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प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे शिंजो के दुःखद निधन पर गहरा शोक और दुःख व्यक्त किया

प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री आबे शिंजो के दुःखद निधन पर गहरा शोक और दुःख व्यक्त किया है। श्री मोदी ने श्री आबे के साथ अपने संबंध एवं दोस्ती को भी रेखांकित किया और भारत-जापान संबंधों को एक विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी स्तर तक लाने में उनके महती योगदान की चर्चा की। श्री मोदी ने आबे शिंजो के प्रति गहरा सम्मान दर्शाते हुए 9 जुलाई 2022 को एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने टोक्यो में आबे शिंजो के साथ अपने हाल की बैठक की एक तस्वीर भी साझा की।

ट्वीट की एक श्रृंखला के माध्यम से, प्रधानमंत्री ने कहा;

“मैं अपने सबसे प्रिय दोस्तों में से एक शिंजो आबे के दुःखद निधन से स्तब्ध और दुखी हूं। वो एक महान वैश्विक राजनीतिज्ञ, एक उत्कृष्ट नेता और एक योग्य प्रशासक थे। उन्होंने जापान और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।”

“श्री आबे के साथ मेरे संबंध कई साल पुराने हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मेरा उनसे परिचय हुआ और मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद भी हमारी दोस्ती जारी रही। अर्थव्यवस्था और वैश्विक मामलों पर उनकी तीक्ष्ण अंतर्दृष्टि ने हमेशा मुझ पर गहरी छाप छोड़ी।”

“मेरी हाल की जापान यात्रा के दौरान, मुझे श्री आबे से एक बार फिर मिलने और कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला। वो हमेशा की तरह विनोदपूर्ण और तीक्ष्ण थे। मुझे क्या पता था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी। मेरी हार्दिक संवेदनाएं उनके परिवार और जापान के लोगों के साथ हैं।”

“श्री आबे ने भारत-जापान संबंधों को एक विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी स्तर तक लाने में महती योगदान दिया। आज पूरा भारत जापान के साथ शोक मना रहा है और इस मुश्किल घड़ी में हम अपने जापानी भाइयों और बहनों के साथ खड़े हैं।”

“पूर्व प्रधानमंत्री आबे शिंजो के प्रति हमारे गहरे सम्मान के प्रतीक के रूप में, 9 जुलाई 2022 को एक-दिवसीय राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा।”

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सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भीतरगांव के चिकित्सा अधीक्षक एवं आशा बहू की बातचीत का आडियो हुआ वायरल डिलीवरी कराने के नाम पर उत्कोच मांगने संबंधी आडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भीतरगांव के चिकित्सा अधीक्षक एवं आशा बहू की बातचीत का आडियो वायरल हुआ जिसमे डिलीवरी कराने के नाम पर उत्कोच मांगने संबंधी आडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उक्त वायरल आडियों को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी श्री विशाख जी द्वारा प्रकरण की जांच हेतु उप जिलाधिकारी, नर्वल एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी को नामित किया गया। समिति द्वारा प्रकरण की जांच की आख्या उपलब्ध करायी गयी, जिसमें जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा डा0 अजय मौर्य के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही हेतु शासन को संस्तुति की गयी है एवं संबंधित आशा बहू के विरूद्ध कार्यवाही हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी, कानपुर नगर को निर्देशित किया गया। जिलाधिकारी के निर्देश पर डॉक्टर अजय मौर्य को एम आई सी भीतरगांव के पद से हटाते हुए डॉक्टर एम0पी0 तिवारी को एमओआईसी भीतरगांव के रूप में तैनात किया गया है।

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गुजैनी थाना के पुलिसकर्मियों पर लगा 43000 रुपए छीनने का आरोप

