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भारत में कोविड-19 टीकाकरण का कुल आंकड़ा 58 करोड़ के पार पहुंचा

भारत में कोविड-19 टीकाकरण का कुल आंकड़ा कल 58 करोड़ के पार पहुंच गया है। आज सुबह सात बजे तक प्राप्त अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार बीते 24 घंटों में टीके की 52,23,612 डोज देने के साथ ही भारत में कोविड-19 टीकाकरण का कुल कवरेज 58.14 (58,14,89,377) करोड़ के पार पहुंच गया है। टीकाकरण का यह लक्ष्य 64,39,411 सत्रों के माध्यम से प्राप्त किया गया है।

 

आज सुबह 7 बजे तक की अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार कुल टीकाकरण का विवरण इस प्रकार से है:

स्वास्थ्य कर्मी पहली खुराक 1,03,53,366
दूसरी खुराक 82,10,206
अग्रिम पंक्ति के कर्मी पहली खुराक 1,83,03,885
दूसरी खुराक 1,25,60,909
18-44 वर्ष आयु वर्ग पहली खुराक 21,63,66,206
दूसरी खुराक 1,93,27,127
45-59 वर्ष आयु वर्ग पहली खुराक 12,24,63,403
दूसरी खुराक 4,87,01,565
60 वर्ष से अधिक पहली खुराक 8,32,68,790
दूसरी खुराक 4,19,33,920
कुल   58,14,89,377

 

केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति में तेजी लाने तथा इसके दायरे को विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पिछले 24 घंटों में 38,487 कोरोना संक्रमित रोगियों के स्वस्थ होने के साथ ही कुल ठीक होने वाले मरीजों (महामारी की शुरुआत के बाद से) की संख्या बढ़कर 3,16,36,469 हो गई है।

 

स्वस्थ होने की दर 97.57 प्रतिशत पर पहुंची गई है, जो मार्च 2020 के बाद से अपने उच्च्तम स्तर पर है।

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कोविड-19 के कारण लगे प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने अप्रैल-जून (2021-22)तिमाही में कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में 44.3प्रतिशतसे अधिक का रिकॉर्ड निर्यात अर्जितकरना जारी रखा

कोविड-19 के कारण लगेप्रतिबंधों के बावजूद, विशेष रूप से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान,महामारी की दूसरी लहर केप्रकोप के कारण, भारत ने 2021-22 (अप्रैल-जून) में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में2020-21 की इसी अवधि की तुलना में 44.3 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की।

चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में तेज बढ़ोत्तरी, वित्तीय वर्ष 2020-21 में निर्यात मेंआईवृद्धि की निरंतरता में है।

विश्व व्यापार संगठन के व्यापार मानचित्र के अनुसार, वर्ष 2019 में 37 बिलियन अमेरिकीडॉलर के कुल कृषि निर्यात के साथ, भारत विश्व रैंकिंग में 9वें स्थान पर है।

वाणिज्य मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा)द्वारा की गई पहलों ने देश को ऐसे समय में इस उपलब्धि को अर्जित करने में मदद की जब महामारी का प्रकोप अपने चरमपर था।

वाणिज्यिक आसूचनाऔर सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी त्वरित अनुमानों के अनुसार, अप्रैल-जून 2021 के दौरान एपीडा उत्पादों के कुल निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अमेरिकी डॉलर के हिसाब से44.3प्रतिशतकी वृद्धि देखी गई है। एपीडा उत्पादों का कुल निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 3338.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 4817.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

भारतीय कृषि-निर्यात केहिसाब से, देश ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में डॉलर के हिसाब से 25.02 प्रतिशत और रुपये के हिसाब से 29.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि चालू वर्ष (2021-22) में भी देश के कृषि निर्यात में लगभग 15 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की जाएगी।

