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पुणे-सतारा राजमार्ग (एनएच-4) के खंभातकी घाट पर नई 6-लेन सुरंग की परियोजना मार्च, 2023 तक पूरा होने की संभावना

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर यह बताया कि पुणे-सतारा राजमार्ग (एनएच-4) पर खंभातकी घाट पर नई 3 लेन वाली एक जोड़ी यानी कुल 6-लेन की सुरंग है और वर्तमान में यह पूरी गति से निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि सतारा-पुणे दिशा में मौजूदा ‘एस’ घुमाव (कर्व) को जल्द ही पूरा किया जाएगा, जिससे दुर्घटना के जोखिम में भारी कमी आएगी। 6.43 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की कुल पूंजीगत लागत लगभग 926 करोड़ रुपये है और इसके मार्च, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज हमारा देश अभूतपूर्व ढांचागत परिवर्तन देख रहा है और ‘कनेक्टिविटी (संपर्क) के माध्यम से समृद्धि’ का प्रसार हो रहा है। उन्होंने कहा कि नए भारत को विश्व स्तरीय अवसंरचना की मांग है।

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गडकरी ने कहा कि यह सुरंग कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यात्रियों को उनके वैल्यू ओवर टाइम (वीओटी) और वैल्यू ओवर कॉस्ट (वीओसी) बचत के माध्यम से सीधा लाभ प्रदान करेगा। मंत्री ने आगे बताया कि पुणे-सतारा और खंभातकी घाट से होते हुए सतारा-पुणे की औसत यात्रा का समय क्रमश: 45 मिनट और 10 से 15 मिनट है। वहीं, इस सुरंग के पूरा हो जाने से औसत यात्रा का यह समय घटकर 5 से 10 मिनट रह जाएगा।

 

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प्रधानमंत्री कल वाराणसी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल 07 जुलाई 2022 को वाराणसी में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के  विश्वविद्यालयों के 300 से अधिक कुलपतियों और निदेशकों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं के साथ-साथ उद्योग के प्रतिनिधियों को भी यह  विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ एक मंच पर लाएगा कि पिछले दो वर्षों में कई पहलों के सफल कार्यान्वयन के बाद देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन को कैसे और आगे बढ़ाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने में रणनीतियों, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा, विचार-विमर्श और अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए अग्रणी भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एचईआई) के लिए एक मंच प्रदान करेगा। शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ मिलकर अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एग्जिट, उच्च शिक्षा में बहु अनुशासन और लचीलापन, ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विनियम, वैश्विक मानकों के साथ इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को संशोधित करने, बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने तथा  भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने और दोनों को शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने, कौशल शिक्षा को मुख्य धारा में लाने एवं आजीवन सीखने को बढ़ावा देने जैसी कई नीतिगत पहलों  को शुरू किया है। कई विश्वविद्यालय पहले ही इस कार्यक्रम को अपना चुके हैं, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे हैं जिनके लिए इन परिवर्तनों को अपनाना और उनके अनुकूल होना बाकी है। चूंकि देश में उच्च शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केंद्र, राज्यों और निजी संस्थाओं तक फैला हुआ है, इसलिए नीति कार्यान्वयन को और आगे ले जाने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। परामर्श की यह प्रक्रिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने पिछले महीने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मुख्य सचिवों के एक सेमिनार को संबोधित किया था जहां राज्यों ने इस मुद्दे पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। इस संबंध में परामर्शों की श्रृंखला में वाराणसी शिक्षा समागम की अगली कड़ी है। 7 से 9 जुलाई तक चलने वाले तीन दिनों के इस समागम के  कई सत्रों में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा होगी । इस शिखर सम्मेलन से विचारोत्तेजक चर्चाओं के लिए एक ऐसा मंच मिल सकने  की उम्मीद है जो कार्ययोजना और कार्यान्वयन रणनीतियों को स्पष्ट करने के अलावा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और अंतःविषय विचार-विमर्श के माध्यम से एक नेटवर्क का निर्माण करने के साथ- साथ शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेगा और उचित समाधानों को स्पष्ट करेगा। अखिल भारतीय शिक्षा समागम का मुख्य आकर्षण उच्च शिक्षा पर वाराणसी घोषणा को स्वीकार करना होगा जो उच्च शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए भारत की विस्तारित दृष्टि और नए सिरे से उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा।

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जून 2022 में कोयला उत्पादन 32.57 प्रतिशत बढ़कर 67.59 मिलियन टन हो गया

