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प्रधानमंत्री ने तुर्की में भूकंप से हुई जनहानि पर शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने तुर्की में भूकंप के कारण हुई जनहानि और सम्पत्ति को होने वाले नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

तुर्की के राष्ट्रपति के ट्वीट के प्रत्युत्तर में प्रधनमंत्री ने कहा हैः

“तुर्की में भूकंप के कारण हुई जनहानि और सम्पत्ति को होने वाले नुकसान से व्यथित हूं। शोक-संतप्त परिवारों के साथ संवेदनायें। घायलों के जल्द स्वास्थ्य-लाभ की कामना करता हूं। तुर्की के लोगों के साथ भारत एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी का सामना करने के लिये हर संभव सहायता पहुंचाने के लिये तत्पर है।”

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कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम डफरिन अस्पताल में आयोजित

कानपुर 7 फ़रवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देशानुसार महिला कल्याण विभाग कानपुर नगर द्वारा कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम डफरिन अस्पताल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान आज जन्मी बच्चियों को महिला आयोग के सदस्य पूनम कपूर एवं रंजना शुक्ला जी के द्वारा बेबी किट का वितरण करने के साथ-साथ केक काट कर बच्चों के जन्म पर हर्षोल्लास जताया गया। साथ ही बच्चियों के उज्जवल भविष्य की कामना भी की गई। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर सीमा श्रीवास्तव सोशल वर्कर मोनिका सविता एवं कविता दीक्षित, वंदना सोलंकी ,हरि शंकर जी के द्वारा सहयोग प्रदान किया गया जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री जयदीप सिंह जी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना एवं कन्या सुमंगला योजना के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने बताया इस तरह के कार्यक्रम से बच्चों को सशक्त बनाने पर सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। और आगे भी समय-समय पर महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित विशेष कार्यक्रमों का आयोजन विभाग द्वारा संचालित किया जाता रहेगा। इस कार्यक्रम का संचालन महिला शक्ति केंद्र कानपुर नगर की टीम के द्वारा किया गया।

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जिलाधिकारी द्वारा नगर निगम के डी0पी0एस0 ग्राउण्ड में प्रस्तावित फूटसल कोर्ट के विकास के संबंध में स्थलीय निरीक्षण

जिलाधिकारी विशाख जी द्वारा आज दिनांक 6 फरवरी 2023 को नवाबंगज क्षेत्र स्थित नगर निगम के डी0पी0एस0 ग्राउण्ड में प्रस्तावित फूटसल कोर्ट के विकास के संबंध में स्थलीय निरीक्षण किया गया। फुटसल खेल फीफा द्वारा मान्यता प्राप्त इनडोर फुटबॉल का रूप है (यह शब्द स्पेनिश फुटबॉल सालाश् का संकुचन है)। यह दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिनमें से प्रत्येक टीम के पास किसी भी समय पिच पर पांच खिलाड़ी होते हैं, जिसमें रोलिंग विकल्प और सॉकर की तुलना में एक छोटी गेंद होती है, जो कठिन और कम उछाल वाली होती है। जिलाधिकारी द्वारा प्रस्तावित नगर निगम मैदान का निरीक्षण कर निम्न निर्देश दिए गए:-

फुटसल कोर्ट के विकास हेतु मानचित्र को देखा गया तथा फुटसल कोर्ट को आधुनिक बनाये जाने के उद्देश्य से कोर्ट की लंबाई/चैड़ाई एवं अन्य व्यवस्थाओं के प्रतिस्थापन के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
ऽ फुटसल कोर्ट हेतु लाइट व उसकी ऊॅचाई तथा ओरिएटेशन का विशेष ध्यान दिए जाने तथा कोर्ट के दोनो तरफ सिंगल हाई मास्ट लाइट लगाये जाने के निर्देश दिए गए ताकि प्रकाश में किसी प्रकार बाधा उत्पन्न न हो।
ऽ प्रस्तावित कोर्ट में दर्शकों हेतु एलीवेटेड स्थल को भी चयनित किया जाये।
निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जी0एन0, मयंक यादव जोनल अधिकारी, दिवाकर भास्कर जोनल अभियन्ता, डा0 वी0के0 सिंह उद्यान अधिकारी, जोनल स्वच्छता अधिकारी व अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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जिले में हो रहे इन्वेस्टर समिट और कानपुर देहात महोत्सव में देश के पीएम और यूपी के सीएम की नही है जरूरत*

 

*जिले में हो रहे इन्वेस्टर समिट और कानपुर देहात महोत्सव में देश के पीएम और यूपी के सीएम की नही है जरूरत*

*इन्वेस्टर समिट कार्यक्रम और कानपुर देहात महोत्सव के सैकड़ो पोस्टरों से पीएम और सीएम की फोटो नदारद,*

*पीएम और सीएम की फोटो न होने से यूपी की राज्यमंत्री दिखी नाराज,*

*राज्यमंत्री ने डीएम की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मामले की घोर निंदा की है,*

