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भारतीय तटरक्षक बल के प्रदूषण नियंत्रण पोत समुद्र पहरेदार ने आसियान देशों में अपनी विदेशी तैनाती के हिस्से के रूप में वियतनाम में पोर्ट कॉल किया

भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के प्रदूषण नियंत्रण पोत समुद्र पहरेदार ने एक विशेष हेलीकॉप्टर के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) देशों में चल रही अपनी विदेशी तैनाती के हिस्से के रूप में 02 अप्रैल, 2024 को वियतनाम के हो ची मिन्ह में एक पोर्ट कॉल किया। इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान, भारतीय दल समुद्री प्रदूषण कार्रवाई, समुद्री खोज एवं बचाव और समुद्री कानून प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हुए पेशेवर विचार-विमर्श में भाग लेगा। इसके अलावा भारतीय दल विभिन्न गतिविधियों में जैसे क्रॉस-डेक प्रशिक्षण, विषय वस्तु विशेषज्ञ आदान-प्रदान, खेल आयोजन तथा वियतनाम तटरक्षक (वीसीजी) के साथ एक अन्य अभ्यास में भी शामिल होगा।

इस यात्रा का उद्देश्य न केवल भारतीय तटरक्षक और वियतनाम तटरक्षक बल के बीच संबंधों को सशक्त बनाना है, बल्कि भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को भी प्रदर्शित करना है। इसके अलावा, जहाज पर सवार राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के 25 कैडेट वॉकथॉन और समुद्र तट की सफाई जैसी गतिविधियों में भाग लेंगे।

भारतीय तटरक्षक और वियतनाम तटरक्षक बल के मध्य साल 2015 से एक मौजूदा समझौता ज्ञापन (एमओयू) है, जिसने दो समुद्री संगठनों के बीच सहकारी गतिविधियों को संस्थागत बनाया है। यह विदेशी तैनाती द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और मित्र देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की भारतीय तटरक्षक की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

इन देशों में भारतीय तटरक्षक बल के विशेष पोत की यात्रा 2022 में कंबोडिया में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस के दौरान घोषित समुद्री प्रदूषण के लिए भारत आसियान पहल के अनुसरण में हो रही है। आसियान क्षेत्र में समुद्र पहरेदार की तैनाती समुद्री प्रदूषण, समुद्री सहयोग के माध्यम से सुरक्षा को बढ़ावा देने के प्रति भारत की साझा चिंता और संकल्प को दर्शाती है। इस जहाज ने हो ची मिन्ह से पहले, आसियान क्षेत्र में राजनयिक समुद्री गतिविधियों की निर्बाध निरंतरता को प्रदर्शित करने के लिए फिलीपींस में मनीला का दौरा किया था।

 

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लेफ्टिनेंट जनरल जेएस सिदाना ने इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स के 33वें महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया

लेफ्टिनेंट जनरल जेएस सिदाना ने 01 अप्रैल, 2024 को इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (डीजीईएमई) के 33वें महानिदेशक और ईएमई कोर के वरिष्ठ कर्नल कमांडेंट के रूप में पदभार संभाला। 38 वर्षों से अधिक के अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण रेजिमेंट, कमान, अनुदेशात्मक और स्टाफ नियुक्तियों के पद संभाले हैं। अपनी वर्तमान नियुक्ति से पहले, वे दो साल की अवधि के लिए ईएमई के मिलिट्री कॉलेज के कमांडेंट पद पर थे। वे मध्य कमान मुख्यालय के ईएमई के मास्टर जनरल रहे हैं और उन्होंने आर्मी बेस वर्कशॉप और ईएमई सेंटर की कमान संभाली है।

लेफ्टिनेंट जनरल जेएस सिदाना राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला के पूर्व छात्र हैं और उन्हें 14 दिसंबर, 1985 को भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ईएमई कोर में नियुक्त किया गया था। उनकी शैक्षणिक योग्यता में उस्मानिया विश्वविद्यालय से प्रबंधन अध्ययन में स्नातकोत्तर, आईआईटी कानपुर से एम.टेक और पंजाब यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री शामिल है।

डीजीईएमई के रूप में कार्यभार संभालने पर, लेफ्टिनेंट जनरल जेएस सिडाना ने भारतीय सेना को प्रभावी इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करने के संदर्भ में प्रौद्योगिकी और नवाचार की शक्ति को अपनाने के लिए कोर के सभी स्तर के कर्मियों को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्पमाला अर्पित कर कोर के बहादुरों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

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घरेलू स्त्रियों का बायोडाटा नहीं होता.

