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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्रेटर नोएडा में एक कार्यक्रम में युवा शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा- नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर एक मजबूत और आत्म-निर्भर ‘नए भारत’ का निर्माण करें

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने युवाओं से नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेने और भविष्य की सभी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम एक मजबूत और आत्मनिर्भर ‘नए भारत’ का निर्माण करने का आह्वान किया है। श्री राजनाथ सिंह ने यह विचार ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक सम्मेलन में युवा शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि देश की युवा जागृत सोच में ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को देश की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से प्रेरणा लेनी चाहिए और गहन शोध के माध्यम से नवीन विचारों के साथ आगे बढ़ते हुए देश को और ऊंचाइयों पर ले जाना चाहिए। आने वाले समय में प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में एक केंद्रीय भूमिका निभाएगी इस पहलू को ध्यान में रखते हुए श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से इंटरनेट जैसे नए तरीकों के अलावा पारंपरिक स्रोतों जैसे अनुसंधान संस्थानों, पुस्तकालयों और अभिलेखागार के माध्यम से गहन शोध पर ध्यान केंद्रित करने का भी आह्वान किया।

श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से दुनिया भर में हो रहे नवीनतम विकास के साथ गति बनाए रखने का आग्रह करते हुए यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इसके साथ-साथ देश की सांस्कृतिक परंपराएं और मूल्य संरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में, दुनिया कई माध्यमों से आपस में जुड़ी हुई है। इसलिए, विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, शिक्षा, आर्थिक और राजनीतिक प्रणालियों को समझना आवश्यक है। जबकि हम एक ‘नए भारत’ के निर्माण में दृढ़ हैं, हमारा मार्गदर्शक ‘अतीत का भारत’ और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमिका और दूरदृष्टि का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। कुछ लोग इसे इतिहास का पुनर्लेखन कहते हैं जबकि वह इसे पाठ्यक्रम में सुधार मानते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का ध्यान ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड’ के विजन के अनुरूप हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आते हुए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ को हासिल करना है जिसका नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था।

श्री राजनाथ सिंह ने देश को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों की भी जानकारी दी। इनमें राजपथ से कार्तव्य पथ; इंडिया गेट परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा की स्थापना; नेताजी को श्रद्धांजलि के रूप में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के तीन द्वीपों का नाम बदलना; मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी से प्रेरित भारतीय नौसेना की एक नई पताका और ब्रिटिश काल के सैकड़ों कानूनों को समाप्त करना शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत समृद्ध विविधता और अपार संभावनाओं का देश है और सरकार देश को मजबूत और ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए उस क्षमता का दोहन करने के साथ आगे बढ़ रही है।

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भारत की जी20 की अध्यक्षता की पारी शुरू

जी20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे तथा यहां से और आगे की ओर बढ़ेंगे।

अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूं- क्या जी20 अभी भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव को उत्प्रेरित कर सकते हैं?

मेरा विश्वास है कि हम ऐसा कर सकते हैं।

हमारी परिस्थितियां ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। पूरे इतिहास के दौरान, मानवता अभाव में रही। हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था। विभिन्न विचारों, विचारधाराओं और पहचानों के बीच, टकराव और प्रतिस्पर्धा आदर्श बन गए।

दुर्भाग्य से, हम आज भी उसी शून्य-योग की मानसिकता में अटके हुए हैं। हम इसे तब देखते हैं जब विभिन्न देश क्षेत्र या संसाधनों के लिए आपस में लड़ते हैं। हम इसे तब देखते हैं जब आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाया जाता है। हम इसे तब देखते हैं जब कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी की जाती है, भले ही अरबों लोग बीमारियों से असुरक्षित हों।

कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि टकराव और लालच मानवीय स्वभाव है। मैं इससे असहमत हूं। अगर मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है, तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली इतनी सारी आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए?

भारत में प्रचलित ऐसी ही एक परंपरा है जो सभी जीवित प्राणियों और यहां तक कि निर्जीव चीजों को भी एक समान ही पांच मूल तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के पंचतत्व से बना हुआ मानती है। इन तत्वों का सामंजस्य – हमारे भीतर और हमारे बीच भी- हमारे भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए आवश्यक है।

भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी। इसलिए हमारी थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है।

ये सिर्फ एक नारा नहीं है। ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं।

आज हमारे पास दुनिया के सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करने के साधन हैं।

आज, हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है – हमारे युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं है। ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए!

आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।

सौभाग्य से, आज की जो तकनीक है वह हमें मानवता के व्यापक पैमाने पर समस्याओं का समाधान करने का साधन भी प्रदान करती है। आज हम जिस विशाल वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, वह डिजिटल प्रौद्योगिकियों की मापनीयता को प्रदर्शित करती है।

भारत इस सकल विश्व का सूक्ष्म जगत है जहां विश्व की आबादी का छठवां हिस्सा रहता है और जहां भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और विश्वासों की विशाल विविधता है।

सामूहिक निर्णय लेने की सबसे पुरानी ज्ञात परंपराओं वाली सभ्यता होने के नाते भारत दुनिया में लोकतंत्र के मूलभूत डीएनए में योगदान देता है। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की राष्ट्रीय सहमति किसी फरमान से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाजों को एक सुरीले स्वर में मिला कर बनाई गई है।

आज, भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा का पोषण करते हुए, हमारा नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल एकदम हाशिए पर पड़े नागरिकों का भी ख्याल रखता है।

हमने राष्ट्रीय विकास को ऊपर से नीचे की ओर के शासन की कवायद नहीं, बल्कि एक नागरिक-नेतृत्व वाला ‘जन आंदोलन’ बनाने की कोशिश की है।

हमने ऐसी डिजिटल जन उपयोगिताएं निर्मित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है जो खुली, समावेशी और अंतर-संचालनीय हैं। इनके कारण सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे विविध क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रगति हुई है।

इन सभी कारणों से भारत के अनुभव संभावित वैश्विक समाधानों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।

जी20 अध्यक्षता के दौरान, हम भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरों के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए एक संभावित टेम्प्लेट के रूप में प्रस्तुत करेंगे।

हमारी जी20 प्राथमिकताओं को; न केवल हमारे जी20 भागीदारों, बल्कि वैश्विक दक्षिण में हमारे साथ-चलने वाले देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती है, के परामर्श से निर्धारित किया जाएगा।

हमारी प्राथमिकताएं; हमारी ‘एक पृथ्वी’ को संरक्षित करने, हमारे ‘एक परिवार’ में सद्भाव पैदा करने और हमारे ‘एक भविष्य’ को आशान्वित करने पर केंद्रित होंगी।

अपने प्लेनेट को पोषित करने के लिए, हम भारत की प्रकृति की देख-भाल करने की परंपरा के आधार पर स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहित करेंगे।

मानव परिवार के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए, हम खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि भू-राजनीतिक तनाव मानवीय संकट का कारण न बनें। जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए।

हमारी आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने के लिए; हम, बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होने वाली जोखिमों को कम करने और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के बीच एक ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे।

भारत का जी20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा।

आइए हम भारत की जी20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट हों।

आइए हम मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरुप देने के लिए साथ मिलकर काम करें।

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कानपुर खबरें आज की

कानपुर 1 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता,

बर्रा थाना क्षेत्र 80 फीट रोड बर्रा 2 में थार सवार शोहदे स्कूटी सवार युवतियों से कर रहे थे छेडछाड। सूचना पर पहुँची पुलिस ने शोहदों को लिया हिरासत में। थार भाजपा मंडल सह संयोजक सूरज सिंह की बतायी जा रही है। पकड़े गए शोहदे बीते दिनों बर्रा जे ब्लॉक में हुई मारपीट में भी बताए जा रहे हैं शामिल।

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केरल पुलिस ने कानपुर से चार एटीएम हैकर्स को किया गिरफ्तार।

दो दर्जन मुकदमे दर्ज होने के बाद केरल पुलिस ने किया आरोपियों को किया गिरफ्तार। श्याम नगर इलाके मे पुलिस की नाक के नीचे रह रहे थे एटीएम हैकर्स। श्याम नगर,, अहिरवा,, पटेल नगर और सुभाष रोड मे एटीएम हैकर्स ने फैला रखा है जाल। स्थानीय पुलिस को मैनेज करके दूसरे प्रदेशो मे करते हैं एटीएम हैकिंग।आरोपियों के मेडिकल के बाद ट्रांजिट रिमांड लेगी केरल पुलिस। आरोपियों को कोर्ट मे पेश करेंगी केरल पुलिस।

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थाना क्षेत्र चकेरी में महिला के साथ चेन लूट का प्रकरण पुलिस के संज्ञान में आया है। थाना चकेरी पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से जांच एवं आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। तहरीर प्राप्त होने पर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जाएगी।-पुलिस कमिश्नरेट कानपुर_

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सीओडी पुल पर कार ने एक स्कूटी में मारा जोरदार टक्कर

टक्कर मारकर भाग रही कार अनियंत्रित होकर पल्टी

स्कूटी सवार व कार में सवार लोग हुये गंभीर रूप से घायल

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ई रिक्शा चालक को दी गई तालिबानी सजा ।

युवक को खिड़की की जाली से बांध सिर और भौ के के बाल काटे

लड़की से छेड़छाड़ के आरोप में हुई पिटाई ।

मामले का वीडियो हुआ वायरल ।

हनुमंत विहार थाना क्षेत्र की बताई जा रही घटना ।

जांच में जुटी पुलिस

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सकून देता है शौक़, इसे ज़िन्दा रखिए

