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सीमा सड़क संगठन ने स्वच्छता पर विशेष अभियान 2.0 के दौरान सड़क निर्माण में प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल किया

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पूरे देश में चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान 2.0 को तकनीकी प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है। संगठन ने भारत के साथ-साथ भूटान में भी बिटुमिनस से सड़क के निर्माण में बड़े पैमाने पर कटे हुए प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल करने के लिए परीक्षण किए हैं। बीआरओ सड़कों की ऊपरी परत के निर्माण और पुनर्निर्माण के लिए कटे हुए प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों का अधिकतम उपयोग करने के प्रयास कर रहा है।

बीआरओ ने विशेष अभियान 2.0 के दौरान, दंतक परियोजना के तहत फुएंत्शोलिंग-थिम्फू रोड पर 4.5 किलोमीटर की रिसर्फेसिंग में इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। दूसरी परियोजना वर्तक के अंतर्गत बालीपारा-चारदुआर-तवांग सड़क पर 2.5 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश में परियोजना उदयक के तहत रोइंग-कोरोनू-पाया सड़क पर 1.0 किलोमीटर की रिसर्फेसिंग के लिए भी इसी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। इसका इस्तेमाल मिजोरम में पुष्पक परियोजना के अंतर्गत हनथियाल-संगौ-सैहा रोड पर 5.22 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश में अरुणांक परियोजना के तहत हापोली-सरली-हुरी रोड पर 2.0 किलोमीटर के रिसर्फेसिंग में किया गया है।

स्वच्छ भारत मिशन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में वर्ष 2014 में लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए महात्मा गांधी को उचित श्रद्धांजलि के रूप में शुरू किया गया था। गांधीजी ने स्वच्छता को जीवन में एक महत्वपूर्ण आदत के रूप में अपनाने की वकालत की थी। बाद में, सरकारी विभागों और मंत्रालयों में 2021 में लंबित कार्यों को पूरा करने और स्वच्छता के लिए निपटान पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया था। पिछले वर्ष के दौरान विशेष अभियान की सफलता के बाद, 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2022 तक केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों में स्वच्छता पर विशेष अभियान 2.0 आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।

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‘ब्लू बीच’ की सूची में शुमार हुए दो और भारतीय समुद्र तट

संसाधनों के व्‍यापक प्रबंधन के जरिए अतिप्राचीन तटीय और समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र के रक्षण और संरक्षण की भारत की प्रतिबद्धता की एक बार फिर से सराहना करते हुए लक्षद्वीप स्थि‍त उसके दो नए समुद्र तटों – मिनिकॉय थुंडी तट और कदमत तट को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय इको-लेबल “ब्लू फ्लैग” प्रदान किया गया है। इसके साथ ही भारत में ब्लू फ्लैग प्रमाणन के तहत प्रमाणित समुद्र तटों की संख्या बारह (12) हो गई है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक ट्विटर संदेश के माध्‍यम से इस गौरवशाली क्षण की घोषणा करते हुए प्रसन्‍नता व्यक्त की । उन्‍होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में चिरस्‍थायी पर्यावरण के निर्माण की दिशा में भारत की अथक यात्रा का एक भाग है।  https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001SM3H.jpg

कदमत तट

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थुंडी तट

थुंडी बीच लक्षद्वीप द्वीपसमूह के सबसे प्राचीन और मनोरम समुद्र तटों में से एक है। यहां पर बिछी सफेद रेत, खाड़ी या लैगून के फ़िरोज़ा नीले पानी से घिरी है। यह तैराकों और पर्यटकों दोनों के ही लिए स्वर्ग के समान है। कदमत तट विशेष रूप से क्रूज पर्यटकों में लोकप्रिय है, जो वॉटर स्‍पोर्ट्स के लिए इस द्वीप पर आते हैं। सफेद मोतियों सी रेत, खाड़ी का नीला पानी, मध्यम जलवायु और मैत्रीपूर्ण स्थानीय लोगों वाला यह तट प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। दोनों तटों पर साफ-सफाई और रखरखाव; तथा तैराकों की रक्षा और सुरक्षा के लिए नामित कर्मचारी हैं। दोनों समुद्र तट फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन (एफईई) द्वारा अधिदेशित समस्‍त 33 मानदंडों का अनुपालन करते हैं।

ब्लू बीच में शामिल अन्य भारतीय समुद्र तटों में – शिवराजपुर-गुजरात, घोघला-दीव, कासरकोड और पदुबिद्री-कर्नाटक, कप्पड-केरल, रुशिकोंडा- आंध्र प्रदेश, गोल्डन-ओडिशा, राधानगर- अंडमान और निकोबार, तमिलनाडु में कोवलम और पुडुचेरी में ईडन शामिल हैं।

पृष्‍ठभूमि:

डेनमार्क की फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन (एफईई) की ओर से वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त इको-लेबल-ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्रदान किया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की पात्रता हासिल करने के लिए, कड़े पर्यावरण, शैक्षिक, सुरक्षा-संबंधी और पहुंच-संबंधी मानदंडों की एक श्रृंखला को पूरा करना चाहिए और उन्‍हें बरकरार रखा जाना चाहिए। ब्लू फ्लैग का मिशन पर्यावरणीय शिक्षा, पर्यावरणीय संरक्षण और अन्य चिरस्‍थायी विकास पद्धतियों के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र में निरंतरता को बढ़ावा देना है।

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मलिन बस्ती के बच्चों के साथ मनाया दीपोत्सव

दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के द्वारा स्वयंसेविकाओ के साथ मिलकर प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर दीपोत्सव के उपलक्ष में गंगा नदी के किनारे सिविल लाइंस सरसैया घाट स्थित मलिन बस्ती में 22 अक्टूबर को धनतेरस के अवसर पर *गरीब बच्चों को पौष्टिक आहार व मिठाइयां वितरित की गई।*
इस अवसर पर डॉ. संगीता सिरोही को समाज सेवा, शिक्षा एवम् शोध के क्षेत्र मे किए जा रहे हैं विशिष्ट कार्यों के लिए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नमामि गंगे विभाग भाजपा, उत्तर प्रदेश के संयोजक  श्रीकृष्ण दीक्षित “बड़े जी”, स्वदेशी, स्वाबलंबी, आत्मनिर्भर भारत के लिए पूर्वोत्तर राज्य में अलख जगाने वाले ‘स्वदेशी जागरण मंच’ के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य भाई अरुण मुखर्जी के द्वारा सम्मानित भी किया गया।
इसी क्रम में सरसैया घाट पर ही 23 अक्टूबर को आयोजित दीप उत्सव कार्यक्रम में *बच्चों को पटाखे फल-फूल, फ्रूटी व लोकल कुम्हारों के द्वारा बनाए गए मिट्टी के दिये खरीद कर बांटें तथा बच्चों के संग खुशी के क्षण बिताए*। इस अवसर पर वहां उपस्थित सभी लोगों के द्वारा एक साथ मिलकर भजन गाते हुए मां गंगा की आरती भी की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी ने पर्यावरण को साफ स्वच्छ रखने, गंगा को निर्मल रखने तथा प्लास्टिक व कचरा मुक्त भारत के नव निर्माण की शपथ दिलाते हुए सभी से एक दीप स्वच्छता व राष्ट्र के लिए जलवाया।
मुख्य अतिथि ने राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि सभी खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार सुनिश्चित करने तथा खुशियों का स्तर बढ़ाने तथा राष्ट्र-निर्माण में इस प्रकार के प्रयासों के किए जाने की महती आवश्यकता है। कार्यक्रम में ‘इनर व्हील क्लब’ की सदस्य बहनो, ‘आरोग्यधाम’ के डॉ हेमंत मोहन, डॉ आरती मोहन, पार्षद दल के नेता यशपाल सिंह, ’मिशन मुस्कान’ के प्रमुख संदीप मिश्रा व वहां उपस्थित सभी वॉलिंटियर्स ने सभी बच्चों तथा बस्ती वासियों के साथ मिलकर हर्षोल्लास के साथ पटाखे चलाते हुए दीपोत्सव मनाया।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एनएसएस इकाई द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत प्लॉगिंग ड्राइव चलाई गई

कानपुर 20 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज में एनएसएस इकाई के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत प्लॉगिंग ड्राइव चलाई गई जिसका प्रारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा के निर्देशन में हुआ सर्व प्रथम महाविद्यालय प्रांगण में एनएसएस स्वयंसेवकों ने घूम कर पॉलिथीन,प्लास्टिक के पैकेट व अनावश्यक घास,पत्तियों को एकत्रित कर विद्यालय में स्वच्छता का उदाहरण दिया इसके पश्चात विद्यालय से बड़े चौराहे और हुए शिवाले होते हुए प्लॉगिंग की और साथ ही युवा पीढ़ी को स्वच्छता का महत्त्व बताया और अन्त में विद्यालय परिसर में आ के इस का समापन हुआ।

कार्यक्रम का समापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा ने अपनी एनएसएस इकाई के सह प्रमुख विलायत फातिमा तथा मोमिन अली ने अपनी टीम जिसमे रितेश,मेनका,हर्षिता,हर्ष,इशिका,रिया,फरीना दीया,प्राची,श्रेया,संध्या,कीर्तन,शुभी,विक्रम,दिव्या,सौम्या,सैयद,अहमद,हसीब,मानवी,अंजलि,गौरवी,मुस्कान,जरीन,सोनल,आयुषी के साथ मिल के कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन किया

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प्रधानमंत्री ने गुजरात के जूनागढ़ में लगभग 3580 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री मोदी ने आज गुजरात के जूनागढ़ में लगभग 3580 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। जूनागढ़ में इन परियोजनाओं में तटीय राजमार्गों में सुधार के साथ-साथ मिसिंग लिंक का निर्माण, दो जलापूर्ति परियोजनाएं और कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए एक गोदाम परिसर का निर्माण शामिल है। प्रधानमंत्री ने श्री कृष्ण रुक्मणी मंदिर, माधवपुर के समग्र विकास और सीवेज और जल आपूर्ति परियोजनाओं और पोरबंदर फिशरी हार्बर में रखरखाव की परियोजना का भी शिलान्यास किया। गिर सोमनाथ में, प्रधानमंत्री ने दो परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिसमें माधवाड़ में एक मछली पकड़ने के बंदरगाह का विकास शामिल है।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि दिवाली और धनतेरस के त्यौहार समय से पहले आ गए हैं और जूनागढ़ के लोगों के लिए नए साल के जश्न की तैयारी पहले से ही चल रही है। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों को उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने उन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने पर प्रसन्नता व्यक्त की जो पहले के समय में राज्य के बजट से अधिक लागत की थीं। उन्होंने कहा कि यह सब गुजरात के लोगों के आशीर्वाद की वजह से संभव हुआ है।

प्रधानमंत्री ने जूनागढ़, गिर सोमनाथ और पोरबंदर वाले क्षेत्र को गुजरात की पर्यटन राजधानी बताया। उन्होंने कहा कि आज जिन परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है, उनसे रोजगार और स्वरोजगार के अपार अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज मेरा सीना गर्व से फूला हुआ है।” उन्होंने इसका श्रेय गुजरात के लोगों और उनके आशीर्वाद को दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब उन्होंने केंद्र में जिम्मेदारियों को निभाने के लिए गुजरात को छोड़ दिया, इसके बाद मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल की टीम ने समान मूल्यों और परंपराओं के साथ गुजरात की देखभाल की। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज, गुजरात तीव्र गति से विकास कर रहा है।”