भारत का कोयला उत्पादन जून 2021 की तुलना में जून, 2022 के दौरान 50.98 एमटी से 32.57 प्रतिशत बढ़कर 67.59 मिलियन टन (एमटी) हो गया। कोयला मंत्रालय के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष जून के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कोयला उत्पादन करने वाली कंपनी की खानों/अन्य ने क्रमशः 51.56 एमटी, 5.56 एमटी और 10.47 एमटी उत्पादन करके 28.87 प्रतिशत, 5.50 प्रतिशत और 83.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। शीर्ष 37 कोयला खदानों में से 22 खानों ने 100 प्रतिशत से अधिक उत्पादन किया और अन्य नौ खानों का उत्पादन 80 से 100 प्रतिशत के बीच रहा।

वहीं, कोयले की रवानगी 20.69 फीसदी बढ़कर 75.46 एमटी हो गई, जो जून 2021 की तुलना में जून, 22 में 62.53 एमटी थी। 22 जून के दौरान सीआईएल और कोयला उत्पादन करने वाली कंपनी की खानों/अन्य ने क्रमशः 58.98 और 11.05 एमटी भेज कर 15.20 प्रतिशत और 88.23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। एससीसीएल ने महीने के दौरान 0.46 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की।

बिजली की मांग में वृद्धि के कारण जून 21 में 49.62 एमटी की तुलना में इस साल जून के दौरान बिजली उपयोगिताओं का प्रेषण 30.77 प्रतिशत बढ़कर 64.89 एमटी हो गया।

जून 2021 की तुलना में जून 2022 में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 26.58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जून 2022 में कुल बिजली उत्पादन जून 2021 की तुलना में 17.73 प्रतिशत अधिक रहा है। हालांकि, कोयला आधारित बिजली उत्पादन मई 2022 में 98609 एमयू की तुलना में जून 2022 के महीने में 95880 एमयू रहा और 2.77 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की। कुल बिजली उत्पादन भी जून 2022 में घटकर 138995 एमयू हो गया है जो मई 2022 में 140059 एमयू था और 0.76 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।

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पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी तथा निर्यात में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है क्योंकि मेक इन इंडिया इस सेक्टर के लिए सकारात्मक परिणाम दे रहा है

पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए भारत में खिलौनों का आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 371 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 110 मिलियन डॉलर रहा जो 70.35 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना आयात में और तेजी से कमी आई है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 304 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान घट कर 36 मिलियन डॉलर पर आ गया। इसके अतिरिक्त, इसी अवधि के दौरान निर्यात में 61.38 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए, खिलौना निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के 202 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 326 मिलियन डॉलर रहा जो 61.39 प्रतिशत की बढोतरी दर्शाता है। एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना निर्यात बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 के 109 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बढ़ कर 177 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया। अनिल अग्रवाल ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 2-5 जुलाई 2022 तक आयोजित टॉय बिज बी2बी ( बिजनेस टू बिजनेस ) अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के 13वें संस्करण के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में ‘‘ मन की बात ‘‘ के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने  ‘‘ भारतीय खिलौना स्टोरी की रिब्राडिंग ‘‘ की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में बनाने के लिए बच्चों के लिए सही प्रकार के खिलौनों की उपलब्धता, खिलौनों का उपयोग सीखने के संसाधन के रूप में करने, भारतीय मूल्य प्रणाली, भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि उद्योग को सरकार की कई सारी युक्तियों से लाभ पहुंचा है और इसके परिणाम मेक इन इंडिया प्रोग्राम की सफलता प्रदर्शित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि आयात मुख्य रूप से खिलौनों के कुछ कंपोनेंट तक सीमित रह गए।

खिलौना क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा की गई युक्तियां –

i.              विदेश व्यापार महानिदशालय ( डीजीएफटी ) ने दिनांक 02.12.2019 की अधिसूचना संख्या 33/2015-2020 के द्वारा प्रत्येक खेप का नमूना परीक्षण करना अधिदेशित किया था और जब तक गुणवत्ता परीक्षण सफल नहीं होता, बिक्री की अनुमति नहीं दी थी। विफलता की स्थिति में, खेप को या तो वापस भेज दिया जाता है या आयातक की कीमत पर उसे नष्ट कर दिया जाता है।

ii.             टॉयज एचएस कोड 9503 पर बेसिक कस्टम ड्यूटी  ( बीसीडी ) फरवरी, 2020 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है।

iii.            सरकार ने 25/02/2020 को खिलौना ( गुणवत्ता नियंत्रण ) आदेश जारी किया था जिसके माध्यम से खिलौनों को 01/01/2021 से अनिवार्य भारतीय मानक ब्यूरो  ( बीआईएस ) प्रमाणीकरण के तहत ला दिया गया है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश ( क्यूसीओ ) के अनुसार, प्रत्येक खिलौना संगत भारतीय मानक की आवश्यकताओं के अनुरुप होगा तथा बीआईएस ( अनुरुपता आकलन ) विनियमन, 2018 की स्कीम-1 के अनुसार बीआईएस से एक लाइसेंस के तहत मानक चिन्ह धारण करेगा। यह क्यूसीओ घरेलू विनिर्माताओं तथा विदेशी विनिर्माताओं, जो अपने खिलौनों का भारत में निर्यात करना चाहते हैं, दोनों पर ही लागू है।

