आयकर विभाग ने 03.08.2022 को सार्वजनिक अनुबंध और रियल एस्टेट डेवलपमेंट के कारोबार में लगे झांसी स्थित एक समूह के ठिकानों पर छापेमारी कर तलाशी अभियान चलाया। यह तलाशी अभियान झांसी, दिल्ली, लखनऊ, कानपुर और गोवा स्थित लगभग 30 परिसरों में चलाया गया।
तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न तीसरे पक्षों की कई अचल संपत्तियों के दस्तावेजी साक्ष्य सहित कई आपत्तिजनक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है।
लोक अनुबंध के कारोबार में साक्ष्य के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला है कि समूह हर वर्ष के अंत में अपने नियमित बही खातों में हेरफेर के माध्यम से अपने मुनाफे को कम दिखा कर बड़े पैमाने पर कर चोरी कर रहा था। ये हेर-फेर फर्जी खर्चों और फर्जी विविध लेनदारों आदि के दावे की प्रकृति के थे। इन विविध लेनदारों को अनुपस्थित और असत्यापित पाया गया था। 250 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के फर्जी खर्च और फर्जी विविध लेनदारों का दावा जब्त किए गए सबूतों से आंका गया है। तलाशी के दौरान शामिल किए गए प्रमुख व्यक्ति ने स्वेच्छा से उपरोक्त में से 150 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय होना स्वीकार किया है।
रियल एस्टेट के कारोबार में लगी कंपनियों द्वारा अपनाई गई एक अन्य कार्यप्रणाली में स्टांप शुल्क मूल्य से अधिक धन की प्राप्ति शामिल थी जिसके परिणामस्वरूप कर चोरी हुई। इसके अतिरिक्त, ये कम्पनियाँ पर्याप्त निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी लेखांकन मानकों के अनुसार कर के लिए आय की घोषणा नहीं कर रही थीं। अब तक, तलाशी के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्यों की जांच में बेहिसाब प्राप्तियों की मात्रा का पता चला है, जो कुल मिलाकर 150 करोड़ रुपये है।
तलाशी अभियान में अब तक 15 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाबी नकदी और जेवरात भी बरामद हुए हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।