पिछले 35 सालों से यहाँ इंग्लैंड में रह कर ,यहाँ के लाईफ़ स्टाईल मे ढल चुकी थी गार्गी।बहुत अलग सी ज़िंदगी है ,इंग्लैंड की भारत से। यहाँ नौकर रखने का चलन आम नही है।ये भी नहीं कि लोग नौकर रख नहीं सकते मगर शायद लोगो को यहाँ अपनी प्राईवसी ज़्यादा पसंद है। ख़ुशी ख़ुशी सब लोग अपने घरो का काम खुद ही करना पसंद करते हैं और ऐक्टिव भी कहते है।
बेहद सादा और दिखावे से दूर ये देश ,काफ़ी अच्छा है।
आज गार्गी सारा घर का काम निपटा कर ,चाय का कप ले कर चुपचाप सी अपने कमरे में आँखे बंद करके बैठी हुई थी।तेज हवाओं के साथ साथ आज बाहर बहुत ठंड है ,उठ कर कमरे की खिड़की बंद कर दी।
बहुत थक गई थी गार्गी आज। शरीर टूट सा रहा था उसका।उसके बच्चे दो दिन से उसके पास आये हुए थे। बहुत शौक और प्यार से खाना बनाना फिर खिलाना ये गार्गी का शौक़ था।उसके अपने बच्चे ही नहीं बल्कि कोई भी उसके घर आ जाता तो कितने पकवान अपने हाथों से बनाती और बड़े प्यार से खिलाती भी,उसे ऐसा लगता कि जैसे घर में कोई त्योहार ही आ गया हो।उसके बच्चे और पति हर बार उसे टोकते और पूछा करते !क्यों करती हो ये सब ?.. बाद में फिर निढाल हो कर गिर पड़ती हो ।किस को दिखाना चाहती हो ? इस बात पर गार्गी ,नम आँखों से अपने पति से कहती!
दिखाना !! मेरी फ़ितरत नहीं है किशोर।जो भी करती हूँ उससे मुझे ख़ुशी मिलती है।बस यही तो चाहती हूँ मैं,कि जब कोई मेरे घर आये उसकी इतनी मेहमान नवाज़ी करूँ कि उसे याद रहे कि कोई मुझ से मिला था कभी।इस पर बच्चे हंसते और कहते !
अच्छा तो माम ! आप अपने ज़िन्दगी का सीवी बनाने की कोशिश में है।जैसे आज की जनरेशन सीवी बनाती है नौकरी के लिये ..और गार्गी को हँस कर गले लगा लेते।बस इतनी सी बात पर गार्गी की सारी थकान उतर जाती।अक्सर गार्गी ने अपनी माँ को ऐसे करते देखा था, वैसा ही अब गार्गी कर रही थी मगर आज तो गार्गी को बुख़ार ही हो गया था।सभी बच्चे उसके पास आये और प्यार की डांट भी लगाई गार्गी को।
गार्गी ने कहा मैं बस यही तो चाहती हूँ तुम सब को प्यार से रोटी ख़िलाऊ ,जिससे मेरे परिवार का पेट तो भर जाये पर मन कभी नहीं भरे।
इतने में गार्गी का पति किशोर कमरे में दाखिल हुआ तो देखा गार्गी बुख़ार से तप रही थी।उसने भी गार्गी को डाँटा और कहने लगा !क्यों इतना काम करती हो ?अब देखा न,बिस्तर पकड़ लिया तुमने।हम सब है न ,तुम्हारा हाथ बँटाने के लिए।सादे ढंग से भी खाना खिला सकती हो,मगर तुम्हें तो बस रानियों की तरह ही खाना और खिलाना पसंद है।गार्गी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।कहने लगी !
किशोर ! रानी बनने के लिए मुझे किसी महल की ज़रूरत नहीं है।
न ही किसी धन संमपदा की ,या किसी साम्राज्य की ही ज़रूरत है।
ये तो बस इक आदत ,इक तरीक़ा होता है रहने का और कुछ भी
नहीं।
मैं जहां भी हूँ जैसी भी हूँ मैं ऐसी ही रहूँगी ।किशोर के हाथ पर हाथ रख कर कहने लगी।फ़िक्र न करो मैं जल्दी ही ठीक हो जाऊँगी।तुम्हारी पत्नी होने के नाते तुम्हें अपनापन और समर्पण के भाव से हमेशा खाना खिलाना चाहती हूँ जिससे तुम्हारा पेट और मन दोनों भरे रहे ।
कल जब हमारी बहू आयेगी वो कर्तव्य के भाव से खाना खिलायेगी जो कभी स्वाद देगा और कभी पेट भी भरेगा।,
किशोर कहने लगा !
कितना क़िस्मत वाला हूँ मैं ,कि मुझे तुम जैसी पत्नी मिली।
“गार्गी बोलती जा रही थी।रब न करें कि कभी ऐसी नौबत आये जब आप सब को नौकरानी के हाथ की रोटी खानी पडे।जिससे ना तो इन्सान का पेट भरता है न ही मन”
तृप्त होता है और स्वाद की तो कोई गारँटी ही नहीं है नौकरों के मन में क्या दुविधा चल रही है क्या मन में विचार चल रहे होते है,अच्छे या बुरे सब का असर रोटी में जाता है ।
ममता ,समर्पण या अपनापन का भाव उसमें नहीं होगा।
दोस्तों!
जब आप के भाग्य में प्यार,ममता,क्षृदा ,समर्पण और अपनापन का भाव खतम हो जाता है तो भी ,ईश्वर का शुक्रिया करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखने के लिये नौकर को आप की सेवा में लगाया है ।
दोस्तों हमारे बुजुर्गों में सेवा भाव बहुत ज़्यादा हुआ करता था।ज़्यादातर बुजुर्ग अब दुनिया से जा भी चुके है।सुना है,जो दोगे ,वही वापिस आता भी है।
दोस्तों!मुझे तो लगता है।आज जो लोग अच्छी ज़िन्दगी जी रहे हैं।नौकर चाकर उनकी सेवा में लगे हुए हैं।ये वही हमारे बुजुर्ग होंगे जिन्होंने पहले,पिछले जन्मों में अपने परिवार ,आस पड़ोस ,समाज की सेवा मन से की। आज उनकी सेवा हो रही है।
वैसे भी करम ही प्रधान है।आज कोई आप की सेवा करेगा तो कल आप को उन की सेवा करनी पड़ेगी।यही सच है।बातों बातों में मुझे किसी गुरू जी की बात ध्यान में आ रही है गुरू जी के यहाँ लंगर की सेवा चल रही थी।गुरू जी ने देखा।लंगर में ज़्यादातर लोग बहुत बुजुर्ग ही थे।गुरू जी ने कहा! जवान लोगों को भी लगंर की सेवा करनी चाहिए।मगर जवान बच्चों ने कहा कि हम रोटी नहीं बना सकते।हम तो सब को सैंडविच ही बना कर दे दिया करेंगे।गुरू जी हँस पड़े।कहने लगे! ये जो बुजुर्ग महिलायें आज इतनी तपती हुई गर्मी में बैठ कर,सब के लिए लगंर तैयार कर रही है न।यही आने वाले वक़्त में रानियाँ होगी।कितना सही भी कहा गुरू जी ने।जो आज किसी को खिलायेंगा या सेवा करेगा।उसी को तो कल कोई खिलायेंगा या कोई उस की भी सेवा करेगा।वो चाहे इसी जन्म में हो या फिर अगले जन्म में।दोस्तों !
माँ के हाथ का बना खाना ,पत्नी के हाथ का बना खाना या बहू के हाथ से बना खाना ,अगर आप को ,इस कलियुग के समय में मिल रहा है तो आप खुद को बहुत ख़ुशनसीब इन्सान समझिये।
ये मेहमान नवाज़ी केवल इक शौक़ ही नहीं बल्कि बड़े फ़ायदे का सौदा हो सकता है अगर कोई दिल से करे।
बहुत सकून देता है ये शौक़ ,इसे ज़िन्दा ज़रूर रखिए जनाब 🙏

