भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 26 जनवरी एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज में 76 वां गणतंत्र दिवस मनाया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ वंदना पाठक आयुर्वेदाचार्य ,महाविद्यालय प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष पी के मिश्रा,सचिव पी के सेन ,सयुक्त सचिव शुभ्रों सेन, कोषाध्यक्ष दीपाश्री सेन, सदस्य भूतपूर्व क्रिकेटर गोपाल शर्मा प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने झंडारोहण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात प्राचार्या प्रो सुमन ने अतिथिगण तथा प्रबंध समिति का सम्मान किया। महाविद्यालय की चीफ़ प्रॉक्टर कप्तान ममता अग्रवाल ने उच्च शिक्षा अधिकारी का संदेश पढ़ा। एन सी सी, रोवर रेंजर तथा एन एस एस की छात्राओ ने मार्च पास्ट किया और तलानी दी। कार्यक्रम में महाविद्यालय का नाम रोशन करने वाली मेधावी छात्राओं का सम्मान किया गया जिसमे कु सृष्टि राजपाल बी एस सी तृतीय वर्ष की छात्रा जिसका
जी एस वी एम, लखनऊ मेडिकल कालेज में सेलेक्शन हुआ, कु निकिता सविता ,कु सृष्टि रावत तथा कु ऋतुजा रही।देश भक्ति के गीत संगीत विभाग की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संकलन एवं संचालन डॉ प्रीति सिंह ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की समस्त शिक्षिकाएं तथा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपस्थित रहे ।
डी जी कॉलेज द्वारा 15वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर शपथ एवं रैली का आयोजन
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 25 जनवरी दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में 15वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर बीएड विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पुष्पलता तिवारी एवं डॉ उमा अवस्थी के कुशल निर्देशन में मतदाता शपथ एवं रैली का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्राचार्या प्रो वंदना निगम ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही मुहिम “वोट जैसा कुछ नहीं, वोट जरुर डालेंगे हम” के अंतर्गत समस्त छात्राओं को स्वयं अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए तथा अपने परिवार, रिश्तेदार एवं आस पड़ोस को भी मतदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। महाविद्यालय निदेशक प्रो अर्चना वर्मा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मतदान करना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है हमें बिना किसी लालच तथा जाति, धर्म आदि के भेदभाव के बिना योग्य व्यक्तियों का चुनाव करना चाहिए ताकि एक अच्छी लोकतांत्रिक सरकार का गठन हो सके।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश शासन तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा निदेशक, कानपुर मंडल, कानपुर नगर श्री मुरलीधर राम जी एवं मतदाता जागरूकता कार्यक्रम प्रभारी प्रो अपर्णा सिंह के निर्देशानुसार चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित मतदाता जागरूकता कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह में महाविद्यालय की 100 छात्राओं ने प्रतिभाग किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय की मतदाता जागरूकता अभियान – निर्वाचन साक्षरता क्लब कोऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही, बीएड विभाग प्रभारी डॉ सबीहा अंजुम, समस्त प्राध्यापिकाओं तथा कार्यालय अधीक्षक कृष्णेंद्र श्रीवास्तव का विशेष योगदान सराहनीय रहा।
भारत की बेटियों को सशक्त बनाना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में शुरू की गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना कार्यान्वयन का एक दशक पूरा कर रही है। भारत सरकार की इस प्रमुख पहल का उद्देश्य घटते बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) को दूर करना और लिंग-आधारित लिंग-चयनात्मक उन्मूलन को रोकना और बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह योजना भारत सरकार की सबसे प्रभावशाली सामाजिक उपक्रमों में से एक बन गई है।
मिशन शक्ति के साथ एकीकरण
बीबीबीपी योजना अब 2021-2022 से 2025-2026 तक 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक कार्यक्रम मिशन शक्ति के साथ एकीकृत है। मिशन शक्ति में दो व्यापक उप-योजनाएं शामिल हैं।
1. संबल : सुरक्षा एवं संरक्षा
मिशन शक्ति की संबल उप-योजना वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) महिला हेल्पलाइन (181) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। यह नारी अदालत की भी शुरुआत करता है, जो उत्पीड़न और अधिकारों के उल्लंघन जैसे छोटे मुद्दों को हल करने के लिए एक वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करता है।
2. सामर्थ्य : सशक्तिकरण
सामर्थ्य उप-योजना शक्ति सदनों, राहत और पुनर्वास घरों, सखी निवास के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाती है, जो शहरों में कामकाजी महिलाओं के लिए रहने के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करती है। साथ ही पालना-क्रेच कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करती है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) अब दूसरे बच्चे के लड़की होने पर भी मदद करती है, जिससे मातृ स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह गर्भावस्था और प्रसव के कारण काम करने वाली महिलाओं को आर्थिक रूप से होने वाले नुकसान की भरपाई भी करता है।