उन्होंने सूखे और क्षेत्र से पलायन के कठिन समय को याद करते हुए कहा कि प्रकृति भी उन लोगों की मदद करती है जो समर्पण और प्रामाणिकता के साथ काम करते हैं क्योंकि पिछले दो दशकों में जलवायु प्रतिकूलता भी कम हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा, “एक ओर लोगों के आशीर्वाद और दूसरी ओर प्रकृति के समर्थन से, लोगों की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करना खुशी की बात है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि मां नर्मदा दूर का तीर्थ है, लोगों की मेहनत से मां नर्मदा सौराष्ट्र के गांवों में अपना आशीर्वाद देने पहुंची हैं। प्रधानमंत्री ने पूर्ण समर्पण के साथ प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जूनागढ़ के किसानों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गुजरात में उगाए जाने वाले केसर आम का स्वाद दुनिया के हर हिस्से में पहुंच रहा है।

भारत के विशाल तटीय क्षेत्रों के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के समुद्र तट का एक बड़ा हिस्सा गुजरात से संबंधित है। पिछली सरकारों को याद करते हुए, जिन्होंने समुद्र को बोझ और उसकी ताजी हवा को जहर की तरह माना, श्री मोदी ने कहा कि अब समय बदल गया है। “वही समुद्र जिन्हें प्रतिकूलता के रूप में माना जाता था, अब हमारे प्रयासों का लाभ मिल रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कच्छ का रण जो मुसीबतों से घिरा था, अब गुजरात के विकास की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 साल पहले उन्होंने गुजरात के विकास के लिए जो संकल्प लिया था, वह अब साकार हो गया है।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने मछुआरा समुदाय के कल्याण, सुरक्षा, सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के लिए सागर खेडू योजना शुरू की थी। इन प्रयासों से राज्य से मछली का निर्यात सात गुना बढ़ा। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के दिनों में एक जापानी प्रतिनिधिमंडल के साथ एक उदाहरण याद किया जब प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मत्स्यपालन की पहल पर प्रस्तुति को रोकने के लिए कहा, क्योंकि वे स्क्रीन पर प्रसिद्ध सुरमाई मछली को देखकर खुद को नियंत्रित नहीं कर सके और उसका स्वाद लेने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि सुरमाई मछली अब जापानी बाजार में प्रसिद्ध है और हर साल पर्याप्त मात्रा में निर्यात होता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “डबल इंजन वाली सरकार ने विकास कार्यों में दोगुनी गति लाई है।” आज ही तीन फिशिंग हार्बर पर काम शुरू हो गया है।

प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि पहली बार किसान, पशुपालक और सागर खेडू के मछुआरे किसान क्रेडिट कार्ड योजना की सेवाओं से जुड़े हैं और इसने बैंक से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाया है। श्री मोदी ने कहा, “परिणामस्वरूप, 3.5 करोड़ लाभार्थी इसकी सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इसने समाज के गरीबों और जरूरतमंदों को अपने और अपने परिवार के बेहतर भविष्य का निर्माण करने का अधिकार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि उन लाभार्थियों के लिए ब्याज माफ किया जाएगा, जिन्होंने समय पर अपना ऋण चुकाया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “किसान क्रेडिट कार्ड ने खासकर हमारे पशुपालन श्रमिकों और मछुआरा समुदाय के लिए जीवन को बहुत आसान बना दिया है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले दो दशकों में, बंदरगाहों के जबरदस्त विकास ने गुजरात के लिए समृद्धि के द्वार खोल दिए हैं। इसने गुजरात के लिए नई संभावनाएं खोली हैं।” सागर माला योजना पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने न केवल बंदरगाहों का विकास करके बल्कि बंदरगाह के नेतृत्व वाले विकास को क्रियान्वित करके भारत के तटों पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की पहल की है। श्री मोदी ने कहा, “तटों में गुजरात ने इस पर आधारित कई नई परियोजनाओं को देखा है।” उन्होंने कहा, “जूनागढ़ के अलावा, नया तटीय राजमार्ग पोरबंदर, जामनगर, देवभूमि द्वारका, मोरबी के कई जिलों से मध्य और दक्षिण गुजरात से गुजरने वाला है। जो गुजरात के पूरे समुद्र तट की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।”

प्रधानमंत्री ने राज्य की माताओं और बहनों द्वारा किए गए जबरदस्त कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे एक सुरक्षा कवच बन गए हैं। पिछले 8 वर्षों में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि माताओं और बहनों के जीवन को आसान बनाने के लिए हर स्तर पर उपाय सुनिश्चित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान में सुधार की ओर इशारा किया और इसका श्रेय स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों शौचालयों के निर्माण को दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्ज्वला योजना न केवल महिलाओं का समय बचा रही है, बल्कि उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ पूरे परिवार के स्वास्थ्य में भी सुधार कर रही है। प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों के समय को याद किया, जो एक गांव में कुछ पानी के हैंडपंपों को वितरित करने के बाद धूमधाम से उत्सव मनाते थे। उन्होंने कहा, “आज आपका बेटा हर घर में पाइप से पानी पहुंचा रहा है।” प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान माताओं को हजारों प्रकार की सहायता दी जा रही है, ताकि उन्हें पौष्टिक आहार मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो घर दे रही है, उनमें से ज्यादातर घर महिलाओं के नाम पर हैं। देश भर में 8 करोड़ से अधिक बहनें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं, जिनमें से लाखों गुजरात से हैं। इसी तरह मुद्रा योजना के तहत कई बहनें पहली बार उद्यमी बनी हैं।