घरेलू स्त्रियों का बायोडाटा नहीं होता….
उनकी तालीम और डिग्रियां कहीं धूल में सनी,
गर्द में दब जाती है….

वह खुद भूल जाती है कि उन्होंने तालीम हासिल की है
उन्हें याद रहता है बस पत्नी, बहू और मां की हासिल की हुई डिग्रियां

हर एक में अव्वल आना उनकी जिम्मेदारी है..
उनका कागजों का कोई औचित्य नहीं
जो ‘कागज’ कमा ना सके….

बहू के संस्कार से लेकर मां के संस्कार तक की तालीम में पीएचडी तो हो ही जाती है
यह जुदा है की ‘कमियां’ तो फिर भी रही जाती है…

अनपढ़, गंवार और तुम्हें कुछ मालूम नहीं है की डिग्रियां घर से ही मिल जाती है
इसीलिए उनका ‘बायोडाटा’ नहीं बस घरेलू स्त्री ही कहलाती है…

प्रियंका वर्मा माहेश्वरी 

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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय कानपुर में ‘ स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना’ के अंतर्गत स्मार्टफोन वितरित किए गए

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय कानपुर में ‘ स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना’ के अंतर्गत सत्र 2023- 2024 की स्नातक षष्ठम सेमेस्टर एवं सत्र 2022 – 2023 की स्मार्टफोन हेतु शेष रह गई स्नातक तृतीय वर्ष की अर्ह छात्राओं को स्मार्टफोन का वितरण किया गया । कुल 244 छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए गए।उत्तर प्रदेश शासन की इस महत्वपूर्ण योजना का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को डिजिटल माध्यमों से जोड़कर उन्हें अधिक सशक्त एवं जागरूक बनाना है जिससे छात्राएं पढ़ाई के माध्यम से हर ऊंचाइयों को छू सकें। स्मार्टफोन न केवल छात्राओं की सीखने की क्षमता को बढ़ाता है अपितु उन्हें अपने भविष्य के लिए तैयार करने में भी मदद करता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.पूनम विज जी ने सर्वप्रथम प्रबंध समिति के सचिव महोदय डॉ.डी .सी .गुप्त जी का स्वागत किया एवं छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि स्मार्टफोन /टैबलेट का सकारात्मक तरीके से उपयोग किया जाए तो यह हमें शिक्षित एवं जागरूक बनाते हैं जिससे हम हर क्षेत्र में लाभान्वित हो सकते हैं। सचिव महोदय एवं प्राचार्या जी के द्वारा छात्राओं को स्मार्टफोन प्रदान किए गए । छात्राएं स्मार्टफोन प्राप्त कर हर्षोल्लास के साथ झूम उठीं।
महाविद्यालय की प्रो.निशा पाठक , प्रो.अनुपमा कुमारी ,डॉ.आंचल तिवारी ,डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, श्रीमती निक्की वेदी ,डॉक्टर सोनम सिंह इत्यादि समस्त शिक्षिकाओं एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के सहयोग से स्मार्ट फोन वितरण कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन उक्त योजना की नोडल अधिकारी सुश्री कल्पना देवी(असिस्टेंट प्रोफेसर ,हिंदी विभाग )द्वारा किया गया ।

