कानपुर 10 जुलाई भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में पहले आओ पहले पाओ की नीति द्वारा प्रवेश प्रक्रिया चल रही है ।बी. ए., बी . एस. सी.(ZBC) , बीबीए, बीसीए, बीकाम, एम. ए. -हिन्दी , समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र,अर्थशास्त्र, कला, मनोविज्ञान,कक्षाओं में प्रवेश हेतु आवश्यक समस्त सुविधाएं एक ही स्थान पर महाविद्यालय सभागार में उपलब्ध हैं, प्रेक्षागृह में प्रवेश समिति के अतिरिक्त बैंक प्रतिनिधि ऑनलाइन फ़ीस जमा करने हेतु उपलब्ध हैं साथ ही महा विद्यालय प्रतिनिधि फी स्लिप तथा एडमिशन नंबर के प्रिंटआउट देने हेतु अलग से कंप्यूटर प्रिंटर सेटअप के साथ उपलब्ध हैं । प्रवेश समिति छात्राओं की समस्याओं के निस्तारण हेतु सुबह 10 बजे से सांय 3 बजे तक निरंतर उपलब्ध है। प्रवेश प्रक्रिया को सुलभ बनाने हेतु एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है जिसपर प्रति छात्रा १५ रूपये का खर्च महाविद्यालय वहन कर रहा है।
महाविद्यालय में छात्राओं को सुरक्षित तथा उत्तम शैक्षिक वातावरण प्रदान किया जाता है जहां उन्हें सीखने के नित नए अनुभव मिलते हैं। उन्नत प्रयोगशाला, प्लेसमेंट सेल,काउंसलिंग सेल आदि छात्राओंको रोज़गार के अवसर प्रदान करता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु वर्तमान समय में आवश्यक रणनीति पर शिक्षिकाओं द्वारा छात्राओं को निर्देशन प्रदान किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के वारंगल में लगभग 6,100 करोड़ रुपये की विभिन्न ढांचागत विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यद्यपि तेलंगाना अपेक्षाकृत नया राज्य है और इसने अपने अस्तित्व के केवल 9 वर्ष ही पूरे किए हैं, लेकिन तेलंगाना और यहां के निवासियों का भारत के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा, “तेलुगू लोगों की क्षमताओं ने हमेशा भारत की क्षमताओं का विस्तार किया है। प्रधानमंत्री ने भारत को विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में तेलंगाना के नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अवसरों की वृद्धि में विश्वास व्यक्त किया, क्योंकि विश्व भारत को निवेश के केन्द्र के रूप में देख रहा है। उन्होंने कहा “विकसित भारत के लिए बहुत-सी उम्मीदें हैं।”
प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के तीसरे दशक में स्वर्णिम काल के आगमन को स्वीकार करते हुए कहा कि आज का नया युवा-भारत, ऊर्जा से परिपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के क्षेत्र में भारत का कोई भी हिस्सा पिछड़ना नहीं चाहिए। उन्होंने पिछले 9 वर्षों में तेलंगाना के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी में सुधार को रेखांकित किया। उन्होंने आज शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं के लिए तेलंगाना के लोगों को बधाई दी। इन परियोजनाओं पर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।
प्रधानमंत्री ने नए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए तरीके खोजने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि भारत में तेज गति से विकास पुराने बुनियादी ढांचे के साथ संभव नहीं है। यह देखते हुए कि खराब कनेक्टिविटी और महंगी लॉजिस्टिक लागत व्यवसायों की प्रगति में बाधा डालती है, प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा विकास की गति और पैमाने में कई गुना वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने राजमार्गों, एक्सप्रेस-वे, इकोनॉमिक कॉरिडोर और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का उदाहरण दिया, जो एक नेटवर्क का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो लेन को चार और चार लेन के राजमार्गों को छह लेन के राजमार्गों में परिवर्तित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि तेलंगाना के राजमार्ग नेटवर्क में 2500 किलोमीटर से 5000 किलोमीटर तक दो गुना वृद्धि देखी जा सकती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2500 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कार्य विकास के विभिन्न चरणों में है। उन्होंने हैदराबाद-इंदौर इकोनॉमिक कॉरिडोर, चेन्नई-सूरत इकोनॉमिक कॉरिडोर, हैदराबाद-पणजी इकोनॉमिक कॉरिडोर और हैदराबाद-विशाखापत्तनम इंटर कॉरिडोर का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से तेलंगाना आसपास के आर्थिक केंद्रों को जोड़ रहा है और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन रहा है।
