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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने पांच राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में 1,887.23 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने 2021 के दौरान बाढ़/भूस्खलन/ओलावृष्टि से प्रभावित पांच राज्यों को राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) के तहत अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी है। यह निर्णय, इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाले पांच राज्यों के लोगों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के संकल्प को दर्शाता है।

एचएलसी ने एनडीआरएफ से पांच राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में 1,887.23 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।

बिहार को 1,038.96 करोड़ रुपयेहिमाचल प्रदेश को 21.37 करोड़ रुपयेराजस्थान को 292.51 करोड़ रुपयेसिक्किम को 59.35 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 475.04 करोड़ रुपये।

यह अतिरिक्त सहायता; केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) में जारी की गई धनराशि के अलावा है, जो पहले से ही राज्यों के पास उपलब्ध है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 28 राज्यों को उनके एसडीआरएफ में 17,747.20 करोड़ रुपये और एनडीआरएफ से नौ राज्यों को 6,197.98 करोड़ रुपये जारी किये हैं।

केंद्र सरकार ने आपदाओं के तुरंत बाद इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उनसे ज्ञापन प्राप्त होने की प्रतीक्षा किए बिना, अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईएमसीटी) की प्रतिनियुक्ति की थी।

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भारत वर्तमान में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, इज़राइल और अन्य देशों के साथ एफटीए पर बातचीत करने की प्रक्रिया में है

वस्त्र राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने हाल ही में एक मुक्त व्यापार समझौते-एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे भारतीय वस्त्र और परिधानों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है। भारत, वर्तमान में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, इज़राइल और अन्य देशों/क्षेत्रों के साथ एफटीए पर बातचीत करने की प्रक्रिया में है।
बांग्लादेश, कंबोडिया और श्रीलंका आदि जैसे पड़ोसी प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत कुछ बाजारों जैसे यूरोपीय संघ, ब्रिटेन आदि में शुल्क हानि का सामना कर रहा है। सरकार अपनी बाज़ार पहुंच पहल (एमएआई) योजना के अंतर्गत विभिन्न निर्यात को व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों, क्रेता-विक्रेता बैठकों आदि के आयोजन तथा भाग लेने के लिए कपड़ा और वस्त्र निर्यात को बढ़ावा देने में लगे प्रमोशन काउंसिल (ईपीसी) तथा व्यापार निकाय को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के समय में, वैश्विक बाजारों में अवसरों का उपयोग करने के लिए ईपीसी विपणन के एक वैकल्पिक तरीके के रूप में वर्चुअल माध्यम से प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया गया था।

कपड़ा उत्पादों को लागत प्रतिस्पर्धी बनाने और शून्य रेटेड निर्यात के सिद्धांत को अपनाने के लिए, सरकार ने परिधान / वस्त्र (अध्याय -61 और 62) और (अध्याय-63) मेड-अप के निर्यात पर राज्य और केंद्रीय कर तथा लेवी (आरओएससीटीएल) की छूट को 31 मार्च 2024 तक जारी रखा है। अन्य वस्त्र उत्पाद (अध्याय 61, 62 और 63 को छोड़कर) जो आरओएससीटीएल के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, अन्य उत्पादों के साथ निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों (आरओडीटीईपी) के अंतर्गत शामिल किए गए हैं।

संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (एटीयूएफएस) जनवरी 2016 में पात्र बेंचमार्क मशीनरी के लिए एकमुश्त पूंजी सब्सिडी के लिए शुरू की गई थी। परिधान और तकनीकी वस्त्र जैसे उच्च रोजगार और निर्यात क्षमता वाले खंड पूंजीगत सब्सिडी के लिए पात्र हैं। वस्त्र उद्योग के रोजगार सृजन के अपने प्रयासों को पूरा करने के लिए और उद्योग की कौशल युक्त जनशक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए, वस्त्र मंत्रालय कताई को छोड़कर वस्त्रों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला और संगठित क्षेत्र में बुनाई के लिए कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण (एससीबीटीएस) योजना को लागू कर रहा है। मंत्रालय मौजूदा और संभावित कपड़ा इकाइयों के लिए एक एकीकृत कार्यक्षेत्र तथा लिंकेज-आधारित ईकोसिस्टम बनाने के लिए 2021-22 से 2025-26 तक कपड़ा समूह विकास योजना (टीसीडीएस) लागू कर रहा है ताकि उन्हें परिचालन और वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। इसमें हस्तक्षेपों के अनुकूलन, संचालन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं, विनिर्माण में प्रतिस्पर्धा, कम लागत, प्रौद्योगिकी और सूचना तक बेहतर पहुंच आदि के लिए लोगों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करना है। इसके अलावा, एमएमएफ परिधान, एमएमएफ कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कपड़ा के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई है। सरकार ने प्लग एंड प्ले सुविधा सहित विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ग्रीनफील्ड / ब्राउनफील्ड साइटों में 7 (सात) पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और अपैरल (पीएम मित्रा) पार्क स्थापित करने को भी मंजूरी दी है।

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पांचवां बिम्सटेक शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री मोदी आज पांचवें बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) शिखर सम्मेलन में सम्मिलित हुये, जिसकी मेजबानी वर्चुअल माध्यम से श्रीलंका ने की, जो इस समय बिम्सटेक का अध्यक्ष है। पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के पूर्व, वरिष्ठ अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक तैयारी बैठक हाइब्रिड पद्धति से कोलंबो में 28 और 29 मार्च को आयोजित की गई थी। शिखर-सम्मेलन की विषयवस्तु “टूवर्ड्स ए रेजीलियंट रीजन, प्रॉस्पेरस इकोनॉमीज़, हेल्दी पीपुल” सदस्य देशों के लिये प्राथमिकता विषय है। इसके अलावा बिम्सटेक के प्रयासों से सहयोगी गतिविधियों को विकसित करना भी इसमें शामिल है, ताकि सदस्य देशों के आर्थिक तथा विकास पर कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से निपटा जा सके। शिखर वार्ता का प्रमुख कदम बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर करना और उसे मंजूरी देना है, जिसके तहत उन सदस्य देशों के संगठन को आकार देना है, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित हैं तथा उस पर निर्भर हैं। शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक कनेक्टीविटी एजेंडा को पूरा करने की उल्लेखनीय प्रगति का जायजा लिया गया। राष्ट्राध्यक्षों ने ‘यातायात संपर्कता के लिये मास्टरप्लान’ पर विचार किया, जिसके तहत भविष्य में इस इलाके में संपर्कता सम्बंधी गतिविधियों का खाका तैयार करने के दिशा-निर्देश निहित हैं। अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक की क्षेत्रीय संपर्कता, सहयोग और सुरक्षा को बढ़ाये जाने के महत्त्व को रेखांकित किया। इस सम्बंध में उन्होंने अनेक सुझाव दिये। प्रधानमंत्री ने अपने समकक्ष राष्ट्राध्यक्षों का आह्वान किया कि वे बंगाल की खाड़ी को बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच संपर्कता, समृद्धि और सुरक्षा सेतु में बदलने का प्रयास करें। प्रधानमंत्री श्री मोदी तथा अन्य राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष तीन बिम्सटेक समझौतों पर हस्ताक्षर हुये। इन समझौतों में वर्तमान सहयोग गतिविधियों में हुई प्रगति के विषय शामिल हैः 1). आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर बिम्सटेक समझौता, 2). राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर बिम्सटेक समझौता-ज्ञापन, 3). बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा की प्रतिस्थापना के लिये प्रबंध-पत्र।