त्वरित अनुमानों के अनुसार, ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात में 9.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसे सुखाए या फुलाए गए अनाजों(सीरियल प्रीपेरेशन)और विविध प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात में 69.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल-जून, 2020-21 में, ताजे फल और सब्जियों का निर्यात 584.5 मिलियन अमेरिकीडॉलर का था जो अप्रैल-जून 2021-22 में बढ़कर 637.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

भारत ने अन्य अनाजों के निर्यात में 415.5 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरीदर्ज की, जबकि मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले तीन महीनों में 111.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। अन्य अनाजों का निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 44.9 मिलियन अमेरिकीडॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 231.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया और मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 483.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021में 1022.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

 

चावल का निर्यात, जिसने 25.3 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की, अप्रैल-जून 2020 के 1914.5 मिलियन अमेरिकीडॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 2398.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि,कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में बी 2 बी प्रदर्शनियों का आयोजन भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारीसे उत्पाद विशिष्ट और सामान्य विपणन अभियानों के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज जैसी एपीडा की विभिन्न पहलों का परिणाम है।

एपीडा ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ कृषि और खाद्य उत्पादों पर और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हस्तशिल्प सहित जीआई उत्पादों पर वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकका आयोजन करके भारत में पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) वाले उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहल की हैं। एपीडानेनिर्यात की जाने वाली प्रमुख कृषि वस्तुओं के जीआई उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए संभावित आयातक देशों के साथ वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक (वीबीएसएम) आयोजित करने की अपनी पहल जारी रखी है।

निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन को सुनिश्चित करने के लिए, एपीडा ने उत्पादों और निर्यातकों की एक विस्तृत श्रृंखला को परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है।

एपीडा निर्यात परीक्षण और अवशेष निगरानी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के उन्नयन और सुदृढ़ीकरण में भी सहायता करता है। एपीडा कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार विकास की वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत भी सहायता प्रदान करता है।

एपीडाअंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी का आयोजन करता है, जिसने निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच प्रदान कियाहै। एपीडा कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आहार, ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस, बायोफैच इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है।

एपीडा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार की गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बागवानी उत्पादों के लिए पैक-हाउस का पंजीकरण भी शुरू कियाहै।उदाहरण के लिए,मूंगफली के छिलके और ग्रेडिंग तथा प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निर्यात इकाइयों केपंजीकरणका उद्देश्य यूरोपीय संघ और गैर-यूरोपीय संघ के देशों के लिए गुणवत्ता पालन सुनिश्चित करना है।

एपीडा वैश्विक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मांस प्रसंस्करण संयंत्रों और बूचड़खानों का पंजीकरण करता है। एक अन्य प्रमुख पहल में ट्रेसिएबिलिटी सिस्टम का विकास और कार्यान्वयन शामिल है जो आयात करने वाले देशों की खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता अनुपालन सुनिश्चित करता है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व्यापार विश्लेषणात्मक सूचनाओं का संकलन और प्रसार, निर्यातकों के बीच बाजार पहुंच की जानकारी साझा करना और व्यापार पूछताछका समाधानकरना भी उसी समग्र प्रेरकबल का हिस्सा हैजो एपीडा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धकराता है।

भारत के निर्यात का तुलनात्मक विवरण एपीडा उत्पाद
उत्पाद शीर्ष जून, 2020 अप्रैलजून, 2020 जून, 2021 अप्रैलजून, 2021 बदलाव (जून,2021) बदलाव (अप्रैलजून,2021)
मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर अमेरिकी डॉलर अमेरिकी डॉलर
फल एवं सब्जियां 189.8 584.5 204.9 637.7 8.0 9.1
सूखाए या फुलाए अनाज (सीरियल प्रीपरेशन तथा विविध प्रसंस्कृत मदें 143.2 311.1 198.0 527.7 38.3 69.6
मांस, डेयरी एवं पोल्ट्री उत्पाद 203.7 483.5 329.6 1022.5 61.8 111.5
चावल 681.3 1914.5 741.0 2398.5 8.8 25.3
अन्य अनाज 25.2 44.9 84.4 231.4 235.3 415.5
कुल 1243.1 3338.5 1558.0 4817.9 25.3 44.3
स्रोत:डीजीसीआईएस,त्वरित आकलन      