आज जिस नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर के मंचेरियल-वारंगल खंड की आधारशिला रखी गई है, उसके बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के साथ तेलंगाना को आधुनिक सुविधा से पूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जबकि मंचेरियल और वारंगल के बीच की दूरी को भी कम करेगा और यातायात की समस्याओं को समाप्त करेगा। यह क्षेत्र कई आदिवासी समुदायों का निवास है और लंबे समय से उपेक्षित रहा है। श्री मोदी ने कहा कि यह कॉरिडोर राज्य में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को नया दृष्टिकोण प्रदान करेगा और करीमनगर-वारंगल खंड को चार लेन का बनाने से हैदराबाद-वारंगल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, काकतीय मेगा टेक्सटाइल पार्क और वारंगल सेज के लिए कनेक्टिविटी सुदृढ़ होगी।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि तेलंगाना में कनेक्टिविटी के बढ़ने से राज्य के उद्योग और पर्यटन को सीधे लाभ हो रहा है क्योंकि तेलंगाना में विरासत केंद्रों और आस्था स्थलों की यात्रा अब अधिक सुविधाजनक हो रही है। उन्होंने कृषि उद्योग और करीमनगर के ग्रेनाइट उद्योग का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार के प्रयासों से उन्हें सीधे सहायता मिल रही है। उन्होंने कहा, ”चाहे किसान हो या मजदूर, छात्र हों या व्यावसायिक, सभी लाभान्वित हो रहे हैं। युवाओं को उनके घर के पास ही नए रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर भी मिल रहे हैं।
मेक इन इंडिया अभियान और विनिर्माण क्षेत्र युवाओं के लिए किस प्रकार रोजगार का स्रोत बन रहा है, इस विषय पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने देश में विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए पीएलआई योजना का उल्लेख किया। श्री मोदी ने बताया कि इस योजना के तहत तेलंगाना में 50 से अधिक बड़ी परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं और जो लोग अधिक विनिर्माण कर रहे हैं उन्हें सरकार से विशेष सहायता मिल रही है। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष रक्षा निर्यात में भारत के एक नया रिकॉर्ड बनाने का उल्लेख भी किया। उन्होंने बताया कि भारत का रक्षा निर्यात 9 साल पहले लगभग 1000 करोड़ रुपये का था, वह अब 16,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्होंने हैदराबाद स्थित भारतीय डायनामिक्स लिमिटेड का उल्लेख किया और कहा कि यह भी लाभान्वित हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय रेल द्वारा विनिर्माण के क्षेत्र में नए कीर्तिमान और नए मील के पत्थर स्थापित करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने ‘मेड इन इंडिया’ वंदे भारत रेलगाड़ियों के बारे में चर्चा की और कहा कि भारतीय रेलवे ने हाल के वर्षों में हजारों आधुनिक कोच और लोकोमोटिव का निर्माण किया है। आज काजीपेट में रेलवे विनिर्माण इकाई की आधारशिला के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारतीय रेलवे का कायाकल्प है और काजीपेट मेक इन इंडिया की नई ऊर्जा का हिस्सा बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और प्रत्येक परिवार किसी न किसी रूप में लाभान्वित होगा। अपने संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह सबका साथ, सबका विकास है’। उन्होंने विकास के इस मंत्र पर तेलंगाना को आगे ले जाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सौंदरराजन, केन्द्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी और सांसद श्री संजय बंदी भी उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री ने 5,550 करोड़ रुपये से अधिक की 176 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं में नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर का 108 किलोमीटर लंबा मंचेरियल-वारंगल खंड शामिल है। यह खंड मंचेरियल और वारंगल के बीच की दूरी को लगभग 34 किलोमीटर कम कर देगा। इस प्रकार यात्रा का समय कम होगा और एनएच-44 और एनएच-65 पर यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग-563 के 68 किलोमीटर लंबे करीमनगर-वारंगल खंड को वर्तमान दो-लेन से चार-लेन में अपग्रेड करने की आधारशिला भी रखी। इससे हैदराबाद-वारंगल औद्योगिक कॉरिडोर, काकतीय मेगा टेक्सटाइल पार्क और वारंगल में एसईजेड के लिए कनेक्टिविटी में सुधार करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने काजीपेट में रेलवे विनिर्माण इकाई की आधारशिला रखी। 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाली आधुनिक विनिर्माण इकाई में रोलिंग स्टॉक विनिर्माण क्षमता में वृद्धि होगी। यह नवीनतम प्रौद्योगिकी मानकों और सुविधाओं जैसे माल डिब्बों की रोबोटिक पेंटिंग, अत्याधुनिक मशीनरी और आधुनिक सामग्री भंडारण और प्रबंधन के साथ एक संयंत्र में उपलब्ध होगी। इससे स्थानीय क्षेत्र में रोजगार सृजन होगा और आस-पास के क्षेत्रों में अधीनस्थ इकाइयों के विकास में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने वाराणसी, उत्तर प्रदेश में 12,100 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रावण के पवित्र महीने की शुरुआत, भगवान विश्वनाथ और मां गंगा के आशीर्वाद और वाराणसी के लोगों की उपस्थिति से जीवन धन्य हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों शिव भक्त ‘जल’ चढ़ाने के लिए वाराणसी आ रहे हैं और कहा कि शहर में रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्रियों का आना निश्चित है। प्रधानमंत्री ने नागरिकों के आतिथ्य सत्कार पर प्रकाश डालते हुए कहा, “जो भी वाराणसी आ रहा है, हमेशा सुखद अहसास के साथ वापस लौटेगा।” उन्होंने जी20 के प्रतिनिधियों का स्वागत करने और पूजा स्थलों के परिसरों को स्वच्छ और भव्य बनाए रखने के लिए काशी के लोगों की प्रशंसा की।