iv.           खिलौनों पर क्यूसीओ को 11.12.2020 को संशोधित किया गया था जिससे कि विकास आयुक्त  ( कपड़ा मंत्रालय ) के साथ पंजीकृत कारीगरों द्वारा विनिर्मित्त तथा बेची जाने वाली वस्तुओं और आर्टिकल्स को और पैटेंट, डिजाइन तथा ट्रेडमार्क महानियंत्रक  ( सीजीपीडीटीएम ) के कार्यालय द्वारा भौगोलिक संकेतक के रूप में पंजीकृत स्वामी और अधिकृत उपयोगकर्ताओं को भी छूट दी जा सके।

v.            बीआईएस ने 17.12.2020 को विशेष प्रावधान किए जिससे कि एक वर्ष के लिए बिना परीक्षण सुविधा वाली खिलौना बनाने वाली सूक्ष्म स्तर की इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किया जा सके और इन-हाउस सुविधा स्थापित करने पर जोर न दिया जा सके।

vi.           बीआईएस ने खिलौनों की सुरक्षा के लिए घरेलू विनिर्माताओं को 843 लाइसेंस प्रदान किए हैं जिसमें से 645 लाइसेंस गैर-बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं तथा 198 लाइसेंस बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 6 लाइसेंस अंतरराष्ट्रीय खिलौना विनिर्माताओं को प्रदान किए गए हैं।

सभी 96 प्रदर्शकों ने पारंपरिक प्लश खिलौनों, निर्माण उपकरण खिलौनों, गुड़िया, बिल्डिंग ब्लौक्स खिलौनों, बोर्ड गेम्स, पजल्स, इलेक्ट्रोनिक खिलौनों, शिक्षाप्रद खिलौनों, राइड-ऑन से लेकर विविध उत्पाद वर्ग प्रदर्शित किए हैं। सभी खिलौना उत्पाद ‘ मेड इन इंडिया ‘ उत्पाद थे जो लघु, मझोले तथा बड़े उद्यमों द्वारा घरेलू रूप से विनिर्मित्त थे। जीआई टैग वाले खिलौने जैसेकि चेन्नापटना, वाराणसी आदि का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में भारतीय लोकाचार तथा मूल्य प्रणाली पर आधारित खिलौनों का प्रदर्शन किया जा रहा है जो ‘ वोकल फॉर लोकल ‘ थीम का विधिवत समर्थन करते हैं। प्रत्येक खिलौना वर्ग के पास किफायती और हाई-एंड संस्करण हैं। यह 2019 में आयोजित प्रदर्शनी के 12वें संस्करण की ततुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव है जिसमें 116 स्टॉल थे और 90 स्टॉल केवल आयातित खिलौनों का प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शनी में भारत के 3,000 से अधिक आगंतुकों तथा सऊदी अरब, यूएई, भूटान, अमेरिका आदि से अंतरराष्ट्रीय खरीदार शिष्टमंडल ने भाग लिया।

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संयुक्त प्रवेश परीक्षा बी-एड -2022-23 की परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण

कानपुर 6 जुलाई भारतीय स्वरुप संवाददाता, पुलिस कमिश्नर विजय मीना एवं जिलाधिकारी विशाख जी द्वारा संयुक्त रूप से जनपद कानपुर नगर में 42 परीक्षा केंद्रों ने चल रही दो पालियों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा बी-एड -2022-23 की परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। प्रथम पाली की परीक्षा सुबह 09:00 बजे से 12:00 बजे तथा द्वितीय पाली अपराह्न 02: बजे से 05:00 बजे तक चलेगी । जिलाधिकारी एवं पुलिस कमिश्नर ने परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था एवं सीसीटीवी कंट्रोल रूम व परीक्षा कक्ष को देखा। परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने हेतु जिला स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है ।
सभी परीक्षा केंद्रों में निरीक्षण के दौरान जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित मिले।
निरीक्षण के दौरान दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज सिविल लाइन एवं डीएवी कॉलेज सिविल लाइन का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

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पत्रकार को एक अस्पताल की खबर बनाना भारी पड़ा