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कितनी आसान है राजग की सत्ता में वापसी की राह – डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त हो रहा है| 18वीं लोकसभा के लिए 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक सात चरणों में चुनाव सम्पन्न होंगे| यह दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा चुनाव होगा| जो 2019 के चुनाव को पीछे छोड़ते हुए 44 दिनों की अवधि वाला सबसे लम्बे समय तक चलने वाला आम चुनाव है| इस चुनाव के लिए 968 मिलियन भारतीय नागरिक मतदान हेतु पात्र माने गये हैं| जो कि 2019 के मुकाबले लगभग 150 मिलियन अधिक हैं| पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होगा| इस दिन 21 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, जम्मू कश्मीर, लक्षद्वीप तथा पुद्दुचेरी की 102 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होगा| जबकि दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों असम, बिहार, छतीसगढ़, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा जम्मू कश्मीर की कुल 89 सीटों के लिए वोट डाले जायेंगे| तीसरे चरण में 7 मई को 12 राज्यों असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दादर नागर हवेली एवं दमन दीव की कुल 94 सीटों के लिए चुनाव सम्पन्न होगा| चौथे चरण में 13 मई को 10 राज्यों आन्ध्र प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा जम्मू कश्मीर की कुल 96 सीटों पर मतदान होगा| पांचवें चरण में 20 मई को देश के 8 राज्यों छत्तीसगढ़, झारखण्ड, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, एवं लद्दाख की 49 सीटों के लिए चुनाव होगा| छठे चरण में 25 मई को 7 राज्यों बिहार, हरियाणा, झारखण्ड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा दिल्ली की कुल 57 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे और सातवें चरण में 1 जून को 8 राज्यों बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं चंडीगढ़ की कुल 57 सीटों पर मतदान होगा|

2024 के चुनावी समर में मुख्य मुकाबला राजनीतिक दलों के दो प्रमुख गठबन्धनों सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जन तान्त्रिक गठबन्धन तथा कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबन्धन (इण्डिया) के बीच होगा| छह राष्ट्रीय दल इस चुनाव में भाग ले रहे हैं| भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), बहुजन समाज पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, तथा आम आदमी पार्टी| इनमें बसपा को छोड़कर शेष सभी राष्ट्रीय दल दो में से किसी एक गठबन्धन का हिस्सा हैं| बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी अधिकांश राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी परन्तु तेलंगाना तथा हरियाणा में गैर-भाजपा एवं गैर-कांग्रेसी दलों के साथ गठबन्धन करेगी| वहीँ आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमन्त्री जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, ओडिशा के मुख्यमन्त्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल तथा मिजोरम के मुख्यमन्त्री लालदुहोमा की पार्टी मिजोरम पीपुल्स मूवमेंट अपने-अपने राज्य में अकेले ही लोकसभा का चुनाव लड़ेगी|

सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची लगभग फ़ाइनल कर चुके हैं| अधिक से अधिक सीटों पर फ़तेह हासिल करना सबका लक्ष्य है| वैसे तो सत्तारूढ़ दल काफी मजबूत स्थिति में है| लेकिन विपक्ष के कई बड़े दलों द्वारा एक होकर इण्डिया गठबन्धन बनाने के बाद भाजपा को चुनावी वैतरणी पार करने के लिए कुछ मशक्कत करनी पड़ सकती है| देश की 13 अलग-अलग एजेंसियों द्वारा जनवरी 2023 से फरवरी 2024 के बीच कराये गये सर्वेक्षणों के आधार पर भाजपा गठबन्धन को 44.30 प्रतिशत वोट मिलने की आशा है| जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को 36.52 प्रतिशत तथा अन्य दलों को 19 प्रतिशत के आसपास वोट मिल सकते हैं| 2019 में भाजपा गठबन्धन को 45.3 प्रतिशत वोट मिले थे| जबकि कांग्रेस को 28.5 प्रतिशत एवं अन्य को 27.2 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे| अब यदि उपरोक्त सर्वेक्षण के आधार पर सीटों की बात करें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन को लगभग 341, भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबन्धन को 146 तथा अन्य दलों को 56 सीटें 2024 के लोकसभा चुनावों में मिलती हुई दिखाई देती हैं| राजग के प्रधानमन्त्री पद के दावेदार एक मात्र नरेन्द्र दामोदर दास मोदी हैं| जबकि इण्डिया गठबन्धन इस हेतु चुनाव के बाद निर्णय लेगा| 3 फरवरी 2024 को टाइम्स नाउ-ईटीजी रिसर्च सर्वेक्षण के अनुसार सर्वे में शामिल 64 प्रतिशत लोगों ने अगले प्रधानमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को पसन्द किया है| जबकि राहुल गाँधी 17 प्रतिशत लोगों की पसन्द रहे| सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर यदि कहा जाये तो भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों के लिए सत्ता में वापसी काफी आसान लग रही है| लेकिन इस बीच चुनावी बांड को लेकर जिस तरह के खुलासे हो रहे हैं उससे भारतीय जनता पार्टी पर विशेष रूप से ऊँगली उठ रही है| जो सत्ता की राह में राजग के लिए एक स्पीड-ब्रेकर हो सकता है लेकिन दीवार  नहीं| क्योंकि चुनावी बांड का गणित देश के आम जन को जब तक पूरी तरह से समझ में आयेगा तब तक 18वीं लोकसभा का गठन हो चुका होगा और नरेन्द्र दामोदर दास मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ भी ले चुके होंगे| क्योंकि देश इस समय भावनात्मक मुद्दों की सुनामी के आगोश में फंसा हुआ है| जिसके कारण एक बहुत बड़ा वर्ग भ्रष्टाचार, मंहगाई तथा बेरोजगारी जैसे मुद्दों को गम्भीरता से लेना तो दूर, इन पर बात तक नहीं करना चाहता है और न ही कोई विपक्षी दल इन ज्वलन्त मुद्दों को धार दे पाने में सफल हो रहा है| इसके अतिरिक्त कांग्रेस सहित लगभग  सभी विपक्षी दल अपने नेताओं के भाजपा में पलायन से भी हलकान हैं| शाम को जिसके साथ चुनावी रणनीति बनती है अगली सुबह वह भाजपा के पाले में खड़ा दिखाई देता है| जिससे 2024 का आम चुनाव विकल्पहीनता की भेंट चढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है| अतः राजग की सत्ता में पुनः वापसी की राह उसकी लोकप्रियता नहीं अपितु विकल्पहीनता के कारण पूरी तरह से आसान दिखाई दे रही है|

