प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के बीना में 50,700 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बुंदेलखंड योद्धाओं की भूमि है। उन्होंने एक महीने के भीतर मध्य प्रदेश के सागर का दौरा करने का उल्लेख किया और इस अवसर के लिए मध्य प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने संत रविदास जी के स्मारक के शिलान्यास समारोह में भाग लेने को भी याद किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की परियोजनाएं क्षेत्र के विकास को नई ऊर्जा प्रदान करेंगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार इन परियोजनाओं पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है जो देश के कई राज्यों के बजट से भी अधिक है। उन्होंने कहा, “यह मध्य प्रदेश के लिए हमारे संकल्पों की विशालता को दिखाता है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत काल में देश के प्रत्येक नागरिक ने भारत को विकसित देश में बदलने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए आयात को कम करने पर बल दिया और बताया कि भारत पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल उत्पादों के लिए विदेशों पर निर्भर है। श्री मोदी ने बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पेट्रोकेमिकल उद्योग में आत्मनिर्भर की दिशा में एक कदम आगे होगा। प्रधानमंत्री ने पाइप, नल, फर्नीचर, पेंट, कार के पुर्जों, चिकित्सा उपकरण, पैकेजिंग सामग्री और कृषि उपकरणों जैसे प्लास्टिक उत्पादों का उदाहरण दिया और कहा कि इनके उत्पादन में पेट्रोकेमिकल्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैं आपको गारंटी देता हूं कि बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स पूरे क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देगा और विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।” उन्होंने कहा कि इससे न केवल नए उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छोटे किसानों और उद्यमियों को लाभ होगा और युवाओं के लिए हजारों अवसर भी पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने विनिर्माण क्षेत्र के महत्व के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने आज 10 नई औद्योगिक परियोजनाओं पर काम शुरू होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नर्मदापुरम, इंदौर और रतलाम की परियोजनाओं से मध्यप्रदेश के औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी, जिससे सभी को लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने किसी भी राज्य या देश के विकास के लिए शासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उस समय को याद किया जब मध्य प्रदेश को देश के सबसे दुर्बल और कमजोर राज्यों में से एक माना जाता था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दशकों तक मध्य प्रदेश में शासन किया, उनके पास अपराध और भ्रष्टाचार के अलावा देने के लिए कुछ भी नहीं था। श्री मोदी ने राज्य में अपराधियों को खुली छूट और कानून व्यवस्था में जनता के विश्वास की कमी को याद करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों ने उद्योगों को राज्य से दूर कर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने मध्य प्रदेश में पहली बार चुने जाने के बाद से स्थिति को बदलने के लिए भरसक प्रयास किए हैं। उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कानून-व्यवस्था बहाल करने और नागरिकों के मन में व्याप्त भय से छुटकारा पाने, सड़कों के निर्माण और बिजली आपूर्ति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि बेहतर कनेक्टिविटी ने राज्य में एक सकारात्मक माहौल बनाया है जहां बड़े उद्योग कारखाने स्थापित करने के लिए तैयार हैं। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि मध्य प्रदेश अगले कुछ वर्षों में औद्योगिक विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।
प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाने और ‘सबका प्रयास’ के साथ आगे बढ़ने के अपने आह्वान का जिक्र करते हुए कहा कि आज का नया भारत तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत ने गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़ दिया है और अब स्वतंत्र होने के विश्वास के साथ आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह हाल में आयोजित जी-20 में परिलक्षित हुआ जो सभी के लिए एक आंदोलन बन गया और सभी ने देश की उपलब्धियों पर गर्व महसूस किया। प्रधानमंत्री ने जी-20 की शानदार सफलता का श्रेय लोगों को दिया। उन्होंने कहा, ”यह 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है।” उन्होंने कहा कि विभिन्न शहरों में हुए कार्यक्रमों ने भारत की विविधता और