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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया प्रोडक्शन के लिए एसओपी जारी की

मीडिया प्रोडक्शन एक अत्‍यंत प्रमुख आर्थिक गतिविधि है जिसने हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में व्‍यापक योगदान दिया है। कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि मीडिया प्रोडक्शन से जुड़ी गतिविधियों में शामिल विभिन्न हितधारक अपने-अपने परिचालनों एवं गतिविधियों को फिर से शुरू/संचालित करते समय महामारी के संक्रमण को नियंत्रण में रखने के लिए निश्चित तौर पर समस्‍त उपयुक्त उपाय करें।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श से मीडिया प्रोडक्शन के लिए निवारक उपायों पर मार्गदर्शक सिद्धांतों के साथ-साथ मानक परिचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) भी तैयार की हैं, जिन्‍हें आज नई दिल्ली में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने जारी किया है। मार्गदर्शक सिद्धांतों की मुख्य बातों में सामान्य सिद्धांत शामिल हैं, जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दिए गए हैं। इनमें अन्‍य बातों के अलावा वे गैर-आवश्यक गतिविधियां शामिल हैं जिनकी अनुमति कोविड-19 से संबंधित कंटेनमेंट (सील) जोन में नहीं है। इन सिद्धांतों के तहत ज्‍यादा जोखिम वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त सावधानियां बरतनी होंगी। इसी तरह फेस कवर/मास्क पहनना होगा, बार-बार हाथ धोना पड़ेगा, हैंड सैनिटाइजर, इत्‍यादि की व्‍यवस्‍था करनी होगी और इसके साथ ही विशेषकर मीडिया प्रोडक्शन के संबंध में श्वसन से जुड़ी तहजीब या नियम-कायदों को ध्‍यान में रखना होगा।

मंत्रालय ने इस सेक्‍टर में अधिसूचित अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं या तौर-तरीकों को ध्यान में रखते हुए सामान्य एसओपी तैयार की हैं जिनमें सामाजिक या भौतिक दूरी बनाए रखना, शूट वाले स्थानों के लिए निर्दिष्‍ट प्रवेश एवं निकासी मार्गों की व्‍यवस्‍था करना, सैनिटाइजेशन, कर्मचारियों की सुरक्षा, न्यूनतम संपर्क सुनिश्चित करना और क्‍वारंटाइन/आइसोलेशन सहित गृह मंत्रालय द्वारा जारी यात्रा संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करना शामिल हैं। विशेषकर फेस मास्क के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुसार, कैमरे के सामने मौजूद अभिनेताओं को छोड़कर अन्‍य सभी कलाकारों और शूटिंग करने वाली टीम के सदस्‍यों के लिए फेस मास्क अनिवार्य किया गया है।

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भारत में कोविड-19 से एक ही दिन में अब तक सबसे अधिक 63,631 मरीज हुए ठीक

भारत में कल कोविड-19 संक्रमण के दैनिक परीक्षणों ने 10 लाख 23 हजार का नया  शिखर पार कर लिया है। इस उपलब्धि के साथ ही भारत ने पिछले 24 घंटों में अब तक एक ही दिन में सबसे अधिक 63,631 मरीजों के ठीक होने का रिकॉर्ड दर्ज करते हुए इस दिशा में एक और उपलब्धि हासिल की है।

कोविड-19 रोगियों के इस तरह अधिक संख्या में ठीक होने के साथ अस्पतालों से छुट्टी मिलने और घरों में आइसोलेशन (हल्के और मध्यम मामलों में) से उबरने से इस बीमारी से ठीक होने की दर बढ़कर 74.69% तक पहुंच गई है। इस कारण मृत्यु दर (केस फटेलिटी रेट) में भी गिरावट आई है जो आज एक नए निम्नतर स्तर 1.87% पर आ गई है।