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा सेमिनार का आयोजन

कानपुर 30 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर में छात्राओं के लिए ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ रेड्डी फाउंडेशन के ट्रेनिंग मैनेजर श्री सैफ खान ,शहजाद शमीम, कु. नीतिका त्रिवेदी , प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल, ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की इंचार्ज डा गार्गी यादव और डा निशा वर्मा ने किया। प्राचार्या डा निशा अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया. ट्रेनिंग मैनेजर श्री सैफ खान ने बताया कि डॉ रेड्डी संस्था किशोर वर्ग ,युवा वर्ग, महिला वर्ग और किसानों के लिए कार्य कर रही है । संस्था का उद्देश्य पिछड़े वर्ग के युवाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना है । उन्होंने टेक्निकल , समुन्नत भाषा और सॉफ्ट स्किल के बारे में विस्तार से बताया तथा इंडस्ट्री में कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए फोकस , कंसंट्रेशन और एक्यूरेसी की महत्ता के बारे में बताया, श्री सैफ ने डॉ रेड्डी फाउंडेशन के अंतर्गत कार्यरत युवाओं के प्रशिक्षण हेतु चलाए जाने वाले प्रोग्राम जैसे ऑफिस ऑटोमेशन , रेज्यूमे, ऑटोमैटिक प्रेजेंटेशन देना ,क्वांटिटेव ट्रेनिंग के बारे में छात्राओं को जानकारी दी। प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहता है, जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके। कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की प्रभारी डॉ. गार्गी यादव ने औऱ धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया कार्यक्रम में डा प्रभात,डॉ प्रीता अवस्थी, सौम्या चतुर्वेदी ,सपना रॉय, कु वर्षा सिंह कु तैय्यबा आदि प्रवक्ताए और छात्राएं उपस्थित रहीं.

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 देश का लक्ष्य दुनिया में सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनने का है- पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि देश का लक्ष्य दुनिया में सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम बनने का है। संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में ‘गेटवे टू ग्रोथ – राउंडटेबल ऑन इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम’ पर एक सत्र को संबोधित करते हुए, श्री गोयल ने कहा, “आज हम तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं, लेकिन हमारी आकांक्षा दुनिया का नंबर एक स्टार्टअप केंद्र बनने की है। स्टार्टअप बग ने भारत की कल्पना को पहचान लिया है। संपूर्ण नवाचार ईकोसिस्टम जिसका स्टार्टअप उद्योग प्रतिनिधित्व करता है, भारत को एक नई दिशा, नई गति दे रहा है।” संयुक्त अरब अमीरात के उद्यमिता और एसएमई राज्य मंत्री, अहमद बेलहौल अल फलासी (वर्चुअल माध्यम से), डॉ. थानी ज़ायौदी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री, मोहम्मद अल शराफ, अध्यक्ष, अबू धाबी आर्थिक विकास विभाग ने सत्र की सह-अध्यक्षता की। एडीजीएम, एडीक्यू, मुबाडाला, मसदर, एडीआईओ, एडी रेजिडेंट्स ऑफिस, जी-42, हब-71, अर्देंट एडवाइजरी, चिमेरा इनवेस्टमेंट आदि के प्रतिनिधियों ने भी सत्र में भाग लिया। श्री गोयल ने कहा, “भारत स्टार्टअप के लिए एक विशेष ‘जुगलबंदी’ या निवेशकों और उद्यमियों के बीच तालमेल के साथ एक संतुलित परिणाम प्राप्त करने और सभी के लिए उत्तम समाधान प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा ईकोसिस्टम प्रदान करता है। मैंने दुबई एक्सपो में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी है जहां हमारे स्टार्टअप्स को धन जुटाने, समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने और एंजेल निवेश प्राप्त करने का अवसर मिला है। ये सभी पहलू यूएई के साथ भारत की दोस्ती के मजबूत बंधन को सुदृण करने में मदद करेंगे।” मंत्री ने इंडिया पवेलियन के अंतर्गत इंडिया इनोवेशन हब प्लेटफॉर्म द्वारा भारतीय स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की सराहना की। मंत्री ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि एक्सपो 2020 दुबई में अपने इनोवेशन का प्रदर्शन करने वाले 700 स्टार्टअप भविष्य के लिए नए अवसरों और विचारों से समृद्ध होकर वापस गए होंगे। मुझे विश्वास है कि भारत और यूएई के बीच नवाचार और भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर यह पहल व्यवसायों के विकास को गति देगी और आगे बढ़ने में सहायता करेगी।” उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स को प्रयोग करने, असफल होने और अपने अनुभवों से सीखने की जरूरत है। श्री गोयल ने कहा, “मैं स्टार्टअप जगत के सभी लोगों से अतिरिक्त प्रयास करने और स्टार्टअप की गाथा को सभी दूरस्थ स्थानों, गांवों, छोटे शहरों, पूर्वोत्तर भारत और अन्य क्षेत्रों में ले जाने का आग्रह करूंगा।” स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका के बारे में मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य स्टार्टअप्स को एक समान अवसर और सर्वोत्तम व्यावसायिक ईकोसिस्टम प्रदान करना है। मंत्री ने कहा, “हमने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) को अंतिम रूप दिया है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार, बी2बी जुड़ाव और आकर्षक निवेश के अवसरों का पता लगाने की आशा है। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हम इस साझेदारी को स्थिरता, एयरोस्पेस, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, संपर्क, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, 5जी, मेटावर्स आदि के क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। हम एक-दूसरे की पेशकशों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए तत्पर हैं।”

श्री गोयल ने कहा कि यूएई भारत साझेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और दुनिया भर के अरबों लोगों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए तैयार है। मंत्री ने कहा, “यह 21वीं सदी के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी होगी।”

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भारतीय नौसेना के लिए दो बहुउद्देश्यीय पोतों के अधिग्रहण को लेकर मुबंई स्थित मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए

रक्षा मंत्रालय ने 25 मार्च, 2022 को मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ “खरीदें-भारतीय” श्रेणी के तहत 887 करोड़ रुपये की कुल लागत से भारतीय नौसेना के लिए दो बहुउद्देश्यीय पोतों (एमपीवी) के अधिग्रहण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे और अतिरिक्त सचिव व महानिदेशक (अधिग्रहण) श्री पंकज अग्रवाल की उपस्थिति में इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। नौसेना को मई, 2025 से इन पोतों को सौंपे जाने का समय तय किया गया है।

एमपीवी अपनी तरह का पहला पोत होगा, जिसका निर्माण भारतीय नौसेना की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने को लेकर लागत प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए किया जाएगा। मेसर्स एलएंडटी शिपयार्ड इन जहाजों का निर्माण कट्टुपल्ली (चेन्नई) में करेगी। यह गनरी/एएसडब्ल्यू फायरिंग अभ्यासों के लिए समुद्री निगरानी व गश्ती, टारपीडो की लॉन्चिंग/रिकवरी और विभिन्न प्रकार के हवाई, सतह व जल के नीचे के लक्ष्यों के परिचालन जैसे विविध भूमिकाओं में सहायता करने का काम करेगा। ये पोत जहाजों को खींचने और सीमित अस्पताल जहाज क्षमता के साथ मानवीय सहायता व आपदा राहत (एचएडीआर) समर्थन प्रदान करने में भी सक्षम होंगे। इसके अलावा ये पोत विकास के तहत नौसेना के हथियारों व सेंसर के परीक्षण मंच, आईएसवी व बचाव कार्यों के लिए समर्थन मंच और हमारे द्वीपीय क्षेत्रों में लॉजिस्टिक (रसद) सहायता प्रदान करने का भी काम करेंगे।  यह अनुबंध भारत सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप भारतीय पोत निर्माण उद्योग की सक्रिय भागीदारी को और अधिक बढ़ावा देगा व प्रोत्साहित करेगा। इसके अलावा अधिकांश उपकरण व प्रणाली स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त होने के चलते ये पोत रक्षा मंत्रालय की “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” पहल के एक गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।

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डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल के भारतीय सेना संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 27 मार्च, 2022 को ओडिशा के तट पर चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) के भारतीय सेना संस्करण के दो सफल उड़ान परीक्षण किए। उड़ान परीक्षण हाई-स्पीड हवाई लक्ष्यों के विरूद्ध लाइव फायरिंग ट्रायल के हिस्से के रूप में किए गए। मिसाइलों ने हवाई लक्ष्यों को इंटरसेप्ट किया और दोनों रेंजों पर सीधे हिट दर्ज करते हुए उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया। पहला लाँच एक मध्यम ऊंचाई लंबी दूरी के लक्ष्य को इंटरसेप्ट करना था और दूसरा लाँच कम ऊंचाई वाली छोटी दूरी के लक्ष्य की क्षमता सिद्ध करने के लिए था।

यह एमआरएसएएम संस्करण भारतीय सेना द्वारा उपयोग के लिए डीआरडीओ और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई), इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। एमआरएसएएम आर्मी वेपन सिस्टम में मल्टी-फंक्शन रडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम और अन्य वाहन शामिल हैं। उड़ान परीक्षण डिलीवरेबल आकृति में हथियार प्रणाली के साथ किए गए थे। हथियार प्रणाली का निष्पादन आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे रेंज उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए उड़ान डेटा के माध्यम से सत्यापित किया गया था। उड़ान परीक्षण डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एमआरएसएएम-सेना के सफल उड़ान परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी है। उन्होंने कहा, दोनों सफल परीक्षण महत्वपूर्ण दूरी पर लक्ष्य को भेदने में हथियार प्रणाली की क्षमता को स्थापित करते हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने एमआरएसएएम के सेना संस्करण के सफल उड़ान परीक्षण में शामिल टीमों की सराहना की और कहा कि ये परीक्षण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए प्रमुख उपलब्धियां हैं।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज चंडीगढ़ में चंडीगढ़ पुलिस आवासीय परिसर, धनास के प्रथम चरण का लोकार्पण व तीसरे चरण का शिलान्यास किया

पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सभी सरकारी विभागों में सबसे कठिन होती है और पुलिसकर्मी एकमात्र ऐसा सरकारी कर्मचारी होता है जिसके ड्यूटी के घंटे निश्चित नहीं होते हैं होली, रक्षाबंधन, दीपावली, लोहड़ी के दिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी कई गुना बढ़ जाती है और उन्हें अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने का मौक़ा नहीं मिलता हाऊसिंग सेटिस्फ़ेक्शन रेश्यो देशभर के पुलिसकर्मियों की दक्षता बढ़ाने के सभी प्रयासों में ना केवल एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बल्कि एक चुनौती भी है और जब तक इसे आप नहीं बढ़ाते तब तक पुलिसकर्मी से अपनी ड्यूटी के अच्छे निर्वहन की आप आशा नहीं कर सकते जब तक तकनीक का उपयोग इन्वेस्टिगेशन, डेटा स्टोरेज और इसके एनालिसिस के लिए नहीं करेंगे तब तक अपराध पर नियंत्रण असंभव है और ये सारी चीज़ें भारत सरकार ने आईसीजेएस (ICJS) के माध्यम से देशभर की पुलिस के लिए रखी हैं इसके अंतर्गत सीसीटीएनएस में देश के 98 प्रतिशत से ज़्यादा थानों को जोड़ लिया गया है, ई-कोर्ट, ई-प्रिज़न, ई-फ़ॉरेन्सिक और ई-प्रॉसीक्यूशन का एक मॉडल बनाया गया है और आईसीजेएस के माध्यम से इन सबको जोड़कर इन्हें थाने तक उपलब्ध कराने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने किया है इन सभी योजनाओं और डेटा का क्या फ़ायदा इनका एनालिसिस तो राज्य या संघ प्रदेश के स्तर पर होना है और इसके आधार पर पुलिस की वार्षिक रणनीति बनानी है ये सब राज्यस्तर पर बल्कि पुलिस स्टेशन स्तर पर तय करने की ज़रूर है क्योंकि हर पुलिस स्टेशन में अपराधों का प्रकार, प्रवृत्ति और संख्या अलग-अलग होती हैं और ये सब तभी हो सकता है जब पुलिस थाने के स्तर तक हम आईसीजेएस को पहुंचाएंगे जब तक फॉरेंसिक एविडेंस के आधार पर प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया नहीं होती तब तक दोष सिद्धि की दर को आप सुधार नहीं सकते आने वाले दिनों में हम आईपीसी, सीआरपीसी एविडेंस एक्ट में सुधार करने जा रहे हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की है और यह सभी राज्यों में अपने एफीलिएटेड कॉलेज खोलने वाला है और तब एक बहुत बड़ी संख्या में मैनपावर उपलब्ध होगी तब हम कानूनन यह कर सकेंगे कि 6 साल से ज्यादा जिस भी दफा में सजा है उस सबमें साइंटिफिक एविडेंस को कंपलसरी करें चंडीगढ़ पुलिस का कलेवर बदलने के लिए मोटरसाइकिल और गाड़ियों का आधुनिक संचार सुविधाओं से लैस दस्ता आज दिया गया है और जब यह दस्ता शहर में घूमेगा तब चंडीगढ़ के लोगों में विश्वास का वातावरण बनेगा लगभग सवा सौ करोड़ रूपए से ज्यादा राशि चंडीगढ़ पुलिस को अपग्रेड करने के लिए खर्च हुई है जिसमें हाउसिंग के प्रोजेक्ट, फॉरेंसिक साइंस को अपग्रेड करने की व्यवस्था और कई सारे ई-इनीशिएटिव लिए गए हैं आज एक मानवता का काम हमारे प्रशासक श्री बनवारीलाल पुरोहित के तत्वाधान में हुआ है,जिन भी कर्मियों ने असमय जान गंवाई है उन सारे परिवारों की चिंता करते हुए उनको धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है और उनके परिजनों को नौकरी देने का काम भी हो रहा है यह बहुत जरूरी है क्योंकि जो जवान ड्यूटी पर तैनात है उसे यह विश्वास होना चाहिए कि प्रशासन चट्टान की तरह मेरे पीछे खड़ा है आज से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को केंद्रीय सिविल सेवाओं के साथ जोड़ने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है, इससे सबसे सेवा निवृत्ति की आयु बढ़ कर 58 की जगह 60 वर्ष हो जाएगी महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर के लिए 1 साल की जगह 2 साल की छुट्टी भी मिलेगी बहुत समय से यह मांग चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारी, अधिकारियों की थी और आज मोदी जी ने यह बहुत बड़ा फैसला लिया है और लोगों को नए वित्तीय वर्ष से इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा जब से नरेंद्र मोदी जी की सरकार केन्द्र में बनी है तब से अनेक क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन की शुरुआत हुई है देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत और समस्याविहीन बनाने के लिए और कई दशकों से चली आई समस्याओं को ख़त्म करने के लिए पिछले 7 सालों में जितना काम हुआ है उतना सात दशकों में कभी नहीं हुआ चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र हो, कश्मीर हो, चाहे नॉर्थ ईस्ट थिएटर हो, सभी जगह पर जो आतंकवादी समूहों के साथ झड़पों की घटनाओं पर हमारे सुरक्षाबलों ने एक प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया है हमारे सुरक्षाबलों ने यह संदेश कड़ाई के साथ भेजा है कि देश के नागरिक चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते हो, कश्मीर में रहते हो, चाहे उत्तर पूर्व में रहते हों, उनकी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नहीं है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा इसके परिणामस्वरूप नक्सलवादी घटनाओं में बहुत कमी आई है, उत्तर पूर्व में कई उग्रवादी संगठनों ने भारत सरकार के प्रोएक्टिव स्टेप को स्वीकार करते हुए भारत सरकार के साथ समझौते किए हैं नौ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने सरेंडर कर अपने आप को कानून के हवाले किया है और इन परिवारों ने आज कानून पर भरोसा कर सरेंडर किया है कश्मीर में भी आतंकवादी घटनाओं पर नकेल कसने में सुरक्षा बलों ने एक प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया है और इसके आंकड़ों को विरोधी भी नकार नहीं सकते मोदी जी के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा की जितनी भी चुनौतियां है इन सभी को न केवल एड्रेस किया गया है, बल्कि इसका परिणाम लाने का काम भी किया गया है कश्मीर से लेकर चंडीगढ़ और हरियाणा तक नारकोटिक्स से पूरी जनता परेशान है मोदी सरकार ने अभियान चलाया है जिसके अंतर्गत वर्ष 2021 में 75 साल में रिकॉर्ड नारकोटिक्स और इनके रैकेट चलाने वालो को पकड़ने का काम हुआ है मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले दो-तीन सालों में हम नारकोटिक्स के ख़िलाफ़ लड़ाई चरम सीमा पर ले जाएंगे और नरेंद्र मोदी सरकार का यह दृढ़ निश्चय है कि  किसी को भी हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद करने और आने वाली नस्लों को नशे के गर्त में डुबाने की इजाजत नहीं होगी पुलिस कल्याण के बारे में, चाहे कोई भी सशस्त्र बल हो या संघ प्रदेश के सभी पुलिस बलों के कल्याण की बात हो, नरेंद्र मोदी जी ने बहुत अच्छे तरीके से एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ पुलिस कल्याण को गृह विभाग का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया है यह साल हमारा आजादी का 75वां साल है, इसीलिए आजादी के संघर्ष से युवा पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए मोदी जी ने तय किया है कि यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा आजादी प्राप्त करने के लिए हमारे पुरखों ने जो कड़ा संघर्ष किया है उससे देशभर के युवाओं को परिचय कराया जाए आजादी ऐसे ही नहीं मिली,नामी-बेनामी कई लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है,कई लोग अपने ओजस्वी कैरियर को समाप्त कर आजादी के आंदोलन की लड़ाई के अंदर कूद पड़े और कई लोगों ने अनेक प्रकार के जनजागृति के काम कर कर देश को आजाद कराने के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन किया और तब जाकर यह देश अंग्रेजों की गिरफ्त से बाहर आया

देश के लिए मरने का मौका भले ना मिला हो, देश के लिए जीने का मौका ईश्वर ने हमें दिया है और आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से इसे हर युवा तक पहुंचाने का लक्ष्य है