क्षमताओं को दिखाया और आगंतुकों को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने खजुराहो, इंदौर और भोपाल में हुए जी-20 आयोजनों के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे विश्व की नजरों में मध्य प्रदेश की छवि बेहतर हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक और नया भारत दुनिया को एक साथ लाने और विश्वामित्र के रूप में उभरने में अपनी विशेषज्ञता दिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे संगठन हैं जो राष्ट्र और समाज को विभाजित करने पर तुले हुए हैं। प्रधानमंत्री ने हाल ही में बने गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी नीतियां भारतीय मूल्यों पर हमला करने और हजार वर्ष पुरानी विचारधारा, सिद्धांतों और परंपराओं को नष्ट करने तक सीमित हैं जो सभी को एकजुट करने का काम करती हैं। यह इंगित करते हुए कि नवगठित गठबंधन सनातन को समाप्त करना चाहता है, प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्याबाई होल्कर का उल्लेख किया जिन्होंने अपने सामाजिक कार्यों से देश की आस्था की रक्षा की, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने अंग्रेजों को चुनौती दी, महात्मा गांधी जिनका अस्पृश्यता आंदोलन भगवान श्री राम से प्रेरित था, स्वामी विवेकानंद जिन्होंने समाज की विभिन्न कुरीतियों के बारे में लोगों को जागरूक किया और लोकमान्य तिलक जिन्होंने भारत माता की रक्षा का बीड़ा उठाया और गणेश पूजा को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा।
प्रधानमंत्री ने सनातन की शक्ति का उल्लेख किया, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं को प्रेरित किया, जिसमें संत रविदास, माता शबरी और महर्षि वाल्मीकि परिलक्षित हुए। उन्होंने उन लोगों के खिलाफ चेतावनी दी जो सनातन को तोड़ना चाहते हैं जिसने भारत को एकजुट रखा है और लोगों को ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ सतर्क रहने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि सरकार देश के प्रति समर्पण और जनसेवा के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि वंचितों को प्राथमिकता देना सरकार का मूल मंत्र है जो एक संवेदनशील सरकार है। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान मदद के जन-समर्थक कदमों, 80 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन के बारे में भी बात की।
प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारा निरंतर प्रयत्न है कि मध्य प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों को छुए, मध्य प्रदेश के हर परिवार का जीवन सरल हो, हर घर में समृद्धि आए। मोदी की गारंटी का ट्रैक रिकॉर्ड आपके सामने है।” उन्होंने राज्य में निर्धनों के लिए 40 लाख पक्के मकान और शौचालय, निशुल्क इलाज, बैंक खाते और धुआं रहित रसोई की गारंटी पूरी करने की जानकारी दी। उन्होंने रक्षाबंधन के अवसर पर गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इसके कारण उज्ज्वला की लाभार्थी बहनों को अब सिलेंडर 400 रुपये सस्ता मिल रहा है।” इसलिए कल केंद्र सरकार ने एक और बड़ा निर्णय लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश की 75 लाख और बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जाएगा। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी बहन गैस कनेक्शन से वंचित न रह जाए।”
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार अपनी हर गारंटी पूरी करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। उन्होंने बिचौलिए को खत्म करने का उल्लेख किया, जिससे प्रत्येक लाभार्थी को पूर्ण लाभ सुनिश्चित हुआ और पीएम किसान सम्मान निधि का उदाहरण दिया, जहां प्रत्येक लाभार्थी किसान को सीधे उसके बैंक खाते में 28,000 रुपये मिले हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने इस योजना पर 2,60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा व्यय किये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 9 साल में किसानों की लागत घटाने और कम दाम पर खाद उपलब्ध कराने के प्रयास किए हैं और 9 साल में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा व्यय होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के किसानों के लिए जिस यूरिया की बोरी की कीमत 3000 रुपये तक है, वह भारतीय किसानों को 300 रुपये से भी कम में उपलब्ध करा दी जाती है। उन्होंने पूर्व में हुए हजारों करोड़ रुपये के यूरिया घोटालों की ओर इंगित किया और कहा कि वही यूरिया अब हर जगह आसानी से उपलब्ध है।
