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केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्नाटक में राज्य के कृषि, ग्रामीण विकास और राजस्व मंत्री के साथ की समीक्षा बैठक

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर हैं। इस दौरान श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बैंगलुरू में राज्य के कृषि, ग्रामीण विकास और राजस्व मंत्री के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में श्री शिवराज सिंह ने राज्य में कृषि योजनाओं, ग्रामीण विकास के कार्यों, राजस्व से जुड़ी गतिविधियों और भारत सरकार की योजनाओं पर मंत्रियों व अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की। बैठक में  उन्होंने कहा कि एक होती है आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति लेकिन हम लोग विकास की राजनीति करते है, जनकल्याण की राजनीति करते हैं। हमारे देश में संघीय लोकतंत्र है, हमारा मकसद है, राज्य सरकार को हम भारत सरकार की योजनाओं के तहत भरपूर सहयोग करें, ताकि किसी भी कीमत पर कर्नाटक का विकास बाधित ना हो।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारा लक्ष्य विकसित कर्नाटक है।  केंद्र सरकार ने पहले जो फंड रिलीज किये थे, कर्नाटक सरकार उसे पूरी तरह से जल्द ही यूटिलाइज करें। वहीं, श्री  चौहान ने कहा कि कर्नाटक के राजस्व मंत्री ने वाटरशेड स्कीम के तहत अतिरिक्त फंड का आग्रह किया है, इसलिए हम वाटरशेड स्कीम के लिए कर्नाटक को 97 करोड़ रूपए का अतिरिक्त फंड रिलीज कर रहे हैं। राज्य के कृषि मंत्री ने मैकेनाइजेशन की स्कीम के तहत अतिरिक्त फंड की मांग की है, उसे भी हमने स्वीकार किया है। साथ ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की आत्मा योजना के लिए अतिरिक्त स्टॉफ की भी मांग की गई है जिसे भी हम पूरा करेंगे। इसके अलावा समीक्षा बैठक में तीनों मंत्रियों ने योजनाओं और विकास कार्यों को लेकर कुछ ज्ञापन सौंपे हैं, इस पर भी हम विचार-विमर्श करेंगे।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें वर्ष 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है और विकसित भारत के लिए विकसित कर्नाटक भी हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम कर्नाटक के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। राज्य सरकार से मेरा आग्रह है कि वो समय पर फंड ठीक ढंग से खर्च करें, यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भेजे तो भारत सरकार कर्नाटक की बेहतरी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हर गरीब को पक्का मकान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है। तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद केंद्र सरकार ने गत सितंबर माह में कर्नाटक राज्य को 2 लाख 26 हजार 175 मकान बनाने की स्वीकृति दी थी, जिसके लिए राशि भी अलॉट कर दी गई थी। कर्नाटक में गरीबों के पक्के मकान के लिए हमने फिर से उस लक्ष्य को बढ़ाया है और कर्नाटक को अब तक गरीबों के लिए 4,76,556 मकान और आवंटित किए हैं। कुल मिलाकर, इस वित्तीय वर्ष में 7,02,731 आवासों का लक्ष्य कर्नाटक के लिए रखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गरीबों की सेवा ही हमारे लिए भगवान की पूजा है। हर गरीब का पक्का मकान बने, यही हमारा संकल्प है। मैंने कर्नाटक सरकार से भी आग्रह किया है कि वह तेजी से मकानों का निर्माण पूरा करें ताकि सभी गरीबों के पक्के मकान बनाए जा सके।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मुंबई में भारत के अपने तरह के पहले सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण किया

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज मुंबई में वर्चुअल माध्यम से भारत के अपनी तरह के पहले सीएसआईआर इनोवेशन कॉम्प्लेक्स का लोकार्पण किया। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन का श्रेय दिया, जिससे भारत स्टार्ट-अप और इनोवेशन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में सक्षम हुआ। उन्होंने कहा कि इस कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन एक और ऐतिहासिक कदम है।

डॉ. सिंह ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि हमारे पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं जो भारत की उद्यमशीलता की भावना के प्रमाण हैं। उन्होंने कहा, “यह उल्लेखनीय वृद्धि युवाओं को सशक्त बनाने और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई परिवर्तनकारी पहलों और नीतियों का प्रतिबिंब है।”