कानपुर 6 जुलाई भारतीय स्वरूप संवाददाता, देशभर में पत्रकारों के साथ हो रहीं हिंसक व अभद्रता की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। किसी ना किसी राज्य में कोई ना कोई मामला प्रकाश में आ ही जाता है। इसी क्रम में एक मामला उप्र राज्य के जिला कानपुर देहात के रसूलाबाद कोतवाली क्षेत्र का प्रकाश में आया है।
जानकारी के अनुसार, रसूलाबाद क्षेत्र में समाचार संकलन का कार्य करने वाले एक दैनिक समाचारपत्र में कार्यरत पत्रकार विशाल सिंह गौतम को एक अस्पताल की खबर बनाना भारी पड़ गया क्यों विशाल के साथ की गई मारपीट व अभद्रता की शिकायत पुलिस ने अनेदखी कर दी और सत्ता रूढ़ दल के नेताओं से संरक्षण प्राप्त एक अस्पताल के डाक्टर की मनगढ़न्त तहरीर के आधार पर रंगदारी मांगने का मामला दर्ज दिया।
पीड़ित पत्रकार के अनुसार, 27 जून 2022 को खबर कवरेज के दौरान रसूलाबाद-झींझक तिराहा स्थित एसएसजी हेल्थकेयर अस्पताल संचालक भाजपा नेता ने पत्रकार का नाम पूंछकर जाति सूचक गालियां भी दीं। इसी दौरान पत्रकार के साथ अस्पताल कर्मियों ने मार-पीट करते हुए उसका मोबाईल छींन लिया। बाद में पुलिस ने इस मोबाइल को अपने कब्जे में लिया। पत्रकार के अनुसार, उसने मदद के लिए पुलिस हेल्पलाईन नम्बर 112 पर फोन किया। सूचना पाकर मौके पर आये 112 के पुलिस कर्मियों ने कोई कार्यवाही नहीं की क्योंकि उन्हें पता था कि यह अस्पताल सत्ता पक्ष के नेताओं का है। बताते चलें कि एसएसजी हेल्थकेयर अस्पताल गेट पर अस्पताल प्रबन्धन के खिलाफ अनियमित्ता व सुविधाओं के नामपर शोषण का आरोप लगाकर कई लोगों द्वारा हंगामा किया जा रहा था। हंगामा देख पत्रकार विशाल ने खबर बनाना शुरू किया तो अस्पताल की डॉक्टर स्वप्निल सिंह खबर ना बनाने की हिदायत दी। किन्तु विशाल ने खबर बनाना जारी रखा तो डॉक्टर आग बबूला हो गई और पत्रकार को जातिसूचक गालियां दीं।
सूत्रों के हवाले से पता चला कि पत्रकार विशाल ने कोतवाल शिव ठाकुर के विरुद्ध अवैध तरीके से राजकीय अतिथि गृह में अपना निवास बनाने को लेकर पहले खबर चलाई थी जिसपर तत्काल कोतवाल से अतिथिगृह खाली कराया था। इस खबर के असर से कोतवाल भी पत्रकार विशाल से खुन्नस रखने लगा था।
वहीं अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, कोतवाल ने जातिगत गालियां देते हुए पत्रकार को सबक सिखाने की ठानी थी। परिणामतः पत्रकार के शिकायती प्रार्थना पत्र को दर किनार कर दिया गया और डॉ0 से मनमुताबिक तहरीर बनवा कर पत्रकार के विरुद्ध रंगदारी मांगने का मामला दर्ज कर दिया गया।
पीड़ित पत्रकार विशाल सिंह ने पूरे प्रकरण से आई जी जोन कानपुर को अवगत कराकर निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया को शिकायती पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। वहीं अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पत्र प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया के सदस्य श्याम सिंह पंवार ने संज्ञान लेते हुए आई जी जोन प्रशान्त कुमार से मुलाकात कर व पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात को पत्र लिखकर न्यायपरक कार्यवाई करने की बात कही है।
आई जी प्रशान्त कुमार ने क्षेत्राधिकारी रसूलाबाद को जाँच करने का निर्देश जारी किया है।

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किरदार ले कर घूमता हूं

सभी पुरुषो को समर्पित मेरी ये रचना- श्रद्धा श्रीवास्तव
किरदार लेकर घूमता हूं अखबार लेकर घूमता हूं नया-नया हूं इस किरदार में परेशान हूं फिर भी मुस्कान लेकर घूमता हूं!! शौक चढ़ा है नया नया कुछ कर गुजरने का
ज़िम्मेदारी है सर पर मानता हूं,
पुरुष हूं मैं जानता हूं, मग़र इस पुरुष मैं भी,
कभी-कभी खुद को मैं ढूढता हूं!!
किरदार लेकर घूमता हूं अखबार लेकर घूमता हूं
ये सच है कि मैं भाग नहीं सकता,और नाकबे ओढ़कर जाग नहीं सकता, इसी रूप मैं खुद को रखना है और घर वालो को भी मिलना है,
मैं चाहता बहुत कुछ हूं,मग़र दो रूप मैं खुद को नहीं रख सकता!!
किरदार लेकर घूमता हूं अखबार लेकर घूमता हूं
मैं पुरुष हूं तो उम्मीद भी कुछ ज्यादा है
कितने हिस्सो मैं बाँट जाऊँगा,मेरे हिस्सेदार भी कुछ ज्यादा है,खामोशी ओढ़ रखी है मैंने इसका मतलब ये नहीं कि मेरे स्वर मैं आवाज़ नहीं कुछ ज्यादा है
मैं बोलता हूं कई बार भीतर ही भीतर मेरे शब्दों ने एक अलग सा चादर कही ओढ़ रखा है!!
किरदार लेकर घूमता हूं अखबार लेकर घूमता हूं

