिकित्सा प्रणालियों का उपयोग करके उपचार के लिए घरेलू व्यय के बारे में जानकारी एकत्र की गई। परिणाम (यूनिट स्तर के डेटा के साथ तथ्य पत्रक) मंत्रालय की वेबसाइट ([www.mospi.gov.in](http://www.mospi.gov.in)) पर उपलब्ध हैं।
बी. नमूना डिजाइन
आयुष पर किया गया सर्वेक्षण एक स्तरीकृत बहु-चरणीय नमूना डिजाइन का उपयोग के जरिए किया गया जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में गांवों और शहरी क्षेत्रों में शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस) ब्लॉक या गांवों या यूएफएस ब्लॉकों की उप-इकाइयों (एसयू) को पहले चरण की इकाइयों (एफएसयू) के रूप में माना गया था। दोनों क्षेत्रों में अंतिम चरण की इकाइयाँ (यूएसयू) परिवारों में रहने वाले लोग थे. एफएसयू के साथ-साथ चुने गए एफएसयू से घर परिवारों के चयन के लिए प्रतिस्थापन के बिना सरल यादृच्छिक नमूनाकरण (एसआरएसडब्ल्यूओआर) का उपयोग किया गया।
सी. संकल्पनात्मक रूपरेखा
सर्वेक्षण के उद्देश्य से, आयुष के बारे में ‘जागरूकता’ और ‘उपयोग’ को नीचे वर्णित तरीके से परिभाषित किया गया है:
एक परिवार के 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के उस सदस्य को “आयुष के बारे में जागरूक” माना गया है, यदि निम्नलिखित में से एक या अधिक शर्तें पूरी होती हैं:
- यदि उसने कभी भी आयुष चिकित्सा पद्धति का उपयोग करके उपचार लिया हो, चाहे वह डॉक्टर के पर्चे के साथ हो या बिना डॉक्टर के पर्चे के।
- यदि उसने किसी भी आयुष पद्धति के बारे में सुना हो, जैसे आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा/आमची, होम्योपैथी – परिवार, मित्रों, चिकित्सक, मीडिया (टीवी, रेडियो, होर्डिंग्स, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ, इंटरनेट- फेसबुक/व्हाट्सएप/ट्विटर/आउटरीच कैंप, संगठनों के सर्वेक्षण आदि के माध्यम से आईईसी सामग्री), शोध लेख/चिकित्सा समाचार-पत्र/पाठ्य पुस्तकें आदि।
- यदि वह औषधीय पौधों या औषधीय महत्व वाले पौधों, घरेलू उपचारों या उपचार या रोकथाम के लिए पारंपरिक प्रथाओं/लोक प्रथाओं के बारे में जानता है/जानती है/ या जानती थी।
- यदि वह पेशे से निम्न में से किसी भी श्रेणी में आयुष स्वास्थ्य सेवा केंद्रों/सेवा प्रदाताओं से जुड़ा हुआ है/था: पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी, अपंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी, दाई, मालिश करने वाले, फार्मासिस्ट, योग प्रशिक्षक, पंचकर्म चिकित्सक, कपिंग चिकित्सक आदि या आयुष दवाओं के उत्पादन/निर्माण में शामिल है।
‘आयुष चिकित्सा पद्धति के उपयोग’ से तात्पर्य किसी चिकित्सक/प्रशिक्षक की सलाह पर बीमारियों/बीमारियों के उपचार/उपचार या बीमारियों/बीमारियों की रोकथाम के लिए आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी की एक या अधिक प्रणालियों के उपयोग/अपनाने से है। इसमें उपचार/दवा के निवारक या लाभकारी प्रभावों को जानने वाले घर के किसी सदस्य द्वारा उपयोग किए जाने वाले घरेलू उपचार/स्व-चिकित्सा/स्व-उपचार भी शामिल रहते हैं।
D. सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष:
1. आयुष के बारे में जागरूकता:
ग्रामीण भारत में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 95% पुरुष और महिलाएँ आयुष के बारे में जागरूक पाए गए हैं, जबकि शहरी भारत में यह लगभग 96% है। अखिल भारतीय स्तर पर लिंग (जेंडर) के आधार पर आयुष प्रणाली के बारे में जागरूक लोगों(15 वर्ष या उससे अधिक आयु के) के प्रतिशत का अनुमान चित्र 1 में दिखाया गया है।
ग्रामीण भारत में लगभग 79% घरों और शहरी भारत में लगभग 80% घरों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधों और घरेलू दवाओं के बारे में जानता है, जबकि ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में लगभग 24% घरों में कम से कम एक सदस्य लोक चिकित्सा या स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा के बारे में जानता है।
2. आयुष का उपयोग:
बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग, पिछले 365 दिनों के दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक देखा गया है। नीचे दिया गया चित्र 2 पिछले 365 दिनों के दौरान बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के प्रतिशत का अनुमान दर्शाता है।
ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में, बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुर्वेद को आयुष की अन्य प्रणालियों की तुलना में प्राथमिकता दी गई है।.
