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प्रधानमंत्री 12 अप्रैल को राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 अप्रैल, 2023 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। पहली ट्रेन जयपुर से दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के बीच चलेगी। इस वंदे भारत एक्सप्रेस की नियमित सेवा 13 अप्रैल, 2023 से शुरू होगी और जयपुर, अलवर और गुड़गांव में स्टॉप के साथ अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच चलेगी।

नई वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली कैंट और अजमेर के बीच की दूरी 5 घंटे 15 मिनट में तय करेगी। इसी रूट की मौजूदा सबसे तेज ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली कैंट से अजमेर के लिए 6 घंटे 15 मिनट का समय लेती है। इस तरह नई वंदे भारत एक्सप्रेस उसी रूट पर चलने वाली मौजूदा सबसे तेज ट्रेन की तुलना में 60 मिनट तेज होगी।

अजमेर-दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस हाई राइज ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) क्षेत्र पर दुनिया की पहली सेमी हाई स्पीड पैसेंजर ट्रेन होगी। यह ट्रेन पुष्कर, अजमेर शरीफ दरगाह आदि सहित राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों की कनेक्टिविटी में सुधार करेगी। बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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तेलंगाना ने सब्जियों के अपशिष्‍ट से बिजली उत्‍पन्‍न की

 

बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी ने अपनी नवोन्‍मेषी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया है। प्रधानमंत्री ने मन की बात के एक एपिसोड के दौरान अपनी तरह की अनोखी जैव-विद्युत, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन परियोजना की प्रशंसा की। यह कहते हुए कि मंडी के अपशिष्‍ट को अब संपदा में परिवर्तित किया जा रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने देखा है कि सब्जी मंडियों में, सब्जियां कई कारणों से सड़ जाती हैं, जिससे अस्वास्थ्यकर स्थितियां उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। बहरहाल, हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के व्यापारियों ने अपशिष्‍ट सब्जियों से विद्युत उत्‍पन्‍न करने का निर्णय लिया। यह नवोन्‍मेषण की शक्ति है।’’

कुछ वर्ष पहले तक, सब्जियों के अपशिष्‍ट से विद्युत उत्पन्‍न करना दूर की बात होती, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी ने इसे वास्‍तविकता में बदल दिया है। बाजार में प्रतिदिन लगभग 10 टन अपशिष्‍ट एकत्र किया जाता है, जिन्‍हें पहले लैंडफिल के लिए उपयोग में लाया जाता था, लेकिन अब यह सब्जी मंडी के लिए बिजली का प्रमुख स्रोत है।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के सचिव श्रीनिवास ने रेखांकित किया कि इस मंडी से एकत्रित सब्जी और फलों के अपशिष्‍ट के प्रत्येक औंस का उपयोग लगभग 500 यूनिट बिजली और 30 किलो जैव ईंधन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। उत्पन्न विद्युत स्ट्रीटलाइट्स, 170 स्टालों, एक प्रशासनिक भवन और जल आपूर्ति नेटवर्क को बिजली प्रदान करती है, जबकि उत्पादित जैव ईंधन का उपयोग बाजार की व्यावसायिक रसोई में किया जाता है। बायोगैस संयंत्र को अब ‘‘सतत भविष्य का मार्ग’’ कहा जाता है। मंडी में कैंटीन का संचालन स्थापित संयंत्र के माध्‍यम से उत्पन्न विद्युत द्वारा किया जाता है। मंडी यार्ड में 650-700 यूनिट बिजली की आवश्यकता होती है और औसतन 400 यूनिट बिजली का उत्पादन करने के लिए लगभग 7-8 टन सब्जी अपशिष्‍ट की जरूरत होती है। इसके परिणामस्‍वरूप, मंडी का स्‍थान भी स्‍वच्‍छ और प्रदूषण मुक्त रहता है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी संयंत्र का दौरा किया है और हमारे प्रयासों की सराहना की है।’’

