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ट्राई ने ‘भारत में समुद्र के नीचे केबल बिछाने के लिये लाइसेंस देने के प्रारूप और नियामक प्रणाली’ विषयक परामर्श-प्रपत्र पर टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि बढ़ाई

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 23 दिसंबर, 2022 को लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क एंड रेगुलेटरी मैकेनिज्म फॉर सबमेरीन केबल लैंडिंग इन इंडिया (भारत में समुद्र के नीचे केबल बिछाने के लिये लाइसेंस देने के प्रारूप और नियामक प्रणाली) पर एक परामर्श-प्रपत्र जारी किया था। परामर्श-प्रपत्र में उठाये गये मुद्दों पर हितधारकों से टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि 20 जनवरी, 2023 तथा विपक्ष में टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि तीन फरवरी, 2023 निर्धारित की गई थी।

हितधारकों/संघों ने पक्ष-विपक्ष में टिप्पणियां जमा करने का समय बढ़ाने के बारे में जो आग्रह किया था, उसे ध्यान में रखते हुये यह तय किया गया कि पक्ष-विपक्ष में टिप्पणियां जमा करने की तिथि क्रमशः 10 फरवरी, 2023 और 24 फरवरी, 2023 कर दी जाये। पक्ष-विपक्ष में टिप्पणियां इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में  advbbpa@trai.gov.in पर और उसकी प्रति jtadvbbpa-1@trai.gov.in पर भेजी जा सकती हैं। आगे और स्पष्टीकरण/सूचना प्राप्त करने के लिये श्री संजय कुमार शर्मा, सलाहकार (ब्रॉडबैंड और नीति विश्लेषक), टीआरएआई से टेलीफोन नं. +91-11-23236119 पर संपर्क किया जा सकता है।

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नितिन गडकरी ने 4200 करोड़ रुपये की कुल लागत से बनाए जा रहे अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस वे की प्रगति का निरीक्षण किया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे (पैकेज 1) की प्रगति का निरीक्षण किया। ये 109 किमी लंबा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर कुल 4200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है।

ये अहमदाबाद और धोलेरा को जोड़ने तथा धोलेरा के कई विशेष निवेश क्षेत्रों को अहमदाबाद से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में कार्य करेगा। ये एक्सप्रेसवे अहमदाबाद और धोलेरा के बीच तेज गति से यात्रा को सक्षम करेगा और यात्रा के समय को लगभग 1 घंटे (वर्तमान में 2.25 घंटे से) कम कर देगा। ये धोलेरा में हवाई अड्डे के लिए सीधी कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।

ये मार्ग सरखेज को धोलेरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के माध्यम से नवगाम और धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (एसआईआर) के पास सरदार पटेल रिंग रोड से जोड़ता है। ये एक्सप्रेस-वे अहमदाबाद और धोलेरा में औद्योगिक गतिविधियों को रफ्तार देने में भी मददगार साबित होगा।

 

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प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के कलबुरगी में नवघोषित राजस्व गांवों के लगभग पचास हजार लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र (हक्कू पत्र) वितरित किए

प्रधानमंत्री मोदी ने कर्नाटक के नव-घोषित राजस्व गांवों के पात्र लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र (हक्कू पत्र) वितरित किए। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने याद किया कि जनवरी के महीने में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, देशवासियों को आजाद भारत में उनके अधिकार सुनिश्चित हुए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे पावन महीने में आज कर्नाटका की सरकार ने सामाजिक न्याय के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कर्नाटका के लाखों बंजारा साथियों के लिए बहुत बड़ा दिन है, क्योंकि अभी 50 हजार से अधिक परिवारों को पहली बार उनके घर, उनकी रिहाइश का हक मिला है, हक्कू पत्र, मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ‘टांडा’ बस्तियों में रहने वाले ऐसे परिवारों के बेटे और बेटियों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेगा और कलबुरगी, यादगिरि, रायचूर, बीदर और विजयपुरा के पांच जिलों के बंजारा समुदाय के नागरिकों को बधाई देने का अवसर है।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक सरकार द्वारा तीन हजार से अधिक टांडा बस्तियों को राजस्व गांवों के रूप में घोषित करने के महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी दी और श्री बसवराज बोम्मई जी और उनकी पूरी टीम को इस उल्लेखनीय कदम के लिए बधाई दी।

इस क्षेत्र और बंजारा समुदाय के साथ अपने लगाव को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समुदाय के लोगों ने अपने तरीके से राष्ट्रीय विकास में योगदान दिया है। उन्होंने उस अविस्मरणीय क्षण को याद किया जब लाखों बंजारा परिवार एक रैली के लिए आए थे, जिसमें प्रधानमंत्री ने 1994 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाग लिया था, और उन माताओं और बहनों को भी देखा, जिन्होंने अपने पारंपरिक परिधान में उन पर अपना आशीर्वाद बरसाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार सुशासन और सद्भावना के उस रास्ते पर चल रही है जो भगवान बसवेश्वर ने दिखाया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बसवेश्वरा ने अनुभव मंडपम जैसे मंच से सामाजिक न्याय का, लोकतंत्र का एक मॉडल दुनिया को दिया और समाज के भेद-भाव, हर ऊंच-नीच से ऊपर उठकर सबके सशक्तिकरण का मार्ग उन्होंने हमें दिखाया था। उन्होंने कहा, ‘भगवान बसवेश्वर के आदर्शों से प्रेरित होकर हम सभी के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि बंजारा समुदाय ने कठिन दिन देखे हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि वे सहजता और गरिमा के साथ जिएं। उन्होंने बंजारा समुदाय के युवाओं के लिए छात्रवृत्ति और आजीविका, पक्के घरों के रूप में मदद जैसे उपायों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि घुमंतू जीवन-शैली के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं का भी समाधान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज उठाए गए कदमों की सिफारिश 1993 में की गई थी, लेकिन वोट बैंक की राजनीति में इसमें देर हो गई। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लेकिन अब वह उदासीन माहौल बदल गया है।’