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प्रधानमंत्री ने सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोमनाथ, गुजरात में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर श्री लाल कृष्ण आडवाणी, केन्द्रीय गृह मंत्री, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री एवं गुजरात के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री उपस्थित थे।

दुनिया भर के श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने के लिये अदम्य इच्छाशक्ति दिखाई थी। सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जोड़ा था। श्री मोदी ने कहा, “यह हमारा सौभाग्य है कि हम आजादी के 75वें वर्ष में सोमनाथ मंदिर को नई भव्यता प्रदान करने में सरदार साहब के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।”प्रधानमंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को याद किया, जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ और गुजरात के कच्छ के परिवर्तन जैसी पहलों को गुजरात ने बहुत नजदीक से देखा है, आधुनिकता को पर्यटन से जोड़ने का परिणाम देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हर कालखंड की यह मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी नई संभावनाओं को खोजें और लोकल अर्थव्यवस्था से तीर्थ यात्राओं का जो रिश्ता रहा है उसे और मजबूत करें।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है।”

 

पवित्र मंदिर के इतिहास का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि मंदिर को बार-बार तोड़ा गया, लेकिन हर हमले के बाद वह कैसे फिर उठ खड़ा हुआ। उन्होंने कहा, “यह इस विश्वास का प्रतीक है कि असत्य कभी सत्य को पराजित नहीं कर सकता और आतंक कभी आस्था को कुचल नहीं सकता।” उन्होंने कहा, “जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वह किसी कालखंड में कुछ समय के लिये भले हावी हो जाये, लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वह ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती। यह उस समय भी सत्य था, जब कुछ आक्रमणकारी सोमनाथ के मंदिर को तोड़ रहे थे और आज भी उतना ही सत्य है, जब ऐसी सोच दुनिया के सामने खतरा बनी हुई है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर उसका भव्य जीर्णोद्धार सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैचारिक निरंतरता के कारण संभव हुआ है। राजेंद्र प्रसाद जी, सरदार पटेल और केएम मुंशी जैसे महापुरुषों को आजादी के बाद भी इस अभियान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। लेकिन, अंततः 1950 में सोमनाथ मंदिर आधुनिक भारत के दिव्य स्तंभ के रूप में स्थापित हो गया। देश कठिन समस्याओं के सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर बढ़ रहा है। राम मंदिर के रूप में आधुनिक भारत की महिमा का एक उज्ज्वल स्तंभ बनकर सामने आ रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारी सोच इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की होनी चाहिए, एक नया भविष्य बनाने की होनी चाहिए। उन्होंने ‘भारत जोड़ो आंदोलन’के अपने मंत्र  का उल्लेख करते हुए कहा कि उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है बल्कि विचारों के संपर्क से भी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।” उन्होंने कहा, “हमारे लिए इतिहास और धर्म का सार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है।” प्रधानमंत्री ने भारत की एकता को रेखांकित करने में विश्वास और विश्वास प्रणाली की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं। इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।’