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने सीएसआईआर की सराहना करते हुए कहा कि यह अपने नवीन अनुसंधान, औद्योगिक एवं सामाजिक भागीदारी, उद्यमिता, क्षमता निर्माण और नीति निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करके देश की वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नवाचार, उद्योग सहयोग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर और आईआईटी बॉम्बे, आईक्रिएट, एनआरडीसी जैसे 6 प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। स्टार्टअप्स को मजबूत करें सीएसआईआर संस्थानों से स्टार्टअप्स, एमएसएमई और संस्थानों को 50 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हुए। डॉ. सिंह ने कहा कि सीएसआईआर-आईसी मुंबई एक अत्याधुनिक नवाचार-सह-इन्क्यूबेशन सुविधा है, जिसमें उच्च स्तरीय वैज्ञानिक अवसंरचना और विशेषज्ञता है, जिसे स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के लिए महत्वपूर्ण ट्रांसलेशनल संबंधी अपूर्ण आवश्यकताओं (प्रयोगशाला से नियामक और नियामक से उद्योग डोमेन) को बढ़ावा देने और तेजी से तकनीक हस्तांतरण को उत्प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नवोन्मेषी स्टार्ट-अप्स, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी करने वाली कंपनियों, एमएसएमई, भारत और विदेश की डीप-टेक कंपनियों, सार्वजनिक-वित्तपोषित अनुसंधान संस्थानों और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को तैयार विश्व स्तरीय इनक्यूबेशन प्रयोगशालाएं और आईपी/व्यवसाय विकास सहायता हमारी नवाचार क्षमता को और मजबूत करेगी।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईसी-मुंबई का उपयोग सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के व्यवसाय विकास और तकनीक हस्तांतरण गतिविधियों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा, जिससे मुंबई द्वारा प्रदान किए जाने वाले अद्वितीय अवसरों का लाभ उठाया जा सकेगा। यह सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के भीतर संचालित अन्य इनक्यूबेटरों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा।

नौ मंजिलों में फैले आईसी मुंबई में 24 “रेडी टू मूव ” इनक्यूबेशन प्रयोगशालाएं और नवीन स्टार्ट-अप, एमएसएमई और उद्योग और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के लिए सुसज्जित कार्यालय/ नेटवर्किंग स्थान है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की सुविधाएं सहयोग, नवाचार और समावेशिता की भावना को मूर्त रूप देती हैं जो राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारे दृष्टिकोण को परिभाषित करती हैं।

डॉ. एन कलैसेल्वी ने बताया कि न केवल भारत में बल्कि सीएसआईआर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 4 देशों जर्मनी, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड आदि के साथ सहयोग कर रहा है।

उन्होंने इसे दशक के सपने को हकीकत में बदलना बताया। अपने पूर्ववर्तियों को इसका श्रेय दिया। उन्होंने पर्पल क्रांति को स्वदेशी तकनीकों के प्रति समर्पण को दर्शाते हुए एक नई क्रांति बताया।

डॉ. कलईसेलवी ने बताया कि हर साल सीएसआईआर द्वारा 10-15 तकनीकें विकसित की जाती हैं, जिन्हें विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 5 राष्ट्रीय राजमार्ग सीएसआईआर द्वारा विकसित स्टील स्लैग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

भारत की स्वदेशीकरण प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारत के स्वदेशी पैरासिटामोल के विकास को याद किया। एक और विकास शून्य तरल निर्वहन संयंत्र है जो भारत में अपनी तरह का पहला है। उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर’ और ‘आत्मनिर्भरता’ पर जोर दिया।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने महामारी के दौरान सीएसआईआर टीम के अथक प्रयासों को याद किया। उन्होंने उन्हें कोविड योद्धा बताया। उन्होंने सीएसआईआर का उल्लेख करते हुए कहा कि सीआरआईएसपीआर डायग्नोस्टिक टेस्ट विकसित करने में वह दुनिया में पहले स्थान पर है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का विकास कर उसे देश के हर कोने में भेजा गया है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने उद्योग जगत को नवाचार के लिए बुलाने के बजाय नवाचार को उद्योग जगत तक ले जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हम हर चीज को लागत प्रभावी तरीके से विकसित करते हैं और हमें इसका लाभ उठाना चाहिए।

इस परिसर को हकीकत में बदलने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. राम विश्वकर्मा ने बताया कि परिसर में 500 वर्ग फीट की 24 प्रयोगशालाएं हैं। स्टार्टअप के लिए 24 कार्यालय-स्थान और 6 सम्मेलन कक्ष और लाउंज हैं।

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रक्षा सचिव ने एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर 2025 का दौरा किया

रक्षा सचिव  राजेश कुमार सिंह ने 17 जनवरी 2025 को दिल्ली कैंट में एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर 2025 का दौरा किया। अपने संबोधन में, रक्षा सचिव ने शानदार प्रदर्शन करने में कैडेटों की कड़ी मेहनत की सराहना की, जो देश की रचनात्मक और युवा ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि महीने भर तक चलने वाले इस शिविर में कैडेटों का प्रदर्शन, उत्कृष्टता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इस दौरान सीखे गए मूल्य कैडेटों को उनके जीवन के सभी क्षेत्रों में मदद करेंगे।

रक्षा सचिव ने एनसीसी की उपलब्धियों की भी सराहना की, जिनमें नामांकन प्रक्रिया को डिजिटल बनाना, इंटाइटिल्ड पोशाक भत्ते का इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण, विभिन्न सीमा और तटीय क्षेत्रों में शिविरों का आयोजन और विभिन्न खेलों, शूटिंग और साहसिक गतिविधियों में प्रदर्शन शामिल है। उन्होंने कठोर प्रशिक्षण व्यवस्था और कई सामाजिक सेवा गतिविधियों के प्रति कैडेटों के दृढ़ समर्पण की भी सराहना की।