प्रधानमंत्री ने बंजारा समुदाय की माताओं से अपील करते हुए कहा, “चिंता मत करो! आपका एक बेटा दिल्ली से आप सबका ध्यान रख रहा है।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि टांडा जनजाति के आवासस्थलों को गांवों के रूप में मान्यता मिलने के बाद गांवों में बुनियादी सुविधाओं के विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि परिवार स्वतंत्र रूप से रहेंगे और उनके हक के कागजात मिलने के बाद बैंकों से ऋण लेना बहुत आसान हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार स्वामित्व योजना के माध्यम से पूरे देश में ग्रामीण घरों के लिए संपत्ति कार्ड वितरित कर रही है और अब कर्नाटक में बंजारा समुदाय भी इसका लाभ उठा सकता है। प्रधानमंत्री ने पक्के घर, शौचालय, बिजली कनेक्शन, पाइप वाले पानी के कनेक्शन और गैस कनेक्शन देने वाली पीएम आवास योजना पर प्रकाश डाला और कहा कि बंजारा समुदाय अब डबल इंजन सरकार की इन सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘झुग्गियों में रहना अब अतीत की बात हो गई है।’

प्रधानमंत्री ने बंजारा समुदाय के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा सृजित रोजगार के अवसरों के बारे में भी बताया। चाहे वनोपज हो, सूखी लकड़ी हो, शहद हो, फल हों या ऐसे ही अन्य उत्पाद हों, ये अब आय का साधन बनते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछली सरकारें केवल मुट्ठी भर वन उपज पर एमएसपी देती थीं, लेकिन आज यह संख्या 90 से अधिक हो गई है। उन्होंने कर्नाटक सरकार के उन फैसलों के बारे में भी बताया, जिससे बंजारा समुदाय को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के कई दशक बाद भी आबादी का एक बड़ा हिस्सा विकास के लाभ से वंचित था और सरकारी सहायता के दायरे से बाहर था। दलितों, वंचितों, पिछड़ों, आदिवासियों, दिव्यांगों, बच्चों और महिलाओं को पहली बार उनका हक मिल रहा है। उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं और वे तेजी से मिल रही हैं। श्री मोदी ने जोर देकर कहा, ‘हम लोगों को सशक्त बनाने के लिए एक स्पष्ट रणनीति के साथ काम कर रहे हैं।’

आयुष्मान भारत और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा ‘जब बुनियादी जरूरतें पूरी हो जाती हैं और गरिमा बहाल हो जाती है, तो नई आकांक्षाएं जन्म लेती हैं क्योंकि लोग रोजमर्रा की आकस्मिक जरूरतों से ऊपर उठते हैं और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए काम करते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जन धन खातों ने इस उपेक्षित वर्ग को वित्तीय मुख्यधारा में ला दिया है। इसी तरह, मुद्रा योजना ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बिना जमानत के लगभग 20 करोड़ ऋण सुनिश्चित किए, जिससे इन वर्गों के नए उद्यमियों को उभरने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत मुद्रा लाभार्थी महिलाएं हैं। स्वनिधि योजना में रेहड़ी-पटरी वालों को कॉलेटरल फ्री ऋण मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम ‘अवकाश’ के माध्यम से एक कदम आगे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है नए अवसरों का निर्माण और वंचित वर्गों के युवाओं को नया आत्मविश्वास देना।’

प्रधानमंत्री ने समाज में महिलाओं के कल्याण के प्रति वर्तमान सरकार की संवेदनशीलता के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि महिला कल्याण के लिए संवेदनशील हमारी सरकार आज नए-नए सेक्टर्स में उनके लिए अवसर बना रही है। जनजातीय समुदायों के कल्याण के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी कल्याण के लिए संवेदनशील हमारी सरकार आदिवासियों के योगदान, उनके गौरव को राष्ट्रीय पहचान देने का काम कर रही है। उन्होंने दिव्यांग समुदाय के विकास को सुनिश्चित करने के लिए पिछले आठ वर्षों में किए गए प्रयासों कि और भी लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि उपेक्षित वर्गों से जुड़े साथी आज पहली बार देश की अनेक संवैधानिक संस्थाओं के शीर्ष पर हैं। उन्होंने कहा कि यह वर्तमान सरकार ही थी जिसने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, ऑल इंडिया मेडिकल कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया, केंद्र सरकार के ग्रुप सी और ग्रुप डी में साक्षात्कार की बाध्यता को समाप्त किया, और स्थानीय भारतीय भाषाओं में चिकित्सा, इंजीनियरिंग और तकनीकी विषयों को पढ़ाए जाने के लिए प्रावधान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कि इन कदमों के सबसे बड़े लाभार्थी हमारे गांवों के युवा और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे समुदाय के गरीब परिवार हैं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस सरकार ने घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए एक विशेष विकास और कल्याण बोर्ड की स्थापना की है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार इन परिवारों को हर कल्याणकारी योजना से जोड़ने का काम कर रही है।’

इस बात पर जोर देते हुए कि डबल इंजन की सरकार भारत में रहने वाले हर समाज की परंपरा, संस्कृति, खान-पान और पहनावे को अपनी ताकत मानती है, प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इस शक्ति को बचाने, इसे बनाए रखने के बहुत पक्षधर हैं। “सुहाली, लम्बानी, लम्बाडा, लबाना और बाजीगर, आप जो भी नाम लें, आप सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और जीवंत हैं, देश का गौरव हैं, देश की ताकत हैं। आपका हजारों साल का इतिहास है। इस देश के विकास में आपका योगदान है।”

अंत में, प्रधानमंत्री ने गुजरात और राजस्थान के बंजारा समुदायों और जल निकायों के निर्माण में लाखा बंजारा की भूमिका को याद किया। उन्होंने उसी बंजारा समुदाय की सेवा करने में सक्षम होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावर चंद गहलोत, कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा और कर्नाटक सरकार के मंत्री भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

