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अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है

मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।

इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले  6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।

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धरती को रखना हरा भरा जीवन धर्म हमारा

कानपुर 5 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में एक ऑनलाइन विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वन संरक्षण हेतु चिपको आंदोलन को प्रणेता अमृता देवी को स्मरण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कानपुर विश्वविद्यालय भूगोलवेत्ता संघ के अध्यक्ष डॉ. जी एल श्रीवास्तव पूर्व प्राचार्य अरमापुर पीजी कॉलेज व पूर्व विभागाध्यक्ष डी ए वी कॉलेज कानपुर रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में हरित घर की संकल्पना बताते हुए 5 मुख्य मुद्दों- वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कचरे के वर्गीकरण निस्तारण एवं चक्रण, पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण लिए इकोब्रिक्स बनाकर विभिन्न उपयोगी सामग्री बनाने के लिए उनका प्रयोग करने व जीव-जंतु संरक्षण तथा ऊर्जा की बचत की ओर छात्राओं को उन्मुख व अभिप्रेरित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुनंदा दुबे ने अपने व्याख्यान में बताया कि इस बार के पर्यावरण दिवस का होस्ट स्वीडन देश है तथा इसका थीम *ओन्ली वन प्लेनेट* है। जिसका अर्थ है- केवल एक पृथ्वी ही है जो हमारा घर है। अतः हमें उसे अपने व्यक्तिगत छोटे-छोटे प्रयासों के द्वारा बचाना है ताकि पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित रह सके। उन्होंने अपने व्याख्यान में वेदो का भी उल्लेख किया जिनमें संपूर्ण जैव- जगत, जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधों आदि को देव स्वरूप मानकर पूजा करना मनुष्य का धर्म बताया गया था। यह सब पर्यावरण संरक्षण के ही उपाय है। इस अवसर पर छात्राओं के द्वारा चित्रकला प्रदर्शनी, स्लोगन राइटिंग व वृक्षारोपण- एक व्यक्ति एक पेड़ आदि भी किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की चीफ प्रॉक्टर डॉ अर्चना वर्मा विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष तथा प्राध्यापिकाएं विशेष रूप से डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ पूजा श्रीवास्तव व डॉ अर्चना दीक्षित आदि उपस्थित रही।

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प्रधानमंत्री ने कानपुर के परौंख गांव में जनसभा को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी आज  राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के साथ कानपुर के परौंख गांव में पथरी माता मंदिर गए। इसके बाद उन्होंने डॉ. बी आर अंबेडकर भवन का दौरा किया और फिर मिलन केंद्र का दौरा किया। यह केंद्र माननीय राष्ट्रपति का पैतृक घर है जिसे सार्वजनिक उपयोग के लिए दान कर दिया गया था जिसे एक सामुदायिक केंद्र (मिलन केंद्र) में परिवर्तित कर दिया गया है। दोनों गणमान्य व्यक्तियों ने परौंख गांव में एक सार्वजनिक समारोह में भाग लिया । इस अवसर पर प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, जनप्रतिनिधि शामिल थे।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह उस गांव का दौरा करके खुश हैं, जिसने राष्ट्रपति के बचपन को देखा है और उन्हें देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचते देखा है। उन्होंने उन स्मृतियों को याद किया जो राष्ट्रपति ने यात्रा के दौरान उनके साथ साझा की थीं। उन्होंने राष्ट्रपति के जीवन की यात्रा की ताकत की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने परौंख में भारत के आदर्श गांवों की ताकत को महसूस किया। उन्होंने कहा कि यह गांव एक भारत श्रेष्ठ भारत का बेहतरीन उदाहरण है। पथरी माता मंदिर देव भक्ति और देश भक्ति दोनों का ही प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने राष्ट्रपति के पिताजी की विचार प्रक्रिया और कल्पनाशीलता को नमन किया जो तीर्थयात्रा के लिए और पूरे देश में आस्था के स्थानों से शिलाएं और आस्था की शिल्पकृतियां लेकर आए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति को परौंख गांव की मिट्टी से जो संस्कार मिले हैं उन्हें आज दुनिया देख रही हैI  राष्ट्रपति, जो कि ‘ संविधान ‘ और ‘ संस्कार ‘ दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं  ने प्रोटोकॉल तोड़कर और हेलीपैड पर उनका स्वागत करके प्रधानमंत्री को आश्चर्यचकित कर दिया। प्रधानमंत्री ने याद किया कि राष्ट्रपति ने कहा था कि वह एक अतिथि का स्वागत करने के अपने ‘संस्कारों’ का पालन कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को उनके अनुग्रहपूर्ण कार्य के लिए धन्यवाद दिया।