रक्षा सचिव ने एनसीसी कैडेटों को उनके भविष्य के प्रयासों में निरंतर समर्थन और प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया। उन्होंने कैडेटों और नेतृत्व को उनके अटूट समर्पण और पूरे वर्ष शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

इससे पहले, डीजी एनसीसी लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह द्वारा स्वागत किए जाने के बाद, रक्षा सचिव ने ‘फ्लैग एरिया’ का दौरा किया, जिसे बेहद सावधानीपूर्वक रेत मॉडल का उपयोग करके तैयार किया गया था, और जिसके ज़रिए कैडेटों को अपनी रचनात्मकता और विभिन्न सामाजिक जागरूकता विषयों की गहरी समझ प्रदर्शित करने का मौका मिला।

रक्षा सचिव ने ‘हॉल ऑफ फेम’ का भी दौरा किया, जहां उन्हें एनसीसी के समृद्ध इतिहास और कैडेटों के प्रशिक्षण तथा उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी गई। उन्होंने समूह नृत्य और गीतों का मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। यह यात्रा सभी राज्य निदेशालयों के प्रतिभाशाली कैडेटों द्वारा ‘आइडिया और इनोवेशन’ पर शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं की प्रदर्शनी के साथ खत्म हुई।

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डी जी कॉलेज में मतदाता जागरूकता प्रतियोगिताओं आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना – मतदाता जागरूकता क्लब के द्वारा वोट जैसा कुछ नहीं वोट जरुर डालेंगे हम विषय पर मतदाता जागरूकता प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य युवाओं में मतदान के प्रति जागृति लाना है। इन प्रतियोगिताओं के अंतर्गत पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता तथा प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्राचर्या प्रो वंदना निगम ने बताया कि सभी प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। निबंध प्रतियोगिता में आयुषी शुक्ला ने प्रथम, साधना देवी ने द्वितीय तथा दीक्षा पांडे ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता में स्नेहा अग्रहरि ने प्रथम रुबा इरफान ने द्वितीय तथा रोशनी अंसारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। चित्रकला प्रतियोगिता में सुपर्णा चौहान ने प्रथम, नेहा सिंह ने द्वितीय तथा रिद्धि चौधरी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। क्विज प्रतियोगिता में रौनक ने प्रथम, पंखुड़ी ओमर ने द्वितीय तथा सिद्धि चौधरी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। समस्त प्रतियोगिताओं को संपन्न कराने में राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही, प्रो इंदु यादव, प्रो सुमन सिंह, प्रो शुभम शिवा, डॉ पूजा श्रीवास्तव एवं डॉ मंजुला श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा।

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‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ (विवेकानंद जयंती) के अवसर पर एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय , में एनएसएस, एनसीसी, रेंजर्स टीम के संयुक्त तत्वाधान में भाषण एवं पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर -12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जयंती जिसे ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, के अवसर पर एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय , मॉल रोड, कानपुर में एनएसएस, एनसीसी, रेंजर्स टीम के संयुक्त तत्वाधान में भाषण प्रतियोगिता एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सुमन ने इस अवसर पर छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया विवेकानंद जी का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। हमारा देश युवाप्रधान देश है, तथा देश के भविष्य को आकार देने में युवाओं का ही सबसे अधिक योगदान होता है। किसी भी प्रकार की बाधा से घबराकर हमें पीछे नहीं हटना चाहिए जैसाकि विवेकानंद जी ने स्वयं कहा है उठो, जागो और तबतक न रुको जबतक अपने लक्ष्य की प्राप्ति न कर लो। प्राचार्या ने बताया कि नई शिक्षा नीति युवाओं के सम्पूर्ण विकास को केंद्र में रखकर बनाई गई है, साथ-ही यह व्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ अग्रसर है। इस अवसर पर महाविद्यालय की स्मार्ट क्लास में विकसित भारत यंग लीडर डायलाग 2025 प्रोग्राम के अंतर्गत सभी छात्राओं को लाइव प्रसारण दिखाया गया, जिसमें युवा शक्ति मिशन का प्रारंभ किया गया। जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया एनएसएस, एनसीसी, रेंजर्स की दिव्यांशी शर्मा, भूमि गुप्ता, अदिति ओझा, रिया वर्मा इत्यादि छात्राओं ने भाषण प्रतियोगिता एवं आयुषी बाजपेई, सुप्रिया, निधा परवीन ने पोस्टर प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। एनएसएस प्रभारी श्वेता रानी, एनसीसी प्रभारी प्रीति यादव, रेंजर्स टीम प्रभारी ऋचा सिंह के द्वारा कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्राओं, शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक कर्मचारी वर्ग की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।

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इनर व्हील क्लब कानपुर विदुषी द्वारा कंबल वितरित

