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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि 2025 तक पूरे देश को डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क से कवर किया जाएगा जिससे ताकि प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की अधिक सटीक भविष्यवाणी की जा सके

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी त्तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमन्त्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने के लिए 2025 तक पूरे देश को डॉपलर मौसम रडार नेटवर्क के अंतर्गत ले आया जाएगा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 148वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में मुख्य भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर गर्व का अनुभव किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के अंतर्गत आईएमडी ने रडार नेटवर्क की संख्या को बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। ये 2013 के  15 से 2023 में 37 और उससे अगले 2-3 वर्षों में इनमे 25 और जुड़ जाएंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, श्री सुखविंदर सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र, श्री डी एस पांडियन, संयुक्त सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री डी एस पांडियन, वैज्ञानिक-जी एवं अध्यक्ष, आयोजन समिति श्री एस.सी. भान, हाइब्रिड मोड में इस स्थापना दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों और जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल, जो इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए थे, को सूचित किया कि आईएमडी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क को बढ़ाया है, जो प्रतिकूल  मौसम की परिस्थितियों और घटनाओं की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालयी राज्यों को 4 डॉप्लर मौसम रडार प्रणालियां (डीडब्ल्यूआरर सिस्टम) समर्पित की। उन्होंने 200 कृषि स्वचलित मौसम केंद्र (एग्रो ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन) भी राष्ट्र को समर्पित किए। मंत्री महोदय ने आईएमडी के आठ प्रकाशन भी जारी किए और स्कूली बच्चों को पुरस्कृत करने के साथ ही आईएमडी के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कार्यालयों एवं अधिकारियों को भी सम्मानित किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं के तहत 2025 तक 660 जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयां (डीएएमयू) स्थापित करने और उन्हें 2023 में 3,100 ब्लॉकों से बढ़ाकर 2025 में 7,000 ब्लॉकों तक विस्तारित करने का लक्ष्य है। मंत्री महोदय ने बताया कि विभाग की चेतावनी और सलाहकार सेवाएं किसानों एवं  मछुआरों को उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद कर रही हैं और यह  राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च) के एक नवीनतम सर्वेक्षण से भी पता चला है। उदाहरण के लिए,मानसून मिशन कार्यक्रम में किए गए निवेश के परिणामस्वरूप प्रत्येक एक रुपये के निवेश पर 50 रुपये का लाभांश मिला है। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि गरीबी रेखा से नीचे के किसानों को विशेष रूप से अत्यधिक लाभ हुआ है क्योंकि जिला और ब्लॉक स्तर पर कृषि मौसम सलाह का उपयोग करोड़ों किसानों द्वारा खेती के विभिन्न चरणों के दौरान प्रभावी ढंग से किया जाता है और अब इस  सेवा का विस्तार किया जा रहा है। आईएमडी द्वारा पिछले साल शुरू की गई वेब भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) सेवाओं को अन्य राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से खतरे और भेद्यता तत्व (हैजर्ड एंड वल्नेरेबिलिटी एलिमेंट) के साथ आगे बढ़ाया गया है, जिससे जन सामान्य, आपदा प्रबंधकों और हितधारकों को विभिन्न आपदाओं को कम करने के लिए समय पर प्रतिक्रिया कार्रवाई शुरू करने में मदद मिल रही है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु सेवाएं लघु एवं दीर्घकालिक योजनाओं तथा रणनीति विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और आईएमडी ने कृषि, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के पांच प्रमुख क्षेत्रों में इन सेवाओं को पहले ही शुरू कर दिया है और उनके उत्पादों के अनुकूलन के माध्यम से इनका विस्तार करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि, शीघ्र ही जलवायु उत्पादों और क्षेत्रीय अनुप्रयोगों के लिए सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से प्राथमिकता पर एक राष्ट्रीय ढांचा तैयार किया जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने मानसून और चक्रवात सहित मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए अपने ध्यानाकर्षण को लगातार पुनर्परिभाषित करने के लिए आईएमडी की इसलिए सराहना की क्योंकि हमारी सकल विकास दर (जीडीपी) अभी भी बहुत कुछ सीमा तक कृषि पर ही निर्भर है। उन्होंने संतोष के साथ कहा कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भारी वर्षा, कोहरा, लू, शीत लहर, आंधी इत्यादि  सहित विभिन्न प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की पूर्वानुमान सटीकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि मानसून का पूर्वानुमान तो हमारी खाद्य सुरक्षा की ऐसी जीवन रेखा है जिनके चलते न केवल अर्थव्यवस्था में सुधार आया है बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मानसूनी बाढ़ और सूखे के कारण होने वाले जनहानि में भी कमी आई है । डॉ जितेंद्र सिंह ने गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष रेखांकित किया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों  के पूर्वानुमान के लिए सटीकता में लगभग 20-40% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के समग्र राजकीय दृष्टिकोण से संकेत लेते हुए मौसम विभाग अन्य मौसम परिस्थितियों की भविष्यवाणी के लिए इनसैट-3डी और 3 डीआर,ओशनसैट उपग्रहों के अंतरिक्ष आधारित अवलोकनों का सर्वोत्तम उपयोग कर रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि पिछले साल शुरू किए गए रडार और उपग्रह आंकड़ा प्रसंस्करण प्रणाली ने आईएमडी की क्षमताओं को पूरी सटीकता के साथ आगे बढाने में सहायता की है। मानव जीवन पर पूर्वानुमान के प्रभाव के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अपने सटीक पूर्वानुमान और हाल के वर्षों में विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे चक्रवात, भारी वर्षा, आंधी, लू और शीत लहर की समय पर चेतावनी से होने वाली मृत्युओं को कम करने में सफल रहा है । उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं, दिशानिर्देशों तथा वर्तमान सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई मानक संचालन प्रक्रिया के अंतर्गत आपदा प्रबंधकों, जन सामान्य  और हितधारकों द्वारा की गई प्रतिक्रिया कार्रवाई के कारण चक्रवात और लू के कारण जनधन की हानि अब एकल या दोहरे अंकों में कम हो गई है। उन्होंने भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म में खतरे, भेद्यता और जोखिम मूल्यांकन पर विचार करते हुए शहर एवं जिला स्तर पर प्रभाव आधारित मौसम पूर्वानुमान और जोखिम आधारित चेतावनी शुरू करने के लिए आईएमडी की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम की निगरानी तथा पूर्वानुमान के लिए भेद्यता एटलस और वेब- जीआईएस प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आधिकारिक रूप से यह कहना अत्यधिक उपयुक्त है कि जब भारत ने 2023 में जी-20 की अध्यक्षता संभाली है, तो आईएमडी ने क्षेत्रीय और वैश्विक मौसम इको-सिस्टम पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है। उन्होंने उल्लेख किया कि आईएमडी ने मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए क्षेत्रीय केंद्रों और वैश्विक केंद्रों के रूप में कार्य करके वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मंत्री महोदय को यह जानकार प्रसन्नता हुई कि 2021 में अचानक बाढ़ पर दिशानिर्देशों (फ्लैश फ्लड गाइडेंस) की शुरुआत के बाद जल संग्रहण क्षेत्रों (वाटरशेड्स) की संख्या 2022 में 30,000 से बढ़कर 1,00,000 हो गई  और इन्हें  हमारे राष्ट्रीय उपयोग के अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका को हर 6 घंटे में उपलब्ध कराया जा रहा है I