*डीएम पर लगाया पीएम और सीएम की छवि धूमिल करने का आरोप – राज्यमंत्री*

*पीएम की महत्वकांक्षी योजना और सीएम के मंसूबों पर पानी फेरने का आरोप – राज्यमंत्री*

*जिले में करोड़ो के चंदा से शुरू इन्वेस्टर्स समिट और कानपुर देहात महोत्सव,*

*डीएम की तानाशाही और मनमानी की तस्वीर आई सामने,*

*डीएम ने देश के पीएम और यूपी के सीएम की फोटो को पोस्टरों पर लगाना नही समझा आवश्यक,*

*मामले पर डीएम ने कुछ भी बोलने से किया इनकार,*

*देश के पीएम और यूपी के सीएम की फोटो के बिना इन्वेस्टर समिट एव कानपुर देहात महोत्सव का कार्यक्रम हुआ शुरू,*

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बजट 2023-24 पर आप प्रवक्ता का बयान

भारत सरकार द्धारा पेश किया बजट 2023-24 पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता चंदेल का बयान:-
बजट 2023-24 आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ प्रवक्ता अरुण सिंह चंदेल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्धारा पेश किए गए बजट पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट केवल एक धोखा है, इसमें देश की जनता को कहीं से कोई भी लाभ नहीं मिला रहा है, लगता है कि पूर्ण रूप से पूंजीपतियों को समर्पित है, गंभीर बात है और यह बजट एक चिंता का विषय भी है।
इस बजट में जो पहले वायदे किये थे बजट में नहीं है, दो करोड़ को रोजगार देने का जो वादा किया गया था वह भी इस बजट में नहीं है। देश का सैनिक जो -20 डिग्री में रहकर देश की रक्षा करते है और अपने प्राण हाथ में लिए सीमा पर डटे रहते है, उसके फायदे के लिए भी इस बजट में कोई घोषणा नहीं की गई है। 50 एयरपोर्ट बनाने जो वादा किया गया था वह कहाँ उड़न छू हो गया। कोविड-19 झेल चूका भारत यह उम्मीद करता था कि जनता को चिकित्सीय लाभ मिलेगा लेकिन बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई। खास बात है कि रक्षाक्षेत्र, मनरेगा या खेल जगत में किसी भी तरह की बड़ी घोषणा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि देश की जनता की मूलभूत आवश्यकताओं में जो खाने-पीने के पदार्थ हैं उनमें दूध, दही, छाछ, आटा, दाल, चावल, गेहूं, जीवन रक्षक दवाओं जैसी जरूरी सामग्री पर किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी गई है तो आखिर यह बजट किस वर्ग के लिए बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट घटा दिया गया है जो अतयंत दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है ? किसानो की आत्मा को भी नहीं सुना और क़र्ज़दार बनाने के लिए 20 लाख करोड़ तक ऋण, 20 लाख क्रेडिट कार्ड (ऋण) का गाजर लटका दिया। कोई मूलभूत छूट या सुविधा नहीं दी। ऐसा न हो कि क़र्ज़ लेकर और फिर सरकारी चक्कर में फस कर आत्महत्या की तरफ न अग्रसर हो जाये किसान।

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नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जयपुर और जोधपुर को जोड़ने वाली उड़ान का उद्घाटन किया

केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज वर्चुअल माध्यम के जरिए जयपुर और जोधपुर को जोड़ने वाली एक उड़ान का उद्घाटन किया। इस दौरान नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल डॉ. विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) भी उपस्थित थे।

 विमानन कंपनी इंडिगो प्रभावी निम्नलिखित कार्यक्रम के तहत इस मार्ग पर परिचालन करेगी।

उड़ान संख्या कहां से कहां तक दिन प्रस्थान समय आगमन समय विमान प्रभावी
6E-7406 जोधपुर जयपुर सोमवार, मंगलवार, गुरुवार, शुक्रवार 09:55 10:55 एटीआर 2 अक्टूबर, 2023
6E-7131 जयपुर जोधपुर सोमवार, मंगलवार, गुरुवार, शुक्रवार 11:15 12:15 एटीआर

नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने उद्घाटन भाषण में देश के दो महत्वपूर्ण शहरों को जोड़े जाने को एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर बताया। इसके अलावा उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि कैसे यह नई कनेक्टिविटी दिल्ली-आगरा-जयपुर के पहले से स्थापित स्वर्णिम त्रिभुज पर्यटक परिपथ को और अधिक मजबूत करेगी। मंत्री ने घरेलू यातायात के मामले में विश्व में तीसरे और अंतरराष्ट्रीय व घरेलू यातायात में 7वें सबसे बड़े विमानन बाजार के रूप में भारत के उभरने का उल्लेख किया।

