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‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए रक्षा मंत्रालय क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी में छलांग लगाने को पूरी तरह तैयार

ऐसे समय जब देश स्वतंत्रता के 75 साल पर ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, तो भारत उच्चस्तरीय रक्षा प्रणालियों से अपने सशस्त्र बलों को लैस करने के लिए स्वदेशी और अधिक उन्नत क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी के साथ वैश्विक नेताओं की पांत में शामिल होने के लिए तैयार है। रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स)
– रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) के तत्वावधान में बेंगलुरु स्थित डीप टेक स्टार्ट-अप क्यूएनयू लैब्स ने क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (क्यूकेडी) के माध्यम से उन्नत सुरक्षित संचार का नवाचार कर दूरी की बाधाओं को तोड़ दिया है । यह परियोजना भारतीय सेना के साथ आईडीएक्स-डीआईओ द्वारा क्यूरेटेड की गई । सफल परीक्षणों के बाद अब भारतीय सेना ने प्रस्ताव (आरएफपी) और इसकी तैनाती के लिए वाणिज्यिक अनुरोध जारी करके क्यूएनयू लैब्स द्वारा विकसित क्यूकेडी सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया शुरू की है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी की सैन्य प्रयोजनों में काफी संभावना है तथा आधुनिक काल के युद्ध में लीक से हट कर यह प्रभाव डाल सकती है । एक क्यूकेडी प्रणाली स्थलीय ऑप्टिकल फाइबर बुनियादी ढांचे में कुछ दूरी (इस मामले में, 150 किमी से अधिक) के बीच अलग-अलग दूरी (150 किमी से अधिक) के बीच सममितीय की के क्वांटम सिक्योर सीक्रेट पेयर के निर्माण की अनुमति देती है । क्यूकेडी हैक न किए जाने योग्य क्वांटम चैनल बनाने में मदद करता है ताकि हैक न किए जाने योग्य एन्क्रिप्शन कुंजी बनाई जा सके, जिसका उपयोग एंड पॉइंट्स पर महत्वपूर्ण डेटा / आवाज / वीडियो को एन्क्रिप्ट करने के लिए किया जाता है।

स्टार्ट-अप की सफलता से उत्साहित रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने ‘आज़ादी का अमृत काल’ में एक मील की पत्थर की उपलब्धि के रूप में स्वदेशी क्यूकेडी प्रौद्योगिकी के विकास को और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक सफल सफलता की कहानी के रूप में बताया । उन्होंने डीप टेक में काम कर रहे आईडीईएक्स स्टार्ट-अप के प्रयासों की सराहना की क्योंकि वे आधुनिक और भविष्य के युद्ध के लिए अभिनव समाधान के साथ सशस्त्र बलों को लैस कर रहे हैं । रक्षा सचिव ने रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, आईडीईएक्स-डीआईओ, आर्मी डिजाइन ब्यूरो और भारतीय सेना सिग्नल निदेशालय के प्रयासों की भी सराहना की, जिसने देश में पहली बार हाई एंड क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दिया है । उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स रक्षा नवाचार में क्रांतिकारी बदलाव करता है और लागत और समय के एक अंश पर नए तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देने में मदद करता है।

क्यूएनयू लैब्स के सह-संस्थापक और सीईओ श्री सुनील गुप्ता ने कहा कि भारत को क्वाण्टम प्रौद्योगिकी के ज़रिए डीप तकनीक के क्षेत्र में आगे रखने के दृष्टिकोण ने अंततः परिणाम दिए हैं । उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स के ओपन चैलेंज -2 जीतने ने इस सफलता को प्राप्त करने के लिए क्यूएनयू प्रयोगशालाओं को लॉन्चिंग पैड प्रदान किया है।

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आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का किया गया आयोजन

कानपुर 15 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, भगवंती एजुकेशन सेंटर डिग्री कॉलेज मंघना बिठूर रोड कानपुर में आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया! सर्वप्रथम महाविद्यालय में ध्वजा रोहण किया गया, इसके उपरांत महाविद्यालय के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये! पियानो एवं आर्केस्ट्रा की धुन पर गिर के छात्र छात्राओं के क़दमों ने कार्यक्रम में उत्साह व जोश भर दिया! इस अवसर पर महाविद्यालय के अध्यक्ष सरदार जगमोहन सिंह सलूजा, प्रबंधक श्री परमीत सिंह सलूजा, निर्देशिका डॉक्टर गिरीश कुमारी सिंह, प्राचार्य डॉक्टर अर्चना सिंह भदोरिया( मीडिया प्रभारी )ज्योति मिश्रा सहित समस्त प्रवक्ता गण एवं बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे!!