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 12 जनवरी मकर संक्रांति के उपलक्ष्य इनर व्हील क्लब कानपुर विदुषी द्वारा रोबिन हुङ (Robin Hood Academy ) बररा में जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरित किया गया । कुल 45 कंवल वितरित किये गये जिसे पाकर जरूरतमंद लोगों के चेहरे खिल गये। इस अवसर पर कलब की अध्यक्षा डा० सीमा वर्मा, डा० सबा यूनुस, सेक्रेटरी रुचि अग्रवाल, एडिटर रति गुप्ता, मनीषा शुक्ला, मंजू अवस्थी, नीरजा गुप्ता, मोहिनी शुक्ला आदि उपस्थित रहे ।

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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधान मण्डल की (कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन/भारत क्षेत्र (जोन-1) उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड) मा. महिला सदस्यों का सम्मेलन सम्पन्न

*◆ “भारतीय लोकतंत्र में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी”*

*◆ “समाज के प्रत्येक क्षेत्रों में बढ़ रही महिलाओं की उपयोगिता”*

*◆ “उ0प्र0 विधानसभा लगातार नवाचार का कर रहा प्रयोग”*
*- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ*

कानपुर नगर, दिनांक 08 जनवरी, 2024 (सू0/वि0)
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधान मण्डल की (कॉमनवेल्थ पार्लियामेंटरी एसोसिएशन/भारत क्षेत्र (जोन-1) उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड) मा0 महिला सदस्यों का सम्मेलन रोजिएट पैलेस हॉल, इटरनिटी होटल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने शिरकत की। मा0 मुख्यमंत्री जी के अलावा मा0 विधानसभा अध्यक्ष उ0प्र0 सतीश महाना, मा0 विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड़ ऋतु खंडूरी भूषण, मा0 मंत्री महिला कल्याण एवं बाल विकास उ0प्र0 बेबी रानी मौर्य, मा0 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माध्यमिक शिक्षा उ0प्र0 गुलाब देवी, मा0 राज्य मंत्री महिला कल्याण एवं बाल विकास उ0प्र0 प्रतिभा शुक्ला, मा0 राज्य मंत्री उच्च शिक्षा उ0प्र0 रजनी तिवारी सहित उ0प्र0 व उत्तराखण्ड़ राज्य की मा0 महिला विधायकगण शामिल हुई।
इस अवसर पर मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा व प्राचीन लोकतंत्र है, जो हमारे रग-रग में बसा हुआ है। भारत में गणतंत्र की शुरूआत छठी शताब्दी ईसा पूर्व में ही हो गयी थी जब वैशाली, मगध जैसे गणराज्य बनाये गये थे। यह भारतीय परम्परा रही है कि हमने कभी किसी पर अपनी बात थोपा नहीं है। यहां महिलाओं को भी बराबरी के दर्जे से स्वतंत्रता दी गयी है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से 04 सदस्य कमला चौधरी, सुजेता कृपलानी, पूर्णिमा बनर्जी, बेगम एजाज रसूल शामिल रहीं। भारत ने 1952 के आम चुनाव में ही महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान किया था।
मा0 मुख्यमंत्री ने कहा कि उ0प्र0 विधानसभा लगभग पिछले तीन वर्षो से नये-नये प्रयोग कर रहा है जिसमें ई-विधानसभा व पेपर लेस विधानसभा का संचालन किया जा रहा है। उ0प्र0 विधानसभा अलग-अलग क्षेत्रों से जुडे हुये विशेषज्ञों जैसे- कुशल अभियन्ता, वैज्ञानिक, समाज सेवक, अर्थशास्त्री आदि का योगदान लेकर प्रगति कर रहा है। उन्होंने सम्बोधन में यह भी कहा कि उ0प्र0 विधानसभा में आज लगभग 15 फीसदी महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। आज महिलायें किसी भी क्षेत्र में वंचित नही है। वो जहां पर कार्य कर रही है उनकी कार्यशैली उत्कृष्ट है। आज प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। स्थानीय निकाय, विधानसभा या लोकसभा हर क्षेत्र में महिलायें अपने झण्डे बुलन्द कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 56 प्रतिशत ब्लाक प्रमुख व 70 प्रतिशत जिला पंचायत अध्यक्ष महिलायें है जो राजनीतिक क्षेत्र में उनकी प्रगति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण का लगातार प्रयास कर रही है। महिलाओं के लिये सेंट्रल कन्वेंशन सेंटर और शौचालय भी बनाये गये है। लगभग 04 करोड़ गरीब परिवारों को आवास और 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन दिये गये। हाल ही में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया है। हमारी सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में लगभग 01 करोड़ 91 लाख बच्चों को यूनीफार्म, जूते, मोजे और स्वेटर इत्यादि निःशुल्क प्रदान किये गये है।
इस अवसर पर मा0 विधानसभा अध्यक्ष उ0प्र0 सतीश महाना ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज आवश्यकता है कि विधायिका में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो, उनकी प्रभावी उपस्थिति हो, उनके द्वारा समाज में बेहतर संदेश दिया जाये और इसका विस्तार सुनिश्चित हो। महिला सशक्तिकरण के क्रम में ही आज उ0प्र0 और उत्तराखण्ड की महिला विधायकों का सम्मेलन बुलाया गया। उ0प्र0 का बदलता स्वरूप पूरी दुनिया देख रही है जिसकी चर्चा पूरे देश और दुनिया में हो रही है, उनमें महिला विधायकों का महत्वपूर्ण योगदान है। यह सम्मेलन पूरे देश में यह संदेश देगा कि अन्य राज्यों को भी ऐसे सम्मेलनों का आयोजन करना चाहिये।
वहीं, मा0 विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड ऋतु खंडूरी भूषण जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एवं सदन की कार्यवाही में सहभागिता बढ़ाने तथा संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महिला सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज महिलायें समाज के सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहीं हैं। आज की संगोष्ठी में उपस्थित मा0 सदस्य अपने क्षेत्रों की महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व कर रही है। ये महिलायें अपनी अवाज संसद से लेकर सड़क तक उठा रही है और देश की अन्य महिलाओं को भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को प्रेरित भी कर रहीं हैं।
सम्मेलन के अंत में मा0 मंत्री बेबी रानी मौर्य ने उपस्थित सभी गण्यमान्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन में उक्त के अतिरिक्त प्रमुख सचिव, विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे, मुख्य सलाहकार, मुख्यमंत्री अवनीश अवस्थी, मण्डलायुक्त अमित गुप्ता, मण्डलायुक्त विजयेंद्र पांडियन, ए0डी0जी0 कानपुर आलोक सिंह, पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, नगर आयुक्त सुधीर कुमार और मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन समेत विधानसभा व जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहें।