मंत्री ने राजस्थान में हवाई यात्रा के बुनियादी ढांचे में बढ़ोतरी का उल्लेख किया। श्री सिंधिया ने कहा कि जोधपुर में हवाई यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जल्द ही एक नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया जाएगा। 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में 500 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस टर्मिनल में एक हजार यात्रियों को संभालने और पर्यटन व स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की क्षमता होगी।

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से राजस्थान के नागरिक उड्डयन परिदृश्य में महत्वपूर्ण विकास हुए हैं। उन्होंने बताया कि किशनगढ़, बीकानेर व जैसलमेर में नए हवाई अड्डे स्थापित किए गए हैं और कोटा के लिए भी एक नए हवाई अड्डे की योजना बनाई जा रही है। श्री सिंधिया ने कहा कि बुनियादी ढांचे के अलावा विमानों की आवाजाही की संख्या में शानदार बढ़ोतरी देखने को मिली है। साल 2014 में प्रति सप्ताह यह संख्या 555 थी, जो अब लगभग तीन गुना बढ़कर 1530 हो गई है।

राज्य मंत्री जनरल डॉ. विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह कनेक्टिविटी पर्यटकों के लिए यात्रा को सुगम बनाएगी और इस क्षेत्र में व्यापार व पर्यटन को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

इस अवसर पर भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत व संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव श्री राजीव बंसल व संयुक्त सचिव श्री असंगबा चूबा एओ, इंडिगो के प्रधान सलाहकार श्री आरके सिंह के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय, राजस्थान सरकार और इंडिगो के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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जनवरी, 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कुल 1,25,992 शिकायतों का निपटारा किया गया, शिकायतों का निपटारा करने का औसत समय 19 दिन/शिकायत, केंद्रीय सचिवालय में लंबित मामलों की संख्या 67,283, जो अब तक लंबित मामलों की सबसे कम संख्या है

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने जनवरी, 2023 के लिए केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) की मासिक रिपोर्ट जारी की है, जो सार्वजनिक शिकायतों के प्रकार, श्रेणियों और निपटारे की प्रकृति का विस्तृत विश्लेषण करती है। रिपोर्ट में शिकायत निवारण तंत्र को और ज्यादा मजबूती प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम लोक शिकायत विश्लेषण और प्रबंधन पर आईआईटी कानपुर के सहयोग से डीएआरपीजी द्वारा किए गए तकनीकी अपडेट को भी शामिल किया गया है। जनवरी, 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कुल 1,25,992 शिकायतों का निपटारा किया गया, शिकायतों के निपटारे का औसत समय 19 दिन/शिकायत रहा जबकि केंद्रीय सचिवालय में लंबित मामलों की संख्या 67,283 रही, जो अब तक का सबसे कम लंबित मामला है। वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग और यूआईडीएआई शिकायतों का समय पर निपटारा और निपटारे की गुणवत्ता मामले में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष पर रहे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में प्राप्त शिकायतों में से 66 प्रतिशत शिकायतें सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से प्राप्त हुई।

जनवरी 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए डीएआरपीजी की मासिक सीपीजीआरएएमएस रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

पीजी मामले

जनवरी, 2023 में, सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर 1,23,968 पीजी मामलों प्राप्त हुए, जिनमें से 1,25,922 पीजी मामलों का निपटारा किया गया और 31 जनवरी, 2023 तक 67,283 पीजी मामले लंबित हैं। केंद्रीय सचिवालय में लंबित पीजी मामलों मामलों की संख्या दिसंबर, 2022 के अंत में 69,204 थी, जो जनवरी, 2023 के अंत में घटकर 67,283 रह गई है।

जनवरी, 2023 में, वित्तीय सेवा विभाग (बैंकिंग प्रभाग) [17,026 शिकायतें], श्रम और रोजगार मंत्रालय [11,139 शिकायतें], वित्तीय सेवा विभाग (बीमा प्रभाग) [6,429 शिकायतें] और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) [5,524 शिकायतें] को अधिकतम शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

पीजी अपील

जनवरी, 2023 में 15,398 अपीलें प्राप्त हुईं और 14,320 अपीलों का निपटारा किया गया। केंद्रीय सचिवालय में जनवरी, 2023 के अंत तक 26,306 पीजी अपील लंबित हैं।

जनवरी, 2023 के अंत तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) [3,215 अपीलें], कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय [2,076 अपील],  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग [1,088 अपील] और श्रम और रोजगार मंत्रालय [1137 अपील] में अधिकतम अपीलें लंबित हैं।

शिकायत निवारण सूचकांक

जनवरी, 2023 में समूह ए के अंतर्गत व्यय विभाग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले हैं।

जनवरी, 2023 में समूह बी अंतर्गत नीति आयोग और वित्तीय सेवा विभाग (पेंशन सुधार) शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले हैं।

लंबित मामले

24 जनवरी, 2023 तक 21 मंत्रालयों/विभागों के पास 1,000 से ज्यादा लंबित मामले हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) [7,579 शिकायतें] और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग [1,912 शिकायतें] में 30 दिनों से ज्यादा समय से लंबित शिकायतों की संख्या सबसे अधिक है।