उन्होंने लगभग 12,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उल्लेख किया, जिनका आज शिलान्यास किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह काशी की प्राचीन आत्मा को बरकरार रखते हुए उसे नया शरीर प्रदान करने के हमारे संकल्प का विस्तार है।” उन्होंने परियोजनाओं के लिए लोगों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ पूर्व में संवाद कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पिछले संवाद के दौरान योजनाएं जमीनी स्तर तक नहीं जुड़ चुकी थीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने लाभार्थियों के साथ संवाद और बातचीत की एक नई परंपरा शुरू की है, जिसका अर्थ है ‘सीधे लाभ के साथ-साथ प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया।’ उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप विभागों और अधिकारियों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “आजादी के इतने वर्षों के बाद लोकतंत्र का असली लाभ सही मायने में सही लोगों तक पहुंचा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि लाभार्थी वर्ग सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सबसे सच्चे रूप का उदाहरण बन गया है क्योंकि सरकार हर योजना में अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का प्रयास करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दृष्टिकोण के साथ कमीशन चाहने वालों, दलालों और घोटालेबाजों को खत्म करने में मदद मिली है जिससे भ्रष्टाचार और भेदभाव खत्म हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में सरकार ने सिर्फ एक परिवार और एक पीढ़ी के लिए ही काम नहीं किया है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम किया है। उन्होंने पीएमएवाई का उदाहरण दिया जहां 4 करोड़ से अधिक परिवारों को पक्के घर सौंपे गए हैं और साथ ही बताया कि आज उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों को 4 लाख पक्के घर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इनमें से ज्यादातर मकानों की स्वामी महिलाएं हैं, जिनके नाम पर पहली बार संपत्ति की रजिस्ट्री हुई है। उन्होंने कहा, “ये घर सुरक्षा की भावना पैदा करते हैं और घरों के मालिकों के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं।” उन्होंने कहा कि इन पक्के मकानों से महिलाओं को वित्तीय रूप से सुरक्षा मिलेगी।
सरकारी योजनाओं के प्रभाव को सामने रखते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना भी केवल 5 लाख रुपये के मुफ्त इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई पीढ़ियों को प्रभावित करती है, क्योंकि चिकित्सा व्यय पीढ़ियों को गरीबी और कर्ज में धकेल सकता है। उन्होंने कहा, “आयुष्मान योजना गरीबों को इस नियति से बचा रही है। इसीलिए, मैं मिशन मोड में हर गरीब तक कार्ड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इतनी मेहनत कर रहा हूं।” आज के कार्यक्रम में एक करोड़ साठ लाख लोगों को आयुष्मान भारत कार्ड के वितरण की शुरुआत हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा, “एक राष्ट्र के संसाधनों पर सबसे बड़ा दावा गरीब और वंचित लोगों का होता है।” उन्होंने 50 करोड़ जन धन खातों और मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी के ऋण जैसे वित्तीय समावेशन के कदमों का उल्लेख। इससे गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिला उद्यमियों को लाभ हुआ है।
प्रधानमंत्री ने पीएम स्वनिधि का भी उल्लेख किया और कहा कि भले ही अधिकांश स्ट्रीट वेंडर पिछड़े समुदायों से आते हैं, लेकिन अतीत की सरकारों ने कभी भी उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया और केवल उन्हें परेशान किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम स्वनिधि योजना से अब तक 35 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं और आज वाराणसी में 1.25 लाख से अधिक लाभार्थियों को ऋण वितरित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “गरीबों के लिए आत्म-सम्मान मोदी की गारंटी है।”