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गुजैनी थाना पुलिस ने लूट का किया फर्जी खुलासा

 पुलिस का द्वारा रची गई मनगढ़न्त कहानी का खुलासा होने पर थानाध्यक्ष ने वादी पर फोन से दबाव बनाने का किया प्रयासः-सूत्र
कानपुरः भारतीय स्वरूप संवाददाता। नव सृजित थाना क्षेत्र गुजैनी में बिगत दिनों रात्रि में दिखाई गई लूट की घटना व उस घटना के सम्बन्ध में तत्काल ही आरोपियों को गिरफ्तार कर माल बरादमदगी दिखाकर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस की कहानी पर सवालिया निसान लग गया है क्योंकि घटना के वादी और पुलिस द्वारा बनाये गये मौके के चश्मदीद गवाह ने स्वयं ही पुलिस के द्वारा तैयार की गई कहानी को फर्जी बताकर लूट के आरोपी को निर्दोष बता दिया है। वादी व चश्मदीद गवाह ने बताया कि पुलिस ने जिन आरोपियों को मुल्जिम बनाया है उसमें से एक आरोपी तो पूरी तरह से निर्दोष है। पुलिस ने मनगढ़न्त कहानी बना कर अपना गुडवर्क दिखाया है।
विदित हो कि घटना से सम्बन्धित आरोपियों में से एक को भाग जाना दिखाया गया जबकि तीन आरोपियों को जेल भेज दिया गया। खास बात यह है कि जेल भेजे गये आरोपियों में से एक आरोपी को निर्दोष बताया जा रहा है। यह बात किसी और ने नहीं बल्कि, स्वयं मुकदमा वादी व पुलिस द्वारा मौके के दिखाये गये चश्मदीद गवाह ने पुलिस आयुक्त व माननीय अदालत में दिये गये शपथपत्रों के माध्यम से बताई है।बताते चलें कि नवसृजित थाना गुजैनी क्षेत्र के अम्बेकर नगर निवासी गोविन्द प्रसाद पुत्रश्री राम गोपाल के साथ बिगत 18 जून 2022 को समय लगभग 11ः20 बजे रात्रि में गुजैनी नहर के पास लूट हो गई थी और उसका मोबाइल व दौ सौ रुपये लूट लिये गये थे। लगभग उसी समय पर नहर के ऊपर सड़क पर एक दूसरी घटना में ब्रजेश कुमार सैनी के साथ भी मारपीट व लूट हो रही थी। इस दौरान ब्रजेश के साथ 1300 रुपये की लूट हुई थी, लेकिन, गुजैनी थाना प्रभारी ने दोनों घटनाओं को एक बनाकर एच ब्लॉक गुजैनी निवासी भानु सिंह पुत्र फूल सिंह, अम्बेडकर नगर निवासी राजन सिंह पुत्र श्री सत्यभानु सिंह व जी0 ब्लॉक गुजैनी निवासी अर्जुन पुत्र सुशील कुमार को गिरफ्तार कर लिया था।
मुकदमा वादी गोविन्द ने बताया कि जब मेरे साथ लूट की घटना घटित हुई थी उसी दौरान अम्बेडकर नगर निवासी राजन सिंह अपनी गाय को ढूड़ते हुए वहीं पर आ गया तो सूचना पर पहुंचे पुलिस वालों ने बिना कुछ पूंछतांछ किये व बिना सच्चाई जाने उसे भी पकड़ लिया और मुल्जिम बना दिया जबकि राजन सिंह का इन घटनाओं से कोई लेना-देना ही नहीं है। गोविन्द प्रसाद ने पुलिस पर गम्भीर आरोप लगाया कि सिर्फ गुडवर्क के चक्कर में थानाध्यक्ष रवि शंकर त्रिपाठी ने राजन सिंह को आरोपी बनाया है।
वहीं पुलिस द्वारा बनाये गये चश्मदीद गवाह मर्दनपुर निवासी ब्रजेश कुमार सैनी पुत्रश्री विशम्भर नाथ सैनी अर्थात दूसरी घटना का पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि रात्रि 11ः40 बजे के लगभग नहर पुल पर पहले से घात लगाये बदमाशों ने मुझे मारपीट कर चोटिल कर दिया और मेरी जेब से 1300 रुपये छीन लिये। मेरे द्वारा 112 पर सूचना देने के बाद मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने मेरे सहयोग से उनमें से दो लोगों को पकड़ लिया और थाने ले आये।
ब्रजेश कुमार सैनी के मुताबिक, जब मैं थाने पहुंचा तो पहले से बन्द राजन को मेरे साथ घटित वारदात में शामिल कर दिया जबकि राजन का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। लूट व मारपीट में शामिल शातिर लोग गोविन्द नगर थाना क्षेत्र के गुजैनी के एच ब्लॉक मुहल्ले के रहने वाले हैं। ब्रजेश के मुताबिक उसका मोबाइल पुलिस ने जमा करवा लिया था और इसके बाद मनगढ़न्त कहानी बनाकर उसे राजन सिंह से बरामद दिखा दिया गया है। राजन पूरी तरह से निर्दोष है।
वादी मुकदमा गोविन्द प्रसाद व पुलिस द्वारा बनाये गये चश्मदीद अर्थात दूसरी वारदात के पीड़ित ब्रजेश कुमार सैनी (दोनों ने) पुलिस आयुक्त व माननीय अदालत में उपरोक्त मामलों के सम्बन्ध में यह शपथपत्र भी दिये हैं कि गुजैनी थाना प्रभारी ने अपनी मनमर्जी के मुताबिक मनगढ़न्त कहाना बनाकर राजन सिंह को फंसाया है जबकि राजन सिंह का दोनों वारदातों से कोई लेना देना नहीं है। चोरी व लूट के मामले में उसे फर्जी फंसाया गया है।