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भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ की बैठक संपन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 8 जनवरी। भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के केन्द्रीय कार्यालय में एक बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता मुकेश सिंह ने की। बैठक में 27,28 व 29 दिसंबर को नागपुर में हुएं 20वें त्रैवार्षिक अधिवेशन की सफलता के लिए कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया गया। कानपुर से 150 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यकर्ताओं को नागपुर में भैया जी जोशी केन्द्रीय कार्यकारिणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने व्यक्तित्व विषय पर अपना उद्बोधन दिया था। आज मीटिंग में उनके बताए मार्ग पर कानपुर के कार्यकर्ताओं को चलने की सीख दी गई। नागपुर में रिटायर्ड कर्मचारियों की समस्याओं को हल कराने के लिए आल इंडिया लेवल का फोरम बनाने का फैसला हुआ। जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष काजल विश्वास (जबलपुर) व राष्ट्रीय महामंत्री साधू सिंह (कानपुर) को घोषित किया गया। नागपुर में पूरे देश से लगभग 1000 कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। वहां पांच प्रस्ताव पारित हुए। इन्हें रक्षामंत्री महोदय को भेजा गया।
1 एनपीएस, यूपीएस हटाकर ओटीएस लागू किया जाए।

2 मृतक आश्रितों को वन टाईम रिलेक्सेशन देते हुए शत् प्रतिशत नौकरी दी जाएं।

3 ठेका श्रमिकों का शोषण बंद हो व उन्हें पर्मानेंट किया जाए।

4 आयुध कर्मचारियों पर प्रसार भारती माडल लागू किया जाए।

5 रक्षा संस्थानों में रिक्त पदों को अविलंब भरा जाएं।
नागपुर में मारुती पवार पूणे को अखिल भारतीय अध्यक्ष , मुकेश सिंह को अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष , रवीन्द्र मिश्रा उड़ीसा को अखिल भारतीय महामंत्री ,योगेन्द्र सिंह चौहान को अखिल भारतीय संयुक्त मंत्री ,पुनीत चन्द्र गुप्ता को कोषाध्यक्ष, तनवीर अहमद को कार्यालय मंत्री, वीरेंद्र शर्मा को रक्षा मंत्रालय का लायजन प्रभारी व सुधीर त्रिपाठी, अमरेन्द्र मोहन,विश्वनाथ यादव,सुधा शुक्ल, पियूष सिंह, सुधा रानी, शिवेंद्र सागर, रामशंकर विश्वकर्मा को कार्यकारिणी सदस्य चुना गया। आज बैठक में आठवें पे कमीशन के गठन व ओपीएस लागू करने के लिए बजट से पूर्व राष्ट्रीय आंदोलन की रुपरेखा तैयार की गई। आंदोलन दि 15 जनवरी से 30 जनवरी तक सभी रक्षा संस्थानों पर होगा व प्रधानमंत्री महोदय को ज्ञापन सौंपा जाएगा ताकि बजट में इसकी घोषणा हो। सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दी गई। बैठक में साधू सिंह ,इन्द्र जीत सिंह,योगेन्द्र सिंह चौहान, पुनीत चन्द्र, तनवीर अहमद, सुधीर त्रिपाठी,सुनील अवस्थी, संतोष मिश्रा, वेद व्यास मणि, सचिन कुमार, लालबहादुर, दीपक शुक्ला सहित कानपुर के सभी रक्षा संस्थानों के कार्यकर्ता उपस्थित रहें।