कानपुर 8 जुलाई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, बिगत दिनों थाना क्षेत्र गुजैनी में लूट व चोरी के माल को फर्जी बरामद करने के मामले में थानाध्यक्ष सहित खुलासा करने वाली पुलिस टीम पर लूट के मामले में एक निर्दोष को जेल भेजने का गम्भीर आरोप स्वयं वादी मुकदमा व मौके के चश्मदीद गवाह द्वारा लगाया जा चुका है। इसी क्रम में गुजैनी थाना के सिपाहियों पर एक युवक द्वारा रुपये छीन लेने व फर्जी तौर पर जुआ खेलते दिखाने का गम्भीर आरोप लगाया गया है। जानकारी के अनुसार, गुजैनी थाना क्षेत्र में रामगोपाल चौराहे में दो युवकों को जुआ खेलने के आरोप में पकड़ा गया था। जिसमे दोनों युवकों पर धारा 13 जी एक्ट के तहत कार्यवाही की गई थी जिसमें युवकों के पास 9500 रुपये की रकम बरामदी पुलिस द्वारा बताई गई थी। किन्तु आज इनमें से एक आरोपी सुमित कुमार द्वारा डीसीपी साउथ के यहां प्रार्थना पत्र दिया गया है जिसमें सुमित ने गुजैनी थाना के पुलिसकर्मियों पर रुपये छीनने का आरोप लगाया है। सुमित के अनुसार, विगत 6 जुलाई को दिन में करीब 3 बजे बोरिंग का काम करने वाले मिस्त्री के यहां रामगोपाल चौराहे कच्ची बस्ती में गए थे। तभी अचानक वहां पीछे से गुजैनी थाना के उप निरीक्षक गौरव शौलिया व कांस्टेबल सुधीप, अजय, रामबाबू आ धमके और सुमित व मिस्त्री महेश मिश्रा को पकड़ लिया। इतना ही नहीं पुलिस कर्मियों ने जोर जोर धमकाकर कहा कि जुआ खेल रहे हो और यह कहते हुए कांस्टेबल सुधीप ने सुमित की जेब में रखे 43000 रुपए छीन लिए। इसके बाद दोनों को थाने में लाकर बंद कर दिया। सुमित न आरोप लगाया कि पुलिसवालों ने रुपये हजम करने के उद्देश्य से जुआ खेलता दिखाकर चालान कर दिया गया। आज सुमित ने डीसीपी साउथ के यहां गुजैनी थाना के पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर डीसीपी साउथ से न्याय की गुहार लगाई है। इस संदर्भ में जब गुजैनी थाना प्रभारी रवि शंकर त्रिपाठी से जानकारी की गई तो उन्होंने कहा कि सुमित द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। बताते चलें कि गुजैनी थाना क्षेत्र के गुजैनी नहर के पास घटित दो घटनाओं को एक बनाकर, एक घटना के पीड़ित को वादी व एक घटना के पीड़ित को चश्मदीद गवाह बनाकर, तीन में आरोपियों को गिरफ्तारी दिखाते हुए गुडवर्क के चक्कर में मनगढ़न्त कहानी बनाकर फर्जी खुलासा करने का गम्भीर आरोप लग चुका है जो सुर्खियों में बना हुआ है। इस मामले में एक आरोपी को निर्दोष को जेल भेज देने का आरोप थानाध्यक्ष रवि शंकर त्रिपाठी, तत्कालीन उप निरीक्षक राकेश दीक्षित, उप निरीक्षक अरुण कुमार, उप निरीक्षक रिन्कू कुमार, हे. का. देवेन्द्र सिंह, का. ऋषि यादव व का अजय कुमार पर लग चुका है।

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पत्रकार कल्याण योजना के तहत 7 पत्रकारों के साथ-साथ 35 पत्रकारों के परिवारों के लिए सहायता स्वीकृत

केंद्र सरकार ने अपनी जान गंवाने वाले 35 पत्रकारों के परिवारों को वित्तीय राहत प्रदान करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में पत्रकार कल्याण योजना समिति के एक प्रस्ताव को स्‍वीकृति दे दी है। इनमें उन 16 पत्रकारों के परिवार शामिल हैं जिनकी मौत कोविड-19 से हुई है। पत्रकार कल्याण योजना (जेडब्ल्यूएस) के तहत परिवारों को 5 लाख रुपये तक वित्‍तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