बोवेनपल्ली का वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट महिलाओं के लिए अपशिष्‍ट को छांटने और उन्‍हें अलग करने, मशीनरी का संचालन करने और प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करने जैसी विभिन्‍न भूमिकाओं में काम करने के अवसर प्रदान करके उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराता है। यह संयंत्र महिला श्रमिकों को कौशल विकास के अवसर के साथ-साथ एक निरंतर आय भी उपलब्‍ध कराता है।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी की एक महिला कर्मचारी रुक्मिणी देवम्मा कहती हैं, “बायो-गैस संयंत्र लगने से हमें अपने काम के लिए अच्छा भुगतान किया जा रहा है। हमें सभी आवश्यक सुरक्षा गियर जैसे मास्क, गम बूट, दस्ताने आदि भी दिए गए हैं। इस तरह सुरक्षित माहौल मिलने के बाद हम दूसरों को भी अपने साथ जुड़ने और काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।’’

बोवेनपल्ली बाजार के अधिकारियों के अनुसार, प्रतिदिन औसतन 10 टन अपशिष्‍ट उत्पन्न होता है। इस अपशिष्‍ट में प्रतिवर्ष लगभग 6,290 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्‍साइड उत्पन्न करने की क्षमता है जो पर्यावरण के लिए अधिक हानिकारक हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के अधिकारियों ने इस अपशिष्‍ट को ऊर्जा में बदलने का निर्णय किया।

बोवेनपल्ली का बायोगैस संयंत्र

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी और आस-पास के यार्डों में उत्पन्न अपशिष्ट (सड़ी हुई और न बिकने वाली सब्जियां) शहर भर से एकत्र किया जाता है। सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और कन्वेयर बेल्ट के ऊपर से श्रेडर तक चलाया जाता है। इसके बाद अपशिष्‍ट को कतरने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जहां सभी सब्जियों को छोटे और समान आकार में क्रश कर दिया जाता है और ग्राइंडर में डाल दिया जाता है। यह ग्राइंडर सामग्री को लुगदी में और क्रश कर देती है, जिसे घोल भी कहा जाता है और उन्हें अवायवीय डाइजेस्टर्स में डाल दिया जाता है।

उत्पन्न गैस को एकत्र किया जाता है और अगले उपयोग तक बैलून में भंडारित किया जाता है। जैव खाद गैस के अतिरिक्त उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। एक अलग टैंक में, बायोगैस एकत्र किया जाता है और खाना पकाने के लिए पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से भेजा जाता है। जैव ईंधन को फिर 100 प्रतिशत बायोगैस जनरेटर में आपूर्ति की जाती है जिसका उपयोग कोल्ड स्टोरेज कमरे, पानी के पंप, दुकान, स्ट्रीट लाइट आदि को बिजली देने के लिए किया जाता है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कृषि विपणन तेलंगाना विभाग, गीतानाथ (2021) द्वारा वित्त पोषित बायोगैस संयंत्र सीएसआईआर-आईआईसीटी (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान) के मार्गदर्शन और पेटेंट प्रौद्योगिकी के तहत स्थापित किया गया था, जिसे हैदराबाद स्थित आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निष्‍पादित किया गया था।

प्रभाव

प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले लगभग 30 किलोग्राम जैव-ईंधन की आपूर्ति इकाई के पास रसोई की सुविधाओं के लिए की जाती है। प्रशासनिक भवन, मंडी जलापूर्ति नेटवर्क, लगभग 100 स्ट्रीट लाइट और मंडी के 170 स्टॉल द्वारा 400-500 यूनिट बिजली का उपयोग किया जा रहा है।

यह बायोगैस इकाई बिजली के बिल को आधे से कम करने में मदद करती है (पहले औसतन 3 लाख रुपये प्रति माह)। तरल जैविक खाद का उपयोग किसानों के खेतों में उर्वरक के रूप में किया जा रहा है। इसकी दक्षता प्राप्‍त करने के बाद जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उत्‍पन्‍न मंडी अपशिष्‍ट के लिए उपयुक्‍त अलग-अलग क्षमताओं के साथ विभिन्‍न मंडी यार्डों में पांच और समान प्रकार के संयंत्र (गुडीमलकापुर, गद्दीनाराम -5 टन /प्रतिदिन, एर्रागड्डा, अलवल, सर्रोरनगर – 500 किलोग्राम /प्रतिदिन) स्थापित करने के लिए और वित्तपोषण की घोषणा की।