श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने पैतृक आवास को ‘मिलन केंद्र’ के रूप में विकसित करने के लिए दिया था। आज यह परामर्श और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है। इसी तरह डॉ. बी आर अंबेडकर भवन बाबासाहेब अंबेडकर के आदर्शों को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि परौंख गांव के लोगों के सामूहिक प्रयासों से गांव आगे बढ़ता रहेगा और देश के सामने एक आदर्श गांव का मॉडल पेश करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि गांव का कोई भी व्यक्ति कहीं भी चला जाए लेकिन उससे उसका गांव कभी भी नहीं छूटता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी भारत की स्वतन्त्रता को भारत के गांवों से जोड़कर देखते थे। भारत के गांव का अर्थ है कि जहां आध्यात्मिकता है, वहां आदर्श भी होने चाहिए। भारत के गांव का मतलब है, जहां परंपराएं हैं और वहां प्रगति भी है। भारत का गांव अर्थात जहां संस्कृति है वहां सहयोग भी होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जहां प्रेम है वहां समानता है। अमृत काल के इस दौर में ऐसे गांवों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। देश अब गांवों, किसानों, गरीबों और पंचायती लोकतंत्र के लिए काम करने के इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है I उन्होंने कहा “हमारे गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है और सबसे ज्यादा समर्पण भी है। इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि जन धन योजना, पीएमएवाई, उज्ज्वला और हर घर जल जैसी योजनाओं से करोड़ों ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा, “देश ने गरीबों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व गति से काम किया है।” अब देश सभी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। योजनाओं की संतृप्ति अब एक उच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इससे बिना किसी भेदभाव के सभी का सशक्तिकरण होगा।

भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मंच पर उपस्थित  सभी चार गणमान्य व्यक्ति- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गांवों या छोटे शहरों से निकले हैं। हमारे संघर्ष और गरीबी तथा ग्रामीण जीवन से सीधे संपर्क ने हमारे संस्कारों को मजबूत किया हैI  उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की ही ताकत है कि “भारत में, एक गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच सकता है”।

लोकतंत्र की मजबूती के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने परिवारवाद की राजनीति के प्रति सतर्क किया। उन्होंने कहा कि यह परिवारवाद की राजनीति ही है जो न केवल राजनीति में बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटती है और नई प्रतिभाओं को आगे आने से रोकती है। उन्होंने कहा, “मेरा किसी राजनीतिक दल या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है। लेकिन मैं चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो और लोकतंत्र के लिए समर्पित राजनीतिक दल हों”, उन्होंने आगे कहा “मैं चाहता हूं कि परिवारवाद के शिकंजे में फंसी पार्टियां, खुद को इस बीमारी से मुक्त करें और स्वस्थ बने। तभी भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा और देश के युवाओं को राजनीति में आने का ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों से गांव में अमृत सरोवर के निर्माण में मदद करने का अनुरोध किया और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए भी कहाI अंत में उन्होंने कहा कि सबका प्रयास आत्मनिर्भर भारत को हासिल करने का तरीका है और आत्मनिर्भर गांव ही आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद है।

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केंद्र ने सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) को चरणबद्ध रूप से खत्म करने के लिए राज्यों को पत्र लिखा