भारत में इस बीमारी से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर इसके मौजूदा सक्रिय मामलों (6,97,330) से 15 लाख से अधिक हो गई है। कोरोना संक्रमण से ठीक होने की रिकॉर्ड दर ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि देश पर कोविड-19 का वास्तविक केसलोड यानी इसके सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आई है और वर्तमान में यह कुल पॉजिटिव मामलों में से केवल 23.43% हैं। कोविड-19 मरीजों का समय-समय पर और कुशल नैदानिक ​​उपचार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ आक्रामक तथा व्यापक स्तर पर परीक्षण,व्यापक निगरानी और संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के जरिए नए मामलों की प्रारंभिक पहचान हो जाने से इस बीमारी ठीक होने की दर में तेजी सुनिश्चित हुई है। संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में तेजी और इससे मरने वालों की संख्या में आ रही कमी से यह साफ है कि भारत के क्रमबद्ध और सक्रिय कार्यनीति ने वास्तव में नतीजे देना शुरू कर दिया है।

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देश में देखभाल के दृष्टिकोण की निरंतरता, आक्रामक तरीके से तेज परीक्षण की नीति, व्यापक तौर पर संक्रमण का पता लगाने और कुशलता से उपचार, प्रभावी निगरानी और घर-घर संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिससे कोविड-19 के संक्रमण मामलों की शीघ्र पहचान हुई है। हल्के और मध्यम मामलों में मरीजों का इलाज उनके घर पर ही उन्हें आइसोलेशन में रखकर डॉक्टरों की उचित निगरानी में किया जाता है। देखभाल के दृष्टिकोण के समग्र मानक के आधार पर मानकीकृत नैदानिक ​​प्रबंधन प्रोटोकॉल के अनुसार,गंभीर और अति गंभीर रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और उन्हें सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाती है।

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उपराष्ट्रपति ने गणेश चतुर्थी पर लोगों को बधाई दी

उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने एक संदेश में गणेश चतुर्थी पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं।

उन्होंने कहा मैं अपने देश के सभी लोगों को ‘गणेश चतुर्थी’ के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

भगवान गणेश को भगवान शिव और देवी पार्वती का छोटा पुत्र माना जाता है। गणेशजी ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्‍य के अवतार के रूप में प्रतिष्ठित हैं। हम कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश का आह्वान करके हमारे रास्‍ते में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।

गणेश चतुर्थी 10 दिन तक चलने वाला त्‍यौहार है, जो भगवान गणेश के जन्‍म का प्रतीक है। इस अवसर पर आयोजित उत्‍सवों में अक्‍सर भारी संख्‍या में लोग एकत्र होते हैं और भक्‍तों द्वारा जुलूस निकाले जाते हैं। प्रत्‍येक वर्ष लोग भगवान गणेश की सुंदर मूर्तियों को अपने घर में लाते हैं और अत्‍यंत भक्ति भाव और पवित्रता के साथ उनकी पूजा करते हैं। इस त्‍यौहार के 10वें यानी अंतिम दिन भगवान गणेशजी की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है, जो भगवान गणेश की कैलाश यात्रा का प्रतीक है।

हालांकि विशाल जुलूस और सभाएं गणेश चतुर्थी समारोहों की पहचान हैं, लेकिन इस वर्ष हमें कोविड-19 महामारी के प्रसार को देखते हुए समारोहों के आयोजन में नरमी बरतनी चाहिए। मैं देश के सभी नागरिकों से कोविड-19 शारीरिक दूरी प्रोटोकॉल का कड़ाई से अनुपालन करने और त्‍यौहार का जश्‍न मनाते हुए साफ-सफाई बनाए रखने का अनुरोध करता हूं।

यह गणेश चतुर्थी हमारे देश में शांति, सद्भाव और समृद्धि लाए। 

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बिखरती हूं जब टूट कर

हर बार टूट कर
जब बिखरती हूं,
जोड़ती हूं,
खुद को अपने ही दर्द से
और फिर मैं सजती संवरती हूं,
ऐ आईने, तब तुझे

मैं देखा करती हूं
पर पाती हूं तुझमें अपना
अधूरा अंश,धूमिल छवि और
बिखरापन,
अचंभित सी रह
जाती हूं,मैं अपने ही
भ्रमित अनगिनत
किरदारों से,
सोचती हूं,तुम क्यूं नहीं
देख पाते मेरी
खोखली हंसी के पीछे
असहनीय दर्द को
तब मैं महसूस करती हूं,
तेरी बेबसी भी
मेरी ही जैसी,
जिसे दिखाना हो
हर किरदार को
हूबहू उसके जैसा ही,
बिना अपनी प्रतिक्रिया के