सरकारी योजनाओं के शत-प्रतिशत कार्यान्वयन के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, कलबुरगी, यादगिरी, रायचूर, बीदर और विजयपुरा के पांच जिलों में लगभग 1475 गैर-रिकॉर्डेड बस्तियों को नए राजस्व गांवों के रूप में घोषित किया गया है। कलबुरगी जिले के सेदम तालुका के मलखेड गांव में, प्रधानमंत्री ने इन नए घोषित राजस्व गांवों के पात्र लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र (हक्कू पत्र) वितरित किए। मुख्य रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों के पचास हजार से अधिक लाभार्थियों को उनकी भूमि के लिए मालिकाना अधिकार पत्र जारी करना, सरकार की ओर से औपचारिक मान्यता प्रदान करने का एक कदम है, जो उन्हें पेयजल, बिजली, सड़क आदि जैसी सरकारी सेवाएं प्राप्त करने के लिए पात्र बनाएगा।

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केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ़) के 18वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए

केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री नित्यानंद राय राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ़) के 18वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने उल्लेखनीय सेवाओं के लिए अलंकरण प्रदान किए और विभिन्न खेल और प्रोफेशनल प्रतियोगिताओं के विजेता यूनिट्स को पुरस्कृत किया। श्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। समारोह में NDRF के महानिदेशक श्री अतुल करवल, गृह मंत्रालय व केन्द्रीय पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी और NDRF के अधिकारियों व जवानों समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अपने सम्बोधन में श्री नित्यानंद राय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में आज एनडीआरएफ आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी निस्वार्थ मानवीय सेवाओं के कारण आपदा प्रतिक्रिया और आपदा न्यूनीकरण के क्षेत्र में अपनी एक उत्कृष्ट पहचान बना चुका है और निरंतर नई ऊॅचाईयों को हासिल कर रहा है। उन्होंने कहा कि NDRF द्वारा अब तक 8,500 से ज्यादा बचाव अभियानों के दौरान लगभग 1.5 लाख से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है तथा 7.5 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों के परिणामस्वरूप आज भारत आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काफी प्रगति कर चुका है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के सफल प्रयासों और मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के दिशानिर्देशों के सफल क्रियान्वयन से ही सम्भव हो पाया है। उन्होंने बताया कि इसी का परिणाम है कि प्रारंभ में NDRF में वाहिनियों की संख्या मात्र 8 थी, जो अब बढ़कर 16 हो गयी है। इसके साथ ही NDRF की टीमें देश के 28 शहरों में रीजनल रिस्पांस सेंटर के रूप में किसी भी आपदा में त्वरित कार्यवाही के लिए तैनात हैं।

नित्यानंद राय ने कहा कि NDRF का गठन भारत सरकार द्वारा प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए किया गया था और अपनी स्थापना से लेकर अब तक बल निरंतर राहत एवं बचाव कार्यों में संलग्न रहते हुए आपदा के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बल की कार्यकुशलता एवं अभ्यास का ही परिणाम है कि गत वर्षों में आई विभिन्न आपदाओं के दौरान होने वाले जान माल के नुकसान का प्रबंधन करने में हम और भी ज्यादा सक्षम हुए हैं। उन्होंने कहा कि NDRF देश का एकमात्र ऐसा बल है जो देश में किसी भी क्षेत्र में आपदाओं के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए बहु-कुशल बचावकर्मी, उच्च तकनीक तथा आधुनिक उपकरणों के साथ कम से कम समय में पहुँचता है। इसीलिए, सभी प्रकार की आपदाओं के लिए प्रभावी समय में अपनी विशेष प्रतिक्रिया के कारण यह बल आपदा प्रतिक्रिया का सबसे चर्चित नाम बन गया है। इमारत ढहने, बाढ़, बादल फटना, भू-स्खलन और ट्रेन दुर्घटनाओं आदि जैसी दुर्घटनाओं के दौरान NDRF द्वारा प्रदर्शित क्षमता को प्रत्येक स्तर पर सराहा गया है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में देश में आई विभिन्न आपदाओं जैसे चक्रवात और बाढ़ के समय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वयं गृह मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों के साथ आपदा से निपटने के लिए तैयारियों का जायजा लिया व भौतिक रूप से भी आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया जिससे इन आपदाओं पर काबू पाने में देश ने सफलता मिलीl उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने भी आपदा प्रबंधन के कार्यों एवं योजनाओं की समय-समय पर गहन समीक्षा की व NDRF को बहुमूल्य दिशा-निर्देश दिए। नित्यानंद राय ने कहा कि NDRF स्थानीय स्तर पर नागरिकों को बेहतर ढंग से तैयार करने हेतु विभिन्न जन-जागरूकता अभियानों और विद्यालय सुरक्षा अभियानों के माध्यम से अपना योगदान दे रहा है। NDRF ने नेहरु युवा केंद्र संगठन के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कर डिजास्टर रिस्पांस टीम विकसित करने के लिए देश के मल्टी हेज़र्ड जिलों में आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शुरू किया है और अब तक NDRF अपनी सभी बटालियनों और रीजनल रिस्पांस सेंटर में 10 हजार से अधिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कर चुका है तथा वर्ष 2024 तक 70 हजार से अधिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आपदा प्रबंधन को लेकर अत्यंत गंभीर हैं और समय-समय पर इस विषय पर आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करते हैंl इसी सन्दर्भ में, उन्होंने वर्ष 2016 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रियों के सम्मलेन में, 10 सूत्रीय एजेंडा दिए थे जो आपदा के क्षेत्र में हम सबका मार्गदर्शन कर रहे हैं। इसके साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्री के मार्गदर्शन में NDRF ने शंघाई सहयोग संगठन संयुक्त अभ्यास-2019 तथा बिम्सटेक (BIMSTEC)-2020 जैसी अंतराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन से जुडे अभ्यासों का आयोजन किया जिससे किसी भी आपदा की स्थिति को आपसी सहयोग से निपटा जा सके। उन्होंने बताया कि जनवरी 2020 में, नागपुर स्थित विश्वस्तरीय NDRF अकादमी की आधारशिला केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा रखी गयी थी जो जल्द ही तैयार हो जाएगी और इसमें न केवल भारतीय बल्कि अन्य मित्र देशों के प्रशिक्षुओं को भी उच्चस्तरीय आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।  नित्यानंद राय ने कहा कि इस वर्ष G-20 की अध्यक्षता भारत के पास है और इस बारे में आज हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि NDRF और परमाणु ऊर्जा विभाग के दिशा-निर्देशन में सभी हितधारकों को जागरूक करने का काम किया जाएगा जो विभिन्न देशों से आने वाले प्रतिनिधियों के ‘आपदा-प्रबंधन’ की देख-रेख करेंगे। उन्होंने कहा कि NDRF कर्मियों ने आपदा के समय हमारे देशवासियों के जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए बहादुरी के साथ कई चुनौतियों का सामना करते हुए कई बार अपने बहुमूल्य जीवन को खतरे में भी डाला है। यह देश उन सभी NDRF शहीदों का ऋणी है जिन्होंने आपदा के दौरान लोगों को बचाने के लिए कर्तव्य निभाते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