वहीं अम्बेडकर नगर निवासी आरोपी राजन सिंह के भाई शिववीर सिंह ने एक प्रार्थना पत्र पुलिस आयुक्त को भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। शिववीर के अनुसार गुजैनी पुलिस द्वारा राजन की गिरफ्तारी सम्बन्धी कोई जानकारी किसी परिजन को नहीं दी गई। आस पड़ोस के लोगों से पता करने पर जब राजन के बारे में जानकारी मिली कि लूट व चोरी के आरोप में गुजैनी पुलिस द्वारा वह जेल भेज दिया गया है। शिववीर सिंह ने अपने भाई को निर्दोष बताते हुए न्याय की गुहार लगाई है।

सूत्रों से पता चला है कि थानाध्यक्ष रवि शंकर त्रिपाठी ने मुकदमा वादी पर दबाव बनाने का प्रयास किया है कि आपने अदालत में शपथपत्र देकर अच्छा नहीं किया!

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रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के लिए दवाओं और उपभोग्य वस्तुओं की खरीद हेतु बढ़ी हुई मौद्रिक सीमा को मंजूरी दी

रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने आज प्राधिकृत स्थानीय औषधि विक्रेताओं (एएलसी) से पॉलीक्लिनिक की सभी श्रेणियों में अप्राप्य (एनए), आकस्मिक, जीवन रक्षक और आवश्यक दवाओं की खरीद के लिए मौद्रिक सीमा को 100% तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी। इस पहल से ईसीएचएस लाभार्थियों के लिए दवाओं की आसानी से और समय पर उपलब्धता सुनिश्चित होगी। (टाइप ए और बी 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक, टाइप सी 1.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक और टाइप डी 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक)। दवाइयों की आपूर्ति को लेकर पूर्व सैनिकों की ओर से तरह-तरह के अभ्यावेदन पत्र आए हैं। सरकार पहले ही ईसीएचएस लाभार्थियों के लिए दवाओं की खरीद की प्रक्रियाओं में कई संशोधन कर चुकी है। ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक वाले सभी केंद्रों में, स्थानीय मेडिकल स्टोर/औषधि विक्रेता आवश्यक आधार पर अप्राप्य (एनए), आकस्मिक, जीवन रक्षक और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति के लिए सूचीबद्ध हैं। पैनल में शामिल स्थानीय मेडिकल स्टोर/औषधि विक्रेता को स्टेशन कमांडर द्वारा गठित अधिकारियों के एक बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। इस सीमा से अधिक के किसी भी व्यय को एमडी, ईसीएचएस द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। यदि आवश्यक हो तो सीओ, ईसीएचएस द्वारा अन्य ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक से आवश्यक धनराशि का पुन: नियोजन कर सकते हैं। यह देखा जा सकता है कि सरकार ने 25.03.2022 को खुदरा बाजार से खरीदी गई उन दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों की लागत की प्रतिपूर्ति के लिए पहले ही 15 दिनों से 30 दिनों की अधिकतम अवधि के लिए मंजूरी दे दी थी, जो ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक / अधिकृत स्थानीय औषधि विक्रेता के पास उपलब्ध न हों। दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों के अधिकतम मूल्य के अधीन, सामान्य परिस्थितियों में हर बार 25,000/- रुपये से अधिक नहीं और विशेष परिस्थितियों में हर बार 75,000/- रुपये से ज्यादा नहीं, कैंसर की दवाओं के मामले को छोड़कर जहां दवाओं और उपभोग्य वस्तुओं का अधिकतम मूल्य हर बार के 5 लाख रुपये होंगे जो पहले हर बार के 2 लाख रुपये था। यह पहल पूर्व सैनिकों को आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