डॉ जितेंद्र सिंह ने 148वें स्थापना दिवस के अवसर पर भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और पूरे मौसम विज्ञान समुदाय के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी ।

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डॉ जितेंद्र सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह ने संयुक्त रूप से हिमाचल प्रदेश के मुरारी देवी और जोत में दो डॉपलर मौसम राडार का उद्घाटन किया । सुखविंदर सिंह ने इस पहल के लिए मौसम विज्ञान विभाग को धन्यवाद दिया और डॉ. जितेंद्र सिंह से लाहौल-स्पीति में एक और डॉपलर मौसम राडार (डीडब्ल्यूआर) प्रणाली प्रदान करने का अनुरोध किया, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है और लगातार बादल फटने की घटनाओं से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि आज के उद्घाटन के साथ, राज्य के 70 प्रतिशत को कवर कर लिया जाएगा, लेकिन यदि लाहौल-स्पीति को डीडब्ल्यूआर दे दिया जाता है, तो उस शेष 30 प्रतिशत का ध्यान रख लिया जाएगा जिसमे न केवल बर्फ, ग्लेशियर और नदियां हैं, बल्कि जो रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं और यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को छूने वाली चीन सीमा के भी निकट है । सुखविंदर सिंह ने डॉ. जितेंद्र सिंह को बताया कि विशेषकर हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में मौसम और तापमान की सटीक भविष्यवाणी के तरीकों का पता लगाने के लिए वह शीघ्र ही उनके साथ तथा आईएमडी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के लिए दिल्ली आएंगे। डॉ. जितेंद्र सिंह और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने संयुक्त रूप से बनिहाल टॉप में 100 किलोमीटर की रेंज वाले डीडब्ल्यूआर का उद्घाटन किया। श्री सिन्हा ने कहा, यह प्रणाली कृषि और संबद्ध क्षेत्रों और पर्यटन को बढ़ाने और मदद करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी, जो अभी भी जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं

श्री सिन्हा ने कहा कि यह डीडब्ल्यूआर जम्मू और श्रीनगर दोनों क्षेत्रों के लोगों को मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा और यह नए कश्मीर के निर्माण में एक नया आयाम जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि आईएमडी के पूर्वानुमान न केवल भारत में लाखों किसानों की सहायता कर रहे हैं, बल्कि बिजली, यात्रा और पर्यटन, विमानन, रेलवे और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने संयुक्त रूप से उत्तराखंड के सुरकंडाजी में 100 किलोमीटर के क्षेत्र में डॉपलर मौसम राडार (डीडब्ल्यूआर) का उद्घाटन किया।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने अपने संबोधन में कहा कि आईएमडी ने राष्ट्रीय आर्थिक विकास में योगदान करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे बिजली, रेलवे, पर्यटन, स्वास्थ्य, शहरी ऊर्जा, पर्यावरण आदि के लिए अपनी विशेष सेवाओं को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि  ग्राम पंचायतों और गांवों तक हमारी पहुंच बढ़ाने के लिए आईएमडी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस)  और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संयुक्त सहयोगात्मक पहल के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