औसत निपटारा समय

जनवरी, 2023 में सभी मंत्रालयों/विभागों में औसत शिकायत निपटारा समय 19 दिन रहा।

बीएसएनएल कॉल सेंटर से प्राप्त फिडबैक

01 जनवरी से 24 जनवरी, 2023 तक, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए बीएसएनएल कॉल सेंटर द्वारा सीधे नागरिकों से प्राप्त हुए फीडबैक में से 6,017 शिकायतों को उत्कृष्ट और बहुत अच्छी की रेटिंग प्राप्त हुई है।

ये रिपोर्ट सीपीजीआरएएमएस की 10-चरणीय सुधार प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जिन्हें डीएआरपीजी द्वारा निपटारे की गुणवत्ता में सुधार लाने और समय सीमा में कमी लाने के लिए अपनाया गया है। शिकायतों के निपटारे की गुणवत्ता में सुधार और समय सीमा में कमी लाने के लिए 10-चरणीय सीपीजीआरएएमएस सुधार प्रक्रिया अपनाई गई। 10-चरणीय सुधारों में शामिल हैं:

i. सीपीजीआरएएमएस 7.0 का सार्वभौमिकरण- अंतिम मील तक शिकायतों का स्वत: पथ निर्धारण

ii. प्रौद्योगिक संवर्द्धन- एआई/एमएल का फायदा उठाते हुए अत्यावश्यक शिकायतों का स्वत: पता लगाना

iii. भाषा अनुवाद- अंग्रेजी के साथ-साथ 22 अनुसूचित भाषाओं में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल

iv. शिकायत निवारण सूचकांक- मंत्रालयों/विभागों का उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग

v. फीडबैक कॉल सेंटर – 50-कर्मचारियों वाला कॉल सेंटर, जिसके माध्यम से शिकायतों का निपटारा होने पर प्रत्येक नागरिक से सीधे फीडबैक प्राप्त किया जाता है

vi. वन नेशन वन पोर्टल- सीपीजीआरएएमएस के साथ राज्य पोर्टल और भारत सरकार के अन्य पोर्टलों का एकीकरण

vii. समावेशिता और आउटरीच- दूरस्थ नागरिक को सीएससी के माध्यम से शिकायतें दर्ज कर उन्हें सशक्त बनाना

viii. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण- एसईवीओटीटीएएम योजना के अंतर्गत आईएसटीएम और राज्य एटीआई द्वारा संचालित, प्रभावी शिकायत समाधान को सक्षम बनाने के लिए

ix. निगरानी प्रक्रिया- केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों दोनों के लिए मासिक रिपोर्ट

x. डेटा रणनीति युनिट- व्यावहारिक डेटा विश्लेषण करने के लिए डीएआरपीजी में स्थापित

डीएआरपीजी ने भविष्य में शिकायतों का निपटारा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करने वाली अपनी योजनाओं का भी खुलासा किया है। इसके लिए डीएआरपीजी ने आईआईटी कानपुर के साथ एक साझेदारी की है और सभी मंत्रालयों/विभागों के शिकायत अधिकारियों की सुविधा के लिए इंटेलिजेंट ग्रीवांस मॉनिटरिंग डैशबोर्ड का परिचालन किया है।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने दिसंबर 2022 में संसद को अपनी 121वीं रिपोर्ट सौंपी, जिसमें विभाग द्वारा लोक शिकायतों का निपटारा करने में जवाबदेही, अपील सुविधा, अनिवार्य कार्रवाई रिपोर्ट, फीडबैक कॉल सेंटर जैसे उठाए गए 10-चरणीय सुधारों की सराहना की गई। इसके अलावा, संसदीय स्थायी समिति ने सभी अनुसूचित भाषाओं में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डीएआरपीजी के प्रयासों की भी सराहना की।

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फर्जी छात्र संख्या के बूते 10 टीचरों की लाखों सैलरी उठा रहा ये मदरसा