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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समारोहों का उद्घाटन किया

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ की उपस्थिति में सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आईआईटी दिल्ली के वर्ष भर चलने वाले हीरक जयंती समारोहों का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने आईआईटी दिल्ली की हीरक जयंती लोगो एवं संस्थान का कार्यनीतिक दस्तावेज-‘ आईआईटी दिल्ली-2030 के लिए विजन एवं दिशा का निर्धारण‘ जारी किया।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, श्री एम वेंकैया नायडू ने आज जोर देकर कहा  कि आईआईटी एवं अन्य उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों को समाज के संगत होना चाहिए एवं जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वास्थ्य मुद्वों तक मानव जाति द्वारा सामना किए जाने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान ढूंढने पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्थान विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बीच तभी गिने जाएंगे जब वे देश द्वारा सामना किए जाने वाली समस्याओं का ईष्टतम एवं स्थायी सामधान विकसित करने के द्वारा अपने आसपास के समाजों को प्रभावित करना आरंभ कर देंगे।

ऐसी विकास एवं अनुसंधान परियोजनाओं जो समाजगत समरूाओं का समाधान ढूंढने पर फोकस करती हैं, में अधिक निवेश करने की अपील करते हुए, उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र से ऐसी परियोजनाओं की पहचान करने एवं उदारतापूर्वक उनका वित्तपोषण करने में शिक्षा क्षेत्र के साथ सहयोग करने का आग्रह किया।

उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि अनुसंधान को लोगों का जीवन आरामदायक बनाने, प्रगति में तेजी लाने एवं अधिक समान वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित करने पर फोकस करना चाहिए। इसकी अपील करते हुए आईआईटी करने वालों को किसानों एवं ग्रामीण भारत के सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, श्री नायडू ने उन्हें न केवल कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा बल्कि पोषक तत्वों एवं प्रोटीन समृद्ध खाद्य के उत्पादन पर भी विशेष रूप से फोकस करने को कहा। उन्होंने उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों को अलग अलग काम न करने अपील की और कहा कि उन्हें एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास करने के लिए उद्योग के साथ सहजीवी संबंध बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के उद्योग के विशेषज्ञों को शोधकर्ताओं को दिशानिर्देश देने के लिए संरक्षक के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के सहयोग से परियोजनाओं की फास्ट ट्रैकिंग में सहायता मिलेगी तथा परिणाम शीघ्र प्राप्त होंगे।

इस पर प्रसन्नता जताते हुए कि नई शिक्षा नीति का ध्येय भरत को एक वैश्विक अध्ययन गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना है, श्री नायडू ने बताया कि भारत के केवल आठ संस्थानों ने वैश्विक में शीर्ष 500 संस्थानों में अपनी जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बदलाव लाया जाना चाहिए तथा सभी हितधारकों-सरकारों, विश्वविद्यालयों, शिक्षाविदों एवं निजी क्षेत्र से उच्चतर अध्ययन के हमारे संस्थानों के मानकों तथा गुणवत्ता में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए सतत एवं सामूहिक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।

यह देखते हुए कि जनसांख्यिकीय लाभ एवं उच्च प्रतिभवान युवाओं की उपस्थिति के कारण विभिन्न प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों में विश्व गुरु बनने की भाारत में असीम क्षमता है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘ अभी महत्ती आवश्यकता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की है। ‘ 

आईआईटी दिल्ली के उद्यमशीलता क्षेत्र में अग्रणी रूप में उभरने की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने प्रसन्नता जताई कि आईआईटी दिल्ली जैसे संस्थान रोजगार प्रदान करने वालों का निर्माण कर रहे हैं रोजगार मांगने वालों का नहीं और इस प्रकार देश में अन्य संस्थानों के लिए मार्ग प्रदर्शक बन गये हैं।

उपराष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के लिए राष्ट्रीय समन्वयन संस्थान के लिए एक मजबूत उत्प्रेरक भूमिका निभाने के लिए आईआईटी दिल्ली की सराहना करने के द्वारा अपने भाषण का समापन किया। यूबीए के पास पहले ही 2000 से अधिक प्रतिभागी संस्थान (पीआई) हैं और इन संस्थानों ने 10,000 से अधिक गांवों को गोद लिया है।