प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों की बुनियादी बेईमानी पर प्रकाश डाला, जिसके कारण धन की लगातार कमी बनी रही। उन्होंने कहा कि आज, “चाहे गरीब कल्याण हो या इंफ्रास्ट्रक्चर, बजट की कोई कमी नहीं है। करदाता वही, व्यवस्था वही, बस सरकार बदल गई है। इरादे बदले तो नतीजे भी सामने आए हैं।” अतीत की घोटालों और कालाबाजारी की खबरों की जगह नई परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास की खबरों ने ले ली है। उन्होंने इस बदलाव के उदाहरण के तौर पर मालगाड़ियों के लिए विशेष ट्रैक से संबंधित परियोजना ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि 2006 में जिस परियोजना की परिकल्पना की गई थी, उसमें 2014 तक एक भी किलोमीटर लंबा ट्रैक नहीं बन पाया। बीते 9 साल में, परियोजना का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर लिया गया है और इस क्षेत्र में मालगाड़ियों का परिचालन हो रहा है। उन्होंने कहा, “आज भी दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से नए सोननगर सेक्शन का उद्घाटन किया गया है। इससे न केवल मालगाड़ियों की गति बढ़ेगी बल्कि पूर्वांचल और पूर्वी भारत में रोजगार के कई नए अवसर पैदा होंगे।”
देश की तेज गति से चलने वाली ट्रेनों की आकांक्षा को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि भले ही देश में पहली बार राजधानी एक्सप्रेस लगभग 50 साल पहले चली थी, लेकिन आज तक यह केवल 16 रूट पर ही चल सकी है। उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस का उदाहरण भी दिया जो 30-35 साल पहले शुरू हुई थी लेकिन वर्तमान में केवल 19 रूट पर चल रही है। प्रधानमंत्री ने वंदे भारत एक्सप्रेस का उल्लेख किया और बताया कि यह ट्रेन 4 साल की छोटी अवधि में 25 रूट पर चल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बनारस को देश की पहली वंदे भारत ट्रेन मिली थी।” उन्होंने बताया कि आज गोरखपुर से गोरखपुर-लखनऊ और जोधपुर-अहमदाबाद रूट पर दो नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई है। श्री मोदी ने कहा, “यह वंदे भारत देश के मध्यम वर्ग के बीच इतनी सुपरहिट हो गई है और इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है।” उन्होंने विश्वास जताया कि वह दिन दूर नहीं जब वंदे भारत देश के हर कोने को जोड़ देगी।
पिछले 9 वर्षों में काशी से संपर्क को बेहतर बनाने के लिए किए गए अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि इससे रोजगार के कई नए अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि काशी में 7 करोड़ पर्यटक और श्रद्धालु आए, जो एक वर्ष के भीतर 12 गुना वृद्धि है। इससे रिक्शा चालकों, दुकानदारों से लेकर ढाबों और होटलों में काम करने वाले लोगों और बनारसी साड़ी उद्योग के लिए आय के बेहतर अवसर पैदा हुए। उन्हें यह भी कहा कि इससे मल्लाहों को बहुत लाभ हुआ और उन्होंने शाम को गंगा आरती के दौरान नावों की संख्या पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “आप लोग इसी तरह बनारस का ख्याल रखते रहिए।”
संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने आज की परियोजना के लिए सभी को बधाई दी और विश्वास जताया कि बाबा के आशीर्वाद से वाराणसी की विकास यात्रा आगे भी जारी रहेगी।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल सुश्री आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री श्री महेंद्र नाथ पांडे, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों सहित कई अन्य उपस्थित रहे।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन-सोन नगर रेलवे लाइन को समर्पित किया। 6760 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाई गई नई लाइन माल की तेज और अधिक कुशल आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने राष्ट्र को तीन रेलवे लाइनें भी समर्पित कीं, जिनका 990 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से विद्युतीकरण या दोहरीकरण किया गया है। इनमें गाजीपुर शहर-औंरिहार रेल लाइन, औंरिहार-जौनपुर रेल लाइन और भटनी-औंरिहार रेल लाइन शामिल हैं। इन परियोजनाओं से उत्तर प्रदेश में रेलवे लाइनों के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण को हासिल करने में मदद मिली है।
प्रधानमंत्री ने एनएच-56 के वाराणसी-जौनपुर खंड के चार लेन चौड़ीकरण को राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे 2,750 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है और इससे वाराणसी से लखनऊ के लिए सफर आसान और तेज हो गया है।
वाराणसी में जिन कई परियोजनाओं का उद्घाटन प्रधानमंत्री करेंगे उनमें 18 पीडब्ल्यूडी सड़कों का निर्माण और नवीनीकरण; बीएचयू परिसर में अंतर्राष्ट्रीय गर्ल्स हॉस्टल भवन का निर्माण; सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी) – ग्राम करसरा में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र; पुलिस स्टेशन सिंधौरा, पीएसी भुल्लनपुर, फायर स्टेशन पिंडरा और सरकारी आवासीय विद्यालय तरसदा में आवासीय भवन और सुविधाएं; आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन भवन; मोहन कटरा से कोनिया घाट तक सीवर लाइन और रमना गांव में आधुनिक सेप्टेज प्रबंधन प्रणाली; 30 डबल साइड बैकलिट एलईडी यूनिपोल; एनडीडीबी मिल्क प्लांट रामनगर में गाय के गोबर पर आधारित बायो-गैस संयंत्र; और दशाश्वमेध घाट पर एक विशेष फ्लोटिंग चेंजिंग रूम जेटी शामिल हैं। फ्लोटिंग चेंजिंग रूम जेटी से गंगा नदी पर श्रद्धालुओं को नहाने की सुविधा मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने जिन परियोजनाओं का शिलान्यास किया, उनमें चौखंडी, कादीपुर और हरदत्तपुर रेलवे स्टेशनों के पास दो लेन वाले तीन रेल ओवर ब्रिज (आरओबी); व्यासनगर- पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेल फ्लाईओवर का निर्माण; और पीडब्ल्यूडी की 15 सड़कों का निर्माण एवं नवीकरण शामिल है। इन परियोजनाओं को लगभग 780 करोड़ रुपये की कुल लागत से विकसित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन के तहत 550 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली 192 ग्रामीण पेयजल योजनाओं की आधारशिला भी रखी। इससे 192 गांवों के 7 लाख लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों के पुन: डिजाइन और पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी। पुनर्विकसित किए गए घाटों में सार्वजनिक सुविधाएं, प्रतीक्षा क्षेत्रों, लकड़ी भंडारण, अपशिष्ट निपटान और पर्यावरण-अनुकूल दाह संस्कार के प्रावधान होंगे।
जिन अन्य परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई उनमें दशाश्वमेध घाट के फ्लोटिंग चेंजिंग रूम जेटी की तर्ज पर वाराणसी में गंगा नदी पर छह धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्नान घाटों पर फ्लोटिंग चेंजिंग रूम जेटी और सीआईपीईटी परिसर करसरा में छात्रों के छात्रावास का निर्माण शामिल है।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों को पीएम स्वनिधि के ऋण, पीएमएवाई ग्रामीण घरों की चाबियां और आयुष्मान भारत कार्ड भी वितरित किए। इससे 5 लाख पीएमएवाई लाभार्थियों का गृह प्रवेश, पात्र लाभार्थियों को 1.25 लाख पीएम स्वनिधि ऋण का वितरण और 2.88 करोड़ आयुष्मान कार्ड का वितरण शुरू हो जाएगा।
व्यापार और निवेश कार्य समूह की तीसरी बैठक 10 से 12 जुलाई, 2023 तक गुजरात के केवड़िया में होगी
बैठक के पहले दिन, व्यापार अवसंरचना पर एक संगोष्ठी में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) के विस्तार में लॉजिस्टिक्स की भूमिका और सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई) के वैश्विक होने: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) के साथ एकीकरण पर चर्चा होगी। संगोष्ठी के बाद जी-20 प्रतिनिधियों के लिए राज्य सरकार द्वारा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा और रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा।
व्यापार और निवेश कार्य समूह (टीआईडबल्यूजी) की पहली और दूसरी बैठकों के दौरान पांच प्राथमिकता वाले मुद्दे अर्थात् (i) विकास और समृद्धि के लिए व्यापार, (ii) आसान व्यापार और वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी), (iii) विश्व व्यापार में सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई) को एकीकृत करना, (iv) व्यापार के लिए लॉजिस्टिक्स और (v) विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) सुधारों पर जी-20 सदस्य देशों/आमंत्रित देशों के बीच व्यापक चर्चा हुई। इसके अलावा, इन बैठकों के दौरान ज्ञान भागीदारों द्वारा प्रत्येक विषय और उनसे निकलने वाले परिणामों को रेखांकित करते हुए प्रस्तुतियाँ दी गईं। इन चर्चाओं में जी-20 सदस्य देशों /आमंत्रित देशों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों / सुझावों के आधार पर, भारत की जी-20 अध्यक्षता ने प्रत्येक प्राथमिकता वाले मुद्दे पर कार्रवाई-उन्मुख ठोस प्रस्ताव तैयार किए हैं।
ये प्रस्ताव व्यापार दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए उच्च-स्तरीय सिद्धांतों को विकसित करने, सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए मेटा सूचना इंटरफ़ेस बनाने की कार्य योजना, वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) के लिए जेनेरिक मानचित्रण रूपरेखा, जी-20 नियामक संवाद और पारस्परिक मान्यता समझौतों (एमआरए) के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक सार-संग्रह तैयार करने से संबंधित हैं। इस पृष्ठभूमि में, तीसरी बैठक के दौरान, भारत की जी-20 अध्यक्षता में अब इन प्रस्तावों को अंततः अपनाने के लिए जी-20 सदस्य देशों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
इसके अनुसार, 11 और 12 जुलाई को तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसके दौरान जी-20 अध्यक्षता के प्रस्तावों पर जी-20 सदस्य देशों /आमंत्रित देशों से विशिष्ट सुझाव /टिप्पणियां मांगी जाएंगी। इन सुझावों को मंत्रिस्तरीय विज्ञप्ति का मसौदा तैयार करते समय उपयुक्त रूप से शामिल किया जाएगा, जिसे 24 से 25 अगस्त, 2023 तक जयपुर में होने वाली जी-20 व्यापार और निवेश मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान अपनाया जाएगा।