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प्रधानमंत्री ने ‘उद्यमी भारत’ कार्यक्रम में भाग लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘उद्यमी भारत’ कार्यक्रम में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘एमएसएमई प्रदर्शन में सुधार तथा तेजी’ (रैंप) योजना, ‘पहली बार के एमएसएमई निर्यातकों का क्षमता निर्माण’ (सीबीएफटीई) योजना और ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ (पीएमईजीपी) की नई सुविधाओं जैसी प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया। उन्होंने 2022-23 के लिए पीएमईजीपी के लाभार्थियों को डिजिटल रूप से सहायता भी हस्तांतरित की, एमएसएमई आइडिया हैकथॉन, 2022 के परिणाम घोषित किए, राष्ट्रीय एमएसएमई पुरस्कार, 2022 वितरित किए और आत्मनिर्भर भारत (एसआरआई) फंड में 75 एमएसएमई को डिजिटल इक्विटी सर्टिफिकेट जारी किए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री नारायण राणे और श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा, देश भर के एमएसएमई हितधारक और विभिन्न देशों के राजनयिक उपस्थित थे। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसएमई के उद्यम से ही आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सिद्धि मिलेगी, भारत सशक्त होगा। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भारत जो भी ऊंचाइयां हासिल करेगा, वह एमएसएमई क्षेत्र की सफलता पर निर्भर करेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के एमएसएमई सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार, आपके इसी सामर्थ्य, इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है, नई नीतियां बना रही है।” उन्होंने कहा कि आज शुरू की गई पहल और सरकार द्वारा किए गए अन्य उपाय एमएसएमई की क्वालिटी और प्रमोशन से जुड़े हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम एमएसएमई कहते हैं तो तकनीकी भाषा में इसका विस्तार होता है  माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज। लेकिन ये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, भारत की विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी एमएसएमई सेक्टर की है। एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त करने का मतलब है – पूरे समाज को सशक्त करना, सबको विकास के लाभ का भागीदार बनाना, सबको आगे बढ़ाना। इसलिए एमएसएमई सेक्टर सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा, एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले आठ साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी की है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “हमारे लिए एमएसएमई का मतलब है- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन।” यह बताते हुए कि 11 करोड़ से अधिक लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसएमई रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण है। महामारी के संकट के दौरान, हमने अपने छोटे उद्यमों को बचाने के साथ ही उन्हें नई ताकत देने का भी फैसला किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए की मदद एमएसएमई उद्यमों के लिए सुनिश्चित की। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे करीब 1.5 करोड़ रोजगार खत्म होने से बच गए। उन्होंने कहा कि आजादी के इस अमृत काल में, हमारे एमएसएमई भारत की आत्मनिर्भरता के विराट लक्ष्य की प्राप्ति का भी एक बहुत बड़ा माध्यम हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय को याद किया जब पहले की सरकारों ने इस क्षेत्र के महत्व को नहीं पहचाना और छोटे उद्यमों को छोटा रखने वाली नीतियों को अपनाकर इस क्षेत्र को जकड़ लिया था। इससे निपटने के लिए एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर कोई उद्योग आगे बढ़ना चाहता है, विस्तार करना चाहता है, तो सरकार न केवल उसे सहयोग दे रही है, बल्कि नीतियों में जरूरी बदलाव भी कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीईएम में, एमएसएमई को सरकार को सामान और सेवाएं प्रदान करने के लिए एक बहुत ही मजबूत मंच मिला है। उन्होंने प्रत्येक एमएसएमई को जीईएम पोर्टल पर पंजीकृत होने के लिए कहा। इसी तरह, 200 करोड़ से कम की परियोजनाओं के लिए वैश्विक निविदाओं पर रोक लगाने से भी एमएसएमई को मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार निर्यात बढ़ाने में एमएसएमई की मदद के लिए कदम उठा रही है। विदेश स्थित भारतीय मिशन को इस पर काम करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मिशनों का मूल्यांकन तीन मापदंडों यानी व्यापार, प्रौद्योगिकी और पर्यटन पर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को 2014 के बाद नया रूप दिया गया था, क्योंकि यह 2008-2012 के बीच की अवधि में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं था। 2014 से अब तक इस कार्यक्रम के तहत 40 लाख से अधिक रोजगार का सृजन किया गया है। इस अवधि के दौरान इन उद्यमों को 14 हजार करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि इस योजना में आने वाले उत्पादों की लागत सीमा भी बढ़ा दी गई है। समावेशी विकास की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रांसजेंडर उद्यमियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब पहली बार खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा है। “ये इसलिए संभव हुआ है क्योंकि गांवों में हमारे छोटे-छोटे उद्यमियों ने, हमारी बहनों ने बहुत परिश्रम किया है। बीते 8 वर्षों में खादी की बिक्री 4 गुणा बढ़ी है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि बिना गारंटी के ऋण प्राप्त करने में कठिनाई समाज के कमजोर वर्गों के लिए उद्यमशीलता के मार्ग पर चलने में एक बड़ी बाधा है। 2014 के बाद, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के माध्यम से उद्यमशीलता के दायरे को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है। बिना गांरटी के बैंक लोन की इस योजना ने महिला उद्यमियों, दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में तैयार किया है। इस योजना के तहत अब तक करीब 19 लाख करोड़ रुपये कर्ज के रूप में दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि कर्जदारों में करीब 7 करोड़ ऐसे उद्यमी हैं, जिन्होंने पहली बार उद्यम शुरू किया है, जो नए उद्यमी बने हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उद्यम पोर्टल पर  पंजीकृत लोगों में से 18 प्रतिशत से अधिक महिला उद्यमी हैं। उन्होंने कहा, “उद्यमशीलता और आर्थिक समावेशन में यह समावेश सही मायने में सामाजिक न्याय है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “आज, इस कार्यक्रम के माध्यम से, मैं एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े अपने सभी भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि सरकार ऐसी नीतियां बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जो आपकी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और आपके लिए सकारात्मक हो। एक उद्यमी भारत की हर उपलब्धि हमें एक आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाएगी। मुझे आप पर और आपकी क्षमता पर विश्वास है।