देश भर के राज्य/केंद्र शसित प्रदेश और शहरी स्थानीय निकाय “क्लीन एंड ग्रीन” के व्यापक जनादेश के तहत विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून, 2022 को देश को सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) से मुक्त करने के साथ-साथ पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान देने के लिए अभियान चलाएंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 29 मई, 2022 को राष्ट्र के नाम 89वें मन की बात संबोधन के बाद ऐसा हो रहा है, जिसमें उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नागरिकों को एक साथ शामिल होने तथा स्वच्छता एवं वृक्षारोपण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया था।

विश्व पर्यावरण दिवस के दोहरे जनादेश और 30 जून, 2022 तक भारत के एसयूपी पर प्रतिबंध के संकल्प को देखते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इन आदेशों को पूरा करने के लिए कई तरह की गतिविधियों को लेकर एक विस्तृत सलाह जारी की है। इनमें प्लास्टिक कचरा संग्रह पर विशेष जोर देने के साथ बड़े पैमाने पर सफाई और प्लॉगिंग अभियान शामिल होंगे, साथ ही, सभी नागरिकों  – छात्र, स्वैच्छिक संगठन, स्वयं सहायता समूह, स्थानीय गैर सरकारी संगठन/सीएसओ, एनएसएस और एनसीसी कैडेट, आरडब्ल्यूए, बाजार संघ, कॉर्पोरेट संस्थाएं, आदि की भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा।

राष्ट्रव्यापी एसयूपी प्रतिबंध के संकल्प को लागू करने के लिए परामर्श में सुझाई गई अनेक पहलें शामिल हैं। वर्तमान में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा  स्वच्छ भारत मिशन – शहरी 2.0 कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जिसमें एसयूपी का उन्मूलन शामिल है – फोकस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मिशन के तहत, प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय को कचरे के  शत-प्रतिशत स्रोत पृथक्करण को अपनाने की आवश्यकता है, और सूखे कचरे (प्लास्टिक कचरे सहित) को रीसाइक्लिंग और/या मूल्य वर्धित उत्पादों के रूप में प्रसंस्करण के लिए आगे के अंशों में विभाजित करने के लिए एक सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा (एमआरएफ) तक पहुंच हो, जिससे प्लास्टिक और सूखे कचरे की मात्रा कम से कम होकर डंपसाइट्स या जलाशयों में समाप्त हो जाए।

जबकि 2,591 शहरी स्थानीय निकायों (4,704 में से) ने पहले ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार अधिसूचना के तौर पर एसयूपी प्रतिबंध की सूचना दी है। इसके तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि शेष 2,100 से अधिक  शहरी स्थानीय निकाय 30 जून, 2022 तक इसे अधिसूचित करें।  शहरी स्थानीय निकाय द्वारा एसयूपी ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान करने और उन्हें खत्म करने की आवश्यकता होगी, जबकि समानांतर रूप से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के समर्थन का लाभ उठाते हुए और विशेष प्रवर्तन दस्तों का गठन, औचक निरीक्षण करने और एसयूपी प्रतिबंधों को लागू करने के लिए चूककर्ताओं पर भारी जुर्माना और दंड लगाने की आवश्यकता होगी।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (पीडब्लूएम) (संशोधित) नियमावली, 2021 के अनुसार, पचहत्तर माइक्रोन (75 μ यानी 0.075 मिमी मोटाई) से कम नया या रीसायकल प्लास्टिक से बने कैरी बैग के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमावली, 2016 के तहत पहले अनुशंसित पचास माइक्रोन (50 μ) के स्थान पर 30 सितंबर, 2021 से प्रभावी है। इस नए प्रावधान के परिणामस्वरूप, नागरिकों को अब स्ट्रीट वेंडर, स्थानीय दुकानदारों, सब्जी विक्रेता आदि द्वारा प्रदान किए गए पतले प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने से रोकने और वैकल्पिक विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (संशोधित) नियम, 2021 के अनुसार प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए कई पूरक पहल भी की जाएंगी। शहरी स्थानीय निकायों को बाजार में आसानी से उपलब्ध एसयूपी-विकल्पों (जैसे कपड़ा/जूट/प्लास्टिक बैग, सड़ने वाली कटलरी आदि) की पहचान करने और नागरिकों के बीच ऐसे विकल्पों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता होगी। बोतलबंद पेय से निपटने वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं से अनुरोध किया जा सकता है कि वे बोतल बैंक स्थापित करें (जहां उपयोगकर्ता पीईटी बोतलों को छोड़ने के लिए भुगतान प्राप्त कर सकते हैं), और उनके विस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी के हिस्से के रूप में विभिन्न स्थानों पर सब्सिडी वाले पुन: प्रयोज्य प्लास्टिक बोतल बूथ भी स्थापित करें। साथ ही, शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को एसयूपी के विकल्प प्रदान करने के लिए  थैला (बैग)/बार्टन (बर्तन) कियोस्क या भंडार स्थापित कर सकते हैं, विशेष रूप से सार्वजनिक बैठकों और त्योहारों में उपयोग के लिए, जिससे एसयूपी खपत को कम करने में मदद मिलती है। इन पहलों को एसयूपी के उपयोग को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने और एसयूपी-विकल्पों का लाभ उठाने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और अन्य उच्च फुटफॉल क्षेत्रों में तैनात किए जाने वाले ‘स्वच्छता रथ’ के माध्यम से मजबूत किया जा सकता है।

राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों को भी पास के सीमेंट संयंत्रों या अन्य औद्योगिक इकाइयों के साथ समझौता कायम करने की सलाह दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पन्न प्लास्टिक कचरे का एक हिस्सा या तो सीमेंट संयंत्रों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में या सड़क निर्माण के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। बाद के उद्देश्य के लिए, शहरी स्थानीय निकायों या उनके लोक निर्माण विभागों को सड़क निर्माण में एसयूपी/बहुस्तरीय प्लास्टिक के उपयोग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ आगे आने की आवश्यकता होगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एडवाइजरी में बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी पर जोर दिया गया है, जहां सभी नागरिक श्रेणियां – निर्वाचित प्रतिनिधि जैसे मेयर और वार्ड पार्षद, स्वैच्छिक संगठन, स्थानीय एनजीओ/सीएसओ, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, मार्केट एसोसिएशन, स्वयं सहायता समूह, छात्र और युवा एसयूपी प्रतिबंध और प्रवर्तन के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए समूहों आदि की पहचान की जानी है और उन्हें शामिल किया जाना है। शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को प्लास्टिक न फैलाने और प्लास्टिक को लैंडफिल में जाने से रोकने के लिए संकल्प  करने हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं, साथ ही मीडिया या सोशल नेटवर्क में अच्छे निपटान व्यवहार को प्रचारित करने के लिए इनाम अभियान भी चला सकते हैं ताकि दूसरों को एसयूपी उपयोग को रोकने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

इन सभी पहलों को उच्चतम स्तर पर निगरानी के लिए प्रलेखन और रिपोर्टिंग के लिए एक विस्तृत प्रोटोकॉल के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा दर्ज किया जाना है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन – शहरी कार्यान्वित किया जा रहा है, जो देश के सभी वैधानिक शहरों में व्यापक स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन उपायों के माध्यम से “कचरा मुक्त शहर” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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भारत अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) परिषद के लिए फिर से चुनाव लड़ेगा

विश्व सूचना समाज सम्मेलन (वर्ल्ड समिट ऑफ इंफॉर्मेशन सोसाइटी – डब्ल्यूएसआईएस) 2022 के दौरान केंद्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत वैश्विक डिजिटल परिवर्तन, विकास में उत्कृष्टता प्राप्त करने और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में सबसे आगे रहा है।” श्री देवुसिंह चौहान ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में 31 मई से 3 जून 2022 तक आयोजित डब्ल्यूएसआईएस 2022 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

डब्ल्यूएसआईएस को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू), संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) द्वारा सभी डब्ल्यूएसआईएस एक्शन लाइन सह-/सुविधाकर्ता और संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों के निकट सहयोग से किया जाता है। विश्व समुदाय के लिए सूचना समाज के निर्माण में पहल करने के लिए 2003 में डब्ल्यूएसआईएस शिखर सम्मेलन के बाद से यह एक अनवरत प्रक्रिया है।