देश के युवाओं पर जोर दिए जाने के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 साल से हमने गुजरात समेत पूरे देश में युवाओं की क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। शिक्षा से लेकर रोजगार और स्वरोजगार तक हर पहलू में नए अवसर पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। आज सरकार उद्यमिता के हर कदम पर युवाओं की मदद कर रही है। प्रधानमंत्री ने डेफएक्सपो 2022 के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब गुजरात टैंकों का निर्माण करेगा। प्रधानमंत्री ने गांधीनगर में आज इसका उद्घाटन किया था।

प्रधानमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में राज्य द्वारा की गई प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, पिछले 8 वर्षों के दौरान देश में सैकड़ों विश्वविद्यालय खुले। गुजरात उच्च शिक्षा के कई गुणवत्तापूर्ण संस्थानों के उद्घाटन का गवाह बन रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुजराती भाषा में नए अवसर ला रही है। इसी तरह, डिजिटल विकास गुजरात के युवाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, “डिजिटल इंडिया ने गुजरात के युवाओं को अपनी विभिन्न प्रतिभाओं को निखारने के नए अवसर दिए हैं, इससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। युवाओं की पहुंच बड़े बाजार तक है और यह सस्ते मेड इन इंडिया मोबाइल फोन और सस्ती डेटा सुविधाओं के कारण संभव हो रहा है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि बढ़ते बुनियादी ढांचे से पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अब सबसे बड़े रोपवे में से एक ने काम करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वर्षों के बाद इस साल अप्रैल में केशोद हवाई अड्डे से फिर से उड़ानें शुरू हुई हैं। जब केशोद हवाई अड्डे को और विकसित किया जाएगा, जब यह एक कार्गो सुविधा तैयार हो जाएगी, तो हमारे फल, सब्जियां, मछली और अन्य उत्पादों को यहां से भेजना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केशोद हवाईअड्डे के विस्तार से देश और दुनिया को यहां ऐसे सभी स्थानों तक पहुंच मिलेगी, यहां के पर्यटन में और इजाफा होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अंतरिक्ष, विज्ञान या खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय उपलब्धियों से खुश है, हालांकि, कुछ वर्गों द्वारा गुजरात और उसके लोगों की उपलब्धियों का राजनीतिकरण करने की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना की। प्रधानमंत्री ने कहा, “कुछ राजनीतिक दलों ने गुजरात को गाली देना अपनी राजनीतिक विचारधारा बना ली है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि हम गुजरातियों या देश के किसी भी राज्य के लोगों का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमें ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना और सरदार पटेल के सपनों को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने निंदा को आशा में बदलने और विकास के माध्यम से झूठ का मुकाबला करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात की एकता इसकी ताकत है।

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, सांसद श्री राजेशभाई चुडासमा और श्री रमेश धदुक और गुजरात सरकार के मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल और श्री देवाभाई मालम उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने मिसिंग लिंक के निर्माण के साथ-साथ तटीय राजमार्गों के सुधार की परियोजना का शिलान्यास किया। इस परियोजना के पहले चरण में, 13 जिलों में कुल 270 किलोमीटर से अधिक लंबे राजमार्ग को कवर किया जाएगा।

प्रधानमंत्री जूनागढ़ में दो जलापूर्ति परियोजनाओं और कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए गोदाम परिसर के निर्माण की आधारशिला रखी। पोरबंदर में, प्रधानमंत्री ने श्री कृष्ण रुक्मणी मंदिर, माधवपुर के समग्र विकास की आधारशिला रखी। उन्होंने पोरबंदर फिशरी हार्बर में सीवेज और जलापूर्ति परियोजनाओं और रखरखाव ड्रेजिंग की आधारशिला भी रखी। गिर सोमनाथ में, प्रधानमंत्री ने दो परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिसमें माधवाड़ में एक मछली पकड़ने के बंदरगाह का विकास करना शामिल है।

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प्रधानमंत्री ने गुजरात के त्रिमंदिर, अडालज में मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के त्रिमंदिर, अडालज में उत्कृष्ट मिशन स्कूलों (मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस) का शुभारंभ किया। मिशन की परिकल्पना कुल 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ की गई है। त्रिमंदिर में कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने लगभग 4260 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया। यह मिशन गुजरात में नई कक्षाओं, स्मार्ट कक्षाओं, कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना और राज्य में स्कूलों के बुनियादी ढांचे के समग्र आधुनिकीकरण से शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा।

उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गुजरात अमृत काल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की तरफ बहुत बड़ा कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह अवसर विकसित भारत और विकसित गुजरात के लिए मील का पत्थर साबित होगा।” उन्होंने मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के लिए सभी नागरिकों, शिक्षकों, युवाओं और गुजरात की भावी पीढ़ियों को बधाई दी।