रविचंद्रन ने कहा कि आईएमडी को अपने नियंत्रण में सभी संसाधनों यानी उपग्रहों, रडार, कंप्यूटर, उन्नत मॉडल और निश्चित रूप से मानव संसाधन का कुशलता से उपयोग करना चाहिए और आश्वासन दिया कि सरकार सेवाओं की बेहतर डिलीवरी में विभाग को सक्षम बनाने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगी ताकि एक आम आदमी भी मौसम के अनुसार निर्णय लेने में  सक्षम हो सके । आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आईएमडी ने पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों और दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में डॉपलर राडार स्थापित करने जैसे पर्याप्त उपाय शुरू किए हैं। उन्होंने अगले 5 वर्षों के दौरान अन्य शहरों और पूर्वोत्तर भारत के  राज्यों में भी  ऐसे राडार लगाने का आश्वासन दिया।

डॉ. महापात्रा ने याद दिलाया कि जुलाई 2020 में मुंबई के लिए शुरू की गई शहरी बाढ़ चेतावनी प्रणाली ने मुंबई में भारी वर्षा की घटनाओं और बाढ़ के बेहतर प्रबंधन में सहायता की है। उन्होंने कहा की इसी तरह की व्यवस्था चेन्नई में भी लागू की गई है और इसे आने वाले वर्षों में कोलकाता, गुवाहाटी और दिल्ली तक विस्तारित किया जा रहा है क्योंकि हाल के वर्षों में आकस्मिक बाढ़ और शहरी बाढ़ ने समाज के लिए नए खतरे पैदा कर दिए हैं। वर्ष 1864 में कलकत्ता से टकराने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात और 1866 और 1871 में मोंसूँ की विफलता के बाद के अकालों की पृष्ठभूमि में 148 वर्ष पहले  15 जनवरी, 1875 को स्थापित आईएमडी के पास मौसम और जलवायु का लेखाजोखा रखने की विरासत है और यह तब से निरंतर मौसम की निगरानी और भविष्यवाणी कर रहा है। अपनी स्थापना के 148 वर्षों के दौरान, विभाग ने मौसम संबंधी खतरों के विरुद्ध भारतीय जनसंख्या की सुरक्षा और कल्याण के लिए काम किया है और देश के आर्थिक विकास में सहायता की है। यह सरकार के उन कुछ विभागों में से एक है जिनकी सेवाएं जीवन के लगभग हर पहलू और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को छूती हैं ।

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रक्षा मंत्री बेंगलुरु में 75वें सेना दिवस समारोहों के अवसर पर आयोजित ‘शौर्य संध्या’ में शामिल हुए; देश की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने और बेमिसाल बहादुरी और बलिदान के साथ समृद्ध परंपरा को बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की

भारतीय सेना के शौर्य और साहसिक पहलुओं को प्रदर्शित करते हुए, 15 जनवरी, 2023 को 75वें सेना दिवस के अवसर पर बेंगलुरु में ‘शौर्य संध्या’ का आयोजन किया गया। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, थल सेना  उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह, अन्य वरिष्ठ सैन्यकर्मी, वीरता पुरस्कार विजेताओं के परिवार, प्रसिद्ध खिलाड़ी, प्रमुख नागरिक हस्तियों, अर्धसैनिक बलों के कर्मियों, पुलिस बलों और बेंगलुरु में स्थित अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ-साथ छात्रों ने भी हिस्‍सा लिया।

रक्षा मंत्री ने सेना दिवस पर सभी कर्मियों को शुभकामनाएं देते हुए अपना संबोधन शुरू किया, इसी दिन जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के. एम. करियप्पा ने औपचारिक रूप से अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-जनरल सर फ्रांसिस बुचर से 1949 में भारतीय सेना की कमान संभाली थी और वे इस प्रकार स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ बने। श्री राजनाथ सिंह ने फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ, जो कर्नाटक से थे, ने भारतीय सेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।भारतीय सेना को मजबूत करने में योगदान दिया। उन्होंने राज्य के कई क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि भी दी, जिन्होंने विदेशी शासन से देश की आजादी सुनिश्चित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। .

श्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता के बाद से देश की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निपटने में उनके दृढ़ संकल्प को अटूट बताया। उन्‍होंने कहा, “हमारे बलों ने पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं सहित सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने बेमिसाल बहादुरी, प्रतिबद्धता और बलिदान के साथ देश की समृद्ध परंपरा को कायम रखा है।”