जेडब्ल्यूएस समिति ने जेडब्ल्यूएस दिशा-निर्देशों के अनुसार स्थायी विकलांगता से पीड़ित दो पत्रकारों और गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे पांच पत्रकारों को भी सहायता देने की सिफारिश की। समिति ने बैठक के दौरान कुल 1.81 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की है।

इस योजना के तहत अब तक कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले 123 पत्रकारों के परिवारों को सहायता प्रदान की जा चुकी है। मौजूदा स्वीकृतियों सहित वर्तमान बैठक में कुल 139 परिवारों को सहायता प्रदान की गई है।

इस योजना के तहत पत्रकार की मृत्यु होने के कारण अत्यधिक कठिनाई होने को ध्‍यान में रखते हुए पत्रकारों के परिवारों को 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। स्थायी विकलांगता, गंभीर दुर्घटना और गंभीर स्वास्थ्य रोग होने पर भी पत्रकारों को सहायता प्रदान की जाती है।

पिछले वित्त वर्ष के दौरान 134 पत्रकारों और उनके परिवारों को विभिन्न श्रेणियों के तहत 6.47 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई।

जेडब्ल्यूएस समिति की बैठक में श्री जयदीप भटनागर, प्रधान महानिदेशक, पीआईबी; श्री विक्रम सहाय, संयुक्त सचिव (आई एंड बी) के साथ-साथ समिति के पत्रकार प्रतिनिधि श्री संतोष ठाकुर, श्री अमित कुमार, श्री उमेश्वर कुमार, सुश्री सरजना शर्मा, श्री राज किशोर तिवारी और श्री गणेश बिष्ट शामिल थे।

पत्रकार और उनके परिवार पीआईबी की वेबसाइट https://accreditation.pib.gov.in/jws/default.aspx  के माध्यम से पत्रकार कल्याण योजना (जेडब्ल्यूएस) के तहत सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

 

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पुणे-सतारा राजमार्ग (एनएच-4) के खंभातकी घाट पर नई 6-लेन सुरंग की परियोजना मार्च, 2023 तक पूरा होने की संभावना

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर यह बताया कि पुणे-सतारा राजमार्ग (एनएच-4) पर खंभातकी घाट पर नई 3 लेन वाली एक जोड़ी यानी कुल 6-लेन की सुरंग है और वर्तमान में यह पूरी गति से निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि सतारा-पुणे दिशा में मौजूदा ‘एस’ घुमाव (कर्व) को जल्द ही पूरा किया जाएगा, जिससे दुर्घटना के जोखिम में भारी कमी आएगी। 6.43 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की कुल पूंजीगत लागत लगभग 926 करोड़ रुपये है और इसके मार्च, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज हमारा देश अभूतपूर्व ढांचागत परिवर्तन देख रहा है और ‘कनेक्टिविटी (संपर्क) के माध्यम से समृद्धि’ का प्रसार हो रहा है। उन्होंने कहा कि नए भारत को विश्व स्तरीय अवसंरचना की मांग है।

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गडकरी ने कहा कि यह सुरंग कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यात्रियों को उनके वैल्यू ओवर टाइम (वीओटी) और वैल्यू ओवर कॉस्ट (वीओसी) बचत के माध्यम से सीधा लाभ प्रदान करेगा। मंत्री ने आगे बताया कि पुणे-सतारा और खंभातकी घाट से होते हुए सतारा-पुणे की औसत यात्रा का समय क्रमश: 45 मिनट और 10 से 15 मिनट है। वहीं, इस सुरंग के पूरा हो जाने से औसत यात्रा का यह समय घटकर 5 से 10 मिनट रह जाएगा।

 