5जी प्रौद्योगिकी के हालिया विकास पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि यद्यपि हमने इंटरनेट की पहली से चौथी पीढ़ी तक का उपयोग किया है, अब देश में 5जी बड़ा बदलाव लाने वाला है। “हर पीढ़ी के साथ, प्रौद्योगिकी ने हमें जीवन के हर छोटे पहलू से जोड़ा है।” श्री मोदी ने आगे कहा, “इसी तरह हमने स्कूलों की विभिन्न पीढ़ियों को देखा है।” 5जी प्रौद्योगिकी की क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शिक्षा प्रणाली को स्मार्ट सुविधाओं, स्मार्ट कक्षाओं और स्मार्ट शिक्षण से आगे ले जाएगी और इसे अगले स्तर पर पहुंचाएगी। “हमारे युवा छात्र अब स्कूलों में वर्चुअल वास्तविकता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की ताकत का अनुभव कर सकेंगे।” प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से गुजरात ने पूरे देश में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की टीम को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात में हुए बदलावों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने गुजरात में शिक्षा क्षेत्र की बदहाल स्थिति को याद किया और बताया कि 100 में से 20 बच्चे कभी स्कूल नहीं गए। उन्होंने आगे कहा कि जो छात्र स्कूल गए वह 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे। उन्होंने यह भी बताया कि जिन बालिकाओं को स्कूल जाने से रोक दिया गया, उनकी हालत बाकियों से भी बदतर है। जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षिक केन्‍द्रों की कमी पर टिप्पणी करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान शिक्षा के लिए कोई योजना नहीं थी। श्री मोदी ने रेखांकित किया, “इन दो दशकों में गुजरात के लोगों ने अपने राज्य में शिक्षा प्रणाली में बदलाव दिखाया है।” प्रधानमंत्री ने बताया कि इन दो दशकों में गुजरात में 1.25 लाख से अधिक नए क्लासरूम बनाए गए और 2 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई। श्री मोदी ने कहा, “मुझे आज भी वह दिन याद है जब शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवानी महोत्सव जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए थे। कोशिश यह थी कि जब बेटा और बेटी पहली बार स्कूल जाएंगे तो इसे एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा।”

प्रधानमंत्री ने शिक्षा की गुणवत्ता पर केंद्रित त्योहार ‘गुणोत्सव’ को भी याद किया। इस योग्यता में, छात्रों के कौशल व क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया और उचित समाधान सुझाए गए। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि गुजरात में विद्या समीक्षा केन्‍द्र में ‘गुणोत्सव’ का अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी आधारित संस्करण काम कर रहा है। “गुजरात हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अनोखे और बड़े प्रयोगों का हिस्सा रहा है। हमने शिक्षक शिक्षा संस्थान की स्थापना की, जो गुजरात में पहला शिक्षक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय है।

प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे। श्री मोदी ने बताया कि उन्होंने एक गांव से दूसरे गांव की यात्रा की और सभी लोगों से अपनी बेटियों को स्कूल भेजने का अनुरोध किया। “नतीजा यह हुआ है कि आज गुजरात में सभी बेटे-बेटियां स्कूल और उसके बाद कॉलेज जा रहे हैं। उन्होंने उन माता-पिता की भी सराहना की जिन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजने के उनके अनुरोध पर ध्यान दिया।

प्रधानमंत्री ने बताया कि एक दशक पहले भी गुजरात के 15,000 स्कूलों में टीवी, 20 हजार से अधिक स्कूलों में कंप्यूटर की सहायता से अध्ययन की व्यवस्था हो चुकी थी और इस तरह की अनेक प्रणालियां कई वर्षों से गुजरात के स्कूलों का अभिन्न अंग बन गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गुजरात में 1 करोड़ से अधिक छात्र और 4 लाख से अधिक शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराते हैं। उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि आज गुजरात में 20 हजार स्कूल शिक्षा के 5जी युग में प्रवेश करने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के तहत शामिल परियोजनाओं पर प्रकाश डाला और बताया कि इन स्कूलों में 50 हजार नए क्लासरूम और एक लाख से अधिक स्मार्ट क्लासरूम बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इन स्कूलों में न केवल आधुनिक, डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचा होगा, बल्कि यह बच्चों के जीवन और उनकी शिक्षा में बड़ा बदलाव लाने का अभियान भी है। उन्होंने कहा, “यहां बच्चों की क्षमता बढ़ाने के लिए हर पहलू पर काम किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सभी उपायों से 5जी के आने से काफी फायदा होगा। चूंकि यह सुदूरवर्ती क्षेत्रों सहित सभी के लिए सर्वोत्तम सामग्री, शिक्षाशास्त्र और शिक्षक उपलब्ध कराने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “शैक्षिक विकल्पों की विविधता और लचीलापन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर तक पहुंचाएगा।” प्रधानमंत्री ने आगामी 14.5 हजार पीएमश्री स्कूलों की चर्चा की, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए मॉडल स्कूल होंगे। इस योजना पर 27 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने बताया, “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने और प्रतिभा एवं नवाचार को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।” प्रधानमंत्री ने अफसोस व्यक्त कि अंग्रेजी भाषा को ज्ञान के उपाय के रूप में लिया गया, जबकि भाषा केवल संपर्क का माध्यम है। लेकिन इतने दशकों से भाषा एक ऐसी बाधा बन गई थी कि देश को गांवों और गरीब परिवारों में प्रतिभा पूल का लाभ नहीं मिल सका। “अब इस स्थिति को बदला जा रहा है। अब छात्रों को भारतीय भाषाओं में भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा का अध्ययन करने का विकल्प मिलने लगा है। गुजराती समेत कई भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ‘किसी को पीछे नहीं छोड़ना’ की भावना को भी दोहराया, क्योंकि यह एक विकसित भारत के लिए ‘सबका प्रयास’ का समय है।

विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में भारत के पूर्वजों के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, “शिक्षा, पुरातन काल से ही भारत के विकास की धुरी रही है।” उन्होंने कहा कि भारत कुदरती तौर पर ज्ञान का समर्थक रहा है और सैकड़ों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों का निर्माण किया और सबसे बड़े पुस्तकालयों की स्थापना की। प्रधानमंत्री ने उस काल पर खेद व्यक्त किया जब भारत पर आक्रमण किया गया था और भारत की इस संपदा को नष्ट करने का अभियान चलाया गया था। प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप किया, “हमने शिक्षा पर अपने मजबूत आग्रह को नहीं छोड़ा है।” यही कारण है कि आज भी ज्ञान और विज्ञान की दुनिया में नवाचार में भारत की एक अलग पहचान है। श्री मोदी ने कहा, “आजादी का अमृत काल अपनी प्राचीन प्रतिष्ठा वापस पाने का अवसर है।”