~ स्मिता केंथ

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज के ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा कैरियर वार्ता आयोजित

कानपुर 1 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवादात, एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर के ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के द्वारा एक कैरियर वार्ता का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता , प्रतियोगी परीक्षा विशेषज्ञ श्री राजेश गौतम जी , प्रबंध समिति के सचिव पी के सेन एवं प्राचार्य डॉ सुमन ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मुख्य वक्ता राजेश जी व उनके सहयोगियों ने छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया की वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धा निरंतर बढ़ती जा रही है, किसी भी क्षेत्र में प्रवेश प्राप्त करनें के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, और सफलता प्राप्त करनें के लिए एक अच्छी रणनीति बनानी पड़ती है साथ ही किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में परीक्षा पैटर्न और कठिनाई स्तर को समझने के लिए उसके सिलेबस का अध्ययन ध्यानपूर्वक आवश्यक है. प्राचार्या डॉ. सुमन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहेगा जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके।
कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की प्रभारी डॉ. गार्गी यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्लेसमेंट सेल की सदस्य डॉ. कोमल सरोज व समस्त प्रवक्ताए और छात्राएं उपस्थित रही।

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रक्षा मंत्रालय ने स्पर्श में स्थानांतरित हुए बैंकों के उन पेंशनभोगियों के लिए पेंशन भुगतान के तीन महीने के विस्तार को मंजूरी दी, जिनकी पहचान नवंबर 2022 में होनी थी