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प्रधानमंत्री कल वाराणसी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल 07 जुलाई 2022 को वाराणसी में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के  विश्वविद्यालयों के 300 से अधिक कुलपतियों और निदेशकों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं के साथ-साथ उद्योग के प्रतिनिधियों को भी यह  विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ एक मंच पर लाएगा कि पिछले दो वर्षों में कई पहलों के सफल कार्यान्वयन के बाद देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन को कैसे और आगे बढ़ाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने में रणनीतियों, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा, विचार-विमर्श और अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए अग्रणी भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एचईआई) के लिए एक मंच प्रदान करेगा। शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ मिलकर अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एग्जिट, उच्च शिक्षा में बहु अनुशासन और लचीलापन, ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विनियम, वैश्विक मानकों के साथ इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को संशोधित करने, बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने तथा  भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने और दोनों को शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने, कौशल शिक्षा को मुख्य धारा में लाने एवं आजीवन सीखने को बढ़ावा देने जैसी कई नीतिगत पहलों  को शुरू किया है। कई विश्वविद्यालय पहले ही इस कार्यक्रम को अपना चुके हैं, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे हैं जिनके लिए इन परिवर्तनों को अपनाना और उनके अनुकूल होना बाकी है। चूंकि देश में उच्च शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केंद्र, राज्यों और निजी संस्थाओं तक फैला हुआ है, इसलिए नीति कार्यान्वयन को और आगे ले जाने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। परामर्श की यह प्रक्रिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने पिछले महीने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मुख्य सचिवों के एक सेमिनार को संबोधित किया था जहां राज्यों ने इस मुद्दे पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। इस संबंध में परामर्शों की श्रृंखला में वाराणसी शिक्षा समागम की अगली कड़ी है। 7 से 9 जुलाई तक चलने वाले तीन दिनों के इस समागम के  कई सत्रों में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा होगी । इस शिखर सम्मेलन से विचारोत्तेजक चर्चाओं के लिए एक ऐसा मंच मिल सकने  की उम्मीद है जो कार्ययोजना और कार्यान्वयन रणनीतियों को स्पष्ट करने के अलावा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और अंतःविषय विचार-विमर्श के माध्यम से एक नेटवर्क का निर्माण करने के साथ- साथ शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेगा और उचित समाधानों को स्पष्ट करेगा। अखिल भारतीय शिक्षा समागम का मुख्य आकर्षण उच्च शिक्षा पर वाराणसी घोषणा को स्वीकार करना होगा जो उच्च शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए भारत की विस्तारित दृष्टि और नए सिरे से उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा।

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जून 2022 में कोयला उत्पादन 32.57 प्रतिशत बढ़कर 67.59 मिलियन टन हो गया

भारत का कोयला उत्पादन जून 2021 की तुलना में जून, 2022 के दौरान 50.98 एमटी से 32.57 प्रतिशत बढ़कर 67.59 मिलियन टन (एमटी) हो गया। कोयला मंत्रालय के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जून के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कोयला उत्पादन करने वाली कंपनी की खानों/अन्य ने क्रमशः 51.56 एमटी, 5.56 एमटी और 10.47 एमटी उत्पादन करके 28.87 प्रतिशत, 5.50 प्रतिशत और 83.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। शीर्ष 37 कोयला खदानों में से 22 खानों ने 100 प्रतिशत से अधिक उत्पादन किया और अन्य नौ खानों का उत्पादन 80 से 100 प्रतिशत के बीच रहा।

वहीं, कोयले की रवानगी 20.69 फीसदी बढ़कर 75.46 एमटी हो गई, जो जून 2021 की तुलना में जून, 22 में 62.53 एमटी थी। 22 जून के दौरान सीआईएल और कोयला उत्पादन करने वाली कंपनी की खानों/अन्य ने क्रमशः 58.98 और 11.05 एमटी भेज कर 15.20 प्रतिशत और 88.23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। एससीसीएल ने महीने के दौरान 0.46 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की।

बिजली की मांग में वृद्धि के कारण जून 21 में 49.62 एमटी की तुलना में इस साल जून के दौरान बिजली उपयोगिताओं का प्रेषण 30.77 प्रतिशत बढ़कर 64.89 एमटी हो गया।