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महाराष्ट्र से खोजा गया नया पठार प्रजातियों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए सूचना का भंडार साबित हो सकता है

भारत की चार वैश्विक विविधता हॉटस्पॉट में से एक पश्चिमी घाट के ठाणे क्षेत्र में खोजे गए 24 अलग-अलग परिवारों के पौधों और झाड़ियों की 76 प्रजातियों वाला एक दुर्लभ कम ऊंचाई वाला बेसाल्ट पठार विविध प्रजातियों की जानकारी का भंडार साबित हो सकता है। यह प्रजातियों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने और रॉक वैश्विक संदर्भ में आउटक्रॉप्स की संरक्षण आवश्यकताओं और उनके विशाल जैव विविधता मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001WBLA.jpg पश्चिमी घाट भारत में चार वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है और पुणे में अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) एक दशक से इसकी जैव विविधता विशेष रूप से इसके रॉक आउटक्रॉप्स का अध्ययन कर रहा है। पठार पश्चिमी घाट में एक प्रमुख भूदृश्य हैं, जो स्थानिक प्रजातियों की प्रबलता के कारण महत्वपूर्ण हैं। उन्हें एक प्रकार के रॉक आउटक्रॉप के रूप में वर्गीकृत किया गया है और प्रजातियों को अनुकूल करने के लिए अद्वितीय और चुनौतीपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। इन आउटक्रॉप में मौसमी पानी की उपलब्धता, सीमित मिट्टी और पोषक तत्व होते हैं, जो उन्हें प्रजातियों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए आदर्श प्रयोगशाला बनाते हैं। पठार इस प्रकार अंतर्दृष्टि का एक मूल्यवान स्रोत है कि प्रजातियां चरम स्थितियों में कैसे जीवित रह सकती हैं। डॉ. मंदर दातार के नेतृत्व में एआरआई की टीम ने हाल ही में ठाणे जिले के मंजरे गांव में एक दुर्लभ कम ऊंचाई वाले बेसाल्ट पठार की खोज की। यह इस क्षेत्र में पहचाना जाने वाला चौथे प्रकार का पठार है। पिछले पहचाने गए तीन उच्च और निम्न ऊंचाई पर लेटराइट और उच्च ऊंचाई पर बेसाल्ट हैं। टीम ने पठार का सर्वेक्षण करते हुए 24 विभिन्न परिवारों के पौधों और झाड़ियों की 76 प्रजातियों का प्रलेखन किया। लेखकों का मानना है कि यह एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि पठार तीन अन्य रॉक आउटक्रॉप्स के साथ वनस्पति साझा करने के  साथ-साथ कुछ अनूठी प्रजातियों को भी धारण करता है। यह अलग-अलग पर्यावरणीय परिस्थितियों में प्रजातियों के इंटरएक्शन का अध्ययन करने के लिए एक अनूठी मॉडल प्रणाली देता है। स्प्रिंगर नेचर जर्नल नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस लेटर्स में हाल ही में प्रकाशित शोध पत्र ने उत्तरी पश्चिमी घाट में ठाणे जिले के मंजरे गांव में नए खोजे गए निम्न स्तरीय बेसाल्ट पठार के महत्व पर प्रकाश डाला है, जो औसत समुद्र तल से 156 मीटर ऊपर है। अधिक जानकारी के लिए डॉ. मंदर दातार (mndatar@aripune.org, 020-25325057), वैज्ञानिक, जैव विविधता और पुराजीव विज्ञान समूह तथा डॉ. पीके ढाकेफलकर, निदेशक (कार्यवाहक), एआरआई, पुणे, (director@aripune.org, 020-25325002) से संपर्क किया जा सकता है।

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उ0प्र0 अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम लि0 के पुराने वितरित ऋणों टर्मलोन, मार्जिन मनी ब्याज रहित ऋण, शैक्षिक ऋण योजनान्तर्गत वसूली का नोटिस

कानपुर नगर, दिनांक 19 जनवरी, 2023 (सू0वि0)*,
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी श्री पवन कुमार सिंह ने उ0प्र0 अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम लि0 के पुराने वितरित ऋणों टर्मलोन, मार्जिन मनी ब्याज रहित ऋण, शैक्षिक ऋण योजनान्तर्गत वसूली की कार्यवाही कराये जाने के सम्बन्ध में समस्त लाभान्वित लाभार्थियों को सूचित किया है कि जिन लाभार्थियों द्वारा ऋण की बकाया ब्याज सहित धनराशि अभी तक नही जमा की गयी है, वह लाभार्थी अपने ऋण की धनराशि तत्काल जमा कर दें। साथ ही यह भी सूचित किया है कि तहसील सदर के 04 ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने ऋण का एक भी रूपये नहीं किये हैं, वह तत्काल जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, कलेक्ट्रेट कैम्पस, नियर कोषागार, कानपुर नगर कार्यालय में सम्पर्क कर बकाया धनराशि बैंक ऑफ बड़ौदा, कानपुर नगर में खुले उ0प्र0 अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम लि0 के बैंक खाता संख्या-00500100017608 में दिनांक 25 जनवरी, 2023 तक जमाकर उसकी प्राप्ति रसीद की प्रति कार्यालय में जमा करने का कष्ट करें। आपको अन्तिम अवसर प्रदान किया जा रहा है, यदि आप द्वारा निर्धारित तिथि तक ऋण की बकाया धनराशि ब्याज सहित जमा नही की जाती है तो 10 प्रतिशत संग्रह शुल्क सहित भू राजस्व अधिनियम के अन्तर्गत वसूली की जायेगी, जिसकी सम्पूर्ण
जिम्मेदारी आपकी होगी