*फर्जी छात्र संख्या के बूते 10 टीचरों की लाखों सैलरी उठा रहा ये मदरसा!*

कानपुर 3 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, संबंधित सरकारी विभागों के ‘सहयोग’ के कारण नई सड़क स्थित मदरसा एहसानुल मदारिस कदीम के भ्रष्टाचार की महिमा अपरम्पार है। इस मदरसे में प्रबंधकों की धांधली का आलम ये है कि स्टूडेंट्स तो कुल पौने दो सौ, यानि पूरे 175 भी भर्ती नहीं हैं, लेकिन मुदर्रिसों या टीचरों की संख्या 10 है। हर एक टीचर की सरकारी सेलरी कम से कम 50 से 60 हजार रूपये है। यानि सरकार मदरसा एहसानुल मदारिस कदीम के 10 टीचरों के लिये ही हर महीने 5 से 6 लाख रूपये वेतन पर खर्च कर रही है। ऊपर से दो-दो चपरासी और प्रिंसिपल हैं। परिषदीय और बोर्ड विद्यालयों की तरह मदरसों में भी 35 से 40 बच्चों पर एक टीचर रखे जाने का प्रावधान है। इस हिसाब से तो मदरसे में कम से कम 400 छात्र होने ही चाहिये। ऐसा नहीं होने पर सरकार को मदरसे पर फिजूल खर्च बंद करने के लिये यहां शिक्षकों के 10 से घटाकर केवल 4 कर देने चाहिये। या कम से कम आधे पद खत्म कर देने चाहिये। लेकिन सूत्रों के अनुसार हो ये रहा है कि मदरसा प्रबंधक मुमताज अहमद सिद्धीकी लगातार कई सालों से अपने शिक्षक पद पूरे 10 बनाये रखने को कागजों पर फर्जी छात्र संख्या दिखा रहे हैं। यानि मदरसा एहसानुल मदारिस कदीम में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा करके सरकारी धन लूटा जा रहा है। पुष्ट सूत्रों के अनुसार मदरसे में फर्जी छात्र संख्या के अलावा टीचरों की भी फर्जी अटेंडेंस लगती है। 10 में से अधिकतम 4 या 5 शिक्षक ही किसी एक समय पर मदरसे में आते हैं। बाकी की जगह 4 से 6 हजार रूपये में स्थानीय मुदर्रिस बुलाये जाते हैं। जानकारों के अनुसार फर्जीवाड़ा हो पा रहा है जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जानबूझकर की जा रही अनदेखी से, क्योंकि इंस्पेक्शन करके वेतन का और पद सृजन या समाप्ति आदि का अनुमोदन यही कार्यालय करता है।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में संगोष्ठी के साथ सड़क सुरक्षा अभियान का समापन

कानपुर 3 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सड़क सुरक्षा अभियान का समापन आज संगोष्ठी के साथ हुआ। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि महाविद्यालय में इन सभी कार्यक्रमों हेतु एक सड़क सुरक्षा क्लब बनाया गया। जिसके तत्वाधान में विगत नवंबर, 2022 से निरंतर अनेक गतिविधियां की गई हैं। जिनमें निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, पोस्टर प्रेजेंटेशन, सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली, मानव श्रृंखला, लोगों को चौराहों पर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए यातायात के नियमों की जानकारी देना व उनके पालन के महत्व के बारे में अवगत कराना, सड़क सुरक्षा शपथ एवम् संगोष्ठी आदि प्रमुख है। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने तथा संचालन डॉ संगीता सिरोही ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ एनएसएस लक्ष्य गीत “उठे समाज के लिए उठें, उठें” से हुआ। तदुप्रांत प्राचार्या जी ने अपने उद्बोधन में सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित विभिन्न आंकड़ों और संदर्भों जैसे कल ही कानपुर में फतेहपुर से आ रही श्रद्धालुओं की ट्रॉली पलटने से हुई भीषण दुर्घटना आदि के माध्यम से छात्राओं को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने व समाज में इसके बारे में प्रचार-प्रसार करने का आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद अवश्य करें ताकि समय से लोगों की जान बचाई जा सके। कार्यक्रम को सफल बनाने में वनस्पति विज्ञान विज्ञान विभाग से असि. प्रो. डॉ पारुल, अर्थशास्त्र विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ साधना सिंह, भूगोल विभाग से असि प्रो डॉ श्वेता, गृह विज्ञान विभाग से लैब असिस्टेंट कु. अनुराधा तथा एनएसएस लिपिक आकांक्षा अस्थाना आदि की सक्रिय भूमिका रही। इस अवसर पर सभी छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया

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सरकार 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए बजट अनुमान को प्राप्त करने की राह पर

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि सरकार द्वारा परिकल्पित  राजकोषीय राह के अनुरूप केन्द्र सरकार के जीडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे में क्रमिक गिरावट, पिछले दो वर्षों में राजस्व संग्रह में वृद्धि के माध्यम से सावधानीपूर्वक किए गए राजकोषीय प्रबंधन का परिणाम है।

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सर्वेक्षण के मुताबिक, राजकोषीय घाटे का वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी के 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। परंपरागत बजट अनुमानों ने वैश्विक अनिश्चितताओं के दौरान एक बफर प्रदान किया। आर्थिक गतिविधियों में यह सुधार राजस्व में उछाल और बजट में व्यापक आर्थिक परिवर्तनों की परंपरागत धारणाओं के कारण राजकोषीय प्रदर्शन में यह लचीलापन आया है।