मोदी जी ने हर क्षेत्र में आजादी के अमृत महोत्सव में इसे संकल्प वर्ष का नाम दिया है और हर क्षेत्र अपने संकल्प तय करेगा, हर व्यक्ति अपने संकल्प तय करेगा और देश की आज़ादी की जब शताब्दी बनाई जा रही होगी, तो करोड़ों संकल्पों का यह संपुट देश को महान बनाकर दुनिया के अंदर गौरवपूर्ण स्थिति में स्थापित करेगा हम सब भारतीयों का परिश्रम भारत माता को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर बैठाए, इस प्रकार के भारत की कल्पना हमें करनी चाहिए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज चंडीगढ़ में चंडीगढ़ पुलिस आवासीय परिसर, धनास के प्रथम चरण का लोकार्पण व तीसरे चरण का शिलान्यास किया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चण्डीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारीलाल पुरोहित, चण्डीगढ़ की महापौर सुश्री सरबजीत कौर और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी सभी सरकारी विभागों में सबसे कठिन होती है। पुलिसकर्मी एकमात्र ऐसा सरकारी कर्मचारी होता है जिसके ड्यूटी के घंटे निश्चित नहीं होते हैं। उसे लगातार, दिन-रात समस्या के साथ जूझना पड़ता है और अनेक प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। क़ानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की ज़रूरत उस वक़्त सबसे ज़्यादा होती है जब पूरा देश आनंद और उत्साह के साथ अपने परिवार के साथ त्यौहार मना रहा होता है। होली, रक्षाबंधन, दीपावली, लोहड़ी के दिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी कई गुना बढ़ जाती है और उनिहें अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने का मौक़ा नहीं मिलता। काम के घंटे विपरीत होने के कारण उनकी सेहत पर भी असर पड़ता है, खान-पान और व्यायाम नियमित नहीं हो पाती। ऐसे समय में अपने परिवार के साथ जितना भी समय एक अच्छे माहौल में पुलिसकर्मी बिता सके, वो बहुत महत्वपूर्ण है। आज अलग-अलग स्तर पर लगभग 1560 परिवारों में से 350 परिवारों को उनका निवास भी मिल गया है। उन्होंने कहा कि हाऊसिंग सेटिस्फ़ेक्शन रेश्यो देशभर का पुलिसकर्मियों की दक्षता बढ़ाने के सभी प्रयासों में ना केवल एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बल्कि एक चुनौती भी है। जब तक इसे आप नहीं बढ़ाते तब तक पुलिसकर्मी से अपनी ड्यूटी के अच्छे निर्वहन की आप आशा नहीं कर सकते।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब तक तकनीक का उपयोग इन्वेस्टिगेशन, डेटा स्टोरेज और इसके एनालिसिस के लिए नहीं करेंगे तब तक अपराध पर नियंत्रण असंभव है। जब तक क्लासीफ़ाइड डेटा नहीं होता है, इसके एनालिसिस के बिना अपराध नियंत्रण की कोई रणनीति नहीं बन सकती। जब तक अन्वेषण को आप स्पीड के साथ नहीं कर सकते, तब तक अपराध पर नियंत्रण नहीं हो सकता। जब तक प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया साइंटिफ़िक सुबूत के आधार पर नहीं करते हो, तब तक अपराध पर नियंत्रण नहीं पा सकते हो। जब तक प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया को ऑनलाइन मॉनीटर नहीं कर सकते हो, तब तक आप जल्दी न्याय नहीं दिला सकते हो। ये सारी चीज़ें भारत सरकार ने आईसीजेएस (ICJS) के माध्यम से देशभर की पुलिस के लिए रखी हैं। इसके अंतर्गत सीसीटीएनएस में देश के 98 प्रतिशत से ज़्यादा थानों को जोड़ लिया गया है। ई-कोर्ट, ई-प्रिज़न, ई-फ़ॉरेन्सिक और ईप्रॉसीक्यूशन का एक मॉडल बनाया गया है और आईसीजेएस के माध्यम से इन सबको जोड़कर इन्हें थाने तक उपलब्ध कराने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने किया है। लेकिन इन सभी योजनाओं और डेटा का क्या फ़ायदा क्योंकि इनका एनालिसिस तो राज्य या संघ प्रदेश के स्तर पर होना है और इसके आधार पर पुलिस की वार्षिक रणनीति बनानी है, कि हमारे प्रदेश में किस अपराध पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है, किस अपराध की मॉडस ऑपरेंडी क्या है। ये सब राज्यस्तर पर तय करने की ज़रूरत है और बल्कि पुलिस स्टेशन स्तर पर तय करने की ज़रूर है क्योंकि हर पुलिस स्टेशन में अपराधों का प्रकार, प्रवृत्ति और संख्या अलग-अलग होती हैं। ये सब तभी हो सकता है जब पुलिस थाने के स्तर तक हम आईसीजेएस को पहुंचाएंगे। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली भी आज जारी की गई है। ई-एफ़आईआर रजिस्टर करने की शुरूआत तो हो गई लेकिन जब तक लोगों को पता नहीं चलेगा कि थाने जाए बिना एफ़आईआर रजिस्टर हो सकती है। उन्होंने कहा कि नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ पुलिस के बीच एक एमओयू हुआ है और मैंने पुलिस कांग्रेस में कई बार कहा है कि जब तक फॉरेंसिक एविडेंस के आधार पर प्रॉसीक्यूशन की प्रक्रिया नहीं होती तब तक दोष सिद्धि की दर को आप सुधार नहीं सकते। इसके लिए बहुत जरूरी है कि 6 साल से ज्यादा जिसमें सजा है, आने वाले दिनों में हम आईपीसी, सीआरपीसी एविडेंस एक्ट में सुधार करने जा रहे हैं। इसमें इसका प्रोविजन करेंगे परंतु मैन पावर कहां से आएगी, ना देश के पास इतना फॉरेंसिक के क्षेत्र का ट्रेंड मैन पावर है, ना इसकी सुविधाएं हैं। परंतु जब कभी भी शुरुआत करते हैं, दिक्कतें तो आती ही है और दिक्कतों का रास्ता ढूंढना होता है, दिक्कतों से रास्ता बंद हो गया है, अगर ऐसा सोचते हैं तो कभी आगे नहीं बढ़ सकते। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की है और यह सभी राज्यों में, क्षेत्रों में अपने एफीलिएटेड कॉलेजों को खोलने वाला है और तब एक बहुत बड़ी संख्या में मैन पावर उपलब्ध होगी और फिर हम कानूनन यह कर सकेंगे कि 6 साल से ज्यादा जिस भी दफा में सजा है उस सबमें साइंटिफिक एविडेंस को हम कंपलसरी करेंगे। अभी चंडीगढ़ प्रशासन ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत एक ट्रेंड मैनपावर चंडीगढ़ पुलिस को मिलेगा। जो बच्चे वहां से पास आउट होंगे बीएससी, एमएससी होंगे, कोई फॉरेंसिक के क्षेत्र में एक्सपर्ट होंगे वह चंडीगढ़ पुलिस के साथ सहयोगी बनेंगे और चंडीगढ़ पुलिस अपनी एफ़आईआर, इन्वेस्टिगेशन और प्रशिक्षण में इसका उपयोग करेगी। मुझे विश्वास है कि इससे चंडीगढ़ पुलिस की दोष सिद्धि की दर  में बहुत बड़ी मात्रा में चंडीगढ़ पुलिस को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि आज चंडीगढ़ पुलिस का कलेवर बदलने के लिए मोटरसाइकिल और गाड़ियों का आधुनिक संचार सुविधाओं से लैस दस्ता आज दिया गया है। चंडीगढ़ जैसे एक छोटे से संघ प्रदेश के अंदर यह दस्ता जब घूमेगा तब मुझे विश्वास है कि चंडीगढ़ के लोगों में विश्वास के वातावरण बनेगा और इससे पुलिस बल पर भरोसा भी बढ़ेगा और पुलिस को अप्रोच करने का विश्वास भी बढ़ेगा।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा का राजधानी क्षेत्र भी है। यहां की कानून और व्यवस्था की स्थिति का असर एक संघ प्रदेश और दो राज्यों, यानी तीनों जगह पर पड़ता है। अगर यहां पर चंडीगढ़ पुलिस कोई मॉडल खड़ा करती है तो स्वाभाविक रूप से हरियाणा और पंजाब पुलिस को भी इसका फायदा होता है। आज ये जो नई शुरुआत हुई है इससे न केवल चंडीगढ़, इसके साथ-साथ हरियाणा और पंजाब पुलिस को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर लगभग सवा सौ करोड़ रूपए से ज्यादा राशि चंडीगढ़ पुलिस को अपग्रेड करने के लिए खर्च हुई है और उन सभी का आज लोकार्पण किया गया है। 