भारत आईटीयू परिषद के लिए 2023-2026 की अवधि के लिए फिर से चुनाव लड़ रहा है। भारत 1869 से आईटीयू का सदस्य रहा है और इसके कार्यों और गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है और वैश्विक समुदाय के हक में दूरसंचार/आईसीटी की वृद्धि और विकास में यथासंभव योगदान देता रहा है।

भारत की रेडियो विनियमन बोर्ड (आरआरबी) उम्मीदवार और आईटीयू परिषद के लिए फिर से चुनाव लड़ने की भारत की उम्मीदवारी के स्वागत समारोह में अपने संबोधन में श्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि भारत दुनिया को एक जुड़े समाज के रूप में महसूस करने और सतत विकास लक्ष्यों – 2030 को पूरा करने में आईसीटी को सक्षम करने के लिए आईटीयू की सोच और दृष्टि का प्रसार करता है।

सदस्य, आरआरबी के लिए भारत की उम्मीदवार के रूप में सुश्री एम. रेवती के नाम का प्रस्ताव करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि सुश्री रेवती के पास पेशेवर विशेषज्ञता, नेतृत्व क्षमता, समय पर किसी कार्य को संपन्न करने की प्रतिबद्धता, व्यवस्थित तौर पर समस्या का समाधान निकालने की क्षमता और समावेशी आईसीटी विकास के लिए विनियम तैयार करने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है।

श्री देवुसिंह चौहान ने आईटीयू के लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया और प्रतिभागियों से आईटीयू परिषद के लिए भारत की उम्मीदवारी और आरआरबी के लिए सुश्री रेवती की उम्मीदवारी का समर्थन करने की अपील की।

केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान “ब्रिजिंग द डिजिटल डिवाइड” पर उच्च स्तरीय नीति सत्र, कल्याण, समावेशन और लचीलापन के लिए आईसीटी पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज बैठक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर उच्च स्तरीय वार्ता सहित कई सत्रों में भाग लिया। डिजिटल डिवाइड पर उच्च स्तरीय नीति वक्तव्य देते हुए उन्होंने भारत के सभी 6 लाख गांवों को कवर करने के लिए भारतनेट, सभी गांवों के लिए अम्ब्रेला मोबाइल कवरेज, सभी के लिए हाई स्पीड इंटरनेट एक्सेस और कई अन्य उपायों के बारे में भारत सरकार की पहल के बारे में वैश्विक मंच को अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत को सफलतापूर्वक उचित मानकों की मंजूरी मिल गई है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में 5जी के प्रसार में मदद मिलेगी।

आईसीटी और एआई पर उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान श्री देवुसिंह चौहान ने प्रतिभागियों को भरोसोमंद आईसीटी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत द्वारा की गई पहलों और एआई की क्षमता का पता लगाने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एआई की विघटनकारी प्रकृति और अर्थव्यवस्थाओं को बदलने की इसकी क्षमता को देखते हुए, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते भारत के पास एआई क्रांति में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।

डब्ल्यूएसआईएस 2022 के इतर, केंद्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने कई द्विपक्षीय बैठकें कीं और आईटीयू के उप सचिव श्री मालकॉम जॉनसन, ईरान के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री इस्सा ज़ारेपोर, जापान के नीति समन्वय उप मंत्री श्री यूजी सासाकी, आईटीयू के महासचिव श्री हाओलिन झोउ जैसे कई गणमान्य व्यक्तियों और महानुभावों से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने उन्हें विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा द स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (श्री सरदार वल्लभभाई पटेल) का एक लघु स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।

आईटीयू के महासचिव श्री हाओलिन झोउ ने आईसीटी में भारत की पहल की सराहना की। डब्ल्यूआईएसएस के अध्यक्ष प्रोफेसर ईसा अली इब्राहिम ने भारत को एक सफल केस स्टडी के रूप में दर्ज किया।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष में रैली व साइकिल रेस आयोजित