इस अवसर पर श्री पोखरियाल ने आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समारोहों का उद्घाटन करने के लिए उपराष्ट्रपति के प्रति कृतज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है और उसका ध्येय भारतीय शिक्षा प्रणाली को हमारे देश के छात्रों के लिए सर्पाधिक उन्नत और आधुनिक बनाना है। उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा में नए अवसर अब इस नई शिक्षा नीति के परिणामस्वरूप उभरे हैं और भारत एनईपी-2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ एक वैश्विक अध्ययन गंतव्य बन जाएगा।

 आईआईटी दिल्ली को उसकी हीरक जयंती के लिए बधाई देते हुए मंत्री ने कहा कि इस संस्थान की 60 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पूरे देश के लिए महान गर्व और प्रेरणा की बात है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकीय समर्थन के जरिये कोविड-19 से लड़ने की राष्ट्रीय चुनौती को पूरा करने में आईआईटी दिल्ली का योगदान सराहनीय रहा है। विश्व की सबसे सस्ती आरटी-पीसीआर आधारित कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट के विकास से लेकर भारत और विश्व को 40 लाख से अधिक पीपीई की आपूर्ति करने में संस्थान के शोधकर्ताओं ने एक उल्लेखनीय कार्य किया है।

मंत्री को यह जान कर खुशी हुई कि आईआईटी दिल्ली संकाय एवं छात्रों द्वारा पिछले पांच वर्षों के दौरान 500 से अधिक पैटेंट दायर किए गए हैं और साथ ही इसी अवधि के दौरान समान पदस्थ समीक्षित अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में 10000 से अधिक शोध पत्र भी प्रकाशित किए गए हैं। प्रतिस्पर्धी अनुसंधान अनुदानों से आईआईटी दिल्ली शोध परियोजना वित्तपोषण भी पिछले पांच वर्षों के दौरान 2016 के प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये 4 गुना बढकर 2019 में 400 करोड़ रुपये हो़ गया है।‘

श्री पोखरियाल ने यह भी कहा कि आईआईटी दिल्ली के पास अभी तक देश में स्टार्ट अप्स के लिए सर्वश्रेष्ठ परितंत्र है। मैं गौरवान्वित महसूस करता हूं कि आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों ने लगभग 800 स्टार्ट अप्स का निर्माण किया है जो किसी भी संस्थान के पूर्व छात्रों द्वारा सृजित स्टार्ट अप्स की तुलना में सर्वाधिक है। भारतीयों द्वारा सृजित करीब 30 यूनिकॉर्न में से 15 का सृजन केवल आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों ने ही किया है। आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों के नेतृत्व वाले स्टार्ट अप्स ने 30 मिलियन से अधिक रोजगारों का सृजन किया है और 19 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश जुटाया है तथा भारत एवं विश्व में ट्रेंड सेंटर रहे हैं।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी वेणुगोपाल राव ने कहा कि 2030 के लिए विजन के निर्माण के साथ, आईआईटी दिल्ली विकास के अगले चरण के मार्ग पर है। इस विजन की सफल उपलब्धि सकारात्मक रूप से छात्रों, पूर्व छात्रों, संकाय एवं स्टाफ के जीवन को प्रभावित करेगी तथा आने वाले दशकों के लिए हमारे राष्ट्र की प्रगति को आकार देगी।

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क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर एवं इंडियन थिंकर सोसाइटी ITS के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय वेबीनार आयोजन में पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन( PAHs) के पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर चर्चा

सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक संस्था इंडियन थिंकर सोसाइटी ITS एवं रसायन विज्ञान विभाग क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनाँक 19 अगस्त 2020 को एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन( PAHs)
के पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर चर्चा हुयीं l