संबोधन के समापन में, प्रधानमंत्री ने दुनिया में एक महान ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत की अपार क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया, “21वीं सदी में, मुझे यह दावा करने में कोई संकोच नहीं है कि विज्ञान से संबंधित अधिकांश नवाचार, प्रौद्योगिकी से संबंधित अधिकांश नवाचार, भारत में होंगे।” प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि गुजरात के लिए एक बड़ा अवसर खुलने वाला है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक गुजरात को व्यापार और कारोबार के लिए जाना जाता है, यह विनिर्माण के लिए है। लेकिन 21वीं सदी में गुजरात देश के ज्ञान केंद्र, नवोन्मेष केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। मुझे विश्वास है कि उत्कृष्ट मिशन स्कूल इस भावना को बढाएंगे।”

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और गुजरात सरकार के मंत्री श्री जीतूभाई वघानी, श्री कुबेरभाई डिंडोर और श्री किरीटसिंह वाघेला उपस्थित थे।

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पराली प्रबंधन पर अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित

दिल्ली एनसीआर में पराली जलाने की घटना के मद्देनजर पराली प्रबंधन के मुद्दे पर कृषि और किसान कल्याण मंत्री, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री की सह अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आज आयोजित किया गया।

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एनसीआर राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की संबंधित कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति, इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए मशीनरी के उपयोग, धान के भूसे के इन-सीटू प्रबंधन के लिए जैव अपघटक के व्यापक उपयोग, विभिन्न औद्योगिक, वाणिज्यिक इकाइयों को धान के भूसे की आपूर्ति की व्यवस्था, जैव-ऊर्जा और अन्य अनुप्रयोगों, किसानों, अनाज संग्रहकर्ताओं, निर्माताओं, बेलिंग / रेकिंग संचालन की स्थापना के लिए उद्यमियों को सुविधा प्रदान करने, भंडारण, पेलेटाइजिंग और परिवहन बुनियादी ढांचे, ताप विद्युत संयंत्रों में को-फायरिंग की सुविधा (टीपीपी), गुजरात और राजस्थान समेत अन्य जगहों में चारा की कमी वाले क्षेत्रों में चारे के रूप में गैर-बासमती पराली का उपयोग करना इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई रिपोर्ट की गई आग की घटनाओं आदि पर राज्यों द्वारा की गई निगरानी और नियंत्रण कार्रवाई पर भी चर्चा की गई। कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने फसल अवशेष जलाने के प्रबंधन के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हरियाणा में पराली प्रबंधन की स्थिति पंजाब की तुलना में काफी बेहतर है। पंजाब के 22 में से 9 जिले और हरियाणा के 22 में से 4 जिले इन राज्यों में पराली जलाने जाने की घटना में मुख्य जिम्मेदार हैं। इसलिए, इन 13 जिलों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इनमें संगरूर, मोगा, तरनतारन और फतेहाबाद शामिल हैं। 15 अक्टूबर तक पिछले साल की तुलना में आग की घटनाओं का रुझान कम था, लेकिन अब यह तेजी से बढ़ने लगा है, खासकर पंजाब में। जल्दी कटाई अमृतसर और तरनतारन में आग की अधिक संख्या का कारण है। यह भी अवगत कराया गया कि पंजाब में पूसा अपघटक अनुप्रयोग के लिए भूमि का कवरेज कम है जिसे बढ़ावा देने और बढ़ाने की आवश्यकता है। विद्युत मंत्रालय के प्रतिनिधि ने बताया कि उसने ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) में को-फायरिंग के लिए कोयले के साथ बायोमास पैलेट के 5% सम्मिश्रण को अनिवार्य किया है। सह-फायरिंग सीओ2 उत्सर्जन को रोकने में भी मदद करता है। अब तक, 0.1 मिलियन मीट्रिक टन सीओ2 उत्सर्जन को रोका गया है। अध्यक्ष, सीएक्यूएम ने बताया कि उन्होंने पराली के इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए एक विस्तृत ढांचा तैयार किया है और राज्यों को सलाह दी गई है कि वे पराली जलाने से रोकने के लिए इसे लागू करें। बैठक में उल्लेख किया गया कि सीएक्यूएम द्वारा कई बैठकों और प्रयासों के बावजूद, पंजाब द्वारा उठाए गए कदम अपर्याप्त हैं।