125 करोड़ रूपए की राशि जिसमें हाउसिंग के प्रोजेक्ट भी है, फॉरेंसिक साइंस को अपग्रेड करने की व्यवस्था भी है और कई सारे ई-इनीशिएटिव भी लिए गए हैं। इससे आने वाले दिनों में बहुत बड़ा फायदा इस संघ प्रदेश को होने वाला है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज एक मानवता का काम हमारे प्रशासक महोदय बनवारीलाल पुरोहित के तत्वाधान में हुआ है। जिन भी कर्मियों ने असमय अपनी जान गंवाई है उन सारे परिवारों की चिंता करते हुए उनको धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है और उनके परिजनों को नौकरी देने का काम भी हो रहा है। यह बहुत जरूरी है क्योंकि जो जवान ड्यूटी पर तैनात है उसे यह विश्वास होना चाहिए कि प्रशासन चट्टान की तरह मेरे पीछे खड़ा है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि आज से चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को केंद्रीय सिविल सेवाओं के साथ जोड़ने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है। उन्होंने कहा कि इससे आप लोगों को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। सबसे पहले तो आपकी सेवा निवृत्ति की आयु बढ़ कर 58 की जगह 60 वर्ष हो जाएगी। महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर के लिए 1 साल की जगह 2 साल की छुट्टी भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि बहुत समय से यह मांग चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारी, अधिकारियों की थी और आज मोदी जी ने यह बहुत बड़ा फैसला लिया है। कल ही इसका नोटिफिकेशन भी निकल जाएगा और आप लोगों को नए वित्तीय वर्ष से इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। श्री अमित शाह ने कहा कि जब से नरेंद्र मोदी जी की सरकार केन्द्र में बनी है और मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से अनेक क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन होने की शुरुआत हुई है। परंतु देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत और समस्याविहीन बनाने के लिए और कई दशकों से चली आई समस्याओं को ख़त्म करने के लिए 7 सालों में जितना काम हुआ है, इतना सात दशकों में कभी नहीं हुआ। चाहे नक्सल प्रभावित क्षेत्र हो, कश्मीर हो, चाहे नॉर्थ ईस्ट थिएटर हो, सभी जगह पर जो आतंकवादी समूहों के साथ झड़पों की घटनाओं पर एक प्रभावशाली नियंत्रण हमारे सुरक्षाबलों ने स्थापित किया है। उन्होंने यह संदेश कड़ाई के साथ भेजा है कि देश के नागरिक चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते हो, कश्मीर में रहते हो, चाहे उत्तर पूर्व में रहते हों, इनकी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नहीं है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप नक्सलवादी घटनाओं में बहुत कमी आई है, उत्तर पूर्व में कई उग्रवादी संगठनों ने भारत सरकार के प्रोएक्टिव स्टेप को स्वीकार करते हुए भारत सरकार के साथ समझौते किए हैं। नौ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने सरेंडर कर अपने आप को कानून के हवाले किया है। 9,000 से ज्यादा परिवारों ने आज कानून पर भरोसा कर सरेंडर किया है। कश्मीर में भी आतंकवादी घटनाओं पर नकेल कसने में सुरक्षा बलों ने एक प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया है। इसके आंकड़ों को विरोधी भी नकार नहीं सकते। मोदी जी के नेतृत्व में आंतरिक सुरक्षा की जितनी भी चुनौतियां है इन सभी को न केवल एड्रेस किया गया है, बल्कि इसका परिणाम लाने का काम भी किया गया है केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर से लेकर चंडीगढ़ और हरियाणा तक नारकोटिक्स से पूरी जनता परेशान है। मैं आप सभी को एक बात कहना चाहता हूं कि जो मोदी सरकार ने अभियान चलाया है, 2021 में 75 साल में रिकॉर्ड नारकोटिक्स और इनके रैकेट चलाने वालो को पकड़ने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले दो-तीन सालों में नारकोटिक्स के ख़िलाफ़ लड़ाई हम चरम सीमा पर ले जाएंगे और किसी को इजाजत नहीं होगी हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद करने की और आने वाली नस्लों को नशे के गर्त में डुबाने की किसी को इजाजत नहीं होगी, यह नरेंद्र मोदी सरकार का एक दृढ़ निश्चय है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस कल्याण के बारे में, चाहे कोई भी सशस्त्र बल हो या संघ प्रदेश के सारे पुलिस बलों के कल्याण के बारे में बात हो, नरेंद्र मोदी जी ने बहुत अच्छे तरीके से एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ पुलिस कल्याण को गृह विभाग का एक महत्वपूर्ण अंग बनाया है। उन्होंने कहा कि यह साल हमारा आजादी का 75वां साल है। आप जब पैदा हुए हैं तब आजादी का माहौल भी नहीं है। हमारी युवा पीढ़ी को इतिहास को पढ़ना चाहिए और इसीलिए आजादी के संघर्ष से युवा पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए मोदी जी ने तय किया है कि यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। हमारे देश भर के युवाओं को आजादी प्राप्त करने के लिए जो कड़ा संघर्ष हमारे पुरखों ने किया है उनसे परिचय कराया जाए। आजादी ऐसे ही नहीं मिली, नामी- अनामी कई लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, कई लोग अपने ओजस्वी कैरियर को समाप्त कर आजादी के आंदोलन की लड़ाई के अंदर कूद पड़े और कई लोगों ने अनेक प्रकार के जनजागृति के काम कर कर देश को आजाद कराने के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन किया और तब जाकर यह देश अंग्रेजों की गिरफ्त से बाहर आया। आज जो युवा स्वाभाविक रूप से अनेक प्रकार के अधिकारों के लिए सोच रहा है, हम इसलिए सोच रहे हैं कि हम आजाद भारत के अंदर सांस ले रहे हैं। हमारे संविधान ने आपको यह अधिकार दिया हैं। परंतु यह अधिकार आपको मिला है, इसके लिए कितनी कड़ी मशक्कत, कड़ा संघर्ष, बड़ा त्याग और बलिदान करना पड़ा है, वह हम सबको जरूर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें आजादी के लिए लड़ने का मौका ईश्वर ने नहीं दिया, क्योंकि हम सबका जन्म ही आजादी के बाद हुआ है। देश के लिए मरने का मौका भले ना मिला हो, देश के लिए जीने का मौका ईश्वर ने हमें दिया है और वह आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से हर एक युवा तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके साथ-साथ मोदी जी ने हर क्षेत्र में आजादी के अमृत महोत्सव में इसे संकल्प वर्ष का नाम दिया है। हर क्षेत्र अपने संकल्प तय करेगा, हर व्यक्ति अपने संकल्प तय करेगा और देश की आज़ादी की जब शताब्दी बनाई जा रही होगी, तो करोड़ों संकल्पों का यह संपुट देश को महान बनाकर दुनिया के अंदर गौरवपूर्ण स्थिति में स्थापित करेगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि कई लोग मुझे कहते हैं कि हम व्यक्ति के नाते क्या कर सकते हैं, नागरिक के नाते क्या कर सकते हैं। आप कल्पना कर सकते हो कि 130 करोड़ लोग अगर संकल्प लेते हैं तो 130 करोड़ संकल्पों का यह संपुट हमारे देश को कितना आगे ले जा सकता है। यह कल्पना लेकर यह संकल्प के वर्ष में हमें संकल्प लेकर देश के लिए जीने की शुरुआत करनी चाहिए। इसी तरह से हर प्रशासनिक इकाई, छोटी सी नगरपालिका हो, या मुनीसिपल कॉरपोरेशन हो या चंडीगढ़ प्रशासन हो हर क्षेत्र के अंदर अपने लक्ष्य तय करने चाहिए। 25 साल में हम कहां होंगे। अगर यह लक्ष्य तय कर लेते हैं तो जब आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी तब यह सभी इकाइयां जब संकल्प सिद्धि करेगी तो यह आजादी का अमृत काल है 75 से 100 साल का, यह हमारे लिए परिश्रम की पराकाष्ठा का एक समय होना चाहिए। हम सब भारतीयों का परिश्रम भारत माता को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर बैठाए, इस प्रकार के भारत की कल्पना हमें करनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि मैं चंडीगढ़ प्रशासन को कहना चाहता हूं कि हर क्षेत्र में प्रशासन द्वारा 25 साल का एक संकल्प बनाया जाए। 5-5 साल की कार्य योजना बनाई जाए और इसके सालाना रिव्यू की एक योजना बनाई जाए तो 100 साल के बाद जब देश की शताब्दी के समय, लोगों को एक उन्नत मस्तक के साथ विश्व में खड़ा रहने का मौका मिलेगा। मैं आशा करता हूं कि आप सभी लोग कानून और व्यवस्था को सुधारने की इस प्रक्रिया से जुड़े हैं वह सभी लोग एक संकल्प लेकर अपने व्यक्तिगत जीवन में भी हमारे समाज में, हमारे देश में एक नई ऊंचाई प्राप्त हो इसके लिए प्रयासरत बनेंगे।