कामकाजी एजेंडा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उस स्पष्ट आह्वान को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है कि जी-20 के नतीजे कार्रवाई-उन्मुख होने चाहिए और ग्लोबल साउथ के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना चाहिए। इस पृष्ठभूमि में, जी-20 व्यापार और निवेश कार्यसमूह (टीआईडब्ल्यूजी) की तीसरी बैठक के नतीजे वैश्विक व्यापार और निवेश में तेजी लाने में आने वाली चुनौतियों की साझा समझ बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे और ऐसे मार्ग विकसित करेंगे जो विकास को समावेशी और पारदर्शी बनाने के लिए मौजूदा अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
जून, 2023 के लिए सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,61,497 करोड़ रुपये रहा; साल-दर-साल के आधार पर 12% की वृद्धि दर्ज की गई
जून, 2023 में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,61,497 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें से सीजीएसटी 31,013 करोड़ रुपये है, एसजीएसटी 38,292 करोड़ रुपये है, आईजीएसटी 80,292 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्र 39,035 करोड़ रुपये समेत) है और उपकर 11,900 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्र 1,028 करोड़ रुपये समेत) है।
सरकार ने आईजीएसटी से सीजीएसटी के रूप में 36,224 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के रूप में 30269 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। नियमित भुगतान के बाद, जून 2023 के महीने में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 67,237 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 68,561 करोड़ रुपये है।
जून 2023 महीने का राजस्व पिछले साल के इसी महीने के जीएसटी राजस्व से 12% अधिक है। इस महीने के दौरान, घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्त राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व से 18% अधिक है।
यह चौथी बार है, जब सकल जीएसटी संग्रह 1.60 लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2021-22, वित्त वर्ष 22-23 और वित्त वर्ष 23-24 की पहली तिमाही के लिए औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह क्रमशः 1.10 लाख करोड़ रुपये; 1.51 लाख करोड़ रुपये और 1.69 लाख करोड़ रुपये है।
नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व के रुझान को प्रदर्शित करता है। तालिका-1 जून 2022 की तुलना में जून 2023 के महीने के दौरान एकत्रित जीएसटी के राज्य-वार आंकड़े दिखाती है और तालिका-2 जून’2023 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्राप्त/भुगतान किये गए आईजीएसटी के एसजीएसटी हिस्से को दिखाती है।
जून 2023 [1] के दौरान जीएसटी राजस्व की राज्यवार वृद्धि
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश | जून’22 | जून’23 | वृद्धि (%) |
जम्मू और कश्मीर | 371.83 | 588.68 | 58% |
हिमाचल प्रदेश | 693.14 | 840.61 | 21% |
पंजाब | 1,682.50 | 1,965.93 | 17% |
चंडीगढ़ | 169.7 | 227.06 | 34% |
उत्तराखंड | 1,280.92 | 1,522.55 | 19% |
हरियाणा | 6,713.89 | 7,988.18 | 19% |
दिल्ली | 4,313.36 | 4,744.11 | 10% |
राजस्थान | 3,385.95 | 3,892.01 | 15% |
उत्तर प्रदेश | 6,834.51 | 8,104.15 | 19% |
बिहार | 1,232.06 | 1,437.06 | 17% |
सिक्किम | 256.37 | 287.51 | 12% |
अरुणाचल प्रदेश | 58.53 | 90.62 | 55% |
नगालैंड | 33.58 | 79.2 | 136% |
मणिपुर | 38.79 | 60.37 | 56% |
मिजोरम | 25.85 | 55.38 | 114% |
त्रिपुरा | 62.99 | 75.15 | 19% |
मेघालय | 152.59 | 194.14 | 27% |
असम | 972.07 | 1,213.05 | 25% |
पश्चिम बंगाल | 4,331.41 | 5,053.87 | 17% |
झारखंड | 2,315.14 | 2,830.21 | 22% |
ओडिशा | 3,965.28 | 4,379.98 | 10% |
छत्तीसगढ | 2,774.42 | 3,012.03 | 9% |
मध्य प्रदेश | 2,837.35 | 3,385.21 | 19% |
गुजरात | 9,206.57 | 10,119.71 | 10% |
दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव | 349.70 | 339.31 | -3% |
महाराष्ट्र | 22,341.40 | 26,098.78 | 17% |
कर्नाटक | 8,844.88 | 11,193.20 | 27% |
गोवा | 428.63 | 480.43 | 12% |
लक्षद्वीप | 0.64 | 21.86 | 3316% |
केरल | 2,160.89 | 2,725.08 | 26% |
तमिलनाडु | 8,027.25 | 9,600.63 | 20% |
पुदुचेरी | 182.46 | 210.38 | 15% |
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह | 22.36 | 35.98 | 61% |
तेलंगाना | 3,901.45 | 4,681.39 | 20% |
आंध्र प्रदेश | 2,986.52 | 3,477.42 | 16% |
लद्दाख | 13.22 | 14.57 | 10% |
अन्य क्षेत्र | 205.3 | 227.42 | 11% |
केंद्र क्षेत्राधिकार | 143.42 | 179.62 | 25% |
कुल | 103317.18 | 121433.52 | 18% |
जून 2023 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को दी गई आईजीएसटी के एसजीएसटी हिस्से की धनराशि
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश | धनराशि (करोड़ रुपये में) |
जम्मू और कश्मीर | 417.85 |
हिमाचल प्रदेश | 222.35 |
पंजाब | 961.45 |
चंडीगढ़ | 122.21 |
उत्तराखंड | 221.64 |
हरियाणा | 1,153.80 |
दिल्ली | 1,136.95 |
राजस्थान | 1,554.76 |
उत्तर प्रदेश | 3,236.11 |
बिहार | 1,491.33 |