बैठक में उल्लेख किया गया कि मुख्य चिंताओं में से एक पंजाब और हरियाणा में सीआरएम मशीनों की डिलीवरी में देरी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और एनसीआर राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे निधियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करें और प्रदान की गई सीआरएम मशीनों के रखरखाव करें। पूसा अपघटक अनुप्रयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है। टीपीपी में पैलेटों के उपयोग के लिए राज्यों द्वारा एक उचित आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को भी विकसित करने की आवश्यकता है। धान की पराली के उत्पादन को कम करने के लिए, बासमती किस्म को बढ़ावा देना और फसल विविधीकरण इस खतरे को कम करने के प्रभावी तरीके हैं। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य की व्यापक कार्य योजनाओं को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। बैठक में चर्चा की गई कि पराली के प्रभावी एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए धान की पराली के संग्रहण, एकत्रीकरण, भंडारण और परिवहन के लिए एक समन्वित पारितंत्र होना चाहिए। यह बताया गया कि इसरो और एमओए एंड एफडब्ल्यू के प्रयासों से टीपीपी द्वारा को-फायरिंग पर सटीक डेटा प्राप्त करने में मदद मिली है। पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को पूसा अपघटक के अनुप्रयोग को बढ़ाने और अमृतसर में सक्रिय आग की घटनाओं की बढ़ती दर को नियंत्रित करने और पिछले साल की तुलना में राज्य में सक्रिय आग की घटनाओं के मामलों में 50% की कमी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया। हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव ने पिछले वर्ष की तुलना में राज्य में सक्रिय आग की घटनाओं में 55% की कमी की सूचना दी। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के रिमोट सेंसिंग मॉनिटरिंग और विशेषज्ञों की मदद से किसानों को वांछित कृषि पद्धतियों और पराली जलाने की रोकथाम के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को अपने सकारात्मक प्रयासों को जारी रखने और पराली प्रबंधन के क्षेत्र में अब तक प्राप्त प्रगति को बरकरार रखने को सुनिश्चित करने की सलाह दी गई। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने पूसा के अनुप्रयोग कवरेज के तहत भूमि क्षेत्र के कवरेज में वृद्धि की जानकारी दी। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने उल्लेख किया कि देश के विभिन्न हिस्सों में चारे की कमी है और सुझाव दिया कि चारा की कमी वाले क्षेत्रों में एनसीआर क्षेत्र में उपलब्ध पराली के परिवहन के लिए एक कुशल प्रणाली विकसित करना आवश्यक है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने आगे बताया कि किसानों को इन विवरण के बारे में शिक्षित करने के लिए 4 नवंबर, 2022 को पूसा डीकंपोजर एप्लीकेशन पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में आईसीएआर के वैज्ञानिक के साथ एक खुली चर्चा शामिल होने की संभावना है। बैठक के दौरान बोलते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह जानकर खुशी हो रही है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने पर नियंत्रण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने राज्यों में कार्य योजना को लागू किया है जिसमें इन-सीटू प्रबंधन, एक्स-सीटू प्रबंधन, प्रभावी निगरानी और प्रवर्तन और आईईसी गतिविधियां शामिल हैं, जिसके परिणामस्वरूप पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। यादव ने चिंता व्यक्त की कि पंजाब सरकार राज्य में पराली जलाने को रोकने के लिए समन्वित कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने दोहराया कि राज्य को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की सीआरएम योजना के तहत पर्याप्त संख्या में उपकरण और कृषि मशीनरी प्रदान की गई है और पर्याप्त धनराशि भी प्रदान की गई है, फिर भी कार्य योजना के कार्यान्वयन में पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनरी वितरित की गई है। उन्होंने हरियाणा सरकार को सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। माननीय मंत्री ने आशा व्यक्त की कि समन्वित कार्यों से क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार होगा। बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सीएक्यूएम के वरिष्ठ अधिकारियो और हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों और अधिकारियों तथा एनटीपीसी आदि के अधिकारियों ने भाग लिया।

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केंद्रीय मंत्रीअनुराग ठाकुर ने स्वच्छ भारत 2022 के अंतर्गत चांदनी चौक से पूरे भारत के लिए मेगा स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज दिल्ली के चांदनी चौक से स्वच्छ भारत 2022 के अंतर्गत पूरे भारत में मेगा स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्वच्छता शपथ भी दिलाई गई। इस अवसर पर युवा कार्यक्रम और खेल विभाग के सचिव श्री संजय कुमार तथा मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। इसी तरह के स्वच्छता अभियान 19 अक्टूबर 2022 को देश भर के गांवों और जिलों में चलाए जा रहे हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि स्वच्छ भारत केवल एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह आम आदमी की वास्तविक चिंताओं और इस मुद्दे को दूर करने के उनके संकल्प को दर्शाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा ‘जनभागीदारी से जन आंदोलन’ की बात को दोहराया है और युवाओं की भागीदारी के बिना कोई भी अभियान अधूरा है। उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छ भारत के सपने को पूरा किए बिना एक नए भारत और एक विकसित भारत के सपने को पूरा नहीं किया जा सकता है। ठाकुर ने कहा कि एक महीने की अवधि में एक करोड़ किलो ग्राम कचरा इकट्ठा करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी और हम 18 दिनों में 84 लाख किलो ग्राम प्लास्टिक कचरा एकत्र कर चुके हैं और अपने लक्ष्य के पार जाने को तैयार हैं। यह स्वच्छता कार्य देश के जिलों के ऐतिहासिक स्थलों, सामुदायिक केन्द्रों, विद्यालयों, गांवों तथा अन्य स्थानों पर किया गया। बहुत सारे लोग और विशेष रूप से युवा, अपनी पृष्ठभूमि और जुड़ाव के इतर, न सिर्फ इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं बल्कि दूसरों को भी इस पूरी तरह से स्वैच्छिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रेरित करने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए  ठाकुर ने कहा कि स्वच्छता के बिना हम लोगों के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित नहीं कर सकते। केंद्रीय मंत्री ने आग्रह किया कि हमें ‘स्वच्छ भारत’ का दूत बनना होगा। इसके लिए हमें जागरूकता पैदा करने और लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत है। मंत्री महोदय ने युवाओं से अपने आसपास के वातावरण को साफ रखने के लिए दीपावली के दो दिन समर्पित करने का भी आग्रह किया। अनुराग सिंह ठाकुर द्वारा 1 अक्टूबर 2022 से प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में एक महीने के राष्ट्रव्यापी स्वच्छ भारत 2022 कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया था। स्वच्छ भारत 2022 कार्यक्रम नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस), उससे जुड़े यूथ क्लबों और राष्ट्रीय सेवा योजना से संबद्ध संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से देश भर के 744 जिलों के 6 लाख गांवों में आयोजित किया जा रहा है।

 

 