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भारत की हरित बहाली

हम एक ऐसी संस्कृति का हिस्सा होने के लिए भाग्यशाली हैं जहाँ पर्यावरण के साथ पूर्ण सौहार्द के साथ रहना हमारे लोकाचार का केंद्र है। आइए सुनिश्चित करें कि हमारे दैनिक जीवन में उठाया गया सबसे छोटा कदम भी प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक प्रयास होगा।

~ प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी

प्रस्तावना

वन कार्बन को अवशोषित करके, जैव विविधता को संरक्षित करके और स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करके जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, बढ़ते पर्यावरणीय दबाव इन आवश्यक पारिस्थितिकी प्रणालियों को चुनौती दे रहे हैं। यद्यपि, भारत में एक सकारात्मक बदलाव हुआ है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2023 में दर्शाया गया है कि देश का वन और वृक्ष क्षेत्र अब 827,357 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है  जो देश के कुल भूमि क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 715,343 वर्ग किलोमीटर (21.76%) वन क्षेत्र और 112,014 वर्ग किलोमीटर (3.41%) वृक्ष क्षेत्र शामिल हैं। यह प्रगति पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास को संतुलित करने के भारत के सफल प्रयासों को दर्शाती है।

आईएसएफआर 2023: भारत के वनों की एक झलक

भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 , उपग्रह डेटा और क्षेत्र की जानकारी का उपयोग करके देश के वन संसाधनों का द्विवार्षिक मूल्यांकन है। पहली रिपोर्ट 1987 में प्रकाशित हुई थी, और आईएसएफआर 2023 इसका 18वां संस्करण है।

रिपोर्ट दो खंडों में प्रकाशित की गई है:

  • खंड-में राष्ट्रीय स्तर का मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें आच्छादित वन क्षेत्र, मैंग्रोव आच्छादित क्षेत्र, वन में लगने वाली आग, बढ़ती हुई वन संपदा, कार्बन स्टॉक, कृषि वानिकी, वन विशेषताएं और दशकीय परिवर्तन जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • खंड-II में प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिए वन आच्छादित क्षेत्र और क्षेत्र सूची डेटा पर विस्तृत जानकारी दी गई है जिसमें ज़िला और वन प्रभाग के अनुसार वन आच्छादित क्षेत्र डेटा भी शामिल है।

वन क्षेत्र में वृद्धि

 

भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 भारत के वन क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि पर प्रकाश डालती है जो 2013 में 698,712 वर्ग किमी से बढ़कर 2023 में 715,343 वर्ग किमी हो गया है। आग की घटनाओं में भी कमी आई है, 2023-24 में 203,544 आग के हॉटस्पॉट दर्ज किए गए जो 2021-22 में 223,333 से कम है। भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य के अनुरूप देश ने 30.43 बिलियन टन CO2 समकक्ष का कार्बन सिंक हासिल किया है। यह 2005 से वन और वृक्ष आच्छादन में अतिरिक्त 2.29 बिलियन टन कार्बन सिंक को दर्शाता है, जो 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन CO2 समकक्ष के लक्ष्य के करीब है

वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाएं और पहल

भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) ने वन क्षेत्र का बेहतर मानचित्र प्रस्तुत करना, एक उन्नत वन अग्नि चेतावनी प्रणाली के निर्माण और राष्ट्रीय वन सूची के पहले पांच वर्षीय चक्र को पूरा करने के माध्यम से वन निगरानी में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसने वन विकास और कार्बन स्टॉक पर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन सीमाओं के डिजिटलीकरण ने वन क्षेत्र के आकलन में काफी सुधार किया है। इन पहलों ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन और वृक्ष क्षेत्र का विस्तार करने और मैंग्रोव और आर्द्रभूमि के संरक्षण के प्रयासों के साथ मिलकर वन क्षेत्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। यहाँ कुछ योजनाएँ दी गई हैं जिन्होंने इन प्रगति का समर्थन किया है:

· हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम) : फरवरी 2014 में शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) के माध्यम से संरक्षण, बहाली और विस्तार पहल के माध्यम से भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम ने 17 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश को वृक्षारोपण और पारिस्थितिकी बहाली प्रयासों के लिए 944.48 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

नगर वन योजना (एनवीवाई) : 2020 में स्थापित, यह योजना शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हरित स्थान विकसित करने पर केंद्रित है। मंत्रालय ने 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 546 परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिसके लिए 431.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

· स्कूल नर्सरी योजना (एसएनवाई) : पौधों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह योजना पूरे भारत में स्कूलों में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करती है। 4.80 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 743 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