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में अपशिष्‍ट को ऊर्जा में परिवर्तित करने की इस नवोन्‍मेषी प्रक्रिया ने जैव ईंधन उत्पन्न करने के लिए एक टिकाऊ प्रणाली के उपयोग के बारे में व्‍यापक स्‍तर पर जागरूकता उत्‍पन्‍न की है, साथ ही, यह अधिक से अधिक शहरों को शहरी परिदृश्य के रूपांतरण के लिए समान प्रकार की परियोजनाओं को आरंभ करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।

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पिछले 9 सालों में 2000 से अधिक अप्रचलित नियम-कानून समाप्‍त किए गए : केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने आज कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने शासन की सरलता तथा व्‍यवसाय की सुगमता के लिए 2,000 से अधिक नियमों और कानूनों को समाप्‍त कर दिया है।

आज यहां यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) द्वारा आयोजित ‘कृतज्ञता समारोह’ में यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) पुरस्कार प्रदान करने के बाद मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए,डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि पहले की सरकारों के विपरीत, जो यथास्थितिवादी दृष्टिकोण में विश्‍वास करती थीं, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ऐसे नियमों को खत्‍म करने के लिए साहस और दृढ़ विश्वास का प्रदर्शन किया है जो नागरिकों के लिए असुविधा उत्‍पन्‍न कर रहे थे और जिनमें से कई ब्रिटिश राज के समय से बने हुए थे। उन्होंने कहा कि सुशासन का अंतिम उद्देश्य नागरिकों के जीवन को सरल बनाना है।

डॉ. सिंह ने यशराज भारती सम्मान (वाईबीएस) स्थापित करने और विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए असाधारण कार्यों को सम्‍मानित करने के लिए यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि जिन तीन श्रेणियों अर्थात स्वास्थ्य सेवा में नवोन्‍मेषण, लोगों के जीवन को रूपांतरित करना और नैतिक शासन में पुरस्कार प्रदान किए गए हैं, वे हमेशा से प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताएं रही हैं।

डॉ. सिंह ने स्‍मरण किया कि मई 2014 में सरकार के सत्ता में आने के शीघ्र बाद, दो से तीन महीने के भीतर, राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रमाणित प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद,एक वर्ष के भीतर प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से रोजगार भर्ती में साक्षात्कार को समाप्त करने की बात कही, जिससे कि सबको समान अवसर उपलब्‍ध कराया जा सके। पेंशन में फेस रिकॉग्निशन प्रौद्योगिकी लागू की गई, जिससे किवरिष्‍ठ नागरिकों को जीवन प्रमाण पत्र बनवाने की थकाने वाली प्रक्रिया से न गुजरना पड़े। अधिकांश कामकाज को ऑनलाइन में परिवर्तित कर दिया गया और पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता लाने के लिए मानव इंटरफेस को ईष्‍टतम कर दिया गया।

शिकायत निवारण की चर्चा करते हुए, डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि शिकायत निवारण तंत्र को सीपीजीआरएएमएस में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप इस सरकार के आने से पहले हर वर्ष सिर्फ 2 लाख की तुलना में अब प्रत्‍येक वर्ष लगभग 20 लाख शिकायतें प्राप्त होती हैं, क्योंकि इस सरकार ने एक समयबद्ध निवारण की नीति और लोगों का विश्वास अर्जित किया।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी और टेलीमेडिसिन के उपयोग ने प्रदर्शित किया कि किस प्रकार नवोन्‍मेषण दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा उपलब्‍ध करा सकता है।

इस सरकार ने न केवल प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेषण को बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी नए नवोन्‍मेषण आरंभ करने के लिए स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया और इस प्रकार नागरिकों के जीवन को रूपांतरित किया है।