कानपुर 3 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष में एक रैली व साइकिल रेस का आयोजन कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के नेतृत्व में किया गया। प्राचार्य प्रो. सुनंदा दुबे ने हरी झंडी दिखाकर रैली का शुभारंभ किया तथा छात्राओं को अपने व्याख्यान में बताया कि यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली द्वारा हर साल 3 जून को यह दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय साइकिल दिवस घोषित किया गया था। इसका प्रस्ताव अमेरिका के मोंटगोमरी कॉलेज के प्रोफेसर लेस्जेक सिबिल्सकी ने दिया था। डॉ अर्चना दीक्षित ने बताया कि इसका उद्देश्य लोगों को साइकिल चलाने के फायदों के प्रति जागरुक करना है।साइकिल चलाना सिर्फ पर्यावरण के लिहाज से ही नहीं बल्कि हमारी सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद है। इस अवसर पर एनएसएस की वॉलिंटियर्स की सक्रिय सहभागिता सराहनीय रही।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और इजरायल के रक्षा मंत्री बेंजामिन गैंट्ज ने नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 02 जून, 2022 को नई दिल्ली में इजरायल के रक्षा मंत्री श्री बेंजामिन गैंट्ज के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक के दौरान द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और रक्षा औद्योगिक सहयोग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच मौजूदा सैन्य गतिविधियों की समीक्षा की, जोकि कोविड – 19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद बढ़ी हैं। उन्होंने भविष्य की प्रौद्योगिकियों तथा रक्षा सह-उत्पादन में अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान देने के साथ-साथ रक्षा से संबंधित सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

दोनों मंत्रियों ने पारस्परिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियों और सामरिक एवं रक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर आपसी तालमेल को रेखांकित किया। उन्होंने सभी मंचों पर सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। भारत-इजरायल रक्षा सहयोग के मौजूदा ढांचे को और अधिक मजबूत करने के इरादे से, दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग से संबंधित भारत-इजरायल विजन को अपनाया। दोनों मंत्रियों के बीच भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के संबंध में एक आशय पत्र का आदान-प्रदान भी किया गया।

इससे पहले दिन में, इज़राइल के रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा किया और स्मारक पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले उन्हें पारंपरिक रूप से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

इज़राइल के रक्षा मंत्री 02 जून, 2022 की सुबह भारत की आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से यह उनकी पहली भारत यात्रा है। रक्षा सहयोग द्विपक्षीय सहयोग के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक रहा है। इस वर्ष भारत और इज़राइल के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ है।

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प्रधानमंत्री 3 जून को उत्तर प्रदेश के दौरे पर जाएंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 3 जून, 2022 को उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री लगभग 11 बजे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ पहुंचेंगे, जहां वे यूपी इन्वेस्टर्स समिट के ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी @3.0 में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री दोपहर लगभग 1:45 बजे कानपुर के परौंख गांव पहुंचेंगे, जहां वे माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के साथ पथरी माता मंदिर के दर्शन करेंगे। इसके बाद दोपहर करीब 2 बजे वे डॉ. बी. आर. अंबेडकर भवन जाएंगे, जिसके बाद दोपहर 2:15 बजे मिलन केंद्र का दौरा करेंगे। यह केंद्र माननीय राष्ट्रपति का पैतृक घर है, जिसे सार्वजनिक उपयोग के लिए दान कर दिया गया था और एक सामुदायिक केंद्र (मिलन केंद्र) में परिवर्तित कर दिया गया था। इसके बाद वे दोपहर 2:30 बजे परौंख गांव में एक सार्वजनिक समारोह में शामिल होंगे।

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के दौरान प्रधानमंत्री 80,000 करोड़ रुपये से अधिक की 1406 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। परियोजनाओं में कृषि और संबद्ध, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, एमएसएमई, विनिर्माण, अक्षय ऊर्जा, फार्मा, पर्यटन, रक्षा एवं एयरोस्पेस, हथकरघा तथा कपड़ा आदि जैसे विविध क्षेत्र शामिल हैं। इस समारोह में देश के उद्योग जगत के दिग्गज शामिल होंगे।

21-22 फरवरी, 2018 को यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 आयोजित किया गया था, जबकि पहला ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 29 जुलाई, 2018 को और दूसरा ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 28 जुलाई, 2019 को आयोजित किया गया था। पहले ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के दौरान, 61,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 81 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया था और दूसरे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में 67,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली 290 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया।