सकल कर राजस्व

सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रैल से नवंबर 2022 तक सकल कर राजस्व में वर्ष दर वर्ष आधार पर 15.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और राज्यों को निर्धारण करने के बाद केन्द्र के सकल कर राजस्व में वर्ष दर वर्ष आधार पर 7.9 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। जीएसटी की प्रस्तुति और आर्थिक लेन-देन के डिजिटलीकरण जैसे अवसंरचनागत सुधारों ने अर्थव्यवस्था को व्यापक स्तर पर ले जाने और इस प्रकार से सकल कर और कर अनुपालन को विस्तारित किया है। इस प्रकार से राजस्व में जीडीपी में वृद्धि की तुलना में अधिक गति के साथ वृद्धि हुई है।

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में प्रत्यक्ष कर में कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आय कर वृद्धि के कारण वर्ष दर वर्ष आधार पर 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023 के पहले आठ महीनों के दौरान प्रमुख प्रत्यक्ष करों में देखी गई वृद्धि दर उनके दीर्घावधि औसत की तुलना में काफी अधिक थी।

सर्वेक्षण के अनुसार उच्च आयात के कारण अप्रैल से नवंबर 2022 तक सीमा शुल्क संग्रह में वर्ष दर वर्ष आधार पर 12.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष दर वर्ष आधार पर अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह में 20.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

जबरदस्त जीएसटी संग्रह

सर्वेक्षण के मुताबिक 2022 में जीएसटी करदाताओं की संख्या 70 लाख से दोगुना होकर 1.4 करोड़ पर पहुंच गई है। इस प्रकार से, इसमें 1.5 लाख करोड़ के औसत मासिक संग्रह के साथ वर्ष दर वर्ष आधार पर 24.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। समीक्षा के अनुसार तेजी से हुई यह आर्थिक रिकवरी हाल ही में किए गए कई प्रणालीगत परिवर्तनों जीएसटी चोरी करने वालों और फर्जी बिलों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के साथ असंगत कर संरचना को सही करने के लिए किए गए विभिन्न तर्कसंगत उपायों के संयुक्त प्रभावों के कारण हुआ है।

विनिवेश

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान वैश्विक महामारी से उत्पन्न अनिश्चितता, भू-राजनीतिक संघर्ष और संबंधित जोखिमों ने सरकार की विनिवेश लेनदेन संबंधी योजनाओं और संभावनाओं के समक्ष चुनौतियां पेश की हैं फिर भी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 में 65,000 करोड़ रुपये की बजट राशि में से 18 जनवरी, 2023 तक 48 प्रतिशत संग्रह किया गया है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार ने नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति और आस्ति मुद्रीकरण रणनीति को लागू करके सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और रणनीतिक विनिवेश के प्रति पुनः अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की है।

पूंजीगत व्‍यय

सर्वेक्षण के अनुसार केन्‍द्र सरकार ने वित्‍त वर्ष 2022 पीए में पूंजीगत व्‍यय में जीडीपी के औसतन 2.5 प्रतिशत की निरंतर दीर्घकालिक वृद्धि की है। वित्‍त वर्ष 2023 में इसे सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के 2.9 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्‍य रखा गया है, जो पिछले वर्षों के दौरान राजकीय व्‍यय की गुणवत्‍ता में सुधार पर प्रकाश डालता है।

सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि वित्‍त वर्ष 23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्‍यय का लक्ष्‍य रखा गया था, जिसमें अप्रैल से नवंबर 2022 के दौरान 59.6 प्रशितत से अधिक खर्च किया जा चुका है। इस अवधि के दौरान पूंजीगत व्‍यय में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जो वित्‍त वर्ष 2016 से वित्‍त वर्ष 2020 की इसी अवधि में दर्ज की गई 13.5 प्रतिशत की दीर्घकालिक औसत वृद्धि की तुलना में बहुत अधिक है। वित्‍त वर्ष 2022 में सड़क परिवहन और राजमार्गों को 1.5 लाख करोड़ रुपये, रेलवे को 1.2 लाख रुपये, रक्षा क्षेत्र को 0.7 लाख करोड़ रुपये और दूरसंचार क्षेत्र को 0.3 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए। इसे एक चक्रीय वित्‍तीय उपकरण के प्रतिस्‍थापन के रूप में लिया गया है, जो सकल मांग को बढ़ाने के साथ ही रोजगार सृजन करेगा और अन्‍य क्षेत्रों को बढ़ावा देगा।

सभी दिशाओं में कैपेक्‍स को बढ़ाने पर जोर देने के लिए केन्‍द्र ने लम्‍बी अवधि के ब्‍याज मुक्‍त ऋण और कैपेक्‍स से जुड़े अतिरिक्‍त उधार प्रावधानों के रूप में राज्‍यों के पूंजीगत व्‍यय को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्‍साहनों की घोषणा की।