यह योजना अब बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल विकास और सामुदायिक जागरूकता शामिल है। पिछले एक दशक में, बीबीबीपी ने कई मंत्रालयों के बीच सहयोग के माध्यम से अपना दायरा बढ़ाया है।
प्रमुख उद्देश्य
प्राथमिक उद्देश्यों में शामिल हैं:
- लिंग-पक्षपाती लिंग-चयनात्मक उन्मूलन को रोकना।
- बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं की शिक्षा एवं भागीदारी को बढ़ावा देना।
- जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में हर साल दो अंक का सुधार।
- संस्थागत प्रसव के प्रतिशत में सुधार या 95% या उससे अधिक की दर पर कायम रहना।
- प्रति वर्ष पहली तिमाही प्रसव-रोधी देखभाल (एएनसी) पंजीकरण में 1% की वृद्धि।
- माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के बीच स्कूल छोड़ने की दर की जांच करना।
- सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
फोकस क्षेत्र और लक्ष्य समूह
यह योजना मुख्य रूप से निम्नलिखित पर केंद्रित है:
- प्राथमिक लक्ष्य समूह:
- युवा और नवविवाहित जोड़े, जो माता-पिता बनने की उम्मीद में हैं
- किशोर (लड़कियां और लड़के) और युवा
- घर-परिवार और समाज
- द्वितीयक लक्ष्य समूह:
- स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र (एडब्ल्यूसीएस),
- मेडिकल डॉक्टर/पेशेवर, निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर आदि।
- पंचायत राज संस्थान (पीआरआई), शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी), अधिकारी, फ्रंटलाइन वर्कर्स
- महिला समूह और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और नागरिक समाज संगठन
- मीडिया, धार्मिक गुरु और उद्योग विशेषज्ञ
वित्तीय और परिचालन संरचना
बीबीबीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें मिशन शक्ति के संबल वर्टिकल के तहत देश के सभी जिलों में केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषण किया जाता है।
वित्तीय सहायता जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) के आधार पर भिन्न होती है:
- 918 से कम या उसके बराबर एसआरबी वाले जिलों के लिए 40 लाख रुपये प्रति वर्ष।
- 919-952 के बीच एसआरबी वाले जिलों के लिए 30 लाख रुपये।
- 952 से अधिक एसआरबी वाले जिलों के लिए 20 लाख रुपये।
प्रमुख विकास
अभियान की सफलता लैंगिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में की गई प्रगति से स्पष्ट है, जिसमें समाज पर इसके सकारात्मक प्रभाव को दर्शाने वाले प्रभावशाली आंकड़े हैं।
1. जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार (एसआरबी)
- 2014-15 में 918 के एसआरबी से, 2022-23 में राष्ट्रीय एसआरबी बढ़कर 933 हो गया (स्रोत: एचएमआईएस, एमओएचएफडब्ल्यू)। यह लगातार वृद्धि लिंग-अनुपात को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली लिंग-पक्षपाती प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में बीबीबीपी के सामूहिक प्रभाव को दर्शाती है।
2. माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि
- माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, लड़कियों के लिए सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 2014-15 में 75.51% से बढ़कर 2021-22 में 79.4% हो गया है। (स्रोत: यू-डीआईएसई प्लस, एमओई)। यह बीबीबीपी के शैक्षिक प्रयासों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।
3. संस्थागत प्रसव में वृद्धि
- बीबीबीपी ने महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा में सुधार पर भी जोर दिया। संस्थागत प्रसव 2014-15 में 87% से बढ़कर 2019-20 तक 94% से अधिक हो गया, जिससे कई क्षेत्रों में माताओं और शिशुओं के लिए सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित हुआ, जो मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में आवश्यक रहा है।
4. जागरूकता अभियान
- बालिकाओं वाले पिताओं पर लक्षित ‘सेल्फी विद डॉटर्स’ जैसे विशिष्ट अभियानों ने देशव्यापी लोकप्रियता हासिल की।
- बालिकाओं के जन्म का उत्सव मनाने के लिए सामाजिक स्तर की गतिविधियां जैसे ‘बेटी जन्मोत्सव’।
5. महिलाओं का कौशल एवं आर्थिक सशक्तिकरण
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से बीबीबीपी ने युवा लड़कियों और महिलाओं के बीच कौशल विकास को बढ़ावा देने, उनकी आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में प्रगति की है। व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इस योजना ने अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा और कौशल विकास के लिए विशिष्ट पहल भी शुरू की।
- ‘खेलो इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य लड़कियों के बीच खेल प्रतिभा की पहचान करना और उसका पोषण करना है।
प्रमुख प्रयास
यह योजना दो प्रमुख घटकों के माध्यम से संचालित होती है:
बहु-क्षेत्रीय प्रयास