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समाचार कानपुर से

*11वीं की छात्रा का अपहरण कर दो दिन गैंगरेप छात्रा की मां ने बर्रा थाने में दर्ज कराई एफ आइ आर*

 

*ककवन में डबल मर्डर और डकैती के मामले में बहू पर घूम रही शक की सुई नहीं मिल रहा कोई सबूत पुलिस के हाथ खाली*
ककवन के फतेहपुर गांव में क्षेत्र पंचायत सदस्य राजकुमार के बुजुर्ग माता-पिता की हत्या कर आठ लाख की डकैती के मामले में पुलिस को बदमाशों का अब तक सुराग नहीं लग सका है पुलिस ने संदेह के घेरे में आई बहू से बुधवार को एक बार फिर पूछताछ की वहीं हिरासत में लिए गए अन्य सात संदिग्धों से भी पूछताछ कर रही है
*मोबाइल में तमंचे के साथ मिली फोटो*
सूत्रों के मुताबिक पास के गांव के एक युवक को पुलिस ने मंगलवार को पूछताछ के लिए उठाया था छानबीन के दौरान युवक के मोबाइल में उसकी तमंचे के साथ फोटो मिली है पुलिस अब उस युवक से कड़ाई से पूछताछ कर रही है बताया जा रहा है कि कुछ ग्रामीणों ने डकैती का शोर होने से कुछ देर पहले गांव से दो बाइकों को तेजी से गांव के बाहर जाते हुए देखा था अनुमान है कि घटना के बाद बदमाश बाइकों से फरार हुए पुलिस अब बाइकों की आवाज सुनने वाले ग्रामीणों से पूछताछ कर जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है

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: नर्वल तहसील भू माफिया ने बेच दी ग्राम समाज की जमीन

महराजपुर थाना क्षेत्र के डोमनपुर गाँव में ग्राम सभा की ज़मीन को दबंग माफिया में लाखों रुपए में बेचा ….

दबंग माफिया ने खुद की ज़मीन बताकर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगाया राजस्व विभाग को लाखों रुपए का चुना …

योगी सरकार में दबंग माफिया ने कर दिया राजस्व विभाग की ज़मीन के साथ खेल

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “सड़क सुरक्षा माह” कार्यक्रम के अंतर्गत “सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली” आयोजित

कानपुर 19 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “सड़क सुरक्षा माह” कार्यक्रम के अंतर्गत “सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली” का आयोजन कर विभिन्न नारों व पोस्टर के द्वारा जन-जागरूकता अभियान चला कर जनमानस को अवगत कराया गया कि यदि दो पहिया वाहन से जाए तो हेलमेट का प्रयोग जरूर करें, चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट का अवश्य प्रयोग करें। इसके साथ ही सड़क पर दर्शाए गए यातायात सुरक्षा के संकेतों का पालन करें एवं दूसरों को भी जागरूक करें। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही यातायात नियमों के साथ-साथ ड्राइविंग लाइसेंस और इंश्योरेंस की उपयोगिता के बारे में बताया।कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा के द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घर से निकलने के पूर्व अपने आपको तथा वाहन का निरीक्षण कर लें जिससे कि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। कार्यक्रम में एनएसएस वॉलिंटियर्स सौम्या उपाध्याय, दीक्षा तिवारी व फलक आदि ने सड़क सुरक्षा जागरूकता पर अपने-अपने विचारों को व्यक्त किया। मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा ने अपने व्याख्यान में सरकार के द्वारा चलाए जा रहे ने सड़क सुरक्षा कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि यातायात से संबंधित नियमों एवं सावधानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने व उसका प्रचार प्रसार करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की अत्यधिक आवश्यकता है जिससे कि सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। डॉ शिप्रा श्रीवास्तव ने छात्राओं के द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के सभी स्वयंसेवक कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि 2025 तक पूरे देश को डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क से कवर किया जाएगा जिससे ताकि प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की अधिक सटीक भविष्यवाणी की जा सके