मुख्य वक्ताओं में डॉ. देवेन्द्र अवस्थी, ज. न. पी. जी. कॉलेज लखनऊ के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और भीम राव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के अप्लाइड साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंजनी तिवारी ने अपने विचारों से अवगत कराया l क्राइस्ट चर्च कॉलेज के संरक्षक रेवनर सैमुअल पाल एवं ITS के संरक्षक श्री बलराम नरुला जी ने अपने विचार रखे l प्राचार्य डॉ. जोसेफ डेनियल के संबोधन के उपरान्त ITS के अध्यक्ष प्रो. पी. एन. कौल ने सभी का स्वागत किया I डॉ. श्वेता चंद द्वारा प्रार्थना प्रस्तुत की गयी I संगोष्ठी की कनविनर डॉ. मीत कमल द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन किया l डॉ. सुधीर गुप्ता विभागाध्यक्ष ने मुख्य वक़्ता डॉ. देवेन्द्र अवस्थी का संक्षिप्त परिचय दिया l ब्रह्मानंद कॉलेज कानपुर की एसोसिएट प्रोफेसर एवं संगोष्ठी की आयोजक सचिव डॉ. अर्चना पांडेय ने डॉ. अंजनी तिवारी जी का परिचय प्रस्तुत किया l डॉ. अवस्थी ने बताया कि PAHs से वायु प्रदूषित हो रही है l शहरी क्षेत्र में PAHs का स्तर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दस गुना अधिक है I USA में कुछ पेयजल आपूर्ति में PAHs के निम्न स्तर पाए जाते हैं l डॉ. अंजनी तिवारी जी ने बताया कि पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन PAHs तम्बाकू के धुएँ, चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में पाए बहुतायत मात्रा में होते हैं जो प्रदूषण बढ़ाते हैं I PAHs रसायनों का एक समूह है जो प्राकृतिक रूप से कोयले, कच्चे तेल, गैसोलीन में होते हैं जो हवा, पानी और मिट्टी सभी को प्रभावित एवं प्रदूषित करते हैं जिनके बहुत दिनों तक संपर्क में आने से कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना हो सकती है l धूम्रपान करने वालों को इससे सर्वाधिक खतरा रहता है l संगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डॉ. अरविंद पांडेय एवं डॉ. अनन्दिता भट्टाचार्य ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज की l अन्त में इंडियन
थिंकर सोसाइटी के सचिव श्री यू. सी. दीक्षित ने सभी को धन्यावाद देते हुए आभार व्यक्त किया l इस वेबीनार में स्थानीय एवं सुदूर क्षेत्र के 675 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की l

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एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज द्वारा “आई.सी.टी. टूल्स इन ऑनलाइन टीचिंग एण्ड एसेसमेंट” विषय पर आयोजित सात दिवसीय “फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम” का औपचारिक समापन

एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज द्वारा “आई.सी.टी. टूल्स इन ऑनलाइन टीचिंग एण्ड एसेसमेंट” विषय पर आयोजित किए जा रहे सात दिवसीय “फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम” का औपचारिक समापन किया गया।
समापन समारोह के आरम्भ में अपराह्न 3:30 बजे ज़ूम ऐप पर कार्यक्रम संयोजिका डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने एफ. डी.पी.का सामान्य परिचय तथा पूर्वावलोकन प्रस्तुत किया। इसके पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने मुख्य अतिथि, रिसोर्स पर्सन्स एवं सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार के कार्यक्रम समय की आवश्यकता हैं, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों को अॉनलाइन शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। साथ ही उन्होंने आशा और विश्वास व्यक्त किया कि, यह एफ. डी.पी. प्रतिभागियों को आॅनलाइन टीचिंग के लिए सहज बनाने में सफल रहा।


इसके पश्चात संयोजिका डॉ.चित्रा सिंह तोमर ने सात दिवसीय ‘एफ. डी.पी. की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को रुचि एवं उत्साह के साथ एफ. डी.पी. में प्रतिभाग करने के लिए बधाई दी।
इसके पश्चात रिसोर्स पर्सन्स डॉ. गौरव राव एवं डॉ. विनोद मालकर ने अपने विचार प्रस्तुत किये तथा विश्वास व्यक्त किया कि यह एफ.डी.पी. प्रतिभागियों के लिए आॅनलाइन टीचिंग को सहज बनाने में सफल रहा।
अगली श्रृंखला में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शुभ्रो सेन ने कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई दी तथा आशा व्यक्त की कि, यह एफ.डी.पी. शिक्षण की गुणवत्ता को प्रभावकारी बनाने के साथ-साथ विद्यार्थियों की शिक्षा प्रक्रिया में रुचि विकसित करने में सहायक सिद्ध हो।
सम्पूर्ण राज्य से लगभग 75 शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने इस एफ. डी.पी. में प्रतिभाग लिया।
इसके पश्चात कार्यक्रम को समापन की ओर बढ़ाते हुए संयोजन समिति की सदस्य कु. ऋचा सिंह ने ‘धन्यवाद ज्ञापन’ प्रस्तुत किया।
अन्त में संयोजिका डॉ.चित्रा सिंह तोमर ने कार्यक्रम के औपचारिक समापन की घोषणा की।