लड़कियों के बीच खेल को बढ़ावा देना, आत्मरक्षा शिविर, लड़कियों के शौचालयों का निर्माण, विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराना, पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाना है।
जागरूकता अभियान एवं सामुदायिक सहभागिता
राष्ट्रीय बालिका दिवस (एनजीसीडी) प्रतिवर्ष 24 जनवरी को अभियानों, कार्यशालाओं और रचनात्मक प्रतियोगिताओं के साथ मनाया जाता है। एक क्रॉस-कंट्री बाइक अभियान, “यशस्विनी” देश की महिला शक्ति या नारी शक्ति का उत्सव मनाने के लिए 150 सीआरपीएफ महिला बाइक सवारों का एक समूह है। यह लड़कियों को समग्र रूप से सशक्त बनाने के लिए मासिक धर्म स्वच्छता, आत्मरक्षा और लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करता है। स्वच्छता किटों के वितरण के साथ मासिक धर्म स्वच्छता पर कार्यशालाएं जैसे सामुदायिक संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किए गए।
निष्कर्ष
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना ने भारत में लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसने जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार करने, शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल का विस्तार करने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का सहयोग करने में मदद की है। सरकारी निकायों, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के साथ काम करके, इस योजना ने प्रत्येक बालिका को महत्व देने और उसकी सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। जैसे-जैसे बीबीबीपी अपने दूसरे दशक में प्रवेश कर रहा है, समावेशी नीतियों, बेहतर कार्यान्वयन और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से दीर्घकालिक परिवर्तन करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इससे लैंगिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रगति सुनिश्चित होगी।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) यू.यू. ललित ने विधि शिक्षा का आह्वान किया, जो अधिवक्ताओं को सामाजिक और आर्थिक न्याय के जटिल मुद्दों को सुलझाने के लिए सक्षम बनाती है
यू.यू. ललित ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णयों का उल्लेख किया, जिसने सकारात्मक कार्रवाई और प्रत्येक बच्चे के लिए मुफ्त अनिवार्य प्राथमिक तथा अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा के मौलिक अधिकार के मुद्दे को सामने रखा। उन्होंने भारत के सशक्त सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को आकार देने में उदारीकरण नीति के साथ-साथ आर्थिक न्याय के महत्व पर भी उल्लेख किया। इस संदर्भ में, उन्होंने ट्रेडलैब पहल की सराहना की, जो कानून के विद्यार्थियों को नि:शुल्क आधार पर नैदानिक शिक्षा प्रदान करती है। इस कार्यक्रम से भविष्य के अधिवक्ताओं और शिक्षाविदों को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कानून के दायरे में सामाजिक एवंआर्थिक न्याय के जटिल मुद्दों को हल करने के लिए तैयार कर सकती है।
उबर टेक्नोलॉजीज के सार्वजनिक नीति प्रमुख श्री संजय चड्ढा ने कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक कानून के महत्व पर जोर दिया, जो यह देखता है कि संप्रभु राष्ट्र कानूनी और आर्थिक दृष्टिकोणों को मिलाकर व्यापार में किस तरह से मुद्दों को हल करते हैं। संजय चड्ढा ने व्यापार वार्ता में अपने अनुभवों से वास्तविक जीवन के किस्से साझा किए। उन्होंने व्यापार समझौतों को समझने में अंतर और वार्ताकारों को बेहतर ढंग से सुसज्जित करने के लिए बातचीत कौशल एवं कानूनी विशेषज्ञता में अधिक क्षमता निर्माण की आवश्यकता जताई।
सम्मेलन का मुख्य विषय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश कानून के क्षेत्र में शिक्षण शिक्षण व नैदानिक कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाना था। इस दौरान कानूनी क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न प्रासंगिक और वर्तमान में न्यायसंगत विषयों पर पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। इसके अलावा, मूल्यवान प्रतिक्रिया अवसर प्रदान करने के लिए ट्रेडलैब कार्यकारी समिति के सदस्यों और अकादमिक पर्यवेक्षकों के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए।
सम्मेलन के पहले दिन में ट्रेडलैब कार्यकारी समिति के सदस्यों के लिए एक विशेष सीमित सत्र आयोजित हुआ, जिसके बाद ट्रेडलैब इंडिया द्वारा अनुभव-साझाकरण सत्र सहित कई अन्य खुले सत्र भी संचालित हुए। अंतर्राष्ट्रीय कानूनी अभ्यास में नैदानिक कानूनी शिक्षा के दायरे और इसके अवसरों पर सत्र तथा शिक्षण शिक्षण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाने पर अंतिम सत्र भी कार्यक्रम का हिस्सा था। सम्मेलन के दूसरे दिन पिछले वर्ष के दौरान आयोजित एमएनएलयू मुंबई, जीएनएलयू व क्यूएमयूएल लंदन की ट्रेडलैब परियोजनाओं पर तीन पैनल चर्चाएं और तीन छात्र प्रस्तुतियां देखी गईं, जिसके बाद समापन सत्र हुआ।
सम्मेलन ने ट्रेडलैब क्लीनिक के विकास के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि का प्रसार किया, जो नवीन दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश कानून में अभूतपूर्व अनुसंधान करने के लिए कानून के विद्यार्थियों के बीच क्षमता विकसित कर सकता है।