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गुजरा वक्त

बचपन कहूं या गुजरा वक्त मगर यह सच है कि वक्त बहुत तेजी के साथ बदल गया है। बीते वक्त की आज से तुलना करती हूं तो लगता है जैसे पता नहीं हमारा वक्त कौन सा वक्त था। आज हम इतना ज्यादा उपभोक्तावाद हो गए हैं कि छोटी छोटी चीजों का महत्व खत्म हो गया है। उनकी उपयोगिता घट गई है। छोटी छोटी सी चीजों में भी खुश हो जाने वाला बचपन आज बड़ी बड़ी चीजों में भी बहुत सहज दिखाई देता है।

हमारे जीवन में छोटी खुशियां और चीजों का मूल्य समझा और समझाया जाता था। एक बात और है कि आज के इस तकनीकी युग में विकल्प बहुत है। मुझे याद आता है कि यदि हमारी हवाई चप्पल अगर कहीं से टूट जाती थी तो सिलवाई जाती थी और उस चप्पल का इस्तेमाल हम तब तक करते थे जब तक वो बिल्कुल फेंकने लायक ना हो जाये। सिर्फ चप्पल ही क्यों स्कूल बैग फट जाते थे तो सिलवा कर इस्तेमाल में लाए जाते थे, आज की तरह नहीं कि फेंको और दूसरा ले लो। कपड़े भी जरा से फट गए तो सिल कर काम चला लिया जाता था, नए कपड़ों से अलमारियां नहीं भर ली जाती थी, पांच सात जोड़ी कपड़े बहुत होते थे। किताबों पर जिल्द ब्राउन पेपर की नहीं बल्कि अखबारों की जिल्द से भी काम चल जाता था।
हमारा बचपन खेल कूद और पढ़ाई में ही बीता। रसोई में क्या बन रहा है कभी ध्यान ही नहीं गया। मां जो भी बना देती थी वही खाना रहता था। हमारे लिए कोई ऑप्शन नहीं थे लेकिन आज अगर घर में तीन लोग हैं तो तीन तरह की रसोई बन जाती है, अनाज बर्बाद होता है सो अलग। पढ़ाई के मामले में भी अगर किताबें भाई बहन के काम आती है तो संभाल कर रख ली जाती थी नहीं तो किसी जरूरतमंद को दे दी जाती थी, रद्दी में नहीं फेंकी जाती थी। ऐसी ही न जाने कितनी बातें हैं दूरदर्शन या डी डी मेट्रो के अलावा हमारे लिए टीवी पर दुनिया भर के चैनल नहीं थे। रविवार का इंतजार रहता था और एक फिल्म देखना, कार्टून देखना या चंद्रकांता सीरियल, रामायण, महाभारत, टॉम एंड जेरी और चित्रहार जैसे कार्यक्रमों का इंतजार रहता था। आज की तरह बटन दबाकर पाज कर दिया और कल देखेंगे वाला सिस्टम नहीं था, उत्सुकता बनी रहती थी। वह इंतजार अब नहीं रह गया है। गाना सुनने के लिए वीडियो या टेप रिकॉर्डर थे। आज की तरह मोबाइल में सब कुछ सहूलियत से उपलब्ध नहीं था। होटल वगैरा भी किसी खास मौके पर ही जाना होता था आज की तरह वीकेंड मनाने या फिर जब मन हुआ होटल चले गए ऐसा नहीं होता था।
महसूस होता है कि वक्त बहुत तेजी से बदल गया है। पता नहीं दुनिया पहले छोटी थी अब छोटी हो गई है। बहुत फर्क आ गया है बच्चे हिंदी नहीं पढ़ना जानते, वास्तविक जीवन में कम तकनीकी जीवन में ज्यादा जीते हैं , मशीनी गति से काम करते न जाने कौन सा  सुख तलाश करते हैं। हमें पैसे की वैल्यू समझाई जाती थी। अब सब समय की वैल्यू देखते हैं। हमें महंगी और सस्ती चीजों का फर्क समझाया जाता था। सिर्फ पसंद आ जाना भर ही आ जाना ही मायने नहीं रखता था समय के साथ बदलता बहुत कुछ है और बदलना भी चाहिए आज के बच्चों में परिपक्वता ज्यादा है मगर जब कभी लगता है कि बच्चे अपना बचपन, अपने संस्कार और अपने मूल्य भूलते जा रहे हैं तब दुख होता है।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर इकाई द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर झंडा रोहण सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 15 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर इकाई के द्वारा आज आजादी का अमृत महोत्सव , स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वतंत्रता दिवस का पर्व, मैगजीन घाट चौराहा पर बस्ती वासियों के बीच पार्षद श्री मनोज पांडे जी की उपस्थिति में तिरंगा झंडा फहराकर मनाया गया।छात्राओं के द्वारा शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विभिन्न कार्यक्रम किए गए तथा नारे लगाए गए। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने स्वतंत्रता दिवस के महत्व व तिरंगे झंडे के सम्मान व महत्व के विषय में बस्तीवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट सर्वोपरि होता है। हमें अपने तिरंगे का सम्मान करना चाहिए तथा उसे फहराने के नियमों का पालन करना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजन में बस्तीवासियों विशेष रुप से श्री कन्हैया जी का विशेष योगदान रहा। सभी छात्राओं ने कार्यक्रम में उमंग, जोश व उत्साह के साथ हिस्सा लिया। इस पावन अवसर पर बस्ती वासियों को मिष्ठान वितरण भी किया गया।