प्रधानमंत्री ने डबल इंजन सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड में सिंचाई परियोजनाओं पर किए गए कार्यों को रेखांकित करते हुए कहा, “बुंदेलखंड से बेहतर सिंचाई के महत्व को कौन जानता है।” प्रधानमंत्री ने केन-बेतवा लिंक नहर का उल्लेख किया और कहा कि इससे बुंदेलखंड समेत इस क्षेत्र के कई जिलों के किसानों को बहुत लाभ होगा। हर घर में नल से जल पहुंचाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि केवल 4 वर्षों में, देश भर में लगभग 10 करोड़ नए परिवारों को नल से जल की आपूर्ति की गई है, जबकि मध्य प्रदेश में 65 लाख परिवारों को नल से जल मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बुंदेलखंड में अटल भूजल योजना के तहत जल स्रोत बनाने पर भी व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने उल्लेख किया कि 5 अक्टूबर, 2023 को रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती बहुत धूमधाम से मनायी जाएगी।
संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि हमारी सरकार के प्रयासों से गरीबों, दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों को सबसे अधिक लाभ हुआ है। श्री मोदी ने कहा, “वंचितों को प्राथमिकता देने का मॉडल ‘सबका साथ सबका विकास’ आज विश्व को रास्ता दिखा रहा है।” उन्होंने रेखांकित किया कि भारत शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ”भारत को शीर्ष-3 बनाने में मध्य प्रदेश बड़ी भूमिका निभाएगा” और रेखांकित किया कि किसानों, उद्योगों और युवाओं के लिए नए अवसर सृजित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि आज की परियोजनाएं राज्य के त्वरित विकास को और गति देंगी। श्री मोदी ने कहा, “अगले 5 वर्ष मध्य प्रदेश के विकास को नई ऊंचाई तक ले जाएंगे।”
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
राज्य में औद्योगिक विकास को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करने वाले कदम में, प्रधानमंत्री ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल परिसर की आधारशिला रखी। लगभग 49,000 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाली यह अत्याधुनिक रिफाइनरी लगभग 1200 केटीपीए (किलो–टन प्रति वर्ष) एथिलीन और प्रोपलीन का उत्पादन करेगी, जो वस्त्र, पैकेजिंग और फार्मा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटक हैं। इससे देश की आयात निर्भरता कम होगी और यह प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को पूरा करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम होगा। यह मेगा परियोजना रोजगार के अवसर पैदा करेगी और इससे पेट्रोलियम क्षेत्र में डाउनस्ट्रीम उद्योगों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने दस परियोजनाओं की भी आधारशिला रखी जिनमें नर्मदापुरम जिले में ‘विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र’, इंदौर में दो आईटी पार्क, रतलाम में एक मेगा औद्योगिक पार्क और पूरे मध्य प्रदेश में छह नए औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं।
‘विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र, नर्मदापुरम’ 460 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जाएगा और यह इस क्षेत्र में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम होगा। इंदौर में लगभग 550 करोड़ की लागत से बनने वाला ‘आईटी पार्क 3 और 4‘ आईटी और आईटीईएस क्षेत्र को बढ़ावा देगा तथा यह युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों का भी सृजन करेगा।
रतलाम में मेगा औद्योगिक पार्क 460 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा और इसकी वस्त्र, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनने की परिकल्पना की गई है। यह पार्क दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ा होगा। इससे पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को काफी बढ़ावा मिलेगा, जिससे युवाओं के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
राज्य में संतुलित क्षेत्रीय विकास और समान रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छह नए औद्योगिक क्षेत्र लगभग 310 करोड़ रुपये की संचयी लागत से शाजापुर, गुना, मऊगंज, आगर मालवा, नर्मदापुरम और मक्सी में भी विकसित किए जाएंगे।
भारत और रूस समुद्री सहयोग को विस्तृत एवं व्यापक बनाने के उद्देश्य से उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) तथा पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) में संभावनाएं तलाश रहे हैं