सिक्किम | 39.30 |
अरुणाचल प्रदेश | 105.43 |
नगालैंड | 61.38 |
मणिपुर | 49.88 |
मिजोरम | 55.95 |
त्रिपुरा | 84.46 |
मेघालय | 86.75 |
असम | 743.95 |
पश्चिम बंगाल | 1,503.81 |
झारखंड | 304.92 |
ओडिशा | 409.84 |
छत्तीसगढ़ | 366.81 |
मध्य प्रदेश | 1,606.95 |
गुजरात | 1,571.56 |
दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव | 27.97 |
महाराष्ट्र | 3,484.55 |
कर्नाटक | 2,688.90 |
गोवा | 162.97 |
लक्षद्वीप | 4.80 |
केरल | 1,415.11 |
तमिलनाडु | 1,873.31 |
पुदुचेरी | 184.21 |
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह | 24.33 |
तेलंगाना | 1,621.37 |
आंध्र प्रदेश | 1,159.88 |
लद्दाख | 28.68 |
अन्य क्षेत्र | 82.97 |
कुल | 30,268.53 |
डीआरआई ने पकड़े गए विदेशी नागरिक के शरीर से एनडीपीएस कैप्सूल निकाले
अवैध रूप से नशीले पदार्थों की तस्करी के सामान्य तरीकों में से एक बॉडी पैकिंग है। नशीले पदार्थों के तस्कर आम तौर पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट या अन्य छिद्रों के भीतर दवाओं को निगलते हैं या डालते हैं। लगातार पैकेजिंग की चालबाजियों में हो रहे सुधार और तस्करों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अत्याधुनिक तकनीक के कारण ऐसे ड्रग पैकेटों का पता लगाना मुश्किल हो गया है। निदान में देरी और अनुचित कदम उठाने से बॉडी पैकर्स के लिए विनाशकारी शारीरिक परिणाम हो सकते हैं और कभी कभार हालात बॉडी पैकर्स के लिए जानलेवा भी हो सकते हैं।
आगे की जांच अभी चल रही है।
अयोध्या हवाईअड्डे का विकास कार्य सितंबर 2023 तक पूरा हो जायेगा
इसके विकास कार्यों में आईएफआर कंडीशन के तहत कोड-सी प्रकार के विमानों के परिचालन के लिये मौजूदा रनवे को 1500 मीटर x 30 मीटर से 2200 मीटर x 45 मीटर तक विस्तार करना शामिल है। इसमें एक अंतरिम टर्मिनल भवन, एक एटीसी टावर, एक फायर स्टेशन, कार पार्किंग, कोड ‘सी’ प्रकार के 03 विमानों की पार्किंग के लिये नये एप्रन तथा शहर और एयर-साइड में सभी ढांचागत सुविधायें होंगी।
नया अंतरिम टर्मिनल भवन 6250 वर्गमीटर क्षेत्र में होगा और सबसे व्यस्त समय में यह 300 यात्रियों के प्रबंधन में सक्षम होगा। यात्री सुविधाओं में आठ चेक-इन- काउंटर होंगे, तीन कनवेयर बेल्ट (01 प्रस्थान और 02 आगमन हॉल), 75 कारों, और दो बसों के लिये पार्किंग सुविधा होगी। हवाईअड्डा पीआरएम- यानी कम गतिशीलता/दिव्यांग यात्रियों की सुविधा से सुसज्जित होगा।
हवाईअड्डे में वह तमाम सुविधायें होंगी जिससे इसे अधिक टिकाउ और वहनीय बनाया जा सकेगा। इसमें छत की डबल इंसुलेटेड प्रणाली, उर्जा बचत के जरूरी प्रावधान, एलईडी लाइटिंग, लो हीट गेन डबल ग्लेजिंग यूनिट, भूजल रिचार्ज के लिये वर्षा जलसंचयन, फव्वारे, एचवीएसी, जलशोधन संयंत्र, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और लैंडस्केपिंग के लिये रिसाइकल्ड पानी का इस्तेमाल, जीआरआईएचए- वी रेटिंग्स पूर्ति के लिये 250 केडब्ल्यूपी क्षमता का सौर उर्जा संयंत्र शामिल है। टर्मिनल भवन का डिजाइन अयोध्या, उत्तर प्रदेश राज्य की संस्कृति और विरासत वाला होगा ताकि यहां आने वाले यात्रियों को इसकी अनुभूति मिले।
टर्मिनल भवन की बाहरी दीवारें (शहर की तरफ और हवाईपट्टी दोनों तरफ) अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की वास्तुकला के अनुरूप होगा। हवाईअड्डे की प्रस्तावित टर्मिनल बिल्डिंग में भव्य राम मंदिर का ही चित्रण होगा जिससे यहां आने वाले यात्रियों को आध्यात्मिक अनुभूति होगी। टर्मिनल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना होगा जिसमें अलग अलग उंचाई के शिखर होंगे जो कि इस भवन की शान को और बढ़ायेंगे। छोटे-बड़े शिखर के साथ ही टर्मिनल भवन में सजावटी खंबे इसकी भव्यता को और बढ़ायेंगे जिससे यहां आने वाले यात्रियों और पर्यटकों को नया अनुभव होगा। नये टर्मिनल भवन के अंदरूनी हिस्से को स्थानीय कला, पेंटिंग और भगवान श्री राम के जीवन चक्र से जुड़े भित्ती चित्रों से सजाया जा रहा है।
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अयोध्या हवाईअड्डे में जारी विकास कार्यों पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘अयोध्या हवाईअड्डे में जारी विकास कार्यों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के भारत में ढांचागत सुविधाओं के विकास को लेकर दूरदर्शिता का पता चलता है। यह अत्याधुनिक हवाईअड्डा हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने और पवित्र धार्मिक शहर अयोध्या में पर्यटन को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस परियोजना से न केवल क्षेत्रीय विकास तेज होगा बल्कि भगवान राम से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत का भी मान बढ़ेगा। मुझे विश्वास है कि यह हवाईअड्डा अयोध्या के विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।’’ श्री सिंधिया ने हवाईअड्डे में हो रही प्रगति के बारे में ट्वीट भी किये। ये ट्वीट यहां देखे जा सकते हैंः