रक्षा मंत्रालय ने बैंकों के उन पेंशनभोगियों के लिए तीन महीने के लिए पेंशन भुगतान के विस्तार को मंजूरी दे दी है, जो स्पर्श, {सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन (रक्षा)} में चले गए थे और जिनकी पहचान नवंबर 2022 में होनी थी। यह दोहराया जाता है कि वार्षिक पहचान की प्रक्रिया /जीवन प्रमाणन मासिक पेंशन के निरंतर और समयबद्ध क्रेडिट के लिए एक वैधानिक आवश्यकता है। इस प्रकार सभी रक्षा पेंशनभोगियों, जिन्होंने अभी तक अपनी वार्षिक पहचान पूरी नहीं की है, से अनुरोध है कि वे फरवरी 2023 तक अपनी वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणीकरण को पूरा करें ताकि उनकी पेंशन पात्रता को सुचारू रूप से दोबारा पक्का किए जाने का कार्य और उसका क्रेडिट सुनिश्चित किया जा सके।

वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणन निम्नलिखित माध्यमों से किया जा सकता है:

  1. एंड्रॉइड उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल जीवन प्रमाण ऑनलाइन/जीवन प्रमाण फेस ऐप के माध्यम से।

· स्थापना और उपयोग का विवरण यहां पाया जा सकता है: https://jeevanpramaan.gov.in/package/documentdowload/JeevanPramaan_FaceApp_3.6_Installation

· स्पर्श पेंशनभोगी: कृपया स्वीकृति प्राधिकरण को “रक्षा – पीसीडीए (पी) इलाहाबाद” और वितरण प्राधिकरण को “स्पर्श – पीसीडीए (पेंशन) इलाहाबाद” के रूप में चुनें।

  1. पेंशनभोगी https://sparsh.defencepension.gov.in/ पर लॉग इन करके वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणन पूरा कर सकते हैं और निम्न का विकल्प चुन सकते हैं:

· अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित मैन्युअल लाइफ सर्टिफिकेट (एमएलसी) को डाउनलोड और अपलोड करें,

· आधार आधारित डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) का चयन करके

  1. पेंशनभोगी अपनी वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणन को पूरा करने के लिए आ भी सकते हैं

निम्नलिखित एजेंसियों पर स्थापित निकटतम सेवा केंद्र पर प्रमाणन की सुविधा है:

· सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) – अपने निकटतम सीएससी को खोजने के लिए यहां क्लिक करें: https://findmycsc.nic.in/

· निकटतम डीपीडीओ या रक्षा लेखा विभाग सेवा केंद्र।

· एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा स्थापित सेवा केंद्र ।

· रक्षा खाता विभाग या बैंकों में उपलब्ध स्पर्श सेवा केंद्रों का पता लगाने के लिए यहां क्लिक करें – https://sparsh.defencepension.gov.in/?page=serviceCentreLocator

  1. लेगेसी पेंशनभोगी (2016 से पूर्व सेवानिवृत्त) जो अभी तक स्पर्श में माइग्रेट नहीं हुए हैं, वे अपना जीवन प्रमाणन ठीक उसी तरह कर सकते हैं जैसा कि पिछले वर्षों में उनके द्वारा किया जा रहा था। जीवन प्रमाण के माध्यम से जीवन प्रमाणन करने के लिए, उन्हें संबंधित स्वीकृति प्राधिकरण को “रक्षा – संयुक्त सीडीए (एएफ) सुब्रतो पार्क” या रक्षा – पीसीडीए (पी) इलाहाबाद” या “रक्षा – पीसीडीए (नौसेना) मुंबई के रूप में तथा संवितरण प्राधिकरण संबंधित पेंशन संवितरण बैंक/डीपीडीओ इत्यादि को चुनना होगा ।

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गड्ढा मुक्त सड़कों का अभियान दोबारा फेल

*कानपुर

गड्ढा मुक्त सड़कों का अभियान एक बार फिर हुआ फेल

कमिश्नर राज शेखर और जिलाधिकारी विशाखा जी ने बैठक कर सभी अधिकरियों को 30 नवंबर तक टूटी सड़कों को ठीक करने के दिए थे दिशानिर्देश

गोविंद नगर विधानसभा पनकी क्षेत्र की पनकी थाना रोड और स्वराज नगर रोड समेत तमाम सड़के आज भी गड्डो में है तब्दील

आवागमन में कई बार बाइक सवार गिर के हो चुके है चुटहिल जिम्मेदारों को नही है जनता की फिक्र

पनकी क्षेत्र में नमामि गंगे परियोजना के तहत बिछाई जा रही है सीवर लाइन

सीवर लाइन को डालने के लिए सड़कों को खोदा गया, सीवर लाइन पड़ने के बाद बनाई गई कुछ सड़के चंद महीनों में गड्डो में हुई तब्दील

क्षेत्रीय जनता का आरोप, ठेकेदार ने सड़क निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का किया इस्तेमाल

मंत्री,सासंद,विधायक भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश सरकार का देते करते रहे दावा, ठेकेदार ने सड़क निर्माण कार्य मे भ्रष्टाचार कर डाला

भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत कर ठेकेदार ने सड़क निर्माण कार्य मे भ्रष्टाचार कर योगी सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश की मंशा को दिखाया ठेंगा

तेजतर्रार कमिश्नर राज शेखर और जिलाधिकारी विशाखा जी ऐसे भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार पर कब और क्या करेंगे कार्यवाही

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एस एन सेन बा• वि• पी• जी• कॉलेज के विज्ञान संकाय में अंतरविभागीय प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 1 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बा• वि• पी• जी• कॉलेज के विज्ञान संकाय में अंतरविभागीय प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें 18 छात्राओ ने भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया । भारत को विज्ञान के क्षेत्र में पहचान देने वाले डा जगदीश चंद्र बोस के १६४ वी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ• सुमन ने दीप प्रज्वलित करके किया।प्राचार्या डॉ• सुमन,ने छात्राओ को डॉ बोस के योगदान से अवगत कराया एवं उनके जैसा बनने के लिए प्रेरित किया ।रसायन विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ• गार्गी यादव तथा वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ• प्रीति सिंह ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि प्रेषित किया। सभी ने छात्रों के प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की।डॉ प्रीति सिंह ने वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में बोस के योगदान को याद करते हुए कहा यदि दो समान स्वस्थ पौधों में एक को अच्छा संगीत और दूसरे को भद्दी गलियाँ सुनायी जाये तो पहला पौधा स्वस्थ विकसित होगा और दूसरा सूख जाएगा यही बोस के योगदान को प्रदर्शित करता है

कार्यक्रम का संचालन डॉ• शिवंगी यादव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्या डॉ• सुमन ने किया। डॉ• शैल वाजपाई, डॉ• शिवांगी यादव, डॉ• अमिता सिंह, डॉ• समीक्षा सिंह, कु• ज़ेबा आफरोज़ , वर्षा सिंह तैयबा तथा कु• स्नेह त्रिवेदी ने कार्यक्रम में सक्रिय योगदान दिया।

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मातृ मृत्यु दर(एमएमआर) में महत्वपूर्ण गिरावट आई, प्रति लाख 2014-16 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 जीवित प्रसव: डॉ. मनसुख मांडविया

देश में एक नया मील का पत्थर हासिल किया गया है और मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इस उपलब्धि पर देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को प्रभावी ढंग से कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की प्रशंसा की और एक ट्वीट संदेश में कहा:
मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में महत्वपूर्ण गिरावट आई, प्रति लाख 2014-16 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 जीवित प्रसव हो रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण मातृ और प्रसव देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य नीतियों व पहल ने एमएमआर को नीचे लाने में जबरदस्त तरीके से सहायता की है। भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा एमएमआर पर जारी विशेष बुलेटिन के अनुसार, भारत में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 6 अंकों का शानदार सुधार हुआ है और अब यह प्रति लाख/97 जीवित प्रसव पर है। मातृ मृत्यु दर(एमएमआर) को प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश ने एमएमआर में प्रगतिशील तरीके से कमी देखी है। यह 2014-2016 में 130, 2015-17 में 122, 2016-18 में 113, 2017-19 में 103 और 2018-20 में 97 रहा है, जिस तरह से यह नीचे दर्शाया गया है:

चित्र 1: 2013 -2020 से एमएमआर दर में महत्वपूर्ण गिरावट

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003U5TZ.png

इसे प्राप्त करने पर, भारत ने 100/लाख से कम जीवित प्रसव के एमएमआर के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य को हासिल कर लिया है और 2030 तक 70/लाख जीवित प्रसव से कम एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सही रास्ते पर है।
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य हासिल करने वाले राज्यों की संख्या के संदर्भ में हुई उत्कृष्ट प्रगति के बाद यह अब केरल (19) के साथ छह से बढ़कर आठ हो गई है, इसके बाद महाराष्ट्र (33), तेलंगाना (43), आंध्र प्रदेश (45), तमिलनाडु (54), झारखंड (56), गुजरात (57) और अंत में कर्नाटक (69) का स्थान है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत, वर्ष 2014 से भारत ने सुलभ गुणवत्ता वाली मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और रोकथाम योग्य मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने के लिए एक ठोस प्रयास किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने विशेष रूप से निर्दिष्ट एमएमआर लक्ष्यों को पूरा करने हेतु मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण निवेश किया है। “जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम” और “जननी सुरक्षा योजना” जैसी सरकारी योजनाओं को संशोधित किया गया है और इन्हें सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) जैसी अधिक सुनिश्चित एवं सम्मानजनक सेवा वितरण योजनाओं में अपग्रेड किया गया है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले गर्भधारण की पहचान करने और उनके उचित प्रबंधन को सुविधाजनक बनाने पर केंद्रित है। रोकी जा सकने वाली मृत्यु दर को कम करने पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। लक्ष्य और मिडवाइफरी पहल सभी गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव कराने का विकल्प सुनिश्चित करते हुए एक सम्मानजनक तथा गरिमापूर्ण तरीके से गुणवत्तापूर्ण देखभाल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
एमएमआर दर को सफलतापूर्वक कम करने में भारत के उत्कृष्ट प्रयास वर्ष 2030 के निर्धारित समय से पहले 70 से कम एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने और सम्मानजनक मातृ देखभाल प्रदान करने वाले राष्ट्र के रूप में माने जाने पर एक आशावादी दृष्टिकोण उपलब्ध कराते हैं।