कार्यक्रम की पृष्ठभूमि:

‘उद्यमी भारत’ एमएसएमई के सशक्तिकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सरकार ने समय-समय पर एमएसएमई क्षेत्र को आवश्यक और समय पर सहायता प्रदान करने के लिए मुद्रा योजना, आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना, पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए कोष योजना आदि कई पहलों की शुरुआत की है, जिससे देश भर में करोड़ों लोगों को लाभ हुआ है।

लगभग 6000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘एमएसएमई प्रदर्शन में सुधार और तेजी’ (रैंप) योजना का उद्देश्य मौजूदा एमएसएमई योजनाओं के प्रभाव में वृद्धि के साथ राज्यों में एमएसएमई की कार्यान्वयन क्षमता और कवरेज को बढ़ाना है। यह नवाचार को बढ़ावा देने, विचार को प्रोत्साहित करने, गुणवत्तापूर्ण मानकों को विकसित करके नए व्यवसाय और उद्यमिता को बढ़ावा देने, प्रथाओं और प्रक्रियाओं में सुधार करने, बाजार पहुंच बढ़ाने तथा तकनीकी उपकरण और उद्योग 4.0 के जरिये आत्मनिर्भर भारत अभियान को पूरक समर्थन प्रदान करेगा एवं एमएसएमई उद्यामों को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाएगा।  ‘पहली बार के एमएसएमई निर्यातकों का क्षमता निर्माण’ (सीबीएफटीई) योजना का उद्देश्य एमएसएमई को वैश्विक बाजार के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारतीय एमएसएमई की भागीदारी बढ़ेगी और उन्हें अपनी निर्यात क्षमता का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ (पीएमईजीपी) की नई विशेषताओं में विनिर्माण क्षेत्र के लिए अधिकतम परियोजना लागत को बढ़ाकर 50 लाख रुपये (पहले के 25 लाख रुपये से) और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये (पहले के 10 लाख रुपये से) करने तथा अधिक सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आकांक्षी जिलों और ट्रांसजेंडर समुदाय के आवेदकों को विशेष श्रेणी के आवेदकों में शामिल करना शामिल हैं। इसके साथ ही, आवेदकों/उद्यमियों को बैंकिंग, तकनीकी और विपणन विशेषज्ञों के साथ परामर्श के माध्यम से भी सहायता प्रदान की जा रही है।एमएसएमई आइडिया हैकथॉन, 2022 का उद्देश्य व्यक्तियों की रचनात्मकता को बढ़ावा देना और समर्थन करना, एमएसएमई के बीच नवीनतम तकनीकों को अपनाना तथा नवाचार को बढ़ावा देना है। चयनित अवधारणा युक्त विचारों को 15 लाख रुपये प्रति स्वीकृत अवधारणा, तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। राष्ट्रीय एमएसएमई पुरस्कार 2022 भारत के मजबूत एमएसएमई क्षेत्र के विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए एमएसएमई, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, आकांक्षी जिलों और बैंकों के योगदान की मान्यता है।

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