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी त्तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमन्त्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने के लिए 2025 तक पूरे देश को डॉपलर मौसम रडार नेटवर्क के अंतर्गत ले आया जाएगा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 148वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में मुख्य भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर गर्व का अनुभव किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के अंतर्गत आईएमडी ने रडार नेटवर्क की संख्या को बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। ये 2013 के  15 से 2023 में 37 और उससे अगले 2-3 वर्षों में इनमे 25 और जुड़ जाएंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, श्री सुखविंदर सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र, श्री डी एस पांडियन, संयुक्त सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री डी एस पांडियन, वैज्ञानिक-जी एवं अध्यक्ष, आयोजन समिति श्री एस.सी. भान, हाइब्रिड मोड में इस स्थापना दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों और जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल, जो इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए थे, को सूचित किया कि आईएमडी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क को बढ़ाया है, जो प्रतिकूल  मौसम की परिस्थितियों और घटनाओं की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालयी राज्यों को 4 डॉप्लर मौसम रडार प्रणालियां (डीडब्ल्यूआरर सिस्टम) समर्पित की। उन्होंने 200 कृषि स्वचलित मौसम केंद्र (एग्रो ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन) भी राष्ट्र को समर्पित किए। मंत्री महोदय ने आईएमडी के आठ प्रकाशन भी जारी किए और स्कूली बच्चों को पुरस्कृत करने के साथ ही आईएमडी के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कार्यालयों एवं अधिकारियों को भी सम्मानित किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं के तहत 2025 तक 660 जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयां (डीएएमयू) स्थापित करने और उन्हें 2023 में 3,100 ब्लॉकों से बढ़ाकर 2025 में 7,000 ब्लॉकों तक विस्तारित करने का लक्ष्य है। मंत्री महोदय ने बताया कि विभाग की चेतावनी और सलाहकार सेवाएं किसानों एवं  मछुआरों को उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद कर रही हैं और यह  राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च) के एक नवीनतम सर्वेक्षण से भी पता चला है। उदाहरण के लिए,मानसून मिशन कार्यक्रम में किए गए निवेश के परिणामस्वरूप प्रत्येक एक रुपये के निवेश पर 50 रुपये का लाभांश मिला है। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि गरीबी रेखा से नीचे के किसानों को विशेष रूप से अत्यधिक लाभ हुआ है क्योंकि जिला और ब्लॉक स्तर पर कृषि मौसम सलाह का उपयोग करोड़ों किसानों द्वारा खेती के विभिन्न चरणों के दौरान प्रभावी ढंग से किया जाता है और अब इस  सेवा का विस्तार किया जा रहा है। आईएमडी द्वारा पिछले साल शुरू की गई वेब भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) सेवाओं को अन्य राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से खतरे और भेद्यता तत्व (हैजर्ड एंड वल्नेरेबिलिटी एलिमेंट) के साथ आगे बढ़ाया गया है, जिससे जन सामान्य, आपदा प्रबंधकों और हितधारकों को विभिन्न आपदाओं को कम करने के लिए समय पर प्रतिक्रिया कार्रवाई शुरू करने में मदद मिल रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु सेवाएं लघु एवं दीर्घकालिक योजनाओं तथा रणनीति विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और आईएमडी ने कृषि, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के पांच प्रमुख क्षेत्रों में इन सेवाओं को पहले ही शुरू कर दिया है और उनके उत्पादों के अनुकूलन के माध्यम से इनका विस्तार करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि, शीघ्र ही जलवायु उत्पादों और क्षेत्रीय अनुप्रयोगों के लिए सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से प्राथमिकता पर एक राष्ट्रीय ढांचा तैयार किया जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने मानसून और चक्रवात सहित मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए अपने ध्यानाकर्षण को लगातार पुनर्परिभाषित करने के लिए आईएमडी की इसलिए सराहना की क्योंकि हमारी सकल विकास दर (जीडीपी) अभी भी बहुत कुछ सीमा तक कृषि पर ही निर्भर है। उन्होंने संतोष के साथ कहा कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भारी वर्षा, कोहरा, लू, शीत लहर, आंधी इत्यादि  सहित विभिन्न प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की पूर्वानुमान सटीकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि मानसून का पूर्वानुमान तो हमारी खाद्य सुरक्षा की ऐसी जीवन रेखा है जिनके चलते न केवल अर्थव्यवस्था में सुधार आया है बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मानसूनी बाढ़ और सूखे के कारण होने वाले जनहानि में भी कमी आई है । डॉ जितेंद्र सिंह ने गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष रेखांकित किया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों  के पूर्वानुमान के लिए सटीकता में लगभग 20-40% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के समग्र राजकीय दृष्टिकोण से संकेत लेते हुए मौसम विभाग अन्य मौसम परिस्थितियों की भविष्यवाणी के लिए इनसैट-3डी और 3 डीआर,ओशनसैट उपग्रहों के अंतरिक्ष आधारित अवलोकनों का सर्वोत्तम उपयोग कर रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि पिछले साल शुरू किए गए रडार और उपग्रह आंकड़ा प्रसंस्करण प्रणाली ने आईएमडी की क्षमताओं को पूरी सटीकता के साथ आगे बढाने में सहायता की है। मानव जीवन पर पूर्वानुमान के प्रभाव के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अपने सटीक पूर्वानुमान और हाल के वर्षों में विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे चक्रवात, भारी वर्षा, आंधी, लू और शीत लहर की समय पर चेतावनी से होने वाली मृत्युओं को कम करने में सफल रहा है । उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं, दिशानिर्देशों तथा वर्तमान सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई मानक संचालन प्रक्रिया के अंतर्गत आपदा प्रबंधकों, जन सामान्य  और हितधारकों द्वारा की गई प्रतिक्रिया कार्रवाई के कारण चक्रवात और लू के कारण जनधन की हानि अब एकल या दोहरे अंकों में कम हो गई है। उन्होंने भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म में खतरे, भेद्यता और जोखिम मूल्यांकन पर विचार करते हुए शहर एवं जिला स्तर पर प्रभाव आधारित मौसम पूर्वानुमान और जोखिम आधारित चेतावनी शुरू करने के लिए आईएमडी की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम की निगरानी तथा पूर्वानुमान के लिए भेद्यता एटलस और वेब- जीआईएस प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आधिकारिक रूप से यह कहना अत्यधिक उपयुक्त है कि जब भारत ने 2023 में जी-20 की अध्यक्षता संभाली है, तो आईएमडी ने क्षेत्रीय और वैश्विक मौसम इको-सिस्टम पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है। उन्होंने उल्लेख किया कि आईएमडी ने मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए क्षेत्रीय केंद्रों और वैश्विक केंद्रों के रूप में कार्य करके वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मंत्री महोदय को यह जानकार प्रसन्नता हुई कि 2021 में अचानक बाढ़ पर दिशानिर्देशों (फ्लैश फ्लड गाइडेंस) की शुरुआत के बाद जल संग्रहण क्षेत्रों (वाटरशेड्स) की संख्या 2022 में 30,000 से बढ़कर 1,00,000 हो गई  और इन्हें  हमारे राष्ट्रीय उपयोग के अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका को हर 6 घंटे में उपलब्ध कराया जा रहा है I

डॉ जितेंद्र सिंह ने 148वें स्थापना दिवस के अवसर पर भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और पूरे मौसम विज्ञान समुदाय के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी ।