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भारत का सारस रेडियो टेलीस्कोप खगोलशास्त्रियों को ब्रह्मांड के पहले सितारों और आकाशगंगाओं की प्रकृति के बारे में जानकारी देता है

वैज्ञानिकों ने बिग बैंग के सिर्फ 20 करोड़ वर्ष, एक अवधि जिसे अंतरिक्षीय प्रभात के रूप में जाना जाता है,  के बाद बनी चमकदार रेडियो आकाशगंगाओं के गुणों का निर्धारण किया है, जिससे सबसे शुरुआती रेडियो लाउड आकाशगंगाओं जो आमतौर पर बेहद विशाल ब्लैक होल द्वारा संचालित होती हैं, के गुणों के बारे में जानकारी मिली है ।

प्रारंभिक सितारों और आकाशगंगाओं का निर्माण कैसे हुआ और वे कैसे दिखते थे, इस बारे में अपनी जिज्ञासा की वजह से मानव ने ब्रह्मांड की गहराई से उत्पन्न होने वाले बेहद मंद संकेतों को जमीन और अंतरिक्ष- में स्थित आसमान पर लगातार नजर रखने वाली दूरबीनों के माध्यम से पकड़ने की कोशिश की है, जिससे ब्रह्माण्ड को लेकर बेहतर समझ हासिल हो सके।

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा स्वदेश में डिजाइन और विकसित शेप्ड एंटीना मेज़रमेंट ऑफ द बैकग्राउंड रेडियो स्पेक्ट्रम 3 (सारस टेलीस्कोप) को 2020 की शुरुआत में उत्तरी कर्नाटक में दंडिगनहल्ली झील और शरावती नदी के पास स्थापित किया गया था।

अपनी तरह के इस पहले कार्य में सरस 3 के आंकड़ों का उपयोग करते हुए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) बेंगलुरु ,  द कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईआरओ), ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय और तेल-अवीव विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ पहली पीढ़ी की आकाशगंगाएं जो रेडियो वेवलैंथ पर साफ दिखती हैं, की एनर्जी आउटपुट, चमक और द्रव्यमान का अनुमान लगाया ।

वैज्ञानिक बेहद पुरानी आकाशगंगाओं के गुणों का अध्ययन इन आकाशगंगाओं के अंदर और उसके आसपास हाइड्रोजन परमाणुओं से विकिरण को देखकर करते हैं, जो कि लगभग 1420 मेगाहर्ट्ज की आवृत्ति पर उत्सर्जित होती है। ब्रह्मांड के विस्तार के साथ विकिरण में खिंचाव आता है. क्योंकि ये हमारी तरफ समय और अंतरिक्ष को पार करते हुए बढ़ता है और कम आवृत्ति वाले रेडियो बैंड 50-200 मेगाहर्ट्ज के रूप में पृथ्वी पर पहुंचता है, जो कि एफएम और टीवी ट्रांसमिशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। ब्रह्मांड से मिलने वाले सिग्नल बेहद धुँधले होते हैं और हमारी खुद की आकाशगंगा से निकलने वाले बेहद चमकीले विकरण और पृथ्वी पर इंसानों के द्वारा बनाए गए व्यवधानों के बीच दबे होते हैं। इसलिए, सबसे शक्तिशाली मौजूदा रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए भी सिग्नल का पता लगाना खगोलशास्त्रियों के लिए एक चुनौती बना हुआ है।

आरआरआई के सौरभ सिंह और सीएसआईआरओ के रवि सुब्रह्मण्यन द्वारा 28 नवंबर, 2022 को नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित पेपर के परिणामों ने दिखाया है कि कैसे शुरुआती ब्रह्मांड से इस लाइन डिटेक्शन न होने पर भी खगोलशास्त्री असाधारण संवेदनशीलता के साथ शुरुआती आकाशगंगाओं के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं।

“सारस 3 टेलीस्कोप से मिले परिणाम में पहली बार ऐसा हुआ है कि औसत 21-सेंटीमीटर लाइन का रेडियो ऑब्जर्वेशन सबसे शुरुआती रेडियो लाउड आकाशगंगाओं के गुणों के बारे में एक जानकारी प्रदान कर सकता है जो आमतौर पर बेहद विशाल ब्लैक होल द्वारा संचालित होती हैं” आरआरआई के पूर्व निदेशक और वर्तमान में अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान सीएसआईआरओ, ऑस्ट्रेलिया के साथ जुड़े और इस शोध के लेखक श्री सुब्रह्मण्यन ने कहा “यह काम सारस 2 के परिणामों को और आगे ले जाता है जिसने पहली बार शुरुआती सितारों और आकाशगंगाओं की  विशेषताओं के बारे में जानकारी दी थी” ।

