केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डीजीएचएस डॉ. अतुल गोयल ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ भीषण गर्मी की स्थिति से जुड़ी तैयारियों और देश भर में विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों द्वारा अपनाए गए अग्नि और विद्युत सुरक्षा उपायों का आकलन करने के लिए एक वर्चुअल बैठक की।
27 मई 2024 को आईएमडी द्वारा जारी दीर्घकालिक पूर्वानुमान के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि जून 2024 में दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों, जहां तापमान सामान्य या सामान्य से कम रहने की संभावना है, के अलावा देश के अधिकांश हिस्सों में मासिक अधिकतम तापमान, सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। जून के दौरान, उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश क्षेत्रों और मध्य भारत के आसपास के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है।
राज्य स्वास्थ्य विभागों को निम्नलिखित निर्देश भेजे गए हैं:
· राज्य स्वास्थ्य विभागों के लिए परामर्श, गर्मी से संबंधित बीमारियों (एचआरआई) के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी को मजबूत करने पर दिशा-निर्देश।
· क्या करें और क्या न करें तथा आईईसी पोस्टर टेम्पलेट के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य परामर्श।
· भीषण गर्मी से संबंधित बीमारियों के लिए आपातकालीन शीतलन पर दिशा-निर्देश।
· देश भर के सभी एम्स और मेडिकल कॉलेजों में गर्मी से हुई मौतों में शव परीक्षण निष्कर्षों पर दिशा-निर्देश प्रसारित किए गए।
· सचिव (स्वास्थ्य), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एनडीएमए के द्वारा संयुक्त संचार तथा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के द्वारा स्वास्थ्य सुविधा केंद्र अग्नि सुरक्षा उपायों पर संचार।
· गर्मी के स्वास्थ्य प्रभावों को रोकने और प्रबंधित करने के लिए स्वास्थ्य सुविधा और एम्बुलेंस की तैयारी के आकलन के लिए सूची।
23 मार्च 2024 को भेजे गए एक पत्र के माध्यम से, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भीषण गर्मी के कारण होने वाली विनाशकारी घटनाओं को रोकने के लिए सक्रिय उपाय करने का अनुरोध किया गया है। इसके बाद 29 मई 2024 को अग्नि सुरक्षा के संबंध में सभी निवारक उपाय करने के लिए एक और पत्र भेजा गया है।
बैठक में राज्य/संघ शासित प्रदेशों द्वारा उठाए जाने वाले निम्नलिखित कदमों और उपायों को दोहराया गया:
· हीट हेल्थ एक्शन प्लान का क्रियान्वयन।
· भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी भीषण गर्मी की प्रारंभिक चेतावनी का प्रसार।
· एचआरआई की रोकथाम और प्रबंधन के लिए सभी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केंद्रों और एम्बुलेंस की तैयारियों का आकलन
· आईएचआईपी पर भीषण गर्मी से संबंधित बीमारी और मृत्यु निगरानी व्यवस्था को मजबूत करना।
· सभी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों में समर्पित हीट स्ट्रोक रूम।
· स्वास्थ्य सलाह जारी करना और आईईसी गतिविधियों की योजना बनाना।
· एचआरआई लक्षणों, मामले की पहचान, नैदानिक प्रबंधन, आपातकालीन शीतलन और निगरानी रिपोर्टिंग पर स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों के चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को संवेदनशील बनाना और उनका क्षमता निर्माण करना।
· अत्यधिक गर्मी के खिलाफ स्वास्थ्य सुविधा सुदृढ़ता।
· एचआरआई-केंद्रित सामूहिक सभा/खेल आयोजन की तैयारी।
· संभावित रूप से कमजोर क्षेत्रों की पहचान करने के लिए नियमित रूप से निवारक अग्नि जोखिम मूल्यांकन अभ्यास आयोजित करना।
· अग्नि रोकथाम के सटीक उपायों को लागू करना, जैसे ज्वलनशील पदार्थों का उचित भंडारण और विद्युत सर्किट व प्रणालियों का नियमित और बेहतर निवारक रखरखाव।
· अग्नि सुरक्षा दिशानिर्देश, निकासी प्रक्रियाओं और अग्निशमन उपकरणों के उपयोग पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
· धुआं उठने पर चेतावनी, अग्निशामक यंत्र और स्प्रिंकलर सहित अग्नि का पता लगाने और रोकने की प्रणालियों की स्थापना और इष्टतम रखरखाव।
· आग लगने की अप्रिय घटना में रोगियों, कर्मचारियों और आगंतुकों को निकालने के लिए एसओपी के साथ एक आपातकालीन उपाय योजना की स्थापना।
· सबसे महत्वपूर्ण बात, बिना किसी लापरवाही के नियमित रूप से आपातकालीन स्थिति से संबंधित पूर्वाभ्यास का संचालन।
राज्य स्तरीय तैयारी:
यह जानकारी दी गयी कि सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के उच्चतम स्तर के अधिकारी स्थिति की कड़ी निगरानी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा दुर्घटनाओं पर पूर्वाभ्यास किये हैं। अग्नि सुरक्षा के बारे में पूर्वाभ्यास आयोजित करने के लिए शहरी प्रशासन और इंजीनियरिंग विभागों का समन्वय किया गया है। कोड रेड प्रोटोकॉल भी जारी किया गया है। ओडिशा में पूरे राज्य में हीट वेव कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए दस्तक (घर-घर जाकर) अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में लगभग सभी स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में अग्नि सुरक्षा अधिकारियों की पहचान की गई है। हरियाणा ने सभी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों में आवश्यक दवाओं और लॉजिस्टिक्स सुनिश्चित करने के लिए समर्पित वित्तीय आवंटन किया है। राजस्थान में 104 और 108 से जुड़ी एंबुलेंस सेवाओं में कूलिंग उपकरण लगाए गए हैं। पश्चिम बंगाल में अग्निशमन विभाग से अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र सुनिश्चित किए जा रहे हैं और मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। बिहार में स्वास्थ्य सेवा सुविधा केन्द्रों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ समन्वय जारी है। दिल्ली ने भी सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को अग्निशमन व्यवस्था के लिए निर्देश और एसओपी जारी किए हैं। यदि छोटे सुविधा केन्द्रों में अग्नि एनओसी उपलब्ध नहीं है, चाहे वह सरकारी हो या निजी संस्थान, तो अग्नि निकासी योजना और अग्निशमन व्यवस्था को बनाए रखना अनिवार्य कर दिया गया है।