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राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कहा कि बुरी नजर डालने वाले किसी भी व्यक्ति से देश की रक्षा के लिए फुलप्रूफ सुरक्षा तंत्र मौजूद है

सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी भारत विरोधी तत्व देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर बुरी नजर न डाले एक फुलप्रूफ सुरक्षा तंत्र बनाया है । यह बात रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने दिनांक 13 अगस्त, 2022 को राजस्थान के जोधपुर में प्रसिद्ध मारवाड़ी योद्धा वीर दुर्गादास राठौड़ की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर कही । श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भारत के लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और राष्ट्र को आश्वासन दिया है कि जो भी देश में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसे करारा जवाब दिया जाएगा । उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को नवीनतम हथियारों / प्लेटफार्मों से लैस किया जा रहा है, साथ ही उन्होंने यह जोड़ा कि वे भविष्य के सभी खतरों से निपटने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तैयार हैं।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC2TO5E.jpg

रक्षा मंत्री ने एक सशक्त सेना बनाने के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी हथियारों/ प्लेटफॉर्मों के निर्माण के लिए अनेक सुधार किए हैं । उन्होंने कुछ सुधारों को सूचीबद्ध किया, जिसमें 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत और निजी उद्योग के लिए घरेलू पूंजी खरीद बजट का 25 प्रतिशत आवंटित करना शामिल है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण भारत दुनिया के शीर्ष 25 रक्षा निर्यातकों में जगह बनाने के लिए छलांग लगा चुका है । उन्होंने कहा, “इस दशक के अंत तक भारत न केवल अपने लिए रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा किंतु मित्रवत विदेशी देशों की जरूरतों को भी पूरा करेगा । ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ हमारे रक्षा उत्पादन विभाग का नया मंत्र है । हमारा संकल्प आने वाले समय में भारत को रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक बनाना है।”

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर वीर दुर्गादास राठौड़ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें सामाजिक सद्भाव, ईमानदारी, बहादुरी और भक्ति का प्रतीक बताया । उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के बावजूद लोगों को वीर दुर्गादास राठौड़ से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने समाज में विभाजनकारी तत्वों के खिलाफ शांति और सद्भाव के लिए प्रयास किया।

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भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश

छिहत्तरवें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। एक स्वाधीन देश के रूप में भारत 75 साल पूरे कर रहा है। 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।

भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए उत्सव का विषय है। जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की सफलता के विषय में आशंका व्यक्त की थी। उनकी इस आशंका के कई कारण भी थे। उन दिनों लोकतंत्र आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों तक ही सीमित था। विदेशी शासकों ने वर्षों तक भारत का शोषण किया था। इस कारण भारत के लोग गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहे थे। लेकिन भारतवासियों ने उन लोगों की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। भारत की मिट्टी में लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी और मजबूत होती गईं।

अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। इस प्रकार आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र-निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। भारत को यह श्रेय जाता है कि उसने विश्व समुदाय को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित कराया।

मैं मानती हूं कि भारत की यह उपलब्धि केवल संयोग नहीं थी। सभ्यता के आरंभ में ही भारत-भूमि के संतों और महात्माओं ने सभी प्राणियों की समानता व एकता पर आधारित जीवन-दृष्टि विकसित कर ली थी। महात्मा गांधी जैसे महानायकों के नेतृत्व में हुए स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे प्राचीन जीवन-मूल्यों को आधुनिक युग में फिर से स्थापित किया गया। इसी कारण से हमारे लोकतंत्र में भारतीयता के तत्व दिखाई देते हैं। गांधीजी सत्ता के विकेंद्रीकरण और जन-साधारण को अधिकार-सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे।

पिछले 75 सप्ताह से हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के महान आदर्शों का स्मरण किया जा रहा है। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। देशवासियों द्वारा हासिल की गई सफलता के आधार पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का संकल्प भी इस उत्सव का हिस्सा है। हर आयु वर्ग के नागरिक पूरे देश में आयोजित इस महोत्सव के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। यह भव्य महोत्सव अब ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के साथ आगे बढ़ रहा है। आज देश के कोने-कोने में हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा है। स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों के प्रति इतने व्यापक स्तर पर लोगों में जागरूकता को देखकर हमारे स्वाधीनता सेनानी अवश्य प्रफुल्लित हुए होते।

हमारा गौरवशाली स्वाधीनता संग्राम इस विशाल भारत-भूमि में बहादुरी के साथ संचालित होता रहा। अनेक महान स्वाधीनता सेनानियों ने वीरता के उदाहरण प्रस्तुत किए और राष्ट्र-जागरण की मशाल अगली पीढ़ी को सौंपी। अनेक वीर योद्धाओं तथा उनके संघर्षों विशेषकर किसानों और आदिवासी समुदाय के वीरों का योगदान एक लंबे समय तक सामूहिक स्मृति से बाहर रहा। पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्यारे देशवासियो,

एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में, 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर यह काल-खंड एक जीवन-यात्रा जैसा है। हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने अपने जीवनकाल में अद्भुत परिवर्तन देखे हैं। वे गवाह हैं कि कैसे आजादी के बाद सभी पीढ़ियों ने कड़ी मेहनत की, विशाल चुनौतियों का सामना किया और स्वयं अपने भाग्य-विधाता बने। इस दौर में हमने जो कुछ सीखा है वह सब उपयोगी साबित होगा क्योंकि हम राष्ट्र की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हम सब 2047 में स्वाधीनता के शताब्दी-उत्सव तक की 25 वर्ष की अवधि यानि भारत के अमृत-काल में प्रवेश कर रहे हैं।

हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। इसी काल-खंड में हम बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण करने वाली विभूतियों के vision को साकार कर चुके होंगे। एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हम पहले से ही तत्पर हैं। वह एक ऐसा भारत होगा जो अपनी संभावनाओं को साकार कर चुका होगा।

दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नए भारत को उभरते हुए देखा है, खासकर COVID-19 के प्रकोप के बाद। इस महामारी का सामना हमने जिस तरह किया है उसकी सर्वत्र सराहना की गई है। हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं। इस प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं। इस आपदा में कोरोना योद्धाओं द्वारा किया गया योगदान विशेष रूप से प्रशंसनीय है।

कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानव-जीवन और अर्थ-व्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है। जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। भारत के start-up eco-system का विश्व में ऊंचा स्थान है। हमारे देश में start-ups की सफलता, विशेषकर unicorns की बढ़ती हुई संख्या, हमारी औद्योगिक प्रगति का शानदार उदाहरण है। विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थ-व्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान physical और digital infrastructure के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री गति-शक्ति योजना के द्वारा connectivity को बेहतर बनाया जा रहा है। परिवहन के जल, थल, वायु आदि पर आधारित सभी माध्यमों को भली-भांति एक दूसरे के साथ जोड़कर पूरे देश में आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है। प्रगति के प्रति हमारे देश में दिखाई दे रहे उत्साह का श्रेय कड़ी मेहनत करने वाले हमारे किसान व मजदूर भाई-बहनों को भी जाता है। साथ ही व्यवसाय की सूझ-बूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले हमारे उद्यमियों को भी जाता है। सबसे अधिक खुशी की बात यह है कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं।

लेकिन यह तो केवल शुरुआत ही है। दूरगामी परिणामों वाले सुधारों और नीतियों द्वारा इन परिवर्तनों की आधार-भूमि पहले से ही तैयार की जा रही थी। उदाहरण के लिए ‘Digital India’ अभियान द्वारा ज्ञान पर आधारित अर्थ-व्यवस्था की आधारशिला स्थापित की जा रही है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उद्देश्य भावी पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण के लिए तैयार करना तथा उन्हें हमारी विरासत के साथ फिर से जोड़ना भी है।

आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम होता जा रहा है। आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की सहायता से गरीब के पास स्वयं का घर होना अब एक सपना नहीं रह गया है बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है। इसी तरह ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत ‘हर घर जल’ योजना पर कार्य चल रहा है।

इन उपायों का और इसी तरह के अन्य प्रयासों का उद्देश्य सभी को, विशेषकर गरीबों को, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। हमारे राष्ट्रीय मूल्यों को, नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में, भारत के संविधान में समाहित किया गया है। देश के प्रत्येक नागरिक से मेरा अनुरोध है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके।

प्यारे देशवासियो,

आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। जब ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से कार्य किया जाता है तो उसका प्रभाव प्रत्येक निर्णय एवं कार्य-क्षेत्र में दिखाई देता है। यह बदलाव विश्व समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा में भी दिखाई दे रहा है।

भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं। अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।

हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। अनेक बेटियों ने हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है। हमारे खिलाड़ी अन्य अंतर-राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। हमारे बहुत से विजेता समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं। हमारी बेटियां fighter-pilot से लेकर space scientist होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।

प्यारे देशवासियो,

जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं। हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है। परंतु इस विविधता के साथ ही हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा है जो एक समान है। यही समानता हम सभी देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

भारत अपने पहाड़ों, नदियों, झीलों और वनों तथा उन क्षेत्रों में रहने वाले जीव-जंतुओं के कारण भी अत्यंत आकर्षक है। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है। प्रकृति की देखभाल माँ की तरह करना हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हम भारतवासी अपनी पारंपरिक जीवन-शैली से पूरी दुनिया को सही राह दिखा सकते हैं। योग एवं आयुर्वेद विश्व-समुदाय को भारत का अमूल्य उपहार है जिसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रही है।

प्यारे देशवासियो,

हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।

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 क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मनाया आजादी की 75 वी वर्षगाठ 