· तटीय आवास और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (MISHTI) : इस पांच वर्षीय पहल (2023-2028) का उद्देश्य भारत के तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव को बहाल करना और बढ़ावा देना है, जिससे तटीय आवासों की स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी जैसे राज्यों को 17.96 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

राष्ट्रीय तटीय मिशन के तहत , मैंग्रोव और कोरल रीफ के संरक्षण और प्रबंधन घटक के माध्यम से मंत्रालय ने तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मैंग्रोव की संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। यह पहल 9 तटीय राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश तक फैली हुई है, जिसका उद्देश्य इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों की सुरक्षा करना है।

· जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना(NPCA) यह योजना देश में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों के बीच लागत साझाकरण पर आधारित है।

· एक पेड़ माँ के नाम : प्रधानमंत्री ने 5 जून 2024 को इसका शुभारंभ  किया था। यह अभियान नागरिकों को माताओं के सम्मान में पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है जिससे प्रकृति और पोषण के बीच गहरा संबंध बढ़ता है।

प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) : यह योजना वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम, 1980 के अनुरूप, गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग के कारण वन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के नुकसान की भरपाई करती है।

· बीस सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत वनरोपण लक्ष्य : मंत्रालय केन्द्र सरकार की योजनाओं, राज्य सरकार की योजनाओं तथा गैर सरकारी संगठनों, निजी संगठनों और नागरिक समाज के प्रयासों का मिश्रण उपयोग करते हुए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए वार्षिक वनरोपण लक्ष्य निर्धारित करता है।

· जागरूकता और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान : मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, वन महोत्सव और वन्यजीव सप्ताह जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ सम्मेलनों, कार्यशालाओं और सूचनात्मक अभियानों के माध्यम से वृक्षारोपण को बढ़ावा देता है।

· भारतीय वन प्रबंधन मानक : राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता – 2023 का एक हिस्सा । यह मानक टिकाऊ वन प्रबंधन की निगरानी के लिए मानदंड और रूपरेखा स्थापित करता है और भारतीय वन तथा लकड़ी प्रमाणन योजना का समर्थन करता है जिससे विशेष रूप से छोटे पैमाने के लकड़ी उत्पादकों को लाभ मिलता है।

· वन अग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना-2018 : यह योजना वन में लगने वाली आग को रोकने लचीलापन बनाने और अग्नि नियंत्रण और रोकथाम के लिए सामुदायिक क्षमता बढ़ाने के उपाय प्रदान करती है।

संयुक्त वन प्रबंधन और पारिस्थितिकी विकास समितियां : राष्ट्रीय वन नीति 1988 के अनुरूप मंत्रालय ने बेहतर वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है जिससे प्रबंधन और संरक्षण गतिविधियों में स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

इसके अतिरिक्त अधिनियमों, नियमों, विनियमों और न्यायालय के आदेशों के सख्त पालन के माध्यम से वनों, मैंग्रोव और आर्द्रभूमि का संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है।

वन एवं वन्यजीव संरक्षण के लिए कानूनी ढांचा

भारत में वन और वन्यजीव संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन एक मजबूत कानूनी ढांचे द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिसे संरक्षण और सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है। प्रमुख कानूनों में भारतीय वन अधिनियम, 1927, वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 शामिल हैं जिनका उद्देश्य वन्यजीव प्रजातियों और उनके आवासों की रक्षा करना है जिसमें राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण भी शामिल है। इसके अतिरिक्त राज्य वन अधिनियम प्रत्येक राज्य के लिए विशिष्ट वन प्रबंधन को पूरा करते हैं जबकि वृक्ष संरक्षण अधिनियम और नियम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पेड़ों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन कानूनों का पालन करवाना मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है जो इन कानूनी प्रावधानों के अनुसार वनों और वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हैं।

प्रकृति के साथ लोगों का जुड़ाव

कानून, योजनाएँ और अधिनियम अकेले ही वह बदलाव नहीं ला सकते जिसकी हमें ज़रूरत है वास्तव में बदलाव लाने के लिए समर्पित व्यक्तियों की ज़रूरत होती है। पद्मश्री तुलसी गौड़ा, जिन्हें “वृक्षों की माँ” के नाम से भी जाना जाता है, ने कर्नाटक में लाखों पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए 60 से ज़्यादा साल समर्पित किए जिससे बंजर ज़मीन हरे-भरे जंगलों में बदल गई। उनके काम ने पर्यावरण संरक्षण में एक स्थायी विरासत छोड़ी है। तुलसी का निधन उनके जैसे  व्यक्तियों की तत्काल आवश्यकता की मार्मिक याद दिलाता है – जो निस्वार्थ भाव से पृथ्वी की देखभाल और सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरियाली भरा, अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष

भारत पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में अपनी यात्रा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। 2023 भारत वन स्थिति रिपोर्ट वन और वृक्ष आवरण दोनों में प्रभावशाली वृद्धि, आग की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट और कृषि वानिकी के उत्कर्ष को दर्शाती है। ये उपलब्धियाँ विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। अभिनव सरकारी पहलों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी के माध्यम से भारत न केवल अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर रहा है बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से बहाल भी कर रहा है। भारत निरंतर प्रतिबद्धता और सामूहिक कार्रवाई के साथ सभी के लिए एक हरित, स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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सरकार भारत को विश्व की फूड बास्केट बनाने की दिशा में कोई कमी नहीं छोड़ रही : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

   
देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 18 प्रतिशत रहा है। खासकर कोविड के समय सारी दुनिया को यह पता चल चुका है कि भारत का कृषि क्षेत्र अन्य देशों से मजबूत है। इस क्षेत्र को और मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार सदा प्रयासरत है। इस क्षेत्र के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्वता को जताते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत को विश्व की फूड बास्केट बनाने की दिशा में उनकी सरकार कोई कमी नहीं छोड़ रही है। आज पूणे स्थित गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान (एईआरसी) प्लेटिनम जुबली सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री चौहान ने कहा कि शोधकर्ताओं का कार्य केवल लैब तक ही सीमित न रहे बल्कि उसे किसानों तक भी पहुंचाया जाये। इस दिशा में उनकी सरकार कई पहलुओं पर काम कर रही है। भारत की संस्कृति सभ्यता बहुत पुरानी है। इसी के साथ ही कृषि क्षेत्र भी जुड़ा हुआ है। विशेषकर द्वितीय विश्व युद्व के बाद पूरी दुनिया को एक परिवार की दृष्टि से देखने का काम भारत ने ही शुरू किया है और पूरे विश्व को इस दिशा में मार्गदर्शन दिया है। यह धरती सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बनी है यह कीट पतंगों जैसे सारे जीवों के लिए बनी है। कीटनाशकों के अनियन्त्रित प्रयोग को रोकने का आह्वान करते हुए श्री चौहान ने कहा कि यह समय की मांग है कि हमें प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ना है और इसे पूरी इच्छाशक्ति से आगे बढ़ाना होगा। इससे उत्पादन में वेल्यू एडिशन होगा। किसानों की भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार किसानों के उत्पादों को दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए नई योजना पर काम कर रही है। इसके तहत किसानों को अपने उत्पादों को अन्य राज्यों व बाजारों तक पहुंचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर योजना बना रहे हैं।
आज हम पूणे स्थित गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान (एईआरसी) की प्लेटिनम जुबली मना रहे हैं। इस अवसर पर सभी शोधकर्ताओं और छात्राओं को बधाई देते हुए श्री चौहान ने कहा कि इसी 70 साल में हमने क्या पाया और क्या खोया है। इसका अवलोकन करना समय की मांग है। इस दिशा में तकनीकी व्यवस्थाओं को और मजबूत करने पर जोर देते हुए श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक और किसानों को एकत्र होकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। श्री चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की सहायता के लिए डीडी किसान चैनल पर एक विशेष कार्यक्रम आधुनिक कृषि चौपाल शुरू किया। यह एक ऐसा मंच है जिसमें किसान, शोधकर्ता और वैज्ञानिक बैठकर कृषि क्षेत्र की समस्याओं व नये अवसरों पर अपनी विचारों का आदान प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़ी जानकारियां केवल अंग्रेजी भाषा में ही सीमित न रहें इसको भारत की विभिन्न भाषाओं में भी प्रकाशित करना आवश्यक है ताकि लैब टू लैंड की दूरी को पूरा किया जा सके।

प्रधानमंत्री मोदी 25 दिसम्बर 2024 को नदी जोड़ों परियोजना का शुभारंभ करेंगे। इस योजना के बारे में बताते हुए श्री चौहान ने कहा कि देश में कई हिस्सों में कभी बाढ़ आती है तो कई हिस्सों में सूखा पड़ता है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक विशेष नदी जोड़ों परियोजना का शुभारंभ जल्दी ही होगा। इस योजना से जहां ज़्यादा बारिश होती है और जहां सूखा पड़ता है उन क्षेत्रों को इससे लाभ पहुंचेगा। कृषि मंत्री ने कहा कि हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी चाहिए जिससे कम पानी में ज़्यादा सिंचाई हो। कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन की लागत कम करने पर जोर देते हुए श्री चौहान ने कहा कि पिछले साल उनकी सरकार 1.94 मिटिक टन सब्सिडी किसानों को प्रदान की गई है। किसान को अगर तुरंत पैसा चाहिए तो इसके लिए उन्हें महाजन के पास जाना न पड़े इसीलिए उन्हें सरकार ने तुरंत धनराशि मुहैया कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की है। 2014 से 2024 के बीच उनकी सरकार बहुत सारे उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है इससे किसानों को बड़े पैमाने पर राहत मिल रही है। उन्होंने कहा है कि हमें हर समय आयात पर निर्भर नहीं होना चाहिए इसीलिए हमें ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके।

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