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रक्षा मंत्रालय के लिए सरकारी ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) पर ई-सहमति मॉड्यूल शुरू किया गया

सरकार की  डिजिटल इंडिया परिकल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने जीईएम पोर्टल पर खरीद प्रस्तावों की ऑनलाइन ई-सहमति और अनुमोदन के लिए सक्षम वित्तीय अधिकारियों और आंतरिक वित्तीय सलाहकारों (आईएफए) के एकीकरण हेतु रक्षा मंत्रालय के लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)मॉड्यूल विकसित किया है। रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए), रजनीश कुमार, द्वारा1 जून, 2022 को नई दिल्ली में रक्षा लेखा विभाग मुख्यालय में सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री प्रशांत कुमार सिंह की उपस्थिति में इस एकीकरण मॉड्यूल को शुरू किया गया।

इस मॉड्यूल को पिछले एक साल के दौरान जीईएम द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें रक्षा मंत्रालय, रक्षा लेखा विभाग मुख्यालय और विभिन्न रक्षा सेवाओं के मुख्यालय और अन्य रक्षा मंत्रालय संगठनों द्वारा प्रदान किए गए बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग (बीपीआर) पर आधारित प्रक्रियात्मक इनपुट का उपयोग किया गया है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा जीईएम पोर्टल के माध्यम से खरीद वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 15,047.98 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी जो कि इसके पहले के वित्तीय वर्ष की तुलना में 250 प्रतिशत से भी अधिक है।

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राष्ट्रीय महिला आयोग ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर परामर्श का आयोजन किया

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर एक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया ताकि एनआरआई पतियों द्वारा परित्यक्त भारतीय महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिए सभी संबंधित हितधारकों को एक प्‍लेटफॉर्म पर साथ लाया जा सके और एनआरआई वैवाहिक मामलों से निपटने में आने वाली चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सके।

एनआरआई वैवाहिक मामलों में आने वाली वास्तविक चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, गैर सरकारी संगठनों और संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पुलिस, भारतीय दूतावासों/ विदेश में मिशनों, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों, राष्ट्रीय/ राज्य / जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण आदि से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। परामर्श को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था: ‘एनआरआई/ पीआईओ से विवाहित भारतीय महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं की पहचान’, ‘न्याय तक पहुंच: भारतीय न्‍याय प्रणाली में चुनौतियों का सामना’ और ‘विदेश में न्याय तक पहुंच: विदेशी न्‍याय प्रणाली में चुनौतियां’। सत्र का संचालन महिला संसाधन एवं वकालत केंद्र, चंडीगढ़ के कार्यकारी निदेशक डॉ. पाम राजपूत,  हरियाणा के डीआईजी (महिला सुरक्षा) आईपीएस सुश्री नाजनीन भसीन और एनआरआई के लिए पंजाब राज्‍य आयोग के पूर्व चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश कुमार गर्ग ने किया। एक खुली परिचर्चा के तहत विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। परिचर्चा के दौरान विभिन्न राज्यों के शिकायतकर्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। पैनलिस्टों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों में एनआरआई मामलों से निपटने वाली एजेंसियों/ पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, दूतावासों द्वारा संकटग्रस्त महिलाओं के मामले को प्राथमिकता के आधार पर उठाना, पीड़ितों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित करना और उन्हें विदेश कार्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचित करना शामिल था। विशेषज्ञों ने तलाक, भरण-पोषण, बच्‍चों की परवरिश, उत्तराधिकार आदि के मामलों से संबंधित विदेशी अदालत द्वारा पारित आदेशों के पीड़ित महिलाओं पर प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। साथ ही इस बात पर भी गौर किया गया कि भारतीय कानूनी व्‍यवस्‍था के मौजूदा प्रावधानों के तहत किस प्रकार ऐसी महिलाओं को राहत प्रदान की जा सकती है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य इस विचार-विमर्श के जरिये पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में प्रभावी कानूनी उपाय करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।

 

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