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मुंबई अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह के वृत्‍तचित्र फिल्म बाजार में प्रविष्टियां जमा कराने की समय सीमा 10 अप्रैल तक बढ़ाई गई

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (एमआईएफएफ) के साथ आयोजित होने वाले पहले वृत्‍तचित्र फिल्म बाजार के लिए परियोजनाओं की प्रस्तुति तिथियों के विस्तार की घोषणा की है। देश के भौगोलिक रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले फिल्म निर्माताओं द्वारा अपने प्रोजक्‍ट प्रस्तुत करने में आसानी के लिए समय सीमा, जो पहले 31 मार्च, 2024 थी, अब 10 अप्रैल, 2024 तक बढ़ा दी गई है।

यह बाज़ार 16 से 18 जून 2024 तक मुंबई में आयोजित किया जाएगा। वृत्‍तचित्र फिल्म बाज़ार का उद्देश्य फिल्म निर्माण, उत्पादन और वितरण में प्रतिभा दिखाने वाली डॉक्यूमेंट्री, लघु फिल्मों और एनीमेशन सामग्री को बढ़ावा देने और सहयोग करने के लिए तैयार किया गया अपनी तरह का पहला व्यापक मंच बनना है।

वृत्‍तचित्र फिल्म बाजार के प्रमुख खंडों में वृत्‍तचित्र को-प्रोडक्शन मार्केट (वृत्‍तचित्र सीपीएम), वृत्‍तचित्र व्यूइंग रूम (वृत्‍तचित्र वीआर) और वृत्‍तचित्र वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब (वृत्‍तचित्र डब्ल्यूआईपी) शामिल हैं, जिसके लिए फिल्म निर्माताओं को अपनी फिल्में जमा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। वृत्‍तचित्र को-प्रोडक्शन मार्केट (सीपीएम) एक ऐसा मंच है जिसे विशेष रूप से वैश्विक फिल्म बिरादरी से कलात्मक और वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए तैयार किया गया है। यह विश्व स्तर पर फिल्म निर्माताओं और संभावित निर्माताओं या सह-निर्माताओं के बीच साझेदारी को सुविधाजनक बनाने वाला एक खंड है। यह वृत्तचित्र और एनीमेशन फिल्म परियोजनाओं के लिए सहयोग, सह-निर्माण और वित्त पोषण के अवसरों के लिए एक मंच प्रदान करता है।