ट्रेडलैब इंडिया का नेतृत्व सीटीआईएल द्वारा हब और स्पोक मॉडल में कानून के विद्यालयों में ट्रेडलैब क्लीनिक स्थापित करके अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कानून में भारत की क्षमता विकसित करने के लिए किया जाता है। अब तक, सीटीआईएल ने लगभग 15 परियोजनाओं का निर्माण किया है और वर्तमान में 6 शीर्ष स्तरीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय सीटीआईएल के ट्रेडलैब क्लीनिक चला रहे हैं।
सीटीआईएल द्वारा संचालित ट्रेडलैब-इंडिया पहल, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कानून में कानूनी शिक्षा और अभ्यास की क्षमता निर्माण में सबसे आगे है। ट्रेडलैब-इंडिया ने विद्यार्थियों को व्यावहारिक अनुभव से सुसज्जित किया है और वैश्विक व्यापार एवं निवेश के मुद्दों के साथ भारत के भविष्य को आकार देने में योगदान दिया है।
ट्रेडलैब की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय कानून के जानकार प्रोफेसर जोस्ट पॉवेलिन एवं प्रोफेसर सर्जियो पुइग द्वारा की गई थी और 2013 से सुश्री जेनिफर हिलमैन, प्रोफेसर डेबरा स्टीगर तथा प्रोफेसर वैलेरी ह्यूजेस जैसे प्रसिद्ध चिकित्सकों व शिक्षाविदों के इस पहल में शामिल होने के साथ कार्यक्रम में वैश्विक उपस्थिति दर्ज की गई। ट्रेडलैब को स्विस नागरिक संहिता के तहत स्विट्जरलैंड में एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में शामिल किया गया है। ट्रेडलैब के विद्यार्थियों ने 2023 और 2024 डब्ल्यूटीओ पब्लिक फोरम में सक्रिय रूप से भाग लिया है। ट्रेडलैब की सदस्यता केवल उन विश्वविद्यालयों/केंद्रों के लिए खुली हुई है, जो ट्रेडलैब नेटवर्क के कानूनी क्लिनिक या व्यावहारिक भाग में भाग लेते हैं या भाग लेना चाहते हैं।
भारत द्वारा आयोजित “अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों के लिए औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज: चुनौतियाँ और नवाचार” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी नई दिल्ली में संपन्न
एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के सामाजिक सुरक्षा संगठनों, भारत सरकार के मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, श्रमिकों और नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों सहित 200 से अधिक प्रतिभागि इस विचार-विमर्श में शामिल हुए।
In the 2nd session of Day 2, experts discussed extending social security coverage to empower women & promote gender equality. Presentations by UN Women & ISSA explored tailored policies & systemic solutions to support the female workforce.#ISSAESIC2025#LabourMinistry#MoLE pic.twitter.com/RCegW8GYiq
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) January 21, 2025
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने संगोष्ठी का शुभांरभ किया और भारत में सामाजिक सुरक्षा पर एक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और श्रम और रोजगार सचिव सुमिता डावरा भी उपस्थित थीं। पुस्तक “भारत में सामाजिक सुरक्षा: अब तक की यात्रा की झलकियाँ” प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भारत में सामाजिक सुरक्षा और कल्याण परिदृश्य के विकास का वृत्तांत प्रस्तुत करती है।
तकनीकी सत्रों के दौरान लैंगिक समानता, पारदर्शिता और सुशासन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सार्वभौमिक, पर्याप्त, टिकाऊ और समावेशी सामाजिक सुरक्षा कवरेज की आवश्यकता को स्वीकार किया गया। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने श्रम बाजार के विकास, कवरेज बढ़ाने की चुनौतियों और कमजोर समूहों के लिए औपचारिकता और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए नवीन ढांचे पर गहन चर्चा की।
Day 2 Session 1 at the ISSA-ESIC International Seminar explored digital solutions like eShram & emphasised effective outreach strategies. Experiences from Nepal added depth to the discussions, setting the stage for innovative reforms ahead.#ISSAESIC2025#LabourMinistryIndia pic.twitter.com/g9bOPmJR0t
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) January 21, 2025
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, आईएसएसए, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र भारत, संयुक्त राष्ट्र महिला और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि और वैश्विक दृष्टिकोण साझा किए। ओमान, थाईलैंड, मलेशिया, नेपाल और इंडोनेशिया के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने अनुभव और अध्ययन को प्रदर्शित किया, जबकि प्रतिभागियों ने सामाजिक सुरक्षा कवरेज और औपचारिकता को बढ़ाने के लिए नवीन दृष्टिकोणों पर चर्चा की।
श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने तकनीकी सत्रों के दौरान ई-श्रम, रोजगार से जुड़ी योजना, गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के लिए सामाजिक सुरक्षा और ईएसआईसी में स्वास्थ्य देखभाल लाभ सहित अपनी प्रमुख पहलों और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।