राष्ट्र की एकता को मजबूत करने में आध्यात्मिकता की भूमिका का उल्लेख जारी रखते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षमता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश आधुनिक अवसंरचना का निर्माण कर प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने रामायण सर्किट का उदाहरण दिया जो राम भक्तों को भगवान राम से संबंधित नए स्थानों से अवगत करा रहा है और उन्हें यह महसूस करा रहा है कि कैसे भगवान राम पूरे भारत के राम हैं। इसी तरह बुद्ध सर्किट दुनिया भर के भक्तों को सुविधाएं प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयों पर पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है, जिससे उपेक्षित क्षेत्रों में पर्यटन के अवसर पैदा होंगे। केदारनाथ जैसे पहाड़ी इलाकों में विकास, चार धामों के लिए सुरंग और राजमार्ग, वैष्णव देवी में विकास कार्य, पूर्वोत्तर में हाई-टेक बुनियादी ढांचा दूरियां पाट रहे हैं। इसी तरह, 2014 में घोषित प्रसाद योजना के तहत 40 प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास किया जा रहा है, जिनमें से 15 पहले ही पूरे हो चुके हैं। गुजरात में 100 करोड़ रुपये से अधिक की तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। तीर्थ स्थलों को जोड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश न केवल आम नागरिकों को पर्यटन के माध्यम से जोड़ रहा है बल्कि आगे भी बढ़ रहा है। देश, यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 2013 के 65वें स्थान से 2019 में 34वें स्थान पर पहुंच गया है।

सोमनाथ प्रोमनेड को प्रसाद (पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्पिरिचुअल, हेरीटेज ऑगमेंटेशन ड्राइव) योजना के तहत 47 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र, पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली के मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को प्रदर्शित करता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा कुल 3.5 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को अहिल्याबाई मंदिर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा बनाया गया था। रानी अहिल्याबाई ने पुराने मंदिर को जीर्ण शीर्ण अवस्था में पाने के बाद नया निर्माण कराया था। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और संवर्धित क्षमता के लिए पूरे पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है।

श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भगृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है।

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नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबलपुर-दिल्ली रूट पर इंडिगो उड़ानों का उद्घाटन किया

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव श्री प्रदीप खरोला के साथ वर्चुअल रूप से जबलपुर-दिल्ली सेक्टर के लिए इंडिगो उड़ान को झंडी दिखाई। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी वर्चुअल रूप से उपस्थित थे। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में अन्य महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के जल संसाधन, मत्स्य पालन कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री श्री तुलसी राम सिलावट, मध्य प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति, अध्यात्म मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर, मध्य प्रदेश के सांसद श्री राकेश सिंह, मध्य प्रदेश के सांसद श्री शंकर लालवानी ने मध्य प्रदेश से वर्चुअल रूप से इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने संबोधन में कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले सात वर्षों में भारतीय उड्डयन का जनतंत्रीकरण संभव हो पाया है, जो उड्डयन आम लोगों के लिए दूर का सपना था, वह अब सभी के लिए सुलभ होता जा रहा है। जबलपुर मध्यप्रदेश के सबसे महत्पूर्ण शहरों में से एक है, इस शहर में विभिन्न सेक्टरों के लिए कई प्रकार के अवसरों की संभावना है। आज से, जबलपुर को देश की राजधानी दिल्ली और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के साथ अतिरिक्त उड़ान कनेक्टिविटी प्राप्त हो गई है। इसके अतिरिक्त, इस शहर को 28 अगस्त 2021 से इंदौर तथा हैदराबाद से अतिरिक्त कनेक्टिविटी प्राप्त होगी। मुझे यह घोषणा करते हुए अति प्रसन्नता हो रही है कि पिछले 35 दिनों में हमने मध्य प्रदेश में 44 नई उड़ानों का प्रचालन आरंभ कर दिया है जिसमें से 26 विमान आवाजाही केवल जबलपुर से जुड़ी हुई है। महामारी के बावजूद हम न केवल पुराने रूटों का पुनरुत्थान कर रहे हैं बल्कि नई रूटें भी आरंभ कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि “आज हम न केवल नए रूट तथा जबलपुर से नई उड़ानें आरंभ कर रहे हैं, बल्कि हमने जबलपुर हवाई अड्डे के विकास के लिए 421 करोड़ रुपए की एक स्कीम को भी मंजूरी दी है। नए विकासों में 10 हजार स्क्वायर फीट के एक नए टर्मिनल भवन का निर्माण, एक नया एटीसी टावर तथा बड़े विमान प्रचालनों को व्यवहार्य बनाने के लिए रनवे के विस्तार को 1950 से 2750 मीटर करना शामिल है।”

मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विख्यात जबलपुर में 8 जिलों: जबलपुर, सिवनी, मांडला, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, कटनी, दिनदोरी तथा बालाघाट के डिविजनल मुख्यालय हैं। यह राज्य के सबसे मूल्यवान तथा विकसित शहरों में से भी एक है। हनुमंत बाड़ा जैन मंदिर, जबलपुर मदन महल, धुआंधार जलप्रपात, चौंसठ-योगिनी, भेड़ा घाट, मदन महल किले के निकट बैलेंसिंग रॉक, कचनार शहर में शिव प्रतिमा, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान जैसे बाघ अभ्यारण्य तथा पेंच नेशनल पार्क दुनिया भर के पर्यटकों को आमंत्रित करते हैं। इस शहर का एक समृद्ध इतिहास है और यह भारत की विरासत में भी झांकने का अवसर प्रस्तुत करता है।

जबलपुर मैसर्स इंडिगो एयरलाइन्स द्वारा कनेक्टेड 69वां घरेलू गंतव्य है। इन सीधी उड़ानों का लक्ष्य व्यापार एवं वाणिज्य में वृद्धि करना तथा जबलपुर में पर्यटन को बढ़ावा देना भी है, खासकर, ऐसे समय में जब भारतीय लगातार घरेलू छुट्टियों में ऐसे जगहों पर जाने की योजना बना रहे हैं जो पर्यटन की दृष्टि से अभी तक देश में विख्यात रहे हैं।

उड़ान का अनुसूची नीचे उल्लेखित हैः

 

उड़ान संख्या कहां से कहां तक बारंबारता प्रस्थान समय आगमन समय विमान कब से प्रभावी
6E 2016 DEL JLR प्रतिदिन 9:00 10:20 A320 20-अगस्त-21
6E 2017 JLR DEL प्रतिदिन 10:50 12:20 20- अगस्त -21
6E 917 BOM JLR प्रतिदिन 6:25 8:15 20- अगस्त -21
6E 916 JLR BOM प्रतिदिन 8:45 10:10 20- अगस्त -21
6E 7742 IDR JLR प्रतिदिन 7:45 9:20 ATR 28- अगस्त -21
6E 7743 JLR HYD प्रतिदिन 9:40 11:55 28- अगस्त -21
6E 7744 HYD JLR प्रतिदिन 12:30 14:45 28- अगस्त -21
6E 7745 JLR IDR प्रतिदिन 15:05 16:40 28- अगस्त -21

 

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भारत ने ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों की बैठक में सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की सीमा का विस्तार करने की इच्छा जताई

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की। ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के उद्योग मंत्रियों में चीन के उद्योग और आईटी मंत्री श्री जिओ याक़िंग, दक्षिण अफ्रीका के व्यापार, उद्योग और प्रतिस्पर्धा मंत्री श्री इब्राहिम पटेल,ब्राजील के अर्थव्यवस्था मंत्रालय में उप-मंत्री श्री कार्लोस द कोस्टा,  रूस के उद्योग और व्यापार मंत्री श्री डेनिस मंटुरोव एवं अन्य प्रतिनिधियों ने वर्चुअल बैठक के माध्यम से भाग लिया।

भारत ने इस वर्ष अपनी अध्यक्षता के लिए ‘ब्रिक्स@15: निरंतरता, समेकन और सहमति के लिए अंतर-ब्रिक्स सहयोग’ विषय का चयन किया।

18 अगस्त 2021 को आयोजित ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों की 5वीं बैठक में संयुक्त घोषणा को अपनाया गया।

बैठक के दौरान, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाते हुए बेहतर और स्मार्ट शासन की दिशा में प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया गया। भारत ने एक सक्षम और गतिशील स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है, मौजूदा प्लेटफॉर्म और डिजिटल तकनीकों जैसे आधार और यूपीआई भुगतान का लाभ उठाया है ताकि अंतिम छोर तक महत्वपूर्ण सेवाओं के वितरण को सुनिश्चित किया जा सके। कोविन और डिजिटल टीकाकरण प्रमाणपत्र जैसी ऑनलाइन प्रणालियों का आज दुनिया भर में सफलता की गाथाओं के रूप में वर्णित किया जा रहा है।