प्रधानमंत्री ने ‘चिकित्सक दिवस’ के अवसर पर समस्त चिकित्सक समुदाय के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया:
“#DoctorsDay के अवसर पर, मैं समस्त चिकित्सक समुदाय के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। अत्यंत अभूतपूर्व समय में भी, चिकित्सकों ने उच्चतम स्तर के साहस, निस्वार्थता और दृढ़ता का उदाहरण पेश किया है। उनका समर्पण उपचार से परे है, यह हमारे समाज को आशा और शक्ति देता है।”
विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना (आईएन) और फ्रांसीसी नौसेना (एफएन) साझेदारी में समुद्री अभ्यास
विशाखापत्तनम से प्रस्थान पर, एफएस सुरकॉफ ने आईएन जहाजों राणा और सुमेधा के साथ विभिन्न समुद्री अभ्यास किए, जिसमें सामरिक युद्धाभ्यास, समुद्र में पुनःपूर्ति (आरएएस) दृष्टिकोण, लड़ाकू विमानों के खिलाफ वायु रक्षा और क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर संचालन शामिल रहे। अभ्यास का समापन दोनों नौसेनाओं के बीच घनिष्ठ मित्रता की पुष्टि करते हुए जहाजों के बीच एक पारंपरिक विदाई स्टीमपास्ट के साथ हुआ। एफएस सुरकॉफ़ की भारत यात्रा भारतीय नौसेना और फ्रांसीसी नौसेना के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक है।
इससे पूर्व इसी वर्ष एफएस ला फेयेट, एक फ्रिगेट और एफएस डिक्सम्यूड, एक मिस्ट्रल-क्लास आक्रामक श्रेणी के जहाज ने 10 से 11 मार्च 2023 तक एक निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री के साथ एक साझेदारी अभ्यास में भाग लिया था।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा, उभरते युद्ध परिदृश्य में सैन्य क्षमता विकास की आवश्यकता
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम), उत्तम युद्ध सेवा मेडल (यूवाईएसएम), अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) , सेना मेडल (एसएम), विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम) ने उभरते युद्ध परिदृश्य में सैन्य क्षमता विकास की आवश्यकता पर जोर दिया है। वह नये डीआरडीओ भवन में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज द्वारा संयुक्त रूप से ‘टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सेंसर-डिसीजन-शूटर सुपीरियॉरिटी’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार और प्रदर्शनी में 30 जून, 2023 को सम्मानित अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में नवीनतम संचार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों के एकीकरण सहित कई सेंसर और शूटर क्षमताओं में तालमेल और पारदर्शिता हासिल करने में सशस्त्र बलों की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया।
सीडीएस ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ युद्ध की गति को संभव बनाने के लिए ओओडीए (ऑब्जर्व, ओरिएंट, डिसाइड, एक्ट) चक्र को उच्च गति का होना चाहिए। जनरल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि क्षमता विकास एक वैज्ञानिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि थिएटराइजेशन के साथ पारस्परिकता और एकीकरण कई गुना बढ़ जाएगा।
सीडीएस ने कहा कि अंतरिक्ष, साइबर और ईडब्ल्यू प्रौद्योगिकियों की आधारभूत समझ सभी युद्ध सेनानियों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने भविष्य के युद्ध क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए विचार-मंथन करने और एक-दूसरे की आवश्यकताओं की आपसी समझ की खातिर सेवाओं, वैज्ञानिकों, उद्योग और शिक्षाविदों को एक साथ लाने के लिए डीआरडीओ और सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज के प्रयासों की सराहना की।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत भी समारोह में शामिल हुए। डॉ. समीर वी. कामत ने अपने संबोधन में कहा कि सेंसर के प्रसार के साथ, नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर भविष्य के युद्धक्षेत्र परिदृश्य में एक वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे नेटवर्क की सुरक्षा सर्वोपरि है और समय पर सुरक्षित जानकारी प्रसारित करना एक आवश्यकता है। उन्होंने एआई-संचालित स्वायत्तता की महत्ता को भी रेखांकित किया।
सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव, अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम) **** (सेवानिवृत्त), तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, डीआरडीओ वैज्ञानिक और उद्योग प्रतिनिधि सेमिनार में शामिल हुए। सेमिनार में रणनीतिक और मल्टी डोमेन अवेरनेस पर विभिन्न ‘विषय वस्तु विशेषज्ञों’ द्वारा सूचना साझा करना: नेटवर्क और संचार, विश्लेषण, खुफिया और निर्णय लेना, त्वरित और मल्टी-डोमेन टारगेटिंग पर चर्चा की गई।
सेमिनार ने सैन्य विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और प्रबुद्ध जनों को इस विषय पर विचार-मंथन करने और सभी हितधारकों के लिए विभिन्न कार्रवाई योग्य बिंदु उपलब्ध करने का अवसर प्रदान किया।
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