रक्षा मंत्री ने 1962, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों और गलवान और तवांग में हाल की घटनाओं के दौरान सशस्त्र बलों की बहादुरी को याद किया। उन्होंने कहा कि सैनिकों की भावना और बहादुरी ने न केवल दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि सभी भारतीयों के दिलों में विश्वास बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंगों ने हमेशा समय-समय पर दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है, यह कहते हुए कि मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रबंधन में, सशस्त्र बल न केवल भारत के लिए बल्कि मित्र देशों के लिए भी एक विश्वसनीय भागीदार रहे हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अपनी मजबूत सेना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि चाहे वह वीरता, निष्ठा और अनुशासन हो या एचएडीआर में इसकी भूमिका हो, भारतीय सशस्त्र बल हमेशा देश के सबसे मजबूत और सबसे विश्वसनीय स्तंभों में से एक रहे हैं। श्री राजनाथ सिंह ने बदलते समय के साथ खुद को ढालने और खुद को बदलने की भारतीय सेना की क्षमता को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “वर्षों से, समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक- हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। सुरक्षा चुनौतियों ने भी उस परिवर्तन को देखा है। न केवल वे समय के साथ विकसित हो रहे हैं, उस परिवर्तन की गति भी तेजी से बढ़ रही है। आज पानी के अंदर ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह युग प्रौद्योगिकी युक्‍त हो गया है। नवीनतम तकनीकी प्रगति ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है।”

श्री राजनाथ सिंह ने लगातार बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने और चुनौतियों से आत्‍मविश्‍वास, धैर्य और बहादुरी से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की, उन्होंने उन्हें अपनी क्षमताओं को और विकसित करने और यूक्रेनी संघर्ष सहित हमेशा विकसित होने वाले वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य से सीखे गए सबक को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में सेना सक्रिय रूप से आधुनिकीकरण में लगी हुई है और नए विचारों, प्रौद्योगिकियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर काम कर रही है। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों, युद्ध कौशल और नीतियों पर काम करने का आग्रह किया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “प्रत्येक आज आने वाले कल का पिछला कल बन जाता है। कोई भी सेना या संगठन, जो केवल वर्तमान के अनुसार खुद को तैयार करता है, जल्द ही पुराना और अप्रभावी हो जाता है। कल, परसों और अगले 25-30 वर्षों पर काम करना अनिवार्य है। यह हमारी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। आइए हम साथ मिलकर एक विकसित और सुरक्षित भारत का निर्माण करें।”

श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और यह अब देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और एक पसंदीदा और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। उन्‍होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में, भारत ने अब तक का सर्वाधिक 83.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई इनफ्लो दर्ज किया। रक्षा मंत्री ने सेना को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों/प्रौद्योगिकियों से लैस करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सशस्त्र बल भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की, जिसने भारत की वैश्विक छवि को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में बदल दिया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ध्यान से सुना जाता है। उन्होंने यूक्रेन के संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी का उल्लेख किया, जो कि वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता और प्रभाव के कारण ही संभव हुआ है।

यह कार्यक्रम बेंगलुरु में आयोजित 75वें सेना दिवस समारोह के भाग के रूप में आयोजित किया गया था। यह पहला मौका था जब सेना दिवस को राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया गया था ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं की ‘अपनी सेना को जानने’ में भागीदारी बढ़ाई जा सके

शौर्य संध्या’ की शुरुआत मुख्य अतिथि को सलामी देने और आर्मी एडवेंचर विंग के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर-डब्ल्यूएसआई, आर्मी एविएशन हेलीकॉप्टर और माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट द्वारा सांस थमा देने वाले फ्लाई-पास्ट के साथ हुई। इसके बाद टेंट पेगिंग और सिक्स बार जंपिंग के घुड़सवारी खेलों का एक रोमांचक शो हुआ। साहसिक गतिविधियों के प्रदर्शन में सेना के बहादुरों द्वारा आर्मी एवीएशन कॉम्‍बेट डिमॉन्‍सट्रेशन एंड स्‍पेशल टीम ऑपरेशन्‍स शामिल थे। ‘नॉर्थ ईस्ट वॉरियर्स’ ने मार्शल आर्ट का विस्मयकारी प्रदर्शन किया, जबकि साहसी पैरा ट्रूपर्स ने स्काई डाइविंग के साथ सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

आर्मी सर्विस कॉर्प्स मोटरसाइकिल डिस्प्ले टीम ‘टॉरनेडोज़’ का कुशल और साहसी प्रदर्शन दर्शकों के लिए देखने लायक था, जबकि ताइक्वांडो टीम ने अपने स्टंट से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इलीट पैरा ट्रूपर्स के पैरा मोटर प्रदर्शन ने सशस्त्र बलों की अजेय भावना और अदम्य वीरता का प्रदर्शन किया। सेना के बैंड के एक प्रदर्शन ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। प्रदर्शन के बाद, रक्षा मंत्री ने वीरता पुरस्कार विजेताओं और उनके परिवारों के साथ बातचीत की और उन्हें सम्मानित किया।

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प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष पूरे होने और देश के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को याद कर उन पर गौरवान्वित महसूस करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष पूरे होने और देश के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को याद करके उन पर गौरवान्वित महसूस करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में सभी देशवासियों से अपनी विरासत पर गर्व करने का आह्वान किया था। भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है, जो इसके वीरों की अदम्य वीरता, शौर्य, बलिदान, तपस्या, युद्ध और विजय की गाथाओं से भरा है। भारत माता के ऐसे ही महान सपूतों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, जिनके स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान ने भारत की अनेकों पीढ़ियों को प्रेरित किया है और देशवासियों में गर्व की भावना पैदा की है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय 17 से 23 जनवरी, 2023 तक भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती (पराक्रम दिवस) मनाने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आइकॉनिक इवेंट्स सप्ताह मनाएगा। इस सप्ताह के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर आधारित होंगे। 23 जनवरी, 2023 को पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक भव्य कार्यक्रम में इसका समापन होगा जिसमें केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह मुख्य अतिथी होंगे।