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दिल्ली में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस का समापन हुआ

“अगले दशक के लिए भूविज्ञान: चुनौतियां और समाज” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान कार्यक्रम-36वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस कल यहां संपन्न हुई।

कांग्रेस के तीसरे दिन, सत्र की वार्ता में भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं और सबडक्शन इनिशीएशन का समय, ओपियोलाइट अबडक्शन और हिमालय में क्रस्टल थिकनिंग और मेटामोरफिज्म होना, भूवैज्ञानिक कार्बन भंडारण: CO2 भंडारण के प्राकृतिक एनालॉग पर अवलोकन से द्वितीयक ट्रैपिंग तंत्र का महत्व पता करना, एक एलियन वर्ल्ड पर माइक्रोबियल लाइफ: अर्ली अर्थ में जीवन का निवास स्थान” जैसे विषय शामिल थे, जो माइक सियरल, माइकल बिकल, मार्टिन वैन क्रैनेंडोंक, कैथी कैंपबेल द्वारा पेश किए गए।

22 मार्च 2022 को “विश्व जल दिवस” मनाते हुए, मशहूर भू-वैज्ञानिक प्रोफेसर मिहिर शाह, शिव नादर विश्वविद्यालय और एसीडब्ल्यूएडीएएम की उमा असलेकर द्वारा “ब्रिंगिग द साइंस बैक इंटो वाटर: भारत में स्थायी भूजल प्रबंधन की चुनौतियां” पर एक व्याख्यान दिया गया। वार्ता में भूजल संसाधनों के प्रबंधन पर जोर दिया गया। उन्होंने जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती की पुरजोर वकालत करने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया।

समापन टिप्पणी प्रो. डी.एम. बनर्जी, एफएनए ने 36वीं आईजीसी आयोजन समिति समेत भारत के सभी भागीदारों को धन्यवाद देते हुए किया।

पैनल चर्चा में एक सुरक्षित और स्वस्थ ग्रह बनाने के लिए पृथ्वी की गतिशीलता को समझने, लगातार विकास को बढ़ावा देने, पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक असमानताओं को कम करने, भू-विज्ञान की बेहतर समझ, जलवायु परिवर्तन और भू-खतरों की भविष्यवाणी और शमन के बारे में थी।

दुनिया के प्रसिद्ध भूवैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों जैसे डेटा संचालन के जरिये पृथ्वी विज्ञान को सीखना और खोज करना, हेडियन अर्थ से एक रहने योग्य ग्रह तक, एंथ्रोपोसीन भूवैज्ञानिक समय पैमाने की एक संभावित इकाई के रूप में: क्रेटेशियस लवणता संकट की प्रगति और उच्च दबाव रिकॉर्ड पर एक अद्यतन आदि पर विस्तृत चर्चा की गई।

चर्चा का अंत प्रोफेसर रोलैंड ओबेरहेन्सली, पूर्व अध्‍यक्ष आईयूजीएस, प्रोफेसर, पोस्टडैम विश्वविद्यालय, जर्मनी के व्याख्यान “हाई प्रेसर रिकॉर्ड ऑफ ए क्रेटेशियस सलिनिटी क्राइसिस” के साथ हुआ।

तीन दिवसीय कार्यक्रम में दुनिया भर से लगभग 7000 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घाटन दिवस पर 20 मार्च को केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी, कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे, संचार राज्य मंत्री श्री देवूसिंह चौहान और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान एवं एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस को संबोधित किया। उन्होंने भूविज्ञान के ओलंपिक के रूप में इसे वर्णित किया।

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के तकनीकी और वैज्ञानिक समर्थन के साथ, खान मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 20-22 मार्च 2022 तक 36वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) को आयोजित किया गया था। भारत ने 58 वर्षों के बाद बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के समर्थन से कांग्रेस की मेजबानी की है। इस आयोजन ने दुनिया भर के भू-वैज्ञानिकों को लगातार विकास के क्षेत्र में अधिक प्रभावी उपकरण तैयार करने के लिए सही मंच प्रदान किया।