फिल्म निर्माता अपने प्रोजेक्‍ट को आगे बढ़ा सकते हैं और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों से वित्तीय सहायता और सहयोग के रास्ते तलाश सकते हैं। वृत्‍तचित्र को-प्रोडक्शन मार्केट से चयनित परियोजनाओं को ओपन पिच सत्र में अपने प्रोजेक्ट को पेश करने का अवसर मिलेगा और साथ ही उत्पादकों, वितरकों और फाइनेंसरों के साथ वन-टू-वन बैठकें करने के लिए एक समर्पित स्थान मिलेगा। व्यूइंग रूम (वीआर) फिल्म निर्माताओं के लिए अपनी डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट्स और एनीमेशन फिल्म प्रदर्शित करने का एक मंच है। यह एक प्रतिबंधित स्थान है जहां पंजीकृत प्रतिनिधियों को फिल्मों के क्यूरेटेड चयन को देखने की अनुमति दी जाती है और यह मंच विश्व बिक्री, वितरण भागीदारों, सह-निर्माताओं, समापन निधि और फिल्म समारोहों में स्क्रीनिंग की मांग करने वाली फिल्मों के लिए आदर्श है।

वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब (डब्ल्यूआईपी) रफ-कट चरण में फिल्मों के लिए एक बंद दरवाजे वाली लैब है जहां चयनित प्रोजेक्‍ट प्रतिनिधियों को सलाह, फीडबैक और उद्योग के पेशेवरों के साथ बातचीत करने का अवसर मिलता है। प्रयोगशाला केवल 30 मिनट से अधिक की डॉक्यूमेंट्री और एनीमेशन फिल्मों के लिए खुली है। एकमात्र मानदंड यह है कि प्रस्तुत की जाने वाली फिल्म अपने रफ-कट चरण में या अंतिम संपादन से ठीक पहले होनी चाहिए और फिल्म को डीआई या अंतिम ध्वनि डिजाइन जैसी पोस्ट-प्रोडक्शन प्रक्रियाओं के साथ शुरू नहीं किया जाना चाहिए।

पहल के बारे में, संयुक्त सचिव (फिल्म) और एमडी, एनएफडीसी, श्री पृथुल कुमार ने कहा, “वृत्‍तचित्र फिल्म बाजार का मुख्य फोकस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वास्तविक और सम्मोहक कहानियों को प्रदर्शित करने वाले अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है। यह मंच फिल्म निर्माताओं को मौजूदा रुझानों, बाजार की मांग, वितरण रणनीतियों और दर्शकों की प्राथमिकताओं के बारे में मूल्यवान विस्‍तृत जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।” वृत्‍तचित्र फिल्म बाज़ार चयनित प्रोजेक्‍ट को उद्योग के विशेषज्ञों और अनुभवी फिल्म निर्माताओं से मूल्यवान प्रतिक्रिया, विस्‍तृत जानकारी और सुझाव प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा, जबकि उन्हें सहयोगियों को ढूंढने का बहुत जरूरी अवसर प्रदान करेगा जो उनकी फिल्में खरीद सकते हैं या प्रोजेक्‍ट को पूरा करने में उनकी मदद कर सकते हैं। ”

जमा कराने की प्रक्रिया पर अधिक विवरण एमआईएफएफ की वेबसाइट www.miff.in पर उपलब्ध है।

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वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, निजी क्षेत्र का 60 प्रतिशत, डीपीएसयू का 40 प्रतिशत योगदान रहा

वित्तीय वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये (लगभग 2.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है जब यह आंकड़ा 15,920 करोड़ रुपये का रहा था। ये नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में पिछले 10 वर्षों में रक्षा निर्यात 31 गुना बढ़ा है।

निजी क्षेत्र और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) सहित रक्षा उद्योग ने अब तक का उच्चतम रक्षा निर्यात अर्जित करने के लिए जबरदस्त प्रयास किए हैं। निजी क्षेत्र और डीपीएसयू ने क्रमशः 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत का योगदान दिया है।

इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रक्षा निर्यातकों को जारी किए गए निर्यात प्राधिकारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में 1,414 निर्यात प्राधिकारों से, वित्त वर्ष 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 1,507 हो गई।

दो दशकों यानी 2004-05 से 2013-14 और 2014-15 से 2023-24 तक के तुलनात्मक आंकड़ों से यह पता चलता है कि रक्षा निर्यात में 21 गुना की वृद्धि हुई है। 2004-05 से 2013-14 के दौरान कुल रक्षा निर्यात 4,312 करोड़ रुपये का रहा था, जो 2014-15 से 2023-24 की अवधि में बढ़कर 88,319 करोड़ रुपये हो गया है।

रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उद्योगों को प्रदान किए गए ‘एंड-टू-एंड’ डिजिटल समाधान के साथ-साथ सरकार द्वारा लाए गए नीतिगत सुधारों और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ पहल के कारण यह उल्लेखनीय वृद्धि अर्जित की गई है। यह वृद्धि भारतीय रक्षा उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाती है।

एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा निर्यात में नयी उपलब्धि हासिल करने पर सभी हितधारकों को बधाई दी।

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सुश्री शेफाली शरण ने पत्र सूचना कार्यालय के प्रधान महानिदेशक का पदभार संभाला

सुश्री शेफाली बी. शरण ने कल श्री मनीष देसाई की सेवानिवृत्ति के बाद आज पत्र सूचना कार्यालय के प्रधान महानिदेशक का पदभार ग्रहण कर लिया है। सुश्री शरण भारतीय सूचना सेवा के 1990 बैच की अधिकारी हैं।

तीन दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर के दौरान, उन्होंने वित्त, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा सूचना और प्रसारण जैसे मंत्रालयों के लिए पत्र सूचना कार्यालय अधिकारी के रूप में बड़े पैमाने पर मीडिया प्रचार कार्यों को संभालने वाले कैडर संबंधी दायित्वों को निभाया है। वह भारत निर्वाचन आयोग की प्रवक्ता के रूप में भी काम कर चुकी हैं।

साथ ही, उन्होंने ओएसडी (सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सूचना नीति, 2000-2002) के कैडर पोस्ट पर काम करने और 2007-2008 में एलएसटीवी, लोकसभा सचिवालय में निदेशक, प्रशासन एवं वित्त के रूप में दायित्व निभाने के अलावा केन्द्रीय कर्मचारी योजना प्रतिनियुक्ति के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय [पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली विभाग/आयुष विभाग (2002-2007)] और वित्त मंत्रालय (आर्थिक कार्य विभाग 2013-2017) में निदेशक के रूप में भी काम किया है।

पदभार संभालने पर, सुश्री शरण का पत्र सूचना कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वागत किया।

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मार्च में मासिक सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1.78 लाख करोड़ रुपये रहा जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा मासिक संग्रह है; इस प्रकार वर्ष-दर-वर्ष 11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (शुद्ध आधार पर 18.4 प्रतिशत)

मार्च में मासिक सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1.78 लाख करोड़ रुपये रहा जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा मासिक संग्रह है; इस प्रकार वर्ष-दर-वर्ष 11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (शुद्ध आधार पर 18.4 प्रतिशत)

मार्च 2024 में सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में वर्ष-दर-वर्ष 11.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.78 लाख करोड़ रुपये का रहा, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कर संग्रह है। यह उछाल घरेलू लेनदेन से जीएसटी संग्रह में 17.6 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के कारण आया। मार्च 2024 के लिए रिफंड का जीएसटी शुद्ध राजस्व 1.65 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 18.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में निरंतर मजबूत प्रदर्शन: वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल सकल जीएसटी संग्रह 20.18 लाख करोड़ रुपये रहा यह पिछले वर्ष की तुलना में हुए 20 लाख करोड़ रुपये के राजस्‍व से अधिक है जो 11.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इस वित्तीय वर्ष का औसत मासिक संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष के औसत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए मार्च 2024 तक रिफंड का जीएसटी शुद्ध राजस्व 18.01 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

सभी घटकों में सकारात्मक प्रदर्शन:

मार्च 2024 के संग्रह का विवरण:

• केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी): 34,532 करोड़ रुपये;

• राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी): 43,746 करोड़ रुपये;

• एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी): 87,947 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 40,322 करोड़ रुपये भी शामिल हैं;

• उपकर: 12,259 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 996 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।

पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 के संग्रह में इसी तरह के सकारात्मक रुझान देखे गए हैं:

• केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी): 3,75,710 करोड़ रुपये;

• राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी): 4,71,195 करोड़ रुपये;

• एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी): 10,26,790 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 4,83,086 करोड़ रुपये को दर्शाता हैं;

• उपकर: 1,44,554 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 11,915 करोड़ रुपये शामिल हैं।