डॉ.जितेन्‍द्र सिंह ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्‍त की कि पहले हमारी प्राथमिकताएं अनुपयुक्‍त थीं और सत्तर साल तक ये अनुपयुक्‍त बनी रहीं क्योंकि हम यथास्थितिवादी सरकारों द्वारा शासित थे। 9 साल में पहली बार इन्‍हें दुरुस्‍त करने की कोशिश की जा रही हैजिन्‍हेंपहले के वर्षों में ही दुरुस्‍त कर दिया जाना चाहिए था।उन्होंने प्रधानमंत्री के संदेश को देश के प्रत्‍येक घर तक ले जाने की यशराज रिसर्च फाउंडेशन (वाईआरएफ) की कोशिशों पर प्रसन्नता जताई।

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गडकरी ने जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा के साथ लद्दाख के लिए प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बन रही एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल का निरीक्षण किया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों की उपस्थिति में लद्दाख के लिए प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बन रही एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल व जम्मू और कश्मीर में निर्माणाधीन एक अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना का निरीक्षण किया।

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जम्मू और कश्मीर में 25000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ 19 सुरंगों का निर्माण-कार्य किया जा रहा है। इस ढांचागत कार्यक्रम के तहत जोजिला में 6800 करोड़ रुपये की लागत से 13.14 किलोमीटर लंबी सुरंग और इसके साथ एक उप-सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह 7.57 मीटर ऊंची घोड़े की नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब व द्वि-दिशात्मक सुरंग है, जो कश्मीर में गांदरबल तथा लद्दाख के कारगिल जिले में द्रास शहर के बीच हिमालयन क्षेत्र स्थित जोजिला दर्रे के नीचे से गुजरेगी। इस विशेष परियोजना में एक स्मार्ट टनल (पर्यवेक्षी नियंत्रण एवं डाटा अधिग्रहण प्रणाली) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है और इस सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का उपयोग करके किया जा रहा है। यह सुरंग सीसीटीवी, रेडियो कंट्रोल, निर्बाध बिजली आपूर्ति और वायु-संचार जैसी आवश्यक सुविधाओं से लैस है। भारत सरकार द्वारा इस परियोजना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने से इसे 5000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है।

जोजिला सुरंग परियोजना के तहत बनने वाली मुख्य जोजिला टनल 13,153 मीटर लंबी है और इसमें 810 मीटर की कुल लंबाई के 4 पुलिया निर्धारित हैं, 4,821 मीटर की कुल लंबाई की 4 नीलग्रार सुरंगें, 8 कट जो 2,350 मीटर की कुल लंबाई को और तीन कट 500 मीटर को कवर करते हैं, इसके अलावा 391 मीटर तथा 220 मीटर के ऊर्ध्वाधर वेंटिलेशन शाफ्ट लगाया जाना प्रस्तावित हैं। अभी तक जोजिला सुरंग का 28 प्रतिशत कार्य खत्म हो चुका है।

इस सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो जाने से लद्दाख के लिए हर मौसम में सड़क संपर्क सुविधा स्थापित हो जाएगी। वर्तमान समय में सामान्य मौसम के दौरान जोजिला दर्रे को पार करने के लिए औसत यात्रा अवधि में कभी-कभी तीन घंटे लग जाते हैं, लेकिन इस सुरंग के पूर्ण रूप से बन जाने के बाद सफर का समय घटकर सिर्फ 20 मिनट रह जाएगा। यात्रा के समय में कमी आने से कोई संदेह नहीं है कि ईंधन की बचत भी होगी।

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जोजिला दर्रे के पास का इलाका बेहद कठिन है और यहां पर हर वर्ष कई जानलेवा दुर्घटनाएं हो जाती हैं। जोजिला सुरंग का कार्य पूरा हो जाने के बाद दुर्घटनाओं की संभावना नगण्य हो जाएगी। एक बार संचालन शुरू होने के बाद यह सुरंग कश्मीर घाटी और लद्दाख के बीच प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुविधा सुनिश्चित करेगी, जो लद्दाख के विकास तथा पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय व्यापारिक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही और आपात स्थिति में भारतीय सशस्त्र बलों की गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