आइकॉनिक इवेंट्स सप्ताह के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह प्रशासन, तथा मणिपुर, नागालैंड, गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों के सहयोग से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ये कार्यक्रम नेताजी के जीवन से संबंधित स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे। इसके तहत 17 जनवरी, 2023 को मणिपुर के मंत्रिपुखरी, कीथेलमनबी, कंगवई, मोइरांग और नम्बोल में, 18 जनवरी को नागालैंड, कोहिमा के रुझाजो और चेसेजु गाँव में, 19 जनवरी को गुजरात के हरिपुरा, बारडोली, और सूरत में, 20 जनवरी को ओडिशा के कटक में और 21 जनवरी, 2023 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इस अभियान के अंतर्गत भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अविस्मरणीय योगदान का जश्न मनाने के लिए इन स्थानों पर पूरे सप्ताह कई गतिविधियां आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

जन भागीदारी की भावना के साथ सभी आयोजनों में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इन आयोजनों को डिजाइन किया गया है, ताकि नागरिक हमारे राष्ट्रीय नायकों से प्रेरणा ले सकें और उनके महान आदर्शों को आगे बढ़ा सकें।

23 जनवरी, 2023 को पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहां नेताजी ने 30 दिसंबर, 1943 के दिन भारत को आजादी मिलने से बहुत पहले, पहली बार भारतीय धरती पर तिरंगा फहराया था।

गृह मंत्रालय का आइकॉनिक इवेंट्स सप्ताह भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन और योगदान को का एक अवसर है। यह उनके उच्च आदर्शों को याद करने और समस्त देशवासियों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से प्रेरणा लेने का भी अवसर है।

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अनुराग सिंह ठाकुर ने मोटे अनाजों पर विशेष एपिसोड के साथ फिट इंडिया हेल्दी हिंदुस्तान टॉक सीरीज लॉन्च की मुख्‍य बिंदु

अनुराग सिंह ठाकुर ने फिट इंडिया हेल्दी हिंदुस्तान आइकॉन के साथ एक विशेष सत्र में फिटनेसहेल्‍दी डाइट चार्टवरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों के बारे में चर्चा की और हमारे दैनिक जीवन में मोटे अनाजों के महत्व पर एक विशेष सत्र में भाग लिया।

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने रविवार, 15 जनवरी को मोटे अनाजों पर एक विशेष एपिसोड के साथ फिट इंडिया की हेल्‍दी हिंदुस्तान टॉक सीरीज़ का शुभारंभ किया।

विशेष कर्टेन रेजर एपिसोड के दौरान युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री ने फिट इंडिया हेल्दी हिंदुस्तान आइकॉन के साथ एक विशेष सत्र में फिटनेस, हेल्‍दी डाइट चार्ट ,वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों के बारे में चर्चा की और हमारे दैनिक जीवन में मोटे अनाजों के महत्व पर एक विशेष सत्र में भाग लिया।

जाने माने फिटनेस विशेषज्ञों और फिट इंडिया आइकॉन द्वारा ऑनलाइन टॉक शो की यह श्रृंखला 22 जनवरी से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2023 तक चलेगी और प्रत्येक रविवार पूर्वाह्न 11 बजे फिट इंडिया के आधिकारिक यूट्यूब और इंस्टाग्राम हैंडल से प्रसारित की जाएगी।

कर्टेन रेजर कार्यक्रम के दौरान श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने ऐसे नेक अभियान के लिए फिट इंडिया के सभी विशेषज्ञों और आइकन की सराहना करते हुए कहा, “हम 70 साल की आयु में स्वस्थ शरीर की कामना करते हैं, तो फिर हम अपनी देखभाल कम उम्र से ही क्यों नहीं शुरू कर देते? आइए, पेशेवरों से जानकारी हासिल करें, स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक खाएं, नियमित व्यायाम करें और फिट रहें। जैसे ही हम लोगों को जागरूक करेंगे, उससे बहुत बड़ा बदलाव आएगा और मुझे पूरा यकीन है कि यह शो लोगों की जिंदगी में बदलाव लाएगा।”

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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप फिट राष्ट्र का निर्माण करने के लिए फिट इंडिया हेल्‍दी हिंदुस्तान का उद्देश्य सभी आयु वर्गों के लोगों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के बीच फिटनेस, स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक भोजन और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के महत्व को बढ़ावा देना है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ (आईवाईओएम) घोषित किया है। भारत सरकार की पहल की बदौलत संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को दुनिया भर के 70 से अधिक देशों के समर्थन से अपनाया गया है। भारत सरकार आईवाईओएम 2023 को जन आंदोलन का रूप देते हुए मनाने का प्रयास कर रही है ताकि भारतीय मोटे अनाज, व्यंजन विधियां और मूल्य वर्धित उत्पादों को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा सके।