जून 2021 की तुलना में जून 2022 में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 26.58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जून 2022 में कुल बिजली उत्पादन जून 2021 की तुलना में 17.73 प्रतिशत अधिक रहा है। हालांकि, कोयला आधारित बिजली उत्पादन मई 2022 में 98609 एमयू की तुलना में जून 2022 के महीने में 95880 एमयू रहा और 2.77 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की। कुल बिजली उत्पादन भी जून 2022 में घटकर 138995 एमयू हो गया है जो मई 2022 में 140059 एमयू था और 0.76 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।

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पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी तथा निर्यात में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है क्योंकि मेक इन इंडिया इस सेक्टर के लिए सकारात्मक परिणाम दे रहा है

पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए भारत में खिलौनों का आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 371 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 110 मिलियन डॉलर रहा जो 70.35 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना आयात में और तेजी से कमी आई है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 304 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान घट कर 36 मिलियन डॉलर पर आ गया। इसके अतिरिक्त, इसी अवधि के दौरान निर्यात में 61.38 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए, खिलौना निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के 202 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 326 मिलियन डॉलर रहा जो 61.39 प्रतिशत की बढोतरी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना निर्यात बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 के 109 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बढ़ कर 177 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया। अनिल अग्रवाल ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 2-5 जुलाई 2022 तक आयोजित टॉय बिज बी2बी ( बिजनेस टू बिजनेस ) अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के 13वें संस्करण के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ‘‘ मन की बात ‘‘ के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने  ‘‘ भारतीय खिलौना स्टोरी की रिब्राडिंग ‘‘ की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में बनाने के लिए बच्चों के लिए सही प्रकार के खिलौनों की उपलब्धता, खिलौनों का उपयोग सीखने के संसाधन के रूप में करने, भारतीय मूल्य प्रणाली, भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि उद्योग को सरकार की कई सारी युक्तियों से लाभ पहुंचा है और इसके परिणाम मेक इन इंडिया प्रोग्राम की सफलता प्रदर्शित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि आयात मुख्य रूप से खिलौनों के कुछ कंपोनेंट तक सीमित रह गए।

खिलौना क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा की गई युक्तियां –

i.              विदेश व्यापार महानिदशालय ( डीजीएफटी ) ने दिनांक 02.12.2019 की अधिसूचना संख्या 33/2015-2020 के द्वारा प्रत्येक खेप का नमूना परीक्षण करना अधिदेशित किया था और जब तक गुणवत्ता परीक्षण सफल नहीं होता, बिक्री की अनुमति नहीं दी थी। विफलता की स्थिति में, खेप को या तो वापस भेज दिया जाता है या आयातक की कीमत पर उसे नष्ट कर दिया जाता है।

ii.             टॉयज एचएस कोड 9503 पर बेसिक कस्टम ड्यूटी  ( बीसीडी ) फरवरी, 2020 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है।

iii.            सरकार ने 25/02/2020 को खिलौना ( गुणवत्ता नियंत्रण ) आदेश जारी किया था जिसके माध्यम से खिलौनों को 01/01/2021 से अनिवार्य भारतीय मानक ब्यूरो  ( बीआईएस ) प्रमाणीकरण के तहत ला दिया गया है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश ( क्यूसीओ ) के अनुसार, प्रत्येक खिलौना संगत भारतीय मानक की आवश्यकताओं के अनुरुप होगा तथा बीआईएस ( अनुरुपता आकलन ) विनियमन, 2018 की स्कीम-1 के अनुसार बीआईएस से एक लाइसेंस के तहत मानक चिन्ह धारण करेगा। यह क्यूसीओ घरेलू विनिर्माताओं तथा विदेशी विनिर्माताओं, जो अपने खिलौनों का भारत में निर्यात करना चाहते हैं, दोनों पर ही लागू है।