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डॉ जितेंद्र सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह ने संयुक्त रूप से हिमाचल प्रदेश के मुरारी देवी और जोत में दो डॉपलर मौसम राडार का उद्घाटन किया । सुखविंदर सिंह ने इस पहल के लिए मौसम विज्ञान विभाग को धन्यवाद दिया और डॉ. जितेंद्र सिंह से लाहौल-स्पीति में एक और डॉपलर मौसम राडार (डीडब्ल्यूआर) प्रणाली प्रदान करने का अनुरोध किया, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है और लगातार बादल फटने की घटनाओं से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि आज के उद्घाटन के साथ, राज्य के 70 प्रतिशत को कवर कर लिया जाएगा, लेकिन यदि लाहौल-स्पीति को डीडब्ल्यूआर दे दिया जाता है, तो उस शेष 30 प्रतिशत का ध्यान रख लिया जाएगा जिसमे न केवल बर्फ, ग्लेशियर और नदियां हैं, बल्कि जो रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं और यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को छूने वाली चीन सीमा के भी निकट है । सुखविंदर सिंह ने डॉ. जितेंद्र सिंह को बताया कि विशेषकर हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में मौसम और तापमान की सटीक भविष्यवाणी के तरीकों का पता लगाने के लिए वह शीघ्र ही उनके साथ तथा आईएमडी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के लिए दिल्ली आएंगे। डॉ. जितेंद्र सिंह और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने संयुक्त रूप से बनिहाल टॉप में 100 किलोमीटर की रेंज वाले डीडब्ल्यूआर का उद्घाटन किया। श्री सिन्हा ने कहा, यह प्रणाली कृषि और संबद्ध क्षेत्रों और पर्यटन को बढ़ाने और मदद करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी, जो अभी भी जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं

श्री सिन्हा ने कहा कि यह डीडब्ल्यूआर जम्मू और श्रीनगर दोनों क्षेत्रों के लोगों को मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा और यह नए कश्मीर के निर्माण में एक नया आयाम जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि आईएमडी के पूर्वानुमान न केवल भारत में लाखों किसानों की सहायता कर रहे हैं, बल्कि बिजली, यात्रा और पर्यटन, विमानन, रेलवे और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने संयुक्त रूप से उत्तराखंड के सुरकंडाजी में 100 किलोमीटर के क्षेत्र में डॉपलर मौसम राडार (डीडब्ल्यूआर) का उद्घाटन किया।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने अपने संबोधन में कहा कि आईएमडी ने राष्ट्रीय आर्थिक विकास में योगदान करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे बिजली, रेलवे, पर्यटन, स्वास्थ्य, शहरी ऊर्जा, पर्यावरण आदि के लिए अपनी विशेष सेवाओं को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि  ग्राम पंचायतों और गांवों तक हमारी पहुंच बढ़ाने के लिए आईएमडी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस)  और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संयुक्त सहयोगात्मक पहल के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

रविचंद्रन ने कहा कि आईएमडी को अपने नियंत्रण में सभी संसाधनों यानी उपग्रहों, रडार, कंप्यूटर, उन्नत मॉडल और निश्चित रूप से मानव संसाधन का कुशलता से उपयोग करना चाहिए और आश्वासन दिया कि सरकार सेवाओं की बेहतर डिलीवरी में विभाग को सक्षम बनाने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगी ताकि एक आम आदमी भी मौसम के अनुसार निर्णय लेने में  सक्षम हो सके । आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आईएमडी ने पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों और दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में डॉपलर राडार स्थापित करने जैसे पर्याप्त उपाय शुरू किए हैं। उन्होंने अगले 5 वर्षों के दौरान अन्य शहरों और पूर्वोत्तर भारत के  राज्यों में भी  ऐसे राडार लगाने का आश्वासन दिया।

डॉ. महापात्रा ने याद दिलाया कि जुलाई 2020 में मुंबई के लिए शुरू की गई शहरी बाढ़ चेतावनी प्रणाली ने मुंबई में भारी वर्षा की घटनाओं और बाढ़ के बेहतर प्रबंधन में सहायता की है। उन्होंने कहा की इसी तरह की व्यवस्था चेन्नई में भी लागू की गई है और इसे आने वाले वर्षों में कोलकाता, गुवाहाटी और दिल्ली तक विस्तारित किया जा रहा है क्योंकि हाल के वर्षों में आकस्मिक बाढ़ और शहरी बाढ़ ने समाज के लिए नए खतरे पैदा कर दिए हैं। वर्ष 1864 में कलकत्ता से टकराने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात और 1866 और 1871 में मोंसूँ की विफलता के बाद के अकालों की पृष्ठभूमि में 148 वर्ष पहले  15 जनवरी, 1875 को स्थापित आईएमडी के पास मौसम और जलवायु का लेखाजोखा रखने की विरासत है और यह तब से निरंतर मौसम की निगरानी और भविष्यवाणी कर रहा है। अपनी स्थापना के 148 वर्षों के दौरान, विभाग ने मौसम संबंधी खतरों के विरुद्ध भारतीय जनसंख्या की सुरक्षा और कल्याण के लिए काम किया है और देश के आर्थिक विकास में सहायता की है। यह सरकार के उन कुछ विभागों में से एक है जिनकी सेवाएं जीवन के लगभग हर पहलू और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को छूती हैं ।

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रक्षा मंत्री बेंगलुरु में 75वें सेना दिवस समारोहों के अवसर पर आयोजित ‘शौर्य संध्या’ में शामिल हुए; देश की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने और बेमिसाल बहादुरी और बलिदान के साथ समृद्ध परंपरा को बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की

भारतीय सेना के शौर्य और साहसिक पहलुओं को प्रदर्शित करते हुए, 15 जनवरी, 2023 को 75वें सेना दिवस के अवसर पर बेंगलुरु में ‘शौर्य संध्या’ का आयोजन किया गया। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, थल सेना  उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह, अन्य वरिष्ठ सैन्यकर्मी, वीरता पुरस्कार विजेताओं के परिवार, प्रसिद्ध खिलाड़ी, प्रमुख नागरिक हस्तियों, अर्धसैनिक बलों के कर्मियों, पुलिस बलों और बेंगलुरु में स्थित अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ-साथ छात्रों ने भी हिस्‍सा लिया।

रक्षा मंत्री ने सेना दिवस पर सभी कर्मियों को शुभकामनाएं देते हुए अपना संबोधन शुरू किया, इसी दिन जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के. एम. करियप्पा ने औपचारिक रूप से अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-जनरल सर फ्रांसिस बुचर से 1949 में भारतीय सेना की कमान संभाली थी और वे इस प्रकार स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ बने। श्री राजनाथ सिंह ने फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ, जो कर्नाटक से थे, ने भारतीय सेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।भारतीय सेना को मजबूत करने में योगदान दिया। उन्होंने राज्य के कई क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि भी दी, जिन्होंने विदेशी शासन से देश की आजादी सुनिश्चित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। .