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गडकरी ने 6 लेन वाले 212 किलोमीटर लंबे दिल्ली-देहरादून ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे का निरीक्षण किया, जिसकी लागत 12,000 करोड़ रुपये है

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने आज केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री जनरल वीके सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में 6 लेन वाले 212 किलोमीटर लंबे दिल्ली-देहरादून ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे का निरीक्षण किया, जिसकी लागत 12,000 करोड़ रुपये है।

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यह एक्सप्रेसवे चार खंडों में विभाजित है और इसका निर्माण दिल्ली में अक्षरधाम के पास से शुरु होकर शास्त्री पार्क, खजूरी खास, मंडोला के खेकड़ा में ईपीई इंटरचेंज, बागपत, शामली, सहारनपुर उत्तर प्रदेश से होकर उत्तराखंड के देहरादून तक किया जा रहा है। देहरादून के दतकाली में 1,995 करोड़ रुपये की लागत से 340 मीटर लंबी 3 लेन वाली सुरंग का निर्माण भी किया जा रहा है।

इस कॉरिडोर के निर्माण में अनेक प्रकार के विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसमें गणेशपुर से देहरादून तक मार्ग को वन्यजीवों के लिए सुरक्षित रखा गया है। इसमें 12 किलोमीटर एलिवेटेड रोड, 6 पशु अंडरपास, 2 हाथी अंडरपास, 2 बड़े पुल और 13 छोटे पुलों का प्रावधान है। पूरे एक्सप्रेसवे में 113 वीयूपी (वाहन अंडर पास), एलवीयूपी (हल्के वाहन अंडर पास), एसवीयूपी (छोटे वाहन अंडर पास), 5 आरओबी, 4 बड़े पुल और 62 बस शेल्टर का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही, 76 किलोमीटर सर्विस रोड, 29 किलोमीटर एलिवेटेड रोड और 16 प्रवेश-निकास बिंदु का भी निर्माण किया जा रहा है।

यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली-देहरादून एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर 12 सड़क सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। इस राजमार्ग को हरिद्वार से जोड़ने के लिए 2,095 करोड़ रुपये की लागत से 6 लेन वाले 51 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड सड़क का निर्माण किया जा रहा है।

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रोजगार मेले के तहत प्रधानमंत्री 13 अप्रैल को सरकारी विभागों और संगठनों में भर्ती हुए नवनियुक्त कर्मियों को लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 13 अप्रैल, 2023 को सुबह 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 71,000 नवनियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री इन नवनियुक्त कर्मियों को संबोधित भी करेंगे।

यह रोजगार मेला, रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक कदम है। उम्मीद है कि रोजगार मेला, और रोजगार सृजन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा तथा युवाओं को उनके सशक्तिकरण और राष्ट्रीय विकास में भागीदारी के लिए सार्थक अवसर प्रदान करेगा।

देश भर से चुने गए नवनियुक्त कर्मियों को भारत सरकार के तहत ट्रेन मैनेजर, स्टेशन मास्टर, वरिष्ठ वाणिज्यिक लिपिक सह टिकट लिपिक, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल, स्टेनोग्राफर, कनिष्ठ लेखापाल, डाक सहायक, इनकम टैक्स इंस्पेक्टर, टैक्स सहायक, सीनियर ड्राफ्ट्समैन, जेई/सुपरवाइजर, सहायक प्रोफेसर, शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष, नर्स, परिवीक्षा अधिकारी, पीए, एमटीएस और अन्य जैसे पदों पर कार्य करने के लिए शामिल किया जाएगा।

नवनियुक्त कर्मियों को ‘कर्मयोगी प्रारंभ’ के माध्यम से स्वयं को प्रशिक्षित करने का अवसर भी मिलेगा, जो विभिन्न सरकारी विभागों में सभी नवनियुक्त कर्मियों के लिए एक ऑनलाइन उन्मुखीकरण पाठ्यक्रम है।