इस अवसर पर सोनोवाल ने अपने संबोधन में कहा है कि रूस तथा भारत के बीच संबंधों की जड़ें गहरी व ऐतिहासिक हैं और यह आपसी सम्मान एवं साझा हितों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि हम सशक्त संबंध बनाए रखने और विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वचनबद्ध हैं। श्री सोनोवाल ने बताया कि रूस की सरकार के सहयोग से हमारी टीम ने मई 2023 में व्लादिवोस्तोक, वोस्तोचन, नखोदका और कोजमिनो बंदरगाहों का दौरा किया था, जिससे हमें इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के उद्देश्य से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि इन पत्तनों की यात्राओं के दौरान प्राप्त हुए सहयोग ने पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के पूर्ण पैमाने पर संचालन के लिए आवश्यकताओं की हमारी समझ में विशेष योगदान दिया है। सोनोवाल ने कहा कि चेन्नई में हमारी प्रस्तावित कार्यशाला ईएमसी के संचालन पर चर्चा करेगी और हम इस गलियारे के साथ कोकिंग कोयला, तेल तथा तरलीकृत प्राकृतिक गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं के व्यापार एवं परिवहन के लिए प्रासंगिक हितधारकों को शामिल करने की कल्पना करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमने आगामी ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस), 2023 में भाग लेने के लिए रूस को आमंत्रित किया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रूसी गणराज्य में सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास मंत्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा है कि हमने अपने सहयोगी देशों के बीच समुद्री संचार के विकास के साथ-साथ उत्तरी समुद्री मार्ग के उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की है। उन्होंने कहा है कि संपर्कों की यह गतिशीलता हमारी साझेदारी को और बेहतर करने की नींव रखने जैसा है। श्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा है कि भारत के साथ सहयोग करना हमारे मंत्रालय की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों की प्राथमिकताओं में से एक है और हम आपसी हित के सभी क्षेत्रों के लिए सुदूर पूर्व में भारतीय भागीदारों के साथ लाभप्रद संबंध विकसित करने का इरादा रखते हैं। सोनोवाल ने भारत और रूस के बीच व्यापार एवं वाणिज्य के अवसरों की तलाश के लिए अन्य वैकल्पिक मार्गों की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत बढ़ी हुई संपर्क सुविधा और व्यापार की क्षमता को पहचानते हुए उत्तरी समुद्री मार्ग के विकास के संबंध में साझेदारी करने की इच्छा रखता है। ए ओ चेकुनकोव ने व्यापार के लिए वैकल्पिक मार्गों के बारे में अपने विचार भी साझा किये। उन्होंने कहा कि हम आपके निष्कर्ष से सहमत हैं कि इस क्षेत्र का संभावित कार्गो आधार कोकिंग कोयला, तेल, एलएनजी और उर्वरक ही होगा। सुदूर पूर्व में, यह उत्पाद श्रृंखला पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और भारत के पूर्व में इसे प्राप्त करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। ए ओ चेकुनकोव ने कहा कि सुदूर पूर्वी बंदरगाहों की विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना को विस्तारित भौगोलिक दायरे में लागू किया जाना चाहिए, जिसमें प्राथमिक के अलावा अन्य क्षेत्र तथा मुख्य रूप से खाबरोवस्क का समुद्री इलाका शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हम इस वर्ष अक्टूबर में एक व्यावसायिक मिशन पर चेन्नई का दौरा करेंगे और प्रमुख रूसी निर्यातकों की भागीदारी के साथ उपरोक्त परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए भारतीय पक्ष के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद समाधान विकसित करने के उद्देश्य के साथ तैयार हैं। ए ओ चेकुनकोव ने कहा कि एनएसआर एक वैश्विक परिवहन परियोजना है और इसका विकास रूस तथा गैर-क्षेत्रीय देशों दोनों को आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह पोत निर्माण उत्पादों की बिक्री बढ़ाने और उत्तरी गोलार्ध वाले देशों में सामान्य रसद व्यवसाय में भागीदारी से आय प्राप्त करने का एक अवसर भी है।
हिंदी भाषा का महत्व
हमारा देश विविध भाषाओं वाला देश है। हर प्रांत की अपनी एक बोली है, महत्व है फिर भी हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी जगह आपसी संवाद के लिए सुगम्य है और अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है और समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक संपर्क के माध्यम के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। सुमित्रानंदन पंत ने कहा था कि “हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिसके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। “हर साल में विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन भारत में 14 सितंबर को होता है।