इसका उद्देश्य युवा कार्यक्रम विभाग और उसके सहयोगी संगठनों एनवाईकेएस और एनएसएस द्वारा स्वच्छ भारत 2022 के प्रयासों को मजबूत करना और देश भर के सभी गांवों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करके इस अभियान में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गतिविधियों को और तेज करना है। एक सरल शुरुआत ही महान परिवर्तन और बड़े कायापलट की ओर ले जा सकती है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में युवा कार्यक्रम विभाग द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत कार्यक्रम इसी बात की गवाही देता है। ये कार्यक्रम अपने आकार और पहुंच, दोनों लिहाज से अनूठा है और इसे युवा भागीदारी से जन आंदोलन के मॉडल पर सोचा गया है और इसके माध्यम से इस कार्यक्रम की सफलता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक नागरिक की भूमिका और योगदान को हासिल किया गया है। इस पहल का प्रमुख प्रेरक तत्व – अपने अपने साइलोज़ को भूलकर सभी हितधारकों के बीच समन्वय और तालमेल का रहा है। विभिन्न विभाग/एजेंसियां, सीबीओ और नागरिक समाज संगठन, ये सभी सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने और स्वच्छता सुनिश्चित करने के साझा लक्ष्य को साकार करने के लिए एक साथ आए हैं।

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एस एन सेन महाविद्यालय क़ी एन एस एस यूनिट फूलबाग तथा आस पास की मलिन बस्ती की सफ़ाई की गयी एवं प्लास्टिक का कचरा एकत्र किया गया

कानपुर १९ अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन महाविद्यालय क़ी एन एस एस यूनिट कदोमबिनी देवी द्वारा कार्यक्रम अधिकारी प्रो. चित्रा सिंह तोमर तथा हेल्थ क्लब इंचार्ज डॉ प्रीति सिंह के निर्देशन में फूलबाग तथा आस पास की मलिन बस्ती की सफ़ाई की गयी एवं प्लास्टिक का कचरा एकत्र किया गया! प्रत्येक स्वयमसेवक द्वारा १.o kg प्लास्टिक एकत्रीकरण किया गया! कुल 40kg प्लास्टिक एकत्र किया गया! कार्यक्रम गवर्नमेंट स्कूल की प्रिंसिपल डॉ शर्मिस्था मलिक की उपस्थिति में स्वच्छता ड्राइव किया गया! सम्पूर्ण पार्क एवं गणेश शंकर विद्यार्थी उद्यान एवं बस्ती के आस पास का क्षेत्र से प्लास्टिक एकत्र किया गया! स्वयं सेविकाओं के प्रयास को समस्त क्षेत्र वासियों व गवर्नमेंट प्रतिनिधि महोदया ने बहुत सराहा! कॉलेज क़ी प्राचार्या प्रफ़ेसर सुमन ने को उत्साहित करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वयं प्लास्टिक उठाकर किया और एन एस एस यूनिट को क्षेत्र स्वच्छता व प्लास्टिक एकत्रीकरण क़े लिए सराहा

कार्यउपरांत एकत्र किया गया प्लास्टिक वेस्ट मटीरियल नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी के पास निस्तारण हेतु भिजवा कर रसीद भी प्राप्त की गयी!महाविद्यालय की एन सी सी प्रभारी ड़ा प्रीति यादव तथा ३० कडेट्स ने सक्रिय सहयोग किया कार्यक्रम में कुल ६० छात्राओं ने हिस्सा लिया।

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भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप पात्र किसानों को प्रधानमंत्री द्वारा 12वीं किस्त की धनराशि निर्गत की गयी

कानपुर 19 अक्टूबर, 2022(सू0वि0)* मुख्य विकास अधिकारी  सुधीर कुमार ने बताया है कि शासन के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत लाभार्थी कृषकों को रूपये 2000/- की समान किस्तों में रूपये 6000/- प्रति वर्ष प्रदान किये जाने का प्राविधान है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप पात्र किसानों को प्रधानमंत्री महोदय के द्वारा 12वीं किस्त की धनराशि निर्गत की गयी है। यह सम्भव है कि जिला प्रशासन प्रयासों के बाद भी कतिपय कृषकों के भूलेख अंकित न हो पाये हो। उक्त के अतिरिक्त आधार इनवैलिड ई०के०वाई०सी० तथा नाम मिसमैच के भी कतिपय प्रकरण लम्बित चल रहे है, जिनमें डाटा सुधार आवश्यक है। उक्त कृषकों की समस्याओं के समाधान हेतु जनपद एवं विकास खण्ड स्तर पर हेल्प डेस्क/कॉल सेन्टर स्थापित किया जा रहा है जिसे 02 पालियों (प्रथम पाली प्रातः 8ः00 बजे से अपरान्ह 2ः00 बजे तक एवं द्वितीय पाली अपरान्ह 2ः00 बजे से सायं 8ः00 बजे तक) में संचालित किया जायेगा। जनपद स्तर पर स्थापित हेल्प डेस्क/कॉल सेन्टर पर कृषक भाई फोन द्वारा अपनी समस्या बताकर निवारण प्राप्त कर सकते है तथा विकास खण्ड स्तर पर स्थापित हेल्प डेस्क पर कृषक भाई सम्बन्धित विकास खण्ड के राजकीय कृषि बीज भण्डार पर उपस्थित होकर अपनी-अपनी समस्या का निवारण प्राप्त कर सकते है। उन्होंने बताया कि जनपद स्तर पर स्थापित कॉल सेन्टर का हेल्पलाइन नम्बर-7388042157 व 7398642157 है।
उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि पी०एम० किसान योजनान्तर्गत भूलेख अभिलेख अंकित न होने, इनवैलिड आधार, ई0के0वाई०सी०, नाम मिसमैच से सम्बन्धित समस्याओं के निस्तारण हेतु अपने विकास खण्ड से सम्बन्धित हेल्प डेस्क पर उपस्थित होकर योजना से सम्बन्धित अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है अथवा जनपद स्तर पर स्थापित कॉल सेन्टर पर फोन कर योजना से सम्बन्धित अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है।

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