“सारस 3 ने अंतरिक्षीय प्रभात को लेकर खगोल भौतिकी के बारे में हमारी समझ में सुधार किया है, जिसने हमें यह बताया कि शुरुआती आकाशगंगाओं के भीतर मौजूद गैसीय पदार्थ का 3 प्रतिशत से भी कम हिस्सा सितारों में परिवर्तित हुआ, और यह कि शुरुआती आकाशगंगाएं जो रेडियो उत्सर्जन में उज्ज्वल थीं, एक्स-रे में भी मजबूत थीं, जिसने शुरुआती आकाशगंगाओं में और उसके आसपास ब्रह्मांडीय गैस को गर्म किया।” ‘एस्ट्रोफिजिकल कन्सट्रेंट फ्रॉम द सारस 3 नॉन डिटेक्शन ऑफ कास्मिक डान स्काई-एवरेज्ड 21 सीएम सिग्नल’ नामक पेपर लिखने वालों में से एक श्री सिंह ने जानकारी दी।

इस साल मार्च में, श्री सिंह ने श्री सुब्रह्मण्यन और सारस 3 टीम के साथ, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) और एमआईटी, यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित ईडीजीईएस रेडियो टेलीस्कोप द्वारा ढूंढे गए अंतरिक्षीय प्रभात  से मिले 21-सेमी के असामान्य सिग्नल को पता लगाने के दावों को खारिज करने के लिए इन आंकड़ों का इस्तेमाल किया। इस कदम ने ब्रह्माण्ड विज्ञान के सुसंगत मॉडल में विश्वास को बहाल करने में मदद की, जिस पर नए दावे के साथ सवाल उठे थे ।

इस साल मार्च में, श्री सिंह ने श्री सुब्रह्मण्यन और सारस 3 टीम के साथ, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) और एमआईटी, यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित ईडीजीईएस रेडियो टेलीस्कोप द्वारा ढूंढे गए अंतरिक्षीय प्रभात से मिले 21-सेमी के असामान्य सिग्नल को पता लगाने के दावों को खारिज करने के लिए इन आंकड़ों का इस्तेमाल किया।

‘अब हमारे पास शुरुआती आकाशगंगाओं के द्रव्यमान को लेकर सीमाएं हैं, इसके साथ ही रेडियो, एक्स-रे, और पराबैंगनी तरंग दैर्ध्य में उनके ऊर्जा उत्पादन की सीमाएं भी हैं’ श्री सिंह ने जानकारी दी। इसके अलावा, एक खास मॉडल का उपयोग करते हुए, सारस 3 रेडियो तरंग दैर्ध्य पर अतिरिक्त विकिरण की ऊपरी सीमा निर्धारित करने में सक्षम रहा है, जो की अमेरिका में एआरसीएडीई और लॉन्ग वेवलेंथ अरे (एलडब्लूए) प्रयोगों द्वारा निर्धारित की गई मौजूदा सीमाओं को और कम करता है।

‘विश्लेषण से पता चला है कि 21 सेंटीमीटर हाइड्रोजन सिग्नल शुरुआती सितारों और आकाशगंगाओं की संख्या के बारे में जानकारी दे सकता है’ एक अन्य लेखक कैंब्रिज विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञान संस्थान की डॉ. अनास्तासिया फियाल्कोव ने साझा किया। हमारा विश्लेषण प्रकाश के पहले स्रोतों के कुछ प्रमुख गुणों की सीमाएं तय कर सकता है, जिसमें प्रारंभिक आकाशगंगाओं के द्रव्यमान और वो दक्षता जिससे ये आकाशगंगाएँ तारों का निर्माण कर सकती हैं, आदि शामिल हैं” फियाल्कोव ने कहा।

मार्च 2020 में अपनी अंतिम तैनाती के बाद से, सारस 3 को अपग्रेड की एक श्रृंखला से गुजारा गया है। इन सुधारों से 21-सेमी सिग्नल का पता लगाने की दिशा में और भी अधिक संवेदनशीलता प्राप्त होने की उम्मीद है। वर्तमान में, सारस टीम अपनी अगली तैनाती के लिए भारत में कई जगहों का आकलन कर रही है। “ये जगहें काफी दूरदराज में हैं और तैनाती के लिए लॉजिस्टिक से जुड़ी कई चुनौतियों सामने रखती हैं। हालाँकि, वे विज्ञान के हिसाब से आशाजनक हैं और नए अपग्रेड के साथ, हमारे प्रयोग के लिए आदर्श प्रतीत होते हैं” सारस टीम के एक सदस्य यश अग्रवाल ने जानकारी दी।

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