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रक्षा मंत्री ने पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास को और अधिक सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली में 31वीं केंद्रीय सैनिक बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 11 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में केंद्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी) की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की। केएसबी केंद्र सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की शीर्ष संस्था है। इसे पूर्व सैनिकों (ईएसएम) के कल्याण और पुनर्वास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। बैठक में नीतिगत उपायों के माध्यम से पूर्व सैनिकों तक पहुंचने के बारे में विचार-विमर्श किया गया ताकि पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास को और अधिक सुनिश्चित किया जा सके।

श्री राजनाथ सिंह ने अपने मुख्य भाषण में पूर्व सैनिकों को राष्ट्रीय संपत्ति बताया और देश के लाभ के लिए उनके समृद्ध तथा व्यावहारिक अनुभव का उपयोग करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से नए तौर-तरीके बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए नौकरियों में आरक्षण है, जिसका पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए और निगरानी की जानी चाहिए।

रक्षा मंत्री ने इस तथ्य की सराहना की कि केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों ने सैनिकों के कल्याण के लिए हमेशा एक साथ काम किया है। उन्होंने केएसबी द्वारा किए जा रहे कार्यों को सहकारी संघवाद का ज्वलंत उदाहरण बताया। “राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच अनेक विषयों पर मतभेद हैं। यह सब लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जब बात सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण की आती है तो सभी एक साथ आ जाते हैं। हमारे सैनिकों को लेकर हमेशा सामाजिक और राजनीतिक सहमति रही है। सशस्त्र बल समान रूप से पूरे देश की रक्षा करते हैं। यह हमारी राष्ट्रीय और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज में वापस जाने वाले हमारे सैनिक सम्मानित जीवन जीएं।”

सशस्त्र बलों को युवा रखने के लिए बड़ी संख्या में सैनिक 35-40 वर्ष की आयु में सम्मानपूर्वक सेवा मुक्त हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप वर्तमान 34 लाख पूर्व सैनिकों की संख्या में लगभग 60,000 सैनिक प्रति वर्ष जुड़ जाते हैं। श्री राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति सरकार के अटल संकल्प की बात की और पूर्व सैनिकों के कल्याण तथा विकास को सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए अनेक कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में केएसबी की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लगभग 3.16 लाख लाभार्थियों को लगभग 800 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। पिछले वित्त वर्ष में एक लाख लाभार्थियों को लगभग 240 करोड़ रुपए दिए गए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आवश्यक बजट प्रदान किया जा रहा है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि पैराप्लैजिक पुनर्वास केंद्र, किर्की, चेशर होम, मोहाली तथा देहरादून, लखनऊ और दिल्ली सहित देश के 36 युद्ध स्मारक अस्पतालों को संस्थागत अनुदान दिये गये हैं। उन्होंने दोहराया कि पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) सुविधाओं की नियमित आधार पर समीक्षा की जा रही है।

वर्तमान में 30 क्षेत्रीय केंद्र तथा 427 पोलीक्लीनिक कार्यरत हैं। 75 टाइप-सी और डी पोलीक्लीनिकों की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है और पहुंच बढ़ाने के लिए वीडियो प्लेटफॉर्म, सेहत ओपीडी लॉन्च किया गया। विभिन्न स्थानों पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे नए गुणवत्ता संपन्न अस्पतालों को पैनल में शामिल किया जा रहा है। लाभार्थियों को दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दवा खरीदने की प्रक्रिया आसान बनाई जा रही है।

श्री राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिकों तक पहुंचने के लिए विशेष जागरूकता तथा आउटरिच कार्यक्रमों की जानकारी दी। पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास के सामूहिक प्रयास में नागरिकों तथा कारपोरेट सेक्टर को शामिल करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं में आवेदन से लेकर वितरण तक की प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित है।