अंतर-सरकारी समझौता: मार्च, 2024 के महीने में, केंद्र सरकार ने एकत्रित आईजीएसटी से सीजीएसटी को 43,264 करोड़ रुपये और एसजीएसटी को 37,704 करोड़ रुपये का निपटान किया। यह नियमित निपटान के बाद मार्च, 2024 के लिए सीजीएसटी के लिए 77,796 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 81,450 करोड़ रुपये का कुल राजस्व है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, केंद्र सरकार ने एकत्रित आईजीएसटी से सीजीएसटी को 4,87,039 करोड़ रुपये और एसजीएसटी को 4,12,028 करोड़ रुपये का निपटान किया।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में रुझान दिखाता है। तालिका-1 मार्च, 2023 की तुलना में मार्च, 2024 के महीने के दौरान प्रत्येक राज्य में एकत्रित जीएसटी के राज्य-वार आंकड़े दर्शाती है। तालिका-2 मार्च, 2024 प्रत्येक राज्य के निपटान के बाद के जीएसटी राजस्व के राज्य-वार आंकड़े दर्शाती है।

चार्ट: जीएसटी संग्रह में रुझान

तालिका 1: मार्च, 2024 के दौरान जीएसटी राजस्व की राज्यवार वृद्धि[1]

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश मार्च-23 मार्च-24 वृद्धि (%)
जम्मू एवं कश्मीर 477 601 26%
हिमाचल प्रदेश 739 852 15%
पंजाब 1,735 2,090 20%
चंडीगढ़ 202 238 18%
उत्तराखंड 1,523 1,730 14%
हरियाणा 7,780 9,545 23%
दिल्ली 4,840 5,820 20%
राजस्थान 4,154 4,798 15%
उत्‍तर प्रदेश 7,613 9,087 19%
बिहार 1,744 1,991 14%
सिक्किम 262 303 16%
अरुणाचल प्रदेश 144 168 16%
नगालैंड 58 83 43%
मणिपुर 65 69 6%
मिजोरम 70 50 -29%
त्रिपुरा 90 121 34%
मेघालय 202 213 6%
असम 1,280 1,543 21%
पश्चिम बंगाल 5,092 5,473 7%
झारखंड 3,083 3,243 5%
ओडिशा 4,749 5,109 8%
छत्तीसगढ 3,017 3,143 4%
मध्य प्रदेश 3,346 3,974 19%
गुजरात 9,919 11,392 15%
दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव 309 452 46%
महाराष्ट्र 22,695 27,688 22%
कर्नाटक 10,360 13,014 26%
गोवा 515 565 10%
लक्षद्वीप 3 2 -18%
केरल 2,354 2,598 10%
तमिलनाडु 9,245 11,017 19%
पुदुचेरी 204 221 9%
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 37 32 -14%
तेलंगाना 4,804 5,399 12%
आंध्र प्रदेश 3,532 4,082 16%
लद्दाख 23 41 82%
अन्य क्षेत्र 249 196 -21%
केंद्र क्षेत्राधिकार 142 220 55%
कुल योग 1,16,659 1,37,166 18%

 

तालिका-2: आईजीएसटी का एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्सा राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को अप्रैल-मार्च में दिया गया (करोड़ रुपये में)

  निपटान से पूर्व एसजीएसटी निपटान पश्चात एसजीएसटी [2]  
राज्य/केन्द्र शासित  प्रदेश 2022-23 2023-24 विकास 2022-23 2023-24 विकास
जम्मू एवं कश्मीर 2,350 2,945 25% 7,272 8,093 11%
हिमाचल प्रदेश 2,346 2,597 11% 5,543 5,584 1%
पंजाब 7,660 8,406 10% 19,422 22,106 14%
चंडीगढ़ 629 689 10% 2,124 2,314 9%
उत्तराखंड 4,787 5,415 13% 7,554 8,403 11%
हरियाणा 18,143 20,334 12% 30,952 34,901 13%
दिल्ली 13,619 15,647 15% 28,284 32,165 14%
राजस्थान 15,636 17,531 12% 35,014 39,140 12%
उत्‍तर प्रदेश 27,366 32,534 19% 66,052 76,649 16%
बिहार 7,543 8,535 13% 23,384 27,622 18%
सिक्किम 301 420 39% 839 951 13%
अरुणाचल प्रदेश 494 628 27% 1,623 1,902 17%
नगालैंड 228 307 35% 964 1,057 10%
मणिपुर 321 346 8% 1,439 1,095 -24%
मिजोरम 230 273 19% 892 963 8%
त्रिपुरा 435 512 18% 1,463 1,583 8%
मेघालय 489 607 24% 1,490 1,713 15%
असम 5,180 6,010 16% 12,639 14,691 16%
पश्चिम बंगाल 21,514 23,436 9% 39,052 41,976 7%
झारखंड 7,813 8,840 13% 11,490 12,456 8%
ओडिशा 14,211 16,455 16% 19,613 24,942 27%
छत्तीसगढ 7,489 8,175 9% 11,417 13,895 22%
मध्य प्रदेश 10,937 13,072 20% 27,825 33,800 21%
गुजरात 37,802 42,371 12% 58,009 64,002 10%
दादरा नगर हवेली