कानपुर 15 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने भारतीय राष्ट्रवाद में सराबोर हो आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मनाया आजादी की 75 वी वर्षगाठ,
इस वर्ष क्राइस्ट चर्च कॉलेज में सबमे स्वतंत्रता दिवस पर एक विशेष उत्साह और राष्ट्रीय गौरव की भावना भरी है। यह राष्ट्रवादी जोश और असीम उत्साह इसलिए भी है कि भारत ने आज अपनी आज़ादी के 75 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे किये और सरकार ने इसे एक हैराष्ट्रीय उत्सव में परिणित कर दिया है.
आजादी के महोत्सव के 75 वर्ष को विद्यालय के छात्रों द्वारा 11-17 अगस्त तक विविध सांकृतिक एवं बौद्धिक विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जैसे तिरंगा के साथ सेल्फी, निबंध लेखन, रंगोली प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी और 15 अगस्त को एक विशष सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित कर किया गया. इन सभी कार्यक्रमों का आयोजन कॉलेज की सांस्कृतिक समिति के द्वारा किया गया था जिसकी संयोजिका डॉ विभा दीक्षित की कार्य समिति हिना अजमत, अर्चना, साक्षी के साथ छात्र प्रतिनिधि मानवी, वेदांत, अभिषेक, उदित, नबा आदि शामिल थे.
स्वतन्त्रता दिवस 15 अगस्त के दिन कॉलेज में महोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत हमारी आदरणीय पूर्व छात्र मुख्य अतिथि जयश्री तिवारी माननीय पूर्व न्यायधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय और प्राचार्य और सचिव प्रो. जोसेफ डेनियल द्वारा ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान से हुआ। इसके बाद माननीय मुख्य अतिथि और प्राचार्य ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने स्वतन्त्रता के महत्व एवं उसके सभी के जीवन में महत्व एवं योगदान पर प्रकाश डाला. इस कार्यक्रम का संचालन कॉलेज एलुमनाई एसोसिएशन के सचिव श्री महलवाल ने किया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के शिक्षकगण डॉ. सबीना बोदरा (उप प्राचार्य), प्रो. डी. सी श्रीवास्तव, शिप्रा श्रीवास्तव, आशुतोष सक्सेना, सुजाता, सूफिया, मीतकमल, शालिनी, आदि सभी मौजूद थे.
झंडा रोहण के बाद सांस्कृतिक समिति के छात्रों द्वारा एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। छात्रों में स्वीकृति ने वंदे मातरम पर अद्भुत भरतनाट्यम किया, श्रजल और वेदांत ने स्वरचित राष्ट्रप्रेम पर कवितापाठ किया, विवेक पॉल ने पश्चिमी नृत्य से भारतीय सेना को श्रद्धांजलि दी तो हमदा, नबा एवं ग्रुप, कशिश और शेरोन ने जय हो, वतन मेरे अबाद रहे तू, और ऐ मेरे वतन के लोगों जैसे गीतों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कॉलेज बैंड के उत्कर्ष, रूहानिका, हनी और उदित ने “संदेश आते हैं” और “वंदे मातरम” पर अप्रतिम प्रस्तुति दी। ऐसा लग रहा था मानो हर कोई राष्ट्रप्रेम के समुद्र में बह रहा हो। तत्पश्चात कॉलेज नाट्य मंच के छात्रों ने प्रसिद्ध कहानीकार मंटो की कहानी तुबा टेक सिंह पर आधारित “बंटवारे की त्रासदी” नाम से एक लघु नाटक का मंचन किया। यह बहुत ही भावनात्मक और दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति थी जिसको सांस्कृतिक समिति की संयोजक डॉ. विभा दीक्षित के निर्देशन में तैयार किया गया था। नाटिका में नागेन्द्र, देव, उदित, अभिषेक हर्षित, प्रीती. रमा, वैशाली, साहिल आदि ने मुख्य भूमिका निभाई. कार्यक्रम का समापन एक बहुत ही उत्साह एवं देशप्रेम से भरे हुए समूह नृत्य “रंग दे बसन्ती” से किया गया जो स्वीकृति, मानवी और विवेक ने तैयार कराया था. इसमें स्वप्निल, देव, साहिल, निकिता कशिश, अंजना स्नेहा शामिल थे.
15 अगस्त “आज़ादी का अमृत महोत्सव” में छात्रों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम ने सब को “आज़ादी की बयार” और “स्वतंत्रता के उत्सव” के आनंद में सराबोर कर दिया था. सभी ने इस दिन को भरपूर उत्साह से मना

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज के एन एस एस वॉलिंटियर्स द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव – हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत प्रभातफेरी का आयोजन

कानपुर 13 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव – हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत प्रभातफेरी का आयोजन किया गया। चीफ प्रॉक्टर डॉ अर्चना वर्मा जी ने प्रभात फेरी का शुभारंभ किया। प्रभात फेरी महाविद्यालय से आरंभ होकर अस्पताल घाट, मैगजीन घाट व मजार मलिन बस्तीयों तक गयी। जिसमें देशभक्ति से ओतप्रोत तराने गाए गए तथा नारे बोले गए। छात्राएं विभिन्न स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वेशभूषा पहन कर आई जिसमें बी०ए०, पार्ट वन, सेमेस्टर-2 की छात्रा अभिव्यंजना रानी लक्ष्मीबाई बनकर आई। छात्राओं के द्वारा बस्ती वासियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन वृत्त से भी अवगत कराया गया तथा तिरंगे झंडे का वितरण किया गया। सभी वॉलिंटियर्स ने पूर्ण मनोयोग, उत्साह व उमंग के साथ में हिस्सा लिया साथ ही बस्ती वासियों ने भी पूर्ण जोश के साथ सहयोग किया।