Session 3 of Day 2 📊 Measuring progress in #SocialSecurity coverage requires robust data collection, focusing on inclusion, sectoral coverage, and participation rates. (1/2) pic.twitter.com/K3OHHLmF0v
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) January 21, 2025
श्रम एवं रोजगार सचिव सुश्री सुमिता डावरा ने अपने समापन भाषण में सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने स्वास्थ्य सुरक्षा, पेंशन, आजीविका और खाद्य सुरक्षा के प्रावधान में भारत की उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने कहा, “ई-श्रम पोर्टल अनौपचारिक श्रमिकों को उनकी सामाजिक सुरक्षा और कल्याण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए “वन स्टॉप सॉल्यूशन” प्रदान करके भारतीय सामाजिक सुरक्षा परिदृश्य को नया आकार देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।”
अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (आईएसएसए) के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अज़मान ने अनौपचारिक श्रमिकों सहित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में भारत के पथप्रदर्शक प्रयासों की सराहना की।
🌟 The two-day ‘ISSA-ESIC International Seminar’ emphasized addressing challenges faced by informal workers, with solutions focusing on universality, adequacy, and gender equality. (1/2) pic.twitter.com/KZh6KcqZnR
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श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा ईएसआईसी, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), रोजगार महानिदेशक और श्रम कल्याण महानिदेशक सहित इसके संगठनों के इंटरेक्टिव डिजिटल कियोस्क को प्रतिभागियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।
मंत्रालय की ऐतिहासिक पहलों ई-श्रम, एनसीएस पोर्टल, श्रम सुधार, ईपीएफओ और ईएसआईसी को डिजिटल फ्लिपबुक और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। इन आकर्षक कियोस्क ने सामाजिक सुरक्षा को अधिक सुलभ, पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया।
सेमिनार के समापन पर श्रम और रोजगार सचिव ने निरंतर संवाद और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सामाजिक सुरक्षा सभी तक पहुंचे और कोई भी श्रमिक पीछे न छूटे।
आयुध पैराशूट निर्माणी द्वार पर पांच सूत्रीय मांगों को लेकर “पैराशूट राष्ट्रीय मजदूर संघ” द्वारा एक दिवसीय “धरना आयोजित
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 22 जनवरी “सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ” एवं “भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ” के अखिल भारतीय आवाहन पर रक्षा क्षेत्र के कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर (दिनांक 15-30 जनवरी) एक पाक्षिक आंदोलन कार्यक्रम के क्रम में दिनांक 22/01/2025 को आयुध पैराशूट निर्माणी द्वार पर पांच सूत्रीय मांगों को लेकर “पैराशूट राष्ट्रीय मजदूर संघ” द्वारा एक दिवसीय “धरना” किया गया।
आंदोलन में केंद्र सरकार से मांग की गई कि
1) न्यू पेंशन स्कीम NPS और UPS रद्द करके सभी को OPS प्रदान किया जाय।
2) सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा तो कर दी है लेकिन वेतन आयोग 01/01/2026 के वास्तविक काल से भत्तों सहित लागू करे।
3) आयुध निर्माणियों के निगमीकरण पर सरकार पुनः विचार करे और वर्तमान में कार्यरत समस्त कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्त तक प्रसार भारती मॉडल की तरह सरकारी दर्जा प्रदान किया जाए।
04) आयुध कारखानों तथा ई.एम.ई. में अनुकंपा नियुक्ति में 5% की सीमा है जिसमें प्रतीक्षारत समस्त मृतक आश्रितों को वन टाइम रिलैक्सेशन देते हुए 100% नियुक्ति प्रदान की जाए।
05) रक्षा प्रतिष्ठानों में ठेका प्रणाली को समाप्त कर समस्त रिक्त पदों को भरा जाए।
धरना कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रूप में GENC के महासचिव श्री साधू सिंह, BPMS के संयुक्तमंत्री योगेंद्र चौहान, BPMS के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुधीर त्रिपाठी, अध्यक्ष सचिन वर्मा , महामंत्री वेद प्रकाश शर्मा , प्रेम कुमार, संजीव कश्यप, अमर बाबू तिवारी, सुधीर शंखवार ने संबोधित किया । धरना कार्यक्रम में सुनील कुमार, सूरज कुमार, राज कुमार विश्वकर्मा, प्रवीण यादव, अखिलेश प्रताप सिंह, जय कुमार, वीरेंद्र यादव, संजीत सिंह, पीयूष शर्मा, सुधांशु आर्य,अमित शुक्ल, विमल कठेरिया, विजय सिंह, अमित शर्मा के साथ अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