फिट इंडिया हेल्दी हिंदुस्तान के पैनल में ल्यूक कॉटिन्हो (जीवनशैली विशेषज्ञ), रेयान फर्नांडो (खेल पोषणविद्), हीना भिमानी (पोषणविद्) और संग्राम सिंह (पहलवान/प्रेरक वक्‍ता) शामिल हैं।

मोटे अनाजों के महत्व के बारे में पोषणविद् रेयान फर्नांडो ने कहा, “60 प्रतिशत महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी होती है, लेकिन मोटे अनाजों का उपयोग उस कमी को दूर कर सकता है, रागी में फेनोलिक एसिड होता है, जो बहुत शक्तिशाली सुपर एंटीऑक्सिडेंट है जो मांसपेशियों की क्षति को ठीक करता है और मोटे अनाज मेरी किताब के नए सुपरहीरो बनने जा रहे हैं।”

पहलवान संग्राम सिंह ने कहा, “फिट इंडिया हेल्‍दी हिंदुस्तान कार्यक्रम सरकार की बहुत अच्छी पहल है, जिससे सभी को लाभ होगा। अगर हम सब मोटे अनाजों का उपयोग शुरू कर दें, तो हमारे देश से बीमारियां 99.9 फुट दूर हो जाएंगी और हम बहुत जल्द खेल राष्ट्र बन जाएंगे।”

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किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण की सुविधा के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए

किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण सुविधा के लिए, भंडारण विकास एवं विनियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) ने एक कार्यक्रम में एक राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

विशेष रूप से ई-एनडब्ल्यूआर (इलेक्ट्रॉनिक परक्राम्य भंडारण रसीद) के आधार पर धनराशि देने के लिए, उपज विपणन ऋण नामक नए ऋण उत्पाद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें प्रसंस्करण शुल्क शून्य, कोई अतिरिक्त गिरवी की जरूरत नहीं और आकर्षक ब्याज दर जैसी विशेषताएं हैं।

समझौता ज्ञापन का उद्देश्य भारत में कृषि वित्त में सुधार के लिए आउटरीच गतिविधियों को आगे बढ़ाने के अलावा जमाकर्ताओं को लाभों की जानकारी प्रदान करना है।

यह परिकल्पना की गई है कि छोटे और सीमांत किसानों के बीच ई-एनडब्ल्यूआर की स्वीकृति के संबंध में इस ऋण-उत्पाद के दूरगामी परिणाम होंगे। इसमें संकट में बिक्री को रोकने और उपज के लिए बेहतर मूल्य जारी करने के जरिये, ग्रामीण जमाकर्ताओं की वित्तीय सुविधा पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता है।

ई-एनडब्ल्यूआर प्रणाली की अंतर्निहित सुरक्षा और परक्राम्यता के साथ, उपज विपणन ऋण ग्रामीण नकदी में सुधार करने और किसानों की आय बढ़ाने में काफी मदद करेगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

आयोजन के दौरान, ग्रामीण ऋण में सुधार के लिए भण्डार रसीदों का उपयोग करते हुए फसल कटाई के बाद वित्तपोषण के महत्व पर एक संक्षिप्त चर्चा हुई। बैंक प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र में ऋण देने वाली संस्थाओं के सामने आने वाले जोखिमों पर भी प्रकाश डाला। डब्ल्यूडीआरए ने हितधारकों के बीच जिम्मेदार विश्वास को बेहतर बनाने के लिए अपने पूर्ण नियामक समर्थन का आश्वासन दिया।

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आरआईएनएल, विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र की धमन भट्टी-1 ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक का सबसे अच्छा दैनिक उत्पादन दर्ज किया

दृढ़ता और उमंग भरे उत्साह के साथ, आरआईएनएल विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र की धमन भट्टी-1 (गोदावरी) इकाई ने 15 जनवरी 2023 को बीएफ 1 (गोदावरी) से हॉट मेटल का 8100 टन का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करके एक और उपलब्धि हासिल की। यह बीएफ-1 द्वारा अपनी स्थापना के बाद से हासिल किया गया अबतक का सबसे अच्छा दैनिक उत्पादन है। धमन भट्टी-1 द्वारा 8019 टन का पिछला सर्वश्रेष्ठ दैनिक उत्पादन 18 फरवरी, 2022 को हासिल किया गया था।

श्री अतुल भट्ट, सीएमडी, आरआईएनएल ने रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए आरआईएनएल की इस इकाई को बधाई दी।

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प्रधानमंत्री ने अग्निवीरों के पहले बैच को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तीनों सेवाओं के उन अग्निवीरों के पहले बैच को संबोधित किया, जिन्होंने अपना बुनियादी प्रशिक्षण शुरू कर दिया है।

प्रधानमंत्री ने इस पथ-प्रदर्शक अग्निपथ योजना के अग्रणी होने पर अग्निवीरों को बधाई दी। उन्होंने इस बारे में प्रकाश डाला कि यह परिवर्तनकारी नीति हमारे सशस्त्र बलों को मजबूत बनाने और उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करने में एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। प्रधानमंत्री ने इस बात की पुष्टि की कि युवा अग्निवीर सशस्त्र बलों को और अधिक युवा और तकनीक रूप से व्‍यावहारिक बनाएंगे।