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एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज द्वारा “आई.सी.टी. टूल्स इन ऑनलाइन टीचिंग एण्ड एसेसमेंट” विषय पर सात दिवसीय “फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम” का शुभारंभ

आज दिनांक 13/08/2020 को शिक्षाशास्त्र विभाग, एस. एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज द्वारा “आई.सी.टी. टूल्स इन ऑनलाइन टीचिंग एण्ड एसेसमेंट” विषय पर एक सात दिवसीय “फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम” का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अपराह्न 3 बजे ज़ूम ऐप पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल द्वारा किया गया।प्राचार्या ने मुख्य अतिथि, रिसोर्स पर्सन्स एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि, इस प्रकार के कार्यक्रम समय की आवश्यकता हैं, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों को अॉनलाइन शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की कि, यह एफ. डी.पी. इस दिशा में सहायक और सफल सिद्ध हो।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शुभ्रो सेन ने कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं तथा आशा व्यक्त की कि, यह एफ.डी.पी. शिक्षण की गुणवत्ता को प्रभावकारी बनाने के साथ-साथ विद्यार्थियों की शिक्षा प्रक्रिया में रुचि विकसित कर सके।
सम्पूर्ण राज्य के 75 से अधिक शिक्षक तथा विद्यार्थी इस एफ. डी.पी. में प्रतिभाग ले रहें हैं।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ. चित्रा सिंह तोमर ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया। साथ ही एफ.डी.पी. में संयोजन समिति की सदस्या कु. ऋचा सिंह, श्रीमती प्रीति साहू एवं डाॅ. निशा सिंह उपस्थित रहीं।

                           

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एमएसएमई क्षेत्र और बुनियादी ढांचा में अंतर्राष्ट्रीय निवेश बढ़ाने का नितिन गडकरी ने किया आह्वान

     केन्द्रीय सड़क परिवन, राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और निकायों से भारतीय राजमार्गों और एमएसएमई क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया है। यह दोनों क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास ईंजन है। आज सड़क बुनियादी ढांचा और एमएसएमई में व्यापार निवेश और सहयोग पर इंडो-ऑस्ट्रेलियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स और वोमेनोवेटर को संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही सड़क सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। इस सहयोग ने जनता के लिए बेहतर डिजाइन और जागरूकता के अवसर उपलब्ध कराए हैं। भारतीय सड़क सुरक्षा आकलन कार्यक्रम के तहत 21,000 किलोमीटर लम्बी सड़कों का आकलन किया गया है और लगभग 3,000 किलोमीटर लम्बी सड़कों का तकनीकी उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेहतर सड़क इंजीनियरिंग और सार्वजनिक जागरूकता में बढ़ोतरी से यह सुधार आया है। अनुमान है कि इन उन्नयन कार्यक्रमों से सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत कमी आएगी। श्री गडकरी ने यह भी बताया कि हमारा उद्देश्य 2030 तक शून्य सड़क मृत्यु दर अर्जित करना है। श्री नितिन गडकरी ने बताया कि उनके मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए अनेक पहल की हैं। विश्व बैंक और एडीबी ने इस अभियान के लिए 7000-7000 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता और शिक्षा, आपातकालीन सेवाओं में सुधार, चिकित्सा बीमा पर जोर, अधिक से अधिक अस्पताल आदि उपलब्ध करा कर देश अपने सड़क सुरक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने के करीब पहुंच रहा है। उन्होंने मोटर वाहन अधिनियम, 2019 का उल्लेख किया, जो देश में परिवहन क्षेत्र के सभी पहलुओं के लिए एक व्यापक कानून है।

     उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए गांव, कृषि और जनजातीये क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एमएसएमई एक ऐसा क्षेत्र है जो आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बुनियादी ढांचे और बीमा क्षेत्रों में निवेश खोल दिया गया है क्योंकि बीमा, पेंशन और शेयर अर्थव्यवस्थाओं में बड़े अवसर मौजूद है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई जल्दी ही पूंजी बाजार में प्रवेश करने वाली है।

     ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री श्री माइकल मेककॉर्मेक ने इस अवसर पर भारतीय सड़क क्षेत्र के विकास और प्रगति, विशेष रूप से सड़क सुरक्षा क्षेत्र में भागीदारी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की गहरी दिलचस्पी व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उनके देश द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में मजबूत संबंध है। इससे पहले इतने मजबूत संबंध कभी नहीं रहे। इन संबंधों में व्यापक रूप से बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बुनियादी ढांचा निर्माण पर जोर दिया और कहा कि कोविड-19 पर काबू पाने का एक तरीका बुनियादी ढांचे का निर्माण करना भी है।

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आईआईए के स्थापना दिवस के अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने कहा कि आईआईए के संस्थापक डॉ. वेणु बापू के उत्साह को बरकरार रखने के लिए युवाओं के विचारों को अनुभव के साथ जोड़ा जा सकता है

भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (आईआईए) ने अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें गणमान्य व्यक्तियों ने युवा लोगों के नए विचारों को पिछले पांच दशकों में अर्जित ज्ञान और अनुभव के साथ जोड़कर इस संस्थान के संस्थापक डॉ. वेणु बापू की ऊर्जा और उत्साह को बरकरार रखने की जरूरत पर जोर दिया।

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इस वैज्ञानिक संस्थान की यात्रा का यह 50वां वर्ष बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे डॉ. वेणु बापू के महान दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था। यह अब विज्ञान और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पुनर्निर्माण के चरण में है और आज इन्हीं के कद के और अधिक मार्गदर्शकों की जरूरत है। इस संस्थान की प्रारंभिक ऊर्जा और उत्साह पांच दशकों में अर्जित ज्ञान और अनुभव से समृद्ध हो गई है। आईआईए की स्थापना के 50वें वर्ष के समारोह का उद्घाटन करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ युवाओं और नए विचारों के मिश्रण के साथ इस ऊर्जा को बरकरार रखना ही आगे बढ़ने का रास्ता है। आईआईए ने गुणवत्तायुक्त मानव संसाधनों, बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और पर्यवेक्षीय खगोल विज्ञान और गहन विज्ञान उपलब्ध कराने के लिए बहुत अच्छा कार्य किया है। यह संस्थान सही संसाधनों और दृष्टिकोण के साथ प्रगति करके नई ऊंचाइयों की और बढ़ना जारी रखेगा।  

आईआईए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का एक स्वायत संस्थान है। इस संस्थान का स्थापना दिवस ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से मनाया गया, जिसमें स्थापना दिवस व्याख्यान, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन द्वारा दिया गया। आधुनिक भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान की स्थापना में योगदान देने वाले डॉ. मनाली कल्लात वेणु बापू के जन्मदिन को यह संस्थान अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। इस वर्ष के स्थापना दिवस के साथ इस संस्थान ने अपने अस्तित्व के 50वें वर्ष में प्रवेश किया है।

आईआईए की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन, प्रो. अविनाश सी. पांडे ने संस्थान के छात्रों द्वारा तैयार की गई ई-पत्रिका ‘डीओओटी’ का विमोचन किया और कहा कि इस पत्रिका के माध्यम से हम छात्रों को रचनात्मक रूप से जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध करा रहे हैं। यह विज्ञान की अनूठी अवधारणाओं के रचनात्मक वितरण को एक सरल तरीके से जन-जन तक पहुंचाने की अभिव्यक्ति होगी। निदेशक, प्रो. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने संस्थान के पूर्व निदेशकों के लघु संदेशों के माध्यम से आईआईए के गठन और विकास के प्रदर्शन द्वारा दर्शकों को काफी आकर्षित किया।

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