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने स्टार्ट-अप्स को बनाए रखने के लिए उद्योग द्वारा समान हिस्सेदारी की भागीदारी का आह्वान किया

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज स्टार्टअप्स को बनाए रखने के लिए उद्योग द्वारा समान हिस्सेदारी की भागीदारी का आह्वान किया।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) और भारत बायोटेक लिमिटेड के डॉ. कृष्णा एला द्वारा संचालित मैसर्स सैपिजेन बायोलॉजिक्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के दो नए वैक्सीन- “इंट्रानैसल कोविड -19 वैक्सीन और आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन” के विकास और व्यावसायीकरण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इसके अलावा, दोनों पक्षों के लिए समान हिस्सेदारी होगी, जिसमें प्रत्येक पक्ष स्थायी स्टार्टअप सुनिश्चित करने के लिए क्रमशः 200 करोड़ रुपये का योगदान देगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल स्थायी स्टार्टअप्स के लिए समान भागीदारी के साथ समान हिस्सेदारी और उद्योग की जिम्मेदारी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि भारत की वैक्सीन रणनीति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के विचार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान और भविष्य की संभावित चुनौतियों का सामना करने के लिए एक साझेदारी में एकजुट करती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह की पहल के पीछे का विचार लंबे समय में एक स्थायी साझेदारी करना और भारत के युवाओं को आजीविका का एक स्थायी स्रोत प्रदान करना है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार हर संभव सहयोग देकर औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित कर रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह न केवल समान हिस्सेदारी और भागीदारी का समझौता है बल्कि समान सामाजिक जिम्मेदारी का भी समझौता है। उन्होंने इसे भारत की वैक्सीन रणनीति में एक नई शुरुआत करार दिया और उम्मीद जताई कि यह देश में अनुसंधान और विकास को और गति देगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज, महामारी के केवल दो वर्षों के भीतर,  भारतीय दवा उद्योग अपने स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने में सक्षम है। इसने विकसित किए गए लगभग सभी कोविड वैक्सीन के निर्माण में मदद करने के लिए अपनी प्रौद्योगिकी समावेशी क्षमता को भी दिखाया है। भारत ने अपेक्षाकृत कम लागत पर वैक्सीन का निर्माण करके दिखाया और इस प्रकार भारत “दुनिया की फार्मेसी” के रूप में उभर रहा है। मार्च 2021 तक, भारत ने 70 देशों को कोविड वैक्सीन की 5.84 करोड़ खुराक का निर्यात किया। यह सस्ती कुशल श्रमशक्ति और एक अच्छी तरह से स्थापित विनिर्माण परितंत्र की उपलब्धता के कारण संभव हुआ है। आज हस्ताक्षर किए गए समझौते के तहत, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड और भारत बायोटेक ने दो नए वैक्सीन- इंट्रानैसल कोविड-19 वैक्सीन” और “आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन” के विकास और व्यावसायीकरण के लिए 400 करोड़ रुपये का स्थायी कोष बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये की मदद देने का वादा किया है। कंपनी का लक्ष्य भुवनेश्वर में नवीनतम वैश्विक मानकों के अनुरूप एक अत्याधुनिक सीजीएमपी सुविधा स्थापित करना है जो शुरू में इंट्रानैसल कोविड-19 वैक्सीन और (आरटीएस, एस) मलेरिया वैक्सीन का निर्माण करेगी और फिर बाद में अन्य वैक्सीन का निर्माण करते हुए अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करेगी। जिन दो वैक्सीन का विकास और व्यावसायीकरण किया जाना है वो हैं: –

 

 

A: नैसल कोरोना वायरस वैक्सीन: मौजूदा समय में उपयोग किए जाने वाले इंट्रामस्क्युलर (आईएम) कोरोना वायरस वैक्सीन के विपरीत इंट्रानैसल वैक्सीन म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है जिससे टीकाकरण वाले व्यक्ति की ऊपरी और निचली श्वसन प्रणाली दोनों की रक्षा होती है और संक्रमण तथा संचरण का चक्र टूट जाता है। वर्तमान परियोजना में सार्स-सीओवी-2 चिंपैंजी एडिनोवायरस के निष्क्रिय या मारे गए वायरस के रूप में वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सेंट लुइस के मेडिसिन स्कूल द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी मंच का इस्तेमाल होगा। इस मंच के कई फायदे हैं: ये वैक्सीन सर्फेस एंटीजन को व्यक्त करते हैं जो विशेष रूप से सार्स-सीओवी -2 के संदर्भ में मजबूत निवारक तरल प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अपने एपिटोप अनुरूपता को बनाए रखते हैं। इसे बढ़ाना अपेक्षाकृत आसान है। इसका वितरण (आई-जेनरेशन टीकों में से प्रत्येक 0.5 मिलीलीटर की 2 खुराक के मुकाबले 0.1 मिलीलीटर की एकल खुराक) भी आसान है। इसे अप्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा भी लगाया जा सकता है और इसे खुद भी लगाना संभव है। सिरिंज, सुई और अल्कोहल स्वैब की कोई आवश्यकता नहीं है। उपयोग करने के लिए सुरक्षित भी है।

B: आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन: सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता को देखते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन- डब्ल्यूएचओ के मलेरिया और टीकाकरण के लिए शीर्ष सलाहकार निकायों ने संयुक्त रूप से उप-सहारा अफ्रीका के चयनित क्षेत्रों में टीके की चरणबद्ध शुरूआत की सिफारिश की है। तीन देशों – घाना, केन्या और मलावी ने 2019 में मध्यम और उच्च मलेरिया संचरण के चयनित क्षेत्रों में टीका लगाना शुरू करना शुरू किया। प्रत्येक देश के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से टीकाकरण किया जा रहा है। जीएवीआई के पूर्वानुमान के अनुसार, 2035 तक मलेरिया के टीके की मांग 75 मिलियन खुराक की होगी।

दोनों टीके नए हैं और पहली बार व्यावसायिक उत्पादन के दायरे में आएंगे।

कंपनी का लक्ष्य अप्रैल 2023 तक इंट्रानैसल कोविड -19 वैक्सीन की 100 मिलियन खुराक / वर्ष और अप्रैल 2025 के अंत तक आरटीएस, एस मलेरिया वैक्सीन की 15 मिलियन खुराक / वर्ष का उत्पादन करना है।

इस अवसर पर टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा कि यह एक सतत कोष होगा और इस विचार को आज हकीकत में बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा कंपनियां न केवल राष्ट्र को सेवा प्रदान कर रही हैं, बल्कि पूरी दुनिया को सस्ती कीमत पर दवाएं और टीके उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और इस तरह भारत को “विश्व की फार्मेसी” के रूप में बदल रही हैं।

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