तालिका 1: चिकित्सा पद्धति के अनुसार बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग करने वाले लोगों का प्रतिशत | ||
चिकित्सा प्रणाली | ग्रमीण | शहरी |
आयुर्वेद | 40.5 | 45.5 |
अन्य* | 9.4 | 12.8 |
कोई भी | 46.3 | 52.9 |
* इसमें योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी शामिल हैं |
यह भी देखा गया है कि आयुष का उपयोग ज्यादातर कायाकल्प या निवारक उद्देश्य के लिए किया जाता है, उसके बाद चिकित्सीय या उपचारात्मक उपचार किया जाता है।
3. आयुष के उपचार का लाभ उठाने के लिए किया गया व्यय::
ग्रामीण और शहरी भारत के लिए पिछले 365 दिनों के दौरान आयुष का उपयोग करके बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए प्रति व्यक्ति औसत व्यय का अनुमान तालिका 2 में दिया गया है।
तालिका 2: आयुष का उपयोग करके बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए प्रति व्यक्ति औसत व्यय (रु.) | ||
चिकित्सा प्रणाली | ग्रामीण | शहरी |
आयुर्वेद | 394 | 499 |
अन्य* | 622 | 592 |
कोई भी | 472 | 574 |
* इसमें योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी शामिल हैं। |
मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव का जोश पूरे देश में जोरों पर: दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव की बेहतरीन फिल्में देखें!
मुख्य कार्यक्रम 15 जून को शुरू होगा और 21 जून, 2024 तक मुंबई के पेडर रोड पर राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम-फिल्म प्रभाग परिसर में चलेगा। दिल्ली में फिल्म प्रेमियों के लिए, 16 जून से 20 जून तक सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम 1, 2 और 3 में फिल्मों का एक समानांतर चयन दिखाया जाएगा। कोलकाता में फिल्म प्रेमी प्रतिष्ठित सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) में स्क्रीनिंग देख सकते हैं। वहीं, चेन्नई एनएफडीसी के टैगोर फिल्म सेंटर में स्क्रीनिंग दिखाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, पुणे में स्क्रीनिंग नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया के परिसर में होगी। आयोजन स्थलों पर पंजीकरण डेस्क स्क्रीनिंग के लिए आगंतुक उपस्थित लोगों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेंगे। बैठने की व्यवस्था पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगी। शुरुआती फिल्म बिली एंड मौली: एन ओटर लव स्टोरी 15 जून को दोपहर 2.30 बजे सभी स्थानों पर एक साथ दिखाई जाएगी।
कृपया चार शहरों में 18वें एमआईएफएफ के लिए स्क्रीनिंग शेड्यूल यहां देखें:
यह अभिनव कदम राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) की उच्च गुणवत्ता वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण को व्यापक भारतीय दर्शकों के लिए अधिक सुलभ बनाने की प्रतिबद्धता से प्रेरित है। इस महोत्सव का उद्देश्य इन जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों में एमआईएफएफ को लाकर, देश भर के सिनेमा प्रेमियों के बीच डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए गहरी रुचि को बढ़ावा देना है।
डॉक्यूमेंट्री फिल्में हमारे आस-पास की दुनिया के बारे में शक्तिशाली और विचारोत्तेजक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। महोत्सव की पहुंच का विस्तार करके, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम सार्थक बातचीत को बढ़ावा देने और भारत के सभी कोनों में इस महत्वपूर्ण कला के लिए जुनून जगाने की उम्मीद करता है। मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव लंबे समय से भारत में डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माण का चैंपियन रहा है। यह विस्तार न केवल फिल्म उत्सव के मंच को मजबूत करता है, बल्कि दिल्ली, कोलकाता, पुणे और चेन्नई के दर्शकों को बड़े पर्दे पर वृत्तचित्रों के विविध चयन का अनुभव करने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है।
विश्व सिनेमा की सिनेमाई उत्कृष्टता का उत्सव, मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव, दक्षिण एशिया में सबसे बड़े और सबसे पुराने गैर-फीचर फिल्म समारोहों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। 1990 से हर दो साल में आयोजित होने वाले मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म, लघु फिल्म और एनीमेशन श्रेणियों में असाधारण कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए लगातार एक मंच प्रदान किया है।