अलग-अलग तारीखों पर हिंदी दिवस मनाने का क्या औचित्य? विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में क्या अंतर है? हालांकि दोनों का उद्देश्य हिंदी का प्रसार करना ही है फिर भी दोनों में यह अंतर क्यों? यह अंतर भौगोलिक स्तर पर है और राष्ट्रीय हिंदी दिवस भारत में हिंदी को आधिकारिक दर्जा प्राप्त होने की खुशी में मनाया जाता है तो वहीं विश्व हिंदी दिवस दुनिया में हिंदी को वही दर्जा दिलाने के प्रयास में मनाया जाता है। पहला हिंदी दिवस नागपुर में 10 जनवरी 1974 में मनाया गया था। यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्तर का था, जिसमें 30 देश के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। आजादी के बाद हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए कई बहसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राजभाषा मानने के पक्ष में नहीं थे। दक्षिणी राज्य के लोग इसे अपने साथ अन्याय मान रहे थे इसलिए हिंदी भाषा राज्यों का विरोध देखते हुए संविधान निर्माता ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया और इस तरह 1953 को राजभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया।
हालांकि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल नहीं है। राजभाषा और राष्ट्रभाषा का अंतर लोग जल्दी से समझ नहीं पाते हैं। पहला अंतर इन्हें बोलने वाली संख्या से और दूसरा अंतर इनके प्रयोग करने का है। राष्ट्रभाषा जनसाधारण की भाषा होती है और राजभाषा सरकारी कार्यालय और सरकारी कर्मियों के द्वारा उपयोग में लाई जाती है। कुछ देशों में राजभाषा और राष्ट्रभाषा एक ही है लेकिन बहुभाषी देश में राजभाषा राष्ट्रभाषा अलग-अलग होती है। राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी- “भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।”
पूरे विश्व में 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा हिंदी बोली जाती है इसके अलावा 40 देशों में 600 से अधिक विश्वविद्यालय और स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी का आता है। यूनेस्को की मान्यता वाली सात भाषाओं में एक भाषा हिंदी है। आज हिंदी भाषा इस समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अब तक यह रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियां के दैनिक कामकाज का प्रबंधन, संचालन का माध्यम अंग्रेजी है और अपनी निजी हितों को साधने के लिए सामाजिक और राजनीतिक संगठन भी हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम भी अंग्रेजी ही है। आज भी हिंदी की जागरूकता के लिए सम्मेलनों का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिल रहा है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहां विषय वस्तु निर्माण रफ्तार 19% है तो हिंदी के लिए यह आंकड़ा 94% है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये।
चूंकि बहुसंख्यक भारतीय उपभोक्ता हिंदी भाषी हैं और बाजार में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है, जिसके कारण इंटरनेट पर ज्यादातर सामग्री हिंदी में उपलब्ध करवाई जा रही है। यह भी हिंदी के विस्तार में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग 5 गुना ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। स्मार्टफोन में औसतन एप्लीकेशंस 25 प्रतिशत हिंदी में हैं। कम्प्यूटर में लिखने के लिए हिंदी के विभिन्न फॉन्ट्स तथा टूल्स विकसित किए गए हैं। स्मार्टफोन में हिंदी के कुंजीपटल उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल इंटरनेट पर सोशल मीडिया तथा अन्य ऑनलाइन सेवाओं में हिंदी लिखने के लिए किया जा सकता है।
बावजूद इसके आज सोशल मीडिया पर हिंदी का उपयोग जिस टूटे-फूटे अंदाज में किया जा रहा है, वह चिंतनीय विषय है। इससे भाषा का स्वरूप व सुंदरता ही समाप्त हो जाती है। एक समय वह था, जब स्कूली शिक्षा की शुरुआत हिंदी माध्यम से होती थी और दूसरी ओर वर्तमान की स्थिति है जहां इसकी शुरुआत अंग्रेजी से होती है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करनी चाहिए ताकि हिंदी को सेमिनार और सम्मेलनों का सहारा ना लेना पड़े।
~प्रियंका वर्मा महेश्वरी
एस एन सेन बालिका विद्यालय पी .जी .कॉलेज में प्रायोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर व्याख्यान एवं भाषण प्रतियोगिता आयोजित
कानपुर 14 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पी .जी .कॉलेज कानपुर के हिंदी विभाग ने वर्तमान में प्रायोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर एक व्याख्यान एवं भाषण प्रतियोगिता करवाई कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुमन सिंह हिंदी विभाग दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर, प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार मिश्रा ,सचिव प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ,समाजशास्त्र विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर निशि प्रकाश, प्रमुख अनुशासक कप्तान ममता अग्रवाल तथा हिंदी विभाग की प्रभारी डॉक्टर शुबा बाजपेई ने दीप प्रज्वलन कर किया। वर्तमान में भारत के अमृतकाल प्रयोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर मुख्य वक्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान विश्व श्रृंखल भारत को एक सूत्र में बांधने का कार्य भी हिंदी नहीं किया था ।विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक छोटे से कालखंड में हिंदी को जो अहर्ता और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई वह अकल्पनीय है ।महाविद्यालय की प्राचार्य जी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आज हिंदी जीवकोपार्जन से जुड़े सभी कार्य -व्यापारो के मध्य की भाषा बन गई है और यही उसकी प्रयोजनपरकता है ।वह प्रशासन, शिक्षा, उद्योग ,व्यापार विज्ञान की भाषा बन गई है। तब एक राष्ट्र ,एक भाषा की बात हो वहां हिंदी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है ।प्रबंध तंत्र समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा जी ,सचिव प्रोबीर कुमार सेन ,संयुक्त सचिव सुब्रोसेन तथा प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुमन सिंह को विघ्न विनाशक गणेश की प्रतिमा व प्रशस्ति पत्र स्मृति स्वरूप प्रदान किया ।प्रबंध तंत्र ने संयुक्त सचिव सुब्रोसेन से अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी हमारे देश की समन्वय की भाषा है और हमारी राजभाषा के सम्मान के लिए युवाओं को सक्रिय प्रयास करते रहने चाहिए। हमें अपनी हिंदी भाषा बोलने लिखने में गर्व करना चाहिए ।भाषण प्रतियोगिता के प्रतिभागी छात्राओं के नाम रेशमा ने प्रस्तुत किया जिसमें छात्राओं ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्रवक्ता गण कर्मचारी गण एवं छात्रों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक एवं प्रमाण पत्र प्रबंध समिति एवं प्राचार्या द्वारा प्रदान किए गए कार्यक्रम का संचालन विभाग की प्रभारी डॉक्टर शुबा वाजपेई ने तथा आभार ज्ञापन समाजशास्त्र विभाग की विभागा अध्यक्ष प्रोफेसर निशी प्रकाश ने किया ।प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार हैं प्रथम स्थान अंशिका दीप बी ए प्रथम वर्ष।द्वितीय स्थान हिना बानो एम ए प्रथम वर्ष। तृतीय स्थान अमृता शुक्ला एम ए प्रथम वर्ष।
Read More »क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम अयोजित
कानपुर 14 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, हिंदी अपने चरित्र में लोकतांत्रिक है. इसका लचीलापन ही इसे अन्य भाषाओं से जुड़ने में मदद करता है और वही इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह विचार युवा आलोचक जगन्नाथ दुबे ने क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हिंदी दिवस के अवसर पर बोलते हुए व्यक्त किया. क्राइस्ट चर्च कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन विभागीय पुस्तकालय “बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुस्तकालय में उत्साह से किया गया.
इस अवसर पर एक वैचारिक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया. उक्त गोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जोसेफ डेनियल ने की. मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय महाविद्यालय खैर अलीगढ़ में हिंदी के सहायक अध्यापक और चर्चित युवा आलोचक जगन्नाथ दुबे उपस्थित रहे. इस अवसर पर हिंदी के प्रखर आलोचक और हिंदी विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के एसोसिएट प्रोफ़ेसर अवधेश मिश्र ने अपने आधार वक्तव्य में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी प्रतिरोध की भाषा तो है ही साथ ही स्वतंत्रता की चेतना की वाहक भी है.
हिंदी विभाग की प्रभारी प्रोफेसर सुजाता चतुर्वेदी ने औपचारिक स्वागत भाषण देते हुए विभाग की गतिविधियों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी की उन्नति के बिना न राष्ट्र की उन्नति हो सकती है न व्यक्ति की.
प्रोफेसर डेनियल ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी विभाग को बढ़िया आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि प्रति वर्ष हिंदी दिवस के आयोजन द्वारा छात्रों में निश्चय ही हिंदी भाषा के प्रति चेतना और जागरूकता का प्रसार हो रहा है. अतः ऐसे आयोजन बहुधा होने चाहिए.
इस अवसर पर हिंदी काव्य पाठ प्रतियोगिता व स्केच प्रतियोगिता में पुरस्कृत छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किए गए.
कार्यक्रम का सफल संचालन एम.ए. हिंदी प्रथम सेमेस्टर के छात्र सहस्रांशु मिश्र द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन बी.ए. प्रथम सेमेस्टर के छात्र विख्यात दुबे द्वारा किया गया. कार्यक्रम में कॉलेज के विभिन्न विभागों के छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे.
नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता पर कैबिनेट में प्रस्ताव पारित
केंद्रीय कैबिनेट ने 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता की सराहना करते हुए एक प्रस्ताव आज अपनी बैठक में पारित किया।
कैबिनेट ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम के विभिन्न पहलुओं को तय करने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन की सराहना की। प्रधानमंत्री के जन भागीदारी वाले दृष्टिकोण ने जी20 के कार्यक्रमों और गतिविधियों में हमारे समाज के व्यापक वर्गों को शामिल किया। 60 शहरों में हुई 200 से अधिक बैठकें, जी20 के कार्यक्रमों को लेकर लोगों की एक अभूतपूर्व भागीदारी का प्रतिनिधित्व करती है। इसके फलस्वरूप, जी20 की भारतीय अध्यक्षता सच्चे अर्थों में जन-केंद्रित रही और एक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में उभरी।
कैबिनेट ने महसूस किया कि इस शिखर सम्मेलन के नतीजे परिवर्तनकारी थे और ये आने वाले दशकों में विश्व व्यवस्था को नए सिरे से आकार देने में अपना योगदान देंगे। इनमें भी सतत विकास लक्ष्यों को साकार करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार करने, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करने, हरित विकास समझौते को बढ़ावा देने और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करने पर ख़ास तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कैबिनेट ने यह भी कहा कि ऐसे समय में जब विश्व में पूर्व और पश्चिम का ध्रुवीकरण मजबूत है और उत्तर तथा दक्षिण के बीच विभाजन गहरा है, तब प्रधानमंत्री के प्रयासों ने मौजूदा वक्त के सबसे ज़रूरी मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण सहमति बनाने का काम किया।
‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत की अध्यक्षता का एक अनूठा पहलू था। इन सबके बीच एक विशेष संतुष्टि की बात यह है कि भारत की पहल के चलते अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया।
नई दिल्ली शिखर सम्मेलन ने समकालीन प्रौद्योगिकी के मामले में भारत की प्रगति और साथ-साथ हमारी विरासत, संस्कृति और परंपराओं के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया। जी20 के सदस्य देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने इसकी व्यापक तौर पर सराहना की।
अगर जी20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को ऊर्जायमान करना, विकास करने के लिए संसाधनों की ज़्यादा उपलब्धता, पर्यटन का विस्तार, वैश्विक कार्यस्थल में अवसर, मोटे अनाज के उत्पादन और खपत के जरिए मजबूत खाद्य सुरक्षा और जैव-ईंधन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आदि महत्वपूर्ण रहे, जो पूरे देश को लाभ प्रदान करेंगे।
शिखर सम्मेलन के दौरान ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा समझौते’ और ‘वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ का संपन्न होना भी बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहे।
केंद्रीय कैबिनेट ने जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता में शामिल सभी संगठनों और व्यक्तियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने उस उत्साह को मान्यता दी जिसके साथ भारत के लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी ने शिखर सम्मेलन की गतिविधियों में ज़ोर-शोर से हिस्सा लिया। कैबिनेट ने दुनिया में प्रगति और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जी20 की भारतीय अध्यक्षता को एक मजबूत दिशा देने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अनूठे नेतृत्व की भी प्रशंसा की।
वैज्ञानिक समुदाय ने भारत की तकनीकी श्रेष्ठता के सफल जी20 प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की है।
विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार और सहयोग के लिए नई दिल्ली घोषणा की सराहना की गई। जी20 शिखर सम्मेलन में अपनाई गई घोषणा में भारत की ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट मिशन’ (लाइफ) की पहल को लागू करने और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई गई। ‘हरित विकास संधि’ को अपनाकर जी20 ने सतत और हरित विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की भी पुष्टि की है।
विज्ञान सचिवों की बैठक में चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग और आदित्य-एल1 सौर मिशन के प्रक्षेपण के लिए भी इसरो की सराहना की गई।
जी20 शिखर सम्मेलन ने ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी (जीडीपीआईआर) बनाने जाने और बरकरार रखने की भारत की योजना का समर्थन किया और डब्ल्यूएचओ-प्रबंधित ढांचे के भीतर डिजिटल हेल्थ (जीआईडीएच) पर वैश्विक पहल की स्थापना का स्वागत किया।
जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मॉरीशस और यूएई के नेताओं द्वारा वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) का शुभारंभ एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। जीबीए का लक्ष्य एक उत्प्रेरक मंच के रूप में काम करना है, जो जैव ईंधन की उन्नति और व्यापक रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।
बैठक को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बेहद सफल अमेरिका यात्रा जी20 घोषणा के लिए एक उपयुक्त अग्रदूत थी।
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत “आर्टेमिस समझौते” का हस्ताक्षरकर्ता बना और भारत और अमेरिका ने 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए संयुक्त भारत-अमेरिका मिशन की घोषणा की। इसके अलावा, माइक्रोन ने 800 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की।