श्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता के बाद से देश की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निपटने में उनके दृढ़ संकल्प को अटूट बताया। उन्‍होंने कहा, “हमारे बलों ने पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं सहित सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने बेमिसाल बहादुरी, प्रतिबद्धता और बलिदान के साथ देश की समृद्ध परंपरा को कायम रखा है।”

रक्षा मंत्री ने 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों और गलवान और तवांग में हाल की घटनाओं के दौरान सशस्त्र बलों की बहादुरी को याद किया। उन्होंने कहा कि सैनिकों की भावना और बहादुरी ने न केवल दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि सभी भारतीयों के दिलों में विश्वास बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंगों ने हमेशा समय-समय पर दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है, यह कहते हुए कि मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रबंधन में, सशस्त्र बल न केवल भारत के लिए बल्कि मित्र देशों के लिए भी एक विश्वसनीय भागीदार रहे हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अपनी मजबूत सेना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि चाहे वह वीरता, निष्ठा और अनुशासन हो या एचएडीआर में इसकी भूमिका हो, भारतीय सशस्त्र बल हमेशा देश के सबसे मजबूत और सबसे विश्वसनीय स्तंभों में से एक रहे हैं। श्री राजनाथ सिंह ने बदलते समय के साथ खुद को ढालने और खुद को बदलने की भारतीय सेना की क्षमता को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “वर्षों से, समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक- हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। सुरक्षा चुनौतियों ने भी उस परिवर्तन को देखा है। न केवल वे समय के साथ विकसित हो रहे हैं, उस परिवर्तन की गति भी तेजी से बढ़ रही है। आज पानी के अंदर ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह युग प्रौद्योगिकी युक्‍त हो गया है। नवीनतम तकनीकी प्रगति ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है।”

श्री राजनाथ सिंह ने लगातार बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने और चुनौतियों से आत्‍मविश्‍वास, धैर्य और बहादुरी से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की, उन्होंने उन्हें अपनी क्षमताओं को और विकसित करने और यूक्रेनी संघर्ष सहित हमेशा विकसित होने वाले वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य से सीखे गए सबक को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में सेना सक्रिय रूप से आधुनिकीकरण में लगी हुई है और नए विचारों, प्रौद्योगिकियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर काम कर रही है। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों, युद्ध कौशल और नीतियों पर काम करने का आग्रह किया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “प्रत्येक आज आने वाले कल का पिछला कल बन जाता है। कोई भी सेना या संगठन, जो केवल वर्तमान के अनुसार खुद को तैयार करता है, जल्द ही पुराना और अप्रभावी हो जाता है। कल, परसों और अगले 25-30 वर्षों पर काम करना अनिवार्य है। यह हमारी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। आइए हम साथ मिलकर एक विकसित और सुरक्षित भारत का निर्माण करें।”

श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और यह अब देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और एक पसंदीदा और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। उन्‍होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में, भारत ने अब तक का सर्वाधिक 83.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई इनफ्लो दर्ज किया। रक्षा मंत्री ने सेना को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों/प्रौद्योगिकियों से लैस करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सशस्त्र बल भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की, जिसने भारत की वैश्विक छवि को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में बदल दिया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ध्यान से सुना जाता है। उन्होंने यूक्रेन के संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी का उल्लेख किया, जो कि वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता और प्रभाव के कारण ही संभव हुआ है।

यह कार्यक्रम बेंगलुरु में आयोजित 75वें सेना दिवस समारोह के भाग के रूप में आयोजित किया गया था। यह पहला मौका था जब सेना दिवस को राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया गया था ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं की ‘अपनी सेना को जानने’ में भागीदारी बढ़ाई जा सके

शौर्य संध्या’ की शुरुआत मुख्य अतिथि को सलामी देने और आर्मी एडवेंचर विंग के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर-डब्ल्यूएसआई, आर्मी एविएशन हेलीकॉप्टर और माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट द्वारा सांस थमा देने वाले फ्लाई-पास्ट के साथ हुई। इसके बाद टेंट पेगिंग और सिक्स बार जंपिंग के घुड़सवारी खेलों का एक रोमांचक शो हुआ। साहसिक गतिविधियों के प्रदर्शन में सेना के बहादुरों द्वारा आर्मी एवीएशन कॉम्‍बेट डिमॉन्‍सट्रेशन एंड स्‍पेशल टीम ऑपरेशन्‍स शामिल थे। ‘नॉर्थ ईस्ट वॉरियर्स’ ने मार्शल आर्ट का विस्मयकारी प्रदर्शन किया, जबकि साहसी पैरा ट्रूपर्स ने स्काई डाइविंग के साथ सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

आर्मी सर्विस कॉर्प्स मोटरसाइकिल डिस्प्ले टीम ‘टॉरनेडोज़’ का कुशल और साहसी प्रदर्शन दर्शकों के लिए देखने लायक था, जबकि ताइक्वांडो टीम ने अपने स्टंट से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इलीट पैरा ट्रूपर्स के पैरा मोटर प्रदर्शन ने सशस्त्र बलों की अजेय भावना और अदम्य वीरता का प्रदर्शन किया। सेना के बैंड के एक प्रदर्शन ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। प्रदर्शन के बाद, रक्षा मंत्री ने वीरता पुरस्कार विजेताओं और उनके परिवारों के साथ बातचीत की और उन्हें सम्मानित किया।

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