अग्निवीरों की क्षमता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी भावना सशस्त्र बलों की वीरता को दर्शाती है, जिसने सदैव राष्ट्र के झंडे को ऊंचा रखा है। उन्होंने कहा कि इस अवसर से उन्हें जो अनुभव प्राप्त होगा, वह जीवन भर उनके लिए गौरव का स्रोत सिद्ध होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नया भारत एक नए जोश से भरा हुआ है और हमारे सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में युद्ध लड़ने के तौर-तरीकों में बदलाव हो रहा है। संपर्क रहित युद्ध के नए मोर्चों और साइबर युद्ध की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीकी रूप से सक्षम सैनिक हमारे सशस्त्र बलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से युवाओं की वर्तमान पीढ़ी में यह क्षमता है, इसलिए अग्निवीर आने वाले समय में हमारे सशस्त्र बलों में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि यह योजना किस प्रकार महिलाओं को भी अधिक सशक्त बनाएगी। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि किस प्रकार महिला अग्निवीर नौसेना का गौरव बढ़ा रही हैं। उन्‍होंने कहा कि वह तीनों सेनाओं में महिला अग्निवीरों को देखने के लिए बहुत उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री ने सियाचिन में तैनात की गई महिला सैनिकों और आधुनिक लड़ाकू विमानों को चलाने वाली महिला पायलटों का उदाहरण देते हुए उल्‍लेख किया कि किस प्रकार महिलाएं विभिन्न मोर्चों पर सशस्त्र बलों का नेतृत्व कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में तैनाती से उन्हें विविध अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और वे उन्हें विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों तथा जीवन जीने के तरीकों को भी सीखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीम वर्क और नेतृत्व कौशल का सम्मान उनके व्यक्तित्व में एक नये आयाम का सृजन करेगा। उन्होंने अग्निवीरों का अपनी पसंद के क्षेत्र में अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए काम करते हुए नई चीजों को सीखने के लिए उत्सुक बने रहने का आह्वान किया।

युवाओं और अग्निवीरों की क्षमता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए अपना संबोधन समाप्त किया कि आप ही हैं जो 21वीं सदी में राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान करने जा रहे हैं।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने *विवेकानंद जयंती* ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रुप में मनाया

कानपुर 12 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर के द्वारा आज 12 जनवरी को *विवेकानंद जयंती* ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रुप में मनाया गया। यह 38वां युवा दिवस तथा स्वामी विवेकानंद जी की 160वीं जयंती थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने विवेकानंद जी की तस्वीर पर माल्यार्पण करके किया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने अपने वक्तव्य में बताया कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणा स्रोत है। एनएसएस की छात्रा अदीबा व श्रेया ने स्वामी विवेकानंद के जीवन परिचय व विचारों से समस्त छात्राओं को अवगत कराया कार्यक्रम में महाविद्यालय की समस्त छात्राओं तथा प्राध्यापिकाओ विशेष रुप से डॉ. वीनू टंडन, डॉ. मनीषी पांडे, डॉ मनीषी, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ रुचि व डॉ. श्वेता गोंड की उपस्थिति सराहनीय रही।

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज तथा भारतीय विचारक समिति के संयुक्त तत्त्वाधान में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया

कानपुर 12 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज तथा भारतीय विचारक समिति के संयुक्त तत्त्वाधान में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस आज दिनांक 12 जनवरी को महाविद्यालय सभागार में उत्साहपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सी. एस. जे. एम. यू. के सी. डी. सी. प्रो. राजेश कुमार द्विवेदी, महाविद्यालय सचिव श्री पी. के. सेन, प्राचार्या प्रो. सुमन, मोटिवेशनल स्पीकर श्री अरुणेंद्र सोनी, अतिथि वक्ता प्रो. आर. पी. दुबे, भारतीय विचारक समिति के निदेशक बलराम नरूला के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। प्राचार्या महोदया ने सफल कार्यक्रम के आयोजन हेतु महाविद्यालय परिवार को बधाई देते हुए सभी अतिथियों को उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. चित्रा सिंह तोमर तथा प्रो. प्रीति पांडेय के द्वारा संयुक्त रूप से किया । मंच सज्जा में डॉ. रचना निगम, प्रेस समिति में डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. मीनाक्षी व्यास तथा डॉ. अनामिका आदि पदाधिकारियों ने सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। इस अवसर पर संगीत की छात्राओं ने “सरस्वती वंदना” तथा “देश हमे देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें” प्रस्तुत किया तो एनसीसी कैडेट्स ने अतिथियों को “गार्ड ऑफ ऑनर” दिया। भारतीय विचारक समिति के महामंत्री उमेश दीक्षित ने अपनी समिति के सामाजिक कार्यों बारे मे विस्तार से जानकारी दी । महाविद्यालय की चार शिक्षिकाओं प्रो. निशा वर्मा, प्रो. मीनाक्षी व्यास, श्रीमती किरन व डॉ. अनामिका को विचारक समिति की नवीन सदस्यता ग्रहण करने पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समस्त शिक्षिकाओं एवम् छात्राओं की उपस्थिति प्रशंसनीय रही।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नेशनल मीडिया सेंटर, दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की विषयवस्तु “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” का अनावरण किया