रक्षा मंत्री ने सीमा की सुरक्षा और समय पर, विशेषकर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, कार्य करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त होने के बाद मातृभूमि की सेवा करने का भाव बनाए रखने के लिए पूर्व सैनिकों की सराहना की। उन्होंने अनेक अवसरों, विशेषकर कोविड-19 महामारी के विरुद्ध देश की लड़ाई के दौरान, पूर्व सैनिकों द्वारा किए गए मूल्यवान योगदान को रेखांकित किया। पूर्व सैनिकों ने देश के विभिन्न भागों में जरूरतमंद लोगों को दवाएं, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर तथा अन्य राहत सामग्री प्रदान करने में सरकार के प्रयासों में सहायता दी थी।

बैठक के एजेंडे में सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस समारोह का दायरा बढ़ाने के उपाय, पूर्व सैनिक (ईएसएम) समुदाय में गर्व की भावना बढ़ाने, सशस्त्र सेना झंड़ा दिवस कोष के अंतर्गत अनुदानों में वृद्धि, सशस्त्र बल कर्मियों को राज्य लाभ/अनुदान प्रदान करने में एकरूपता, संबंधित राज्यों में ईएसएम कारपोरेशन की स्थापना तथा सबसे अच्छा कार्य प्रदर्शन करने वाले राज्य सैनिक बोर्ड के लिए पुरस्कार का गठन शामिल रहे। श्री राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त की कि सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन रक्षा (एसपीएआरएसएच-स्पर्श) पूर्व सैनिकों की पेंशन से संबंधित समस्याओं को सुलझाने में सफल होगी। उन्होंने राज्य सरकारों से पूर्व सैनिकों के साथ-साथ सेवारत कर्मियों के भूमि विवादों को सुलझाने में उच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

विचार-विमर्श में विभिन्न राज्यों के मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरिकुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) श्री विजय कुमार सिंह, केएसबी के सचिव कॉमोडोर एच.पी. सिंह, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया।

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प्रधानमंत्री ने युवाओं से सीमावर्ती गांवों में जाने का आग्रह किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सभी से, विशेषकर भारत के युवाओं से सीमावर्ती गांवों में जाने का आग्रह किया है।

श्री मोदी ने कहा कि यह हमारे युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराएगा और उन्हें वहां रहने वालों के आतिथ्य का अनुभव करने का अवसर देगा।

एक ट्वीट में अमृत महोत्सव के ट्वीटर हैंडल ने बताया कि ओडिशा के युवा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत किबिथू और तूतिंग गांवों के दौरे पर हैं।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम युवाओं को इस पूर्वोत्तर क्षेत्र की जीवन शैली, जनजातियों, लोक संगीत और हस्तशिल्प के बारे में जानने तथा इसके स्थानीय जायके और प्राकृतिक सुंदरता में खुद को तल्लीन करने का अवसर दे रहा है।

अमृत महोत्सव के ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

“एक यादगार अनुभव रहा होगा। मैं दूसरों से, विशेष रूप से भारत के युवाओं से सीमावर्ती गांवों का दौरा करने का आग्रह करूंगा। यह हमारे युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराएगा और उन्हें वहां रहने वालों के आतिथ्य का अनुभव करने का अवसर देगा।

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वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पर 35.7 लाख रिक्तियों का पंजीकरण

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय जॉब मैचिंग, कैरियर काउंसलिंग, व्यावसायिक मार्गदर्शन, कौशल विकास पाठ्यक्रमों, इंटर्नशिप आदि की जानकारी जैसी विभिन्न प्रकार की रोजगार संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय रोजगार सेवा में परिवर्तन के लिए एक मिशन मोड परियोजना के रूप में राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) परियोजना को लागू कर रहा है। एनसीएस के तहत सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जो 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई थीं।