Read More »वोट जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगें हम ‘Nothing Like Voting, I Vote for sure’ के विषय पर निबन्ध प्रतियोगिता /भाषण प्रतियोगिता/पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 22 जनवरी एस .एन सेन महाविद्यालय, कानपुर की राष्ट्रीय पर्व समिति द्वारा मतदाता दिवस के अवसर पर प्रजातांत्रिक मूल्यों की उत्प्रेरण हेतु वोट जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगें हम ‘Nothing Like Voting, I Vote for sure’ के विषय पर निबन्ध प्रतियोगिता /भाषण प्रतियोगिता/पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.सुमन द्वारा सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गय।निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान शुभी त्रिपाठी, द्वितीय स्थान सताक्षी धुरिया ,एवं तृतीय स्थान दीप्ति पाण्डेय को प्राप्त हुआ।पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान संस्कृति पाल, द्वितीय स्थान अनुष्का सिंह एवं तृतीय स्थान ओमाक्षी पंडित को प्राप्त हुआ। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अमृता, द्वितीय स्थान भूमिका सिंह एवं तृतीय स्थान सताक्षी द्विवेदी को मिला।कार्यक्रम में 30 छात्राओं ने प्रतिभाग किया।छात्राओं को संबोधित करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.सुमन ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में 18 वर्ष की उम्र से नागरिकता का अधिकार प्राप्त हो जाता है, लेकिन युवा है कि वोट डालने के लिए घर से ही नहीं निकलते।
वोट देकर हम अपने अधिकार का उपयोग कर सकते हैं और देश को चलाने के लिए अच्छे प्रतिनिधि का चुनाव कर सकते हैं। । कार्यक्रम में निर्णायक मंडल के रूप में अंग्रेजी विभाग की आचार्य प्रो.अलका टंडन एवं समाजशास्त्र विभाग की प्रो.मीनाक्षी व्यास रहीं। कार्यक्रम में राष्ट्रीय पर्व समिति की प्रो. रेखा चौबे, प्रो.प्रीति पाण्डेय, मीडिया प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ,डॉ .कोमल सरोज, डॉ.प्रीति यादव , डॉ श्वेता रानी एवं अन्य शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
रेलवे सुरक्षा बल ने 2021 से अवैध प्रवास की रोकथाम के क्रम में 586 बांग्लादेशी और 318 रोहिंग्या को पकड़ा
अक्टूबर 2024 में, रिपोर्ट में बताया गया कि बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा से जुड़े उपायों को बढ़ाने के बावजूद, अवैध प्रवासी भारत में घुसपैठ करना जारी रखते हैं, असम को पारगमन मार्ग के रूप में और रेलवे को देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचने के लिए अपनी पसंदीदा यात्रा के रूप में उपयोग करते हैं। ये घटनाएं अवैध घुसपैठ के खिलाफ रेलवे नेटवर्क की निगरानी और सुरक्षा में भारतीय अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों को चिन्हित करती हैं। घुसपैठियों द्वारा रेलवे का उपयोग न केवल राज्यों में उनकी आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है, बल्कि देश में अनधिकृत प्रवेश का पता लगाने और रोकने के प्रयासों को भी जटिल बनाता है।
उपरोक्त मुद्दे पर विचार करने के लिए, आरपीएफ ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों जैसी प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करके अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। विभिन्न एजेंसियों के बीच आंतरिक सहयोग के इस दृष्टिकोण ने परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे अवैध प्रवास में शामिल व्यक्तियों की शीघ्र पहचान करना और हिरासत में लेना संभव हो पाया है।
अपने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, आरपीएफ को पकड़े गए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का सीधा अधिकार नहीं है। इसके बजाय, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए पुलिस और अन्य अधिकृत एजेंसियों को सौंप दिया जाता है।
बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में चल रही हाल के राजनीतिक उथल-पुथल और इन क्षेत्रों में भू-राजनीतिक घटनाक्रमों और सामाजिक-धार्मिक कारकों के कारण भारत के सुदूर इलाकों में शरण, रोजगार और आश्रय की तलाश करने वाले लोगों की आमद हुई है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है। जबकि रेलवे का उपयोग करने वाले घुसपैठियों की संख्या के सटीक आंकड़े सीमित हैं, हाल की रिपोर्टें बताती हैं कि अवैध प्रवासी अक्सर भारत के अन्य हिस्सों में जाने के लिए असम और त्रिपुरा जैसे क्षेत्रों से गुजरने के लिए रेलवे नेटवर्क का उपयोग करते हैं।
रेलवे सुरक्षा बल ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने की चुनौती को स्वीकार किया है, तथा भारत की सीमाओं में घुसने का प्रयास करने वाले अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये व्यक्ति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता का विषय हैं, बल्कि बंधुआ मजदूरी, घरेलू नौकरानी, वेश्यावृत्ति और यहां तक कि अंग निकालने के लिए मानव तस्करी सहित शोषण के लिए भी अत्यधिक संवेदनशील हैं।
भारत: विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था
भारत अगले दो वित्तीय वर्षों तक सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा और इसके साथ ही वह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर हावी होने के लिए तैयार है। विश्व बैंक की वैश्विक आर्थिक संभावना (जीईपी) रिपोर्ट के जनवरी 2025 संस्करण में अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 26 और वित्त वर्ष 27 दोनों में 6.7% की स्थिर दर से बढ़ेगी, जो वैश्विक और क्षेत्रीय समकक्षों से काफी आगे है। ऐसे समय में जब वैश्विक विकास 2025-26 में 2.7 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है, यह उल्लेखनीय प्रदर्शन भारत की लचीलापन और विश्व की आर्थिक प्रगति में इसके बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है।