iv.           खिलौनों पर क्यूसीओ को 11.12.2020 को संशोधित किया गया था जिससे कि विकास आयुक्त  ( कपड़ा मंत्रालय ) के साथ पंजीकृत कारीगरों द्वारा विनिर्मित्त तथा बेची जाने वाली वस्तुओं और आर्टिकल्स को और पैटेंट, डिजाइन तथा ट्रेडमार्क महानियंत्रक  ( सीजीपीडीटीएम ) के कार्यालय द्वारा भौगोलिक संकेतक के रूप में पंजीकृत स्वामी और अधिकृत उपयोगकर्ताओं को भी छूट दी जा सके।

v.            बीआईएस ने 17.12.2020 को विशेष प्रावधान किए जिससे कि एक वर्ष के लिए बिना परीक्षण सुविधा वाली खिलौना बनाने वाली सूक्ष्म स्तर की इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किया जा सके और इन-हाउस सुविधा स्थापित करने पर जोर न दिया जा सके।

vi.           बीआईएस ने खिलौनों की सुरक्षा के लिए घरेलू विनिर्माताओं को 843 लाइसेंस प्रदान किए हैं जिसमें से 645 लाइसेंस गैर-बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं तथा 198 लाइसेंस बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 6 लाइसेंस अंतरराष्ट्रीय खिलौना विनिर्माताओं को प्रदान किए गए हैं।

सभी 96 प्रदर्शकों ने पारंपरिक प्लश खिलौनों, निर्माण उपकरण खिलौनों, गुड़िया, बिल्डिंग ब्लौक्स खिलौनों, बोर्ड गेम्स, पजल्स, इलेक्ट्रोनिक खिलौनों, शिक्षाप्रद खिलौनों, राइड-ऑन से लेकर विविध उत्पाद वर्ग प्रदर्शित किए हैं। सभी खिलौना उत्पाद ‘ मेड इन इंडिया ‘ उत्पाद थे जो लघु, मझोले तथा बड़े उद्यमों द्वारा घरेलू रूप से विनिर्मित्त थे। जीआई टैग वाले खिलौने जैसेकि चेन्नापटना, वाराणसी आदि का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में भारतीय लोकाचार तथा मूल्य प्रणाली पर आधारित खिलौनों का प्रदर्शन किया जा रहा है जो ‘ वोकल फॉर लोकल ‘ थीम का विधिवत समर्थन करते हैं। प्रत्येक खिलौना वर्ग के पास किफायती और हाई-एंड संस्करण हैं। यह 2019 में आयोजित प्रदर्शनी के 12वें संस्करण की ततुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव है जिसमें 116 स्टॉल थे और 90 स्टॉल केवल आयातित खिलौनों का प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शनी में भारत के 3,000 से अधिक आगंतुकों तथा सऊदी अरब, यूएई, भूटान, अमेरिका आदि से अंतरराष्ट्रीय खरीदार शिष्टमंडल ने भाग लिया।

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संयुक्त प्रवेश परीक्षा बी-एड -2022-23 की परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण

कानपुर 6 जुलाई भारतीय स्वरुप संवाददाता, पुलिस कमिश्नर विजय मीना एवं जिलाधिकारी विशाख जी द्वारा संयुक्त रूप से जनपद कानपुर नगर में 42 परीक्षा केंद्रों ने चल रही दो पालियों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा बी-एड -2022-23 की परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। प्रथम पाली की परीक्षा सुबह 09:00 बजे से 12:00 बजे तथा द्वितीय पाली अपराह्न 02: बजे से 05:00 बजे तक चलेगी । जिलाधिकारी एवं पुलिस कमिश्नर ने परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था एवं सीसीटीवी कंट्रोल रूम व परीक्षा कक्ष को देखा। परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने हेतु जिला स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है ।
सभी परीक्षा केंद्रों में निरीक्षण के दौरान जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित मिले।
निरीक्षण के दौरान दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज सिविल लाइन एवं डीएवी कॉलेज सिविल लाइन का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

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पत्रकार को एक अस्पताल की खबर बनाना भारी पड़ा