राजस्‍व व्‍यय

केन्‍द्र सरकार के राजस्‍व व्‍यय वित्‍त वर्ष 2021 में जीडीपी के 15.6 प्रतिशत से घटाकर वित्‍त वर्ष 2022 के अनुमानित वास्‍तविक (पीए) में जीडीपी का 13.5 प्रतिशत कर दिया गया था। अनुदान सहायता (सब्सिडी) व्‍यय में कमी के कारण इसे वित्‍त वर्ष 2021 में जीडीपी के 3.6 प्रतिशत से घटाकर वित्‍त वर्ष 2022 के अनुमानित वास्‍तविक में जीडीपी का 1.9 प्रतिशत कर दिया गया है। इसको आगे वित्‍त वर्ष 2023 में जीडीपी के 1.2 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्‍य रखा गया है। हालांकि, भू-राजनीतिक संघर्ष के आकस्मिक प्रकोप के परिणामस्‍वरूप खाद्य, उर्वरक और ईंधन के लिए उच्‍च अंतर्राष्‍ट्रीय कीमतें बढ़ी, जिसके चलते अप्रैल से नवम्‍बर 22 तक सब्सिडी पर बजटीय व्‍यय का लगभग 94.7 प्रतिशत उपयोग कर लिया गया है। परिणामस्‍वरूप अप्रैल से नवम्‍बर 2022 तक राजस्‍व व्‍यय में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज की गई वृद्धि से अधिक है।

वैश्विक महामारी फैलने के बाद प्राप्तियों के अनुपात में ब्‍याज का भुगतान बढ़ गया, तथापि मध्‍यम अवधि में जैसे-जैसे हम राजकोषीय राह पर आगे बढ़ेंगे, राजस्‍व में वृद्धि, तीव्र आस्ति मुद्रीकरण, दक्षता लाभ और निजीकरण से सार्वजनिक ऋण का भुगतान करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार ब्‍याज भुगतान में कमी आएगी और अन्‍य प्राथमिकताओं के लिए अधिक धन जारी होगा।

राज्य सरकारों के वित्त पर एक नजर

राज्यों का सकल वित्तीय घाटा (जीएफडी), जो वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी के 4.1 प्रतिशत तक बढ़ गया था, को वित्त वर्ष 2022 पीए में 2.8 तक नीचे लाया गया। भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को देखते हुए, राज्यों के लिए कुल जीएफडी-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2023 के लिए 3.4 प्रतिशत बजट में प्रावधान किया गया। हालांकि अप्रैल-नवंबर 2022 से 27 बड़े राज्यों का कुल कर्ज, इस वर्ष के कुल बजट कर्ज के 33.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले तीन वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि राज्यों ने कर्ज सीमा का उपयोग नहीं किया है।

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वित्त वर्ष 2022 पीए में राज्यों के लिए पूंजीगत आवंटन 31.7 प्रतिशत तक बढ़ गया। यह वृद्धि कुल राजस्व के बढ़ने तथा केंद्र द्वारा राज्यों को अग्रिम जारी भुगतान के द्वारा दिए गए समर्थन, जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान और ब्याज रहित कर के कारण संभव हुआ।

केंद्र द्वारा राज्यों को धन अंतरण

केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी का अंतरण, वित्त आयोग अनुदान, केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस) तथा अन्य धन अंतरण के साथ राज्यों को किया जाने वाला धन अंतरण वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2023 बीई के बीच बढ़ गया है। वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित आवंटन वित्त वर्ष 2023 के लिए 1.92 लाख करोड़ रुपये रहा है।

संकट के दौरान जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान

राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने नियमित जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी करने के अलावा वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के दौरान 2.69 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया और इन्हें राज्यों को जारी किया। इसके अतिरिक्त, राज्यों को उपकर भुगतान और कर किस्त की अदायगी का अग्रिम भुगतान किया गया ताकि राज्यों को धनराशि तक पहुंच पहले प्राप्त हो सके। यद्यपि राज्यों को पूरे भुगतान के लिए नवंबर 2022 तक कुल उपकर संग्रह अपर्याप्त था। लेकिन केंद्र सरकार ने शेष धनराशि अपने स्त्रोतों से संग्रह करने के बाद जारी की।

राज्यों की कर्ज सीमा में वृद्धि और सुधारों के लिए प्रोत्साहन 

महामारी की शुरुआत के बाद, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के कुल कर्ज सीमा को वित्तीय जवाबदेही कानून (एफआरएल) सीमा से ऊपर रखा है। वित्त वर्ष 2021 में जीएसडीपी के 5 प्रतिशत पर निर्धारित किया गया था, वित्त वर्ष 2022 के लिए 4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2023 के लिए जीएसडीपी के 3.5 प्रतिशत पर निर्धारित किया गया था। इसका एक हिस्सा सुधारों से जुड़ा था जैसे एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली, कारोबार करने में आसानी में सुधार करना, शहरी स्थानीय निकाय/सेवा प्रदाता सुधार, बिजली क्षेत्र के सुधार आदि को लागू किया। इस सर्वेक्षण में विभिन्न राज्यों द्वारा इन सुधारों में हुई प्रगति का वर्णन किया गया है।

राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिए केंद्र का समर्थन

वित्त 2021 और वित्त 2022 में राज्यों को क्रमशः 11,830 करोड़ रुपये और 14,186 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई। यह धनराशि ‘राज्यों को पूंजीगत निवेश के लिए विशेष सहायता योजना’ के अंतर्गत राज्य सरकारों को 50 वर्ष के ब्याज रहित ऋण के रूप में जारी की गई थी। राज्यों की पूंजीगत व्यय योजनाओं को और समर्थन देने के लिए वित्त वर्ष 2023 के दौरान इस योजना के तहत आवंटन को बढ़ाकर 1.50 लाख करोड़ रुपये किया गया।

सरकार की कर्ज रूपरेखा

आईएमएफ ने वैश्विक सरकारी कर्ज 2022 में जीडीपी के 91 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है जो महामारी पूर्व स्तर से 7.5 प्रतिशत अधिक है। इस वैश्विक पृष्ठभूमि में, केंद्र सरकार की कुल देयताएं वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी की 59.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 (पी) में 56.7 प्रतिशत रही।

आर्थिक सर्वेक्षण ने इस बात को रेखांकित किया है कि भारत की सार्वजनिक कर्ज रूपरेखा अपेक्षाकृत स्थिर रही है और इस संबंध में मौद्रिक तथा ब्याज दर को निम्न स्तर पर माना जा सकता है। मार्च 2021 के अंत तक, केंद्र सरकार की कुल देयताओं में से 95.1 प्रतिशत को घरेलू मुद्रा तथा शेष 4.9 प्रतिशत को सॉवरेन बाह्य कर्ज के रूप में परिणत किया गया, जिनसे मुद्रा जोखिम का स्तर निम्न रहा। इसके अतिरिक्त, सॉवेरन बाह्य कर्ज को पूरी तरह आधिकारिक स्त्रोतों से जुटाया गया है जो इसे अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है।

इसके अलावा, भारत का सार्वजनिक कर्ज प्राथमिक रूप से निश्चित ब्याज दरों के कारण घटा है, जिसमें मार्च 2021 के अंत तक आंतरिक कर्ज जीडीपी का केवल 1.7 प्रतिशत रहा है। इस प्रकार कर्ज धनराशि ब्याज दर के उतार-चढ़ाव के असर से बची रही।

सामान्य सरकारी वित्त का समेकन

महामारी के कारण केंद्र और राज्यों ने अतिरिक्त कर्ज लिये। जिसकी वजह से वित्त 2021 के दौरान जीडीपी के अनुपात में सामान्य सरकारी देयताओं में तेजी से वृद्धि हुई। हालांकि, यह अनुपात वित्त वर्ष 2022 (आरई) के उच्चतम स्तर से नीचे आया। जैसाकि आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सामान्य सरकारी घाटे का वित्त वर्ष 2021 की उच्चतम सीमा के बाद समेकन हुआ है।

सरकारात्मक विकास-ब्याज दर अंतर

सर्वेक्षण कहता है कि पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर जोर देने से जीडीपी विकास को प्रत्यक्ष तौर पर प्रोत्साहन मिलेगा और अप्रत्यक्ष तौर पर इसका गुणात्मक प्रभाव निजी खपत, व्यय और निजी निवेश पर पड़ेगा। जीडीपी की उच्च विकास दर मध्यम अवधि के दौरान अधिक राजस्व संग्रह को प्रोत्साहित करेगी। जिससे स्थायी राजकोषीय मार्ग सक्षम होगा। जीडीपी अनुपात के रूप में सामान्य सरकारी कर्ज मार्च 2020 के अंत के 75.7 प्रतिशत के मुकाबले महामारी वर्ष 2021 के अंत तक 89.6 प्रतिशत तक बढ़ गया। उम्मीद है कि मार्च 2022 के अंत तक यह कम होकर जीडीपी के 84.5 प्रतिशत तक रह जाएगा। पूंजीगत व्यय आधारित विकास पर जोर देने से विकास-ब्याज दर को सकारात्मक बनाये रखने में भारत को सक्षम बनायेगा। विकास-ब्याज दर सकारात्मक कर्ज स्तरों को सतत स्वरूप प्रदान करता है।

2005-2021 के दौरान विभिन्न देशों में सामान्य सरकारी कर्ज और जीडीपी के अनुपात में व्यापक बदलाव हुए हैं। भारत के लिए यह वृद्धि सामान्य रही है जो 2005 में जीडीपी के 81 प्रतिशत से 2021 में जीडीपी के 84 प्रतिशत तक रही। ऐसा पिछले 15 वर्षों में निरंतर आर्थिक विकास के कारण संभव हुआ है जिससे विकास-ब्याज दर सकारात्मक रही। जिसका प्रभाव जीडीपी स्तरों पर सरकारी कर्ज को सतत बनाये रखने पर पड़ा।

चित्र- विभिन्न देशों में 2005 से 2021 के दौरान सामान्य सरकारी ऋण और जीडीपी अनुपात की तुलनात्मक स्थिति

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