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भारत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है: डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 105 यूनिकॉर्न हैं जिनमें से 44 यूनिकॉर्न 2021 में और 19 यूनिकॉर्न 2022 में स्थापित हुए हैं। यह बात आज केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार); पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित “डीएसटी स्टार्टअप उत्सव” के अवसर पर मुख्य भाषण देते हुए कही। उन्होंने कहा कि 2021-30 के दशक में भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के लिए परिवर्तनकारी बदलाव होने की उम्मीद है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कह कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अनुसंधान और विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) में तीन गुना से अधिक वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत में 5 लाख से अधिक अनुसंधान एवं विकास कर्मी हैं,  इस संख्या में पिछले 8 वर्षों में 40-50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में बाहरी अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं की भागीदारी भी दोगुनी हो गई है और अब अमेरिका और चीन के बाद विज्ञान और इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त करने वालों की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। बदलती वैश्विक शक्तियों और प्रौद्योगिकी के कारण अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव और नियम बनाने का केंद्र बनने के साथ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक मानकों की कसौटी पर खरा उतर रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में लाल किले की प्राचीर से स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत होने का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में अब 75,000 से अधिक स्टार्टअप का केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का विशेष फोकस विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर है, जिसमें देश के युवाओं में नए विचारों के साथ समस्याओं को हल करने और नवाचार करने की कल्पना को जागृत किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के स्टार्टअप केवल महानगरों या बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि 49 प्रतिशत स्टार्ट-अप टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास आईटी, कृषि, विमानन, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य और अंतरिक्ष क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप उभर रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी बिजनेस इन्क्यूबेटर (टीबीआई) के प्रमुख कार्यक्रम और 51 सीएडब्ल्यूएसीएच वित्त पोषित स्टार्ट-अप की एक कॉफी टेबल बुक सहित निधि के विभिन्न घटकों के तहत होनहार स्टार्ट-अप की विशेषता वाले 4 प्रकाशन भी जारी किए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विश्व में प्रौद्योगिकी लेनदेन के लिए सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों के मामले में तीसरे स्थान पर है क्योंकि भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर एक मजबूत फोकस है। उन्होंने कहा भारत वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक है और यह अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र के शीर्ष पांच देशों में शामिल है। यह क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बौद्धिकता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सेंटर फॉर ऑगमेंटिंग वार विद कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस (सीएडब्ल्यूएसीएच) कार्यक्रम को डीएसटी द्वारा रिकॉर्ड समय में तब तैयार किया गया था जब कोविड फैल रहा था। यह भारत सरकार का पहला कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य कोविड उत्पाद और समाधानों पर कार्य करने वाले स्टार्टअप की मदद करना था। उन्होंने कहा डीएसटी के कार्यक्रम का समग्र प्रभाव और परिणाम नवाचार और उद्यमिता पर बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इससे 160 इन्क्यूबेटरों को बढ़ावा दिया, 12,000 स्टार्टअप को पोषित किया, जिसमें 1627 स्टार्टअप महिलाओं के नेतृत्व वाले थे और इससे 1,31,648 नौकरियों का सृजन हुआ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) की वैश्विक रैंकिंग में लम्बी छलांग लगाई है। यह वर्ष 2015 में 81वें स्थान पर था जो 2021 में 46वें स्थान पर आ गया। उसने यह उपलब्धि दुनिया की 130 अर्थव्यवस्थाओं में हासिल की है। भारत 34 निम्न मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर है और जीआईआई के मामले में 10 मध्य और दक्षिणी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है। जीआईआई रैंकिंग में लगातार सुधार विशाल ज्ञान पूंजी, जीवंत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और सार्वजनिक और निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए कुछ उत्कृष्ट कार्यों के परिणाम स्वरूप हुआ है।