एनसीएस पोर्टल ने जुलाई, 2015 में लॉन्च होने के बाद से वर्ष 2022-23 के दौरान सबसे अधिक रिक्तियां दर्ज की हैं। नियोक्ताओं द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग 35.7 लाख रिक्तियों की सूचना दी गई है, जबकि 2021-22 में लगभग 13 लाख रिक्तियां थीं। 2022-23 में एनसीएस पर रिक्तियों की रिपोर्टिंग में 2021-22 की तुलना में 175 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, वर्ष 2022-23 में भी 30 अक्टूबर, 2022 को 5.3 लाख से अधिक की सर्वाधिक सक्रिय रिक्तियां देखी गईं।

एनसीएस पर रिक्ति पोस्टिंग में सभी क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है। वित्त और बीमा क्षेत्र ने 800 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व वृद्धि दिखाई है और 2021-22 में 2.2 लाख रिक्तियों की तुलना में 2022-23 के दौरान 20.8 लाख रिक्तियां दर्ज की हैं। संचालन और सहायता क्षेत्र में रिक्तियों ने भी 2022-23 में 3.75 लाख रिक्तियों के साथ 400 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि 2021-22 में यह संख्या 76 हजार थी। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान ‘होटलखाद्य सेवा और खानपान‘, ‘विनिर्माण‘, ‘स्वास्थ्य‘, ‘शिक्षा आदि क्षेत्रों में रिक्तियों में भी काफी वृद्धि हुई है।

वर्ष 2022-23 के दौरान, एनसीएस पोर्टल ने लॉन्च के बाद से 1 मिलियन से अधिक नियोक्ताओं को पंजीकृत करने की उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2022-23 में कुल पंजीकृत नियोक्ताओं में से 8 लाख से अधिक नियोक्ता पंजीकृत थे। नियोक्ताओं का अधिकतम पंजीकरण सेवा क्षेत्र (6.5 लाख) से हुआ, जिसके बाद विनिर्माण क्षेत्र के नियोक्ताओं का पंजीकरण हुआ।

एनसीएस पोर्टल पर उपलब्ध सभी सेवाएं नौकरी चाहने वालों, नियोक्ताओं, प्रशिक्षण प्रदाताओं और प्लेसमेंट संगठनों सहित सभी हितधारकों के लिए निःशुल्क हैं।

 

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गडकरी ने जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ सभी मौसम में जम्मू और श्रीनगर के बीच कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बनाए जा रहे जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल से श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 44) के श्रीनगर-बनिहाल सेक्शन का निरीक्षण किया

केंद्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, केंद्रीय राज्य मंत्री (डॉ.) वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त) तथा केंद्रीय राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह के साथ जम्मू-कश्मीर के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बनाए जा रहे जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल से श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 44) के श्रीनगर-बनिहाल सेक्शन का निरीक्षण किया।

जम्मू और श्रीनगर के बीच आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 35,000 करोड़ रुपए की लागत से तीन कोरिडोर बनाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गग जम्मू से उधमपुर-रामबन-बनिहाल और आगे श्रीनगर तक के पहले कोरिडोर में श्रीनगर से बनिहाल तक का सेक्शन शामिल है। 250 किलोमीटर लंबी यह सड़क 16,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही है। इसमें से 210 किलोमीटर का चार लेन का मार्ग पूरा हो गया है, जिसमें 21.5 किलोमीटर की 10 सुरंगें शामिल हैं।

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इस सड़क का चार लेन का डिजाइन जियो-टेक्नीकल तथा जियोलॉजिकल जांच के आधार पर तैयार किया गया है, ताकि इस क्षेत्र में संभावित भू-स्खलन से निपटा जा सके। जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा को सुरक्षित तथा सहज बनाने के लिए क्रैश बेरियर और अन्य सड़क सुरक्षा उपाय किए गए हैं।

इस मार्ग के बनने से जम्मू और श्रीनगर के बीच सभी मौसम में कनेक्टिविटी होगी। श्रीनगर से जम्मू का यात्रा समय 9-10 घंटे से कम होकर 4-5 घंटे रह जाएगा। जून 2024 तक रामबन और बनिहाल के बीच 40 किलोमीटर की चार लेन सड़क का केरिज-वे तैयार हो जाएगा, जिससे श्रीनगर के आने-जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी।

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