दमन और दीव

637 661 4% 1,183 1,083 -8%
महाराष्ट्र 85,532 1,00,843 18% 1,29,129 1,49,115 15%
कर्नाटक 35,429 40,969 16% 65,579 75,187 15%
गोवा 2,018 2,352 17% 3,593 4,120 15%
लक्षद्वीप 10 19 93% 47 82 75%
केरल 12,311 13,967 13% 29,188 30,873 6%
तमिलनाडु 36,353 41,082 13% 58,194 65,834 13%
पुदुचेरी 463 509 10% 1,161 1,366 18%
अंडमान निकोबार

द्वीप समूह

183 206 12% 484 528 9%
तेलंगाना 16,877 20,012 19% 38,008 40,650 7%
आंध्र प्रदेश 12,542 14,008 12% 28,589 31,606 11%
लद्दाख 171 250 46% 517 653 26%
अन्य क्षेत्र 201 231 15% 721 1,123 56%
कुल योग 4,10,251 4,71,195 15% 7,70,747 8,74,223 13%

 

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एमजी/एआर/आईपीएस/एसएस

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[1] इसमें माल के आयात पर जीएसटी शामिल नहीं है

[2] निपटान के बाद का जीएसटी राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के जीएसटी राजस्व और आईजीएसटी के एसजीएसटी हिस्से का संचयी हिस्सा है जो राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को दिया जाता है।

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नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था लागू होने के संबंध में स्पष्टीकरण

ऐसा देखने में आया है कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नई कर व्यवस्था से जुड़ी भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। इसलिए यह स्पष्ट किया जाता है कि धारा 115बीएसी(1ए) के तहत नई व्यवस्था वित्त अधिनियम 2023 में पेश की गई थी जो मौजूदा पुरानी व्यवस्था (छूट के बिना) की तुलना में इस प्रकार थी:
  वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश की गई नई व्यवस्था 115बीएसी(1) मौजूदा पुरानी व्‍यवस्‍था
  0-3 लाख 0 प्रतिशत 0-2.5 लाख 0 प्रतिशत
  3-6 लाख 5 प्रतिशत 2.5 -5 लाख 5 प्रतिशत
  6-9 लाख 10 प्रतिशत 5-10 लाख 20 प्रतिशत
  9-12 लाख 15 प्रतिशत 10 लाख से उपर 30 प्रतिशत
  12-15 लाख 20 प्रतिशत    
  15 लाख से उपर 30 प्रतिशत    

यह व्यवस्था कंपनियों और फर्मों के अलावा अन्य व्यक्तियों के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 से डिफ़ॉल्ट व्यवस्था के रूप में लागू है और इस निर्धारण वर्ष 2024-25 के अनुरूप मूल्यांकन वर्ष है।

नई कर व्यवस्था के तहत, कर दरें काफी कम हैं, हालांकि पुरानी व्यवस्था की तरह विभिन्न छूट और कटौतियों (वेतन से 50,000 रुपये और पारिवारिक पेंशन से 15,000 रुपये की मानक कटौती के अलावा) का लाभ उपलब्ध नहीं है।

हालाँकिनई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था हैकरदाता वह कर व्यवस्था चुन सकते हैं जो उन्हें लगता है कि उनके लिए फायदेमंद है। नई कर व्यवस्था से बाहर निकलने का विकल्प निर्धारण वर्ष 2024-25 के लिए रिटर्न दाखिल करने तक उपलब्ध है। बिना किसी व्यावसायिक आय वाले पात्र व्यक्तियों के पास प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए व्यवस्था चुनने का विकल्प होगा। इसलिए, वे एक वित्तीय वर्ष में नई कर व्यवस्था और दूसरे वर्ष में पुरानी कर व्यवस्था चुन सकते हैं और इसके विपरीत भी।

01.04.2024 से कोई नया परिवर्तन नहीं किया जा रहा है।

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