कानपुर 6 जुलाई भारतीय स्वरूप संवाददाता, देशभर में पत्रकारों के साथ हो रहीं हिंसक व अभद्रता की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। किसी ना किसी राज्य में कोई ना कोई मामला प्रकाश में आ ही जाता है। इसी क्रम में एक मामला उप्र राज्य के जिला कानपुर देहात के रसूलाबाद कोतवाली क्षेत्र का प्रकाश में आया है।
जानकारी के अनुसार, रसूलाबाद क्षेत्र में समाचार संकलन का कार्य करने वाले एक दैनिक समाचारपत्र में कार्यरत पत्रकार विशाल सिंह गौतम को एक अस्पताल की खबर बनाना भारी पड़ गया क्यों विशाल के साथ की गई मारपीट व अभद्रता की शिकायत पुलिस ने अनेदखी कर दी और सत्ता रूढ़ दल के नेताओं से संरक्षण प्राप्त एक अस्पताल के डाक्टर की मनगढ़न्त तहरीर के आधार पर रंगदारी मांगने का मामला दर्ज दिया।
पीड़ित पत्रकार के अनुसार, 27 जून 2022 को खबर कवरेज के दौरान रसूलाबाद-झींझक तिराहा स्थित एसएसजी हेल्थकेयर अस्पताल संचालक भाजपा नेता ने पत्रकार का नाम पूंछकर जाति सूचक गालियां भी दीं। इसी दौरान पत्रकार के साथ अस्पताल कर्मियों ने मार-पीट करते हुए उसका मोबाईल छींन लिया। बाद में पुलिस ने इस मोबाइल को अपने कब्जे में लिया। पत्रकार के अनुसार, उसने मदद के लिए पुलिस हेल्पलाईन नम्बर 112 पर फोन किया। सूचना पाकर मौके पर आये 112 के पुलिस कर्मियों ने कोई कार्यवाही नहीं की क्योंकि उन्हें पता था कि यह अस्पताल सत्ता पक्ष के नेताओं का है। बताते चलें कि एसएसजी हेल्थकेयर अस्पताल गेट पर अस्पताल प्रबन्धन के खिलाफ अनियमित्ता व सुविधाओं के नामपर शोषण का आरोप लगाकर कई लोगों द्वारा हंगामा किया जा रहा था। हंगामा देख पत्रकार विशाल ने खबर बनाना शुरू किया तो अस्पताल की डॉक्टर स्वप्निल सिंह खबर ना बनाने की हिदायत दी। किन्तु विशाल ने खबर बनाना जारी रखा तो डॉक्टर आग बबूला हो गई और पत्रकार को जातिसूचक गालियां दीं।
सूत्रों के हवाले से पता चला कि पत्रकार विशाल ने कोतवाल शिव ठाकुर के विरुद्ध अवैध तरीके से राजकीय अतिथि गृह में अपना निवास बनाने को लेकर पहले खबर चलाई थी जिसपर तत्काल कोतवाल से अतिथिगृह खाली कराया था। इस खबर के असर से कोतवाल भी पत्रकार विशाल से खुन्नस रखने लगा था।
वहीं अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, कोतवाल ने जातिगत गालियां देते हुए पत्रकार को सबक सिखाने की ठानी थी। परिणामतः पत्रकार के शिकायती प्रार्थना पत्र को दर किनार कर दिया गया और डॉ0 से मनमुताबिक तहरीर बनवा कर पत्रकार के विरुद्ध रंगदारी मांगने का मामला दर्ज कर दिया गया।
पीड़ित पत्रकार विशाल सिंह ने पूरे प्रकरण से आई जी जोन कानपुर को अवगत कराकर निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया को शिकायती पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। वहीं अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पत्र प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया के सदस्य श्याम सिंह पंवार ने संज्ञान लेते हुए आई जी जोन प्रशान्त कुमार से मुलाकात कर व पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात को पत्र लिखकर न्यायपरक कार्यवाई करने की बात कही है।
आई जी प्रशान्त कुमार ने क्षेत्राधिकारी रसूलाबाद को जाँच करने का निर्देश जारी किया है।

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