इन आयोजित उद्घाटन बैठकों के माध्यम से, 14 आईपीईएफ भागीदारों ने महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं का लचीलापन, प्रतिस्पर्धा और श्रम अधिकारों को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि के लिए जोखिम पैदा करने वाले आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी और प्रतिक्रियात्मक रूप से सहयोग की सुविधा के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं और सामूहिक संकल्प की पुष्टि की।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सर्वप्रथम आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन समझौते पर अन्य आईपीईएफ भागीदार देशों के मंत्रियों के साथ नवंबर 2023 में वाशिंगटन डीसी में हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला, मजबूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाना तथा समग्र रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक विकास और प्रगति में योगदान देना है। इस समझौते की पुष्टि फरवरी 2024 में की गई थी और यह तभी से लागू है। इससे पूर्व भी श्री गोयल ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की वैश्विक उत्पादन क्षमताओं के बारे में बताया है, जो आईपीईएफ भागीदारों के लिए आपूर्ति विविधीकरण के अवसर प्रदान करते हैं।
इससे पूर्व, जून 2024 में सिंगापुर में आयोजित आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय बैठक में वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने इस पर प्रकाश डाला कि भारत अपनी कौशलयुक्त जनशक्ति, प्राकृतिक संसाधनों और नीतिगत समर्थन के साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख भागीदार बनने का लक्ष्य रखता है। सरकार की पहल समाधान और विविध एवं पूर्वानुमानित आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करना है
आपूर्ति श्रृंखला समझौते के अनुसार, आईपीईएफ भागीदारों ने तीन आपूर्ति श्रृंखला निकायों की स्थापना की – एक आपूर्ति श्रृंखला परिषद, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों और वस्तुओं के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए लक्ष्य प्राप्ति हेतु कार्रवाई-उन्मुख कार्य करेगी; एक संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क, जो सामूहिक आपातकालीन व्यवधानों के लिए प्रतिक्रिया स्वरूप एक मंच प्रदान करेगा; और एक श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड, जो क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों और कार्यबल विकास को बल प्रदान करने के लिए श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकारों को एक दिशा में लेकर आता है।
भारत ने एक लचीले आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क के महत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण के दृष्टिकोण से इसके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर हितधारकों के साथ चल रहे परामर्श पर अपने विचार साझा किए। भारत ने कौशल विकास क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस बात पर जोर दिया गया कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं में अंतराल की पहचान करना और सही कौशल सुनिश्चित करना प्राथमिकता होगी, जिसमें एक लचीले आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कार्यबल विकास और डिजिटलीकरण के लिए तकनीकी सहायता शामिल है।
बैठकों के दौरान, तीनों आपूर्ति श्रृंखला निकायों में से प्रत्येक ने एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया, जो दो वर्ष की अवधि के लिए कार्य करेंगे। निर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं:
- आपूर्ति श्रृंखला परिषद: अमेरिका (अध्यक्ष) और भारत (उपाध्यक्ष)
- संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क: कोरिया गणराज्य (अध्यक्ष) और जापान (उपाध्यक्ष)
- श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड: संयुक्त राज्य अमेरिका (अध्यक्ष) और फिजी (उपाध्यक्ष)
सप्लाई चेन काउंसिल ने संदर्भ की शर्तें अपनाईं और आरंभिक कार्य प्राथमिकताओं पर चर्चा की, जिन पर सप्लाई चेन समिट के दौरान सितंबर 2024 में वाशिंगटन, डीसी में होने वाली अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक में आगे चर्चा की जाएगी। क्राइसिस रिस्पॉन्स नेटवर्क ने निकट और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं पर चर्चा की, जिसमें टेबल टॉप अभ्यास आयोजित करना शामिल है, और सप्लाई चेन समिट के साथ-साथ अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक की योजना बनाई। श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड ने आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों को मजबूत करने की प्राथमिकताओं पर चर्चा की। यह आयोजन न केवल श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड के कार्य को आगे बढ़ाएगा, बल्कि आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते में श्रम प्रावधानों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
आईपीईएफ साझेदारों ने आपूर्ति श्रृंखला शिखर सम्मेलन के अवसर पर सितंबर 2024 में वाशिंगटन डीसी में होने वाली आगामी व्यक्तिगत बैठक के महत्व को भी रेखांकित किया।
आईपीईएफ के बारे में: आईपीईएफ की शुरुआत 23 मई 2022 को टोक्यो, जापान में की गई थी, जिसमें यह 14 देश, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं। आईपीईएफ का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव और सहयोग को मजबूत करना है। यह ढांचा व्यापार (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV) से संबंधित चार स्तंभों के आसपास संरचित है। भारत आईपीईएफ के स्तंभ II से IV में शामिल हो गया है, जबकि इसने स्तंभ- I में पर्यवेक्षक की भूमिका का निर्वाहन किया है।