जीईपी रिपोर्ट इस असाधारण गति का श्रेय एक संपन्न सेवा क्षेत्र और एक पुनर्जीवित विनिर्माण आधार को देती है, जो बदलावकारी सरकारी पहलों द्वारा संचालित है। बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण से लेकर करों को सरल बनाने तक, ये उपाय घरेलू विकास को बढ़ावा दे रहे हैं और भारत को वैश्विक आर्थिक स्थिरता की आधारशिला के रूप में स्थापित कर रहे हैं। निकटतम प्रतिद्वंद्वी, चीन की आर्थिक वृद्धि दर अगले वर्ष 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. भारत की बढ़ती प्रगति केवल एक आंकड़ा नहीं है। यह महत्वाकांक्षा, नवाचार और बेजोड़ क्षमता की एक शक्तिशाली कहानी है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट के पूरक के रूप में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) के नवीनतम अपडेट से भी भारत की मजबूत आर्थिक प्रगति को बल मिलता है। आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि भारत की वृद्धि दर 2025 और 2026 दोनों के लिए 6.5% पर मजबूत रहेगी, जो अक्टूबर के पहले के अनुमानों के अनुरूप है। यह निरंतर वृद्धि परिदृश्य भारत के स्थिर आर्थिक बुनियादी ढांचे और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद गति बनाए रखने की इसकी क्षमता को दर्शाता है। विश्व बैंक और आईएमएफ दोनों द्वारा अनुमानित भारत के आर्थिक प्रदर्शन की निरंतर मजबूती देश के लचीलेपन को रेखांकित करती है और इसके आर्थिक बुनियादी ढांचे की निरंतर मजबूती दर्शाती है और, जिससे भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक अहम ताकत बन जाता है।
विश्व बैंक की जीईपी रिपोर्ट का अवलोकन
वैश्विक आर्थिक संभावनाएँ (जीईपी) रिपोर्ट विश्व बैंक समूह का एक प्रमुख प्रकाशन है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में रुझानों और अनुमानों की जाँच करता है। यह उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष जोर देता है, उनके विकास पथ और चुनौतियों के बारे में जानकारी मुहैया करता है। जनवरी और जून में साल में दो बार प्रकाशित होने वाली यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में काम करती है। जनवरी संस्करण में महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है, जबकि जून संस्करण में छोटे, केंद्रित विश्लेषणात्मक अंश दिए गए हैं।
नवीनतम जीईपी रिपोर्ट 21वीं सदी की शुरुआत के बाद से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन की पहली व्यापक समीक्षा पेश करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। 2025 में इसकी पहली तिमाही के अंत में संकेत मिले थे, रिपोर्ट 2000 के बाद से इन अर्थव्यवस्थाओं द्वारा की गई प्रगति का आकलन करती है और अगले 25 वर्षों में उनकी भविष्य की संभावनाओं का मूल्यांकन करती है। इस संस्करण में दो विश्लेषणात्मक अध्याय हैं। एक में मध्यम आय वाली उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सामने आने वाले अवसरों और चुनौतियों की जांच की गई है, जबकि दूसरे में दुनिया के सबसे गरीब देशों की प्रगति और बाधाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
जनवरी 025 की रिपोर्ट में मुख्य निष्कर्ष
.अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में इसके प्रभुत्व की पुष्टि करेगा।
- वित्त वर्ष 2026 और 2027 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था के सालाना 6.7 प्रतिशत की स्थिर दर से बढ़ने की उम्मीद है।
- भारत के सेवा क्षेत्र में वृद्धि मजबूत बने रहने की उम्मीद है, जबकि विनिर्माण गतिविधियां मजबूत होंगी, जिसे लॉजिस्टिक्स अवसंरचना में सुधार और कर प्रणालियों को सुव्यवस्थित करने के सरकारी प्रयासों से सहयोग मिलेगा।
- भारत में निजी उपभोग में तेजी आने की संभावना है, जिसका कारण मजबूत श्रम बाजार, ऋण तक बढ़ती पहुंच और कम मुद्रास्फीति है।
- भारत की निवेश वृद्धि स्थिर रहने की उम्मीद है, जिसे बढ़ते निजी निवेश, बेहतर कॉर्पोरेट बैलेंस शीट और अनुकूल वित्तपोषण स्थितियों से समर्थन मिलेगा।
- वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 2025-26 में 2.7 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है, जो भारत के बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
- वर्ष 2000 के बाद से उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है, जो अब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 45 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जबकि सदी के प्रारंभ में यह 25 प्रतिशत था।
- भारत, चीन और ब्राजील, तीन सबसे बड़े ईएमडीई, ने सदी की शुरुआत से लेकर अब तक वार्षिक वैश्विक विकास में सामूहिक रूप से लगभग 60 प्रतिशत का योगदान दिया है।
विकास को गति देने वाली सरकारी योजनाएं और पहल
भारत सरकार ने देश को सतत आर्थिक विकास और वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करने के उद्देश्य से कई दूरदर्शी योजनाएं और पहल लागू की हैं। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत बुनियादी ढांचे के विकास से लेकर स्टार्टअप इंडिया और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसी पहलों के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने तक, ये सुधार विनिर्माण, डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्तीय समावेशन जैसे क्षेत्रों में बदलाव ला रहे हैं। सामूहिक रूप से, वे एक लचीली, आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष
भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति समावेशी वृद्धि और नवाचार-संचालित विकास के अपने दृष्टिकोण का प्रमाण है। दूरदर्शी नीतियों को लागू करके, एक मजबूत बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देकर और डिजिटल बदलाव को अपनाकर, राष्ट्र अपनी वैश्विक स्थिति को फिर से परिभाषित कर रहा है। अगले दो वित्तीय वर्षों में 6.7% की स्थिर वृद्धि के साथ, सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत वैश्विक समकक्षों से आगे निकल रहा है और आर्थिक लचीलेपन और प्रगति में एक अगुवा के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। बाजार को एकीकृत करने वाले माल और सेवा कर से लेकर स्टार्टअप इंडिया और उद्यमिता और विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसी पहलों तक, राष्ट्र एक गतिशील और मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है। इस गति के साथ, भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है, जो अद्वितीय प्रगति प्राप्त करने में महत्वाकांक्षा, लचीलेपन और रणनीतिक शासन की शक्ति का उदाहरण है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने महाकुंभ 2025 में राष्ट्रीय स्तर की खादी प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अध्यक्ष केवीआईसी श्री मनोज कुमार ने कहा, “महाकुंभ न केवल आस्था का महोत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। खादी, जो महात्मा गांधी के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी का प्रतीक बनी, आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही ‘चरखा क्रांति’ के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की पहचान बन चुकी है।” उन्होंने आगे कहा कि खादी और ग्रामोद्योग प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान “खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन, खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन” के तहत नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
प्रदर्शनी में देश के 20 से अधिक राज्यों से आए खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों के 152 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें 98 खादी और 54 ग्रामोद्योग उत्पादों के हैं। यहां पर कश्मीर से लेकर तमिलनाडु और महाराष्ट्र से नागालैंड तक के उत्पाद उपलब्ध हैं। अध्यक्ष ने श्रद्धालुओं और आगंतुकों से अपील की कि वे खादी प्रदर्शनी में आकर स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं और ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित करें।
श्री मनोज कुमार ने खादी और ग्रामोद्योग के पिछले 10 वर्षों की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
उत्पादन में वृद्धि: खादी और ग्रामोद्योग का उत्पादन रुपये 26,000 करोड़ से बढ़कर रुपये 1 लाख करोड़ हो गया है।
बिक्री में उछाल: खादी और ग्रामोद्योग की बिक्री रुपये 31 हजार करोड़ से बढ़कर रुपये 1 लाख 55 हजार करोड़ हो गई है।
रोजगार सृजन: रोजगार के अवसर 43.65% बढ़े हैं, जिससे 1.87 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं। पिछले वित्तवर्ष में 10.17 लाख नये रोजगार का सृजन हुआ है।
कारीगरों की आय में वृद्धि: खादी कारीगरों की आय में 213% की बढ़ोतरी हुई है, जो 4 रुपये बढ़कर 12.50 रुपये प्रति लच्छा हो गयी है।
अध्यक्ष केवीआईसी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 450 से अधिक खादी संस्थाओं के माध्यम से 1.4 लाख से अधिक कारीगरों को रोजगार दिया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य में 15 करोड़ रुपये से अधिक MMDA और 4 करोड़ रुपये से अधिक ISEC वितरित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश में ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत 1550 लाभार्थियों को उपकरण और टूलकिट प्रदान किया गया था, जबकि इस वर्ष 1850 लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के अंतर्गत इस वर्ष दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में 137 करोड़ रुपये की सब्सिडी बांटी गयी। नयी इकाइयों के माध्यम से 38588 नये लोगों को रोजगार दिया गया है।
अध्यक्ष केवीआईसी श्री मनोज कुमार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘खादी क्रांति’ ने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कुंभ आयोजन की भव्यता और प्रयागराज को वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र बनाने के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे खादी उत्पादों को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में योगदान दें। उन्होंने खादी प्रदर्शनी को भारतीय आत्मनिर्भरता और संस्कृति का जीवंत उदाहरण बताया।
उद्घाटन कार्यक्रम में खादी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीएमईजीपी यूनिट के लाभार्थी, खादी कार्यकर्ता समेत उत्तर प्रदेश सरकार और केवीआईसी के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।