ब्रिक्स देशों के मंत्रियों ने विशेष रूप से व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में कोविड-19 महामारी के अप्रत्याशित प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने ब्रिक्स देशों के सभी कोविड योद्धाओं, चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और वैज्ञानिकों को इन देशों में लोगों का जीवन बचाने में उनके निःस्वार्थ और अथक प्रयासों के लिए बधाई दी।

उन्होंने तेजी से बदलती दुनिया में उभरती हुई नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता की सराहना की और इसे उद्योग के आधुनिकीकरण और परिवर्तन, समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में पहचाना, जिसने ब्रिक्स राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद की है।

उन्होंने कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से संबंधित कार्यबल और व्यवसायों के प्रशिक्षण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए नई उभरती प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप मानव संसाधन बनाने की आवश्यकता पर सहमति जताई।

उन्होंने स्वतंत्र, निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार वातावरण को बढ़ावा देने, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देने, निहितार्थों का आकलन करने और विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रगतिशील, सुरक्षित, न्यायसंगत और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

सभी ब्रिक्स देशों के मंत्रियों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के साथ सहयोग करने की इच्छा भी व्यक्त की। भारत ने एनडीबी की सीमा का विस्तार करने और औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के अलावा सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए संसाधनों का उपयोग करने की इच्छा व्यक्त की।

बैठक का समापन ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों द्वारा एक समूह के रूप में मिलकर कार्य करने, एक-दूसरे की शक्तियों का पूरक बनने, सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने के साथ-साथ कमजोरियों से सीखने, और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडे को हासिल करने के लिए सकारात्मक और रचनात्मक रूप से आगे बढ़ने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि के साथ हुआ।

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डीआरडीओ ने भारतीय वायु सेना के लिए उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी विकसित की

प्रमुख बातें:

• यह तकनीक दुश्मन के रडार से पैदा खतरों से लड़ाकू विमानों की रक्षा करेगी

• बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए उद्योग को प्रदान की गई

• भारतीय वायु सेना ने सफल उपयोगकर्ता परीक्षणों के पूरा होने के बाद शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की

• रक्षा मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में डीआरडीओ का एक और कदम बताया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दुश्मन के रडार खतरों से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए एक उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी विकसित की है। जोधपुर स्थित डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला ने वायुसेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए, डीआरडीओ की पुणे स्थित उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) के सहयोग से उन्नत चैफ सामग्री और चैफ कार्ट्रिज-118/I से इसको विकसित किया है। भारतीय वायु सेना ने सफल उपयोगकर्ता परीक्षणों के पूरा होने के बाद इस तकनीक को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।

आज के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में आधुनिक रडार खतरों में प्रगति के कारण लड़ाकू विमानों की उत्तरजीविता प्रमुख चिंता का विषय है। विमान की उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए, काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम (सीएमडीएस) का उपयोग किया जाता है जो इंफ्रा-रेड और रडार खतरों के खिलाफ निष्क्रिय जैमिंग प्रदान करता है। चैफ एक महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक है जिसका उपयोग लड़ाकू विमानों को शत्रुतापूर्ण रडार खतरों से बचाने के लिए किया जाता है।  इस तकनीक का महत्व इस तथ्य में निहित है कि हवा में तैनात बहुत कम मात्रा में चैफ सामग्री लड़ाकू विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दुश्मन की मिसाइलों को अपने मार्ग से भटकाने के लिए प्रलोभन का काम करती है। भारतीय वायुसेना की वार्षिक रोलिंग आवश्यकता को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में उत्पादन करने हेतु उद्योग को प्रौद्योगिकी प्रदान की गई है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास के लिए डीआरडीओ, वायुसेना और उद्योग की सराहना की है, इसे रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में डीआरडीओ का एक और कदम बताया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस उन्नत तकनीक के सफल विकास से जुड़ी टीमों को बधाई दी जो भारतीय वायु सेना को और मजबूत करेगी।