डीएसटी सचिव, डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा कि भारत ने हाल के 7-8 वर्षों में एसटीआई क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है और कई प्रकाशनों के मामले में देश के समग्र प्रदर्शन में उल्लेखनीय वृद्धि भी देखी गई है। राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन डेटाबेस के आधार पर यह प्रकाशन के मामले में वैश्विक रूप से अब तीसरे स्थान पर है और 2013 में छठें स्थान पर था। पेटेंट (रेजिंडेंट पेटेंट फाइलिंग के मामले में विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर) और शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता (2013 में 13वें स्थान पर विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर) के मामले में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने बताया कि डीएसटी के निधि कार्यक्रम ने स्टार्ट-अप्स के लिए बहुत आवश्यक समर्थन को तेजी से संसाधित किया है, जो बिजनेस इनक्यूबेटर और अन्य व्यावसायिक सहायता प्रदाताओं के सक्रिय समर्थन को बढ़ावा देता है।

विभिन्न क्षेत्रों से देश भर से निधि के तहत समर्थित 75 प्रभावशाली इनक्यूबेटेड स्टार्टअप्स को डीएसटी स्टार्टअप एक्सपो में 50 वस्तुगत के साथ-साथ 25 डिजिटल मोड में प्रदर्शित किया गया (एनएम-आईसीपीएस टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब से 5 स्टार्टअप भी स्टार्टअप के 50 स्टालों का हिस्सा थे)।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आयोजकों, टीम डीएसटी, देश भर से नवाचार के चैंपियनों- स्टार्टअप, इनक्यूबेटर, इनक्यूबेटर एसोसिएशन आईएसबीए को बधाई दी और उन्हें इस महान देश की विकास कहानी को उत्प्रेरित करने और डीएसटी स्टार्टअप बनाने के उनके निरंतर प्रयासों के लिए सफलता की कामना की तथा उन्हें इस उत्सव को सफल बनाने के लिए बधाई दी।

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आयकर विभाग ने उत्तर प्रदेश में छापेमारी की

आयकर विभाग ने 03.08.2022 को सार्वजनिक अनुबंध और रियल एस्टेट डेवलपमेंट के कारोबार में लगे झांसी स्थित एक समूह के ठिकानों पर छापेमारी कर तलाशी अभियान चलाया। यह तलाशी अभियान झांसी, दिल्ली, लखनऊ, कानपुर और गोवा स्थित लगभग 30 परिसरों में चलाया गया।

तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न तीसरे पक्षों की कई अचल संपत्तियों के दस्तावेजी साक्ष्य सहित कई आपत्तिजनक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है।

लोक अनुबंध के कारोबार में साक्ष्य के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला है कि समूह हर वर्ष के अंत में अपने नियमित बही खातों में हेरफेर के माध्यम से अपने मुनाफे को कम दिखा कर बड़े पैमाने पर कर चोरी कर रहा था। ये हेर-फेर फर्जी खर्चों और फर्जी विविध लेनदारों आदि के दावे की प्रकृति के थे। इन विविध लेनदारों को अनुपस्थित और असत्यापित पाया गया था। 250 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के फर्जी खर्च और फर्जी विविध लेनदारों का दावा जब्त किए गए सबूतों से आंका गया है। तलाशी के दौरान शामिल किए गए प्रमुख व्यक्ति ने स्वेच्छा से उपरोक्त में से 150 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय होना स्वीकार किया है।

रियल एस्टेट के कारोबार में लगी कंपनियों द्वारा अपनाई गई एक अन्य कार्यप्रणाली में स्टांप शुल्क मूल्य से अधिक धन की प्राप्ति शामिल थी जिसके परिणामस्वरूप कर चोरी हुई। इसके अतिरिक्त, ये कम्पनियाँ पर्याप्त निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी लेखांकन मानकों के अनुसार कर के लिए आय की घोषणा नहीं कर रही थीं। अब तक, तलाशी के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्यों की जांच में बेहिसाब प्राप्तियों की मात्रा का पता चला है, जो कुल मिलाकर 150 करोड़ रुपये है।

तलाशी अभियान में अब तक 15 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाबी नकदी और जेवरात भी बरामद हुए हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।

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