अपने संबोधन में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने रेखांकित किया कि जी20 नई दिल्ली घोषणापत्र में 12 से अधिक बार “डेटा” शब्द का उल्लेख किया गया है।
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को सफलता से पारित किए जाने पर भी बधाई दी गई।
संसद के पिछले मानसून सत्र के दौरान पारित एक अधिनियम द्वारा स्थापित ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ (एनआरएफ) का उद्देश्य अनुसंधान और शिक्षाविदों में संसाधनों का समान वित्तपोषण और लोकतंत्रीकरण करना है। पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के आवंटन का 70 प्रतिशत तक, यानी 36,000 करोड़ रुपये, गैर-सरकारी क्षेत्र से आएगा।
मंत्री को अनुसंधान कार्यान्वयन समिति की प्रगति के बारे में बताया गया और नियम और विनियम तैयार करने का कार्य चलने के संबंध में सूचित किया गया। विज्ञान गति मंच को भी एनआरएफ के तहत लागू किया जाएगा।
बैठक में भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेला, आईआईएसएफ 2023 की समय-सारिणी पर भी विचार-विमर्श किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है कि नौ वर्षों में स्टार्टअप की संख्या 350 से बढ़कर 1 लाख तक पहुंच चुकी है; आज भारत की यह छलांग अविश्वसनीय है
डॉ. जितेंद्र सिंह आईआईटी जम्मू में नॉर्थ टेक सिम्पोजियम 2023 को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने यह बात कही।
अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) आदि जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अपने रक्षा ढांचे को बदलने के लिए प्रौद्योगिकियों की क्षमता को पहचाना है। यह न केवल देश की क्षमता को बढ़ाता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भारत को रक्षा क्षेत्र में एक वैश्विक प्रौद्योगिकी नेता के रूप में भी स्थापित करता है।
डीएसटी द्वारा कार्यान्वित इंटर डिस्सीप्लीनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स पर राष्ट्रीय मिशन के हिस्से के रूप में विकसित या विकसित की जा रही कुछ प्रमुख प्रौद्योगिकियों का उदाहरण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईटी मद्रास में टीआईएच, अर्थात् आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन का उल्लेख किया, जो इस पर काम कर रहा है। रक्षा कर्मियों के लिए एक सुरक्षित मोबाइल फोन विकसित करना, आईआईएसईआर, पुणे में स्थापित आई-हब क्वांटम, क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है, जो परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन डिवाइस विकसित कर रहा है, आईआईटी रूड़की में टीआईएच यानी आईडीआर डूट का समर्थन करने वाला आईहब दिव्य संपर्क एमके-1, आतंकवाद निरोधी और रूम इंटरवेंशन ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की मदद के लिए भारत का पहला स्वदेशी नैनो ड्रोन, आईआईटी मंडी में टीआईएच, यानी ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआई) फाउंडेशन नेवल कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) विकसित कर रहा है, टीआईएच आईआईएससी बेंगलुरु में ऑटोमेशन सिस्टम आदि के कंट्रोल के लिए एकीकृत रोबोटिक जॉइन्ट एक्चुएटर्स का विकास किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित हो रही हैं और सैन्य अभियानों पर उनका प्रभाव बढ़ता रहेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में सैन्य श्रेष्ठता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाना और उनका उपयोग करना आवश्यक होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि 2014 से पहले देश में लगभग 350 स्टार्ट-अप थे, लेकिन पीएम मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और 2016 में स्पेशल स्टार्ट-अप स्कीम शुरू करने के ऐलान बाद इसमें भारी उछाल आया है। अब देश में 1.25 लाख से अधिक स्टार्ट-अप और 110 से अधिक यूनिकॉर्न एक्टिव हैं। मंत्री ने कहा कि बायोटेक क्षेत्र में 2014 में 50 स्टार्ट-अप थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 6,000 बायोटेक स्टार्ट-अप हो चुकी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस क्षेत्र को अतीत की बेड़ियों से मुक्त करने का साहसी निर्णय लेने के बाद ही संभव हो पाई है। कुल मिलाकर, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज लगभग 8 बिलियन डॉलर की है, जो 2040 तक बढ़कर 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, लेकिन अगर हम एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट के अनुसार चलें, तो हम 2040 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकते हैं, जो होने जा रहा है। यह एक बड़ी छलांग होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के खुलने के साथ ही देश की आम जनता चंद्रयान-3 या आदित्य जैसे मेगा अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रक्षेपण को देखने में सक्षम हुई है। बता दें कि लगभग 10,000 लोग आदित्य के प्रक्षेपण को देखने आए हैं और कुछ 1000 मीडियाकर्मी चंद्रयान-3 के दौरान वहां मौजूद थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया आज हर क्षेत्र में भारत को एक समान भागीदार के रूप में देखती है और हाल ही में दिल्ली घोषणा को अपनाने के साथ संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन इसका प्रमाण है, जिसने भारत की तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ आर्थिक ताकत को भी प्रदर्शित किया है।
डॉ. जितेंद्र ने आगे कहा, भारत की जी20 की अध्यक्षता भी चंद्रयान-3 की सफलता के साथ अंतरिक्ष में देश के गौरव के साथ मेल खाती है, जिसमें भारत का झंडा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऊंचा फहरा रहा है, और पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन कर रहा है।