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां राष्ट्रीय मीडिया केंद्र (नेशनल मीडिया सेंटर), नई दिल्ली में “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” (ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबीइंग)” शीर्षक से “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023” के लिए विषयवस्तु जारी की।

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत के 2023 में प्रवेश करने के साथ ही यह विषय भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उसकी बढ़ती दृश्यता को इंगित करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की विषयवस्तु, सामग्री और आयोजनों पर उनके सावधानीपूर्वक मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” का विषय भारत के जी-20 की अध्यक्षता संभालने के साथ पूरी तरह से मेल खाता है जिससे वह वैश्विक दक्षिण यानी एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के विकासशील देशों की आवाज बनेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्‍व में राष्ट्रों के समुदाय में वैश्विक दृश्यता प्राप्त की है और अब हम वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए परिणाम उन्मुख वैश्विक सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “जब चिंताओं, चुनौतियों और बेंचमार्क ने वैश्विक आयाम ग्रहण कर लिया है, तब निवारण भी वैश्विक प्रकृति का होना चाहिए।”

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) हर वर्ष 28 फरवरी को ‘रमन प्रभाव’ की खोज के उपलक्ष्य में मनायाजाता है। भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया। इसी  दिन सर सी.वी. रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी, जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर पूरे देश में विषय आधारित विज्ञान संचार गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि मोदी जी ने पिछले वर्ष सभी वैज्ञानिकों और विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की बधाई दी थी और विश्व कल्याण का आह्वान किया था, जब उन्होंने कहा था कि “आइए हम अपनी सामूहिक वैज्ञानिक जिम्मेदारी को पूरा करने और मानव प्रगति के लिए विज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें”।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ” वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” (ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबीइंग)” विषयवस्तु को वैश्विक संदर्भ में वैज्ञानिक मुद्दों की सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के उद्देश्य से चुना गया है और जिसका वैश्विक भलाई पर प्रभाव भी पड़ रहा है।

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उन्होंने कहा कि आज भारतीय वैज्ञानिक सफलताएं प्रयोगशाला से धरातल तक पहुंच गई हैं और अब वास्तव में जन सामान्य के लिए “जीवन में सुगमता” लाने के लिए हर घर में विज्ञान के अनुप्रयोगों का उपयोग किया जा रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह देश और विदेश में लोगों और वैज्ञानिक बिरादरी को एक साथ आने, एक साथ काम करने और मानव जाति के कल्याण  के उद्देश्य से विज्ञान का प्रयोग करने की प्रसन्नता का अनुभव करने के अवसर प्रदान करने के लिए एक नए युग की शुरुआत करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र ने पिछले साढ़े आठ वर्षों में देश के लिए दूरगामी प्रभाव वाले कई नए ऐतिहासिक सुधारों की शुरुआत करके तेजी से प्रगति की है। उन्होंने सरकार के इस रुख को भी दोहराया कि विज्ञान पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत औद्योगीकरण और तकनीकी विकास में एक वैश्विक नेता बनने की दिशा में उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत की नई योजना, जिसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति 2020 कहा जाता है- द्वारा विज्ञान को अधिक प्रभावी ढंग से और विशेषज्ञों द्वारा संचालित करने की योजना है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, डॉ. अजय कुमार सूद ने “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” विषय के पीछे के तर्क को समझाया और कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर वैश्विक चुनौतियों से लड़ने के लिए विश्व अब और अधिक निकट आ गया है। डॉ. सूद ने विस्तार से यह भी बताया कि 28 फरवरी 1928 को प्रतिष्ठित भारतीय भौतिक विज्ञानी सी.वी. रमन ने एक महत्वपूर्ण खोज की थी, जिसे रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। खोज यह थी कि जब रंगीन प्रकाश की किरण किसी द्रव में प्रवेश करती है, तो उस द्रव द्वारा प्रकीर्णित प्रकाश का एक अंश भिन्न रंग का होता है यह। रमन ने दिखाया कि इस बिखरे हुए प्रकाश की प्रकृति विद्यमान  नमूने के प्रकार पर निर्भर थी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव श्री एस. चंद्रशेखर ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि महत्वपूर्ण वैज्ञानिक दिवसों को मनाने से जुड़े कार्यक्रमों से समाज में वैज्ञानिक जागरूकता आती है। कई संस्थान अपनी प्रयोगशालाओं के लिए ओपन हाउस आयोजित करते हैं और छात्रों को किसी विशेष अनुसंधान प्रयोगशाला / संस्थान में उपलब्ध आजीविका के अवसरों के बारे में जानकारी देते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़े वैज्ञानिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों में पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उत्सव का समर्थन, उत्प्रेरण और समन्वय करने के लिए एक केन्द्रीय (नोडल) एजेंसी के रूप में कार्य करता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार हेतु राष्ट्रीय परिषद (नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन–एनसीएसटीसी) ने व्याख्यान, क्विज़, ओपन हाउस आदि के आयोजन के लिए राज्यों की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) परिषदों और विभागों के माध्यम से देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का समर्थन किया है।

एनसीएसटीसी, डीएसटी के प्रमुख डॉ. मनोरंजन मोहंती और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने आज के कार्यक्रम में भाग लिया।

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