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अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज का प्रायोगिक स्तर पर शुभारम्भ हुआ –सोना-चांदी के आयात के लिए प्रवेश द्वार बनेगा

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के अध्यक्ष श्री इंजेती श्रीनिवास ने आज यहां पायलट रन/सॉफ्ट लॉन्च का शुभारंभ किया। आईएफएससीए के स्थापना दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज 1 अक्टूबर, 2021 से ‘लाइव’ हो जाएगा।

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2020-21 में घोषणा के बाद11 दिसंबर, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (बुलियन एक्सचेंज) विनियम, 2020 अधिसूचित किया गया था, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बुलियन एक्सचेंज,क्लियरिंग कॉर्पोरेशन, भण्डार और वॉल्ट शामिल हैं। सरकार ने बुलियन स्पॉट ट्रेडिंग और बुलियन भण्डार रसीदों को वित्तीय उत्पादों के रूप में तथा बुलियन से संबंधित सेवाओं को वित्तीय सेवाओं के रूप में अधिसूचित करने के लिए भी कदम उठाए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज “भारत में बुलियन आयात का प्रवेश द्वार” होगा, जिसके तहत घरेलू खपत के लिए सभी बुलियन आयात की प्रक्रिया एक्सचेंज के माध्यम से पूरी की जायेगी। उम्मीद है कि एक्सचेंज इकोसिस्टम से बुलियन कारोबार के लिए सभी बाजार सहभागियों को एक मंच पर लाया जाएगा, जो कुशल मूल्य निर्धारण, सोने की गुणवत्ता के आश्वासन, वित्तीय बाजारों के अन्य क्षेत्रों के साथ अधिक एकीकरण आदि को सक्षम करेगा और दुनिया में कारोबार के प्रमुख केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करने में मदद करेगा।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई), मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमसीएक्स), इंडिया आईएनएक्स इंटरनेशनल एक्सचेंज (आईएफएससी) लिमिटेड (इंडिया आईएनएक्स), नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल), सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (सीडीएसएल)के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार एक होल्डिंग कंपनी,‘इंडिया इंटरनेशनल बुलियन होल्डिंग आईएफएससीलिमिटेड’(आईआईबीएच) को आईएफएससी, जीआईएफटी (गिफ्ट) सिटी में अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज, बुलियन क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और बुलियन डिपॉजिटरी की स्थापना और संचालन के उद्देश्य से गठित किया गया है।

आईएफएससीए ने होल्डिंग कंपनी के आवेदन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत होल्डिंग कंपनी की सहायक कंपनी,”इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज आईएफएससी लिमिटेड” के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज की स्थापना की जायेगी और इसमें बुलियन एक्सचेंज और बुलियन क्लियरिंग कॉरपोरेशन भी शामिल किया जायेगा।

एक विदेशी डिपॉजिटरी,सीडीएसएल-आईएफएससीको बुलियन एक्सचेंज के लिए बुलियन डिपॉजिटरी के रूप में नामित किया गया है, जो वॉल्ट मैनेजर के प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होगा।

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भारतीय नौसेना ने वियतनाम पीपुल्स नौसेना के साथ द्विपक्षीय समुद्री सैन्य अभ्यास किया

दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना के जहाजों की चल रही तैनाती के क्रम में आईएनएस रणविजय और आईएनएस कोरा ने 18 अगस्त 2021 को वियतनाम पीपुल्स नौसेना (वीपीएन) के वीपीएनएस ली थाई तो (एचक्यू-012) युद्ध-पोत के साथ द्विपक्षीय समुद्री सैन्य अभ्यास किया। द्विपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं द्वारा साझा किए गए मजबूत रिश्ते को दृढ़ता से आगे ले जाना है और यह भारत-वियतनाम रक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारतीय नौसेना के पोत 15 अगस्त 2021 को बंदरगाह चरण वार्ता के लिए वियतनाम के कैम रैन पहुंचे, जिसमें मौजूदा कोविड -19 प्रोटोकॉल को बनाए रखते हुए वियतनाम पीपुल्स नौसेना के साथ पेशेवर बातचीत भी शामिल थी। समुद्री चरण के दौरान सतही युद्ध अभ्यास, हथियारों से गोलीबारी अभ्यास और हेलीकॉप्टर संचालन शामिल थे। वर्षों से दोनों नौसेनाओं के बीच नियमित अभ्यास और बातचीत ने उनकी पारस्परिकता तथा अनुकूलन क्षमता को बढ़ाया है। इस प्रक्रिया ने व्यावसायिक आदान-प्रदान की जटिलता और अनुपात में भारी वृद्धि सुनिश्चित की है। इस यात्रा का विशेष महत्व भी है क्योंकि, भारतीय नौसेना के जहाजों ने वियतनाम में देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है।

दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध प्रगाढ़ रहे हैं। इस साल जून में, दोनों देशों ने रक्षा सुरक्षा वार्ता की और भारतीय नौसेना के पोत अक्सर वियतनामी बंदरगाहों पर आते – जाते रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से दोनों नौसेनाओं के बीच प्रशिक्षण सहयोग भी बढ़ रहा है।

आईएनएस रणविजय एक मार्गदर्शित मिसाइल विध्वंसक और राजपूत श्रेणी का नवीनतम युद्ध-पोत है। इस पोत को 21 दिसंबर 1987 को कमीशन किया गया था और यह हथियारों तथा सेंसर की एक श्रृंखला से लैस है। यह पोत सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, एंटी एयर मिसाइल एवं बंदूकें, भारी वजन वाले टॉरपीडो, एंटी सबमरीन रॉकेट तथा एंटी सबमरीन हेली-कॉप्टर (कामोव 28) ले जाने में सक्षम हैं। आईएनएस रणविजय आईएनएस कोरा के साथ है, जो कोरा श्रेणी के मिसाइल कार्वेट का प्रमुख पोत है। यह पोत सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों तथा एंटी एयर गन से लैस है।

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प्रधानमंत्री 20 अगस्त को सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 20 अगस्त को प्रात: 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाना है उनमें सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखेंगे।

सोमनाथ सैरगाह को ‘प्रसाद  (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, धरोहर संवर्धन अभियान) योजना’ के तहत 47 करोड़ रुपये से भी अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को दर्शाया जाता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3.5 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को ‘अहिल्याबाई मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा तब बनाया गया था, जब उन्होंने पाया कि पुराना मंदिर खंडहर में तब्‍दील हो गया है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए संपूर्ण पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है। श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर का निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास करना शामिल होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय पर्यटन मंत्री, गुजरात के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

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स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में महिला महाविद्यालय में पौधा रोपण

संवाद सूत्र डा. दिनेश चंद्र शुक्ल। स्वतंत्रता दिवस के 75 वी वर्षगांठ के उपलक्ष्य मे
भारत की आजादी का अमृत महोत्सव
के तत्वावधान महिला महाविद्यालय (पी.जी.)कालेज, किदवई नगर, कानपुर मे
पर्यावरण व हेल्थ- हाइजीन कमेटी
व्दारा वृक्षारोपण कार्यक्रम
स्वस्थ पर्यावरण, स्वस्थ जन
आयोजित किया गया, जिसमे प्राचार्या डाॅ. प्रतिभा श्रीवास्तव, डाॅ मनीषा शुक्ला, डाॅ मीरा त्रिपाठी, डाॅ ममता दीक्षित, डाॅ अनामिका वर्मा के द्वारा वृक्षारोपण किया गया।

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